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पाकिस्तान का बड़ा यू-टर्न! हाफिज और मसूद को भारत को सौंपने पर बोले बिलावल भुट्टो

इस्लामाबाद पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा है कि उनके देश को विश्वास बहाली के उपाय के रूप में 'जांच के दायरे में आए व्यक्तियों' को भारत को प्रत्यर्पित करने में कोई आपत्ति नहीं है बशर्ते नई दिल्ली इस प्रक्रिया में सहयोग करने की इच्छा दिखाए। 'डॉन अखबार' की खबर के अनुसार, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल ने शुक्रवार को अल जजीरा के साथ एक साक्षात्कार में यह टिप्पणी की। खबर में कहा गया कि लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) प्रमुख हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) प्रमुख मसूद अजहर को संभावित समझौते और सद्भावनापूर्ण रुख के तहत भारत को प्रत्यर्पित करने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए बिलावल ने यह टिप्पणी की। बिलावल ने कहा, ''पाकिस्तान के साथ एक व्यापक वार्ता के हिस्से के रूप में, जहां आतंकवाद उन मुद्दों में से एक है जिन पर हम चर्चा करते हैं, मुझे यकीन है कि पाकिस्तान इनमें से किसी भी चीज का विरोध नहीं करेगा।'' राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक प्राधिकरण (नैक्टा) के अनुसार, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद दोनों को पाकिस्तान ने प्रतिबंधित कर रखा है, जबकि 26/11 मुंबई आतंकी हमले का मुख्य षड्यंत्रकारी हाफिज सईद वर्तमान में आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए 33 साल की सजा काट रहा है। इसी तरह संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित अजहर को भी नैक्टा ने प्रतिबंधित कर रखा है। बिलावल ने कहा कि इन 'व्यक्तियों' के खिलाफ मुकदमे वाले मामले पाकिस्तान से संबंधित थे, जैसे कि आतंकवादी गतिविधियों का वित्तपोषण। हालांकि, उन्होंने कहा कि सीमा पार आतंकवाद के लिए उन पर मुकदमा चलाना मुश्किल था क्योंकि दिल्ली की ओर से बुनियादी चीजों का 'अनुपालन' नहीं किया गया। उन्होंने कहा, ''भारत कुछ बुनियादी चीजों का पालन करने से इनकार कर रहा है जिसकी दोषसिद्धि के लिए आवश्यकता होती है। यह महत्वपूर्ण है … इन अदालतों में सबूत पेश करना, लोगों को भारत से गवाही देने के लिए आना, जो भी जवाबी आरोप लगेंगे उन्हें सहन करना।'' बिलावल ने कहा, ''अगर भारत इस प्रक्रिया में सहयोग करने को तैयार है, तो मुझे यकीन है कि किसी भी 'जांच के दायरे में आए व्यक्ति' को प्रत्यर्पित करने में कोई बाधा नहीं आएगी।'' उन्होंने आतंकवादियों को पकड़ने के भारत के संकल्प पर भी चिंता व्यक्त की और इसे 'नई असामान्यता' करार दिया। उन्होंने कहा, ''यह पाकिस्तान के हितों की पूर्ति नहीं करता है, और यह भारत के हितों की भी पूर्ति नहीं करता है।'' सईद और अजहर के ठिकानों के बारे में पूछे जाने पर बिलावल ने कहा कि सईद जेल में है, जबकि इस्लामाबाद का मानना है कि अजहर अफगानिस्तान में है।  

