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दिवाली के बाद 21 अक्टूबर को क्या होगा? जानिए त्योहारों की पूरी कहानी

 दिवाली के पंच दिवसीय त्योहार की शुरुआत धनतेरस से हो चुकी है. इस साल लोगों के बीच में दिवाली की तिथि 20 अक्टूबर या 21 अक्टूबर, को लेकर बहुत ही बड़ा कंफ्यूजन है, आखिर दीपावली का पर्व कब मनाया जाएगा? इसी वजह से इन तिथियों को लेकर देशभर के बड़े ज्योतिषियों में, पंडितों और ज्योतिर्विदों में बहस भी छिड़ी हुई है. जिसका समाधान निकलते हुए ये सामने आया है कि प्रदोष व्यापिनी तिथि के कारण दिवाली इस बार 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को मनाई जाएगी. 20 अक्टूबर को क्यों मनाई जाएगी दिवाली? गाजियाबाद के दुर्गा मंदिर के जाने माने ज्योतिषाचार्य पंडित राम किशोर जी के मुताबिक, इस साल 20 अक्टूबर को दिवाली मनाना उचित होगा. क्योंकि इसी दिन प्रदोष काल, वृषभ लग्न और महानिशीथ काल, सभी योग प्राप्त हो रहे हैं. दरअसल, इस दिन प्रदोष काल शाम 5 बजकर 46 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 18 मिनट पर रहेगा. वहीं, वृषभ लग्न शाम 7 बजकर 8 मिनट से शुरू होकर रात 9 बजकर 3 मिनट रहेगा. इसके अलावा, महानिशीथ काल का समय मध्यरात्रि 11 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर 21 अक्टूबर की अर्धरात्रि 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. 20 अक्टूबर की शाम बनने जा रहे इन्हीं संयोगों में लक्ष्मी पूजन और काली पूजन करना उचित होता है, इसलिए इसी दिन दिवाली मनाई जाएगी.  20 अक्टूबर को है दिवाली तो 21 अक्टूबर को क्या है? आगे ज्योतिषाचार्य पंडित राम किशोर जी बताते हैं कि, 20 अक्टूबर को अमावस्या तिथि दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और यह तिथि 21 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 54 मिनट अमावस्या तिथि ही रहेगी. यानी 21 अक्टूबर को अमावस्या का समापन सूर्यास्त के साथ हो जाएगा. इसके बाद प्रतिपदा तिथि की शुरुआत हो जाएगी. इसका मतलब है कि 21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि ना तो प्रदोष काल में रहेगी और ना रात्रि में रहेगी. इसलिए, इस दिन कोई भी त्योहार नहीं है यानी यह दिन खाली रहेगा. हालांकि, इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में कार्तिक अमावस्या का स्नान-दान होगा, जो कि बहुत ही विशेष अनुष्ठान माना जाता है.  20 अक्टूबर को ये रहेगा लक्ष्मी गणेश का पूजन मुहूर्त 20 अक्टूबर को दिवाली की पूजा के लिए 2 खास मुहूर्त प्राप्त होंगे. जिसमें पहला मुहूर्त प्रदोष काल है, इस दिन प्रदोष काल की शुरुआत शाम 5 बजकर 46 मिनट से होगी और इसका समापन रात 8 बजकर 18 मिनट पर होगा. इसके अलावा, स्थिर लग्न का वृषभ काल में भी मां लक्ष्मी के पूजन का अच्छा मुहूर्त माना जाता है जो कि शाम 7 बजकर 8 मिनट से शुरू होकर रात 9 बजकर 3 मिनट पर समाप्त होगा.  इन दोनों मुहूर्तों के अलावा, मां लक्ष्मी की पूजा का खास मुहूर्त शाम 7 बजकर 08 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो जाएगा, जिसकी अवधि 1 घंटे 11 मिनट की रहेगी. इसके अलावा, इस दिन महानिशीथ काल मध्यरात्रि 11 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर अर्धरात्रि 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा.

कपूर माचिस दिखते ही जल क्यों उठता है? किस पौधे से बनता है ये पवित्र पदार्थ, जानें पूरा विज्ञान

