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मिशन बिहार: पीएम मोदी और अमित शाह एक साथ 24 अक्टूबर को मैदान में, अलग-अलग जिलों से भरेंगे हुंकार

पटना बिहार चुनाव को लेकर एनडीए ने चुनावी अभियान का बिगुल फूंक दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 अक्टूबर को समस्तीपुर और बेगूसराय में चुनावी रैली करेंगे, तो वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी उसी दिन सीवान और बक्सर में चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे। 5 दिनों के अंतराल में एक बार फिर शाह बिहार के दौरे पर आ रहे हैं। अमित शाह की 24 अक्तूबर को बिहार में दो सभाएं होंगी। इससे पहले उन्होने छपरा के तरैया में चुनावी रैली की थी। इसी महीने 16 से 18 अक्टूबर तक शाह बिहार दौरे पर रहे थे। वहीं बिहार चुनाव के ऐलान के बाद पहली बार पीएम मोदी 24 अक्टूबर से मिशन बिहार पर आएंगे। जिसकी शुरुआत कर्पूरी ठाकुर की धरती से करेंगे। 24 अक्टूबर को समस्तीपुर और बेगूसराय में चुनावी रैली में लोगों को संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 30 अक्टूबर को दूसरा बिहार दौरा प्रस्तावित है। इस दिन पीएम मुजफ्फरपुर और छपरा में जनसभा को संबोधित करेंगे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा, "प्रधानमंत्री का प्रस्तावित बिहार दौरा 24 अक्टूबर को है। बिहार में वह दो जगहों पर जनसभाओं को संबोधित करेंगे। उनका चुनाव अभियान 24 अक्टूबर को समस्तीपुर से शुरू होगा। वहां से वह बेगूसराय जाएंगे और वहां एक जनसभा को संबोधित करेंगे। उनका दूसरा प्रस्तावित दौरा 29 अक्टूबर को है, जिसकी सूचना बाद में दी जाएगी। उन्होंने कहा कि चूंकि सुरक्षा का मामला है, इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए कि छठ मनाने वाले आम लोगों को कोई परेशानी न हो, उनका छठ पर ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं है। वह आना चाहते थे, लेकिन छठ मनाने वाले आम लोगों को असुविधा होती। इसलिए ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं है। लेकिन 24 अक्टूबर को बिहार में चुनावी समर अपने चरम पर होगा। जब पीएम मोदी और अमित शाह एक साथ, एक दिन बिहार के अलग-अलग जिलों में चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे। वहीं कल (23 अक्टूबर) को पटना में महागठबंधन की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस है। जिसके बाद गठबंधन के सहयोगी दल चुनार प्रचार करेंगे। पीएम मोदी की रैली का ऐलान चुनावी अभियान की शुरुआत समस्तीपुर से होगी, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर्पूरी ग्राम जाकर समाजवादी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के घर पहुंचेंगे। वहां वह कर्पूरी ठाकुर को श्रद्धांजलि देंगे। इसी कार्यक्रम से प्रधानमंत्री अपने बिहार दौरे और चुनावी रैलियों की औपचारिक शुरुआत करेंगे। पीएम मोदी की बिहार चुनाव के लिए रैली प्रधानमंत्री के दौरे का यह आगाज बेहद प्रतीकात्मक माना जा रहा है, क्योंकि कर्पूरी ठाकुर को बिहार की राजनीति का बड़ा चेहरा और सामाजिक न्याय का प्रतीक माना जाता है। कर्पूरी ग्राम से शुरुआत करके पीएम मोदी एक बार फिर 'सबका साथ, सबका विकास' के संदेश के साथ बिहार में एनडीए की ताकत को और मजबूत करने की कोशिश करेंगे। जानिए पीएम मोदी की रैली का शेड्यूल जानकारी के मुताबिक, 24 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समस्तीपुर और बेगूसराय में दो बड़ी चुनावी सभाएं करेंगे। इसके बाद उनका अगला चरण 30 अक्टूबर को तय है, जब वह मुजफ्फरपुर और छपरा में रैलियां संबोधित करेंगे। सूत्रों के अनुसार, 2 नवंबर, 3 नवंबर, 6 नवंबर और 7 नवंबर को भी प्रधानमंत्री बिहार के अलग-अलग जिलों में जनसभाएं करेंगे। इन रैलियों के कार्यक्रम को लेकर सुरक्षा और प्रशासनिक तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। मोदी के रथ पर सवार बिहार बीजेपी भाजपा नेताओं का कहना है कि पीएम मोदी की रैलियों से बिहार में एनडीए के चुनावी अभियान को नई ऊर्जा मिलेगी। वहीं राजनीतिक जानकारों का मानना है कि समस्तीपुर से शुरुआत करना एक रणनीतिक कदम है, क्योंकि यह क्षेत्र न सिर्फ समाजवादी राजनीति की धरती रहा है, बल्कि उत्तर बिहार की राजनीति में इसका विशेष प्रभाव है। बिहार में पहले चरण की वोटिंग 6 नवंबर को होनी है और दूसरे चरण के लिए 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी और इसके साथ ही चुनाव के नतीजे सामने आ जाएंगे।  

