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भाजपा के नए अध्यक्ष की घोषणा अगले कुछ दिनों में, सूत्रों के मुताबिक तीन प्रमुख महिला नेताओं के नाम चर्चा में

नई दिल्ली  लोकसभा चुनाव 2024 के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में संगठनात्मक बदलाव की प्रक्रिया तेज हो गई है। पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को लेकर चल रही खींचतान के बीच सूत्रों के हवाले से खबर है कि भाजपा पहली बार किसी महिला को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा ने हाल के वर्षों में महिला मतदाताओं को लुभाने में सफलता पाई है। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों में यह सफलता मिली है। आपको बता दें कि जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त हो चुका था, लेकिन पार्टी ने उन्हें जून 2024 तक का विस्तार दिया था। अब नए अध्यक्ष की घोषणा अगले कुछ दिनों में हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक तीन प्रमुख महिला नेताओं के नाम चर्चा में हैं। निर्मला सीतारमण वर्तमान वित्त मंत्री और पूर्व रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पार्टी संगठन में गहरी पैठ और केंद्र सरकार में लंबे अनुभव के चलते सबसे मजबूत दावेदार मानी जा रही हैं। हाल ही में उन्होंने भाजपा मुख्यालय में जेपी नड्डा और महासचिव बीएल संतोष के साथ बैठक की थी। उनका दक्षिण भारत से आना भाजपा के दक्षिण विस्तार रणनीति के लिए भी फायदेमंद माना जा रहा है। डी. पुरंदेश्वरी आंध्र प्रदेश भाजपा की पूर्व अध्यक्ष डी पुरंदेश्वरी काफी अनुभवी और बहुभाषी नेता हैं। कई राजनीतिक दलों के साथ काम करने का अनुभव और पार्टी में व्यापक स्वीकार्यता है। उन्हें ऑपरेशन सिंदूर जैसे अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक अभियान का हिस्सा भी बनाया गया था। वनाथी श्रीनिवासन तमिलनाडु की कोयंबटूर दक्षिण सीट से विधायक और भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुकी वनाथी श्रीनिवासन 1993 से भाजपा से जुड़ीं और संगठन में कई पदों पर रही हैं। 2022 में केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्य बनीं और ऐसा करने वाली पहली तमिल महिला नेता। संघ का समर्थन सूत्र बताते हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने भी इस विचार को समर्थन दिया है कि भाजपा को अब एक महिला को शीर्ष नेतृत्व में लाना चाहिए। यह कदम 33% महिला आरक्षण विधेयक की भावना के अनुरूप भी होगा, जिसका प्रभाव अगले परिसीमन के बाद लोकसभा में दिखेगा।

