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दिल्लीवासियों के लिए बड़ी खबर: प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियां होंगी बंद

नई दिल्ली दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। 1 नवंबर से राजधानी में प्रदूषण फैलाने वाले व्यावसायिक वाहनों (कमर्शियल व्हीकल्स) का प्रवेश पूरी तरह से बंद रहेगा। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) (सीएक्यूएम) ने शुक्रवार को यह फैसला लिया और आदेश दिया कि सभी बॉर्डर पॉइंट्स पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी ताकि कोई गाड़ी नियम तोड़कर न घुसे। सीएक्यूएम की 25वीं बैठक में यह तय किया गया कि अब दिल्ली में सिर्फ BS-VI, CNG, LNG या इलेक्ट्रिक गाड़ियां ही माल ढोने के लिए प्रवेश कर पाएंगी। हालांकि, दिल्ली में रजिस्टर्ड BS-IV श्रेणी की हल्की, मझोली और भारी गाड़ियां को थोड़ी राहत दी गई है। उन्हें 31 अक्तूबर 2026 तक अस्थायी रूप से चलने की अनुमति दी जाएगी। पराली जलाने पर अब सख्त कानूनी कार्रवाई सीएक्यूएम ने बताया कि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश (एनसीआर क्षेत्र) और राजस्थान के जिलों के अधिकारियों को अब सीधा अधिकार दिया गया है कि अगर कोई अधिकारी पराली जलाने पर कार्रवाई नहीं करता, तो उसके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इसका मकसद है कि खेतों में पराली जलाने की घटनाओं पर तुरंत रोक लगाई जा सके। पुरानी डीजल और पेट्रोल गाड़ियों पर फिलहाल राहत सीएक्यूएम ने यह भी कहा कि 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों को हटाने वाले अपने पुराने आदेश को फिलहाल स्थगित रखा जाएगा। ऐसा सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश के बाद किया गया है जिसमें अदालत ने इन गाड़ियों के मालिकों पर जबरदस्ती कार्रवाई रोकने के आदेश दिए हैं। सर्दियों के लिए एक्शन प्लान की समीक्षा बैठक में आयोग ने दिल्ली और एनसीआर राज्यों के विंटर एक्शन प्लान की भी समीक्षा की। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकारों को आदेश दिया गया है कि वे फसलों के अवशेष के प्रबंधन को और सख्ती से लागू करें और निगरानी बढ़ाएं ताकि प्रदूषण पर नियंत्रण रखा जा सके। ग्रीन पटाखों पर भी नियंत्रण के आदेश सीएक्यूएम ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि ग्रीन पटाखों की बिक्री केवल 18 से 20 अक्तूबर तक ही एनसीआर के चुने हुए स्थानों पर हो सकेगी। वहीं, पटाखे फोड़ने की अनुमति सिर्फ दिवाली की रात और उसके पहले की शाम कुछ तय घंटों में ही होगी। CPCB और राज्य बोर्ड करेंगे निगरानी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को निर्देश दिया गया है कि वे 14 से 25 अक्तूबर के बीच वायु गुणवत्ता पर नजर रखें। इसके साथ ही उन इलाकों से रेत और पानी के सैंपल भी लिए जाएंगे जहां पटाखों का अधिक उपयोग होता है। सभी एजेंसियों को कहा गया है कि वे ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत प्रदूषण नियंत्रण उपायों की लगातार समीक्षा करें। और उन्हें सख्ती से लागू करें ताकि सर्दियों में दिल्ली की हवा और जहरीली न बने।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने 1 नवंबर मध्यप्रदेश स्थापना दिवस समारोह के संबंध में दिए निर्देश

आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए हुए प्रयासों को प्रमुखता से करें प्रदर्शित राजधानी के साथ संभाग और जिला स्तर पर भी हों भव्य कार्यक्रम   भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि 1 नवंबर मध्यप्रदेश स्थापना दिवस उद्योग एवं रोजगार वर्ष की थीम पर मनाया जाए। आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश को लेकर हुए नवाचारों और विशेष गतिविधियों का प्रभावी रूप से प्रस्तुतीकरण किया जाए। 'रोजगार के मंदिर हैं उद्योग' की थीम के साथ कौशल उन्नयन, तकनीकी शिक्षा, उद्यमशीलता के विकास सहित युवाओं को रोजगार और आत्मनिर्भरता से जोड़ने वाली सभी गतिविधियों का स्थापना दिवस संबंधी कार्यक्रमों में प्रभावी और आकर्षक प्रस्तुतीकरण किया जाए।  साथ ही प्रदेश में धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन गतिविधियों से अर्थव्यवस्था में आई गतिशीलता पर भी प्रस्तुतीकरण हों। स्थापना दिवस पर बीते दो वर्षों में हुए नवाचारों को भी प्रदर्शित किया जाए। स्थापना दिवस को राज्य उत्सव के रूप में मनाया जाए। भोपाल में होने वाले राज्य स्तरीय कार्यक्रम के साथ सभी जिला और संभागीय मुख्यालयों पर भी भव्य कार्यक्रम आयोजित हों। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने 1 नवंबर मध्यप्रदेश स्थापना दिवस समारोह के संबंध में मंत्रालय में सोमवार को हुई बैठक में यह निर्देश दिए। प्रसिद्ध पार्श्व गायक श्री जुबिन नौटियाल एक नवम्बर को देंगे प्रस्तुति बैठक में बताया गया कि मध्यप्रदेश स्थापना दिवस 1 नवंबर को भोपाल में होने वाले राज्य स्तरीय कार्यक्रम में प्रसिद्ध पार्श्व गायक श्री जुबिन नौटियाल प्रस्तुति देंगे। लाल परेड ग्राउंड में होने वाले इस कार्यक्रम में श्रीकृष्ण के भक्ति पदों की प्रस्तुति के साथ ही विरासत से विकास की थीम पर ड्रोन-शो होगा। साथ ही आतिशबाजी भी होगी। मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर दो और तीन नवंबर को राज्य स्तरीय कार्यक्रम में लाल परेड ग्राउंड पर महानाट्य -सम्राट विक्रमादित्य की प्रस्तुति होगी। साथ ही दो एवं तीन नवम्बर को सुगम संगीत की प्रस्तुतियां भी होंगी। औद्योगिक विकास और अर्थव्यवस्था की उपलब्धियां भी होंगी प्रदर्शित मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि स्थापना दिवस समारोह की गतिविधियों में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं और विकास कार्यों के हितग्राहियों को भी शामिल किया जाए। उनके सम्मेलन और रैलियां आयोजित हों। साथ ही जिलों में प्रमुख उद्योगपतियों और प्रदेश की अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाले व्यक्तियों और समूहों की उपलब्धियों को भी शामिल किया जाए। प्रदेश के सभी अंचलों में समान रूप से गतिविधियां हों, हर जिला अपनी प्रगति और उपलब्धियों जिला स्तर पर प्रस्तुत करे। साथ ही स्व-सहायता समूह और आईटीआई, पॉलिटेक्निक सहित अन्य संस्थाओं द्वारा युवाओं, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए किए गए प्रयासों, कृषक संगठनों द्वारा किसान कल्याण के लिए संचालित गतिविधियों के प्रदर्शन को भी समारोह का हिस्सा बनाया जाए। विभिन्न विषयों पर प्रदर्शनियों के साथ लगेगा देशज व्यंजनों का मेला बैठक में बताया गया कि स्थापना दिवस पर जननायकों के जीवन और अवदान पर भोपाल और जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी। इसके साथ 'एक जिला-एक उत्पाद', सम्राट विक्रमादित्य और अयोध्या, सम्राट विक्रमादित्य के सील और सिक्के, मंदिर स्थापत्य तथा भारतीय ऋषि परम्परा पर प्रदर्शनियों को आयोजन किया जाएगा। इसी क्रम में एक से 3 नवम्बर तक वन मेला, ड्रोन टैक वर्कशॉप और एक्सपो, मध्यप्रदेश की पारंपरिक कला प्रदर्शनी, प्रदेश में विरासत से विकास, प्रदेश की बावड़ियों, भोज और भोपाल आदि विषय पर प्रदर्शनी और देशज व्यंजनों का मेला भी आयोजित किया जाएगा। बैठक में मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव श्री संजय दुबे, श्री नीरज मंडलोई, श्री संजय शुक्ला, श्री शिवशेखर शुक्ला, प्रमुख सचिव श्री राघवेंद्र सिंह और मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार श्री श्रीराम तिवारी उपस्थित थे।  