बंगाल फतह की तैयारी में BJP, छह महीने पहले ही RSS के साथ शुरू हुआ मिशन

कोलकत्ता  बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के बड़े मिशन के लिए छह महीने पहले से ही अपनी तैयारी अपनी चुनावी जमीनी तैयारियों पर अमल शुरू कर दिया है। राज्य में सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों और सभी हिस्सो में अपनी पहुंच को मजबूत करने के लिसए पार्टी ने तीन स्तरीय रणनीति पर काम करना शुरू किया है। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भी उसकी मदद कर रहा है। इस रणनीति में आरएसएस के कार्यकर्ता ओपीनियन लीडर और बीजेपी के बूथ कार्यकर्ता बिना कीसी शोर शराबे के लोगों को बदलाव के लिए तैयार कर रहे हैं। बता दें कि हाल के वर्षो में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में तेजी से अपना प्रभाव बढ़ाया है। तीन दशकों तक राज करने वाले वामपंथी दलों और उनके पहले सत्ता में रही कांग्रेस को बीजेपी ने सत्ता की लड़ाई से ही बाहर कर दिया है। अब लड़ाई में सत्तारूढ़ टीएमसी और ममता बनर्जी ही बची हैं। पिछले चुनाव में तीन से 77 तक पहुंची थी बीजेपी पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपनी सीटें तीन से बढ़ाकर 77 तक पहुंचा दी थीं। कांग्रेस और वामपंथी दलों का तो खाता भी नहीं खुल पाया था। तब बीजेपी ने बदलाव का एक माहौल तैयार कर दिया था। ममता बनर्जी ने सीधी लड़ाई में भारी जीत दर्ज की थी। हालांकि बीजेपी को अपनी जमीन मजबूत करने का मौका मिल गया था। कैसे गांव-गांव तक पहुंच रही बीजेपी बीजेपी ने पहले खुद को नीचे के स्तर पर मजबूत करना शुरू किया। संगठन में कुशल रणनीतिकार माने जाने वाले सुनील बंसल को बड़ी जिम्मेदारी दी गई। बीजेपी ने जमीनी स्तर पर जन-जन तक पहुंच बनाने के लिए ओपीनियन लीडर्स तैयार किए। पार्टी के एक बड़े नेता का कहना है कि लोगों में घुसपैठ को लेकर काफी नाराजगी है। इसके अलावा टीएमसी के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी बढ़ रही है। बीजेपी को अब लोगों को बदलाव का भरोसा दिलाना है। इसके लिए कार्यकर्ताओं से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक प्रयासरत है।

मोरपाल सुमन बीजेपी का चेहरा, पर अंता उपचुनाव की असली कमान वसुंधरा राजे के हाथ में

