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देश में पिछले 14 साल में 11.7 करोड़ मौतें हुई, UIDAI ने पिछले 14 वर्षों में केवल 1.15 करोड़ आधार नंबर निष्क्रिय किए

नई दिल्ली वर्तमान समय में आधार कार्ड को भारत में नागरिक पहचान के सबसे बड़े दस्तावेज के रूप में पेश किया गया है। हालांकि इससे होने वाले फर्जीवाड़ा और इसकी गोपनीयता पर शुरू से सवाल उठते रहे हैं। अब ‘आधार’ पर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। ये खुलासा आरटीआई (RTI) से हुआ है। आरटीआई से खुलासा हुआ है कि सरकारी डाटा के मुताबिक देश में पिछले 14 साल में 11.7 करोड़ मौतें हुई है। वहीं आधार जारी करने वाली संस्था UIDAI ने पिछले 14 वर्षों में केवल 1.15 करोड़ आधार नंबर निष्क्रिय किए हैं। यह संख्या देश में हुई मौतों के मुकाबले बेहद कम है। इस खुलासे ने एक बार फिर आधार डेटा की विश्वसनीयता और इसके अपडेट न होने को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। साथ ही इसकी खामियों को एक बार फिर से उजागर किया है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के मुताबिक, अप्रैल 2025 तक भारत की कुल जनसंख्या 146.39 करोड़ है। वहीं आधार कार्ड धारकों की संख्या 142.39 करोड़ है। इसके मुकाबले, भारत के सिटिजन रजिस्ट्रेशन सिस्टम (CRS) के अनुसार, 2007 से 2019 तक हर साल औसतन 83.5 लाख लोगों की मौत होती रही है। ऐसे में पिछले 14 वर्षों में करीब 11.69 करोड़ से ज्यादा मौतें हुई होंगी। जबकि UIDAI ने सिर्फ 1.15 करोड़ आधार नंबर बंद किए हैं। यानी कुल मौतों का 10% से भी कम। जब RTI में पूछा गया कि पिछले पांच वर्षों में साल-दर-साल कितने आधार नंबर मृत्यु के आधार पर बंद किए गए हैं, तो UIDAI ने साफ कहा, “ऐसी कोई जानकारी हमारे पास नहीं है। UIDAI ने सिर्फ कुल आंकड़ा दिया कि 31 दिसंबर 2024 तक मृत्यु के आधार पर 1.15 करोड़ आधार नंबर निष्क्रिय किए गए हैं। UIDAI ने कहा: हमारे पास आधार विहीन लोगों का कोई अनुमान नहीं जब पूछा गया कि क्या UIDAI ने कभी यह अनुमान लगाया कि देश में कितने लोग ऐसे हैं जिनके पास आधार नहीं है, तो जवाब था, “ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.” UIDAI के अनुसार, जब रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) आधार नंबर के साथ किसी मृतक का डेटा साझा करता है, तब एक प्रक्रिया के बाद आधार नंबर निष्क्रिय किया जाता है. अगस्त 2023 में जारी एक सर्कुलर के मुताबिक, पहले मृत्यु रजिस्टर के डेटा को UIDAI के डेटाबेस से मिलाया जाता है. फिर दो बातें देखी जाती हैं: (1) नाम की 90% तक समानता होनी चाहिए, (2) लिंग (Gender) का 100% मेल होना चाहिए. अगर ये दोनों शर्तें पूरी होती हैं, तब भी अंतिम फैसला तब लिया जाता है जब यह पुष्टि हो जाए कि मृत्यु के बाद उस आधार नंबर से कोई बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन या अपडेट नहीं हुआ है. अगर मौत के बाद भी आधार का इस्तेमाल हुआ हो, तो आगे की जांच होती है. वहीं, अगर निष्क्रिय किया गया आधार भविष्य में किसी प्रक्रिया के लिए इस्तेमाल होता है, तो सिस्टम उपयोगकर्ता को चेतावनी देता है. फिर वह व्यक्ति बायोमैट्रिक वेरिफिकेशन के जरिए आधार पुनः सक्रिय करवा सकता है. UIDAI के पास नहीं है साल-दर-साल आधार निष्क्रियता का रिकॉर्ड जब RTI में पूछा गया कि पिछले पांच वर्षों में साल-दर-साल कितने आधार नंबर मृत्यु के आधार पर बंद किए गए हैं, तो UIDAI ने साफ कहा, “ऐसी कोई जानकारी हमारे पास नहीं है.” UIDAI ने सिर्फ कुल आंकड़ा दिया कि 31 दिसंबर 2024 तक मृत्यु के आधार पर 1.15 करोड़ आधार नंबर निष्क्रिय किए गए हैं. बिहार में 100% से ज्यादा आधार सैचुरेशन और खतरे की घंटी बिहार में SSR यानी स्पेशल समरी रिवीजन के दौरान कई जिलों में 100% से ज्यादा आधार सैचुरेशन देखने को मिला है। उदाहरण के लिए: किशनगंज: 126%, कटिहार और अररिया: 123%, पूर्णिया: 121%, शेखपुरा: 118% इसका मतलब है कि इन जिलों की अनुमानित जनसंख्या से ज्यादा लोगों को आधार जारी हो चुका है. इसका एक बड़ा कारण यह है कि मरने वालों के आधार नंबर समय पर निष्क्रिय नहीं किए जाते. इसके अलावा जनसंख्या अनुमान में त्रुटियां, प्रवासन (Migration), और डुप्लिकेशन भी जिम्मेदार हैं. क्या कहता है यह सब? इस RTI के जवाब से यह साफ होता है कि UIDAI के पास न तो आधारविहीन लोगों का कोई अनुमान है, न ही मृत लोगों के आधार निष्क्रिय करने की प्रभावी व्यवस्था. इससे न केवल डेटा की सटीकता पर सवाल उठते हैं बल्कि नीति निर्माण और जनसंख्या आंकड़ों में भी गंभीर खामी उजागर होती है. UIDAI को अपनी सिस्टम में पारदर्शिता और ताजगी लाने की जरूरत है, खासकर जब आधार अब बैंकिंग, राशन, मतदान, और सरकारी योजनाओं से जुड़ चुका है. देश में कितने लोगों के पास आधार नहीं, इसकी जानकारी नहीं जब पूछा गया कि क्या UIDAI ने कभी यह अनुमान लगाया कि देश में कितने लोग ऐसे हैं जिनके पास आधार नहीं है, तो जवाब था, “ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। UIDAI के अनुसार, जब रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) आधार नंबर के साथ किसी मृतक का डेटा साझा करता है, तब एक प्रक्रिया के बाद आधार नंबर निष्क्रिय किया जाता है। अगस्त 2023 में जारी एक सर्कुलर के मुताबिक, पहले मृत्यु रजिस्टर के डेटा को UIDAI के डेटाबेस से मिलाया जाता है। फिर दो बातें देखी जाती हैं: (1) नाम की 90% तक समानता होनी चाहिए, (2) लिंग (Gender) का 100% मेल होना चाहिए। अगर ये दोनों शर्तें पूरी होती हैं, तब भी अंतिम फैसला तब लिया जाता है जब यह पुष्टि हो जाए कि मृत्यु के बाद उस आधार नंबर से कोई बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन या अपडेट नहीं हुआ है. अगर मौत के बाद भी आधार का इस्तेमाल हुआ हो, तो आगे की जांच होती है। बिहार में 100% से ज्यादा आधार सैचुरेशन और खतरे की घंटी बिहार में SSR यानी स्पेशल समरी रिवीजन के दौरान कई जिलों में 100% से ज्यादा आधार सैचुरेशन देखने को मिला है। उदाहरण के लिए: किशनगंज: 126%, कटिहार और अररिया: 123%, पूर्णिया: 121%, शेखपुरा: 118%। इसका मतलब है कि इन जिलों की अनुमानित जनसंख्या से ज्यादा लोगों को आधार जारी हो चुका है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि मरने वालों के आधार नंबर समय पर निष्क्रिय नहीं किए जाते। इसके अलावा जनसंख्या अनुमान में त्रुटियां, प्रवासन (Migration), और डुप्लिकेशन भी जिम्मेदार हैं। 