अवध ओझा का आरोप: विरोधी के समर्थन में प्रधानमंत्री तक को झुकना पड़ा

नई दिल्ली मशहूर कोचिंग टीचर और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अवध ओझा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपनी हार को लेकर कहा है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके विरोधी (रविंद्र सिंह नेगी) के पैर छू लिए थे। ओझा ने कोचिंग क्लास में पटपड़गंज सीट पर हुए मुकाबले का जिक्र किया और कहा कि उन्होंने इस दौरान बहुत मेहनत की। मशहूर शिक्षक ने कहा कि प्रधानमंत्री चाहते थे कि वह किसी तरह सदन में ना जाएं और इसके लिए उन्होंने नेगी के पैर छू लिए। अवध ओझा ने यह भी कहा कि यदि प्रधानमंत्री ने ऐसा नहीं किया होता तो वह जीत जाते। अवध ओझा ने कहा, 'मुझे हराने के लिए इस देश के प्रधानमंत्री को मेरे विरोधी का पैर छूना पड़ा था। देख लेना वीडियो। अगर वह पैर नहीं छूते ना तो मैं नहीं हारता। मुझे हराने के लिए… इस देश के प्रधानमंत्री को…।' ओझा ने कहा कि उन्होंने चुनाव में बहुत मेहनत की। सुबह, शाम, दिन-रात, क्या झुग्गी, क्या बाजार, क्या घर, क्या लोग हर आदमी से मिलता था। सिर्फ चार घंटे सोते थे। 2 से 6। अवध ओझा ने कहा कि लड़ने वाले का ही नाम होता है। उन्होंने कहा, 'मुझसे एक साहब ने कहा कि मास्टर साहब हार गए। मैंने कहा कि तुम्हारे पापा प्रधानी लड़े हैं। इतिहास में दो ही आदमी का नाम है, अकबर और महराणा प्रताप क्योंकि दोनों लड़ रहे थे।' आप नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री नहीं चाहते थे कि वह जीतकर सदन पहुंचें क्योंकि वह वहां बवाल काटते। उन्होंने यह भी कहा कि पीएम की इज्जत की दुहाई देकर भाजपा ने वोट मांगा और लोगों को मन बदल गया। उन्होंने कहा, 'मेरे विरोधी का तीन बार पैर छुआ प्रधानमंत्री ने कि यह आदमी सदन में नहीं जाना चाहिए। वहां पहुंच गया तो बहुत बवाल काटेगा। इतना चिल्लाएगा यह। मैं दूसरे दिन जब लोगों से मिला तो विश्वास हो गया कि इनका मन बदल गया कि प्रधानमंत्री की इज्जत का सवाल है। उनकी पार्टी के लोग घर-घर जाकर कहने लगे कि उन्होंने इज्जत दांव पर लगा दी।' उन्होंने हल्के अंदाज में कहा कि वह तभी जीत सकते थे जब अमेरिका का राष्ट्रपति उनका तीन बार पैर छू लेता और इतनी तैयारी उन्होंने कर नहीं रखी थी। उन्होंने नेगी को मजबूत उम्मीदवार बताया। क्यों छुआ था पीएम ने पैर दरअसल इस साल फरवरी में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक जनसभा के दौरान मंच पर पटपड़गंज सीट से भाजपा के उम्मीदवार रविंद्र सिंह नेगी उर्फ रवि नेगी के पैर छू लिए थे। दरअसल, पहले नेगी ने पीएम के पैर छू लिए थे, जिसके बाद पीएम मोदी ने पलटकर उनके भी पैर छू लिए। पीएम पहले भी कई मौकों पर इस तरह दूसरों के पैर छूते देखे गए हैं। वह दूसरों को अपना चरणस्पर्श करने से रोकते हुए दिखते हैं। चुनाव में रवि नेगी ने अवध ओझा को 28 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था।  

बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन को लेकर सियासी घमासान मचा, पप्पू यादव ने उठाए सवाल

पटना बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन को लेकर सियासी घमासान मचा है। पूर्णिया सांसद राजेश रंजन यानि पप्पू यादव ने बिहार चुनाव से पहले भारत निर्वाचन आयोग के इस अभियान पर सवाल उठाया है। साथ ही इंडी अलायंस से नाता तोड़ने का ऐलान कर चुके आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को भी आड़े हाथों लिया। मीडिया से बात करते हुए पूर्णिया सांसद ने कहा, “चुनाव आयोग आरएसएस का दफ्तर है, उसको रोकना चाहिए। जो संवैधानिक दायित्व के लिए खतरा बन जाए, उसके लिए जनता तैयार है। आज हम लोग तय करेंगे। कांग्रेस प्रभारी से भी इसे लेकर बातचीत हुई है।” चुनाव आयोग मुलाकात नहीं कर रही है वाले सवाल को लेकर उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग अलाद्दीन का चिराग है क्या? आर-पार की लड़ाई होगी। बिहार और बिहारी की अस्मिता के लिए जान भी देनी पड़ेगी तो देंगे।” अरविंद केजरीवाल के बिहार चुनाव अकेले लड़ने को लेकर उन्होंने कहा, “यह अच्छी बात है, चुनाव लड़ना सबका अधिकार है। वे बिहार आकर चुनाव लड़ें।” केजरीवाल को लेकर पप्पू यादव ने कहा कि ‘रस्सी जल गई पर ऐंठन नहीं गई।’ बिहार में महज कुछ ही महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। बिहार की विपक्षी पार्टियों ने इस कदम की तीखी आलोचना की। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इसे ‘लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश’ बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर लिखा है, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्वाचन आयोग को बिहार की समस्त मतदाता सूची को निरस्त कर केवल 25 दिन में 1987 से पूर्व के कागजी सबूतों के साथ नई मतदाता सूची बनाने का निर्देश दिया है। चुनावी हार की बौखलाहट में ये लोग अब बिहार और बिहारियों से मतदान का अधिकार छीनने का षड्यंत्र कर रहे हैं।” वहीं, कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने सवाल उठाया कि क्या 2003 के बाद से अब तक बिहार में चार-पांच चुनाव हो चुके हैं, क्या वे सब गलत हैं, अपूर्ण या अविश्वसनीय थे?  