इस्राइल-गाजा संघर्ष जारी, 47 की जान गई; हमास 60 दिन के युद्धविराम को तैयार

गाजा  गाजा की सड़कों पर आज फिर मातम पसरा है। भूख मिटाने के लिए कतार में खड़े फलस्तीनियों पर इस्राइल ने एक बार फिर हवाई हमला किया। इस हमले में 47 जानें चली गईं। मीडिया रिपोर्ट की माने तो इस हमले के साथ ही अस्पतालों में चीख-पूकार मची हुई है और दवाएं कम पड़ रही हैं। हालांकि, इसी बीच हमास ने 60 दिन के युद्धविराम पर सहमति जताकर एक उम्मीद की किरण जगाई है। इस्राइल और हमास के बीच लगभग दो साल से चल रहे संघर्ष में गाजा के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। इसी क्रम में शनिवार को भी हुए इस्राइली हवाई हमलों में कम से कम 47 फलस्तीनी नागरिकों की मौत हो गई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हमले उस समय हुए जब लोग खाना पाने के लिए कतार में खड़े थे। अस्पतालों में घायलों की भरमार है और इलाज के संसाधन कम पड़ रहे हैं। बता दें कि इस्राइल की ओर से ये हमला उस समय हुआ जब हमास ने एक 60 दिन के युद्धविराम प्रस्ताव पर बातचीत शुरू करने की सहमति दी है। इसका मकसद गाजा में राहत सामग्री पहुंचाना और आगे चलकर स्थायी संघर्षविराम की दिशा में कदम बढ़ाना है। हमास के सहयोगी संगठन इस्लामिक जिहाद ने भी इस प्रस्ताव को समर्थन दिया है। साथ ही स्थायी शांति के लिए गारंटी की मांग की है। युद्धविराम को लेकर वार्ता में लगातार प्रगति मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हमास ने 60 दिन की सीजफायर योजना पर सकारात्मक जवाब दिया है। हमास की ओर से जारी बयान में बताया गया कि वे तुरंत बातचीत के लिए तैयार हैं। हालांकि इस बीच इस्राइल पहले ही अमेरिका द्वारा प्रस्तावित इस योजना को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर चुका है। डोनाल्ड ट्रंप ने क्या बोला? वहीं इस मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी उम्मीद जताई है कि अगले सप्ताह तक युद्धविराम का समझौता हो सकता है। उन्होंने कहा कि हमें इसे अब खत्म करना होगा। साथ ही ट्रंप ने हमास को चेतावनी देते हुए कहा, "अगर उन्होंने इस प्रस्ताव को नहीं माना, तो हालात और बिगड़ेंगे। युद्धविराम प्रस्ताव में क्या-क्या है? प्रस्ताव के तहत हमास पहले चरण में 10 इस्राइली बंधकों को रिहा करेगा, जिनमें से 8 जीवित और 18 मृत घोषित किए गए हैं। इसके बदले में कुछ फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई होगी और इस्राइली सेना उत्तरी गाजा के कुछ हिस्सों से हटेगी। इसके बाद दोनों पक्ष स्थायी संघर्षविराम पर बातचीत शुरू करेंगे। इस्राइल की रणनीति में बदलाव अब तक इस्राइल प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू हमास के सैन्य ढांचे को पूरी तरह खत्म करने की बात कहते रहे हैं। लेकिन हाल ही में ईरान के साथ हुए 12 दिन के संघर्ष और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद उन्होंने अपना रुख नरम किया है। शनिवार रात वे अपने कैबिनेट के साथ इस युद्धविराम प्रस्ताव पर बैठक करने जा रहे हैं, फिर सोमवार को वे वॉशिंगटन में ट्रंप से मुलाकात करेंगे। बड़े मानवीय संकट के बीच मध्यस्थता पर जोर वहीं कतर, मिस्र और अमेरिका युद्धविराम के लिए मध्यस्थता कर रहे हैं। नई योजना के तहत अमेरिका ने भरोसा दिलाया है कि वह इस्राइल को बातचीत के लिए मजबूती से जोड़े रखेगा। साथ ही गाजा में मानवीय राहत भेजने के लिए पारंपरिक रास्तों को प्राथमिकता देने की बात कही गई है। अगर प्रस्ताव पर सहमति बनती है, तो यह 21 महीने से चल रहे इस भयानक युद्ध को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। अब तक का सबसे बड़ा मानवीय संकट गौरतलब है कि सात अक्तूबर 2023 को इस्राइल पर हमास के हमले के साथ शुरू हुआ संघर्ष ने गाजा में की स्थिति डमाडोल कर दी। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक 57,338 लोगों की मौत हो चुकी है और 1.35 लाख से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इस्राइल में 7 अक्तूबर, 2023 को हमास के हमलों में 1,139 लोगों की जान गई थी और 200 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया गया था। 

लोकतंत्र को लेकर भारत की मजबूत आस्था, संतुष्टि में दुनिया में दूसरे नंबर पर भारतीय

नई दिल्ली  भारतीय लोगों का अपनी लोकतांत्रिक प्रणाली के मामले में भरोसा लगातार बढ़ रहा है। भारत ने हाल ही में अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भी उल्लेखनीय प्रगति की है, जो भारतीय नागरिकों की अपनी लोकतांत्रिक व्यवस्था में बढ़ते विश्वास के अनुरूप है। इस सर्वेक्षण के अनुसार, भारतीय लोग दुनिया में अपने लोकतंत्र से संतुष्टि के मामले में दूसरे नंबर पर हैं। प्यू रिसर्च सेंटर के हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, भारत अपने लोकतंत्र से संतुष्टि के मामले में दुनिया भर में दूसरे स्थान पर है, जो स्वीडन (75 प्रतिशत) के ठीक पीछे 74 प्रतिशत के साथ खड़ा है। यह उपलब्धि 23 देशों के सर्वेक्षण में हासिल की गई है, जहां औसतन 58 प्रतिशत लोग अपनी लोकतांत्रिक व्यवस्था से असंतुष्ट हैं। यह आंकड़ा भारत की प्रगति और जनता के विश्वास को दर्शाता है जो देश को एक मजबूत लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में स्थापित करता है। इस सर्वे के अनुसार 15 देशों में आधे से अधिक लोग अपने देश की लोकतांत्रिक प्रणाली से संतुष्ट नहीं हैं। 2017 से लगातार किए जा रहे प्यू रिसर्च के सर्वेक्षणों में यह स्पष्ट हुआ है कि उच्च आय वाले देशों जैसे कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, इटली, जापान, नीदरलैंड, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्वीडन, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका में लोकतंत्र के प्रति असंतोष 64 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जबकि संतुष्टि महज 35 प्रतिशत है। इसके विपरीत, भारत में 74 प्रतिशत लोग अपने लोकतंत्र के कामकाज से खुश हैं, जो यह दर्शाता है कि देश की जनता अपनी सरकार और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में विश्वास रखती है। यह विश्वास आर्थिक प्रगति और सामाजिक स्थिरता से भी जुड़ा है, क्योंकि सर्वेक्षण बताते हैं कि जहां अर्थव्यवस्था मजबूत है, वहां लोकतंत्र के प्रति संतुष्टि भी अधिक है। भारत तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। कई चीजें इस बात को प्रभावित कर सकती हैं कि लोग अपने लोकतंत्र के काम करने के तरीके से कितने संतुष्ट हैं, लेकिन आर्थिक धारणाएं एक महत्वपूर्ण कारक हैं। जिन देशों में जनता का एक बड़ा हिस्सा कहता है कि अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है, वहां आम तौर पर ऐसे लोग भी होते हैं जो अपने लोकतंत्र से संतुष्ट होते हैं। सर्वेक्षण में यह भी उभरकर सामने आया है कि कोविड-19 महामारी के बाद कई देशों में लोकतंत्र के प्रति संतुष्टि में गिरावट आई है, लेकिन भारत में यह स्तर बरकरार रहा। 2017 में जहां दुनिया के बड़े देशों में 49 प्रतिशत लोग अपनी लोकतांत्रिक प्रणाली से संतुष्ट थे, वहीं आज 74 प्रतिशत का आंकड़ा भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली में सुधार और जनता की भागीदारी को दर्शाता है। यह संतुष्टि देश के युवाओं, जो आबादी का बड़ा हिस्सा हैं, और आर्थिक विकास में उनकी भूमिका से भी प्रेरित है। इस मामले में इंडोनेशिया (66 प्रतिशत) और ऑस्ट्रेलिया (61 प्रतिशत) जैसे देशों के साथ तुलना में, भारत का प्रदर्शन उल्लेखनीय है, जबकि ग्रीस (19 प्रतिशत) और जापान (24 प्रतिशत) जैसे देश लोकतंत्र के प्रति असंतोष से जूझ रहे हैं। हालांकि, इसका यह मतलब नहीं है कि लोग लोकतांत्रिक मूल्यों से दूर हो रहे हैं। शोध बताता है कि दुनिया भर के लोग लोकतंत्र को अच्छा मानते हैं। हालांकि, कई लोग राजनीतिक अभिजात वर्ग से निराश हैं या उन्हें लगता है कि सरकार में उनके विचारों का सही प्रतिनिधित्व नहीं किया जाता है। वहीं, दुनिया में अपने लोकतंत्र से सर्वाधिक संतुष्ट लोगों में स्वीडन और भारत के बाद इंडोनेशिया (66 प्रतिशत), ऑस्ट्रेलिया (61 प्रतिशत) और जर्मनी (61 प्रतिशत) के नाम आते है। एशिया-प्रशांत के पांच देशों (ऑस्ट्रेलिया, भारत, इंडोनेशिया, जापान और दक्षिण कोरिया) में भी लोगों की राय काफी अलग-अलग है। भारत इस क्षेत्र में भी टॉप पर है।

ग्लोबल टेक्नोलॉजी रेस में भारत का जलवा, पीयूष गोयल बोले- इनोवेशन में सबसे आगे

नई दिल्ली केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को कहा कि भारत अपनी युवा आबादी, लागत प्रभावी आरएंडडी इकोसिस्टम और दूरदर्शी नीतियों के कारण टेक्नोलॉजी और इनोवेशन में ग्लोबल लीडर के रूप में उभर रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत द्वारा एआई, मशीन लर्निंग, क्वांटम कंप्यूटिंग और डेटा एनालिटिक्स जैसी तकनीकों को अपनाने से देश को ग्लोबल विकास चार्ट में ऊपर जाने में मदद मिल रही है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किए गए एक वीडियो संदेश में केंद्रीय मंत्री गोयल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत की इनोवेशन लागत पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में काफी कम है। उन्होंने कहा, "जब हम भारत में नई तकनीकों पर काम करते हैं, तो हमारी लागत स्विट्जरलैंड या यूरोप या अमेरिका की लागत का लगभग छठा या सातवां हिस्सा होती है।" उन्होंने बताया कि इनोवेशन में 12 बिलियन डॉलर के निवेश से भारत प्रभावी रूप से 100 बिलियन डॉलर के परिणाम उत्पन्न कर सकता है, जो विकसित देशों में लागत के बराबर है। आईआईटी मद्रास एलुमनाई एसोसिएशन के संगम 2025 कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा, "और जब हम उस पैसे को तीन या चार साइकल में आगे बढ़ाएंगे, तो आप कल्पना कर सकते हैं कि यह फंड हमारे इनोवेशन इकोसिस्टम को कितना बड़ा समर्थन दे सकता है।" केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत अपने बढ़ते स्टार्टअप और रिसर्च लैंडस्केप की बदौलत नौकरी चाहने वाले देश से नौकरी देने वाले देश में बदल रहा है। उन्होंने कहा, "हमारी साइंस एंड टेक्नोलॉजी, हमारे स्टार्टअप इकोसिस्टम और आरएंडडी प्रयासों के साथ मिलकर भविष्य के भारत की विकास कहानी लिख रहे हैं।" केंद्रीय मंत्री गोयल ने इस बदलाव को आगे बढ़ाने का श्रेय देश के युवाओं को दिया और कहा कि भारत की युवा आबादी सभी क्षेत्रों और सरकारी कार्यक्रमों में इनोवेशन, रिसर्च और टेक्नोलॉजी अपनाने में अग्रणी है। उन्होंने आगे जोर दिया कि भारत नई तकनीकों को अपनाने से पीछे नहीं हटता है और इसके बजाय उन्हें आर्थिक विकास के लिए आवश्यक मानता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, "वे हमारे मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस और व्यापार क्षेत्रों में समाहित हो रहे हैं, जिससे भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में मदद मिल रही है।" केंद्रीय मंत्री ने कहा, "यह तकनीक-संचालित दृष्टिकोण भारत को ग्लोबल स्लोडाउन की प्रवृत्ति को रोकने और अंतरराष्ट्रीय व्यापार और इनोवेशन लीडरशिप में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने में मदद कर रहा है।"

ट्रंप का बड़ा कदम: 12 देशों को 7 जुलाई को जाएंगे टैरिफ पत्र

वाशिंगटन  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 12 देशों से होने वाले निर्यात पर टैरिफ लगाने से जुड़े पत्रों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिन्हें सोमवार को भेजे जाने की उम्मीद है। मीडिया से बातचीत में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि जिन देशों को पत्र भेजे जाएंगे, उनके नाम सोमवार को ही बताए जाएंगे। उन्होंने कहा, "मैंने कुछ लेटर्स पर हस्ताक्षर किए हैं। वह सोमवार को भेजे जाएंगे, संभवतः 12 पत्र। अलग-अलग रकम, अलग-अलग टैरिफ। पत्र भेजना बेहतर होता है। एक पत्र भेजना कहीं आसान है।” ट्रंप ने यह भी संकेत दिया है कि 'रेसिप्रोकल टैरिफ' कुछ देशों पर 70 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। इसे 1 अगस्त से अमल में लाया जाने की उम्मीद है। अप्रैल में अमेरिकी राष्ट्रपति ने देश में आने वाले अधिकांश सामानों पर 10 प्रतिशत का बेस टैरिफ घोषित किया था। इसके साथ ही कुछ देशों, जैसे चीन के लिए इससे भी ज्यादा दरें तय की गई थीं। हालांकि, इन बढ़े हुए टैरिफ को बाद में 9 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया। वाशिंगटन ने दो देशों (यूनाइटेड किंगडम और वियतनाम) के साथ 'ट्रेड एग्रीमेंट' किए हैं। इस बीच, भारत का हाई-लेवल ऑफिशियल डेलिगेशन, वाशिंगटन से बिना किसी अंतिम समझौते के लौट आया है। इसकी अगुवाई मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल कर रहे थे। यह समझौता अमेरिका की ओर से दबाव डाले जा रहे संवेदनशील मुद्दे एग्रीकल्चर और डेयरी प्रोडक्ट्स के व्यापार को लेकर होना था। हालांकि, अभी भी उम्मीद की एक किरण है। आशा है कि 9 जुलाई की डेडलाइन से पहले दोनों देशों में उच्चतम राजनीतिक स्तर पर एक अंतरिम द्विपक्षीय व्यापार समझौता हो सकता है। भारतीय दल 26 जून से 2 जुलाई तक अमेरिका के साथ अंतरिम व्यापार समझौते पर बातचीत के लिए वाशिंगटन में था। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के अनुसार, भारत किसी डेडलाइन के दबाव में 'फ्री ट्रेड एग्रीमेंट' पर हस्ताक्षर करने में जल्दबाजी नहीं करेगा। नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मंत्री पीयूष गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि भारत राष्ट्रीय हित में ट्रेड डील करने के लिए तैयार है, लेकिन वह "कभी भी डेडलाइन के साथ ट्रेड डील्स पर बातचीत नहीं करता है।" अमेरिका अपने एग्रीकल्चर और डेयरी प्रोडक्ट्स के लिए व्यापक बाजार की मांग कर रहा है, जो एक बड़ी चुनौती है। भारत के लिए, यह देश के छोटे किसानों की आजीविका का मुद्दा है, इसलिए इसे एक संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। भारत 9 जुलाई से पहले एक अंतरिम समझौता करके राष्ट्रपति ट्रंप के 26 प्रतिशत टैरिफ से छूट पाने की कोशिश कर रहा है। वह टेक्सटाइल, लेदर और जूते जैसे अपने लेबर-इंटेंसिव एक्सपोर्ट के लिए महत्वपूर्ण टैरिफ कन्सेशन पर भी जोर दे रहा है।