भारतीय सेना की बढ़ेगी ताकत, US से आ रहे रात के अंधेरे में भी हमला करने वाले अपाचे हेलिकॉप्टर

नई दिल्ली अमेरिका से अपाचे अटैक हेलिकॉप्टरों की डिलिवरी इसी सप्ताह होने जा रही है। पहली खेप के तहत कुल तीन अपाचे हेलिकॉप्टर मिलेंगे, जो रात के अंधेरे में भी टारगेट को खोजने और मार करने में सक्षम होंगे। अमेरिकी सेना में लंबे समय से तैनात इन हेलिकॉप्टरों की काफी डिमांड रही है। अब तक करीब 20 देशों को अमेरिका की ओर से इन हेलिकॉप्टरों की डिलिवरी की जा चुकी है। सूत्रों के अनुसार भारत इन हेलिकॉप्टरों को पाकिस्तान से लगती सीमा पर तैनात करने की तैयारी में है। 2 जुलाई को ही खबर आई थी कि इन हेलिकॉप्टरों की डिलिवरी का इंतजार खत्म होगा और इसी महीने ये भारत आ सकते हैं। इन हेलिकॉप्टरों को 'हवाई टैंक' भी कहा जाता है। अमेरिका से आने वाले AH-64Es अपाचे हेलिकॉप्टरों की लैंडिंग गाजियाबाद के हिंडन एयरफोर्स स्टेशन पर होगी। भारतीय सेना की ओर से इन हेलिकॉप्टरों के लिए अलग से बेड़ा पहले ही तैयार कर लिया गया है। जोधपुर में 15 महीने पहले ही इसकी शुरुआत हो चुकी है। लेकिन हेलिकॉप्टरों की डिलिवरी अटक गई थी। इसकी वजह थी कि दुनिया के भू-राजनीतिक समीकरण बदल गए और डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन भी ट्रेड टैरिफ आदि में व्यस्त था। बता दें कि पहले ही इंडियन एयरफोर्स के पास दो स्क्वैड्रन पठानकोट और जोरहाट में ऐक्टिव हैं। बता दें कि 2015 में भी भारत सरकार ने 22 अपाचे हेलिकॉप्टरों की डील अमेरिका से की थी। उस ऑर्डर की पूरी डिलिवरी अमेरिका की ओर से जुलाई 2020 में कर दी गई थी। इसके बाद 2020 में भारत ने 6 हेलिकॉप्टर और खरीदने की डील की थी। इसके तहत पहली खेप की डिलिवरी मई से जून 2024 के बीच की जानी थी। लेकिन इसमें देरी होती गई। बता दें कि अमेरिकी कंपनी बोइंग और टाटा की ओर से भी एक जॉइंट वेंटर हैदराबाद में चल रहा है। यहां तैयार किया गया एक अपाचे हेलिकॉप्टर 2023 में भारतीय सेना को मिला था। इस हेलिकॉप्टर की खासियत यह है कि अंधेरे में भी यह अटैक कर सकता है। इसके अलावा किसी भी मौसम में यह सटीक डेटा हासिल कर सकता है। रात के अंधेरे में भी कर लेता है टारगेट की तलाश इन हेलिकॉप्टरों में नाइट विजन नेविगेशन सिस्टम है। इसके माध्यम से रात के अंधेरे में भी टारगेट की तलाश की जा सकती है। बता दें कि अपाचे हेलिकॉप्टरों को ना सिर्फ आक्रमण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है बल्कि इन्हें सुरक्षा और शांति ऑपरेशनों के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है।  