निशिकांत दुबे ने इंदिरा गांधी पर रक्षा सौदों में अत्यधिक हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया

नई दिल्ली बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने पूर्व प्रधानमंत्रियों राजीव गांधी और इंदिरा गांधी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि 1970 के दशक में प्रस्तावित लड़ाकू विमान सौदे में राजीव गांधी ने बिचौलिए की भूमिका निभाई थी। दुबे ने 2013 की विकीलीक्स रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि स्वीडिश राजनयिक ने अमेरिकी सरकार को सूचित किया था कि साब-स्कैनिया कंपनी भारत को विगेन लड़ाकू विमान बेचना चाहती थी, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पायलट बेटे राजीव गांधी मध्यस्थ थे। इसके साथ ही, दुबे ने इंदिरा गांधी पर रक्षा सौदों में अत्यधिक हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया। निशिकांत दुबे ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि यह खुलासा 2013 में हुआ, जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार सत्ता में थी। उन्होंने सवाल उठाया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने इन आरोपों के सामने आने पर अमेरिकी या स्वीडिश सरकार के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। दुबे ने कहा, 'यह तब सामने आया जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी, मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे। इसके बावजूद तत्कालीन भारतीय सरकार ने अमेरिकी या स्वीडिश सरकार के खिलाफ कोई कदम क्यों नहीं उठाया?' भ्रष्टाचार और राष्ट्रीय हितों से समझौता करने के आरोप बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे लगातार कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार पर भ्रष्टाचार व राष्ट्रीय हितों से समझौता करने के आरोप लगाते रहे हैं। इससे पहले, 1 जुलाई को उन्होंने दावा किया था कि गांधी परिवार के नेतृत्व में भारत को सोवियत संघ को 'बेच' दिया गया था। उन्होंने सीआईए दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस नेता एचकेएल भगत के नेतृत्व में 150 से अधिक कांग्रेस सांसदों को सोवियत संघ ने वित्तीय मदद दी थी। इसके अलावा, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पूर्व अमेरिकी राजदूत मोयनिहान ने अपनी किताब में उल्लेख किया है कि उन्होंने इंदिरा गांधी को पैसे दिए थे।

