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राजपूत-यादव को सबसे ज्यादा टिकट, चिराग की पार्टी में महिलाओं की भागीदारी कैसी रही?

पटना चिराग पासवान की पार्टी को एनडीए ने 29 सीट दिए हैं, जिसे चिराग पासवान ने 6 महिला, 13 युवा और 10 अनुभवी लोगों को टिकट दिया है। उन 29 सीटों में 5 राजपूत, 5 यादव,4 पासवान,4 भूमिहार,और एक-एक ब्राह्मण, तेली(वैश्य), पासी, सूढ़ी (वैश्य), रौनियार,कानू, रजवार, धोबी, कुशवाहा, रविदास और मुस्लिम को उम्मीदवार बनाया है। उन्होंने बिहार के लगभग हर समाज को प्रतिनिधित्व दिया जिसमें सवर्ण, पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वर्गों को मौका दिया। एनडीए ने अब 243 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की सूची सार्वजनिक कर दी है। सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी ने और फिर जनता दल यूनाइटेड ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा की। फिर हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी की। अब चिराग पासवान ने अपने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की है। चिराग पासवान ने पहली सूची में 14 प्रत्याशियों के नाम जारी किए थे और फिर दूसरी सूची में 15 उम्मीदवारों के नाम हैं। 

नीतीश का सीधा वार चिराग पर, JDU की पहली लिस्ट में उठा सियासी खेल; NDA में खलबली?

पटना बिहार की राजनीति में आज नई हलचल देखी गई जब नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) ने विधानसभा चुनाव 2025 के लिए पहली 57 उम्मीदवारों की सूची जारी की। इस सूची ने चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के कुछ प्रमुख दावों पर सीधे चुनौती दी, जिससे गठबंधन के भीतर तनाव और नाराजगी की स्थिति बन सकती है। चिराग पासवान के लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के पांच प्रमुख दावों वाली सीटों – मोरवा, सोनबरसा, राजगीर, गायघाट और मटिहानी पर जेडीयू ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं। ऐसा बताया जा रहा था कि ये सीटें पहले चिराग की झोली में जाने वाली थीं। एनडीए में बढ़ेगा तनाव? पिछले चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि मोरवा और गायघाट पर 2020 में आरजेडी का दबदबा था, राजगीर और सोनबरसा पर जेडीयू जीता था, जबकि मटिहानी पिछली बार लोक जनशक्ति पार्टी ने जीती थी, लेकिन विजयी राजकुमार सिंह बाद में जेडीयू में शामिल हो गए थे। इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के चलते इन सीटों पर सियासी निगाहें खास हैं और उम्मीदवारों की हर चाल का चुनावी मायने बढ़ गया है। इन सीटों पर जेडीयू का उम्मीदवार उतारना गठबंधन में संतुलन बदल सकता है और चिराग समर्थक ताकतों के साथ टकराव के अवसर बढ़ा सकता है जिससे एनडीए की मौजूदा स्थिति जटिल हो सकती है। जेडीयू की लिस्ट में 3 बाहुबली भी शामिल जेडीयू के उम्मीदवारों की सूची में तीन बाहुबली और कई अनुभवी नेता शामिल हैं। विशेष रूप से, मौजूदा सरकार के पांच कैबिनेट मंत्री अपने-अपने क्षेत्रों से फिर मैदान में उतारे गए हैं। इसमें ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार (नालंदा), जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी (सरायरंजन), सूचना व जनसंपर्क मंत्री महेश्वर हजारी (कल्याणपुर), समाज कल्याण मंत्री मदन साहनी (बहादुरपुर) और मद्य निषेध मंत्री रत्नेश सदा (सोनबरसा) शामिल हैं। जेडीयू ने 30 नए चेहरों को उतारा गौरतलब है कि जेडीयू की पहली सूची में 30 नए चेहरे और 27 पुराने प्रत्याशी शामिल हैं। चार महिला उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा गया है, जिनमें मधेपुरा से कविता साहा, गायघाट से कोमल सिंह, समस्तीपुर से अश्वमेध देवी और विभूतिपुर से रवीना कुशवाहा का नाम शामिल है।  

चिराग को सीटें तो मिलीं, लेकिन क्या पसंदीदा इलाके भी मिलेंगे? NDA में खींचतान तय!