शिक्षक बनने का मौका! MP SET 25 अक्टूबर से खुलेंगे आवेदन, सिर्फ NET सिलेबस मान्य

इंदौर मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) ने राज्य पात्रता परीक्षा (सेट) 2025 के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। परीक्षा के लिए आयोग ने कोई अलग से सिलेबस तय नहीं किया है, बल्कि यूजीसी की नेट परीक्षा का पाठ्यक्रम ही मान्य किया गया है। उम्मीदवार इसी सिलेबस के आधार पर परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं। अधिकारियों के मुताबिक राज्य पात्रता परीक्षा के माध्यम से अभ्यर्थियों को राज्य के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक पद के लिए पात्रता होंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक सेट परीक्षा में दो पेपर होंगे। पहला पेपर सभी अभ्यर्थियों के लिए अनिवार्य होगा, जिसमें शिक्षण एवं शोध योग्यता, बोधगम्यता, संचार, तार्किक तर्क, डेटा व्याख्या, आईसीटी, लोग एवं विकास, पर्यावरण तथा उच्च शिक्षा प्रणाली जैसे 10 विषयों से प्रश्न पूछे जाएंगे। यह पेपर अभ्यर्थियों की सामान्य योग्यता और समझ की जांच करेगा। दूसरा पेपर उम्मीदवार के चुने हुए विषय पर आधारित होगा, जिसमें स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रम से प्रश्न पूछे जाएंगे।   11 जनवरी 2025 को परीक्षा का आयोजन परीक्षा का आयोजन 11 जनवरी 2025 को किया जाएगा। दोनों पेपर एक ही दिन तीन घंटे में होंगे। आयोग ने दोनों प्रश्न पत्रों के कुल 300 अंक रखे गए हैं। पहले पेपर में 50 प्रश्न होंगे, जिनके कुल 100 अंक होंगे, जबकि दूसरे पेपर में 100 प्रश्न होंगे, जो 200 अंकों के होंगे। हर सही उत्तर के लिए 2 अंक मिलेंगे और गलत उत्तर पर कोई नेगेटिव मार्किंग नहीं होगी। परीक्षा हिन्दी और अंग्रेजी दोनों माध्यमों में दी जा सकेगी। आवेदन प्रक्रिया 25 अक्टूबर से शुरू एमपीपीएससी ने आवेदन प्रक्रिया 25 अक्टूबर से 20 नवंबर 2025 तक रखी है। इस वर्ष परीक्षा 31 विषयों में आयोजित की जाएगी। परीक्षा के लिए प्रदेशभर में 12 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। इसमें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, सतना, सागर, उज्जैन, शहडोल, खरगोन, रतलाम और नर्मदापुरम शामिल है।

मतदान के लिए Voter कार्ड जरूरी नहीं! इन 12 दस्तावेज़ों से करें वोट

पटना चुनाव आयोग ने वैसे मतदाता जिनके पास मतदाता पहचान पत्र (ईिपक) नहीं है, लेकिन उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज है तो वे 12 वैकल्पिक फोटो पहचान पत्रों में से किसी एक को दिखाकर मतदान कर सकेंगे। मतदाताओं की सुविधा के लिये गये इस अहम फैसले की जानकारी चुनाव आयोग ने शुक्रवार को बयान जारी कर दी है। इस संबंध में चुनाव आयोग की ओर से अधिसूचना भी जारी कर दी गयी है। इन 12 वैकल्पिक पहचान पत्रों के सहारे कर सकेंगे मतदान चुनाव आयोग की ओर से मान्य वैकल्पिक पहचान पत्रों की सूची में आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, फोटो सहित बैंक या डाकघर द्वारा जारी पासबुक, श्रम मंत्रालय या आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, एनपीआर के तहत आरजीआई की ओर से जारी स्मार्ट कार्ड, भारतीय पासपोर्ट, फोटो सहित पेंशन दस्तावेज, केंद्र, राज्य सरकार, पीएसयू, पब्लिक लिमिटेड कंपनी की ओर से जारी सेवा पहचान पत्र, सांसदों, विधायकों, विधान परिषद सदस्यों को जारी आधिकारिक पहचान पत्र और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जारी यूडीआईडी कार्ड शामिल है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतदान के दिन वोट डालने के लिये मतदाता सूची में नाम दर्ज होना अनिवार्य है, केवल पहचान पत्र से काम नहीं चलेगा। साथ ही महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिये, विशेषकर‘पर्दानशीं' (बुकर या पर्दा करने वाली) महिलाओं के लिये चुनाव आयोग ने मतदान केंद्रों पर विशेष प्रबंध करने के निर्देश दिये हैं। महिला मतदान अधिकारियों की उपस्थिति में और गोपनीयता सुनिश्चित करते हुये उनकी पहचान की जायेगी। आयोग के अनुसार, बिहार में लगभग 100 प्रतिशत मतदाताओं को ईिपक कार्ड जारी किये जा चुके हैं। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को निर्देश दिया है कि नये मतदाताओं को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के 15 दिनों के भीतर ईिपक काडर् उपलब्ध करा दिया जाए।