इस समय देश में त्योहारों का सीजन चल रहा है. ऐसे में हर घर में पूजा-पाठ से लेकर हवन और अन्य धार्मिक अनुष्ठान जरूर होते हैं. इसके लिए कपूर एक अनिवार्य सामग्री है। जैसे ही इसे माचिस की तीली दिखाई जाती है, यह तुरंत जल उठता है और चारों ओर एक मंद, सुगंधित महक फैल जाती है। क्या आपने कभी इस पर विचार किया है कि कपूर का निर्माण कैसे होता है, इसका पौधा कैसा दिखता है, और यह इतना अधिक ज्वलनशील क्यों होता है? आइए, इन सभी प्रश्नों के उत्तर जानते हैं। कैसे बनता है कपूर? बाजार में मुख्य रूप से दो प्रकार के कपूर उपलब्ध होते हैं. पहला प्राकृतिक कपूर और दूसरा फैक्ट्रियों में कृत्रिम रूप से (आर्टिफिशियल) तैयार किया गया कपूर. प्राकृतिक कपूर ‘कैम्फूर ट्री’ नामक एक वृक्ष से प्राप्त होता है, जिसका वैज्ञानिक नाम Cinnamomum Camphora है. यह कैम्फूर वृक्ष लगभग 50 से 60 फीट तक ऊंचा हो सकता है और इसकी पत्तियां गोल आकार की तथा लगभग 4 इंच चौड़ी होती हैं. कपूर वास्तव में इस पेड़ की छाल से बनाया जाता है. जब कैम्फूर की छाल सूखने लगती है या उसका रंग भूरा (ग्रे) दिखने लगता है, तब इसे पेड़ से अलग कर लिया जाता है. इसके बाद इस छाल को गर्म करके रिफाइन किया जाता है और फिर पीसकर पाउडर बनाया जाता है. अंत में, आवश्यकतानुसार इसे विभिन्न आकार दे दिए जाते हैं. कैम्फूर ट्री कहाँ से आया और इसका इतिहास कैम्फूर ट्री (Camphor Tree) की उत्पत्ति मुख्य रूप से पूर्वी एशिया विशेष रूप से चीन में मानी जाती है. हालांकि कुछ वनस्पति विज्ञानियों का मत है कि यह जापान का मूल वृक्ष है. चीन में तांग राजवंश (618-907 ईस्वी) के शासनकाल के दौरान कैम्फूर ट्री का उपयोग करके एक प्रकार की आइसक्रीम तैयार की जाती थी जो काफी प्रसिद्ध थी. इसके अलावा इस वृक्ष को कई अन्य तरीकों से भी उपयोग में लाया जाता था. चीनी लोक चिकित्सा पद्धति में इस पेड़ का विभिन्न प्रकार से इस्तेमाल होता था. नौवीं शताब्दी के आस-पास डिस्टिलेशन विधि का उपयोग करके कैम्फूर ट्री से कपूर बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई, और धीरे-धीरे यह पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो गया. goya.in की एक रिपोर्ट के अनुसार 18वीं शताब्दी तक फार्मोसा गणराज्य (जो अब ताइवान के रूप में जाना जाता है) कैम्फूर ट्री का सबसे बड़ा उत्पादक था. उस समय फार्मोसा, क्विंग राजवंश (Qing Dynasty) के नियंत्रण में था. इस राजवंश ने फार्मोसा के जंगलों पर अपना एकाधिकार स्थापित कर दिया, जिसमें कैम्फूर भी शामिल था. उनकी अनुमति के बिना पेड़ को छूना तक दंडनीय अपराध था, जिसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान था. यहां तक कि वर्ष 1720 में नियम उल्लंघन के आरोप में लगभग 200 लोगों का सिर कलम कर दिया गया था. यह एकाधिकार वर्ष 1868 में समाप्त हुआ. हालांकि 1899 में जब जापान ने इस द्वीप पर कब्जा किया तो उन्होंने भी क्विंग राजवंश के समान ही एकाधिकार थोप दिया. यह वही अवधि थी जब पहली बार कृत्रिम (सिंथेटिक) कपूर का आविष्कार किया गया था. भारत में कपूर के पौधे का आगमन इसी समय भारत भी कपूर के उत्पादन पर कार्य करने का प्रयास कर रहा था. 1932 में प्रकाशित एक शोध पत्र में कलकत्ता के स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के आर.एन. चोपड़ा और बी. मुखर्जी ने यह उल्लेख किया है कि 1882-83 के दौरान लखनऊ के हॉर्टिकल्चर गार्डन में कपूर उत्पादक वृक्षों की खेती में सफलता मिली थी. हालांकि, यह सफलता अधिक समय तक कायम नहीं रह पायी. फिर भी प्रयास जारी रहे और आगामी वर्षों में देश के कई क्षेत्रों में कैम्फूर ट्री की खेती बड़े पैमाने पर होने लगी. कपूर के पेड़ को ब्लैक गोल्ड क्यों कहा जाता है कैम्फूर ट्री को ब्लैक गोल्ड के नाम से भी जाना जाता है. इसकी गणना विश्व के सर्वाधिक मूल्यवान वृक्षों में होती है. इस पेड़ से केवल पूजा-पाठ में इस्तेमाल होने वाला कपूर ही नहीं, बल्कि कई अन्य उपयोगी वस्तुएं भी बनाई जाती हैं, जैसे एसेंशियल ऑयल, विभिन्न प्रकार की दवाइयां, इत्र (परफ्यूम) और साबुन आदि. कपूर के पेड़ में छह विशिष्ट रसायन पाए जाते हैं, जिन्हें केमोटाइप्स कहा जाता है. ये केमोटाइप्स निम्नलिखित हैं: कपूर (Camphor), लिनालूल (Linalool), 1,8-सिनिओल (1,8-Cineole), नेरोलिडोल (Nerolidol), सैफ्रोल (Safrole), और बोर्नियोल (Borneol). कपूर तुरंत क्यों जल उठता है? कपूर में कार्बन और हाइड्रोजन की मात्रा काफी अधिक होती है, जिसके कारण इसका ज्वलन तापमान (Ignition Temperature) बहुत कम होता है. इसका अर्थ है कि यह बहुत हल्की-सी ऊष्मा (हीट) मिलते ही जलना शुरू कर देता है. इसके अतिरिक्त कपूर एक अत्यंत वाष्पशील (Volatile) पदार्थ है. जब कपूर को थोड़ा-सा भी गर्म किया जाता है तो इसकी वाष्प (Vapor) बहुत तेजी से हवा में फैल जाती है और वातावरण की ऑक्सीजन के साथ मिलकर यह बेहद आसानी से जलने लगता है.

आज का राशिफल (19 अक्टूबर 2025): मकर को मिल सकती है खुशखबरी, बाकी राशियों की स्थिति कैसी रहेगी?

