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हरदा जिले के 652 विद्यार्थियों के खाते में लेपटॉप की राशि अंतरित

विद्यार्थी समाज एवं राष्ट्र के पुनउर्त्थान के लिये पढ़ाई करें : मंत्री सारंग मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा है कि विद्यार्थी समाज एवं राष्ट्र के पुनउर्त्थान के लिये अध्ययन करें हरदा जिले के 652 विद्यार्थियों के खाते में लेपटॉप की राशि अंतरित भोपाल खेल एवं युवा कल्याण मंत्री और हरदा जिले के प्रभारी मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा है कि विद्यार्थी समाज एवं राष्ट्र के पुनउर्त्थान के लिये अध्ययन करें। मंत्री सारंग ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में अनेक विकास कार्य किये जा रहे है। उन्होंने कहा कि यह बड़ी प्रसन्नता की बात है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष लेपटॉप प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि हुई है। यह हमारी बेहतर शिक्षा और व्यवस्था का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा प्रदान कर मध्यप्रदेश को स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाना है। मंत्री सारंग शुक्रवार को हरदा जिले के शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय में आयोजित जिला स्तरीय लेपटॉप वितरण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। हरदा जिले के 652 विद्यार्थियों के खाते में लेपटॉप की राशि अंतरित की गई। मंत्री सारंग ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश निरन्तर विकास कर रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य देश को विश्व में बेहतर बना सकते हैं। विद्यार्थी पढ़ाई कर देश के विकास में योगदान दें। उन्होंने कहा कि पढ़ाई केवल पैसा कमाने, घर एवं कॅरियर बनाने के लिये नहीं बल्कि देश और समाज के पुनउर्त्थान के लिये करें। मंत्री सारंग ने जिला स्तरीय कार्यक्रम में प्रतीक स्वरूप जिले के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया। इस दौरान उन्होंने बच्चों से चर्चा भी की। कार्यक्रम में विधायक डॉ. रामकिशोर दोगने, जिला पंचायत अध्यक्ष गजेन्द्र शाह, उपाध्यक्ष दर्शन सिंह गेहलोत, नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती भारती राजू कमेड़िया, उपाध्यक्ष नगर पालिका हरदा अंशुल गोयल, जिला अध्यक्ष राजेश वर्मा, पूर्व कृषि मंत्री कमल पटेल, पूर्व विधायक संजय शाह और बाल अधिकार आयोग सदस्य अनुराग पाण्डे उपस्थित थे। हरदा एवं टिमरनी के इंडोर स्टेडियम का किया लोकार्पण मंत्री सारंग ने कार्यक्रम में खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा निर्मित हरदा एवं टिमरनी के इंडोर स्टेडियम का लोकार्पण भी किया। प्रत्येक इंडोर स्टेडियम की लागत 1.69 करोड़ रूपये है। मंत्री सारंग ने कहा कि इन इंडोर स्टेडियम से खिलाड़ियों को बेडमिंटन, टेबल टेनिस, बास्केटबॉल, जिम, जिम्नास्टिक जैसी सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी। मंत्री सारंग ने कहा कि स्टेडियम से खिलाड़ी अपनी प्रतिभा को निखार कर क्षेत्र का गौरव बढ़ा सकेंगे। इस अवसर पर मंत्री सारंग ने नगर पालिका द्वारा क्रय की गई टोईंग वेन को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। इस वेन की कीमत 29.44 लाख रूपये है। उन्होंने कहा कि इस वेन के माध्यम से हरदा शहर की यातायात व्यवस्था सुचारू हो सकेगी। मंत्री सारंग ने जिले के प्रवास के दौरान प्राचीन गंजालेश्वर महादेव मंदिर में पूजन-अर्चन कर आशीर्वाद भी प्राप्त किया। उन्होंने मंदिर प्रांगण में पौधरोपण कर हरियाली संवर्धन का संकल्प भी दिलवाया।  

मोदी सरकार ने 3 भत्तों में किया 25% का बंपर इजाफा, केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ा तोहफा

