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मतदान के लिए Voter कार्ड जरूरी नहीं! इन 12 दस्तावेज़ों से करें वोट

पटना चुनाव आयोग ने वैसे मतदाता जिनके पास मतदाता पहचान पत्र (ईिपक) नहीं है, लेकिन उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज है तो वे 12 वैकल्पिक फोटो पहचान पत्रों में से किसी एक को दिखाकर मतदान कर सकेंगे। मतदाताओं की सुविधा के लिये गये इस अहम फैसले की जानकारी चुनाव आयोग ने शुक्रवार को बयान जारी कर दी है। इस संबंध में चुनाव आयोग की ओर से अधिसूचना भी जारी कर दी गयी है। इन 12 वैकल्पिक पहचान पत्रों के सहारे कर सकेंगे मतदान चुनाव आयोग की ओर से मान्य वैकल्पिक पहचान पत्रों की सूची में आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, फोटो सहित बैंक या डाकघर द्वारा जारी पासबुक, श्रम मंत्रालय या आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, एनपीआर के तहत आरजीआई की ओर से जारी स्मार्ट कार्ड, भारतीय पासपोर्ट, फोटो सहित पेंशन दस्तावेज, केंद्र, राज्य सरकार, पीएसयू, पब्लिक लिमिटेड कंपनी की ओर से जारी सेवा पहचान पत्र, सांसदों, विधायकों, विधान परिषद सदस्यों को जारी आधिकारिक पहचान पत्र और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जारी यूडीआईडी कार्ड शामिल है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतदान के दिन वोट डालने के लिये मतदाता सूची में नाम दर्ज होना अनिवार्य है, केवल पहचान पत्र से काम नहीं चलेगा। साथ ही महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिये, विशेषकर‘पर्दानशीं' (बुकर या पर्दा करने वाली) महिलाओं के लिये चुनाव आयोग ने मतदान केंद्रों पर विशेष प्रबंध करने के निर्देश दिये हैं। महिला मतदान अधिकारियों की उपस्थिति में और गोपनीयता सुनिश्चित करते हुये उनकी पहचान की जायेगी। आयोग के अनुसार, बिहार में लगभग 100 प्रतिशत मतदाताओं को ईिपक कार्ड जारी किये जा चुके हैं। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को निर्देश दिया है कि नये मतदाताओं को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के 15 दिनों के भीतर ईिपक काडर् उपलब्ध करा दिया जाए।

मशरूम मैन अमित: छोटे से स्टार्ट से करोड़ों का टर्नओवर, रांची के इस युवा की शानदार सफलता

रांची   झारखंड की राजधानी रांची के रहने वाले अमित मिश्रा आज सालाना करोड़ों की कमाई कर रहे हैं. दरअसल, अमित खास तौर पर ऑयस्टर मशरूम की खेती करते हैं. उन्होंने कभी दो कमरों से इसकी शुरुआत की थी, लेकिन आज रांची में उनके 12 फार्म हैं. खास बात यह है कि वे सिर्फ मशरूम का उत्पादन ही नहीं करते, बल्कि इससे कई तरह के प्रोडक्ट भी बनाते हैं. केवल उगाते नहीं, मशरूम से तमाम उत्पाद भी बनाते हैं अमित जैसे मशरूम का चाउमीन, मशरूम की चॉकलेट, मशरूम का अचार और पापड़. ये सभी चीजें तैयार कर बाजार में सप्लाई की जाती हैं. उनके पास मशरूम की कई वैरायटी मिलती हैं, जिनमें बटन मशरूम भी शामिल है. इसके साथ ही वे मशरूम की चटपटी चटनी और अचार भी बनाते हैं. जी हां! शायद ही आपने कभी मशरूम की चटनी और अचार का स्वाद चखा होगा. कभी किराए के दो कमरों से शुरू किया था बिजनेस अमित बताते हैं कि उन्होंने दो किराए के कमरों से अपना बिजनेस शुरू किया था, लेकिन आज हालत यह है कि पिठोरिया, कांके, नामकोम समेत कई जगहों पर उनके 12 फार्म हैं. यहां रोज करीब 300 किलो मशरूम का उत्पादन होता है. इन सभी फार्मों में 70 से 80 महिलाएं काम करती हैं. अमित का कहना है कि वे महिलाओं को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें ही काम पर रखते हैं. यहां होता है सप्लाई अमित बताते हैं कि उनके फार्म से तैयार प्रोडक्ट रांची के रिलायंस स्मार्ट, सुपर मार्केट और कई दुकानदारों के पास सप्लाई किए जाते हैं. कुछ प्रोडक्ट भारत के बाहर और कई राज्यों में भी भेजे जाते हैं. साथ ही मशरूम को फूड प्रोसेसिंग के जरिए पैक किया जाता है और उनकी पैकेजिंग इतनी आकर्षक है कि देखने पर यह किसी बड़ी ब्रांडेड कंपनी का लगता है. संघर्ष भी कम नहीं रहा अमित कहते हैं कि शुरुआत में संघर्ष बहुत था. बिजनेस करना तो चाहते थे, लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि शुरुआत कैसे करें. जहां 10 किलो उत्पादन होना चाहिए था, वहां सिर्फ 5 किलो ही हो पाता था. कई बार असफल हुए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. अपनी हर गलती से सीखा और दोबारा वही गलती नहीं दोहराई. यही हर युवक को करना चाहिए – धैर्य रखना और सुधार करते रहना. आज करोड़ों का टर्नओवर, रोजगार भी बढ़ा अमित बताते हैं कि इस मुकाम तक पहुंचने में उन्हें करीब 5 से 6 साल लग गए. आज उनका टर्नओवर करोड़ों में है. हालांकि यह आंकड़ा ऊपर-नीचे होता रहता है, इसलिए सटीक बताना मुश्किल है. लेकिन इतना जरूर है कि यह करोड़ों तक पहुंच जाता है. इससे भी बड़ी बात यह है कि उनके काम से आज दर्जनों महिलाओं को रोजगार का अवसर मिल रहा है.  