भारत को अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्वदेशी क्षमताओं का विकास करना चाहिए: CDS जनरल अनिल चौहान

नई दिल्ली  CDS जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि भारत को अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्वदेशी क्षमताओं का विकास करना चाहिए। इस दौरान उन्होंने खासतौर से ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र किया। उन्होंने जानकारी दी है कि पाकिस्तान की तरफ से भारत के खिलाफ चलाए गए ड्रोन नाकाम रहे थे और कोई नुकसान नहीं पहुंचा सके। हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने भी दावा किया था कि पाकिस्तान की कार्रवाई में भारत को कोई नुकसान नहीं हुआ है। दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान जनरल चौहान ने कहा कि भारतीय बलों ने इस्लामाबाद की तरफ से चलाए गए ड्रोन्स को काइनैटिक और नॉन काइनैटिक साधनों से तबाह कर दिया था। उन्होंने कहा, '10 मई को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने हथियार रहित ड्रोन का इस्तेमाल किया, इनमें से कोई भी भारतीय सैन्य और नागरिक बुनियादी ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचा सका।' उन्होंने यह भी बताया कि कुछ ड्रोन सही सलामत हालत में भी बरामद हुए हैं। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने साबित किया है कि भारत में बने काउंटर UAS सिस्टम भारत की जमीनी स्थिति और जरूरतों के हिसाब से बने हैं और सैन्य ऑपरेशन के दौरान काफी अहम हैं। उन्होंने कहा, 'विदेशी तकनीकों पर निर्भरता हमारी तैयारी को कमजोर करती है, उत्पादन बढ़ाने की हमारी ताकत को सीमित करती है। ऐसे में हर समय उपलब्ध रहने के लिए जरूरी पुर्जों की कमी हो जाती है।' पीटीआई के अनुसार, सीडीएस ने कहा, 'आज के युद्ध को अतीत के हथियारों से नहीं जीता जा सकता है। आज के युद्ध को कल की तकनीक से लड़ा जाना चाहिए।' NSA पहले ही खोल चुके पोल शुक्रवार को IIT मद्रास के एक कार्यक्रम में पहुंचे डोभाल ने कहा, 'पूरे ऑपरेशन में 23 मिनट लगे…। आप मुझे एक तस्वीर बता दें, जो दिखाता हो कि भारतीय क्षेत्र में कहीं नुकसान हुआ हो। वो लोग लिखते हैं, न्यूयॉर्क टाइम्स…, लेकिन तस्वीरें दिखाती हैं कि 10 मई के पहले और बाद में पाकिस्तान में 13 एयर बेस की हालत क्या थी।' उन्होंने कहा, 'हमें अपनी स्वदेशी तकनीक विकसित करने की जरूरत है।' उन्होंने कहा, 'हमें बहुत गर्व है कि वहां बहुत सारा स्वदेशी सामान लगा था। ब्रह्मोस से लेकर रडार तक हमने पूरी तरह से भारतीय सामान का इस्तेमाल किया था। हमने पाकिस्तान के पास 9 आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाने का फैसला किया था। हम एक भी नहीं चूके। हमने वहां के अलावा कहीं भी हमला नहीं किया।'  