पटना  बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए में रविवार को सीट बंटवारे का ऐलान कर दिया गया है. बीजेपी और जेडीयू के बीच बराबर-बराबर सीटों पर लड़ने का फॉर्मूला तय हुआ है, तो चिराग पासवान की मन की मुराद पूरी हो गई है. चिराग की पार्टी एलजेपी (आर) को 29 सीटें मिली हैं. चिराग पासवान को एनडीए में मन के मुताबिक सीटों की संख्या तो मिली, लेकिन क्या पसंदीदा सीटें भी मिल पाएंगी? एनडीए में अभी यह पूरी तरह से तय नहीं हुआ है कि एलजेपी किन 29 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. 2020 के चुनाव में चिराग एनडीए का हिस्सा नहीं थे, उस समय जेडीयू 115 सीट पर चुनाव लड़ी थी और बीजेपी ने 110 सीट पर उम्मीदवार उतारे थे. जेडीयू और बीजेपी चिराग को सीटें देने के लिए कम सीटों पर लड़ने को राज़ी हो गई हैं, लेकिन असली मामला अब उन सीटों पर फंसा है, जहां पर जेडीयू, बीजेपी और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा का कब्ज़ा है. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और बीजेपी दोनों 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. बाकी सीटें छोटे सहयोगी दलों को दी गई हैं. इनमें सबसे ज़्यादा फ़ायदा चिराग पासवान की एलजेपी (रामविलास) को हुआ. एनडीए में चिराग की पार्टी को 29 सीटें मिली हैं. चिराग की पार्टी लगातार 30 से 35 सीटें मांग रही थी और उसी लिहाज़ से उसे 29 सीटें मिली हैं. चिराग पासवान का एनडीए में बढ़ता क़द अब किसी से छिपा नहीं है. बिहार की राजनीति में उन्हें अब 'किंगमेकर' के तौर पर देखा जा रहा है. सवाल ये है कि चिराग पासवान में ऐसी क्या ख़ास बात है कि बीजेपी और जेडीयू दोनों अपनी सीटों का नुक़सान उठाकर भी उन्हें ज़्यादा महत्व देने का काम किया है.  चिराग को पसंदीदा सीटें भी मिलेंगी? एनडीए में सीट शेयरिंग के मामले में चिराग पासवान 30-35 सीटों पर दावेदारी कर रहे थे, लेकिन बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के दख़ल के बाद चिराग पासवान 29 सीटों पर लड़ने के लिए तैयार हुए हैं. इसका ऐलान भी रविवार को केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कर दिया, ऐसे में मामला उन सीटों पर फंस सकता है, जहां पर बीजेपी और जेडीयू ने 2020 में कब्ज़ा जमाया था. चिराग पासवान ने जिन 29 सीटों पर चुनाव लड़ने का अभी तक प्लान बनाया है, उनमें से कई सीटें ऐसी हैं, जिन पर जेडीयू और बीजेपी का कब्ज़ा है. बीजेपी और जेडीयू क्या अपनी जीती हुई सीटें एलजेपी के लिए छोड़ने को तैयार होंगी? जेडीयू ने जिस तरह से पिछले चुनाव में सीटें जीती थीं, उनमें से छोड़ना उसके लिए आसान नहीं है. माना जा रहा है कि एलजेपी की दावे वाली चार सीटों पर बीजेपी का कब्ज़ा है तो तीन सीटों