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राजभर का बड़ा कदम: बिहार में 6 और सीटों पर उतारे उम्मीदवार

पटना  ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने शनिवार को दो चरणों वाले बिहार विधानसभा चुनाव के लिए छह उम्मीदवारों की एक और सूची जारी की।  इन उम्मीदवारों को मिला टिकट-     रामनगर से वशिष्ठ पासवान     रामगढ़ से घूरेलाल राजभर      काराकाट से राम वकील राजवंशी      वजीरगंज से रवींद्र राजभर     रानीगंज से राजेश रजवार      कुटुंबा से राधेश्याम रजवार राजभर ने एनडीए से मांगी थी 4-5 सीटें एसबीएसपी ने बिहार में अपने पार्टी प्रमुख ओम प्रकाश राजभर द्वारा एनडीए द्वारा कोई सीट न दिए जाने पर असंतोष व्यक्त करने के बाद अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। पार्टी पहले ही 47 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी कर चुकी है। राजभर ने बिहार चुनाव के लिए एनडीए से 4-5 सीटों की मांग की थी, लेकिन भाजपा और जेडीयू के प्रमुख गठबंधन ने इसके खिलाफ जाने का फैसला किया, जिससे एसबीएसपी को अकेले चुनाव लड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। गठबंधन पर अपना असंतोष व्यक्त करते हुए, राजभर ने आरोप लगाया कि भाजपा ने "गठबंधन धर्म" का पालन नहीं किया।  इससे पहले, राजभर ने कहा, "आप (भाजपा) 'गठबंधन धर्म' निभाना नहीं जानते; आपने अपने नेतृत्व को गलत फीडबैक दिया। हम अपने 'गठबंधन धर्म' का पालन करने के लिए तैयार हैं।" एनडीए ने सीट बंटवारे पर सहमति जताई है जिसके तहत भाजपा और जेडी(यू) 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 29 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) छह-छह सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।   243 विधानसभा सीटों के लिए 6 नवंबर और 11 नवंबर को मतदान होगा, और मतगणना 14 नवंबर को होगी। यह आगामी चुनावी मुकाबला भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और जनता दल (यूनाइटेड) (JD(U)) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक के बीच होगा। इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस पार्टी, दीपांकर भट्टाचार्य के नेतृत्व वाली भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (CPI-ML), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPM) और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) भी शामिल हैं। इसके अलावा, प्रशांत किशोर की जन सुराज ने भी राज्य की सभी 243 सीटों पर दावा ठोका है

पशुपति पारस का निर्णय: महागठबंधन नहीं, RLJP अकेले चुनाव में

पटना  राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) प्रमुख पशुपति कुमार पारस ने पुष्टि की है कि उनकी पार्टी ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। उन्हें पहले चरण में "अच्छी संख्या में सीटें" जीतने की उम्मीद है। पारस ने कहा कि विपक्षी महागठबंधन के साथ गठबंधन बनाने के प्रयासों के कोई परिणाम नहीं निकलने के बाद यह निर्णय लिया गया। चुनाव के पहले चरण में हम अच्छी संख्या में सीटें जीतेंगे  आरएलजेपी प्रमुख पारस ने कहा, "हमने महागठबंधन के साथ गठबंधन बनाने के लिए काफी प्रयास किए, लेकिन गठबंधन नहीं हो पाया। दलित सेना के समर्थन से हमारी पार्टी बिहार में मजबूत है। हमने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। हमलोगों ने पहले चरण की 33 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। मुझे उम्मीद है कि चुनाव के पहले चरण में हम अच्छी संख्या में सीटें जीतेंगे।" बता दें कि बिहार चुनाव 2025 के लिए मतदान 6 और 11 नवंबर को होगा। नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव प्रक्रिया में शुक्रवार को पहले चरण के नामांकन की आखिरी तिथि होने के बावजूद महागठबंधन के घटक दलों में सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान और असमंजस की स्थिति बनी हुई है। महागठबंधन से कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी रही जिसने आधिकारिक तौर पर अपनी सूची जारी करते हुए 48 उम्मीदवारों की घोषणा की। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) जैसे अन्य सहयोगी दलों ने औपचारिक सूची जारी किए बिना आखिरी समय तक चुनाव चिन्हों का वितरण जारी रखा। कांग्रेस के शीर्ष नेताओं राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा आंतरिक विवादों को सुलझाने के प्रयासों के बावजूद महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर आखिरी समय तक खींचतान जारी रही  