ठगी, धमकी और मौत: डिजिटल अरेस्ट के नाम पर लूटी जिंदगी

बेंगलुरु ऑनलाइन फ्रॉड के मामले हर दिन आ रहे हैं। सरकार की ओर से लोगों को जागरूक करने के लिए कैंपेन भी चलाए गए हैं कि वे किसी फर्जी जांच अधिकारी, पुलिस और जज के झांसे में ना आएं। इसके अलावा डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज भी नहीं होती। यह बात भी बार-बार बताई जा रही है। फिर भी लोग ऐसे मामलों में झांसे में आ रहे हैं और अपनी पूंजी खो रहे हैं। बेंगलुरु में तो बेहद दर्दनाक घटना हुई है, जिसमें स्कैमर के झांसे में आए बिजली विभाग के क्लर्क ने पहले तो 11 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। फिर जब उसे हकीकत का पता चला तो वह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाया और आत्महत्या कर ली। कुमार नाम के शख्स को किसी ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताते हुए फोन किया था और अरेस्ट कर लेने की धमकी दी थी। कुमार के सुसाइड नोट से पता चला है कि उन्हें ब्लैकमेल किया गया और अलग-अलग बैंक खातों में 11 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए गए। शख्स ने कहा कि मैं इस ठगी से परेशान था और अपनी जिंदगी ही समाप्त कर रहा हूं। यह मामला कर्नाटक केलागेरे गांव का है। कुमार ने पेड़ पर फंदा लगाकर जान दे दी। कुमार बेंगलुरु इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी लिमिटेड यानी BESCOM में कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी के तौर पर कार्यरत थे। कुमार ने आत्महत्या का कारण बताते हुए लिखा है कि मुझे विक्रम गोस्वामी नाम बताते हुए एक शख्स का कॉल आया था। उसने दावा किया कि वह सीबीआई का अधिकारी है और मेरे नाम का अरेस्ट वॉरंट उसके पास है। उसे पहले 1.95 लाख रुपये जमा कराने की धमकी दी गई। उसने ऐसा कर दिया तो फिर और रकम की डिमांड हुई। धीरे-धीरे उसने 11 लाख रुपये की रकम ट्रांसफर कर दी। इसके बाद भी वसूली खत्म नहीं हुई और कुमार ने टेंशन में आकर जान दे दी। कुमार ने नोट में लिखा है कि वह इस दबाव से आजिज आ चुके थे। खुद को सीबीआई अधिकारी बताने वाला शख्स उन्हें अब भी परेशान कर रहा था। अपने सुसाइड नोट में कुमार ने उन मोबाइल नंबरों का भी जिक्र किया है, जिनसे उन्हें कॉल आते थे। इस मामले में अब पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। इसके अलावा ट्रांजेक्शन और सुसाइड नोट का भी वेरिफिकेशन कराया जा रहा है। कुमार का फोन भी लॉक था, जिसके चलते पुलिस का चैलेंज बढ़ गया था।  

गुफा, ध्यान और डिजिटल कमाई: रूसी महिला ने क्यों चुना भारत को अपना घर?

कर्नाटक  कर्नाटक के गोकर्ण स्थित एक गुफा में मिली रूसी महिला से पूछताछ का दौर जारी है। फिलहाल, वह गुफा से बाहर निकाले जाने पर दुखी है। खबर है कि साल 2017 में उसका वीजा खत्म हो गया था, लेकिन वह भारत में बनी रही। गुफा में उसके साथ 6 और 8 साल की दो बेटियां भी हैं। वह बताती हैं कि करीबियों को खोने समेत ऐसे कई कारण थे, जिनके दुख के चलते वह रूस वापस नहीं लौटीं। पीटीआई से बातचीत में 40 वर्षीय नीना कुटीना ने बताया, 'बीते 15 सालों में मैं करीब 20 देशों में गई हूं। मेरे बच्चे अलग-अलग जगहों पर पर पैदा हुए। मैंने बगैर डॉक्टरों या अस्पताल की मदद से खुद ही उनकी डिलीवरी की, क्योंकि मैं ये सब जानती थी। किसी ने मेरी मदद नहीं की। मैंने अकेले ही किया।' गुफा में क्या करती थीं नीना ने कहा, 'हम सूर्योदय के साथ जागते थे, नदियों में तैरते थे और प्रकृति में रहते थे। मौसम को देखकर मैं आग या गैस सिलेंडर पर खाना पकाती थी और पास के गांव से सामान खरीद कर लाती थी। हम पेंटिंग करते थे, गाने गाते थे, किताबें पढ़ते थे और शांति से रहते थे।' उन्होंने कहा, 'अब हमें असहज स्थिति में रखा गया है। यह जगह गंदी है। यहां कोई निजता नहीं है और हमें खाने के लिए सिर्फ सादा चावल मिलता है। हमारा कई सामान ले लिया गया है, जिसमें 9 महीने पहले गुजरे बेटे की अस्थियां भी हैं।' कैसे चलता था खर्च नीना ने कहा कि वह आर्ट और म्यूजिक वीडियो बनाकर और कभी-कभी पढ़ाकर या बेबीसिटिंग कर पैसा कमाती थी। उन्होंने कहा, 'मैं इन सब कामों के जरिए पैसा कमाती थी और अगर मेरे पास कोई काम नहीं होता था या मुझे कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिलता था जिसे काम की जरूरत नहीं होती थी, तो मेरे भाई, मेरे पिता और मेरा बेटा भी मदद करता था। हमें जो भी जरूरत होती थी, तो उसके हिसाब से हमारे पास पर्याप्त पैसा होता था।' क्यों वापस नहीं गईं नीना बताती हैं कि कई करीबियों का गुजर जाना एक वजह थी। उन्होंने कहा, 'लगातार दुख, दस्तावेजों से जुड़े काम और अन्य समस्याओं से घिरे हुए थे।' उन्होंने कहा कि वह 4 और देशों की यात्रा कर भारत वापस आई हैं, 'क्योंकि हमें भारत और इसके पर्यावरण, इसके लोगों और सभी चीजों से बहुत प्यार है।' उन्होंने बताया कि वह अब रूसी दूतावास के संपर्क में हैं।  