मेष आज आपको आराम करने की जरूरत है, वरना थकान महसूस हो सकती है। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जरूरत के हिसाब से चीजें जीवन में वस्तुएं उपलब्ध होंगी। सेहत अच्छी रहेगी। परिवार का साथ मिलेगा। धन की स्थिति को लेकर मन में उतार-चढ़ाव हो सकते हैं। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता हो सकती है। वृषभ आज आपको अपने प्रिय व्यक्ति के साथ समय गुजारना चाहिए। आपके मन में पैसों को जल्दी कमाने का तीव्र इच्छा हो सकती है। मानसिक शांति प्राप्त करेंगे। यात्रा का योग हैं। व्यावसायिक रूप से आप अच्छे रहेंगे। ऑफिस में अनुकूल परिणाम प्राप्त होंगे। मिथुन आज आपको ऑफिस व घर में कुछ तनाव का सामना करना पड़ सकता है। पैसों से जुड़ी परेशानी हो सकती है। आर्थिक रूप से आप खुद को बेहतर करने की कोशिश करेंगे और सफलता भी पाएंगे। व्यापार के लिहाज से दिन अनुकूल है। परिवार के सदस्यों का साथ मिलेगा और वे आपकी बात सुनेंगे। कर्क आज का दिन आपके लिए अच्छा रहने वाला है। किसी को भी धन उधार देने से बचना चाहिए, वरना वापसी में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। जीवनसाथी के साथ अच्छा समय गुजारेंगे और आपको सरप्राइज भी मिल सकता है। ऑफिस में उच्चाधिकारियों का सहयोग मिलेगा। कारोबार के सिलसिले में यात्रा करनी पड़ सकती है। कन्या आज आपको अपनी सभी परेशानियों का हल मिल सकता है। निवेश फायदेमंद रहेगा। परिवार के सदस्यों पर आपका कंट्रोल रखने वाला स्वभाव बेवजह वाद-विवाद को जन्म देगा। किसी शुभ समाचार की प्राप्ति हो सकती है। मेहनत का पूरा फल मिलेगा। हालांकि कार्यों को करते समय धैर्य से काम लें। सिंह आज आपकी प्रभावशाली लोगों से मुलाकात हो सकती है। जैसा आप चाहेंगे, वैसा पाएंगे। हालांकि आज धन की कमी का अनुभव कर सकते हैं, लेकिन शाम तक स्थितियां आपके अनुकूल हो जाएंगी। ऑफिस में आपको लोगों के साथ गपशप करने से बचना चाहिए, क्योंकि इसमें आपका ज्यादातर समय बर्बाद होता है। जीवनसाथी के सेहत की चिंता हो सकती है। तुला आज आपको कार्यों में सफलता मिलेगी। ऑफिस में आपके विचारों की तारीफ हो सकती है। व्यक्तित्व में निखार आएगा और मेहनत रंग लाएगी। आप अपना खाली समय धार्मिक कार्यों में बिताने का विचार बना सकते हैं। इस दौरान बेवजह के विवादों में न पड़ें। किसी भी तरह की प्लानिंग में जीवनसाथी के विचारों को जरूर शामिल करें। वृश्चिक आज आपको अपनी फीलिंग्स पर कंट्रोल रखना होगा। आर्थिक रूप से आप परेशानी का सामना कर सकते हैं। रोमांस के लिहाज से दिन अच्छा रहने वाला है। सेहत में सुधार होगा। व्यापारिक स्थिति पहले से बेहतर होगी। जीवनसाथी का साथ मिलेगा। धनु आज आप खरीदारी करने के साथ कहीं घूमने जाने का प्लान बना सकते हैं। दिन की शुरुआत ध्यान और योग से करने से आपको लाभ होगा। आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत रहेगी, लेकिन आपको ध्यान रखना होगा कि ज्यादा खर्चा न करें। आज परिवार के साथ समय बिताना जरूरी है। मकर आज आप अपने शौक पूरे कर सकते हैं। किसी करीबी की सलाह से आर्थिक लाभ होने की संभावना है। जीवनसाथी के साथ रिश्तों में सुधार होगा। बहुत बड़े निवेश से दूरी बनाए रखें, वरना नुकसान हो सकता है। व्यापारियों के लिए दिन अच्छा रहने वाला है। आज आप तरोताज़ा महसूस कर सकते हैं। कुंभ आज आपके जीवन में खुशियों का आगमन होगा। आपके विचारों को सीनियर्स समझेंगे और तारीफ भी करेंगे। ऑफिस में कलीग का सहयोग मिलेगा, जिससे काम जल्दी निपट सकता है। भाग्य का साथ मिलेगा। आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हो सकती है और बचत करने में सफल हो सकते हैं। हालांकि आज जीवनसाथी के विचारों को नजरअंदाज न करें, वरना अनबन हो सकती है। मीन आज दोस्तों का साथ मिलेगा। व्यापार में मुनाफा आज कई व्यापारियों के चेहरों पर खुशी ला सकता है। आज आप अपनों के बीच खुशियां बांटेंगे। यात्रा लाभकारी रहेगी। शिक्षा से जुड़े लोगों को अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। धन लाभ की संभावना है। व्यावसायिक रूप से स्थिति अच्छी रहेगी।