भाजपा की स्टार प्रचारक लिस्ट में 40 चेहरे, जानें कौन हैं शामिल

पटना बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए और महागठबंधन दोनों आमने-सामने एक दूसरे को कांटे की टक्कर देने में लगे हुए हैं। इस बीच भाजपा ने अपने स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में 40 भाजपा के दिग्गज नेताओं के नाम शामिल हैं। पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह,  जे. पी. नड्डा समेत कई बड़े चेहरों के नाम इस लिस्ट में हैं। ये 40 नाम स्टार प्रचाकरों की लिस्ट में शामिल पीएम नरेंद्र मोदी, जे. पी. नड्डा, राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी, शिवराज सिंह चौहान, धर्मेन्द्र प्रधान, गिरिराज सिंह, योगी आदित्यनाथ, देवेंद्र फडणवीस, हिमंता बिस्वा सरमा, मोहन यादव, रेखा गुप्ता, स्मृति ईरानी, केशव प्रसाद मौर्य, सी. आर. पाटिल, डॉ. दिलीप कुमार जैसवाल, स्यामक चौधरी, विजय कुमार सिन्हा,रमेंद्र कुमार, डॉ. प्रेम कुमार,  नित्यानंद राय, राधामोहन सिंह, साध्वी निरंजन ज्योति, सतीश चंद्र दुबे, राजीव रंजन चौधरी, अश्विनी कुमार चौबे, रवि शंकर प्रसाद, नंद किशोर यादव, राजीव प्रताप रूडी, डॉ. संजय जायसवाल, विनोद तावड़े, शहनवाज़ हुसैन ब्रजकिशोर सिंह, गोपालजी ठाकुर, जनक राम, नवल किशोर यादव, मंगला यादव, रवि किशन और दिनेश लाल यादव निरहुआ का नाम शामिल है।

बिहार चुनाव में राजनीतिक चौंकाने वाला मोड़: औवेसी ने लगाया दांव BJP विधायक के भाई पर

पटना  बिहार सरकार में मंत्री रहे शिवहर के पूर्व सांसद स्व. सीताराम सिंह के दो पुत्रों ने इस बार के विधानसभा चुनाव में दो धाराओं की राजनीति कर जिले के दो विधानसभा मधुबन व ढाका में चुनावी जंग को दिलचस्प बना दिया है। बड़े पुत्र ई. राणा रणधीर सिंह मधुबन से भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं। इस बार भी वो इसी सीट पर भाजपा के ही टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। लगातार दो बार चुनाव जीत चुके रणधीर तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं। रणधीर की भाजपा में मजबूत पकड़ है। वो राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। ऐसे में एआईएमआईएम के प्रमुख ओवैसी ने उनके छोटे भाई को अपने पाले में लेकर ढाका से भाजपा के खिलाफ उतारकर दो विधानसभा क्षेत्रों की लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है, जबकि उनके छोटे भाई राणा रंजीत सिंह पहली बार ढाका विधान सभा से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के टिकट पर चुनाव लड़ रहे है।  

पहली बार बीजेपी को हराने वाले पिता की राह पर, नगरोटा में देवयानी कमल करेंगी मुकाबला