पर जेडीयू के विधायक हैं. इसके अलावा एक सीट पर जीतनराम मांझी की पार्टी का कब्ज़ा है. चिराग का बढ़ता सियासी क़द चिराग पासवान अपने पिता और बिहार के दिग्गज दलित नेता राम विलास पासवान की सियासी विरासत को संभाल रहे हैं. राम विलास पासवान का बिहार में गहरी जड़ें वाला दलित वोट बैंक था. दलितों में ख़ासकर दुसाध समुदाय में है, यह समुदाय राज्य में एक बड़ा जनसमूह है. एनडीए के लिए इनका साथ जीत में बड़ी भूमिका निभा सकता है.  2020 में चिराग पासवान की पार्टी एनडीए से बाहर रहकर 135 सीटों पर लड़ी थी और सिर्फ़ 1 सीट जीत पाई थी. चिराग पासवान भले ही सीटें जीतने में सफल नहीं रहे, लेकिन एनडीए से बाहर जाकर लड़ने पर नीतीश कुमार की पार्टी को गहरा झटका दिया था. एनडीए में पहली बार बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी.  2025 के विधानसभा चुनाव में चिराग को लेकर 2020 से बिल्कुल अलग रणनीति है। चिराग की पार्टी एनडीए के साथ ही चुनाव लड़ रही है. गठबंधन में उन्हें लड़ने के लिए 29 सीटें मिली हैं, जिस पर वह ख़ुश हैं. चिराग की कैसे बढ़ी अहमियत 2024 के लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया था. वह पांच सीटों पर चुनाव लड़े थे और सभी पांचों पर जीत दर्ज किए थे. यह नतीजा उनके संगठन और जनाधार की मज़बूती दिखाता है. इसी के बाद से बीजेपी और जेडीयू दोनों को यह समझ में आ गया कि चिराग पासवान अब केवल सहयोगी दल के नेता नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति में एक बड़ी ताक़त बन चुके हैं. बीजेपी को बिहार में जहां सवर्ण और शहरी वोटरों का समर्थन मिलता है तो जेडीयू को कुर्मी और पिछड़े वर्ग का. ऐसे में चिराग की पार्टी दलित समुदाय को जोड़ती है, जिससे गठबंधन की सामाजिक पकड़ और मज़बूत होती है. यही वजह है कि उन्हें 29 सीटें तो मिल गई हैं, लेकिन क्या मनमर्ज़ी वाली सीटें भी मिलेंगी? चिराग की सियासी महत्वाकांक्षा चिराग पासवान की सियासी महत्वाकांक्षा अब सिर्फ़ कुछ सीटें जीतने तक सीमित नहीं है. वह ख़ुद को बिहार की अगली पीढ़ी के नेताओं में स्थापित करना चाहते हैं. वह बार-बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर भरोसा जताते हैं, जिससे बीजेपी के साथ उनका रिश्ता और मज़बूत हुआ है. इस बार किंगमेकर बनने का सपना लेकर चुनावी मैदान में उतर रहे हैं, जिसके लिए एक-एक सीट पर नज़र गड़ाए हुए हैं. बिहार में इस बार के सीट बंटवारे ने यह साफ़ कर दिया है कि एनडीए की रणनीति में चिराग पासवान अब छोटे सहयोगी नहीं, बल्कि मुख्य चेहरा बन गए हैं. चिराग की पार्टी की मज़बूती और दलित वोट बैंक पर पकड़, आने वाले चुनावों में एनडीए के लिए चिराग कितनी रोशनी साबित होते हैं या फिर अपनी सियासी उम्मीदों को उजाला करेंगे?