नाटो प्रमुख ने कहा– रूस से कच्चा तेल खरीदने से उसकी युद्ध नीति को मिल रही मदद, भारत और चीन को जिम्मेदारी से कदम उठाने की सलाह

नई दिल्ली "सुनिए.. अगर आप चीन के राष्ट्रपति हैं, या फिर भारत के प्रधानमंत्री हैं या फिर ब्राजील के राष्ट्रपति हैं और आप अभी भी रूसियों के साथ बिजनेस कर रहे हैं और उनका तेल और गैस खरीद रहे हैं, तो आप समझ लीजिए कि अगर मॉस्को में बैठा वो आदमी शांति वार्ता को गंभीरता से नहीं ले रहा है तो मैं 100 परसेंट का सेकेंडरी सैंक्शंस लगाने जा रहा हूं." धमकी की ये भाषा दुनिया के शक्तिशाली देशों के संगठन नाटो चीफ मार्क रूट की है. उन्होंने गैर कूटनीतिक शब्दावली का इस्तेमाल करते हुए भारत-ब्राजील और चीन को रूस के साथ बिजनेस न करने की सलाह दी है. नाटो महासचिव मार्क रूट ने मंगलवार को चेतावनी दी कि यदि ब्राजील, चीन और भारत जैसे देश रूस के साथ व्यापार करना जारी रखते हैं तो उन पर 100% सेकेंडरी सैंक्शंस लगाया जा सकता है और ये प्रतिबंध बहुत भारी पड़ सकते हैं. ये सैंक्शंस अमेरिका द्वारा इन देशों पर लगाया जा सकता है. उन्होंने बुधवार को अमेरिकी सीनेटरों के साथ बैठक के दौरान यह बात कही. यह बात राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा यूक्रेन के लिए नए हथियारों की घोषणा और रूस से सामान खरीदने वाले देशों पर कठोर टैरिफ लगाने की धमकी देने के ठीक एक दिन बाद कही गई.  मार्क रूट ने कहा है कि इन देशों को चाहिए कि वे पुतिन पर यूक्रेन के साथ सीजफायर के लिए दबाव बनाएं. रूट ने कहा, "इन तीनों देशों के लिए मेरा विशेष प्रोत्साहन यह है कि अगर आप बीजिंग या दिल्ली में रहते हैं, या ब्राज़ील के राष्ट्रपति हैं, तो आपको इस पर गौर करना चाहिए, क्योंकि यह आपको बहुत प्रभावित कर सकता है." उन्होंने आगे कहा, "तो कृपया व्लादिमीर पुतिन को फोन करें और उन्हें बताएं कि उन्हें शांति वार्ता के बारे में गंभीर होना होगा, क्योंकि अन्यथा इसका ब्राज़ील, भारत और चीन पर व्यापक रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा." गौरतलब है कि ट्रंप रूस के खिलाफ यूक्रेन को हथियारों की नई खेप देने का ऐलान कर चुके हैं. ट्रंप ने यह भी धमकी दी है कि अगर रूस 50 दिनों के अंदर शांति समझौते पर सहमत नहीं होता है तो रूस का तेल खरीदने वाले देशों पर अमेरिका 100 फीसदी सेकेंडरी टैरिफ लगाएगा. ट्रंप ने अपने बयान में ब्राजील, चीन या भारत का नाम नहीं लिया था. लेकिन मार्क रूट ने तस्वीर साफ कर दी है. बता दें कि ये तीन देश हैं जिन्होंने 2022 में पुतिन की सेना द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से रूसी तेल और पेट्रोलियम उत्पाद खरीदना जारी रखा है. बता दें कि अमेरिकी सीनेटर एक ऐसे विधेयक पर जोर दे रहे हैं जिसमें रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर 500% टैरिफ लगाने का प्रावधान है. मार्क रूट ने अपने बयान में काफी तल्खी लाते हुए कहा, "इसलिए मुझे यकीन है कि उन्हें अभी तक पता नहीं है कि उन्हें क्या हिट करेगा? इसे समझने में कुछ समय लगेगा. और मुझे लगता है कि आप लोग मीडिया में यह बात स्पष्ट कर रहे हैं, सीनेटर भी ब्राज़ील, भारत और चीन के अपने समकक्षों के साथ इस पर चर्चा कर रहे होंगे. हथियारों की आपूर्ति के अलावा, रूस पर अधिकतम दबाव डालने में यह बहुत मददगार होगा." बता दें कि भारत अमेरिका के साथ एक ऐसे व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की तैयारी कर रहे हैं. जिसमें अमेरिका द्वारा भारत पर लगाया जाने वाला टैरिफ 20 प्रतिशत हो सकता है.  चीन और भारत रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार थिंक टैंक सेंटर फ़ॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर के डेटा बताते हैं कि चीन और भारत कच्चे रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार हैं.  पांच दिसंबर 2022 से मई 2025 के अंत तक चीन ने रूस के कुल कच्चे तेल के निर्यात का 47 फीसदी और भारत ने 38 फीसदी खरीदा है. 2024 में भारत ने रूस से लगभग 1.8 से 2.07 मिलियन बैरल प्रतिदिन (bpd) कच्चा तेल आयात किया. जो उसके कुल तेल खरीद का 40-44% है. इसकी वैल्यू 2024 में 52.73 बिलियन डॉलर थी. चीन रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार है. चीन ने 2024 में 1.76 से 2 मिलियन बैरल कच्चे तेल का आयात रूस से प्रतिदिन किया. जो उसके कुल आयात का 20-22% है. 2024 में इसकी वैल्यू 78 बिलियन यूरो रही. दोनों देशों ने मिलकर मार्च 2023 में रूस के 91% तेल खरीदे. 