जम्मू- कश्मीर बिहार में विधानसभा चुनाव के शोर के बीच कई राज्यों की कुछ सीटों पर उपचुनाव कराए जा रहे हैं, इसमें जम्मू- कश्मीर की 2 सीटें शामिल हैं. बडगाम के अलावा नगरोटा सीट पर सभी की नजर है. नगरोटा विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा था और विधायक देवेंद्र सिंह राणा के निधन के बाद यहां पर उपचुनाव कराए जा रहे हैं. पार्टी ने देवेंद्र सिंह की बेटी देवयानी राणा को टिकट दिया है. जबकि शिया मुस्लिम नेता आगा सैयद मोहसिन को बडगाम सीट से उतारा गया. देवेंद्र सिंह राणा केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के छोटे भाई थे और उनका पिछले साल अक्टूबर में निधन हो गया था. तब से यह सीट खाली थी. देवेंद्र सिंह साल 2014 में जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर चुनाव जीतने में कामयाब रहे. तब उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी और 2 बार के विधायक नंद किशोर को हराया था. बाद में वह बीजेपी में शामिल हो गए. धारा 370 के समर्थन में छोड़ दी थी पार्टी दो बार विधायक रहे देवेंद्र सिंह पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) में थे. उन्हें जम्मू में एनसी का बड़ा चेहरा माना जाता था. जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के विरोध में, गुप्कर घोषणापत्र गठबंधन (PAGD) के तहत कश्मीरी पार्टियों- जिनमें उनकी अपनी एनसी भी शामिल थी- के एकजुट होने के बाद, उन्होंने साल 2021 में कॉन्फ्रेंस से इस्तीफा दे दिया था. बाद में वह बीजेपी में शामिल हो गए. जम्मू-कश्मीर में पिछले साल विधानसभा चुनाव कराया गया तो बीजेपी ने नगरोटा सीट से देवेंद्र सिंह राणा को टिकट दिया. इस बार उन्होंने जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रत्याशी जोगिंदर सिंह को 30,472 मतों के अंतर से हराया था. हालांकि चुनाव जीतने के कुछ समय ही लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया. ऐसे में अब इस सीट से उनकी बेटी देवयानी राणा को पार्टी ने उतारा है. अमेरिका से पढ़ाई, पिता का बिजेनस पिछले साल अक्टूबर में अपने पिता के निधन के बाद सक्रिय राजनीति में आईं देवयानी राणा को इस साल जनवरी में भारतीय जनता युवा मोर्चा का जम्मू-कश्मीर उपाध्यक्ष बना दिया गया. वह एक व्यवसायी भी हैं और काफी समय से पिता के साथ बिजनेस देखती थीं. प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की भतीजी, देवयानी राणा ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में बैचलर की डिग्री हासिल की है. देवयानी 3 भाई-बहनों (2 बहनों और एक भाई) में सबसे बड़ी हैं और व्यवसायी भी हैं. वह अपने पिता के निधन से पहले भी उनके बिजनेस का मैनेजमेंट देखा करती थीं. इस दौरान वह नगरोटा निर्वाचन क्षेत्र का नियमित दौरा भी करती रही हैं. अपने क्षेत्र में लगातार सक्रियता की वजह से पहले से ही उन्हें इस सीट का संभावित उत्तराधिकारी माना जा रहा था.  