लक्ष्मी-कुबेर पूजन विधि: शुभ मुहूर्त, सामग्री और मंत्र – पूरी जानकारी एक जगह

दीपावली का त्योहार खुशियों और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, जिसका शुभारंभ धनतेरस या धनत्रयोदशी से होता है। यह पर्व कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष धनतेरस 18 अक्तूबर को मनाई जाएगी। इस दिन विशेष विधि-विधान से माता लक्ष्मी, कुबेर देवता और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है, ताकि जीवन में सौभाग्य, स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति हो सके। धनतेरस की पूजा में कई तरह के पारंपरिक और शुभ सामग्री का उपयोग किया जाता है, जो पूजा को सफल और फलदायी बनाते हैं। इस पूजा सामग्री की एक सूची तैयार की गई है, जिसमें उस दिन उपयोग होने वाले सभी जरूरी सामानों के नाम शामिल हैं। इससे पूजा करने वाले आसानी से तैयारी कर सकते हैं और इस पावन अवसर को विधिपूर्वक मना सकते हैं। धनतेरस पूजा सामग्री सूची     चौकी     स्वस्तिक या अल्पना बनाने के लिए अक्षत या आटा     चौकी पर बिछाने के लिए लाल वस्त्र     मिट्टी के बड़े दीपक     सरसों का तेल     13 मिट्टी के दीपक और बाती     कौड़ी     माता लक्ष्मी, गणेशजी, भगवान कुबेर, धन्वंतरि और यमराज जी की तस्वीर     पूजा की थाली     सुपारी     कुबेर यंत्र     कलश     मौली या कलावा     अक्षत     रोली या अबीर     गुलाल     सिक्का     गुड़ या शक्कर     चंदन     कुमकुम और हल्दी     चौकी को शुद्ध करने के लिए गंगाजल     सीजनल फल     मिष्ठान्न     ताम्बूल (पान, लौंग, सुपारी, इलायची)     क्षमतानुसार दक्षिणा     लाल और पीले पुष्प     पुष्प माला     धुप     अगरबत्ती     चढ़ावा के लिए खील-बताशा, धनिया के बीज, नए बर्तन, नई झाड़ू, धान-मूंग     कपूर धनतेरस पूजा विधि     धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठें, स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहनें।     पूजा से पहले मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं और घर के अंदर माता लक्ष्मी के पैर के निशान बनाएं।     माता लक्ष्मी, कुबेर देवता और भगवान धन्वंतरि की षोडशोपचार (16 प्रकार की पूजा सामग्री) से विधिपूर्वक पूजा करें।     भगवान धन्वंतरि को कुमकुम लगाएं, माला पहनाएं और अक्षत (चावल) चढ़ाएं।     पूजा में भोग अर्पित करें, खासकर भगवान धन्वंतरि को कृष्ण तुलसी, गाय का दूध और मक्खन चढ़ाएं।     धनतेरस के दिन पीतल की कोई वस्तु खरीदकर भगवान धन्वंतरि को समर्पित करें।     पूजा के दौरान धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ जरूर करें।     पूजा समाप्ति पर माता लक्ष्मी, कुबेर देवता और धन्वंतरि की आरती करें।     आरती के बाद प्रसाद सभी में बांट दें।     शाम को आटे से चौमुखा दीपक बनाएं, उसमें सरसों या तिल का तेल डालकर घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर रखें। धनतेरस के दिन मंत्र-जाप भगवान धन्वंतरि मंत्र ओम नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये: अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोग निवारणाय त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप श्री धन्वंतरि स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नम: लक्ष्मी बीज मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः। कमलगट्टे की माला से 108 बार जप करें. लक्ष्मी-नारायण मंत्र ॐ श्री लक्ष्मी नारायणाभ्यां नमः। श्री सूक्त (वैदिक मंत्र) ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्। चन्द्रां हिरण्यमयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह॥ लक्ष्मी गायत्री मंत्र ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि। तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्॥ कुबेर धन मंत्र ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये नमः। कुबेर बीज मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्मीकुबेराय नमः॥ श्री गणेश जी के मंत्र गणेश बीज मंत्र ॐ गं गणपतये नमः॥ गणेश गायत्री मंत्र ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्॥ सिद्धिविनायक मंत्र ॐ नमो सिद्धिविनायकाय सर्वकार्येषु सर्वदा॥

नरक चतुर्दशी पर यमराज की पूजा क्यों की जाती है? पूरी जानकारी

सनातन धर्म में हर त्यौहार का खास धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बताया गया है. साल भर में कई व्रत और त्यौहार पड़ते हैं. इन्हीं में शामिल है नरक चतुर्दशी. नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली और रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है. ये त्यौहार विशेष रूप से मनाया जाता है. यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश का प्रतीक की विजय का माना जाता है. इतना ही नहीं यह दिन जीवन और मृत्यु के गहरे रहस्यों को भी याद दिलाता है. इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है. आइए जानते हैं इस दिन यमराज की पूजा का महत्व क्यों है? यमराज की पूजा का महत्व नरक चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता यमराज विशेष रूप से पूज्यनीय होते हैं. धार्मिक मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन यमराज की पूजा और उनका स्मरण करने से मृत्यु का भय कम होता है. साथ ही जीवन में दीर्घायु तथा समृद्धि आती है. नरक चतुर्दशी सिर्फ यमराज की पूजा करने तक सीमित नहीं है. यह त्यौहार जीवन की सुरक्षा, परिवार की रक्षा और मानसिक शांति का भी प्रतीक माना जाता है. आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है इस दिन यमराज की पूजा करने से आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है. यही कारण है कि इस दिन यमराज की विशेष रूप से पूजा की जाती है. नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय गेहूं के आटे से एक दीपक बनाना चाहिए. फिर चार छोटी-बड़ी बत्तियां तैयार करके दीपक में रखनी चाहिए. दक्षिण दिशा की ओर दीपक जलाना चाहिए इसके बाद दीपक में सरसों का तेल डालकर उसके चारों ओर गंगाजल छिड़कना चाहिए. फिर दीपक को घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर जलाना चाहिए. दीपक के नीचे थोड़ा अनाज जरूर रखना चाहिए. इस विधि से दीपक जलाने पर घर में अकाल मृत्यु टल जाती है. मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है. परिवार में खुशहाली आती है.