बिर्रा गांव की रश्मि अब 20 हजार महीने की कमाई से बनी आत्मनिर्भर महिला उद्यमी

रायपुर : सेंट्रिंग प्लेट्स से मिला दी रश्मि के सपनों को सहारा बिर्रा गांव की रश्मि अब 20 हजार महीने की कमाई से बनी आत्मनिर्भर महिला उद्यमी प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण सहित अन्य निर्माण कार्यों में सेंटरिंग प्लेट लगाकर रश्मि के हौसले बुलंद रायपुर जांजगीर चांपा जिले के जनपद पंचायत बम्हनीडीह के बिर्रा गांव की महिला मती रश्मि कहरा ने यह साबित कर दिखाया है कि अगर हौसला बुलंद हो और अवसर मिले, तो गांव की मिट्टी से भी सफलता की कहानी लिखी जा सकती है। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण सहित गांव के अन्य निर्माण कार्यों में सेंटरिंग प्लेट की आपूर्ति कर आज वह हर महीने 20 हजार रुपये की आमदनी अर्जित कर रही हैं। यह सफलता उन्हें बिहान योजना और स्व-सहायता समूह के माध्यम से मिली जिसने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी।        मती रश्मि कहरा ने बताया कि पहले परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। बच्चों की पढ़ाई और घर खर्च दोनों ही मुश्किल में थे। तब उन्होंने हिम्मत जुटाकर रानी लक्ष्मीबाई स्व सहायता समूह से जुड़ने का निर्णय लिया। समूह के सहयोग और बिहान के मार्गदर्शन से उन्हें आत्मनिर्भरता की राह मिली। उन्होंने ग्राम संगठन की सहायता से समुदायिक निवेश कोष  से 25 हजार रुपये का ऋण लिया। इस राशि से उन्होंने 1000 वर्गफीट का सेटरिंग प्लेट तैयार कराया, जिसे प्रधानमंत्री आवास योजना सहित अन्य निर्माण कार्यों में किराये पर दिया जा रहा है। इसी से आज उनकी नियमित आय 20,000 रुपये मासिक हो गई है। वे कहती हैं पहले जीवन बहुत कठिन था, लेकिन बिहान समूह से जुड़ने के बाद आत्मविश्वास बढ़ा। अब मैं खुद कमा रही हूँ, बच्चों की पढ़ाई कराती हूँ और दूसरों को भी प्रेरित कर रही हूँ। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आभार व्यक्त किया।         गांव की साथी महिलाओं के अनुसार, रश्मि की सफलता से अब कई अन्य महिलाएं भी समूहों से जुड़कर प्रधानमंत्री आवास योजना और अन्य आजीविका गतिविधियों में सक्रिय हो रही हैं। बिहान के जिला अधिकारी का कहना है कि रश्मि की उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि अगर महिला को अवसर, प्रशिक्षण और सहयोग मिले तो वह न केवल अपने परिवार, बल्कि समाज की भी आर्थिक रीढ़ बन सकती है। आज बिर्रा गांव में रश्मि का नाम गर्व से लिया जाता है कभी जो परिवार आर्थिक तंगी में था, वही अब दूसरों की प्रेरणा बन चुका है। सच में, यह है  बिहान से निकली उड़ान की मिसाल है जिसने गांव की एक साधारण महिला को आत्मनिर्भरता की पहचान दिलाई।

मशरूम मैन अमित: छोटे से स्टार्ट से करोड़ों का टर्नओवर, रांची के इस युवा की शानदार सफलता

रांची   झारखंड की राजधानी रांची के रहने वाले अमित मिश्रा आज सालाना करोड़ों की कमाई कर रहे हैं. दरअसल, अमित खास तौर पर ऑयस्टर मशरूम की खेती करते हैं. उन्होंने कभी दो कमरों से इसकी शुरुआत की थी, लेकिन आज रांची में उनके 12 फार्म हैं. खास बात यह है कि वे सिर्फ मशरूम का उत्पादन ही नहीं करते, बल्कि इससे कई तरह के प्रोडक्ट भी बनाते हैं. केवल उगाते नहीं, मशरूम से तमाम उत्पाद भी बनाते हैं अमित जैसे मशरूम का चाउमीन, मशरूम की चॉकलेट, मशरूम का अचार और पापड़. ये सभी चीजें तैयार कर बाजार में सप्लाई की जाती हैं. उनके पास मशरूम की कई वैरायटी मिलती हैं, जिनमें बटन मशरूम भी शामिल है. इसके साथ ही वे मशरूम की चटपटी चटनी और अचार भी बनाते हैं. जी हां! शायद ही आपने कभी मशरूम की चटनी और अचार का स्वाद चखा होगा. कभी किराए के दो कमरों से शुरू किया था बिजनेस अमित बताते हैं कि उन्होंने दो किराए के कमरों से अपना बिजनेस शुरू किया था, लेकिन आज हालत यह है कि पिठोरिया, कांके, नामकोम समेत कई जगहों पर उनके 12 फार्म हैं. यहां रोज करीब 300 किलो मशरूम का उत्पादन होता है. इन सभी फार्मों में 70 से 80 महिलाएं काम करती हैं. अमित का कहना है कि वे महिलाओं को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें ही काम पर रखते हैं. यहां होता है सप्लाई अमित बताते हैं कि उनके फार्म से तैयार प्रोडक्ट रांची के रिलायंस स्मार्ट, सुपर मार्केट और कई दुकानदारों के पास सप्लाई किए जाते हैं. कुछ प्रोडक्ट भारत के बाहर और कई राज्यों में भी भेजे जाते हैं. साथ ही मशरूम को फूड प्रोसेसिंग के जरिए पैक किया जाता है और उनकी पैकेजिंग इतनी आकर्षक है कि देखने पर यह किसी बड़ी ब्रांडेड कंपनी का लगता है. संघर्ष भी कम नहीं रहा अमित कहते हैं कि शुरुआत में संघर्ष बहुत था. बिजनेस करना तो चाहते थे, लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि शुरुआत कैसे करें. जहां 10 किलो उत्पादन होना चाहिए था, वहां सिर्फ 5 किलो ही हो पाता था. कई बार असफल हुए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. अपनी हर गलती से सीखा और दोबारा वही गलती नहीं दोहराई. यही हर युवक को करना चाहिए – धैर्य रखना और सुधार करते रहना. आज करोड़ों का टर्नओवर, रोजगार भी बढ़ा अमित बताते हैं कि इस मुकाम तक पहुंचने में उन्हें करीब 5 से 6 साल लग गए. आज उनका टर्नओवर करोड़ों में है. हालांकि यह आंकड़ा ऊपर-नीचे होता रहता है, इसलिए सटीक बताना मुश्किल है. लेकिन इतना जरूर है कि यह करोड़ों तक पहुंच जाता है. इससे भी बड़ी बात यह है कि उनके काम से आज दर्जनों महिलाओं को रोजगार का अवसर मिल रहा है.  