जयपुर/बारां राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी भले ही मोरपाल सुमन है लेकिन असल में अब यह चुनाव वसुंधरा राजे का है। इस उपचुनाव के नतीजे राजस्थान की राजनीति में राजे की वापसी की राह तय करेंगे। उपचुनाव भले ही छोटा है लेकिन इसके नतीजे बहुत दूर तक असर करेंगे। बीजेपी ने शुक्रवार को बारां पंचायत समिति के प्रधान मौरपाल सुमन को उम्मीदवार घोषित कर दिया। इसके बाद देर शाम स्टार प्रचारकों की सूची भी जारी कर दी, जिसमें जिसमें मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़, राधामोहन दास अग्रवाल, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के  अलावा केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव, अर्जुनराम मेघवाल, भागीरथ चौधरी, उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा और उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी का नाम शामिल हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि सुमन का टिकट राजे के कहने पर फाइनल किया गया है ऐसे में अब यह चुनाव वसुंधरा राजे की प्रतिष्ठा से जुड़ गया है। वसुंधरा राजे टिकट ऐलान के साथ फील्ड में पूरी तरह सक्रिय भी हो गई हैं। हालांकि मुकाबला त्रिकोणीय है। कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया 5 बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं और 3 में उन्हें जीत मिली है। नरेश मीणा भी निर्दलीय के तौर पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। वहीं  सुमन का यह पहला विधानसभा चुनाव है। हालांकि सुमन स्थानीय और लो प्रोफाइल नेता माने जाते हैं, लेकिन क्षेत्र के जातीय समीकरणों को देखते हुए भाजपा ने उन्हें एक सोची-समझी रणनीति के तहत मैदान में उतारा है। अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ रहे सुमन को झालावाड़ विधायक और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का 'सियासी आर्शिवाद' प्राप्त है। कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को प्रत्याशी बनाया है, जबकि नरेश मीना निर्दलीय रूप में चुनावी रण में उतरेंगे। ऐसे में अंता में त्रिकोणीय मुकाबला तय माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा टिकट की दौड़ में पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी भी शामिल थे। सैनी और सुमन  दौनों ही माली समुदाय से आते हैं। पार्टी रणनीतिकारों ने जातीय समीकरण और स्थानीय स्तर पर स्वीकार्यता को ध्यान में रखते हुए सुमन को तरजीह दी। बताया जा रहा है कि प्रभुलाल सैनी को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का समर्थन नहीं मिल पाया, और क्षेत्र में बाहरी छवि होने के कारण उनकी दावेदारी कमजोर हो गई। दूसरी ओर, सुमन वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं और स्थानीय स्तर पर मजबूत पकड़ रखते हैं। सुमन वर्तमान में बारां जिले के संयुक्त माली महासंघ के अध्यक्ष हैं। उनकी पत्नी तिसाया-लसड़िया पंचायत की सरपंच हैं, जिससे क्षेत्र में उनका सामाजिक जुड़ाव और प्रभाव और भी बढ़ जाता है। यह उपचुनाव भाजपा विधायक कंवरलाल मीना की सदस्यता रद्द होने के चलते हो रहा है। मीना को 20 साल पुराने एक मामले में SDM को पिस्तौल दिखाने का दोषी ठहराया गया था, जिसके बाद मई में उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई। निर्वाचन आयोग के नियमों के अनुसार, सीट खाली होने के छह माह के भीतर उपचुनाव कराया जाना अनिवार्य है। 1 अक्टूबर को प्रकाशित अंतिम मतदाता सूची के अनुसार, अंता विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,27,563 मतदाता हैं—1,15,982 पुरुष, 1,10,241 महिलाएं और चार तीसरे लिंग से संबंधित मतदाता। पिछले ड्राफ्ट की तुलना में मतदाताओं की संख्या में 1,336 की बढ़ोतरी हुई है। राज्य में सरकार बनने के बाद से भाजपा ने अब तक सात उपचुनावों में से पांच पर जीत दर्ज की है, जबकि कांग्रेस केवल एक सीट जीत सकी है। भाजपा ने खींवसर, डोली-उनियारा, झुंझुनूं, रामगढ़ और सलूंबर सीटों पर कब्जा जमाया है, वहीं कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) को इन उपचुनावों में भारी नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि अंता का यह उपचुनाव विधानसभा में बहुमत को प्रभावित नहीं करेगा, लेकिन इसे सरकार के प्रदर्शन पर जनमत संग्रह के रूप में देखा जा रहा है। यदि भाजपा यह सीट जीतने में सफल होती है, तो मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की नीतियों को जनता का समर्थन माना जाएगा। वहीं, हार की स्थिति में विपक्ष को सरकार पर हमला करने का बड़ा मुद्दा मिल सकता है। निर्वाचन कार्यक्रम इस प्रकार है:     गजट अधिसूचना जारी: 13 अक्टूबर     नामांकन की आखिरी तारीख: 21 अक्टूबर     नामांकन पत्रों की जांच: 23 अक्टूबर     नाम वापसी की अंतिम तिथि: 27 अक्टूबर     मतदान की तिथि: 11 नवंबर     मतगणना: 14 नवंबर

संसद में जोरदार विवाद: निशिकांत दुबे ने राजीव गांधी को बताया स्वीडिश सैन्य कंपनी का एजेंट