धनतेरस विशेष: जब मां लक्ष्मी ने चुना एक साधारण किसान का घर

हर साल कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस दिन समुद्र मंथन के समय प्रकट हुए भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है, जो अपने हाथ में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे। साथ ही, इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन भी विधिपूर्वक किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से घर में धन, सुख और समृद्धि बनी रहती है। धनतेरस से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने आती हैं। यदि घर स्वच्छ और दीपों से प्रकाशित हो, तो देवी लक्ष्मी प्रसन्न होकर उसमें वास करती हैं और घर में धन-संपत्ति की वृद्धि होती है। इसी कारण लोग इस दिन घर की साफ-सफाई करते हैं और दीप जलाकर मां लक्ष्मी का स्वागत करते हैं। धनतेरस की कथा प्राचीन काल की बात है। एक बार भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने की इच्छा प्रकट की। जब वे चलने लगे, तो मां लक्ष्मी ने भी निवेदन किया, "प्रभु! मैं भी आपके साथ पृथ्वी पर जाना चाहती हूं।" भगवान विष्णु मुस्कराए और बोले, "देवी, यदि तुम मेरे साथ चलना चाहती हो तो एक शर्त है, तुम्हें मेरी आज्ञा का पालन करना होगा।" माता लक्ष्मी ने सहर्ष यह शर्त स्वीकार कर ली। दोनों पृथ्वी लोक की ओर प्रस्थान कर गए। कुछ समय पश्चात भगवान विष्णु को दक्षिण दिशा की ओर जाने की इच्छा हुई। उन्होंने माता लक्ष्मी से कहा, "देवी, आप यहीं ठहरें। मैं थोड़ी देर में लौटता हूं।" परंतु माता लक्ष्मी, सौंदर्य और आकर्षण की देवी, वहां न रुकीं और चुपचाप प्रभु के पीछे-पीछे चल दीं। रास्ते में उन्हें एक सुंदर सरसों का खेत दिखाई दिया। खेत की हरियाली और पीले-पीले फूलों ने माता का मन मोह लिया। वे वहां रुकीं, सरसों के फूलों से श्रृंगार किया और पास में लगे गन्ने का रस पीया। यह दृश्य जब भगवान विष्णु ने देखा, तो वे क्रोधित हो उठे। उन्होंने माता लक्ष्मी से कहा, "तुमने मेरी आज्ञा का उल्लंघन किया है। इसलिए तुम्हें दंड मिलेगा। अब तुम्हें बारह वर्षों तक इस किसान के घर निवास करना होगा।" भगवान का वचन सत्य हुआ। मां लक्ष्मी को बारह वर्षों तक उसी किसान के घर रहना पड़ा। परंतु जहां लक्ष्मी का वास हो, वहां दरिद्रता कैसे टिक सकती है? देखते ही देखते वह गरीब किसान धन-धान्य से भर गया। उसका घर संपन्नता से चमक उठा। बारह वर्ष पूरे होने पर भगवान विष्णु माता लक्ष्मी को वापस ले जाने आए। लेकिन किसान मां लक्ष्मी को छोड़ने को तैयार नहीं था। तब माता लक्ष्मी ने उसे प्रेमपूर्वक समझाया, "पुत्र! मैं वर्ष में एक दिन तुम्हारे घर जरूर आऊंगी। यदि तुम कार्तिक मास की त्रयोदशी के दिन अपने घर को स्वच्छ रखोगे, दीपक जलाओगे, और श्रद्धा से मेरा पूजन करोगे, तो मैं सदा तुम पर अपनी कृपा बनाए रखूंगी।" किसान ने माता की बात मानी और विधिपूर्वक पूजन किया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि धनतेरस के दिन घर की सफाई की जाती है, दीप जलाए जाते हैं और माता लक्ष्मी का पूजन कर संपत्ति, सुख और समृद्धि की कामना की जाती है।

दिवाली 2025: तिथि का संशय खत्म, जानिए कब और किस समय करें लक्ष्मी-गणेश पूजन

हर साल की तरह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानी दिवाली का त्योहार देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है. दिवाली प्रकाश का पर्व है और इसे दीपावली भी कहा जाता है. दिवाली हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है. इस दिन भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद वापिस अयोध्या आए थे. इस बार दिवाली की तिथि को लेकर लोग असमंजस में हैं. कुछ लोगों का मानना है कि इस बार दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी तो वहीं कुछ लोग 21 अक्टूबर को दिवाली की सही तारीख बता रहे हैं. तो आइए कुछ खास ज्योतिर्विदों से जानते हैं कि दिवाली किस दिन मनाना फलदायी होगा और साथ ही दिवाली की सही डेट क्या है और लक्ष्मी-गणेश पूजन का मुहूर्त क्या रहेगा.  दिवाली 2025 तिथि  दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. इस बार कार्तिक अमावस्या तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 21 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 55 मिनट पर होगा. ऐसे में अमावस्या की तिथि के अनुसार कुछ विद्वान या पंडित दिवाली 20 अक्टूबर को मनाने की सलाह दे रहे हैं तो वहीं कुछ 21 अक्टूबर को दिवाली मनाने के पक्ष में हैं. ज्योतिर्विदों के मुताबिक, दरअसल दिवाली की प्रदोष काल व्यापिनी तिथि 20 अक्टूबर को ही प्राप्त हो रही है. वहीं, 21 अक्टूबर को तीन प्रहर से अधिक अमावस्या और साढ़े तीन प्रहर से अधिक प्रतिपदा होने के कारण उस दिन लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त उपलब्ध नहीं हो रहा है. इसी कारण, 20 अक्टूबर को ही दीपावली का पर्व मनाया जाएगा. दिवाली 2025 लक्ष्मी गणेश पूजन मुहूर्त इस बार दिवाली पर पूजन के लिए दो मुहूर्त मिलेंगे. पहला शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में है. इस दिन प्रदोष काल शाम 05 बजकर 46 मिनट से रात्रि 08 बजकर 18 मिनट के बीच रहेगा, जिसमें वृषभ काल शाम 7 बजकर 08 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 03 मिनट तक रहेगा. इसमें भी मां लक्ष्मी का पूजन किया जा सकता है.  इसके अलावा, लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे खास शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 08 मिनट से शाम 08 बजकर 18 मिनट के बीच का रहेगा. यानी लक्ष्मी पूजन के लिए आपको 1 घंटे 11 मिनट का समय मिलेगा.  दिवाली पूजन विधि दिवाली पर पूर्व दिशा या ईशान कोण में एक चौकी रखें. चौकी पर लाल या गुलाबी वस्त्र बिछाएं. पहले गणेश जी की मूर्ति रखें. फिर उनके दाहिने ओर लक्ष्मी जी को रखें. आसन पर बैठें और अपने चारों ओर जल छिड़क लें. इसके बाद संकल्प लेकर पूजा आरम्भ करें. एक मुखी घी का दीपक जलाएं. फिर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को फूल और मिठाइयां अर्पित करें. इसके बाद सबसे पहले गणेश और फिर मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें. अंत में आरती करें और शंख ध्वनि करें. घर में दीपक जलाने से पहले थाल में पांच दीपक रखकर फूल आदि अर्पित करें. इसके बाद घर के अलग-अलग हिस्सों में दीपक रखना शुरू करें. घर के अलावा कुएं के पास और मंदिर में दीपक जलाएं. दीपावली का पूजन लाल, पीले या चमकदार रंग के वस्त्र धारण करके करें. काले, भूरे या नीले रंग से परहेज करें. दिवाली का महत्व  दिवाली के दिन भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त करके वापस अयोध्या आए थे. इस दिन से हर साल कार्तिक अमावस्या पर दिवाली मनाई जाती है. दिवाली पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है, साथ ही भगवान राम के आने की खुशी में दीप जलाए जाते हैं. 