मंत्री तोमर ने कहा- सिंहस्थ के कार्य निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण करें एम.पी. ट्रांसको

भोपाल   मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने मुख्यालय जबलपुर में मध्यप्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी (एम.पी. ट्रांसको) द्वारा सिंहस्थ-2028 के लिये किये जा रहे कार्यों की समीक्षा की। समीक्षा में ऊर्जा मंत्री श्री तोमर को एम.पी. ट्रांसको के प्रबंध संचालक सुनील तिवारी ने वर्तमान कार्यों की प्रगति से अवगत कराया। मंत्री श्री तोमर ने निर्देश दिये कि सिंहस्थ-2028 प्रदेश सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है, सिंहस्थ के कार्यों की नियमित निगरानी रखी जायें और तय समय सीमा व उच्च गुणवत्ता के साथ सभी कार्य पूरे किये जाये। एम.पी. ट्रांसको उज्जैन में कर रही है यह कार्य मंत्री श्री तोमर ने सिंहस्थ-2028 में उज्जैन में निर्वाध विद्युत आपूर्ति के लिये पहले चरण में निर्माणधीन 132 के.व्ही. सब स्टेशन चिंतामन एवं 132 के.व्ही. सब स्टेशन त्रिवेणी बिहार के निर्माण कार्यों की प्रगति जानी। इसके अलावा एम.पी. ट्रांसकों 220 के.व्ही. सब स्टेशन शंकरपुरा में वर्तमान 20 एम.व्ही.ए. क्षमता के अपग्रेड कर 50 एम.व्ही.ए. क्षमता का तथा अपने 400 के.व्ही. सब स्टेशन ताजपुर में 50 एम.व्ही.ए. क्षमता का नया ट्रांसफार्मर स्थापित कर रही है। जिनकी कार्य प्रगति के बारे मे भी ऊर्जा मंत्री ने जानकारी प्राप्त कर आवश्यक निर्देश दिये।  

बिहार चुनाव में विशेष व्यवस्था: बुर्का-घूंघट वाली वोटर्स की पहचान के लिए फिर लागू होगा पुराना नियम