राज्यसभा सांसद समिक भट्टाचार्य को मिली कमान, भाजपा ने बनाया बंगाल अध्यक्ष

कोलकाता  राज्यसभा सांसद समिक भट्टाचार्य पश्चिम बंगाल भाजपा के नए अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। वरिष्ठ भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने उनके नाम का एलान किया।  वरिष्ठ भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद समिक भट्टाचार्य को आधिकारिक तौर पर पश्चिम बंगाल इकाई का नया अध्यक्ष घोषित किया गया। वह 2026 के विधानसभा चुनावों में पार्टी का नेतृत्व करेंगे। कोलकाता में साइंस सिटी में आयोजित एक सम्मान समारोह के दौरान वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भट्टाचार्य को निर्वाचन का प्रमाण पत्र सौंपा। नवनियुक्त भाजपा अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कसा टीएमसी पर तंज प्रदेश अध्यक्ष चुने जाने के बाद समिक भट्टाचार्य ने टीएमसी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि  टीएमसी शासन में बंगाल की संस्कृति, बहुलवाद, विरासत खतरे में है। 2026 का विधानसभा चुनाव इनके अस्तित्व की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि बंगाल की जनता ने विधानसभा चुनावों में भ्रष्ट टीएमसी सरकार के कुशासन को समाप्त करने का मन बना लिया है। बंगाल भाजपा अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं, बल्कि हिंसा और सांप्रदायिकता की राजनीति का विरोध करती है।  यह एक सतत रिले रेस-  सुकांत मजूमदार भाजपा नेता समिक भट्टाचार्य के पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष चुने जाने पर पश्चिम बंगाल भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि यह एक सतत रिले रेस है। पहले, लड़ाई मेरे नेतृत्व में होती थी, अब लड़ाई एक नए अध्यक्ष के नेतृत्व में होगी। हम ममता बनर्जी की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए लड़ाई जारी रखेंगे।  समिक भट्टाचार्य का चुनाव पहले से ही तय माना जा रहा था, क्योंकि उनके खिलाफ किसी ने नामांकन दाखिल नहीं किया था। रविशंकर प्रसाद ने उन्हें प्रमाण पत्र सौंपते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल के अध्यक्ष पद के लिए केवल एक नामांकन दाखिल हुआ है। इससे पहले, भट्टाचार्य ने बुधवार दोपहर साल्ट लेक स्थित भाजपा के राज्य मुख्यालय में निवर्तमान अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के साथ अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था। गौरतलब है कि 2026 के विधानसभा चुनाव बहुत दूर नहीं हैं, इसलिए भाजपा संगठनात्मक बदलाव के लिए कमर कस रही है और भट्टाचार्य की नियुक्ति को उस बड़ी योजना का हिस्सा माना जा रहा है।  

AAP बिहार में लड़ेगी चुनाव, केजरीवाल बोले -India ब्लॉक सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था, अब हमारा किसी से कोई गठबंधन नहीं

पटना  आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने  अहमदाबाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और गुजरात में पार्टी के विस्तार और कांग्रेस-बीजेपी दोनों पर तीखा हमला बोला. उन्होंने साफ किया कि हमारा कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं है और आगामी विधानसभा चुनावों में 'AAP' अकेले दम पर मैदान में उतरेगी. केजरीवाल ने ऐलान किया कि बिहार में आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा, India ब्लॉक सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था. अब हमारा किसी से कोई गठबंधन नहीं है. विसावदर उपचुनाव में हमने कांग्रेस से अलग लड़कर तीन गुना ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की है. यह जनता का सीधा संदेश है कि अब विकल्प आम आदमी पार्टी है. केजरीवाल का कहना था कि हमारा कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं है, इसलिए विसावदर में हम अलग लड़े. गुजरात में चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे. दिल्ली में हार पर कहा, ऊपर-नीचे होता रहेगा. पंजाब में हमारी सरकार दोबारा बनेगी. केजरीवाल ने कहा, पिछले 30 साल से गुजरात में भाजपा की सरकार है. इस राज्य को बर्बाद करने में बीजेपी ने कोई कसर नहीं छोड़ी है. सूरत में जो बाढ़ आई, वो मानव सृजित बाढ़ है, बीजेपी के भ्रष्टाचार का फल है. युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है. किसानों को यूरिया नहीं मिलता है. सभी वर्ग भाजपा से नाराज हैं. फिर भी भाजपा लगातार जीत रही है क्योंकि लोगों के पास विकल्प नहीं था. सब लोग जानते हैं कि कांग्रेस उनकी जेब में है. कांग्रेस पर लोगों का भरोसा नहीं है. केजरीवाल ने आगे कहा, पहले तो कांग्रेस का उम्मीदवार जीतेगा नहीं और जीता तो जीतने के बाद भाजपा में चला जाएगा. लोगों ने मन बना लिया है कि भाजपा के जाने का टाइम आ गया है. आम आदमी पार्टी आज से गुजरात जोड़ो अभियान शुरू कर रही है. चुनाव में 2.5 साल बाकी हैं. हम लोगों के बीच जा रहे हैं. गुजरात के हर घर तक 5-5 बार पहुंचना है. जो युवा भ्रष्टाचार मुक्त विकास देखना चाहते हैं, वो AAP के साथ जुड़ें. गुजरात को तरक्की के लिए अपनी अपनी पार्टी छोड़कर युवा AAP में आएं. हमारा कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं है, इसलिए विसावदर में हम अलग लड़े. India गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए ही था. गुजरात उपचुनाव का दिया उदाहरण उन्होंने अपने बयान में गुजरात उपचुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन का अनुभव अच्छा नहीं रहा। “गुजरात उपचुनाव के समय तय हुआ था कि कांग्रेस और AAP आपसी सहमति से सीटों का बंटवारा करेंगे, लेकिन आखिरी समय में कांग्रेस ने उस सीट पर भी उम्मीदवार खड़ा कर दिया, जहां से AAP पहले ही अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी थी। यह राजनीतिक विश्वासघात था। उन्होंने बताया कि इसी कड़वे अनुभव के बाद पार्टी ने यह फैसला लिया कि भविष्य में वह किसी भी राज्य में गठबंधन की राजनीति से दूर रहेगी और अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। बिहार में भी आम आदमी पार्टी अब पूरी तैयारी के साथ अकेले मैदान में उतरेगी। सौरभ भारद्वाज ने कहा- बिहार की जनता हमें स्वीकार करेगी सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पार्टी की नीति साफ है- जनता से जुड़े मुद्दे, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली-पानी और रोजगार जैसे बुनियादी सवालों को चुनावी एजेंडे में शामिल करना। उन्होंने भरोसा जताया कि बिहार की जनता आम आदमी पार्टी को एक मजबूत विकल्प के रूप में स्वीकार करेगी।  