धनतेरस 2025 राशिफल: मकर वालों को मिलेंगे अच्छे संकेत, बाकी राशियों का भी जानें भविष्यफल

मेष राशि- आज आपको ऑफिस में नई जिम्मेदारियां मिल सकती है। कोई नई स्किल सीखने का मौका मिल सकता है। आत्मविश्वास से भरपूर रहेंगे। आर्थिक रूप से स्थिति अच्छी होगी। व्यापारियों को नई पार्टनरशिप से मुनाफा होगा। जीवनसाथी का साथ मिलेगा। वृषभ राशि- आज आपको अपने खान-पान का ध्यान रखना चाहिए, वरना इसका प्रभाव सेहत पर पड़ेगा। आपके व्यक्तित्व में निखार आएगा। आत्मविश्वास पहले से ज्यादा होगा। हालांकि आज आप छोटी-छोटी चीजों पर खर्च कर सकते हैं, जिससे परेशानी हो सकती है। रोमांस के लिए दिन अच्छा रहने वाला है। व्यावसायिक स्थिति अच्छी होगी। मिथुन राशि- आज आपकी एनर्जी ज्यादा रहेगी, जिससे आप जरूरी कामों को निपटाने में सफल रहेंगे। आपका धन बेकार की चीजों पर खर्च हो सकता है, जिससे मानसिक तनाव हो सकता है। अगर आप धन संचय करना चाहते हैं, तो एक आर्थिक प्लान बनाकर चलें। माता-पिता का साथ मिलेगा। सिंगल जातकों के लिए योग्य विवाह प्रस्ताव आ सकते हैं। जीवनसाथी के साथ एक शानदार दिन बिताएंगे। कर्क राशि- आज आपकी सेहत में सुधार होगा। धन के बचाने में सफल रहेंगे। आज किसी भाई-बहन की मदद करने की जरूरत पड़ सकती है। दूसरों पर जरूरत से ज्यादा खर्च करने से बचें। आज आपको लवर का सहयोग मिलेगा। ऑफिस की समस्याओं को सुलझाने की कोशिश में तनाव आपके दिमाग पर छा सकता है। परिवार के साथ अच्छा समय बिताएंगे। सिंह राशि- आज आपका कोई सपना हकीकत में बदल सकता है। अपने उत्साह पर काबू रखें। धन की स्थिति में सुधार होगा। यात्रा से रोमांटिक रिलेशनशिप को बढ़ावा मिलेगा। नए प्रोजेक्ट या किसी महत्वपूर्ण काम को करने के लिए दिन अनुकूल रहने वाला है। आज जीवनसाथी के साथ तनाव की स्थिति बन सकती है, इसलिए शब्दों का चयन सोच-समझकर करें। कन्या राशि- आज आपकी लाइफस्टाइल में बदलाव करने से सेहत अच्छी हो सकती है। आज आपको अपने पैसों को संभालकर रखने में परेशानी हो सकती है। बेकार की चीजों पर खर्च करने से बचें, वरना परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। लव लाइफ अच्छी रहेगी। वैवाहिक जीवन अच्छा रहेगा। तुला राशि- आज आपको अपने धैर्य पर काबू रखना चाहिए। आज किसी करीबी दोस्त की मदद से कुछ करोबारियों को धन लाभ होने की संभावना है। प्यार और रोमांस आपको ख़ुशमिजाज रखेंगे। व्यापारिक स्थिति अच्छी रहेगी। आज फैसले को सोच-समझकर कर लें। आपका कोई पुराना दोस्त आपके जीवनसाथी के साथ पुरानी यादें ताजा कर सकता है। वृश्चिक राशि– आज आपको मानसिक तनाव से मुक्ति मिलेगी। आर्थिक परेशानियां दूर हो सकती हैं। परिवार में किसी बाहरी व्यक्ति का दखल रिश्तों में परेशानी ला सकता है। उच्चाधिकारियों का साथ मिलेगा। यात्रा से लाभ के संकेत हैं। कारोबारियों को आज मुनाफा होगा, जिससे व्यापार विस्तार करने में आसानी होगी। धनु राशि- आज आप जीवनसाथी के चेहरे पर मुस्कान बिखेर सकते हैं। आज आप अच्छा पैसा कमाएंगे- लेकिन इसे अपने हाथों से फिसलने नहीं दें। आज रोमांस की स्थिति अच्छी रहेगी। काम के बोझ के बावजूद भी आप अपने कार्यस्थल पर एनर्जेटिक बने रह सकते हैं। जीवनसाथी के साथ भविष्य को लेकर चर्चा कर सकते हैं। व्यापारिक स्थिति अच्छी रहेगी। मकर राशि- आज सिंगल जातकों की लाइफ में कोई खास व्यक्ति आ सकता है। परिवार में खुशियों का आगमन होगा। आप अपने वर्कप्लेस पर एनर्जेटिक बने रह सकते हैं, जिसे सीनियर्स भी नोटिस करेंगे। आज आप पार्टनर के किसी राज को जानकार परेशान हो सकते हैं। धन की स्थिति में सुधार होगा। व्यापारियों को नई पार्टनरशिप मिल सकती है। कुंभ राशि- आज आपको जीवनसाथी की सेहत पर नजर रखने की जरूरत है। अप्रत्याशित मुनाफे के जरिए आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। आपकी फिजूलखर्ची घर में तनाव पैदा कर सकती है। आप एक्स्ट्रा कामों को निपटाने के लिए आज का दिन चुन सकते हैं। काम में आपकी मेहनत रंग लाएगी। मीन राशि- आज आपको कई स्रोतों से धन लाभ होगा। जीवन में खुशियों का आगमन होगा। अपने काम और प्राथमिकताओं पर फोकस करें। आज जीवनसाथी के साथ कहीं बाहर घूमने जाने का प्लान बन सकता है। व्यापार में विस्तार के योग हैं। नौकरी पेशा करने वालों को ग्रोथ के अवसर मिल सकते हैं।