2021 जैसी गलती नहीं दोहराएगी BJP, ममता बनर्जी के लिए तैयार है नया चुनावी हथियार

कोलकाता  अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल चुनाव में बीजेपी ने नई रणनीति के साथ उतरने की तैयारी की है. बीजेपी की रणनीति में बदलाव की वजह पिछले विधानसभा चुनाव से मिले सबक और सीख है.2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपनी रणनीति मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इर्द-गिर्द ही तैयार की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी नेताओं ने चुनाव प्रचार में सीएम ममता बनर्जी पर व्यक्तिगत हमले किए जो कि बंगाल के लोगों को पसंद नहीं आए. खासकर एक महिला सीएम के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणी को वोटरों ने पसंद नहीं किया, जिसका खामियाजा बीजेपी को चुनाव में उठाना पड़ा. साथ ही ममता बनर्जी पर बीजेपी नेताओं के व्यक्तित्व हमले का फायदा ममता बनर्जी और टीएमसी को ही हुआ. अब पार्टी ने रणनीति में बदलाव करते हुए तय किया है कि ममता बनर्जी पर व्यक्तिगत हमले नहीं किए जाएंगे पर सरकार की मुखिया के नाते सत्ताधारी पार्टी और नेताओं-मंत्रियों के भ्रष्टाचार और कानून-व्यवस्था की नाकामी को मुख्य मुद्दा बनाया जाएगा और इस पर ममता बनर्जी को निशाने पर रखते हुए जवाब मांगा जाएगा. कानून-व्यवस्था को बनाया जाएगा मुद्दा बीजेपी टीएमसी के उन मंत्रियों और नेताओं के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर जल्द अभियान शुरू करेगी, जिन पर करप्शन के आरोप हैं और जो जेल जा चुके हैं या जेल में हैं. बीजेपी अपने चुनावी अभियान का एक प्रमुख मुद्दा राज्य में कानून-व्यवस्था को बनाना चाहती है. हाल ही में सामने आए बलात्कार के मामले और आरजी कर अस्पताल की घटना को महिला सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के तौर पर उठाया जाएगा. पार्टी ने ये भी तय किया है कि वो पूरा फोकस स्थानीय मुद्दों पर ही रखेगी. पार्टी इस बार चुनावों में दूसरे दलों से नेताओं को शामिल करने पर ज्यादा जोर नहीं देगी बल्कि उन वरिष्ठ और वफादार कार्यकर्ताओं और नेताओं से दोबारा संपर्क साधा जाएगा, जिन्होंने उतार-चढ़ाव के दौर में भी बीजेपी का साथ नहीं छोड़ा. ऐसे ही लोगों को टिकटों में भी प्राथमिकता दी जाएगी. लोगों को बताएगी डबल इंजन सरकार के फायदे बीजेपी अपने जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं से मिले इनपुट के आधार पर चुनाव प्रचार के मुद्दे और टिकट वितरण तय करेगी. राज्य के सभी बूथों पर सक्रियता जल्द शुरू की जाएगी. चुनावी अभियान में राज्य की संस्कृति और परंपराओं को भी प्रमुखता दी जाएगी. डबल इंजन सरकार के फायदे को खासतौर पर महिलाओं और युवाओं को आकर्षित करने के लिए प्रमुखता से पेश किया जाएगा. इसके अलावा राज्य की अल्पसंख्यक बहुल सीटों के लिए अलग से रणनीति बनाई जाएगी. दरअसल पार्टी की रणनीति है कि राज्य की 83 मुस्लिम बहुल सीटों में उलझने और ज्यादा ताकत लगाने की बजाय टीएमसी और राज्य सरकार के खिलाफ माहौल बनाया जाए. इसकी शुरुआत बीजेपी जल्द ही बिहार चुनाव के बाद टीएमसी नेताओं के मजबूत गढ़ों से की जाएगी. बीजेपी का खास फोकस कोलकात्ता और दक्षिण 24 परगना पर रहेगा, जहां से टीएमसी के कई शीर्ष नेता आते हैं.  

कल होंगे नए गुजरात मंत्रियों के शपथ ग्रहण: CM पटेल के नेतृत्व में होगी नई टीम का गठन