भारत के खिलाफ फिर बोले पाक पीएम, पहलगाम हमले पर दिया आपत्तिजनक बयान

इस्लामाबाद  पाकिस्तान के प्रधानमंत्री  शहबाज शरीफ ने एक बार फिर  कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाकर भारत पर झूठे और बेबुनियाद आरोप  लगाए हैं।  पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसे पाक समर्थित आतंकी संगठन TRF  ने अंजाम दिया था, को उन्होंने "दुर्भाग्यपूर्ण" कहकर  भारत की जवाबी कार्रवाई को ही दोषी ठहराने की कोशिश की है। अज़रबैजान में आयोजित  Economic Cooperation Organization (ECO) शिखर सम्मेलन में शरीफ ने कहा कि "भारत ने एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना को बहाना बनाकर पाकिस्तान के खिलाफ उकसावे वाली कार्रवाई की"। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत की कार्रवाई "क्षेत्रीय शांति को अस्थिर करने वाली" थी। गौरतलब है कि 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में 25 पर्यटकों सहित 26 लोग मारे गए थे। इस हमले की ज़िम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन  लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े समूह TRF (The Resistance Front)  ने ली थी। हमले के बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान के अंदर छिपे 9 आतंकी ठिकानों  को सटीक हमलों से तबाह कर दिया था। इससे बौखलाए पाकिस्तान ने ड्रोन हमलों का सहारा लिया, लेकिन भारत ने उन्हें भी मुंहतोड़ जवाब दिया। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि अंततः  10 मई को पाकिस्तान को खुद ही युद्धविराम की अपील करनी पड़ी ।   शहबाज शरीफ ने भारत पर झूठे आरोप लगाने के साथ-साथ गाजा और ईरान में हुए हमलों  का हवाला देक इज़राइल पर भी परोक्ष हमला बोला जबकि सच्चाई यह है कि पाकिस्तान खुद दुनिया में आतंक का पनाहगाह बन चुका है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान उन सभी के खिलाफ खड़ा है जो निर्दोष लोगों पर बर्बरता करते हैं चाहे वो गाजा हो, कश्मीर या ईरान।”यह बात खुद में विडंबना है, क्योंकि पाकिस्तान के संरक्षण में पनप रहे आतंकी संगठनों ने ही कश्मीर में बार-बार निर्दोषों की जान ली है।भारत ने बार-बार कहा है कि वह आतंकवाद के खिलाफ 'ज़ीरो टॉलरेंस' नीति पर कायम है। चाहे आतंक पाकिस्तान की जमीन से पनपे या कहीं और से  भारत हर साजिश का जवाब निर्णायक रूप से देगा।   

रथ यात्रा आज अपने अंतिम पड़ाव पर, पुरी में उमड़ी भीड़, प्रशासन ने बढ़ाई सुरक्षा

पुरी  ओडिशा के पुरी में शनिवार को भगवान जगन्नाथ की ‘बहुदा यात्रा' के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। इस यात्रा के साथ ही ‘रथ यात्रा उत्सव' का समापन हो जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि राज्य पुलिस के कुल 6,000 अधिकारी और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के 800 जवान शहर में तैनात किए गए हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई अप्रिय घटना न हो। उन्होंने बताया कि 29 जून को उत्सव के दौरान गुंडिचा मंदिर के पास भगदड़ में तीन लोगों की मौत हो गई थी। यात्रा के संबंध में एक अधिकारी ने कहा कि मौसम अनुकूल होने के कारण ‘बहुदा यात्रा' में भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद के साथ विशेष यातायात व्यवस्था भी की गई है। उन्होंने बताया कि भीड़ पर नजर रखने के लिए 275 से अधिक एआई-सक्षम सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। पुलिस महानिदेशक वाईबी खुरानिया के नेतृत्व में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी पुरी में ‘बहुदा यात्रा' को सुचारू रूप से सुनिश्चित करने के लिए डेरा डाले हुए हैं। यात्रा के दौरान भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ अपने जन्मस्थान गुंडिचा मंदिर में एक सप्ताह बिताने के बाद अपने रथों पर सवार होकर 12वीं शताब्दी के मंदिर में लौटेंगे। खुरानिया ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, “हमने उत्सव को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए सभी संभव उपाय किए हैं।” श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के अनुसार, देवों की ‘पहांडी' या यात्रा शनिवार को दोपहर 12 बजे निकाली जाएगी। पुरी के ‘राजा' गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब अपराह्न ढाई बजे से साढ़े तीन बजे के बीच रथों की औपचारिक सफाई करेंगे, जिसे ‘छेरा पहनरा' के नाम से जाना जाता है। रथ खींचने की रस्म शाम चार बजे होगी।

आणंद में यूनिवर्सिटी शिलान्यास के मौके पर अमित शाह का तंज, कहा- कांग्रेस भूल गई देश के बाकी नेताओं को

अहमदाबाद  गुजरात के आणंद में केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की आधारशिला रखते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। इस मौके पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने ही नेता त्रिभुवनदास किशीभाई पटेल को भुला दिया, जिन्होंने अमूल की नींव रखी और देश में सहकारिता आंदोलन को एक नई दिशा दी। शाह ने साफ किया कि लोकसभा में पेश किए गए त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी विधेयक, 2025 में इस यूनिवर्सिटी का नाम त्रिभुवनदास पटेल के सम्मान में रखा गया है, जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे। उन्होंने कहा, “विपक्ष को शायद यह भी नहीं पता कि त्रिभुवनदास उनकी ही पार्टी से थे। लेकिन वे नेहरू-गांधी परिवार से नहीं थे, इसलिए कांग्रेस ने उन्हें भुला दिया।” अमूल और सहकारिता आंदोलन में त्रिभुवनदास का योगदान अमित शाह ने बताया कि त्रिभुवनदास पटेल ने सरदार पटेल के मार्गदर्शन में अमूल की स्थापना की और वर्गीज कुरियन को डेयरी साइंस पढ़ने के लिए विदेश भेजा। इसका नतीजा यह हुआ कि आज भारत विश्व में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाला देश है। शाह ने कुरियन के योगदान को भी सराहा, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि उस पूरी सोच की शुरुआत त्रिभुवनदास पटेल के विजन से हुई थी। शाह ने यह भी बताया कि जब त्रिभुवनदास अमूल से सेवानिवृत्त हुए, तो उन्होंने अपनी सेवामुक्ति पर मिले 6 लाख रुपये फाउंडेशन को दान में दे दिए, जो उनके समर्पण का प्रतीक है। यूनिवर्सिटी का उद्देश्य और महत्व अमित शाह ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी सहकारिता क्षेत्र को नई दिशा देगी। इसमें प्रबंधन, वित्त, कानून और ग्रामीण विकास से जुड़े कोर्स होंगे। यह यूनिवर्सिटी 200 से ज्यादा सहकारी संस्थाओं से जुड़कर पीएचडी, डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स कराएगी। साथ ही, यह 40 लाख सहकारी कर्मियों को प्रशिक्षित कर भाई-भतीजावाद को खत्म करने में मदद करेगी।   मोदी सरकार की पहल और सहकारिता की मजबूती शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2021 में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना के बाद अब तक 60 नई पहलें शुरू की गई हैं, जो किसानों की आय बढ़ाने और ग्रामीण विकास को गति देने के लिए हैं। पीएम मोदी ने 2 लाख नए पैक्स (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां) बनाने की घोषणा की है, जिससे 17 लाख लोग जुड़ेंगे। CBSE ने भी 9वीं से 12वीं तक के पाठ्यक्रम में सहकारिता को शामिल किया है, जिससे युवा पीढ़ी को इस क्षेत्र से जोड़ा जा सके।   अमूल: सहकारिता का मॉडल शाह ने कहा कि अमूल आज 80,000 करोड़ रुपये के टर्नओवर के साथ देश का सबसे मूल्यवान ब्रांड है, जो 36 लाख ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा है। उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि वर्गीज कुरियन के जन्म शताब्दी वर्ष को अमूल और गुजरात सरकार ने मनाया, लेकिन कांग्रेस ने इस ऐतिहासिक मौके को भी नजरअंदाज कर दिया। अंत में शाह ने कहा, “त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी न सिर्फ एक शैक्षिक संस्थान है, बल्कि यह सहकारिता के जननायकों को सच्ची श्रद्धांजलि है, जो ग्रामीण भारत को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाएगी।”  