महिला का चलती बस में हुआ प्रसव, पति ने खिड़की से बाहर फेंका नवजात; मौत

मुंबई  महाराष्ट्र के परभणी से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। मंगलवार को परभणी में एक 19 की महिला ने बच्ची को चलती  स्लीपर कोच बस में जन्म दिया। लेकिन उसने और उसके पति ने नवजात को खिड़की से बाहर फेंक दिया, जिससे बच्चे की मौत हो गई। हालांकि अभी इस बारे में शक है कि दोनों दंपत्ति हैं, पुलिस मामले की जांच कर रही है। बस से फेंकी गई कपड़े में लिपटी कोई चीज यहां एक 19 साल की महिला ने चलती स्लीपर कोच बस में एक बच्चे को जन्म दिया. लेकिन उसने और उसका पति होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति ने नवजात को एकाएक खिड़की से बाहर फेंक दिया, जिससे बच्चे की मौत हो गई. एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना सुबह करीब 6.30 बजे पाथरी-सेलु रोड पर हुई. एक सतर्क नागरिक द्वारा पुलिस को जानकारी दी गई कि बस से कपड़े में लिपटी कोई चीज बाहर फेंकी गई है. बस ड्राइवर से कहा- उल्टी फेंकी है पुलिस ने बताया, 'रितिका ढेरे नाम की एक महिला, संत प्रयाग ट्रैवल्स की स्लीपर कोच बस में अल्ताफ शेख (जो उसका पति होने का दावा करता था) के साथ पुणे से परभणी जा रही थी. यात्रा के दौरान, गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होने लगी और उसने एक लड़के को जन्म दिया. लेकिन, दंपति ने बच्चे को कपड़े में लपेटकर बस से बाहर फेंक दिया.' स्लीपर बस के ड्राइवर – जिसमें ऊपर और नीचे की बर्थ वाले डिब्बे हैं – ने देखा कि खिड़की से कुछ बाहर फेंका गया है. जब उसने इसके बारे में पूछताछ की, तो शेख ने बताया कि बस यात्रा के कारण उसकी पत्नी को उल्टी हो रही थी, इसलिए उसने उल्टी फेंकी है. उन्होंने बताया कि 'इस बीच, जब सड़क पर एक जागरूक नागरिक ने बस की खिड़की से बाहर फेंकी गई चीज देखी, तो वह यह देखकर चौंक गया कि वह एक बच्चा था. उसने तुरंत पुलिस की 112 हेल्पलाइन पर कॉल करके इसकी सूचना दी.' सड़क पर फेंके जाने से बच्चे की मौत गश्त पर तैनात स्थानीय पुलिस की एक टीम ने लग्जरी बस का पीछा किया. अधिकारी ने बताया कि वाहन का निरीक्षण करने और प्रारंभिक जांच करने के बाद, उन्होंने महिला और शेख को हिरासत में ले लिया. उन्होंने बताया कि दंपति ने बताया कि उन्होंने नवजात को इसलिए फेंक दिया क्योंकि वे बच्चे का पालन-पोषण नहीं कर पाते. उन्होंने आगे बताया कि सड़क पर फेंके जाने के बाद बच्चे की मौत हो गई. पुलिस के अनुसार, ढेरे और शेख दोनों परभणी के रहने वाले थे और पिछले डेढ़ साल से पुणे में रह रहे थे. अधिकारी ने बताया कि उन्होंने पति-पत्नी होने का दावा किया, लेकिन इस दावे के समर्थन में कोई दस्तावेज पेश नहीं कर पाए. उन्होंने कहा, 'उन्हें हिरासत में लेने के बाद, पुलिस महिला को इलाज के लिए अस्पताल ले गई.' उन्होंने बताया कि परभणी के पाथरी थाने में दंपत्ति के खिलाफ बीएनएस (शव को गुप्त रूप से ठिकाने लगाकर जन्म छिपाने) की धारा 94 (3), (5) के तहत मामला दर्ज किया गया है. उन्होंने बताया कि आरोपियों को नोटिस जारी कर दिया गया है और मामले की आगे की जांच जारी है.

कर्नाटक सरकार ने सिनेमा हॉल टिकटों की अधिकतम कीमत तय की, 200 रुपये से ज्यादा नहीं वसूल सकेंगे