बिहार चुनाव में विशेष व्यवस्था: बुर्का-घूंघट वाली वोटर्स की पहचान के लिए फिर लागू होगा पुराना नियम

पटना  बिहार विधानसभा चुनाव और सात राज्यों में आठ विधान सभा सीटों पर उपचुनाव में पर्दानशीन यानी घूंघट, बुर्का, नक़ाब, हिजाब में आने वाली वोटर्स को पहचान के लिए पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त तिरुनेल्लई नारायण अय्यर शेषन यानी टीएन शेषन के 1994 में जारी आदेश पर अमल करने का निर्देश दिया गया है. यानी शेषन का हुक्म 35 साल बाद भी रामबाण है. टीएन शेषन के आदेश के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 326 में प्रावधान है कि लोकसभा और प्रत्येक राज्य की विधान सभा के चुनाव सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे. अनुच्छेद 326 में प्रावधान है कि लोकसभा और राज्यों की विधान सभाओं के लिए निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे. लोकसभा और प्रत्येक राज्य की विधान सभा के लिए निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे. यानि की प्रत्येक व्यक्ति जो भारत का नागरिक है और जिसकी आयु ऐसी तारीख को अठारह साल से कम नहीं है, जो समुचित विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन इस निमित्त नियत की जाए और जो इस संविधान या समुचित विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन अनिवास, चित्त की विकृति, अपराध या भ्रष्ट या अवैध आचरण के आधार पर अन्यथा निरर्हित नहीं है, ऐसे किसी निर्वाचन में मतदाता के रूप में पंजीकृत होने का हकदार होगा. संविधान के अनुच्छेद 325 में आगे प्रावधान किया गया है कि धर्म, मूलवंश, जाति या लिंग के आधार पर कोई भी व्यक्ति किसी विशेष निर्वाचक नामावली में सम्मिलित होने के लिए अपात्र नहीं होगा या सम्मिलित होने का दावा नहीं कर सकेगा. संसद के किसी सदन या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन या सदन के लिए निर्वाचन हेतु प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक सामान्य निर्वाचक नामावली होगी और कोई भी व्यक्ति केवल धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग या इनमें से किसी के आधार पर किसी ऐसी नामावली में सम्मिलित होने के लिए अपात्र नहीं होगा या किसी ऐसे निर्वाचन क्षेत्र के लिए किसी विशेष निर्वाचक नामावली में सम्मिलित होने का दावा नहीं कर सकेगा. इस प्रकार, देश में महिला वोटर्स को लोकसभा और राज्य विधान सभाओं के चुनावों के मामले में वही निर्वाचन अधिकार प्राप्त हैं जो पुरुष मतदाताओं को दिए गए हैं. लेकिन यह देखा गया है कि कुछ राज्यों या राज्यों के कुछ क्षेत्रों में उक्त चुनावों में महिला वोटर्स की भागीदारी पुरुष वोटर्स की तुलना में तुलनात्मक रूप से कम रही है. चुनावों में महिला वोटर्स की भागीदारी के इतने कम प्रतिशत के कई कारण हो सकते हैं, इनमें से कई कारण सामाजिक और धार्मिक वर्जनाओं के कारण हो सकते हैं, विशेष रूप से किसी विशेष समुदाय की पर्दानशीन महिलाओं या कुछ अन्य समुदायों की महिलाओं के बीच जो परिवार और गांव के बुजुर्गों की उपस्थिति में पर्दा प्रथा का पालन करती हैं, या कुछ आदिवासी क्षेत्रों में भावनात्मक कारणों के कारण हो सकते हैं, विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में. आयोग चुनावों में महिला वोटर्स की इतनी कम भागीदारी को लेकर बेहद चिंतित है. आयोग चाहता है कि ऐसे सभी कदम उठाए जाएं जिनसे ज़्यादा से ज़्यादा महिला मतदाता बिना किसी हिचकिचाहट के चुनावी प्रक्रिया में पूरी तरह से भाग ले सकें और चुनाव ज़्यादा सार्थक और लोकतांत्रिक बन सकें. विशेष रूप से, आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि किसी भी महिला मतदाता को अपने मताधिकार से वंचित न किया जाए या उसके प्रयोग में बाधा न आए. मतदान केन्द्र में किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, विशेष रूप से महिला वोटर्स की गोपनीयता, गरिमा और शालीनता का पूर्ण ध्यान रखते हुए पहचान या अमिट स्याही लगाने के मामले में, किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, मतदान केन्द्र में किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, विशेष रूप से महिला वोटर्स की गोपनीयता, गरिमा और शालीनता का पूर्ण ध्यान रखते हुए, मतदान केन्द्र में किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, मतदान केन्द्र में किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, विशेष रूप से महिला मतदाताओं की पहचान या अमिट स्याही लगाने के मामले में, किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, मतदान केन्द्र में किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, विशेष रूप से महिला मतदाताओं की गोपनीयता, गरिमा और शालीनता का पूर्ण ध्यान रखते हुए निर्वाचन संचालन नियम, 1961 के नियम 34 में विशेष रूप से प्रावधान है कि जहां मतदान केन्द्र पुरुष और महिला दोनों वोटर्स के लिए हैं, वहां पीठासीन अधिकारी निर्देश दे सकेगा कि उन्हें मतदान केन्द्र में बारी-बारी से अलग-अलग समूहों में प्रवेश दिया जाएगा. रिटर्निंग अधिकारी या पीठासीन अधिकारी किसी मतदान केन्द्र पर महिला निर्वाचकों की सहायता करने के लिए तथा सामान्यतः महिला निर्वाचकों के संबंध में मतदान कराने में पीठासीन अधिकारी की सहायता करने के लिए तथा विशेष रूप से, यदि आवश्यक हो तो किसी महिला निर्वाचक की तलाशी लेने में सहायता करने के लिए किसी महिला को परिचारिका के रूप में नियुक्त कर सकेगा. यह सुनिश्चित करने के लिए कि महिला मतदाता चुनाव में पूरी तरह से भाग लें और महिला वोटर्स का मतदान प्रतिशत बेहतर हो, आयोग ने समय-समय पर कई निर्देश जारी किए हैं. आयोग ने 'रिटर्निंग ऑफिसर्स के लिए हैंडबुक' के अध्याय 2 में पहले ही निर्देश जारी कर दिए हैं कि जिन स्थानों पर एक ही भवन या परिसर में दो मतदान केंद्र स्थापित हैं, वहाँ एक को पुरुषों के लिए और दूसरे को महिलाओं के लिए आवंटित करने में कोई आपत्ति नहीं है. आयोग ने आगे स्पष्ट किया है कि सामान्य मतदान केंद्रों में भी पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग कतारें बनाई जानी चाहिए. आयोग ने यह भी निर्देश दिया है कि जब किसी विशेष मतदान क्षेत्र के पुरुष और महिला मतदाताओं के लिए अलग-अलग मतदान केंद्र बनाए जाते हैं, तो उन्हें यथासंभव एक ही भवन में स्थित होना चाहिए. इस संबंध में रिटर्निंग अधिकारियों के लिए पुस्तिका के अध्याय 9 की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया जाता है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि जहां महिला वोटर्स की संख्या अधिक है, विशेषकर पर्दानशीन महिलाएं, वहां वोटर्स की पहचान करने का कार्य करने के लिए महिला मतदान अधिकारियों की नियुक्ति की जानी चाहिए. ताकि सामाजिक या धार्मिक … Read more