युवा कांग्रेस चुनाव में अभिषेक परमार और यश घनघोरिया के बीच सीधा मुकाबला

भोपाल   मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस चुनाव के चलते कांग्रेस में सरगर्मी तेज है। सरगर्मी इसलिए भी है क्योंकि इस चुनाव में युवाओं से ज्यादा वरिष्ठ नेताओं की सक्रियता दिख रही है। उनका प्रयास यही है कि उनके लोगों को मौका मिले, वे आगे बढ़ें। नामांकन हो चुका है, मतदान और सदस्यता एक साथ चल रही है। अध्यक्ष पद के लिए 18 दावेदार अध्यक्ष पद के लिए 18 उमीदवार मैदान में हैं। वे अपने-अपने तरीके से चुनाव प्रचार में जुटे हैं। युवा कांग्रेस चुनाव में अभिषेक परमार और यश घनघोरिया के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के समर्थक माने जाते हैं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, विधायक जयवर्धन सिंह, प्रियव्रत सिंह, कुणाल चौधरी सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं का इन्हें अंदरूनी समर्थन माना जा रहा है। वहीं यश घनघोरिया पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया के पुत्र हैं। अंदरूनी तौर पर इनको भी कई नेताओं का समर्थन है। हालांकि इस चुनाव में वरिष्ठ नेता सामने तो नहीं हैं, लेकिन पर्दे के पीछे उनकी सक्त्रिस्यता बनी है। ऐसे में यह चुनाव और भी रोचक हो गया है। 4 लाख से अधिक हो चुके हैं सदस्य युवा कांग्रेस के लिए चार लाख से अधिक युवा सदस्यता ले चुके हैं। सदस्यता अभी भी जारी है। युवा कांग्रेस में यह पहली बार हो रहा है कि मतदान के साथ ही संगठन की सदस्यता भी चल रही है। सदस्यता और मतदान प्रक्रिया ऑनलाइन है। ऑनलाइन ही 50 रुपए निर्धारित फीस के साथ कोई भी युवा सदस्यता ले सकता है।

चुनाव चिन्ह को लेकर फिर कोर्ट पहुंचेगी शिवसेना, सुप्रीम कोर्ट में 14 जुलाई को सुनवाई