बेंगलुरु कर्नाटक सरकार ने राज्य के सभी सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्स में सभी भाषाओं की फिल्मों के टिकट की अधिकतम कीमत 200 रुपये तय करने का प्रस्ताव रखा है. यह कीमत एंटरटेनमेंट टैक्स समेत होगी. कर्नाटक सरकार ने मंगलवार को राज्यभर में फिल्मों के टिकट के दाम तय करने का बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने इस संबंध में एक ड्राफ्ट अधिसूचना जारी की। अधिसूचना में कहा गया है कि राज्यभर के सभी सिनेमा हॉल या मल्टीप्लेक्स में टिकट की कीमत ₹200 से ज्यादा नहीं ली जा सकेगी। इस कीमत में मनोरंजन कर भी शामिल होगा। सरकार की ओर से मंगलवार को इस संबंध में एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया गया. इसमें कहा गया है, प्रस्तावित है कि राज्य के सभी थिएटर्स (मल्टीप्लेक्स समेत) में किसी भी भाषा की फिल्म के प्रत्येक शो का टिकट मूल्य एंटरटेनमेंट टैक्स समेत 200 रुपये से ज्यादा नहीं होगा. 200 रुपए में देख पाएंगे कोई भी फिल्म कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला लिया है। अब पूरे राज्य में कोई भी फिल्म आप सिर्फ 200 रुपये में देख सकते हैं। फिल्म किसी भी भाषा या किसी भी बैनर की हो, इससे फर्क नहीं पड़ेगा। न्यूज़ एजेंसी ANI के मुताबिक, यह फैसला "कर्नाटक सिनेमा संशोधन नियम 2025" के तहत लिया गया है। यह आदेश गृह विभाग ने जारी किया है। सरकार को यह अधिकार "कर्नाटक सिनेमा अधिनियम 1964" की धारा 19 के तहत मिला है। ये आदेश प्रदेश में चलने वाले सभी प्रकार के सिनेमा हॉल और मल्टीप्लेक्स पर लागू होंगे। सरकार के इस कदम का उद्देश्य लोगों को थिएटर तक ज्यादा से ज्यादा मात्रा में प्रोत्साहित करना माना जा रहा है। सरकार ने इस साल बजट में किया था ऐलान कर्नाटक सरकार ने इस साल मार्च में पेश राज्य के बजट में मूवी टिकट के प्राइस के लिए 200 रुपये की सीमा तय करने का ऐलान किया था। 15 जुलाई को सरकार ने कर्नाटक सिनेमाज (रेगुलेशन) रूल्स, 2014 में संसोधन का ड्राफ्ट पब्लिश किया है। इसमें मल्टीप्लेक्स सहित सभी तरह के थिएटर्स के टिकट का मैक्सिमम प्राइस 200 रुपये तय करने की बात कही गई हैं। इस नियम के दायरे में सभी लैंग्वेज की फिल्में आएंगी। 15 दिन के अंदर दे सकते हैं सुझाव सरकार का आदेश प्रकाशित कर दिया गया है और इसके साथ ही ऑफिशियल गजट जारी होने के 15 दिनों के भीतर कोई आपत्ति और सुझाव मांगे गए हैं। इस ड्राप्ट में कहा गया है कि नियम 55 में प्रावधान से जोड़ा जाएगा। इस आदेश के अनुसार राज्य के सभी सिनेमा घरों और मल्टीप्लेक्स में 200 रुपये से ज्यादा के टिकट नहीं बेचा जा सकता है। इसके अतिरिक्त प्रस्तावित संशोधन में मौजूदा 2014 के नियम से नियम संख्या 146 को हटाना है। सरकार ने मांगी आपत्तियां और सुझाव… राज्य सरकार ने आम लोगों से इस प्रस्ताव पर 15 दिनों के भीतर सुझाव और आपत्तियां मांगी हैं. सरकार का कहना है कि कोई भी व्यक्ति अपना सुझाव और आपत्तियां भेज सकता है. आगे जो सुझाव और आपत्तियां प्राप्त होंगी, उन पर विचार किया जाएगा. सरकार ने कहा है कि सुझाव या आपत्तियां अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग, विधानसभा, बेंगलुरु-560001 को भेजी जा सकती हैं.  

ट्रेन यात्रियों को झटका: 24 जुलाई से बदल गया रूट, कानपुर सेंट्रल पर नहीं होगा स्टॉप

नई दिल्ली रेलवे यात्रियों के लिए बड़ी खबर है। टाटानगर रेल मंडल से होकर गुजरने वाली प्रमुख ट्रेनें नई दिल्ली-पुरी पुरुषोत्तम एक्सप्रेस (12801/12802) और हल्दिया-आनंद विहार एक्सप्रेस (12443/12444) अब कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर नहीं रुकेंगी। इन ट्रेनों का ठहराव अब गोविंदपुरी रेलवे स्टेशन पर होगा। रेलवे प्रशासन से प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह बदलाव 24 जुलाई 2025 से लागू होगा। – ट्रेन संख्या 12802, जो नई दिल्ली से पुरी जाती है, वह सुबह 03:55 बजे गोविंदपुरी स्टेशन पर पहुंचेगी और 04:00 बजे रवाना होगी। – वहीं, पुरी से नई दिल्ली जाने वाली ट्रेन संख्या 12801, रात 10:00 बजे गोविंदपुरी स्टेशन पर पहुंचेगी और 10:05 बजे प्रस्थान करेगी। – इसी तरह, हल्दिया से आनंद विहार जाने वाली ट्रेन संख्या 12443 भी अब गोविंदपुरी पर रुकेगी। यह ट्रेन सुबह 03:05 बजे पहुंचेगी और 03:10 बजे रवाना होगी। – जबकि ट्रेन संख्या 12444, जो आनंद विहार से हल्दिया जाती है, 29 जुलाई से गोविंदपुरी स्टेशन पर 01:00 बजे दोपहर में रुकेगी। यह बदलाव यात्रियों की सुविधा और रेलवे संचालन में सुधार के उद्देश्य से किया गया है। यात्रियों से अनुरोध है कि वे यात्रा से पहले नया रूट और समय जरूर देख लें।

