हरियाणा देश की मोदी सरकार ने जी.एस.टी दरों में कमी करके जहां देश के विभिन्न वर्गों को राहत देते हुए विपक्ष को मुद्दाविहीन कर दिया है तो वहीं महंगाई को कम करने की दशा में एक बड़ी पहल की है । अहम बात ये है कि भारत पर टैरिफ लगाने को लेकर पिछले कुछ दिनों से जितना अमेरिका मुखर था, उतनी ही मुखरता से भारत के अंदर विपक्षी दल भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश में लगे थे। विपक्षी नेताओं ने अमेरिकी टैरिफ के गुब्बारे में महंगाई और बेरोज़गारी की नकारात्मक हवा भर इसे और बड़ा बनाने की कोशिश की, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने नए जी.एस.टी रिफार्म्स से न केवल अमेरिकी टैरिफ के गुब्बारे को फोड़ा, बल्कि विपक्ष द्वारा बनाए जा रहे मंहगाई और बेरोज़गारी बढ़ने के नैरेटिव को भी धराशाई कर दिया। सच तो यह है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने आज़ादी के बाद का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार देखा है। जी.एस.टी और अब नेक्स्ट जेन जी.एस.टी सुधारों ने आम उपभोक्ताओं को राहत, व्यापारियों को सरलता और देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई दी है। यह सुधार व्यवस्था में सरलीकरण लाएगा जो व्यापार करने के माहौल को बेहतर और अधिक प्रभावी बनाएगा। हालांकि विपक्ष (खासकर कांग्रेस) मोदी सरकार के इस एतिहासिक नए जीएसटी रिफार्म्स को पचा नहीं पा रहा है और बिहार चुनाव को इससे जोड़कर दिखाना चाह रहा है। इसी चाह में कांग्रेस बीड़ी और बिहार की तुलना भी कर चुकी है। ये बात और है कि जब कांग्रेस का यह दांव उलटा पड़ गया तो केरल कांग्रेस ने ट्वीट कर इस पर माफ़ी भी मांगी है। खैर ये कांग्रेस और विपक्षी दलों की मानसिकता बन गई है। विपक्षी नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में इतने अंधे हो चुके हैं कि अब उन्हें पता ही नहीं चलता कि मोदी सरकार का विरोध करते-करते कब देश का विरोध करने लग जाते हैं। ट्रंप के सुर में सुर मिलाते हुए राहुल गांधी का भारत को डेड अर्थव्यवस्था कहना इसका ताजा उदाहरण है। अमेरिकी टैरिफ लागू होने के दौरान भी भारत की बढ़ती जी.डी.पी भारत को डेड इकोनोमी कहने वालों के मुंह पर तमाचा है। इसी तरह नए जीएसटी रिफार्म्स जहां आम जनता को राहत और बचत देते दिख रहे हैं, वहीं विपक्षी पार्टियों को इसके बाद वोटों में चपत लगती दिख रही है। जीएसटी में नेक्स्ट जेन रिफॉर्म्स का तोहफा 22 सितंबर, नवरात्रि के पहले दिन से मिलने जा रहा है। जीएसटी में यह सुधार माँग बढ़ाएगा, निवेश लाएगा और करोड़ों युवाओं को रोज़गार देगा। मोदी सरकार के इस दावे पर देश विश्वास करता दिख रहा है कि उद्योग जगत जीएसटी दरों में कमी का पूरा लाभ उपभोक्ताओं तक पहुँचाएंगा। हरियाणा भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रभारी अरविंद सैनी ने कहा कि कांग्रेस सरकारों ने केवल वादे किए, लेकिन सुधार कभी लागू नहीं कर पाई। प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यों को भरोसा दिया, घाटा होने पर क्षतिपूर्ति की गारंटी दी और एक राष्ट्र-एक कर का सपना साकार किया। दैनिक रोज़मर्रा की कई वस्तुओं, जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा, मेडिकल उपकरणों और जीवनरक्षक दवाओं पर जीएसटी शून्य कर दिया गया है। कपड़े, जूते, दवाइयाँ, फ्रिज-टीवी, कृषि उपकरण, घर निर्माण की सामग्री तक सब सस्ते हुए हैं। इस बदलाव से हमारे देश के युवा-युवतियों, महिलाओं, किसानों, कृषि उत्पादन, एमएसएमई क्षेत्र, उपभोक्ताओं, दुकानदारों और उद्योग चलाने वाले उद्यमियों सहित हर वर्ग को बड़ा लाभ मिलेगा। 