अहमदाबाद  गुजरात की सियासत से इस वक्त की बड़ी खबर आ रही है. मौजूदा सरकार के सभी मंत्रियों ने मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा सौप दिया है. इससे अब नए मंत्रिमंडल का मार्ग प्रशस्त होगा. कल गुजरात में नए मंत्रिमंडल का शपथग्रहण समारोह होगा. मुख्यमंत्री देर रात राज्यपाल को हटाए जाने वाले मंत्रियों के इस्तीफे सौंपेंगे. नए मंत्रियों के नामों की एक सूची भी सौंपी जाएगी. अधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाले मंत्रिपरिषद का शुक्रवार को विस्तार होगा.भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने पहले ही बताया था कि आगामी कैबिनेट विस्तार में राज्य को करीब 10 नए मंत्री मिल सकते हैं. इतना ही नहीं करीब आधे मौजूदा मंत्रियों को बदला जा सकता है. गुजरात कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत 17 मंत्री इस बड़े सियासी फेरबदल को लेकर जारी बयान में कहा गया है कि गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल के मंत्रिपरिषद का विस्तार शुक्रवार सुबह साढ़े 11 बजे होगा. मौजूदा गुजरात कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत 17 मंत्री हैं. 8 कैबिनेट मंत्री हैं. इतने ही राज्य मंत्री हैं.कुल 182 सदस्यों वाली विधानसभा में सदन की कुल संख्या का 15 प्रतिशत या 27 मंत्री हो सकते हैं. अब आगे क्या-क्या होगा? मौजूदा मंत्रियों से इस्तीफा लेने के बाद अब मंत्री पद की शपथ लेने वाले विधायकों को देर रात जानकारी दी जाएगी. कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए 3 से 4 विधायकों को जगह मिल सकती है. ज्यादातर नए मंत्री मूल रूप से बीजेपी से होंगे. समाज के सभी वर्गों को ध्यान में रखते हुए जातिगत समीकरण का पूरा ध्यान रखा जाएगा. कुल मिलाकर नए मंत्रिमंडल में युवा और अनुभवी चेहरों का सियासी संगम देखने को मिलेगा. नए मंत्रिमंडल में इन्हें मिल सकती है जगह जानकारी के मुताबिक, इस बार कैबिनेट में रिवाबा जडेजा, अर्जुन मोडवाडिया, जीतू वाघानी, हर्ष सांघवी को जगह मिल सकती है. 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार गुजरात के मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जा रहा है. सीएम पटेल के नेतृत्व में ये फेरबदल आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति के मद्देनजर हो रहा है. अब सरकार फेरबदल करके 2027 के चुनाव में अपनी जीत को लेकर सभी समीकरणों को साधने का प्रयास कर रही है.  

भाजपा विधायक का अजीबो-गरीब जवाब! बोले— चश्मे का नंबर बढ़ा लो, सब दिखेगा!

पिथौरागढ़ उत्तराखंड में पिथौरागढ़ से डीडीहाट के भाजपा विधायक का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। विशन सिंह चुफाल एक व्यक्ति के साथ तीखी बहस कर रहे हैं। इस वीडियो में विधायक और व्यक्ति के बीच किसी बात को लेकर तकरार होती दिखाई दे रही है। विधायक के साथ केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा भी मौजूद थे, लेकिन वो चुपचाप इस बहस को सुनते रहे। युवक ने विकास को लेकर सवाल किया तो विधायक ने तैश में आकर कहा- तुम डराते हो, चश्मे का नंबर बढ़ा लो तो काम दिखेंगे। केंद्रीय राज्यमंत्री टम्टा भी वीडियो में नजर आ रहे हैं और उनके सामने ही बहस हो रही है। यह वीडियो मंगलवार को डीडीहाट का बताया जा रहा है। वीडियो में योगेश कन्याल खेल मैदान के विस्तारीकरण और स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग को लेकर केंद्रीय राज्यमंत्री टम्टा को ज्ञापन देने पहुंचते हैं। जमकर हुई कहासुनी इस दरमियान विधायक और कन्याल के बीच कहासुनी होती है। वीडियो में कन्याल कहते हैं लंबे समय से खेल मैदान का मामला लंबित पड़ा है। वे इस मामले का ठीकरा विधायक पर फोड़ते हैं। कन्याल की ओर से डराने की बात कहे जाने पर सामने से विधायक विशन सिंह चुफाल वीडियो में यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि तुम डराते हो फेसबुक में। जब संबंधित ने विधायक से उनके कार्यकाल की उपलब्धियां पूछी तो विधायक विशन सिंह चुफाल ने स्कूल, अस्पताल, सड़क निर्माण समेत तमाम कामों का जिक्र करते हुए बहस कर रहे व्यक्ति को चश्मे का नंबर बढ़ाने को कहा जा रहा हैं। कन्याल ने कहा कि वह आज भी अपने गांव पैदल जाते हैं। बढ़ते विवाद को देख वहां मौजूद भाजपा नेता लोकेश भड़ मामले को शांत कराने की कोशिश करते दिख रहे हैं। फिलहाल यह वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है। लोग भी वीडियो को देखकर तरह-तरह कमेंट कर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे है। हालांकि आपका अपना अखबार हिन्दुस्तान उक्त वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।

छपरा में होगा सियासी मुकाबला, खेसारी की पत्नी RJD से, BJP की छोटी कुमारी से टक्कर

पटना  बिहार विधानसभा चुनाव में भोजपुरी बेल्ट छपरा विधानसभा सीट पर दिलचस्प फाइट होने वाली है. इस सीट पर आरजेडी ने भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में झंडा गाड़ चुके एक्टर सिंगर खेसारी लाल यादव की पत्नी चंदा देवी को टिकट दिया है. खेसारी लाल यादव ने कुछ ही दिन पहले तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी. वहीं बीजेपी ने इस सीट पर छोटी कुमारी को टिकट दिया है. छोटी कुमारी स्थानीय नेता हैं.  बीजेपी उम्मीदवार छोटी कुमारी बिहार के सारण जिले में छपरा विधानसभा क्षेत्र की जिला परिषद अध्यक्ष हैं. बीजेपी ने छोटी कुमारी को ये टिकट वर्तमान विधायक सीएन गुप्ता का टिकट काट कर दिया है. इस तरह से इस सीट पर स्टार पावर से लैस चंदा देवी और जमीनी कार्यकर्ता छोटी कुमारी के बीच मुकाबला है.  खेसारी लाल यादव छपरा के ही रहने वाले हैं. इस लिहाज से इस बार उनकी सिनेमाई लोकप्रियता का सियासी टेस्ट होगा. खेसारी लाल यादव ने कहा था कि वे बिहार के लिए कुछ करना चाहते हैं, उन्होंने कहा कि वह अपनी पत्नी को चुनाव लड़ने के लिए मनाना चाह रहे थे तो उन्हें मुश्किल हो रही थी, क्योंकि उनकी पत्नी पारिवारिक महिला है और दो बच्चों की मां हैं. उन्होंने अपने बच्चे की परवरिश में थोड़ी सी भी कमी नहीं की है. इसलिए उन्हें लगता है अगर वे राजनीति में आएंगी तो उन्हें वक्त की दिक्कत हो सकती है. खेसारी ने कहा कि वे चार दिनों से पत्नी को मनाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन अब उनकी पत्नी चुनाव लड़ने को राजी हो गई हैं. आखिरकार आरजेडी ने चंदा देवी को टिकट दे दिया है. खेसारी मुंबई में रहकर एक्टिंग और सिंगिग पर ध्यान देते हैं. उनकी पत्नी भी वहीं रहती हैं.  वहीं बीजेपी ने चंदा देवी के टक्कर में छोटी कुमारी को मैदान में उतारा है. इसके लिए पार्टी ने मौजूदा विधायक सी.एन. गुप्ता का टिकट काट दिया है.  माना जा रहा है कि यह कदम क्षेत्र में एंटी-इनकंबेंसी के कारण उठाया गया माना जा रहा है. छोटी कुमारी एक महिला उम्मीदवार के रूप में पार्टी की रणनीति का हिस्सा हैं, जो स्थानीय स्तर पर सक्रिय राजनीतिक कार्यकर्ता रही हैं.  छपरा सीट की कहानी छपरा विधानसभा सीट पर बीजेपी की परंपरागत सीट रही है. सी एन गुप्ता दो कार्यकाल से इस सीट से जीत रहे हैं. छपरा सीट पर यादव, राजपूत, ब्राह्मण, बनिया और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या निर्णायक रही है.  सीएन गुप्ता को 2020 के विधान चुनाव में 75,710 वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर रहने वाले रणधीर सिंह को 68, 939 वोट मिले थे. यानी कि सीएन गुप्ता की जीत का मार्जिन ज्यादा नहीं था.  2015 के चुनाव में सीएन गुप्ता को 71,646 वोट मिले थे. इस चुनाव में आरजेडी के रणधीर सिंह को 60,267 वोट मिले थे.  इस बार रणधीर सिंह आरजेडी जोड़ जेडीयू में शामिल हो चुके हैं और वे बगल की सीट मांझी से जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. इस लिहाज से यहां की पूरी टक्कर दिलचस्प हो चुकी है. 