निर्वाचन आयोग का सख्त आदेश: वोटिंग डे पर कर्मचारियों को देना होगा वैतनिक अवकाश

नई दिल्ली भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव और सात राज्यों के आठ विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनावों के मतदान के दिनों में वैतनिक अवकाश की घोषणा की है। चुनाव आयोग की ओर से शनिवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 135बी के तहत, मतदान के हकदार प्रत्येक कर्मचारी को मतदान के दिन वैतनिक अवकाश दिया जाना चाहिए। इस अवकाश के लिए किसी भी कर्मचारी का वेतन नहीं काटा जाना चाहिए और इस नियम का उल्लंघन करने वाले नियोक्ताओं को दंड का सामना करना पड़ सकता है। यह प्रावधान दैनिक वेतनभोगी और अस्थायी कर्मचारियों पर भी लागू होगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सके है कि अनौपचारिक क्षेत्र के कर्मचारी बिना किसी वित्तीय नुकसान के मतदान कर सकें। चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि मतदान वाले निर्वाचन क्षेत्रों में पंजीकृत मतदाता लेकिन उन क्षेत्रों के बाहर औद्योगिक या वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में कार्यरत मतदाता भी मतदान की सुविधा के लिए सवेतन अवकाश के समान रूप से हकदार हैं। प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए, आयोग ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को नियोक्ताओं और अधिकारियों को इन प्रावधानों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश देने का निर्देश दिया है। चुनाव आयोग ने प्रत्येक पात्र मतदाता के स्वतंत्र और सुविधाजनक तरीके से मतदान करने के अधिकार की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। यह निर्देश लोकतांत्रिक भागीदारी को मजबूत करने और भारत की चुनावी प्रक्रिया में मतदान को एक मौलिक अधिकार के रूप में बनाए रखने के चुनाव आयोग के निरंतर प्रयासों को रेखांकित करता है। गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में होने जा रहा है। पहले चरण के लिए मतदान छह नवंबर को और दूसरे चरण के लिए 11 नवंबर को मतदान होगा।

नीतीश कुमार का चुनावी दांव: सोशल इंजीनियरिंग से एक तीर, कई निशाने

पटना. बिहार की राजनीति में अगर किसी नेता को सोशल इंजीनियरिंग का मास्टर कहा जाता है, तो वह हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. सुशासन बाबू के नाम से मशहूर नीतीश कुमार ने अपने पूरे राजनीतिक करियर में समाज के हर वर्ग को जोड़ने और संतुलन साधने की रणनीति पर काम किया है. यही कारण है कि चाहे सरकार बनानी हो, मंत्रिमंडल का गठन करना हो या चुनाव में उम्मीदवारों का चयन- हर बार उन्होंने सामाजिक, जाति और क्षेत्रीय समीकरणों का ध्यान रखते हुए फैसला लिया है. इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद समाजवादी राजनीति में कदम रखने वाले नीतीश कुमार ने हमेशा विकास के साथ सामाजिक न्याय की बात की है. नीतीश कुमार ने सत्ता में रहते हुए योजनाओं, नीतियों और टिकट बंटवारे में सामाजिक संतुलन को प्राथमिकता दी है. इस बार भी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए जेडीयू की उम्मीदवार सूची इस परंपरा को आगे बढ़ाती दिख रही है. टिकट बंटवारे में दिखा सामाजिक संतुलन बिहार चुनाव को लेकर जेडीयू ने अपनी 101 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है, जिसमें हर समाज और वर्ग को प्रतिनिधित्व दिया गया है. पार्टी ने पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, सवर्ण और महिलाओं सभी को टिकट देकर समावेशी राजनीति का संदेश दिया है. जेडीयू उम्मीदवारों की लिस्ट में सोशल इंजीनियरिंग की झलक     पिछड़ा वर्ग (OBC) से 37 उम्मीदवार     अति पिछड़ा वर्ग (EBC) से 22 उम्मीदवार     सवर्ण समाज से 22 उम्मीदवार     अनुसूचित जाति (SC) से 15 उम्मीदवार     अनुसूचित जनजाति (ST) से 2 उम्मीदवार शामिल हैं.     