मकर राशि को मिलेगा बड़ा लाभ! जानें 17 अक्टूबर को आपकी राशि का क्या है योग

मेष राशि- आज मेष राशि वालों को मानसिक शांति की प्राप्ति होगी। धन लाभ होने की संभावना है, लेकिन आपको अपने गुस्से पर काबू रखना होगा। जीवनसाथी के साथ अच्छा समय बिताएंगे और भविष्य के बारे में बातचीत कर सकते हैं। नौकरी पेशा करने वालों को कलीग का सहयोग और तारीफ मिलेगी। व्यापार करने वालों के लिए शुभ दिन है। वृषभ राशि- आज आपको अपने खानपान पर नजर रखनी चाहिए, क्योंकि सेहत बिगड़ सकती है। यात्रा के संकेत हैं, लेकिन फलीभूत नहीं होगी। आज का दिन आपको थकाने वाला और तनावपूर्ण साबित हो सकता है, लेकिन आर्थिक तौर पर फायदेमंद भी साबित होगा। अपने जीवनसाथी के साथ सुकून, आराम और प्यार पाएंगे। किसी नई स्किल को सीख सकते हैं। मिथुन राशि– आज आपके जीवन में खुशियों का आगमन होगा। कार्यक्षेत्र या व्यापार में कोई भी लापरवाही आज आपको आर्थिक नुकसान पहुंचा सकती है। बच्चों की सेहत पर नजर रखें। आप अपने सपनों को साकार होते देखेंगे। आज आप अपने खाली समय का सदुपयोग करेंगे और उन अधूरे कामों को पूरा करने की कोशिश करेंगे। व्यापारिक स्थिति सुदृढ़ होगी। कर्क राशि- आज आपकी सेहत अच्छी रहेगी। धन के मामलों में सावधानी बरतें, वरना नुकसान हो सकता है। परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताना सुखद रहेगा। आज प्यार में अनबन का सामना करना पड़ सकता है। आज आपको बॉस का सहयोग मिलेगा, जिसका फायदा अप्रेजल में मिलेगा। जीवनसाथी आपको कोई खास सरप्राइज दे सकता है। सिंह राशि- आज आपको ध्यान और योग का फायदा मिलेगा, मानसिक तनाव दूर होगा। अगर आप छात्र हैं और विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं, तो घर की आर्थिक तंगी आज आपको परेशान कर सकती है। कुछ जातकों की दोस्ती रोमांस में बदल सकती है। कार्यस्थल पर आपकी मेहनत आज रंग लाएगी। आज आपको लोगों के साथ गपशप करने से बचना चाहिए। कन्या राशि- आज आपके घर पर मेहमानों का आगमन हो सकता है। भाग्य का साथ मिलेगा, जिससे धन का आगमन होगा। जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। जीवनसाथी के साथ किसी पुरानी याद को ताजा कर मन खुश होगा। व्यापारिक स्थिति पहले से बेहतर होगी। तुला राशि- ऑफिस में आपको तनाव का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि ज्यादा काम लेने से बचें। आज आपको अपना धन खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। व्यवसायियों को अपने प्रमोटरों से धन लाभ हो सकता है।। अपने जीवनसाथी के साथ कुछ समय बिताना भी बहुत जरूरी है। धन लाभ के संकेत हैं। वृश्चिक राशि– आज आपकी यात्रा लाभकारी रहेगी। आज निवेश के अच्छे अवसरों की प्राप्ति होगी। कार्यक्षेत्र में चीजें आपके लिए काफी बेहतर हो सकती हैं। आप अपने जीवनसाथी के साथ एक बेहतरीन शाम बिता सकते हैं। आर्थिक लाभ के संकेत हैं। धनु राशि- आज आपको धन लाभ हो सकता है। आपको अपनी लीडरशिप स्किल दिखाने का मौका मिलेगा। दूसरों को प्रभावित करने की आपकी क्षमता आपको सकारात्मक परिणाम दिलाएगी। वैवाहिक जीवन अच्छा रहेगा। व्यापारियों को विदेश यात्रा का मौका मिल सकता है। मकर राशि- आज आपको भाई-बहन से आर्थिक लाभ मिलने की संभावना है। महत्वपूर्ण टास्क या कार्यों को पूरा करने के लिए दिन अनुकूल रहने वाला है। साहसिक कदम और फैसले अनुकूल परिणाम लाएंगे। परिवार के साथ यात्रा के योग हैं। जीवनसाथी आपके साथ समय बिताकर खुश होगा। कुंभ राशि- आज आपको किसी पारिवारिक मामले को हल करना पड़ सकता है। पुराने निवेशों से इनकम में वृद्धि होने की संभावना है। दोस्त और जीवनसाथी आपके लिए खुशियां लाएंगे। काम के सिलसिले में भागदौड़ करनी पड़ सकती है। आज आप अपने वैवाहिक जीवन के सबसे खास दिन का अनुभव करेंगे। ऑफिस में अपने कार्यों को निपटा लें। मीन राशि– आज आपको अपनी सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए। किसी भी जरूरी कागजात या धन से जुड़े मामले पर साइन करते समय सावधानी बरतें, वरना नुकसान हो सकता है। महत्वपूर्ण लोगों से मुलाकात हो सकती है। वैवाहिक जीवन अच्छा रहेगा।