सीट बंटवारे पर एनडीए में अब तक सहमति नहीं, चिराग पासवान ने पिता की सीख दिलाई याद

पटना बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में सीट बंटवारे का फॉर्मूला अब तक तय नहीं हुआ है। लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के प्रमुख व केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को 35 सीटों से कम मंजूर नहीं है। इधर, भाजपा 28 देने तक ही देने के लिए तैयार है। मंगलवार को बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने चिराग पासवान से बातचीत की। उन्हें समझाने की कोशिश लेकिन बात नहीं बन पाई। बुधवार को चिराग पासवान ने सीट शेयरिंग के सवाल पर कहा कि अभी बातचीत चल रही है। बात फाइनल होने पर आपको जानकारी दे दी जाएगी। इन सब के बीच चिराग पासवान का एक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा। उन्होंने अपने पिता व पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की तस्वीर को शेयर करते हुए उन्हें याद किया। कहा कि पापा हमेशा कहा करते थे। जुर्म करो मत, जुर्म सहो मत। जीना है तो मरना सीखो। कदम-कदम पर लड़ना सीखो। अब चिराग पासवान के इस पोस्ट के बाद सियासी गलियारे में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। इससे पहले चिराग पासवान ने एक और पोस्ट लिखा। उन्होंने कहा कि पापा आपकी पुण्यतिथि पर आपको मेरा नमन। मैं विश्वास दिलाता हूं कि आपके दिखाए मार्ग और आपके विजन “बिहार फ़र्स्ट, बिहारी फर्स्ट” को साकार करने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध हूं। बिहार के समग्र और सर्वांगीण विकास का जो सपना आपने देखा था, अब समय आ गया है उसे धरातल पर उतारने का। आपने मेरे कंधों पर जो जिम्मेदारी सौंपी थी, उसे निभाना मेरे जीवन का उद्देश्य और कर्तव्य है। चिराग बोले- इस चीज के लिए मैं दृढ़ संकल्पित हूं बिहार में लोकतंत्र का महापर्व शुरू होने जा रहा है। आगामी चुनाव आपके संकल्प को पूरा करने का अवसर है। बिहार को नई दिशा देने, हर बिहारी के सपनों को साकार करने का अवसर है। आपके द्वारा बनाई गई लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के कारवां को आगे बढ़ाने के लिए मैं दृढ़ संकल्पित हूं। पार्टी के हर एक कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों का सपना है कि आगामी चुनाव में आपके सपनों को पूरा किया जा सके। पापा आपकी प्रेरणा, आशीर्वाद और आदर्श सदैव मेरे मार्गदर्शक रहेंगे। एनडीए में चिराग-मांझी की जिद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीट बंटवारे का काम 80 फीसदी तक हो चुका है। भाजपा और जदयू दोनों 100 से अधिक पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। केंद्रीय चिराग पासवान की पार्टी को 28, केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी को आठ और उपेंद्र कुशवाह की पार्टी को करीब पांच सीटें  भाजपा और जदयू देना चाहती है। लेकिन, लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा मानने को तैयार नहीं। चिराग 40 से कम सीटों पर चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। वहीं जीतन राम मांझी का तर्क है कि राज्य स्तर की पार्टी बनने के लिए आठ विधायक चाहिए। हमारे पास पहले से चार विधायक हैं। ऐसे में 10 से 12 सीटों से कम पर चुनाव हमलोग नहीं लड़ कसते हैं। दोनों पार्टी के नेताओं ने चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान से मिलकर अपनी-अपनी बात रख दी है। जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने दावा किया है कि एनडीए के घटक दलों के कहीं कोई मतभेद नहीं है। सबलोग एकजुट हैं। जल्द ही सीट बंटवारे का एलान कर दिया जाएगा।

प्रशांत किशोर पर निशाना साधते हुए चिराग पासवान बोले, उनके आरोप तात्कालिक राजनीति में हैं

पटना केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने मंगलवार को कहा कि जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर की राजनीति की शैली आम आदमी पार्टी के संस्थापक अरविंद केजरीवाल जैसी है। यहां पत्रकारों से बात करते हुए, लोक जनशक्ति (रामविलास) के अध्यक्ष ने याद दिलाया कि केजरीवाल भी किशोर की तरह राजनीति में पैर जमाने की कोशिश में "एक के बाद एक आरोप" लगाते रहे, लेकिन "दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने के बाद चुप हो गए"। उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर पिछले कुछ समय से एक के बाद एक आरोप लगा रहे हैं। केवल एक जांच ही बता सकती है कि उनके आरोप तथ्यों पर आधारित हैं या केवल बदनामी हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा, "जो भी हो, मेरा मानना ​​है कि बिहार में जिन लोगों पर आरोप लगे हैं, वे अपना बचाव करने में पूरी तरह सक्षम हैं। उनमें से एक ने तो मानहानि का नोटिस भी दिया है। समय आने पर सच्चाई सामने आ जाएगी।" इशारा जेडी(यू) के राष्ट्रीय महासचिव और मंत्री अशोक चौधरी की ओर था, जिन्होंने हाल ही में किशोर को 200 करोड़ रुपये के बेनामी ज़मीन लेनदेन के आरोप में मानहानि का नोटिस भेजा था।  

राहुल गांधी के हाइड्रोजन बम बयान पर चिराग ने साधा निशाना, कहा- ‘आरोप लगाना गलत’

 पटना लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बयान पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बुधवार को पलटवार किया है। चिराग ने कहा, 'जब वे धमाका करेंगे, तभी हमें पता चलेगा कि यह 'हाइड्रोजन बम' क्या है। लेकिन फिलहाल, जब भी वे आते हैं और बोलते हैं, तो सिर्फ उसी चीज़ पर जोर देते हैं जिससे SIR प्रक्रिया की शुरुआत हुई।' उन्होंने आगे कहा, 'वे बार-बार आकर मतदाता सूची में गड़बड़ियों की बात करते हैं। यही वजह है कि SIR लाया गया है। एक तरफ आप शिकायत करते हैं और दूसरी तरफ उस शिकायत के समाधान से समस्या जताते हैं। यह ठीक नहीं है। अगर इस सिस्टम से आपको दिक्कत है तो उसके लिए कानून मौजूद हैं। लेकिन सिर्फ आरोप लगाना गलत है।' गौरतलब है कि इससे पहले मंगलवार को लोकसभा में राहुल गांधी ने बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि उन्होंने जिस हाइड्रोजन बम की बात कही थी, वह अभी आया नहीं है, बल्कि आने वाला है। जिस दिन आएगा, उस दिन सभी को सच्चाई का पता चल जाएगा। राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा संविधान को खत्म करना चाहती है। उन्होंने दावा किया, 'मैं भागीदारी के हिसाब से हिस्सेदारी के लिए गारंटी देता हूं। यह मेरी गारंटी है। क्योंकि, हम संविधान मानते हैं।'

गठबंधन में सर्वसम्मति पर जोर, चिराग पासवान ने कहा—एक दल की मर्जी नहीं चलेगी

पटना बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सरगर्मी बढ़ती जा रही है। इस बीच एनडीए के सीएम फेस पर केंद्रीय मंत्री एवं लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के मुखिया चिराग पासवान ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हर दल के कार्यकर्ता अपने नेता को सर्वोच्च पद पर देखना चाहते हैं। मगर किसी एक दल के कहने से कुछ नहीं होता है। गठबंधन के अंदर सीएम फेस पर सभी पार्टियों की सहमति जरूरी होती है। आगामी चुनाव में यह सहमति नीतीश कुमार के नाम पर बन गई है। उनके नेतृत्व में ही यह चुनाव लड़ा जाएगा। चिराग पासवान ने इंटरव्यू में मंगलवार को ये बातें कहीं। दरअसल, लोजपा (रामविलास) के नेता और कार्यकर्ता चिराग पासवान को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं। पटना में हाल ही में इस संबंध में पोस्टर भी लगाए गए। इससे सियासी पारा गर्मा गया। इस पर चिराग ने स्पष्ट करते हुए कहा कि 2025 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ही सीएम उम्मीदवार हैं। इसमें कहीं कोई वैकेंसी नहीं है। एलजेपी-आर के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि जब उन्होंने एनडीए में वापसी की थी, तब ही उन्हें पता था कि नीतीश ही मुख्यमंत्री उम्मीदवार होंगे। उनकी फिलहाल मुख्यमंत्री बनने की कोई इच्छा नहीं है। वह बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट पर काम कर रहे हैं। उनकी प्राथमिकता बिहार को विकसित राज्य बनाने की है। बाद के चुनावों में सीएम पद की दावेदारी पर चिराग ने कहा कि उन्होंने अपने और अपनी पार्टी के लिए कई लक्ष्य तय कर रखे हैं। भविष्य का सवाल भविष्य पर रहने दीजिए। अभी हम 2025 के विधानसभा चुनाव की दहलीज पर बैठे हैं। इसलिए भविष्य के सवालों पर बात करने के अभी मायने नहीं हैं।  