नई दिल्ली उच्चतम न्यायालय शिवसेना और शिवसेना (यूबीटी) के बीच 'धनुष-बाण' चुनाव चिह्न आवंटन विवाद से संबंधित मामले में 14 जुलाई को विचार करेगा। न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की अंशकालीन कार्य दिवस पीठ ने बुधवार को शिवसेना (यूबीटी) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत की इस मामले में तत्काल सुनवाई की गुहार पर सहमति व्यक्त की। अधिवक्ता कामत ने गुहार लगाते हुए कहा कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों से संबंधित घोषणा अगले सप्ताह कभी भी की जा सकती है। पीठ के समक्ष उन्होंने कहा, “हम कुछ अंतरिम निर्देश चाहते हैं।‌ जैसे एनसीपी मामले में जारी किए गए थे। उन्हें चुनाव चिह्न दे दिया गया है।” पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि दो चुनाव हो चुके हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष इसी तरह की याचिका का उल्लेख किया गया था, जिसे खारिज कर दिया गया। पीठ ने कहा, “भले ही चुनाव अधिसूचित हो जाएं, लेकिन यह आखिरकार उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ है।” इस पर श्री कामत ने कहा, “नहीं नहीं यह चुनाव चिह्न का विवाद है। मामला दो साल से लंबित है।” पीठ ने फिर पूछा, “अगर यह लंबित है तो कोई समस्या नहीं है, कोई अधिकार (जो मिलना चाहिए) नहीं जाएगा। इतनी जल्दी क्या है।” अधिवक्ता ने कहा कि यह अंततः लोगों की पसंद का सवाल है। शीर्ष अदालत ने इसके बाद कहा कि वह इस मामले में 14 जुलाई को विचार करेगी। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने 17 फरवरी, 2023 को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को असली पार्टी के रूप में मान्यता दी थी। चुनाव आयोग द्वारा तैयार किए गए प्रतीक आदेश के अनुसार, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के साथ संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए इसे 'धनुष और तीर' चुनाव चिह्न आवंटित किया था।  

राहुल गांधी के एक साल के कार्यकाल पर सियासी घमासान, BJP नेताओं ने बताया ‘नाकाम नेता’

नई दिल्ली  नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी की नियुक्ति को पिछले महीने एक साल पूरे हो गए। कांग्रेस द्वारा बुधवार को इस संबंध में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किए गए एक पोस्ट के बाद भाजपा नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया में उन्हें इस भूमिका के लिए 'अयोग्य' बताया है। पिछले एक वर्ष में भारतीय राजनीति में कई महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं, और इस दौरान राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस और विपक्ष की भूमिका पर भाजपा नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। गुजरात के भाजपा प्रवक्ता रोहन गुप्ता ने कहा, "पिछले एक साल में देश का राजनीतिक परिदृश्य काफी बदल गया है। जब लोकसभा चुनाव से पहले 'इंडी' गठबंधन की बैठक हुई थी, तो यह धारणा बनाई गई थी कि भाजपा हार गई है या एनडीए पिछड़ रहा है। लेकिन पिछले एक साल के चुनाव नतीजों ने लोगों के फैसले को स्पष्ट कर दिया है।" उन्होंने कहा, "देश की जनता ने दिखा दिया है कि दोनों पक्षों की राजनीति और विचारधाराओं के बीच क्या फर्क है। उनके सारे नेताओं को लगता है कि तुष्टिकरण की राजनीति से ही डूबती नैया को बचा सकते हैं। इसलिए उनके नेता तुष्टिकरण करने लगे हैं।" पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता निशिथ प्रामाणिक ने कहा, "राहुल गांधी ने विपक्ष के नेता के रूप में एक वर्ष पूरा कर लिया है। मुझे लगता है कि जब तक वह यह समझना शुरू करेंगे कि संसद कैसे काम करती है, तब तक उनका पांच साल का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा।" भाजपा सांसद जगन्नाथ सरकार ने कहा, "राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष की भूमिका नहीं निभा सकते, वह गड़बड़ी कर सकते हैं। वह संसद में ठीक ढंग से नहीं बैठ पा रहे हैं।" साल 2024 के आम चुनाव में कांग्रेस 99 सीटों के साथ सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनी है। भाजपा की 240 और एनडीए की 293 सीटों के मुकाबले 'इंडिया' ब्लॉक 232 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। इससे पहले 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सिर्फ 52 सीटें जीती थीं। साल 2014 के चुनाव में पार्टी सिर्फ 44 सीटों पर जीत हासिल कर सकी थी।