पटना  बिहार विधानसभा चुनाव और सात राज्यों में आठ विधान सभा सीटों पर उपचुनाव में पर्दानशीन यानी घूंघट, बुर्का, नक़ाब, हिजाब में आने वाली वोटर्स को पहचान के लिए पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त तिरुनेल्लई नारायण अय्यर शेषन यानी टीएन शेषन के 1994 में जारी आदेश पर अमल करने का निर्देश दिया गया है. यानी शेषन का हुक्म 35 साल बाद भी रामबाण है. टीएन शेषन के आदेश के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 326 में प्रावधान है कि लोकसभा और प्रत्येक राज्य की विधान सभा के चुनाव सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे. अनुच्छेद 326 में प्रावधान है कि लोकसभा और राज्यों की विधान सभाओं के लिए निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे. लोकसभा और प्रत्येक राज्य की विधान सभा के लिए निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे. यानि की प्रत्येक व्यक्ति जो भारत का नागरिक है और जिसकी आयु ऐसी तारीख को अठारह साल से कम नहीं है, जो समुचित विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन इस निमित्त नियत की जाए और जो इस संविधान या समुचित विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन अनिवास, चित्त की विकृति, अपराध या भ्रष्ट या अवैध आचरण के आधार पर अन्यथा निरर्हित नहीं है, ऐसे किसी निर्वाचन में मतदाता के रूप में पंजीकृत होने का हकदार होगा. संविधान के अनुच्छेद 325 में आगे प्रावधान किया गया है कि धर्म, मूलवंश, जाति या लिंग के आधार पर कोई भी व्यक्ति किसी विशेष निर्वाचक नामावली में सम्मिलित होने के लिए अपात्र नहीं होगा या सम्मिलित होने का दावा नहीं कर सकेगा. संसद के किसी सदन या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन या सदन के लिए निर्वाचन हेतु प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक सामान्य निर्वाचक नामावली होगी और कोई भी व्यक्ति केवल धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग या इनमें से किसी के आधार पर किसी ऐसी नामावली में सम्मिलित होने के लिए अपात्र नहीं होगा या किसी ऐसे निर्वाचन क्षेत्र के लिए किसी विशेष निर्वाचक नामावली में सम्मिलित होने का दावा नहीं कर सकेगा. इस प्रकार, देश में महिला वोटर्स को लोकसभा और राज्य विधान सभाओं के चुनावों के मामले में वही निर्वाचन अधिकार प्राप्त हैं जो पुरुष मतदाताओं को दिए गए हैं. लेकिन यह देखा गया है कि कुछ राज्यों या राज्यों के कुछ क्षेत्रों में उक्त चुनावों में महिला वोटर्स की भागीदारी पुरुष वोटर्स की तुलना में तुलनात्मक रूप से कम रही है. चुनावों में महिला वोटर्स की भागीदारी के इतने कम प्रतिशत के कई कारण हो सकते हैं, इनमें से कई कारण सामाजिक और धार्मिक वर्जनाओं के कारण हो सकते हैं, विशेष रूप से किसी विशेष समुदाय की पर्दानशीन महिलाओं या कुछ अन्य समुदायों की महिलाओं के बीच जो परिवार और गांव के बुजुर्गों की उपस्थिति में पर्दा प्रथा का पालन करती हैं, या कुछ आदिवासी क्षेत्रों में भावनात्मक कारणों के कारण हो सकते हैं, विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में. आयोग चुनावों में महिला वोटर्स की इतनी कम भागीदारी को लेकर बेहद चिंतित है. आयोग चाहता है कि ऐसे सभी कदम उठाए जाएं जिनसे ज़्यादा से ज़्यादा महिला मतदाता बिना किसी हिचकिचाहट के चुनावी प्रक्रिया में पूरी तरह से भाग ले सकें और चुनाव ज़्यादा सार्थक और लोकतांत्रिक बन सकें. विशेष रूप से, आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि किसी भी महिला मतदाता को अपने मताधिकार से वंचित न किया जाए या उसके प्रयोग में बाधा न आए. मतदान केन्द्र में किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, विशेष रूप से महिला वोटर्स की गोपनीयता, गरिमा और शालीनता का पूर्ण ध्यान रखते हुए पहचान या अमिट स्याही लगाने के मामले में, किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, मतदान केन्द्र में किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, विशेष रूप से महिला वोटर्स की गोपनीयता, गरिमा और शालीनता का पूर्ण ध्यान रखते हुए, मतदान केन्द्र में किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, मतदान केन्द्र में किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, विशेष रूप से महिला मतदाताओं की पहचान या अमिट स्याही लगाने के मामले में, किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, मतदान केन्द्र में किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, विशेष रूप से महिला मतदाताओं की गोपनीयता, गरिमा और शालीनता का पूर्ण ध्यान रखते हुए निर्वाचन संचालन नियम, 1961 के नियम 34 में विशेष रूप से प्रावधान है कि जहां मतदान केन्द्र पुरुष और महिला दोनों वोटर्स के लिए हैं, वहां पीठासीन अधिकारी निर्देश दे सकेगा कि उन्हें मतदान केन्द्र में बारी-बारी से अलग-अलग समूहों में प्रवेश दिया जाएगा. रिटर्निंग अधिकारी या पीठासीन अधिकारी किसी मतदान केन्द्र पर महिला निर्वाचकों की सहायता करने के लिए तथा सामान्यतः महिला निर्वाचकों के संबंध में मतदान कराने में पीठासीन अधिकारी की सहायता करने के लिए तथा विशेष रूप से, यदि आवश्यक हो तो किसी महिला निर्वाचक की तलाशी लेने में सहायता करने के लिए किसी महिला को परिचारिका के रूप में नियुक्त कर सकेगा. यह सुनिश्चित करने के लिए कि महिला मतदाता चुनाव में पूरी तरह से भाग लें और महिला वोटर्स का मतदान प्रतिशत बेहतर हो, आयोग ने समय-समय पर कई निर्देश जारी किए हैं. आयोग ने 'रिटर्निंग ऑफिसर्स के लिए हैंडबुक' के अध्याय 2 में पहले ही निर्देश जारी कर दिए हैं कि जिन स्थानों पर एक ही भवन या परिसर में दो मतदान केंद्र स्थापित हैं, वहाँ एक को पुरुषों के लिए और दूसरे को महिलाओं के लिए आवंटित करने में कोई आपत्ति नहीं है. आयोग ने आगे स्पष्ट किया है कि सामान्य मतदान केंद्रों में भी पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग कतारें बनाई जानी चाहिए. आयोग ने यह भी निर्देश दिया है कि जब किसी विशेष मतदान क्षेत्र के पुरुष और महिला मतदाताओं के लिए अलग-अलग मतदान केंद्र बनाए जाते हैं, तो उन्हें यथासंभव एक ही भवन में स्थित होना चाहिए. इस संबंध में रिटर्निंग अधिकारियों के लिए पुस्तिका के अध्याय 9 की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया जाता है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि जहां महिला वोटर्स की संख्या अधिक है, विशेषकर पर्दानशीन महिलाएं, वहां वोटर्स की पहचान करने का कार्य करने के लिए महिला मतदान अधिकारियों की नियुक्ति की जानी चाहिए. ताकि सामाजिक या धार्मिक … Read more