भारत ने ₹36000 करोड़ की डील के तहत QRSAM सिस्टम की खरीद को मंजूरी दी

नई दिल्ली पूरी दुनिया ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की सैन्य ताकत का नजारा देख चुका है. भारत ने तीन दिन के भीतर ही पाकिस्तानी सेना की कमर तोड़ दी थी. ब्रह्मोस मिसाइलों और एस-400 जैसे डिफेंस सिस्टम की बदौलत पाकिस्तान कुछ घंटों की भी मार नहीं झेल पाया था. लेकिन, ऑपरेशन के दौरान भारत को भी कुछ सीखने को मिला. अब भारत ने उस कमी को दूर करने के लिए एक-दो हजार करोड़ नहीं बल्कि एक मुश्त 36 हजार करोड़ रुपये की डील को मंजूरी दी है. इस पैसे से फिलहाल के लिए बेबी एस-400 के तीन रेजिमेंट तैयार किए जाएंगे. हालांकि भारतीय सेना ऐसे 11 रेजिमेंट्स की डिमांड कर रही है. अगर ये पूरे रेजिमेंट्स सेना को मिल जाते हैं तो देश एक तरह से किले में तब्दील हो जाएगा. इस पूरे 11 रेजिमेंट्स पर करीब 1.30 लाख करोड़ खर्च होंगे. दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्रह्मोस ने पाकिस्तान के भीतर घुसकर गंभीर घाव किया था. दूसरी तरफ भारत के आकाश मिसाइल डिफेंस और एस-400 जैसे सुरक्षा कवच ने भारत की किलेबंदी कर दी. बावजूद इसके पाकिस्तान ने तुर्की से हासिल किए ड्रोन से भारत पर खूब हमले किए. एक तरह से उसने ड्रोन की बारिश कर दी, लेकिन भारत का डिफेंस सिस्टम तगड़ा था और करीब 99 फीसदी ड्रोन को समय रहने खत्म कर दिया गया. बावजूद इसके भारत को एक खास डिफेंस सिस्टम की जरूरत महसूस हुई. भारत के पास जो एस-400 सुरक्षा कवच है वो तो अल्टीमेट है. एस-400 फाइटर जेट्स और मिसाइल हमलों को करीब 400 किमी दूर से डिटेक्ट कर उसे खत्म करने में सक्षम है. लेकिन, आधुनिक युद्ध में ड्रोन एक नई चुनौती बनकर उभरे हैं. ये अपेक्षाकृत कम ऊंचाई पर उड़ते हैं और उनको डिटेक्ट करना थोड़ा मुश्किल काम होता है. ऐसे में भारत देसी बेसी एस-400 की खरीद कर रहा है. इस बेबी एस-400 का नाम है QRSAM सिस्टम. क्या है QRSAM? भारत सरकार ने पिछले दिनों अपने एयर डिफेंस को मजबूती देने के लिए QRSAM सिस्टम को खरीद की मंजूरी दे दी. इसे देश में ही विकसित किया गया है. इसका पूरा नाम क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल यानी QRSAM है. इसे डीआरडीओ ने विकसित किया है. इसके तीन रेजिमेंट की खरीद को मंजूरी दी गई है. इस पर 36 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. यानी एक रेजिमेंट पर करीब 12 हजार करोड़ रुपये. भारतीय सेना ने सरकार से ऐसे 11 रेजिमेंट्स की मांग की है. QRSAM एक बेहद एडवांस मोबाइल मिसाइल सिस्टम है. ये मिसाइलों दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, ड्रोनों और अन्य हवाई खतरों को 30 किमी के दायरे के भीतर नष्ट कर सकती हैं. इन मिसाइलों को इनकी त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता के लिए जाना जाता है. ये सिस्टम युद्ध के मौजूदा तरीकों में बेहद कारगर हैं. QRSAM में बेहद एडवांस रडार सिस्टम, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर और कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम लगे हैं. इससे यह बेहद सटीक तरीके से अपने लक्ष्य को ट्रैक और नष्ट कर सकता है. इसकी सफलता की दर 95 से 100 फीसदी तक है. ऑपरेशन सिंदूर इस साल 7 से 10 मई के बीच ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने अपने शानदार डिफेंस सिस्टम का नजारा पेश किया था. इस दौरान पाकिस्तान की ओर से खूब तुर्की निर्मित ड्रोन और चीन निर्मित मिसाइलें दागी गईं लेकिन भारत के मल्टी लेयर डिफेंस सिस्टम ने इन सभी को समय रहते नष्ट कर दिया. इस दौरान भारतीय डिफेंस सिस्टम की सफलता करीब 100 फीसदी थी. इसमें QRSAM ने भी अहम भूमिका निभाई थी. ऑपरेशन के दौरान QRSAM के परफॉर्मेंस ने सभी का दिल जीत लिया था. ऐसे में सेना अब QRSAM के दो-तीन नहीं बल्कि कुल 11 रेजिमेंट बनाने वाली है. इस वक्त भारत के सुरक्षा कवच में QRSAM में आकाश, बराक-8 और अन्य स्वदेशी प्रणालियों के साथ मिलकर एक अभेद्य सुरक्षा कवच प्रदान करेगा.