इसके साथ ही पार्टी ने 13 महिलाओं को भी टिकट देकर महिला सशक्तिकरण का मजबूत संदेश दिया है.     पहली लिस्ट में ‘लव-कुश समीकरण’, दूसरी में ‘पिछड़ा-समाज पर फोकस’ जेडीयू की पहली लिस्ट में जहां लव-कुश समीकरण (कुशवाहा और यादव समुदाय) को प्राथमिकता दी गई थी, वहीं दूसरी लिस्ट में पिछड़ा समाज को प्रमुखता दी गई है. नीतीश कुमार की रणनीति साफ दिख रही है वे चाहते हैं कि हर जाति और वर्ग को प्रतिनिधित्व मिले, जिससे जेडीयू का सामाजिक आधार और व्यापक हो. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जेडीयू का यह कदम न केवल महागठबंधन के भीतर संतुलन बनाए रखने की कोशिश है, बल्कि उन वर्गों को भी साधने की रणनीति है जो पिछले कुछ वर्षों में बीजेपी और आरजेडी के साथ झुक गए थे. जेडीयू की लिस्ट में जातीय समीकरण के गणित को समझें नीतीश कुमार की सोशल इंजीनियरिंग का इतिहास नीतीश कुमार के राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी ताकत रही है उनकी सोशल इंजीनियरिंग. जब 2005 में उन्होंने पहली बार बिहार की सत्ता संभाली, तब से उन्होंने “विकास और सामाजिक न्याय” के संतुलन पर काम किया. इन सभी योजनाओं ने नीतीश कुमार को सिर्फ विकास पुरुष नहीं, बल्कि सामाजिक संतुलन साधने वाले नेता के रूप में स्थापित किया.     सात निश्चय योजना     मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना     आरक्षण में बढ़ोतरी     महिलाओं को 35 प्रतिशत नौकरी आरक्षण     अति पिछड़ा आयोग का गठन महिलाओं को प्राथमिकता ‘सशक्त बिहार’ का संदेश जेडीयू ने अपनी इस लिस्ट में 13 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है. इससे पार्टी ने यह स्पष्ट किया है कि नीतीश कुमार महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को लेकर हमेशा गंभीर रहते हैं. पंचायत चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले से लेकर सरकारी नौकरियों में आरक्षण तक, उन्होंने महिलाओं को सशक्त करने की दिशा में कई ठोस कदम उठाए हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जेडीयू की यह रणनीति महिला वोट बैंक को मजबूत करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है. अति पिछड़े और दलित समाज को भी बड़ा प्रतिनिधित्व जेडीयू की लिस्ट में अति पिछड़ा समाज (EBC) से 22 और अनुसूचित जाति (SC) से 15 उम्मीदवार शामिल किए गए हैं. नीतीश कुमार की राजनीति की जड़ें इन्हीं तबकों में हैं. उन्होंने हमेशा इन वर्गों को राजनीतिक और सामाजिक रूप से सशक्त करने पर ध्यान दिया है. जेडीयू नेताओं का कहना है कि जेडीयू हमेशा से सबका साथ, सबका विकास की नीति पर चलती है. हमारी कोशिश यही रहती है कि कोई भी समाज खुद को अलग या उपेक्षित महसूस न करे.” नीतीश कुमार ने इन 3 नेताओं से भी लिया फीडबैक वहीं जेडीयू सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार ने सीट शेयरिंग में सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूला का इस्तेमाल करने के लिए इस बार जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं ललन सिंह, संजय झा और विजय चौधरी से भी बड़ी चर्चा की है. जेडीयू सूत्रों का कहना है कि इन तीनों नेताओं ने उम्मीदवारों के चयन को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रत्याशियों और सीटों से जुड़े फीडबैक और कई अहम जानकारियां दी. हालांकि बिहार चुनाव 2025 में नीतीश कुमार की यह सोशल इंजीनियरिंग कितनी कारगर साबित होगी, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन इतना तय है कि सुशासन बाबू ने अपने पुराने फार्मूले पर एक बार फिर से भरोसा जताया है.  