2014 से पहले कांग्रेस की सरकारों के दौरान उपभोक्ताओं और व्यापारियों पर जितना बोझ था, चाहे वह टैक्स का हो या कागजी झंझटों का, वह 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद लगातार कम होता गया। आज भारत की अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत स्थिति में है कि बैंक के ब्याज दरों में कमी आई है, महंगाई दर में भारी गिरावट आई है और विकास दर ऐतिहासिक ऊँचाइयों पर पहुँची है। जब पूरी दुनिया आर्थिक सुस्ती से जूझ रही है, तब भारत 7.8% की दर से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी। जीएसटी सुधारों का यह निर्णय देश को 2047 तक विकसित भारत के संकल्प की ओर ले जाता दिख रहा है। वैसे इन परिस्थितियों में नए जीएसटी रिफार्म्स कर पाना आसान नहीं था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने घाटा होने पर राज्यों को क्षतिपूर्ति की गारंटी दी और एक राष्ट्र-एक कर का सपना साकार किया। रोज़मर्रा की वस्तुएँ, कपड़े, जूते, दवाइयाँ, बीमा, टू-व्हीलर से लेकर फ्रिज-टीवी तक सब सस्ते हुए हैं। मेडिकल उपकरणों और जीवनरक्षक दवाओं पर टैक्स शून्य कर दिया गया है। यह सुधार माँग बढ़ाएगा, निवेश लाएगा और करोड़ों युवाओं को रोज़गार देगा। आजादी के बाद पहली बार देश के टैक्स ढांचे में इतना बड़ा परिवर्तन किया गया है। व्यवस्था में सरलीकरण आएगा, जो व्यापार करने के माहौल को बेहतर और अधिक प्रभावी बनाएगा। 15 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री ने देश से वादा किया था कि अब भारत रुकेगा नहीं, झुकेगा नहीं, बल्कि आगे बढ़कर बड़े कदम उठाएगा। जो क्षमता देश में अब दिखाई दे रही है, वो क्षमता 2014 से पहले नहीं थी। उस समय देश की अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर हालत में थी। कांग्रेस के 10 वर्षों के शासन में भ्रष्टाचार तो खूब हुआ, लेकिन कोई ठोस और परिवर्तनकारी सुधार नहीं किए गए। श्रद्धेय अटल जी ने एक राष्ट्र-एक कर की परिकल्पना की थी। उस समय देश में लगभग 30-35 तरह के टैक्स, ड्यूटी और लेवीस लागू थे। अटल जी चाहते थे कि इन सबको समेटकर एक टैक्स बने, लेकिन 2004 में वे दोबारा चुनकर नहीं आए और इसके बाद यूपीए सरकार सिर्फ वादे करती रही। कांग्रेस के वित्त मंत्री बार-बार घोषणा करते रहे कि वे एक टैक्स लाएंगे, लेकिन राज्य सरकारें उन पर विश्वास नहीं करती थीं। तब राज्यों को भरोसा नहीं था कि अगर इस सुधार से उनका राजस्व घटा या घाटा हुआ, तो केंद्र उनकी मदद करेगा। लेकिन मोदी जी ने प्रधानमंत्री के रूप में राज्यों को विश्वास दिलाया कि जीएसटी लागू होने के बाद यदि किसी राज्य के राजस्व में कमी आती है या उसकी वृद्धि दर 14% से कम रहती है, तो केंद्र सरकार उसे कंपनसेशन के माध्यम से पूरा करेगी, वह भी पूरे 5 साल तक। यही विश्वास और यह गारंटी इस ऐतिहासिक सुधार को सफल बनाने में निर्णायक … Read more