बिहार की सियासत में नई चाल: अरुण भारती को मिलेगा टिकट, बहनोई बनेंगे डिप्टी सीएम चेहरा?

पटना ‘बिहार बुला रहा है’ से शुरू होकर ‘उप-मुख्यमंत्री लोक जनशक्ति पार्टी- रामविलास (एलजेपी-आर) से कोई और होगा’ तक पहुंचे केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के सांसद बहनोई अरुण भारती जमुई जिले की सिकंदरा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। सरकार बनने पर डिप्टी सीएम पद के लिए लोजपा कोटा से अरुण का नाम चिराग बढ़ा सकते हैं। अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित सिकंदरा जमुई लोकसभा का हिस्सा है, जहां से अरुण 2024 में पहली बार एमपी बने हैं। चिराग से उलझते रहने वाले केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी की हिन्दुस्तान आवामी मोर्चा (हम) के प्रफुल्ल मांझी अभी सिकंदरा के विधायक हैं। तीन बार बीपीएससी मेंस और एक बार यूपीएससी पीटी पास कर चुके प्रफुल्ल मांझी साधारण परिवार से आते हैं। सूत्रों का कहना है कि चिराग की पार्टी की डिमांड लिस्ट में सिकंदरा के साथ ही जमुई लोकसभा की चकाई सीट भी शामिल है। चकाई से दिवंगत समाजवादी नेता नरेंद्र सिंह के बेटे सुमित सिंह निर्दलीय विधायक और नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री हैं। सुमित ने नीतीश को समर्थन दिया है और एनडीए के अंदर जेडीयू के करीब हैं। कभी लोजपा से जुड़े रहे सुमित 2010 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के टिकट पर चकाई से पहली बार विधायक बने थे। 2015 में निर्दलीय लड़कर वो राजद से हारे थे, लेकिन 2020 में सबको हरा दिया। लोजपा चौथे नंबर पर रही थी। चिराग ने 2 महीने पहले साफ-साफ कह दिया था कि 2025 में एनडीए सरकार बनी तो नीतीश कुमार ही सीएम बनेंगे। डिप्टी सीएम पद पर दावेदारी में चिराग ने कहा था कि लोजपा-आर का कोई अनुभवी कार्यकर्ता इस पद को सुशोभित करे। चिराग के शुरुआती तेवरों से भ्रम हुआ था कि बिहार बुला रहा है बोलकर वो सीएम बनने की रेस में हैं। अब साफ है कि चिराग को सीएम पद से कम मंजूर नहीं है। चिराग ने कुछ दिन पहले एक इंटरव्यू में कहा है कि इस बार एनडीए सरकार में लोजपा-आर की अहम भूमिका होगी। सूत्रों के मुताबिक एनडीए में सीट बंटवारे की मुख्य बातचीत भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के बीच चल रही है। चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टियां सीटों की संख्या और कौन-कौन सी सीट जैसी बातें भाजपा से कर रही हैं। वैसे, सीट बंटवारे से पहले ही नीतीश कुमार सभाओं में जेडीयू उम्मीदवार के नाम घोषित करने लगे हैं। नीतीश ने बक्सर में राजपुर सीट से संतोष निराला को कैंडिडेट बता दिया है।  

पीएम मोदी के बिहार दौरे पर चिराग पासवान का बयान, विपक्ष के सवालों का किया खंडन

पटना केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने पत्रकारों से बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे और विपक्ष के बयानों पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि बिहार प्रधानमंत्री की प्राथमिकता में है, जिसका सबूत पिछले एक साल में उनके लगभग नौवें दौरे से मिलता है। चिराग ने दावा किया कि इस बार भी पीएम बिहार को करोड़ों रुपये की सौगात देकर जाएंगे। प्रधानमंत्री का बिहारी और बिहार के लिए प्यार साफ दिखता है, जो राज्य को विकसित करने की गति को बढ़ाएगा। विपक्ष ने पीएम के दौरे पर सवाल उठाए, लेकिन चिराग ने इसे उनकी हताशा करार दिया। उन्होंने कहा, “विपक्ष को यह नागवार गुजर रहा है कि पीएम बिहार के लिए लगातार काम कर रहे हैं। पहले वे कहते थे कि पीएम बिहार नहीं आते और सिर्फ चुनाव के समय याद करते हैं। लेकिन अब पीएम ने बिहार के लिए लाखों-करोड़ों की योजनाओं का शुभारंभ किया है।” चिराग ने बताया कि कई नई योजनाओं की शुरुआत भी पीएम के हाथों होगी। उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा, “उनके पास कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए सिर्फ झूठ बोलते हैं। केंद्र सरकार या डबल इंजन सरकार पर प्रहार करने के लिए उनके पास कोई आधार नहीं है।” लालू यादव ने पोस्ट कर कहा कि पीएम नीतीश कुमार और बिहार की राजनीति का “पिंडदान” करके चले जाएंगे। इस पर चिराग ने कड़ी आपत्ति जताई और कहा, “यह शब्दावली गलत है। नीतीश कुमार के लिए इस तरह की भाषा इस्तेमाल करना उचित नहीं है। नीतियों पर सवाल उठाएं, लेकिन इस तरह की बात कहना मेरी निंदा के योग्य है।” तेजस्वी यादव ने दावा किया कि 2029 में राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनेंगे। चिराग ने इस पर करारा जवाब दिया और कहा, “राजद और कांग्रेस पूरी तरह कमजोर हो चुके हैं। राजद ने बिहार में जनाधार खो दिया है और कांग्रेस देशभर में सिमट गई है। फिर भी वे राहुल गांधी को आगे बढ़ाने के लिए प्रदेश में घूम रहे हैं, जो उनकी कमजोरी को दर्शाता है।” संसद में आए नए बिल को लेकर तेजस्वी के बयान को चिराग ने घबराहट का नतीजा बताया। उन्होंने कहा, “यह लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई से घबराए हुए हैं। जब भी भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसा जाता है, कांग्रेस और राजद जैसे दलों को तकलीफ होती है, क्योंकि उनका आधार ही भ्रष्टाचार रहा है। कांग्रेस के शासनकाल में हुए घोटाले और राजद के भ्रष्टाचार की चर्चा दुनिया में है। केंद्र सरकार जब ऐसे बिल लाती है, तो इनका पर्दाफाश होता है।” चिराग ने जोर देकर कहा कि जब भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई होती है, तो ये दल परिवार के अन्य सदस्यों को सत्ता सौंपते हैं। उन्होंने दावा किया कि केंद्र की नीतियां बिहार को आगे बढ़ाने और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने में मदद करेंगी। इस दौरान उन्होंने विपक्ष से सकारात्मक मुद्दों पर ध्यान देने की अपील की।