निर्वाचन आयोग का सख्त आदेश: वोटिंग डे पर कर्मचारियों को देना होगा वैतनिक अवकाश

नई दिल्ली भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव और सात राज्यों के आठ विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनावों के मतदान के दिनों में वैतनिक अवकाश की घोषणा की है। चुनाव आयोग की ओर से शनिवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 135बी के तहत, मतदान के हकदार प्रत्येक कर्मचारी को मतदान के दिन वैतनिक अवकाश दिया जाना चाहिए। इस अवकाश के लिए किसी भी कर्मचारी का वेतन नहीं काटा जाना चाहिए और इस नियम का उल्लंघन करने वाले नियोक्ताओं को दंड का सामना करना पड़ सकता है। यह प्रावधान दैनिक वेतनभोगी और अस्थायी कर्मचारियों पर भी लागू होगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सके है कि अनौपचारिक क्षेत्र के कर्मचारी बिना किसी वित्तीय नुकसान के मतदान कर सकें। चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि मतदान वाले निर्वाचन क्षेत्रों में पंजीकृत मतदाता लेकिन उन क्षेत्रों के बाहर औद्योगिक या वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में कार्यरत मतदाता भी मतदान की सुविधा के लिए सवेतन अवकाश के समान रूप से हकदार हैं। प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए, आयोग ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को नियोक्ताओं और अधिकारियों को इन प्रावधानों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश देने का निर्देश दिया है। चुनाव आयोग ने प्रत्येक पात्र मतदाता के स्वतंत्र और सुविधाजनक तरीके से मतदान करने के अधिकार की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। यह निर्देश लोकतांत्रिक भागीदारी को मजबूत करने और भारत की चुनावी प्रक्रिया में मतदान को एक मौलिक अधिकार के रूप में बनाए रखने के चुनाव आयोग के निरंतर प्रयासों को रेखांकित करता है। गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में होने जा रहा है। पहले चरण के लिए मतदान छह नवंबर को और दूसरे चरण के लिए 11 नवंबर को मतदान होगा।

स्वास्थ्य सेवाओं पर असर! छत्तीसगढ़ में सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की भारी कमी, 70% पद रिक्त