रमा एकादशी 2025: 17 अक्टूबर को है व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा का सही तरीका

कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि में एकादशी का व्रत रखा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत और भगवान विष्णु की आराधना करने से धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है. बता दें कि रमा एकादशी को कार्तिक शुक्ल एकादशी भी कहा जाता है. इस बार यह व्रत 17 अक्टूबर को रखा जाएगा. जानते हैं व्रत का शुभ मुहूर्त, कथा, और उपाय के बारे में. रमा एकादशी व्रत तिथि और मुहूर्त  पंचांग के अनुसार, रमा एकादशी का व्रत हर साल कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. एकादशी तिथि की शुरुआत 16 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 35 मिनट से शुरू होकर 17 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 12 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. 17 अक्टूबर को उदयातिथि मान्य रहेगी, इसलिए 17 अक्टूबर को रमा एकादशी का व्रत रखा जाएगा. पूजा के लिए शुभ मुहूर्त  अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा. अमृत काल मुहूर्त सुबह 11 बजकर 26 मिनट से दोपहर 1 बजकर 07 मिनट तक रहेगा. पारण का समय 18 अक्टूबर 2025, सुबह  6 बजकर 24 मिनट से 8 बजकर 41 मिनट तक रहेगा.  रमा एकादशी पूजन विधि  7 अक्टूबर की सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. स्नान के बाद स्वच्छ, पीले या सफेद वस्त्र धारण करें, क्योंकि ये दोनों रंग भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रिय हैं. पूजा स्थल को शुद्ध कर गंगाजल का छिड़काव करें. अब दीप प्रज्वलित करें और भगवान विष्णु के समक्ष बैठकर व्रत का संकल्प लें. पूजा प्रारंभ करते समय भगवान विष्णु का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शुद्ध जल) से अभिषेक करें. इसके बाद उन्हें पीला चंदन, अक्षत (चावल), मौली (रक्षा सूत्र), पुष्प, तुलसीदल, मेवा अर्पित करें.  भगवान विष्णु की पूजा के पश्चात माता लक्ष्मी की भी विधिवत पूजा करें. उन्हें कमल पुष्प, गुलाब या पीले फूल अर्पित करें. पूजन के बाद रमा एकादशी व्रत कथा अवश्य सुनें या पढ़ें. अंत में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की संयुक्त आरती करें. आरती के पश्चात परिवार के सभी सदस्य “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “ॐ लक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जप करें.  व्रतधारी दिनभर उपवास रख सकते हैं. अगले दिन द्वादशी तिथि को प्रातः पूजा कर ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को दान दें, उसके बाद व्रत का पारण करें.  रमा एकादशी पूजा मंत्र  ॐ नमोः नारायणाय॥ ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥ दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्। धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।। रमा एकादशी उपाय  रमा एकादशी के दिन काली चींटियों को आटा या चीनी खिलाने की परंपरा अत्यंत शुभ मानी जाती है. यह उपाय रुके हुए कार्यों को पूर्ण करने वाला माना जाता है. रमा एकादशी पर देवी लक्ष्मी की पूजा में कुछ विशेष वस्तुएं चढ़ाने का विधान है. इस दिन माता को मखाना, खीर, कमल का पुष्प, बताशा, कौड़ी और सुगंधित धूप-दीप अर्पित करें. मखाना और खीर समृद्धि और शुद्धता का प्रतीक हैं. कमल का पुष्प माता लक्ष्मी का प्रिय फूल है, जो वैभव और शांति लाता है. बताशा मिठास और सौहार्द का प्रतीक है. कौड़ी को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है; इसे अर्पित करने से आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है.  रमा एकादशी व्रत कथा  पौराणिक कथा के अनुसार, राजा मुचुकुन्द, जो अत्यंत पराक्रमी और धर्मपरायण थे, उन्होंने अपने जीवन में कई बार युद्ध और पाप कर्मों से मुक्ति के लिए भगवान विष्णु का शरण लिया. एक दिन देवर्षि नारद उनके दरबार में आए और उन्हें रमा एकादशी का व्रत करने की महिमा सुनाई. उन्होंने बताया कि यह व्रत भगवान विष्णु और देवी रमा (लक्ष्मी) को प्रसन्न करने वाला है, जो जीवन के समस्त कष्टों से मुक्ति देता है. राजा मुचुकुन्द ने श्रद्धा पूर्वक यह व्रत किया. इसके प्रभाव से वे न केवल पापों से मुक्त हुए, बल्कि उन्हें स्वर्गलोक की प्राप्ति भी हुई. कहा जाता है कि इसी दिन देवी लक्ष्मी स्वयं विष्णु के साथ पृथ्वी पर आती हैं और भक्तों को धन, वैभव और सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं.