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महाकाल की नगरी में भजनों की गूंज! दिवाली से शुरू होगा ‘महाकाल बैंड’, 30 कलाकार शामिल

उज्जैन  भगवान श्री महाकाल का धाम करोड़ों भक्तों की आस्था का खास केंद्र है. मंदिर में लगभग 300 वर्ष पुरानी सिंधिया परंपरा के साथ अब मंदिर समिति नया अध्याय जोड़ने जा रही है. मंदिर समिति खुद का एक बैंड तैयार करने में जुटी है, जिसे बाबा महाकाल की होने वाली सभी आरती व अन्य आयोजनों के दौरान उपयोग में लिया जाएगा. सिंधिया शासन काल के वक़्त से शहनाई और नगाड़े आरती के दौरान बजाने की परंपरा शुरू हुई, जो आज भी जारी है. मंदिर समिति अब भगवान महाकाल की पांचों आरतियों के दौरान विशेष बैंड तैयार करवा रही है. मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिकका कहना है "विशेष प्रकार का बैंड तैयार करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जैसे ही काम पूरा हो जाएगा तो सभी को जानकारी साझा की जायेगी कि इसे कब-कहां, कैसे उपयोग में लाया जाना है." अभी मंदिर में दो बार होता है शहनाई वादन श्री महाकाल मंदिर में हर रोज आरती के दौरान नगाड़े बजते हैं तो वहीं सुबह भस्म आरती के बाद 06 बजे करीब और शाम में 07 बजे करीब संध्या आरती के आसपास शहनाई वादन की परंपरा है, जोकि लगभग 300 साल पुरानी सिंधिया शासन काल के दौरान शुरू की गई थी. मंदिर समिति के अनुसार जिस बैंड को तैयार किया जाना है, उसके लिए वाद्य यंत्रों की दानदाताओं के माध्यम से खरीदारी शुरू कर दी गई है. साथ ही मंदिर समिति बैंड बजाने के लिए वाद्य वादकों की भर्ती प्राक्रिया भी शुरू करने की तैयारी में है, जिसके लिए संभवतः आउटसोर्स के माध्यम से प्रयास होगा. बैंड पूरी तरह से धार्मिक परंपरा का हो श्री महाकाल मंदिर के महेश पुजारीका कहना है "शिव तो आदि अनादि हैं. उन्हें पौराणिक कथाओं में वाद्यों का रचयिता भी कहा गया है. वे नटराज हैं, कलाधर हैं. अगर मंदिर समिति बैंड पर विचार कर रही है और आरती के दौरान व अन्य आयोजन के लिए तो यह एक अच्छा प्रयास है. पुरानी परंपराओं के साथ नई परंपराओं को भी जोड़ना अच्छा है. बस सब कुछ धर्मसंवत् होना चाहिए. बैंड धार्मिक और सांस्कृतिक उपयोग के लिए ही हो."  

दिवाली पर बड़वानी में हिंगोट पर पाबंदी, ड्रोन से चेकिंग, पुलिस मुस्तैद

बड़वानी  दिवाली की रात कुछ जगहों पर 'आग के गोले' बरसने की पुरानी परंपरा देखने को मिलती है. इस बार बड़वानी प्रशासन और पुलिस ने इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं. जिले में हिंगोट के निर्माण, भंडारण, क्रय-विक्रय और चलाने पर दो माह के लिए रोक लगा दी गई है. पुलिस को आदेश दिए गए हैं कि नियमों का कड़ाई से पालन कराए जाए. शहर-गांव की सड़कों पर जगह-जगह तैनात पुलिस अब हिंगोट चलाने वालों की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती. कई जगह डंडे लेकर खड़ी टीमें नजर आ रही हैं और निगरानी के लिए सीसीटीवी व ड्रोन कैमरों का उपयोग भी किया जा रहा है. क्यों उठाया यह कदम, चोटें और जान-माल की आशंका हिंगोट जिसे कुछ स्थानों पर 'दीपावली युद्ध' का हिस्सा माना जाता है, असल में एक फल होता है, जिसे खाली करके उसमें बारूद और विस्फोटक सामग्री भरी जाती है. युद्ध की तरह खेले जाने पर यह तेज रफ्तार से उड़ता हुआ किसी के भी शरीर में घातक चोट पहुंचा सकता है. पिछले कुछ वर्षों में बड़वानी जिले में हिंगोट खेलने के दौरान कई गंभीर दुर्घटनाएं हुई हैं. पिछले साल एमजी रोड पर एक 8 वर्षीय बच्चे को गंभीर सिर की चोट लगी. अस्पताल में जांच में उसकी खोपड़ी में फ्रैक्चर व दिमाग पर असर पाया गया और लाखों रुपये खर्च कर उसकी जान बचाई गई थी. इसी तरह दर्ज घटनाओं व संभावित जान-माल के जोखिम को देखते हुए प्रशासन ने आपात कदम उठाने का निर्णय लिया. प्रशासनिक आदेश, दो माह का पूर्ण प्रतिबंध कलेक्टर व जिला दंडाधिकारी जयति सिंह ने हिंगोट के निर्माण, भंडारण, विक्रय और उपयोग पर दो माह के लिए प्रतिबंध आदेशित किया है. एसडीएम भूपेंद्र रावत ने निर्देशों का पालन कराने और उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी. आदेश में उल्लंघन करने वालों के खिलाफ विस्फोटक अधिनियम 1884, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908, विस्फोटक नियम 2008 तथा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 208 समेत अन्य प्रावधानों के तहत कानूनी कार्रवाई करने की बात कही गई है. पुलिस की तैयारी, पेट्रोलिंग, ड्रोन, सीसीटीवी और मुकदमे एडिशनल एसपी धीरज सिंह बबर ने बताया कि, ''एसपी के निर्देशानुसार पुलिस हिंगोट चलाने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई कर रही है. जिलेभर में कई संदिग्धों के खिलाफ मामले दर्ज किए जा चुके हैं. दिन-रात पेट्रोलिंग, संदिग्ध व्यक्तियों व विक्रेताओं की निगरानी, मुखबिर नेटवर्क को सक्रिय करने के साथ-साथ जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और ड्रोन कैमरों से भी निगरानी की जा रही है. मुहल्लों में जाकर टीमों द्वारा लोगों को समझाया जा रहा है कि यह खतरनाक प्रथा क्यों बंद होनी चाहिए और इसे रोकना किस तरह समुदाय की सुरक्षा के लिए आवश्यक है. पुलिस ने स्पष्ट किया है कि प्रतिबंध के उल्लंघन करने वालों के साथ सख्ती होगी. न केवल एफआईआर दर्ज की जाएगी, बल्कि आवश्यकतानुसार संपत्तियों व भंडारण पर भी कार्रवाई की जाएगी. जिला प्रशासन ने आमजन से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि या व्यक्ति की तुरंत सूचना पुलिस कंट्रोल रूम पर दें.      समाज का समर्थन और चेतावनी कई वार्डों व मोहल्लों के लोगों ने प्रशासन के निर्णय का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में हुई दुर्घटनाओं ने सबको हिलाया है और युवा वर्ग को इस तरह की खतरनाक रस्मों से दूर रखना चाहिए. वहीं कुछ परंपरावादी समुदायों में अभी भी यह रस्म जारी रखने की जिद दिखाई देती है, जिससे प्रशासन चौकन्ना है. एसडीएम भूपेंद्र रावत ने कहा, 'हमारा लक्ष्य केवल कानूनी कार्रवाई नहीं, बल्कि इस खतरनाक कुप्रथा को जड़ों से खत्म करना है ताकि आने वाले वर्षों में कोई भी परिवार इस तरह की त्रासदी का सामना न करे.'' हिंगोट क्या है, जानें खतरनाक प्रक्रिया हिंगोट मूल रूप से जंगलों से कच्चा तोड़ा जाने वाला फल है. इसे भीतर से खोखा कर लिया जाता है और फिर उसमें बारूद व विस्फोटक सामग्री भर दी जाती है. दीपावली के दिन ग्रामीण व युवा इसे एक खेल की तरह आपस में उछालते हैं, इस दौरान तेज धमाके व उड़ान के कारण गंभीर चोटें, आँखों व चेहरे पर आघात, हाथ-पैर कटने व यहाँ तक कि जान जाने तक की घटनाएं देखने को मिली हैं. इसलिए प्रशासन के लिए इसे नियंत्रित करना अनिवार्य हो गया है.

आदिवासियों के झोपड़े ढहे, बाबाओं के महल सुरक्षित: MP में न्याय पर उठे सवाल

सतना वन परिक्षेत्र सिंहपुर में वन विभाग ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए 25 हेक्टेयर वनभूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया, लेकिन इस कार्रवाई ने सिस्टम की दोहरी नीति पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। एक ओर जहां गरीब और आदिवासी वर्ग के आशियाने जेसीबी से मिटा दिए गए, वहीं दूसरी ओर इन्हीं जंगलों की सैकड़ों एकड़ भूमि तथाकथित बाबाओं और धार्मिक संस्थाओं को सामुदायिक पट्टों के नाम पर दी जा रही है। वन विभाग की कार्रवाई भले ही वन भूमि की सुरक्षा के नाम पर की गई हो, लेकिन इसने प्रशासन की प्राथमिकताओं और न्याय की समानता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वन विभाग की टीम में परिक्षेत्र सहायक अंजनी कुमार पटेल, मोतीलाल पटेल, बीट प्रभारी ब्रजेश बागरी, पुष्पेंद्र सिंह, स्थायी कर्मी ब्रदी प्रसाद कुशवाहा, राजू सिंह गोंड समेत सुरक्षा श्रमिक दल शामिल रहा। विभाग ने बताया कि कार्रवाई के बाद भूमि की गहरी खुदाई कर उसे पुनः सुरक्षित किया गया, ताकि भविष्य में दोबारा कब्जा न हो सके।   आदिवासियों की बेघर कहानी कार्रवाई के दौरान जिन परिवारों के आशियाने उजड़े, वे अधिकतर आदिवासी और मजदूर वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। कई परिवार वर्षों से इसी भूमि पर खेती या झोपड़ी बनाकर जीवन-यापन कर रहे थे। कार्रवाई के बाद अब वे बेघर और बेसहारा हो गए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि “गरीबों पर बुलडोज़र चलता है, लेकिन बाबाओं और प्रभावशाली लोगों के कब्जे पर विभाग चुप रहता है।” बाबा और पट्टा संस्कृति पर सवाल सूत्र बताते हैं कि इसी परिक्षेत्र में कुछ धार्मिक संस्थाओं और आश्रमों को सामुदायिक उपयोग के नाम पर 100 से अधिक एकड़ वनभूमि दी गई है। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि “वन संरक्षण के नाम पर सरकार दोहरा रवैया अपनाती है एक तरफ आदिवासी परिवारों को हटाया जा रहा है, दूसरी तरफ बाबाओं को वनभूमि पर ‘कानूनी कब्जा’ दिया जा रहा है।” कार्रवाई का ब्योरा वन परिक्षेत्राधिकारी नितेश कुमार गंगेले के नेतृत्व में हुई कार्रवाई में बीट शिवराजपुर और मोरा के अतिक्रमण को हटाया गया। शिवराजपुर बीट (कक्ष क्र. पी-265) में कुल 8.00 हेक्टेयर भूमि पर से कब्जा हटाया गया। अतिक्रमणकारियों में रामभगत यादव (4.00 हे.), कामता उर्फ नत्थू यादव (2.00 हे.), अन्नू यादव (1.00 हे.), अशोक यादव (0.50 हे.) और संदीप यादव (0.50 हे.) शामिल रहे। वहीं मोरा बीट (कक्ष क्र. पी-253) में 17.00 हेक्टेयर भूमि से कब्जा हटाया गया। इसमें जगलाल गोंड (4.00 हे.), रामू गोंड (4.00 हे.), चिंतामणि पाल (3.00 हे.), बबलू पाल (3.00 हे.) और सोनेलाल पाल (3.00 हे.) के नाम सामने आए।

कोर्ट का बड़ा फैसला: आयुर्वेदिक दवा बनाने वालों को नहीं मिली राहत, जानें वजह

ग्वालियर बिना लाइसेंस के नकली आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने और बेचने वाले आरोपितों को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ से राहत नहीं मिली है। एकलपीठ ने एफआईआर रद्द करने की मांग को अस्वीकार करते हुए कहा कि पुलिस द्वारा दर्ज अपराध प्रथम दृष्टया संज्ञेय हैं और जांच पूरी तरह वैध है। नकली आयुर्वेदिक दवाइयां बनाए जाने की शिकायतें मिली दरअसल, थाना जनकगंज पुलिस को लंबे समय से अपने क्षेत्र में बिना औषधि लाइसेंस के नकली आयुर्वेदिक दवाइयां बनाए जाने की शिकायतें मिल रही थीं। शिकायतों की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने गहन जांच के बाद विशेष टीम गठित कर छापामार कार्रवाई की। कार्रवाई में भारत सिंह कुशवाह, संतोष कुशवाह एवं विशाल सांखला द्वारा संचालित शिवम् फार्मेसी (नेहरू पेट्रोल पंप के पास, लक्ष्मीगंज, जनकगंज) के परिसर से बड़ी मात्रा में नकली आयुर्वेदिक औषधियां बरामद की गईं।   जान को खतरे में डालने का गंभीर अपराध इनमें “एडवांस ग्रोथ पाउडर”, “हाजमा चूर्ण हेल्थ बूटी” और “एक्टिव बॉडी ग्रोथ प्रोटीन पाउडर” जैसी दवाइयां शामिल थीं। जांच में पाया गया कि ये दवाइयां बिना किसी वैध लाइसेंस, फर्म का नाम, पता या बैच नंबर अंकित किए तैयार की जा रही थीं, जिससे मरीजों की जान को खतरे में डालने का गंभीर अपराध किया जा रहा था। पुलिस द्वारा बार-बार पूछे जाने पर भी आरोपी ड्रग कंट्रोलर, भोपाल से जारी वैध औषधि निर्माण लाइसेंस प्रस्तुत नहीं कर सके।   मौके पर बुलाए गए आयुष अधिकारी मंगल सिंह यादव की उपस्थिति में दवाइयों के नमूने एकत्र किए गए और शेष माल जब्त कर एफआईआर दर्ज की गई। यह अपराध औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम तथा कापीराइट एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत किया गया। जांच के दौरान आरोपी विशाल सांखला ने बयान में स्वीकार किया कि वह भारत सिंह कुशवाह एवं संतोष कुशवाह द्वारा निर्मित नकली दवाइयों को शहर के विभिन्न मेडिकल स्टोर्स पर सप्लाई करता था।

दिवाली का माहौल बिगाड़ने की कोशिश, जबलपुर पुलिस ने तीनों युवकों को किया गिरफ्तार

जबलपुर शहर के गौरीघाट क्षेत्र में देर रात लगे एक विवादास्पद पोस्टर ने हड़कंप मचा दिया। पोस्टर पर लिखा था “MILK IS NOT VEGETARIAN (दूध शाकाहार नहीं है)” शनिवार रात जबलपुर पुलिस ने तत्काल एक्शन लेते हुए तीन युवकों को पोस्टर चिपकाते हुए पकड़ लिया और करीब 50 से अधिक पोस्टर जब्त कर लिए। बिना अनुमति लगाए जा रहे थे पोस्टर जानकारी के मुताबिक, ये पोस्टर भोपाल की एक विज्ञापन एजेंसी द्वारा मजदूरों से लगवाए जा रहे थे। पुलिस को रात करीब 1 से 2 बजे के बीच इसकी सूचना मिली, जिसके बाद सीएसपी महादेव नगोतिया और थाना प्रभारी सुभाषचंद्र बघेल मौके पर पहुंचे। उन्होंने देखा कि एक छोटा हाथी वाहन में पोस्टर रखे हुए थे और तीन युवक उन्हें सड़क किनारे चिपका रहे थे। जब उनसे नगर निगम की अनुमति मांगी गई तो वे कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सके, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। भोपाल की एजेंसी से जुड़ा मामला पुलिस पूछताछ में एक युवक राजेश अहिरवार ने बताया कि वे भोपाल के कोलार क्षेत्र के रहने वाले हैं और यह काम उन्हें विपुल पांडे नामक व्यक्ति ने दिया था, जो प्रिंस इंटरप्राइजेस (भोपाल) के मालिक हैं। उन्हें निर्देश दिया गया था कि जबलपुर के गौरीघाट क्षेत्र में ये पोस्टर लगाए जाएं। पुलिस ने इनके पास से 50 से अधिक पोस्टर जब्त किए हैं। युवकों ने बताया कि इससे पहले वे फ्लाईओवर उद्घाटन के समय भी शहर में पोस्टर लगाने का काम कर चुके हैं। पोस्टर की सामग्री से बढ़ा विवाद पोस्टर पर लिखा था “MILK IS NOT VEGETARIAN, दूध शाकाहार नहीं है। भारत दुनिया में बीफ के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है और अधिक जानने के लिए ‘मां का दूध’ यूट्यूब पर देखें।” पोस्टर पर किसी प्रकाशक या संस्था का नाम नहीं था, जिससे इसकी प्रामाणिकता और उद्देश्य पर सवाल उठने लगे हैं। सीएसपी महादेव नगोतिया ने बताया कि रविवार शाम को गौरीघाट पर दीपोत्सव 2025 का आयोजन होना है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु और जनप्रतिनिधि शामिल होंगे। ऐसे में इस तरह के भड़काऊ और भ्रम फैलाने वाले पोस्टर लगाना शहर की फिजा बिगाड़ने की साजिश माना जा रहा है। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई कर पूरे क्षेत्र से पोस्टर हटवा दिए हैं और विज्ञापन एजेंसी की भूमिका की जांच शुरू कर दी है।

समोसे के बदले घड़ी! जबलपुर में फूड वेंडर ने UPI फेल होने पर यात्री से कर दी ज़बरदस्ती

जबलपुर  मध्य प्रदेश के जबलपुर रेलवे स्टेशन से एक चौंकाने वाला वीडियो सामने आया है। इसमें एक फूड वेंडर ने यूपीआई पेमेंट फेल होने पर यात्री की कॉलर पकड़ ली। इसी दौरान यात्री की ट्रेन छूटने लगी, वह बार-बार वेंडर से छोड़ने के लिए कहता रहा। इस दौरान उसने अपनी घड़ी उताकर भी उसे दे दी। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद आरपीएफ ने कार्रवाई करते हुए वेंडर से पूछताछ की। जानकारी के मुताबिक सोशल मीडिया पर मिली शिकायत के संबंध में रेलवे सुरक्षा बल जबलपुर द्वारा वीडियो में दिख रहे वेंडर को 18 अक्टूबर को रेल सुरक्षा बल पोस्ट बुलाया गया। पूछताछ में उसने बताया कि वह 17 अक्टूबर को करीबन 17.30 बजे प्लेटफार्म क्रमांक 5 पर समोसे बेच रहा था। इस दौरान एक व्यक्ति ने उससे सामान लिया और पेंमेंट ऑनलाइन किया तो पेमेंट नहीं हो रहा था। तभी उसने यात्री की कॉलर पकड़ ली और इसी दौरान ट्रेन भी चल दी। इसी दौरान यात्री ने उसे अपनी घड़ी दे दी थी। वेंडर के अनुसार उसने यात्री को उसकी घड़ी वापस कर दी थी। रेल सुरक्षा बल जबलपुर द्वारा वेंडर के खिलाफ अपराध क्रमांक 4280/2025 धारा 145 रेल अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो तो हुआ एक्शन जबलपुर रेलवे स्टेशन पर समोसा बेच रहे फूड वेंडर से एक यात्री ने समासो लिए थे। जब वह मोबाइल के जरिए यूपीआई पेमेंट करने लगा तो वह पेमेंट नहीं हुआ। इस दौरान यात्री की ट्रेन भी चल पड़ी, तभी समोसा वेंडर ने उसका कॉलर पकड़ लिया और रुपये देने के लिए कहा। वह यात्री की जेब भी टटोलने लगा। इस दौरान यात्री ने अपने हाथ से घड़ी उतारकर उसे दे दी। सोशल मीडिया पर एक्स पर इस घटना की शिकायत प्राप्त होने के बाद डीआरएम ने जांच शुरू करवाई और उसे फूड वेंडर को ढूंढकर पूछताछ की गई। इसमें उसे यात्री के साथ अभद्रता करने की बात स्वीकार कर ली और यह भी दावा किया कि बाद उसने घड़ी लौटा दी थी।

पूर्व सांसद के कथित हिंसक बयान पर राजनीति गर्माई — मानवाधिकार संगठनों ने मांगा स्पष्टीकरण

भोपाल  मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से पूर्व सांसद और भाजपा नेता साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर एक बार फिर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने ‘लव जिहाद’ को लेकर ऐसा बयान दिया है, जिसने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। साध्वी प्रज्ञा ने एक कार्यक्रम में कहा “हमारी लड़की अगर हमारा कहना नहीं मानती, अगर लड़की किसी विधर्मी के यहां जाने का प्रयास करती है तो उसकी टांगे तोड़ने में कसर मत छोड़ना।” उन्होंने आगे कहा कि “जो संस्कारों को नहीं मानती हैं, जो बातों से नहीं मानती, उसे प्रताड़ना भी देनी पड़ती है। अपनी संतान है, उसे मारना पड़े तो पीछे मत हटना।” प्रज्ञा ठाकुर ने आगे कहा कि, 'जो संस्कारों को नहीं मानती हैं। बातों से नहीं मानती तो उसे प्रताड़ना भी देनी पड़ती है। अपनी संतान है उसे मारना पड़े तो पीछे मत हटना। अब साध्वी का यही बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। बयान के बाद छिड़ी सामाजिक बहस साध्वी प्रज्ञा यहीं नहीं रुकी उन्होंने आगे ये भी कहा कि, 'माता-पिता का लक्ष्य बेटी के भले के लिए होता है और उसे सही मार्ग पर लाने के लिए परिवार को हर संभव प्रयास करना चाहिए। साध्वी के इस बयान ने एकबार फिर सामाजिक बहस छेड़ दी है। कई लोग इसे महिला अधिकारों और कानून की अवहेलना मान रहे हैं, जबकि उनकी बातों के समर्थक इसे संस्कारों की रक्षा के रूप में देख रहे हैं। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। कई यूजर्स ने इसे महिला अधिकारों और कानून की अवहेलना बताया है, जबकि उनके समर्थक इसे “संस्कारों की रक्षा” के रूप में देख रहे हैं। साध्वी प्रज्ञा ने अपने बयान को परिवार और संस्कृति के हित में बताते हुए कहा कि “माता-पिता का लक्ष्य बेटी के भले के लिए होता है और उसे सही मार्ग पर लाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।”

श्रद्धा और आस्था का सैलाब: चित्रकूट दीपावली मेले में पहले दिन लाखों की भीड़, CM मोहन आज करेंगे परिक्रमा

चित्रकूट दीपावली में आस्था और भक्ति से सराबोर चित्रकूट में पांच दिवसीय दीपावली मेले का शुभारंभ हो गया है। पहले ही दिन लगभग आठ लाख से अधिक श्रद्धालु मां मंदाकिनी के तटों पर उमड़े और श्रीकामदगिरि की परिक्रमा की। अनुमान है कि अगले पांच दिनों में 50 लाख से अधिक श्रद्धालु धर्मनगरी पहुंचकर राजाधिराज मत्यगजेंद्र का जलाभिषेक करेंगे और दीपदान भी करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव रविवार को चित्रकूट पहुंचेंगे और कामदगिरि परिक्रमा करेंगे। उनके आगमन को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्थाओं के पुख्ता इंतजाम किए हैं। मंदाकिनी तट पर दीपों की जगमगाहट कई दशकों बाद चित्रकूट को इस तरह भव्य रूप में सजाया गया है। मंदाकिनी नदी के दोनों तटों को अत्याधुनिक लाइटिंग और विजुअल डिस्प्ले से सजाया गया है। पूरा क्षेत्र दीपमालाओं की आभा में नहाया नजर आ रहा है। श्रद्धालुओं के लिए परिक्रमा पथ पर साफ-सफाई, पेयजल और प्रकाश व्यवस्था की विशेष सुविधाएं दी गई हैं। मेला क्षेत्र को 11 जोन में बांटा गया चित्रकूट मेले में श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए पूरे मेला क्षेत्र को 11 जोन में विभाजित किया गया है। प्रत्येक जोन में कार्यपालिक मजिस्ट्रेट और सुरक्षा बल तैनात हैं। एएसपी (ग्रामीण) प्रेमलाल कुर्वे के अनुसार, मेले में 1500 से अधिक पुलिसकर्मी ड्यूटी पर लगाए गए हैं। कमांड सेंटर से निगरानी इस बार मेले की सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी के लिए पहली बार कमांड सेंटर बनाया गया है। कलेक्टर डॉ. सतीश कुमार एस और एसपी हंसराज सिंह ने विकास प्राधिकरण स्थित इस सेंटर से सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से भीड़ प्रबंधन की समीक्षा की। इस दौरान अपर कलेक्टर विकास सिंह भी मौजूद रहे, जिनकी उपस्थिति में कड़ी निगरानी के साथ मेले का संचालन किया जा रहा है।   'अभी आठ लाख ले अधिक भक्त आ चुके हैं' अपर कलेक्टर विकास सिंह ने बताया कि पहले दिन चित्रकूट में आठ लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे हैं। उन्होंने परिक्रमा कर भगवान कामतानाथ के दर्शन किए और घाट पर स्नान भी किया। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु सभी आवश्यक इंतजाम किए हैं।    मेले में ऑटो-वाहनों का किराया तय, वसूली पर कार्रवाई चित्रकूट मेले में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिला प्रशासन ने ऑटो और अन्य वाहनों के किराए तय किए हैं। एआरटीओ रामप्रकाश सिंह ने बताया कि रेलवे स्टेशन कर्वी से रामघाट तक किराया 20 रुपये, सीतापुर तक 15 रुपये, बेड़ी पुलिया तक 10 रुपये, हनुमान धारा मार्ग से रामघाट तक 30 रुपये और सती अनुसूइया-गुप्त गोदावरी होकर लौटने तक 90 रुपये निर्धारित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि स्टेशन से रामघाट तक ऑटो बुक कराने पर 200 रुपये किराया लगेगा। एआरटीओ ने चेतावनी दी है कि तय दर से अधिक किराया वसूलने वाले चालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।  

मप्र में बदलेगा मौसम का रंग: अक्टूबर में हल्की बारिश, नवंबर से दस्तक देगी सर्दी

भोपाल बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से आ रही नमी के चलते मध्य प्रदेश का मौसम एक बार फिर बदल गया है। फिलहाल 22-23 अक्टूबर तक मौसम का मिजाज ऐसा ही बना रहेगा।खास करके 20 अक्टूबर से प्रदेश के दक्षिणी जिलों में हल्की बारिश का दौर देखने को मिल सकता है।भोपाल, जबलपुर, नर्मदापुरम, इंदौर और उज्जैन संभाग के जिलों में बादल छाने के साथ कहीं-कहीं हल्की वर्षा या बूंदाबांदी के आसार हैं।इधर, 21 और 24 अक्टूबर को भी दो नए वेदर सिस्टम सक्रिय होने वाले है, जिसका प्रदेश पर असर देखने को मिलेगा। नवंबर के दूसरे सप्ताह कड़ाके की ठंड़ पड़ना शुरू हो जाएगी जो जनवरी तक बनी रहेगी। इस बार ठंड का असर फरवरी तक जारी रह सकता है।  मध्य प्रदेश में अक्टूबर महीने में मौसम का मिला-जुला असर दिखने को मिल रहा है। जहां रात और सुबह हल्की ठंड महसूस हो रही है, वहीं दिन में धूप का असर भी बना हुआ है। मौसम विभाग के अनुसार, अक्टूबर में मौसम की मिजाज ऐसे ही रहेंगे, लेकिन नवंबर के दूसरे सप्ताह से प्रदेश में तेज ठंड का दौर शुरू होने की संभावना है। मौसम का वर्तमान हाल 18 अक्टूबर को मौसम का मिजाज बदला रहा। भोपाल में दिनभर बादल छाए रहे, जिससे तापमान में गिरावट दर्ज की गई। वहीं इंदौर और खंडवा में तेज बारिश हुई। उज्जैन समेत कई शहरों में भी बादल छाए रहे। मौसम विभाग के अनुसार, 20 अक्टूबर से हल्की बूंदाबांदी शुरू होगी। 21 अक्टूबर से दक्षिणी हिस्से के ज्यादातर जिलों में हल्की बारिश और गरज-चमक का दौर रह सकता है। मध्य प्रदेश के सभी जिलों में 19 अक्टूबर को मौसम साफ रहेगा। धूप खिली रहेगी, हल्की बारिश की कोई चेतावनी नहीं। अगले 2 दिन कैसा रहेगा मौसम 20 अक्टूबर: बालाघाट, मंडला, डिंडौरी और अनूपपुर जिलों में हल्की बारिश की संभावना। बाकी जिलों में मौसम साफ और धूप रहेगी। 21 अक्टूबर: बैतूल, नर्मदापुरम, खंडवा, हरदा, बुरहानपुर, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, पांढुर्ना, सिवनी, बालाघाट, मंडला, डिंडौरी और अनूपपुर में गरज-चमक और हल्की बारिश का अलर्ट। बाकी जिलों में तेज धूप। मौसम विशेषज्ञ के अनुसार, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से आ रही नमी की वजह से मौसम का मिजाज बदल रहा है। 22-23 अक्टूबर तक यही स्थिति बनी रहेगी। नवंबर से ठंड का असर मौसम विभाग के अनुसार, नवंबर के दूसरे सप्ताह से कड़ाके की ठंड का दौर शुरू होगा, जो जनवरी तक जारी रहेगा। इस बार ठंड का असर फरवरी तक रह सकता है। 2010 के बाद इस बार सर्दी सबसे भीषण हो सकती है। उत्तर-पश्चिम भारत में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ और ला-नीना परिस्थितियों के कारण इस सर्दी में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना है। इस साल मानसून का रिकॉर्ड     प्रदेश से मानसून विदा हो चुका है। 16 जून से 13 अक्टूबर तक मानसून 3 महीने 28 दिन सक्रिय रहा।     इस साल प्रदेश में सामान्य से 15% ज्यादा बारिश दर्ज हुई (121% बारिश)।     कुल बारिश: 48 इंच, सामान्य औसत 37.2 इंच।     सबसे ज्यादा बारिश: गुना (65.6 इंच), मंडला-रायसेन (62 इंच), श्योपुर-अशोकनगर (56 इंच से अधिक)।     सबसे कम बारिश: शाजापुर (28.9 इंच)।     ग्वालियर-चंबल संभाग में बारिश का आंकड़ा सामान्य से दोगुना रहा।     अधिकांश जिलों में कोटा पूरा हो गया, जबकि उज्जैन, शाजापुर, बैतूल और सीहोर में बारिश सामान्य स्तर के आसपास रही।

शिवराज मामा का मज़ाकिया अंदाज़, धनतेरस पर बोले – ‘सिक्का महंगा है तो छोटा ही सही!’

भोपाल  मध्य प्रदेश के भोपाल की रौनक से सजी धनतेरस की शाम में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह जब न्यू मार्केट पहुंचे, तो वहां एक पल ऐसा आया जिसने सभी को ठहाकों में डुबो दिया। परंपरा निभाते हुए दोनों ने चांदी का सिक्का, बर्तन और मूंगफली खरीदी। सोने-चांदी की दुकान पर साधना सिंह ने जब एक चांदी का सिक्का दिखाया, तो मामा शिवराज मुस्कराकर बोले — “अगर महंगा होगा तो छोटा वाला ले लेंगे।” बस फिर क्या था! वहां मौजूद सभी लोग हंस पड़े और माहौल खुशनुमा हो गया। बाद में साधना सिंह ने सिक्का फाइनल किया और शिवराज सिंह चौहान ने कार्ड से पेमेंट किया। इसके बाद उन्होंने बर्तन की दुकान से थाली, ग्लास और कटोरी खरीदी, साथ ही एक बुजुर्ग महिला से मूंगफली भी ली।     पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि.. धनतेरस के पावन पर्व की सभी देशवासियों को, बहनों-भाइयों को, भांजे-भांजियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं! सबके जीवन में धन-धान्य की वर्षा हो, सुख-समृद्धि और रिद्धि-सिद्धि आएं, सबके घर खुशियों से भर जाएं, यही प्रार्थना है। अब दीपावली का महापर्व प्रारंभ हो गया है, एक बार फिर धनतेरस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।