रायपुर प्रदेश के शासकीय सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी अब चिंता का विषय बन चुकी है। रायपुर के दाऊ कल्याणसिंह पोस्ट ग्रेजुएट व रिसर्च केंद्र और बिलासपुर के कुमार साहब स्व. श्री दिलीप सिंह जूदेव शासकीय सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों में स्वीकृत 135 पदों में से 95 पद खाली पड़े हैं यानी 70 प्रतिशत पदों पर नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं। इसका सीधा असर मरीजों के इलाज पर पड़ रहा है। वहीं, राज्य के शासकीय दस मेडिकल कालेजों और एकमात्र रायपुर डेंटल कालेज में भी हालात बेहतर नहीं हैं। यहां स्वीकृत 2,160 पदों में से 1,155 पद रिक्त हैं, जो कुल पदों का 54 प्रतिशत है। डॉक्टरों की कमी के चलते सुपर स्पेशलिटी वार्ड नाममात्र के रह गए हैं। मरीजों को या तो सामान्य चिकित्सकों के भरोसे छोड़ा जा रहा है या उन्हें रेफर करना पड़ता है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्थायी नियुक्ति नहीं होने से डॉक्टरों में असुरक्षा की भावना है, जो इस संकट का एक बड़ा कारण है। रायपुर के डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से पिछले एक साल में छह से अधिक डाक्टर इस्तीफा दे चुके हैं। चिकित्सा शिक्षा से जुड़े जानकारों का कहना है कि एमबीबीएस सीटों में बढ़ोतरी के चलते जहां मेडिकल क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है, वहीं पीजी (स्नाकोत्तर) सीटें कम होने से विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार नहीं हो पा रहे हैं। वर्तमान में दस शासकीय और चार निजी मेडिकल कॉलेज संचालित है, जिसमें एमबीबीएस की 2,180 सीटें हैं। वहीं, पीजी की 311 व निजी में 186 सीटें हैं। इसके अलावा, सरकारी बांड नियम भी डाक्टरों के लिए एक बड़ी परेशानी बनकर उभरा है। यदि समय रहते सरकार ने स्थायी नियुक्तियों और पीजी सीटों में बढ़ोतरी पर ध्यान नहीं दिया, तो स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति और अधिक गंभीर हो सकती है। राजपत्र में प्रकाशित नियम को दी गई चुनौती विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार की ओर से मध्यप्रदेश की तरह वर्ष 2019 में छत्तीसगढ़ स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालीय शैक्षणिक आदर्श सेवा भर्ती नियम 2019 सह संशोधन वर्ष 2020 अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित की गई थी। इसमें पूर्व में संविदा में कार्यरत चिकित्सा शिक्षकों का स्वशासी समिति के माध्यम से नियमित करने का प्रविधान है। लेकिन, नियमति चिकत्सकों ने पदोन्नति, वरिष्ठता व प्रशासनिक नियुक्ति आदि प्रभावित होने की आशंका से हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है, जो वर्तमान में विचाराधीन है। सुपरस्पेशलिटी अस्पतालों में विशेषज्ञों की स्थितिसंस्थान का नाम – स्वीकृत पद – कार्यरत (नियमित व संविदा) – रिक्तकुमार साहब स्व. श्री दिलीप सिंह जूदेव, बिलासपुर – 78 – 8 (एक व सात) – 70दाऊ कल्याणसिंह स्नातोकोत्तर व रिसर्च केंद्र, रायपुर – 57 – 32 (दो व 30) – 25 मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की स्थिति – कांकेर: स्वीकृत पद 148, कार्यरत 30 (19 नियमित, 11 संविदा), रिक्त 118 – दुर्ग: स्वीकृत पद 164, कार्यरत 49 (20 नियमित, 29 संविदा), रिक्त 115 – रायपुर: स्वीकृत पद 416, कार्यरत 242 (156 नियमित, 86 संविदा), रिक्त 174 – रायगढ़: स्वीकृत पद 91, कार्यरत 42 (24 नियमित, 18 संविदा), रिक्त 49 – कोरबा: स्वीकृत पद 150, कार्यरत 58 (34 नियमित, 24 संविदा), रिक्त 92 – सरगुजा: स्वीकृत पद 86, कार्यरत 60 (48 नियमित, 12 संविदा), रिक्त 26 – महासमुंद: स्वीकृत पद 150, कार्यरत 61 (45 नियमित, 16 संविदा), रिक्त 89 – जगदलपुर: स्वीकृत पद 154, कार्यरत 82 (37 नियमित, 45 संविदा), रिक्त 72 – राजनांदगांव: स्वीकृत पद 155, कार्यरत 66 (39 नियमित, 27 संविदा), रिक्त 89 – बिलासपुर: स्वीकृत पद 255, कार्यरत 123 (76 नियमित, 47 संविदा), रिक्त 132 – डेंटल कॉलेज: स्वीकृत पद 102, कार्यरत 70 (31 नियमित, 39 संविदा), रिक्त 32 मध्यप्रदेश, राजस्थान व कई अन्य राज्यों में स्वशासी समिति के माध्यम से नियमित भर्ती का प्रविधान लागू है। यहां के डाक्टरों में नियमित नहीं होने से असुरक्षा की भावना रहती है, जिसकी वजह से अवसर मिलने पर चले जाते हैं। MBBS के अनुसार पीजी की सीटें भी नहीं है। बांड नियम की वजह से एमबीबीएस के बाद कई विद्यार्थी सुपर स्पेशलिटी कोर्स करने से वंचित रह जाते हैं। डॉ. रेशम सिंह, अध्यक्ष, जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन, रायपुर डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है। शासन को इसके लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। भर्ती नियम को लेकर राज्य शासन स्तर पर निर्णय लिया जाता है। शिखा राजपूत तिवारी, आयुक्त, चिकित्सा शिक्षा, छत्तीसगढ़