नई दिल्ली भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर एक दस्तावेज साझा किया और दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी स्वीडिश सैन्य कंपनी के एजेंट थे। निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया कि 1970 में हथियारों की खरीद में राजीव गांधी भी दलाली में शामिल थे। निशिकांत दुबे का राजीव गांधी पर यह आरोप ऐसे समय सामने आया है, जब कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने निशिकांत दुबे पर हमला बोला है। सुप्रिया श्रीनेत ने निशिकांत दुबे की पत्नी की संपत्ति में आए जबरदस्त उछाल पर सवाल खड़े किए। गुरुवार को कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और उनकी उनके चुनावी हलफनामे के खिलाफ लोकपाल से हुई शिकायत का हवाला दिया। कांग्रेस के निशाने पर आए निशिकांत दुबे शिकायत में दावा किया गया है कि निशिकांत दुबे की पत्नी की संपत्ति साल 2009 में 50 लाख रुपये थी, जो साल 2024 में बढ़कर 32 करोड़ रुपये हो गई। हालांकि भाजपा सांसद की संपत्ति में कोई खास परिवर्तन नहीं आया है। कांग्रेस नेता के अनुसार, लोकपाल ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे को अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है। सुप्रिया श्रीनेत ने सवाल उठाया कि भाजपा सांसद की आय नहीं बढ़ी है, लेकिन उनकी कुल संपत्ति में इजाफा हुआ है। ऐसे में ये पैसा कहां से आया? चुनावी हलफनामे पर कांग्रेस ने उठाए सवाल निशिकांत दुबे के साल 2024 में दाखिल किए गए चुनावी हलफनामे के अनुसार, उनकी पत्नी के पास कुल 28.94 करोड़ रुपये की चल संपत्ति है। वहीं उनके पास 6.48 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति भी है। सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि भाजपा सांसद के हलफनामे में बताया गया है कि उन पर 1.2 करोड़ रुपये का कर्ज है, लेकिन कथित कर्जदाता अभिषेक झा का दावा है कि उसने दुबे की पत्नी को कोई कर्ज नहीं दिया। कांग्रेस ने इसे लेकर भाजपा सांसद से स्पष्टीकरण मांगा है। 

अंता उपचुनाव में मोरपाल सुमन होंगे बीजेपी के उम्मीदवार, कांग्रेस-रालोपा से कड़ी टक्कर तय

अंता  अंता विधानसभा उपचुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने लंबे मंथन के बाद मोरपाल सुमन को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। पार्टी ने स्थानीयता, सादगी और जातिगत संतुलन को ध्यान में रखते हुए मोरपाल सुमन के नाम पर मुहर लगाई है। सुमन की पहचान क्षेत्र में एक लो-प्रोफाइल लेकिन जमीन से जुड़े नेता के रूप में है। बताया जा रहा है कि उनके नाम पर पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं में सहमति बनने के बाद ही टिकट फाइनल किया गया। बीजेपी के निर्णय के बाद अब अंता सीट पर मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है। कांग्रेस ने यहां से पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता प्रमोद जैन भाया को प्रत्याशी बनाया है, जो पहले भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं। भाया क्षेत्र में अपने संगठनात्मक नेटवर्क और पुराने जनसंपर्क के लिए जाने जाते हैं। वहीं, नरेश मीणा ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरकर मुकाबले को और कठिन बना दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार अंता सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। बीजेपी मोरपाल सुमन के स्थानीय होने और संगठन की मजबूती पर भरोसा जता रही है, जबकि कांग्रेस प्रमोद जैन भाया के अनुभव और लोकप्रियता को अपनी ताकत मान रही है। दूसरी ओर, नरेश मीणा युवा और जातीय समीकरण के दम पर चुनावी माहौल को प्रभावित करने की कोशिश में हैं। आने वाले दिनों में प्रचार अभियान के तेज होने के साथ ही यह सीट प्रदेश की सबसे चर्चित उपचुनाव सीटों में से एक बनने की संभावना है।

भाजपा की स्टार प्रचारक लिस्ट में 40 चेहरे, जानें कौन हैं शामिल

पटना बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए और महागठबंधन दोनों आमने-सामने एक दूसरे को कांटे की टक्कर देने में लगे हुए हैं। इस बीच भाजपा ने अपने स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में 40 भाजपा के दिग्गज नेताओं के नाम शामिल हैं। पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह,  जे. पी. नड्डा समेत कई बड़े चेहरों के नाम इस लिस्ट में हैं। ये 40 नाम स्टार प्रचाकरों की लिस्ट में शामिल पीएम नरेंद्र मोदी, जे. पी. नड्डा, राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी, शिवराज सिंह चौहान, धर्मेन्द्र प्रधान, गिरिराज सिंह, योगी आदित्यनाथ, देवेंद्र फडणवीस, हिमंता बिस्वा सरमा, मोहन यादव, रेखा गुप्ता, स्मृति ईरानी, केशव प्रसाद मौर्य, सी. आर. पाटिल, डॉ. दिलीप कुमार जैसवाल, स्यामक चौधरी, विजय कुमार सिन्हा,रमेंद्र कुमार, डॉ. प्रेम कुमार,  नित्यानंद राय, राधामोहन सिंह, साध्वी निरंजन ज्योति, सतीश चंद्र दुबे, राजीव रंजन चौधरी, अश्विनी कुमार चौबे, रवि शंकर प्रसाद, नंद किशोर यादव, राजीव प्रताप रूडी, डॉ. संजय जायसवाल, विनोद तावड़े, शहनवाज़ हुसैन ब्रजकिशोर सिंह, गोपालजी ठाकुर, जनक राम, नवल किशोर यादव, मंगला यादव, रवि किशन और दिनेश लाल यादव निरहुआ का नाम शामिल है।

छत्तीसगढ़ के बाद अब MP में राजनीतिक हलचल, निगम-मंडल नियुक्तियों को लेकर मंत्री का ऐलान

ग्वालियर  छत्तीसगढ़ के बाद अब मध्य प्रदेश में भी निगम मंडल आयोग में नियुक्तियों की चर्चाएं तेज हो गई हैं। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने कहा कि “बहुत जल्द मध्य प्रदेश में भी निगम मंडल आयोग के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों की नियुक्तियां होंगी। हमारी पार्टी का संगठन इस पर जल्द निर्णय करेगा। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में निगम मंडल आयोग के अध्यक्षों को कैबिनेट और राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया। इसमें 13 को कैबिनेट मंत्री और 22 को राज्य मंत्री जैसी सुविधाएं मिली हैं। एमपी में लंबे समय से इन नियुक्तियों का इंतजार था और अब प्रदेश की राजनीति में इस खबर ने नया जोश और चर्चा का माहौल बना दिया है। 

गुजरात में BJP की पूरी कैबिनेट बदली, क्या है विधानसभा चुनाव के पीछे की वजह?

 अहमदाबाद  गुजरात में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने मंत्रिमंडल का विस्तार किया. शपथ ग्रहण समारोह कार्यक्रम गांधीनगर के महात्मा मंदिर में आयोजित हुआ. कुल 25 मंत्रियों ने शपथ लिया है. छह पुराने चेहरों को नए मंत्रीमंडल में मौका दिया गया है. यह बदलाव 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी के तहत किया गया, जिसमें क्षेत्रीय और जातीय संतुलन का विशेष ध्यान रखा गया है. हर्ष संघवी ने गुजरात के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली जीतु वाघानी ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली. नरेश पटेल ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली. इसके अलावा कई अन्य मंत्रियों ने शपथ ली है. कांग्रेस में से भाजपा में शामिल हुए अर्जुन मोढवाडिया ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली. 3 SC, 4 ST, 9 OBC और 7 पाटीदार नेता बनेंगे मंत्री शपथ ग्रहण समारोह से पहले 26 नए मंत्रियों के नामों की सूची सामने आई है. इस नई टीम में तीन महिलाओं को शामिल किया गया है. इसके साथ ही कांग्रेस से भाजपा में आए एक नेता को भी शामिल किया गया है. पटेल की टीम में तीन महिलाओं को शामिल किया गया है. गुजरात मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले नेताओं की संभावित सूची नया मंत्रिमंडल सुबह 11:30 बजे गांधीनगर महात्मा मंदिर में शपथ लेगा. सीएम के अलावा मंत्रिमंडल में 25 मंत्री होंगे. उत्तर गुजरात (1)ऋषिकेश पटेल विसनगर (मेहसाणा) कड़वा पटेल (2) पी.सी. बरंडा भिलोडा (अरावली) एसटी (3) प्रवीण माली डिसा (बनासकांठा) ओबीसी (4) स्वरुपजी ठाकोर, वाव,(बनासकांठा) ओबीसी दक्षिण गुजरात (5) प्रफुल्ल पांसेरिया सूरत शहर लेउआ पाटीदार (6) कनुभाई देसाई पारडी (वलसाड) अछूत ब्राह्मण (7) हर्षभाई संघवी सूरत सिटी जनरल (8) नरेश पटेल गणदेवी ) नवसारी ) एसटी (9)जयराम गामित निजर (तापी) एसटी (10) ईश्वर पटेल हांसोट भरूच obC सौराष्ट्र (11)कुंवरजी बावडिया जसदन कोली (राजकोट) (12) परसोतम सोलंकी भावनगर ग्रामीण कोली (भावनगर) (13) जीतू वाघाणी भावनगर सिटी (पाटीदार) (14) रीवाबा जाडेजा जामनगर शहर (क्षत्रिय) (15) कांति अमृतिया मोरबी लेउआ पाटीदार (16) त्रिकम छांगा अंजार कच्छ अन्य पिछड़ा वर्ग (17) अर्जुन मोढवाडिया पोरबंदर ओबीसी (18) प्रद्युम्न वाजा कोडिनार एससी (19) कौशिक वेकरिया अमरेली लेउआ सीट मध्य गुजरात (20) मनीषा वकील वडोदरा सिटी एससी (21) रमेश कटारा दाहोद एसटी (22) कमलेश पटेल पेटलाद (आनंद) पाटीदार (23) दर्शनाबहन वाघेला असारवा अहमदाबाद सिटी एससी (24) संजयसिंह महि़डा महुधा खेड़ा जिला ओबीसी (25) रमण सोलंकी, बोरसद (आनंद जिला ) ओबीसी राज्यपाल से मिलने पहुंचे CM, कौन-कौन बनेंगे मंत्री, इन नेताओं को आए कॉल नया मंत्रिमंडल सुबह 11:30 बजे गांधी नगर महात्मा मंदिर में शपथ लेगा. अब तक 6 विधायकों को कॉल आ चुके हैं. सभी 6 नाम रिपीट हैं. सौराष्ट्र से 2 नेता रिपीट हो रहे हैं. कुंवरजी बावलिया, पुरुषोत्तम सोलंकी को फिर से मौका मिला. दक्षिण गुजरात से 3 मंत्री रिपीट हो रहे हैं. इनके नाम हैं- हर्ष सांघवी, पांसेरिया, कनू देसाई. उत्तर गुजरात से ऋषिकेश पटेल को फिर मौका मिल रहा है. रविंद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा बनेंगी मंत्री?  रिपोर्ट के मुताबिक इस बार मंत्री परिषद में 22 से 23 मंत्री शामिल किए जा सकते है. पुराने मंत्रिमंडल से चार से पांच चेहरों को शामिल किया जा सकता है. शपथ ग्रहण समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा शामिल हो सकते हैं. क्रिकेटर रविंद्र जडेजा की पत्नी और विधायक रिवाबा जडेजा को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. 16 मंत्रियों ने गुरुवार को दिया था इस्तीफा गुजरात की मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री पटेल सहित 17 मंत्री थे. आठ कैबिनेट स्तर के मंत्री थे जबकि इतने ही राज्य मंत्री (एमओएस) थे. कुल 182 सदस्यों वाली राज्य विधानसभा में सदन की कुल संख्या का 15 प्रतिशत या 27 मंत्री हो सकते हैं. इस महीने की शुरुआत में गुजरात सरकार में राज्य मंत्री रहे जगदीश विश्वकर्मा, केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल की जगह बीजेपी इकाई के नए अध्यक्ष बने थे. भूपेंद्र पटेल ने 12 दिसंबर, 2022 को गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में दूसरी बार शपथ ली थी. गुजरात में विधानसभा चुनाव या फिर कुछ और है बात… जानिए इनसाइड स्टोरी गुजरात में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल सरकार ने अपना पूरा मंत्रिमंडल बदलने का फैसला किया है. वर्ष 2022 के दिसंबर में सरकार के गठन के महज तीन साल के भीतर पटेल ने अपनी पूरी कैबिनेट से इस्तीफा लेकर नई कैबिनेट बनाने का फैसला किया. उनकी नई कैबिनेट आज शपथ लेने वाली है. नई कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत 27 मंत्री हैं. राज्य में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 27 मंत्री हो सकते हैं. ऐसे में अब कोई सीट खाली नहीं बचेगी. इस नई कैबिनेट में क्रिकेटर रविंद्र जडेजा की पत्नी रवाबा जडेजा को भी शामिल किया जा रहा है. लेकिन, सवाल यह है कि भूपेंद्र पटेल ने ऐसा क्यों किया? विधानसभा चुनाव में भी अभी दो साल से अधिक का समय बचा हुआ है. इससे पहले पटेल मंत्रिपरिषद में उनको छोड़कर 16 मंत्री थे. इसमें आठ कैबिनेट और आठ राज्यमंत्री थे. शुक्रवार को भूपेंद्र पटेल सरकार में मुख्यमंत्री के अलावा 26 मंत्री शामिल किए जा रहे. इसमें कई पुराने चेहरे हैं. जातीय समीकरण की बात करें तो इसमें तीन अनुसूचित जाति, चार अनुसूचित जनजाति, नौ ओबीसी और सात पाटीदार नेताओं को मौका दिया गया है. शपथ ग्रहण समारोह से पहले ही 25 नए मंत्रियों के नामों की सूची सामने आई. इस नई टीम में तीन महिलाओं को शामिल किया जा रहा है. इसके साथ ही कांग्रेस से भाजपा में आए एक नेता को भी शामिल किया जा रहा है. क्यों बदल दी गई सरकार राज्य में भाजपा ने क्यों अपनी ही पूरी सरकार बदल दी है. यह बड़ा सवाल है. लेकिन, जानकार राज्य के सभी प्रमुख शहरों में संभावित नगर निगम चुनावों को कैबिनेट में बदलाव की मुख्य वजह मान रहे हैं. इन चुनावों को ‘मिनी विधानसभा चुनाव’ माना जा रहा है. नतीजतन भाजपा को इन चुनावों में अपना दबदबा बनाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. जूनागढ़ और गांधीनगर के अलावा अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत और राजकोट समेत नए नगर निगमों में चुनाव होंगे. गुजरात में भाजपा शुरू से ही ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी इलाकों में मजबूत रही है. ऐसे में भाजपा इन चुनावों में कोई नुकसान नहीं उठाना चाहती है. गुजरात में इस बड़ी सर्जरी को रविवार को नई दिल्ली में राज्य के नेताओं और पीएम मोदी … Read more

छपरा में होगा सियासी मुकाबला, खेसारी की पत्नी RJD से, BJP की छोटी कुमारी से टक्कर

पटना  बिहार विधानसभा चुनाव में भोजपुरी बेल्ट छपरा विधानसभा सीट पर दिलचस्प फाइट होने वाली है. इस सीट पर आरजेडी ने भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में झंडा गाड़ चुके एक्टर सिंगर खेसारी लाल यादव की पत्नी चंदा देवी को टिकट दिया है. खेसारी लाल यादव ने कुछ ही दिन पहले तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी. वहीं बीजेपी ने इस सीट पर छोटी कुमारी को टिकट दिया है. छोटी कुमारी स्थानीय नेता हैं.  बीजेपी उम्मीदवार छोटी कुमारी बिहार के सारण जिले में छपरा विधानसभा क्षेत्र की जिला परिषद अध्यक्ष हैं. बीजेपी ने छोटी कुमारी को ये टिकट वर्तमान विधायक सीएन गुप्ता का टिकट काट कर दिया है. इस तरह से इस सीट पर स्टार पावर से लैस चंदा देवी और जमीनी कार्यकर्ता छोटी कुमारी के बीच मुकाबला है.  खेसारी लाल यादव छपरा के ही रहने वाले हैं. इस लिहाज से इस बार उनकी सिनेमाई लोकप्रियता का सियासी टेस्ट होगा. खेसारी लाल यादव ने कहा था कि वे बिहार के लिए कुछ करना चाहते हैं, उन्होंने कहा कि वह अपनी पत्नी को चुनाव लड़ने के लिए मनाना चाह रहे थे तो उन्हें मुश्किल हो रही थी, क्योंकि उनकी पत्नी पारिवारिक महिला है और दो बच्चों की मां हैं. उन्होंने अपने बच्चे की परवरिश में थोड़ी सी भी कमी नहीं की है. इसलिए उन्हें लगता है अगर वे राजनीति में आएंगी तो उन्हें वक्त की दिक्कत हो सकती है. खेसारी ने कहा कि वे चार दिनों से पत्नी को मनाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन अब उनकी पत्नी चुनाव लड़ने को राजी हो गई हैं. आखिरकार आरजेडी ने चंदा देवी को टिकट दे दिया है. खेसारी मुंबई में रहकर एक्टिंग और सिंगिग पर ध्यान देते हैं. उनकी पत्नी भी वहीं रहती हैं.  वहीं बीजेपी ने चंदा देवी के टक्कर में छोटी कुमारी को मैदान में उतारा है. इसके लिए पार्टी ने मौजूदा विधायक सी.एन. गुप्ता का टिकट काट दिया है.  माना जा रहा है कि यह कदम क्षेत्र में एंटी-इनकंबेंसी के कारण उठाया गया माना जा रहा है. छोटी कुमारी एक महिला उम्मीदवार के रूप में पार्टी की रणनीति का हिस्सा हैं, जो स्थानीय स्तर पर सक्रिय राजनीतिक कार्यकर्ता रही हैं.  छपरा सीट की कहानी छपरा विधानसभा सीट पर बीजेपी की परंपरागत सीट रही है. सी एन गुप्ता दो कार्यकाल से इस सीट से जीत रहे हैं. छपरा सीट पर यादव, राजपूत, ब्राह्मण, बनिया और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या निर्णायक रही है.  सीएन गुप्ता को 2020 के विधान चुनाव में 75,710 वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर रहने वाले रणधीर सिंह को 68, 939 वोट मिले थे. यानी कि सीएन गुप्ता की जीत का मार्जिन ज्यादा नहीं था.  2015 के चुनाव में सीएन गुप्ता को 71,646 वोट मिले थे. इस चुनाव में आरजेडी के रणधीर सिंह को 60,267 वोट मिले थे.  इस बार रणधीर सिंह आरजेडी जोड़ जेडीयू में शामिल हो चुके हैं और वे बगल की सीट मांझी से जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. इस लिहाज से यहां की पूरी टक्कर दिलचस्प हो चुकी है. 

BJP में एंट्री के बाद मैथिली ठाकुर के चुनावी मैदान में उतरने के संकेत, इस सीट से मिल सकता है टिकट

पटना  बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में नए चेहरे जुड़ने की प्रक्रिया तेज हो गई है. इसी कड़ी में मंगलवार को लोकगायिका मैथिली ठाकुर बीजेपी में शामिल होने जा रही हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, उन्हें दरभंगा की अलीनगर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है. सूत्र बताते हैं कि अलीनगर सीट से मौजूदा विधायक मिश्रीलाल यादव का टिकट कटना लगभग तय है, और पार्टी इस सीट पर युवा और लोकप्रिय चेहरा लाने के मूड में है. मैथिली ठाकुर के सोशल मीडिया पर बड़े फैन बेस और मिथिला क्षेत्र में लोकप्रियता को देखते हुए बीजेपी उन्हें अपने प्रचार अभियान का चेहरा भी बना सकती है. अगर मैथिली ठाकुर को टिकट मिलता है, तो यह पहली बार होगा जब बिहार की लोक-संस्कृति से जुड़ी कोई प्रसिद्ध गायिका सीधे राजनीतिक मैदान में उतरेंगी. हाल ही में विनोद तावड़े से की थी मुलाकात मैथिली ने हाल ही में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और संगठन महासचिव विनोद तावड़े से मुलाकात की थी, जिसके बाद उनके पार्टी में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई थीं. क्या बोलीं मैथिली? मैथिली ने कहा भी था कि बीजेपी नेताओं के साथ आधे घंटे तक बात हुई. बातचीत सकारात्मक रही है. उन्होंने यह भी कहा कि हम एनडीए के समर्थन में हैं और हमेशा से बीजेपी मेरी प्राथमिकता रही है. मैथिली ने कहा था कि दिल्ली में काम के लिए रहती हूं. मेरी आत्मा बिहार से जुड़ी है. बिहार रहकर लोगों की सेवा करना चाहती हूं, विकास में योगदान देना चाहती हूं. चुनाव लड़ने के लिए तैयार मैथिली ठाकुर बता दें, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने 5 अक्टूबर को अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर मैथिली ठाकुर के साथ तस्वीर साझा करते हुए लिखा था कि वर्ष 1995 में लालू राज आने पर जो परिवार बिहार छोड़ गए थे, उस परिवार की बिटिया मैथिली ठाकुर अब बदलते बिहार की रफ्तार देखकर वापस आना चाहती हैं. दरभंगा की रहने वाली मैथिली ठाकुर लोक संगीत और मिथिला संस्कृति के लिए जानी जाती हैं और सोशल मीडिया पर उनकी बड़ी फैन फॉलोइंग है. इसी साल मैथिली ठाकुर 25 की हुई हैं.  कौन हैं मैथिली ठाकुर? मैथिली बिहार की फेमस सिंगर हैं. वो दरभंगा की रहने वाली हैं. मैथिली लोक संगीत के लिए वो जानी जाती हैं. विदेश में भी मैथिली कॉन्सर्ट करती हैं. 25 साल की सिंगर मिथिला संस्कृति के लिए फेमस हैं. बचपन से मैथिली को गाने का शौक है. वो प्लेबैक सिंगर हैं. क्लासिकल म्यूजिक में उनकी ट्रेनिंग हुई है. मैथिली ने कई भाषाओं में गाने गाए हैं. उनके पिता रमेश ठाकुर और मां भारती ठाकुर मैथिली म्यूजिशियन हैं. दोनों बतौर म्यूजिक टीचर काम करते हैं. मैथिली के दो भाई हैं. वो भी संगीत की दुनिया में अपना करियर बना रहे हैं. सभी बच्चों को उनके दादा और पिता ने संगीत की तालीम दी है. तीनों भाई बहनों को हिंदुस्तानी क्लासिक म्यूजिक के अलावा हारमोनियम और तबला बजाने की भी ट्रेनिंग दी गई है.