समस्तीपुर से उठेगा चुनावी जादू, पीएम मोदी ने रैली की तारीख की घोषणा की

पटना 6 नवंबर से शुरू हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों का शेड्यूल तय हो गया है। पीएम मोदी 24 अक्टूबर से बिहार में अपने चुनावी अभियान की शुरुआत करेंगे। इस दौरान वह प्रदेश के कई जिलों में जनसभाएं करेंगे और जनता से सीधा संवाद करेंगे। चुनावी अभियान की शुरुआत समस्तीपुर से होगी, जहां प्रधानमंत्री मोदी कर्पूरी ग्राम जाकर समाजवादी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के घर पहुंचेंगे। वहां वह कर्पूरी ठाकुर को श्रद्धांजलि देंगे। इसी कार्यक्रम से प्रधानमंत्री अपने बिहार दौरे और चुनावी रैलियों की औपचारिक शुरुआत करेंगे। प्रधानमंत्री के दौरे का यह आगाज बेहद प्रतीकात्मक माना जा रहा है, क्योंकि कर्पूरी ठाकुर को बिहार की राजनीति का बड़ा चेहरा और सामाजिक न्याय का प्रतीक माना जाता है। कर्पूरी ग्राम से शुरुआत करके पीएम मोदी एक बार फिर 'सबका साथ, सबका विकास' के संदेश के साथ बिहार में एनडीए की ताकत को और मजबूत करने की कोशिश करेंगे। जानकारी के मुताबिक, 24 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समस्तीपुर और बेगूसराय में दो बड़ी चुनावी सभाएं करेंगे। इसके बाद उनका अगला चरण 30 अक्टूबर को तय है, जब वह मुजफ्फरपुर और छपरा में रैलियां संबोधित करेंगे। सूत्रों के अनुसार, 2 नवंबर, 3 नवंबर, 6 नवंबर और 7 नवंबर को भी प्रधानमंत्री बिहार के अलग-अलग जिलों में जनसभाएं करेंगे। इन रैलियों के कार्यक्रम को लेकर सुरक्षा और प्रशासनिक तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि पीएम मोदी की रैलियों से बिहार में एनडीए के चुनावी अभियान को नई ऊर्जा मिलेगी। वहीं राजनीतिक जानकारों का मानना है कि समस्तीपुर से शुरुआत करना एक रणनीतिक कदम है, क्योंकि यह क्षेत्र न सिर्फ समाजवादी राजनीति की धरती रहा है, बल्कि उत्तर बिहार की राजनीति में इसका विशेष प्रभाव है। बिहार में पहले चरण की वोटिंग 6 नवंबर को होनी है और दूसरे चरण के लिए 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी और इसके साथ ही चुनाव के नतीजे सामने आ जाएंगे।

चुनावी रणभूमि की पहली लड़ाई: कौन कितनी सीटों पर दावेदार, लालू-नीतीश की ताकत का हाल

पटना बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान छह नवंबर को है। पहले चरण में 18 जिले के 121 सीटों पर चुनाव होना है। अब तक 1698 विभिन्न दलों के साथ ही निर्दलीय प्रत्याशियों ने नामांकन किया है। 20 अक्टूबर तक नाम वापसी की अंतिम तिथि है। खास बात यह है कि पहले चरण में राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाईटेड की सबसे अधिक सीटें दांव पर लगी है। इस बार महागठबंधन की ओर से राजद ने 71, कांग्रेस ने 25, भाकपा माले 13, वीआईपी और सीपीआई छह-छह, सीपीएम और आईआईपी ने दो प्रत्याशी उतारे हैं। वहीं एनडीए से जदयू ने 57 उतारे हैं। भाजपा के 48, लोजपा (राम) के 14 और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोमो से दो प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं।   पहले चरण में 36 सीटों पर राजद और जदयू के प्रत्याशी आमने-सामने हैं। वहीं राजद और भाजपा के बीच 23 सीटों पर आमने सामने हैं। कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों के बीच 23 सीटों पर मुकाबला है। वहीं कांग्रेस और जदयू  12 सीटों पर आमने-सामने हैं। वहीं चिराग और तेजस्वी के बीच 10 सीटों पर मुकाबला होना है। पहले यह संख्या 11 थी। लेकिन, मढ़ौरा से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) सीमा सिंह का नामांकन रद्द होने के कारण यह संख्या अब 10 रह गई। महागठबंधन में पिछले कुछ दिनों से सबसे ज्यादा चर्चा में रहे मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी का मुकाबला पहले चरण की छह में से चार सीटों पर भाजपा और दो सीटों पर जदयू से है। इन दिग्गजों की किस्मत पहले चरण में दांव पर पहले चरण में राजद से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव राघोपुर और छपरा से भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह चुनाव लड़ रहे हैं।  भाजपा से उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा लखीसराय, सम्राट चौधरी तारापुर से, मंत्री मंगल पांडेय सीवान से, जिवेश मिश्रा जाले से, संजय सरावगी दरभंगा सदर से, राजू सिंह राजू कुमार सिंह,  नितिन नवीन बांकीपुर और लोकगायिका मैथिली ठाकुर अलीनगर सीट, पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा से चुनावी मैदान में हैं। वहीं जदयू से मंत्री विजय कुमार चौधरी सरायगंज से, महेश्वर हजारी कल्याणपुर से चुनावी मैदान में हैं। 

19 अक्टूबर से 29 अक्टूबर तक बिहार में छुट्टियों का शेड्यूल – जानिए पूरी सूची

पटना  त्योहारी सीजन में बिहार में छुट्टियों की भरमार लग गई हैं। राज्य में 19 अक्टूबर से लेकर 29 अक्टूबर तक छुट्टियां ही छुट्टियां हैं। अगर स्कूल की बात करें तो सरकार ने 20 अक्टूबर से लेकर 29 अक्टूबर तक स्कूल बंद रखने का आदेश दिया है। आइए डिटेल में जानते हैं कि बैंक, सकूल और अदालतें किस-किस दिन बंद रहेंगे।  जानें दिवाली पर कितने दिन बंद रहेंगे बैंक? दिवाली से लेकर छठ पूजा तक बैंक 4 से 5 दिन बंद रहेंगे। छुट्टियों की पूरी लिस्ट के लिए किल्क करें।   कितने दिन बंद रहेंगी अदालतें?  बिहार में पटना व्यवहार न्यायालय समेत पटना न्याय मंडल की सभी अदालतें 19 अक्टूबर 2025 से 28 अक्टूबर 2025 तक दीपावली एवं छठ महापर्व की (Bihar Court Holidays 2025) छुट्टियों के कारण बंद रहेंगी। पूरी खबर के लिए क्लिक करें।   बच्चों की लगी मौज…इतने दिन बंद रहेंगे School बिहार सरकार ने 20 अक्टूबर से 29 अक्टूबर 2025 तक स्कूल बंद रखने का आदेश जारी किया है। इस अवधि में राज्य के सभी जिलों में सरकारी और निजी स्कूलों में (Bihar Govt School Closed ) अवकाश रहेगा। ये छुट्टियां दिवाली और छठ पूजा दोनों को कवर करेंगी। 

कांग्रेस में टिकट की ‘घोड़ा-दौड़’! पप्पू यादव-अल्लावरू का धमाकेदार ऑडियो मचा रहा हड़कंप

पटना  बिहार चुनाव से पहले टिकटों की खरीद-फरोख्त को लेकर कांग्रेस पर गंभीर इल्जाम लग रहे हैं। गंभीर बात यह है कि यह आरोप कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस के ही विधायक अफाक आलम लगा रहे हैं। अफाक आलम कस्बा से कांग्रेस विधायक हैं। कस्बा से कांग्रेस विधायक आफाक आलम और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम के बीच हुई बातचीत का एक ऑडियो भी वायरल हुआ है। इसमें आफाक आलम के पूछने पर राजेश राम कह रहे हैं कि आपके टिकट पर हम साइन कर दिए हैं। अब प्रभारी के पास है। लेकिन कोई मुकतु और इरफान है। खेल, हाथी, घोड़ा सब हो रहा है। बता दें कि कस्बा से कांग्रेस ने इरफान को टिकट दिया है। अफाक आलम का कहना है कि घोड़ा कृष्णा अल्लावरू हैं और हाथी पप्पू यादव। सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि अफाक आलम और राजेश राम के बीच क्या बातचीत हुई। हालांकि, लाइव हिन्दुस्तान इस ऑडियो की पुष्टि नहीं करता है। जो ऑडियो वायरल हुआ है उसमें अफाक आलम कहते हैं कि अध्यक्ष जी बताइए ना क्या करें, बैठे हए हैं। इसपर राजेश राम कहते हैं कि यहां पर एक मुत्थु हैं, कोई इरफान हैं। उसके लिए बहुत है, आपका ओके है लेकिन अभी सिंबल रोके हुए है। इसके बाद अफाक आलम ने कहा कि तो हमको दे दिजिए। इसपर राजेश राम ने कहा कि हम तो साइन कर के दे ही दिए हैं वहां, हम चले आए क्षेत्र पर। अफाक आलम राजेश राम से कहते हैं कि धन्यवाद आपका सर। खेल, हाथी-घोड़ा हो रहा – राजेश राम इसपर राजेश राम ने कहा कि हम साइन, वगैरह जितना था उतना कर दिए हैं। लेकिन अब ये जो है वो प्रभारी जी के पास है। अफाक आलम कहते हैं कि आप अध्यक्ष है सर। इसपर राजेश राम कहते हैं कि अध्यक्ष हैं तो हम अनुमति तक सबकुछ कर दिए हैं। अफाक आलम ने इसपर पूछा कि तो फिर ये क्या खेल हो रहा है सर। इसपर राजेश राम ने कहा कि खेल, हाथी-घोड़ा सब हो रहा है। हमने कहा था कि किसी भी विधायक का टिकट नहीं कटना चाहिए। इसपर अफाक आलम ने कहा कि आप ऊपर खबर कर दीजिए सर। इसपर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अभी पप्पू यादव लगा हुआ है ना। तब अफाक आलम ने कहा कि किसके पीछे लगा हुआ है पप्पू यादव, पप्पू यादव क्या चीज है, पप्पू यादव क्या है? पप्पू यादव हमलोग की पार्टी का क्या है? इसपर राजेश राम कहते हैं कि यह तो आप ऊपर पूछिएगा ना सर। हमने आपका नाम आगे बढ़ा दिया। बाद में आकर टिकट रूका है। अफाक आलम ने पूछा कि किसने रोक दिया? इसपर राजेश राम ने कहा कि ये सब तो पप्पू जी, वेणु जी सब बैठ कर क्या-क्या कर रहे हैं। हमलोग तो पहले ही साइन करके दे चुके हैं। अफाक आलम इसे बाद कहते हैं कि क्या सर इससे पार्टी चलेगा? तब राजेश राम कहते हैं कि पार्टी एकदम नहीं चलेगा। इससे हम भी बहुत परेशान हैं। आप एक साफ-सुथरा आदमी हैं। आपके बनने से एक मैसेज है कि आपके होने से हमलोग बातचीत कर सकते हैं। आप हमारे अध्यक्ष हैं आपको अड़ना होगा सर। इधर इस ऑडियो क्लिप के वायरल होने के बाद अफाक आलम ने न्यूज 18 से बातचीत में माना कि यह बातचीत उनके और राजेश राम के बीच की ही है। इन लोगों ने टिकट बेचा है और टिकट बेचकर वैसे लोगों को बेचा गया है जो हारा हुआ है। कांग्रेस में टिकट बेचे जाने की बात पर अड़े अफाक आलम अफाक आलम ने कहा कि जो बिहार कांग्रेस के प्रभारी अल्लावरू और अध्यक्ष राजेश राम और शकील खान इन तीनों की जिम्मेदारी थी टिकट देने की। हम लगातार फोन करते रहे लेकिन अल्लावरू साहब ने फोन नहीं उठाया। हमने कहा कि दूसरे चरण में हमलोगों को टिकट मिलना है। हमलोगों को टिकट दिया जाए। उसके बाद हमको धीरे-धीरे पता चला कि पप्पू यादव जी ने पैसे की उगाही कराई और इन लोगों दबाव में लाकर वैसे लोगों को टिकट दिया गया जिनका कोई जनाधार नहीं है और जो समिति में हारा हुआ है। पैसा लेकर टिकट दिया गया है। अफाक आलम ने कहा कि मनमाने ढंग से कांग्रेस पार्टी को बर्बाद करने के लिए कई लोग लगे हुए हैं। अफाक आलम ने कहा कि हम अपनी बात को राहुल गांधी, खरगे और केसी वेणुगोपाल तक पहुंचाया है। यहां बिहार में ये लोग टिकट बेचने का काम कर रहे हैं। किशनगंज में भी फ्रॉड करने की कोशिश की गई है। कसम खाकर कहें कि पैसा दिया गया या नहीं – अफाक आलम कस्बा विधायक ने अपनी अगली रणनीति को लेकर कहा कि हमारे समर्थक हमारे साथ हैं। कई हजार लोग यहां आ गए हैं। हम उनसे राय लेने के बाद ही कदम उठाएंगे। हम इंसाफ मांगते हैं कि आखिर ऐसा क्यों हआ? लोकतंत्र में ईमानदार लोगों को ही क्यों रोका जाता है? ऐसे तो लोकतंत्र में कोई आगे नहीं बढ़ेगा। वहीं दलाल, फ्रॉड लोग आगे आएंगे। अफाक आलम ने कहा कि मुझसे पप्पू यादव ने पूछा कि आप जीतिएगा कि वो जीतेंगे? यह सारा खेल वहीं से हुआ है। पैसा लिया गया है। वो रामायण-पुराण की कसम खाकर कहें कि पैसे दिया गया है नहीं। रातोंरात पैसा कैसे पहुंचा है और पैसा मिलने के बाद टिकट ओके किया गया है।

RJD नेता का आवास पर प्रदर्शन: रोने के साथ कुर्ता फाड़ा, लगाए बड़े आरोप

पटना/ मोतिहारी पूर्वी चंपारण जिले की मधुबन विधानसभा सीट से राष्ट्रीय जतना दल के पूर्व प्रत्याशी मदन साह का दर्द रविवार को राबड़ी आवास के बाहर फूट पड़ा। उन्होंने पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर अपना कुर्ता फाड़ लिया और फूट-फूटकर रोने लगे। इस दौरान उन्होंने तेजस्वी यादव के राजनीतिक सलाहकार संजय यादव पर टिकट बेचने का गंभीर आरोप लगाया। मदन साह का आरोप है कि कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के करीबी व राज्यसभा सांसद संजय यादव ने मुझसे दो करोड़ सत्तर लाख रुपये की मांग की थी। पैसे नहीं देने पर मेरा टिकट काट दिया गया। मैं बर्बाद हो गया हूं। बेटा-बेटी की शादी तक टाल दी थी चुनाव के लिए। लालू यादव ने खुद कहा था कि तैयारी करो, पिछली बार कम वोटों से हारे थे। इधर, पार्टी की ओर से इस पूरे मामले पर फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। मधुबन से लड़े से विधानसभा चुनाव बता दें कि मदन साह 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद के टिकट पर मधुबन से चुनाव लड़े थे, जहां उन्हें भारतीय जनता पार्टी के राणा रणधीर सिंह ने मात्र 5,878 वोटों के अंतर से हराया था। उस हार के बाद पार्टी ने उन्हें प्रोत्साहित किया और अगली बार मौका देने का भरोसा दिया था। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान मदन साह पर यह आरोप लगा कि उन्होंने राजद उम्मीदवार की जगह NDA प्रत्याशी को अंदरखाने से मदद की। आरोप है कि उनकी भूमिका के चलते ही जदयू की लवली आनंद ने राजद उम्मीदवार ऋतु जयसवाल को करीब 30,000 वोटों से हरा दिया। इसी वजह से पार्टी नेतृत्व उनसे नाराज चल रहा था।