नीतीश से उपेंद्र तक, सबको साधने की रणनीति, पटना में अमित शाह संभालेंगे कमान

नई दिल्ली बिहार विधानसभा चुनाव में दो गठबंधन आमने-सामने हैं और दोनों की ही अपनी समस्याएं हैं। एनडीए ने सीट बंटवारा तो कर लिया है, लेकिन उससे उपजी नाराजगी को थामने की चुनौती है। वहीं महागठबंधन में अब तक सीट बंटवारा ही अंतिम रूप नहीं ले सका और फिर कैंडिडेट्स को लेकर खींचतान तो बाकी ही है। इस बीच एनडीए क्राइसिस मैनेजमेंट में भी बढ़त लेने की कोशिश में है। होम मिनिस्टर अमित शाह खुद बिहार पर फोकस बढ़ा रहे हैं और अगले कुछ दिनों तक वह पटना में ही कैंप करेंगे। अलग-अलग दिनों में वह विधानसभा चुनाव होने तक पटना में समय देंगे। इसके तहत उनका पहला दौरा गुरुवार से ही शुरू हो रहा है। वह 16 से 18 अक्तूबर तक पटना में कैंप करेंगे। इस दौरान वह जेडीयू, जीतन राम मांझी, चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा के खेमे से डील करेंगे। दरअसल चर्चाएं हैं कि गठबंधन के साथियों में कुछ मतभेद हैं। नीतीश कुमार की नाराजगी की चर्चाएं हैं तो वहीं उपेंद्र कुशवाहा तो शेरो शायरी से बहुत कुछ कह ही रहे हैं। ऐसे में अमित शाह का पटना में कैंप करना मायने रखता है। वह अपने प्रवास के दौरान संगठन की बैठकों में रहेंगे। सहयोगी दलों के नेताओं से मिलेंगे और कुछ रैलियों को भी संबोधित करेंगे। कुछ प्रत्याशियों के नामांकन में भी रहेंगे होम मिनिस्टर अमित शाह अमित शाह का शेड्यूल अब तक फाइनल नहीं है, लेकिन खबर है कि कुछ प्रत्याशियों के नामांकन में भी वह शामिल हो सकते हैं। इसके बाद वह दीवाली ब्रेक पर लौटेंगे और 22 अक्तूबर से अगले 4 दिनों के लिए फिर से पटना में कैंप करेंगे। 25 अक्तूबर को उनका फिर से दिल्ली लौटने का प्लान है और उसके बाद 28 को छठ महापर्व के समापन के बाद बिहार वापसी करेंगे। भाजपा के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, सह-प्रभारी सीआर पाटिल और यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी बिहार में ही रहेंगे। चर्चाएं हैं कि अमित शाह खुद हर चीज की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। प्रचार की कमान वह खुद अपने हाथ में ले चुके हैं और दूसरे राज्यों के नेताओं को भी जिम्मेदारी मिली है। कई राज्यों के सीएम और डिप्टी सीएम उतारेगी भाजपा भाजपा की प्रचार शैली अन्य दलों के मुकाबले काफी आक्रामक रहती है। इसी के तहत कई राज्यों के मुख्यमंत्री, डिप्टी सीएम, मंत्री समेत तमाम नेता बिहार पहुंचेंगे। फिलहाल पार्टी का पूरा फोकस इस बात पर है कि गठबंधन में एक राय रहे और सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे। जनता के बीच किसी भी तरह से ऐसा संदेश ना जाए कि गठबंधन में ऑल इज वेल नहीं है।