जयराम रमेश का दावा – हर भारतीय पर 4.8 लाख का कर्ज, मोदी सरकार जिम्मेदार

नई दिल्ली  कांग्रेस ने भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट से संबंधित खबरों का हवाला देते हुए बुधवार को आरोप लगाया कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था का बंटाधार कर दिया है। पिछले दो साल में प्रति व्यक्ति कर्ज 90 हजार रुपए से बढ़कर 4.8 लाख रुपए हो गया है। कांग्रेस पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि जनता कर्ज में डूब रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परम मित्र मुनाफा कमा रहे हैं तथा उनकी संपत्ति बढ़ती ही जा रही है। रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, " "अच्छे दिन" का कर्ज़! मोदी सरकार ने पिछले ग्यारह सालों में देश की अर्थव्यवस्था का बंटाधार कर दिया है। लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में कोई प्रयास नहीं किया गया, केवल पूंजीपति मित्रों के लिए सारी नीतियां बनाई गईं, जिसका अंजाम आज देश की जनता भुगत रही है।" 'देश पर कर्ज का बोझ मोदी राज में चरम पर है' उन्होंने कहा कि यह सच्चाई किसी न किसी तरह हर रोज हमारे सामने आ रही है। रमेश ने कुछ खबरों का हवाला देते हुए दावा किया, " रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट से भारत की अर्थव्यवस्था की चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। सरकार कि ओर से आंकड़ेबाजी और विषेशज्ञों का सहारा लेकर असली कमियों को छुपाने की कोशिश लगातार जारी है, लेकिन इस सच्चाई से कोई इनकार नही कर सकता कि देश पर कर्ज का बोझ मोदीराज में चरम पर है। "   लोगों की आमदनी का 25.7 % हिस्सा सिर्फ कर्ज चुकाने में जा रहा- जयराम रमेश उन्होंने कहा कि दो साल में प्रति व्यक्ति कर्ज 90,000 रुपए बढ़कर 4.8 लाख रुपए हो गया है यानी लोगों की आमदनी का 25.7 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ कर्ज चुकाने में जा रहा है। कांग्रेस नेता ने दावा किया, "सबसे ज्यादा 55 प्रति कर्ज तथाकथित रूप से क्रेडिट कार्ड, मोबाइल ईएमआई आदि के लिए जा रहा है, जिसका मतलब है इस महंगाई में परिवारों की आय में उनका गुजारा नहीं हो रहा है और वे कर्ज लेने पर मजबूर हैं। असुरक्षित कर्ज 25 प्रतिशत पार हो चुका है।'' 'युवाओं के पास नौकरी नहीं है… ' रमेश के अनुसार, सबसे चिंताजनक बात यह है कि मार्च 2025 तक भारत पर दूसरे देशों का/बाहरी कर्ज 736.3 अरब डॉलर था, जो पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत ज्यादा है। उन्होंने दावा किया कि युवाओं के पास नौकरी नहीं है, किसान आत्महत्या कर रहे हैं, महंगाई से जनता त्रस्त है और संवैधानिक संस्थाओं को कुचला जा रहा है। 'जनता कर्ज में डूब रही है और PM मोदी के परम मित्र मुनाफा कमा रहे' कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि जनता कर्ज में डूब रही है और प्रधानमंत्री मोदी के परम मित्र मुनाफा कमा रहे हैं, उनकी संपत्ति बढ़ती ही जा रही है। रमेश ने कहा, "सीधा सवाल यह है कि जब सारी सरकारी परियोजनाएं सार्वजनिक निजी भागीदारी या निजी भागीदारी से ही हो रहे हैं तो देश पर कर्जा क्यों बढ़ रहा है तथा हर देशवासी पर 4,80,000 रुपये का कर्ज क्यों हो गया है ?''