अवलोकितेश्वर का आशीर्वाद मिला, लंबी उम्र का दावा: दलाई लामा का बड़ा बयान

धर्मशाला  दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी की घोषणा को लेकर जारी अफवाहों पर एक प्रकार से विराम लगा दिया है। शनिवार को उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वह लोगों की सेवा के लिए 30-40 साल और जीवित रहेंगे। मैकलोडगंज में मुख्य दलाई लामा मंदिर त्सुगलागखांग में रविवार को जन्मदिवस कार्यक्रम आयोजित होगा। इससे पहले, दीर्घायु प्रार्थना समारोह में तेनजिन ग्यात्सो ने कहा कि उन्हें स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि अवलोकितेश्वर का आशीर्वाद उनके साथ है। तिब्बत के आध्यात्मिक नेता ने कहा, ‘कई भविष्यवाणियों को देखते हुए मुझे लगता है कि मुझ पर अवलोकितेश्वर का आशीर्वाद है। मैंने अब तक अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है। मुझे उम्मीद है कि मैं अभी 30-40 साल और जीवित रहूंगा। आपकी प्रार्थनाएं अब तक फलदायी रही हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हालांकि हमने अपना देश खो दिया है और हम भारत में निर्वासन में रह रहे हैं। यहीं मैं जीवात्माओं को काफी लाभ पहुंचाने में सक्षम रहा हूं। वे यहां धर्मशाला में रह रहे हैं। मैं जितना संभव हो सके, जीवात्माओं को लाभ पहुंचाने और उनकी सेवा करने की इच्छा रखता हूं।’ भारत आस्था और धर्म के मामलों में पक्ष नहीं लेता: विदेश मंत्रालय दूसरी ओर, विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत सरकार आस्था और धर्म से जुड़े मामलों में कोई पक्ष नहीं लेती है। मंत्रालय ने यह टिप्पणी दलाई लामा के इस बयान के दो दिन बाद की है जिसमें उन्होंने कहा था कि तिब्बती बौद्धों के एक ट्रस्ट को ही उनके उत्तराधिकारी को तय करने का अधिकार होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि सरकार ने भारत में सभी के लिए धार्मिक स्वतंत्रता को हमेशा बरकरार रखा है और आगे भी ऐसा करती रहेगी। उन्होंने कहा, ‘हमने दलाई लामा संस्था की निरंतरता के बारे में माननीय दलाई लामा की ओर से दिए गए बयान से संबंधित रिपोर्ट देखी है। भारत सरकार आस्था और धर्म से जुड़े मामलों में कोई पक्ष नहीं लेती है और न ही बोलती है।’  

नए चैप्टर से सिलेबस में बदलाव: स्कूली किताबों में शामिल होंगे राज्यपाल के अधिकार और रिसॉर्ट पॉलिटिक्स

तिरुवनंतपुरम केरल सामान्य शिक्षा विभाग द्वारा गठित एक पाठ्यक्रम समिति ने राज्य सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में कक्षा 10 की पाठ्यपुस्तक में एक नया अध्याय जोड़ने को मंजूरी दे दी है, जिसमें राज्यपाल की संवैधानिक शक्तियों और कर्तव्यों के बारे में बताया गया है। आधिकारिक बयान में कहा गया कि सामान्य शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी की अध्यक्षता में समिति की बैठक में कक्षा दो, चार, छह, आठ और दसवीं की पाठ्यपुस्तकों में नई विषय-वस्तु को मंजूरी दी गई। बयान के मुताबिक इसके अलावा किताब में रिसॉर्ट पॉलिटिक्स पर भी चर्चा की गई है। विस्तार से की गई है चर्चा भारत माता के चित्र के प्रदर्शन को लेकर केरल सरकार और राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के बीच खींचतान जारी है। इन सबके बीच कक्षा 10 की पाठ्यपुस्तक में राज्यपाल की शक्तियों पर नया अध्याय शामिल करने को मंजूरी दी गई है। शुक्रवार को जारी बयान के अनुसार, कक्षा 10 की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक के दूसरे खंड में ‘डेमोक्रेसी: इन इंडियन एक्सपीरियंस’ शीर्षक वाले अध्याय में राज्यपाल की शक्तियों और कर्तव्यों पर विस्तार से चर्चा की गई है। किताब में क्या-क्या खास बयान में कहा गया कि विशेष अध्याय में भारतीय लोकतंत्र में संकट, चुनावी बॉण्ड को समाप्त करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले और रिसॉर्ट राजनीति के बारे में भी बताया गया है। संशोधित पाठ्यपुस्तकें ओणम की छुट्टियों से पहले बच्चों तक पहुंच जाएंगी। राज्य के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने पिछले महीने घोषणा की थी कि स्कूली पाठ्यपुस्तकों में जल्द ही राज्यपाल की संवैधानिक शक्तियों और कर्तव्यों की व्याख्या करने वाली सामग्री शामिल की जाएगी।