नई दिल्ली मोदी सरकार केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दे सकती है। केंद्रीय कर्मचारियों को जुलाई 2025 से महंगाई भत्ते (DA) में 4 पर्सेंट की बढ़ोतरी का फायदा मिल सकता है। महंगाई के हालिया डेटा पर आधारित रिपोर्ट्स में यह बात कही गई है। इस बढ़ोतरी के बाद महंगाई भत्ता मौजूदा 55 पर्सेंट से बढ़कर 59 पर्सेंट पहुंच जाएगा। महंगाई भत्ते में यह बढ़ोतरी जुलाई से प्रभावी होगी, लेकिन इसकी आधिकारिक घोषणा अगस्त या सितंबर-अक्टूबर में फेस्टिव सीजन के करीब हो सकती है। CPI डेटा के आधार पर 59% पहुंच सकता है DA महंगाई भत्ते (DA) का कैलकुलेशन ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स (AICPI-IW) के आधार पर होता है। यह इंडेक्स मई 2025 में 0.5 पर्सेंट बढ़कर 144 पर पहुंच गया है। पिछले तीन महीने में इंडेक्स में बढ़ोतरी देखने को मिली है। मार्च 2025 में यह 143, अप्रैल में 143.5 और मई 2025 में अब यह 144 पर पहुंच गया है। अगर इंडेक्स में तेजी का रुझान बना रहता है और जून में यह 144.5 पर पहुंच जाता है तो ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स (AICPI-IW) का 12 महीने का एवरेज करीब 144.17 पहुंचने की उम्मीद है। जब 7वें वेतन आयोग के फॉर्मूले का इस्तेमाल करते हुए इसे एडजस्ट किया जाता है तो डीए रेट 58.85 पर्सेंट पहुंच जाता है। ऐसे में सरकार जुलाई 2025 से महंगाई भत्ते को बढ़ाकर 59 पर्सेंट कर सकती है। कब होगा ऐलान? जून 2025 का CPI-IW डाटा जुलाई के आखिर या अगस्‍त महीने के शुरुआत में आएगा. इसी आधार पर केंद्रीय कैबिनेट महंगाई भत्ता तय किया जाएगा. यह बढ़ोतरी सितंबर-अक्‍टूबर में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा किया जा सकता है. फिर ये बढ़ा हुआ भत्ता जुलाई के महीने से जोड़कर दिया जाएगा. डीए में यह बढ़ोतरी तबतक होगी, जबतक 8वां वेतन आयोग लागू नहीं होता.  कब लागू होगा 8वां वेतन आयोग?  पिछले वेतन आयोग के इतिहास पर नजर डालें तो किसी भी आयोग की सिफारिश लागू होने में 18 से 24 महीने का समय लगता है. ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि 8वां वेतन आयोग 2027 तक ही लागू हो सकता है. इसका मतलब है कि केंद्रीय कर्मचारियों को महंगाई भत्ते में इजाफे को लेकर कई और बढ़ोतरी मिल सकती है.  सितंबर या अक्टूबर में हो सकती है घोषणा महंगाई भत्ते (डीए) को एक साल में दो बार रिवाइज किया जाता है। यह रिवीजन आमतौर पर जनवरी और जुलाई में होता है। महंगाई भत्ता ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स (AICPI-IW) के 12 महीने के एवरेज के आधार पर तय होता है। महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी जुलाई से प्रभावी होगी, लेकिन आमतौर इसकी घोषणा बाद में की जाती है। पिछले सालों में सरकार ने ऐसे रिवीजन फेस्टिव पीरियड के करीब सितंबर या अक्टूबर में किए हैं। इस साल भी इसकी घोषणा दिवाली के करीब हो सकती है। सातवें वेतन आयोग के तहत यह महंगाई भत्ते में फाइनल बढ़ोतरी होगी, क्योंकि इसकी अवधि 31 दिसंबर 2025 को खत्म हो रही है। सरकार ने आठवें वेतन आयोग की घोषणा इस साल के शुरुआत में कर दी है, लेकिन इसमें आगे कोई प्रगति नहीं हुई है। सरकार को अभी नए कमीशन के चेयरमैन और मेंबर्स की नियुक्ति करनी है।

रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक महिला श्रमिकों को कार्य करने की अनुमति सुरक्षा उपायों के साथ प्रदान की गई

महिलाओं को रात की पाली में कारखानों में काम करने की विशेष अनुमति महिलाओं को रात की शिफ्ट में काम करने के लिए सुरक्षा और शर्तों का संस्थानों को पालन करना होगा  रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक महिला श्रमिकों को कार्य करने की अनुमति सुरक्षा उपायों के साथ प्रदान की गई भोपाल  पुख्ता सुरक्षा उपायों और विशेष नियम एवं शर्तों को लागू करने की अनिवार्यता के साथ मध्यप्रदेश सरकार ने महिलाओं को दुकानों, वाणिज्यिक संस्थानों और कारखानों में रात की पाली (नाइट शिफ्ट) में काम करने की अनुमति दी है। संस्थानों में महिला श्रमिकों को सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण दिया जाएगा। राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश दुकान एवं स्थापना अधिनियम, 1958 एवं कारखाना अधिनियम, 1948 के अंतर्गत महिला श्रमिकों को कुछ शर्तों के साथ कार्य करने की अनुमतिदी है। इस संबंध में श्रम विभाग द्वारा निर्देश जारी किये गए है। दुकानों एवं वाणिज्यिक स्थापनाओं के लिए जरूरी निर्देश दुकानों एवं वाणिज्यिक स्थापनाओं में रात्रि पाली में 9 बजे से सुबह 7 बजे तक कार्य करने के लियेनियोजकों को महिला श्रमिकों की लिखित सहमति लेना अनिवार्य होगा। कम से कम 5 महिला श्रमिक के समूह में ही उन्हें कार्य पर लगाया जाएगा। कार्यस्थल पर सुरक्षित वातावरण, शौचालय, वॉशरूम, पेयजल और विश्राम कक्ष जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा। इन सुविधाओं तक आगागमन का मार्ग अच्छी तरह से प्रकाशित तथा सीसीटीवी की निगरानी में होगा। जहां 10 या अधिक महिलाएं कार्यरत हों, वहां महिला सुरक्षाकर्मियों (गार्डस) की व्यवस्था करनी होगी एवं विश्राम कक्ष भी उपलब्ध कराया जायेगा। सभी प्रतिष्ठानों को लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम 2013 के प्रावधानों का पूर्ण पालन करना होगा। कारखानों के लिए विशेष शर्तें कारखानों में रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक महिला श्रमिकों को कार्य करने की अनुमति सुरक्षा उपायों के साथ प्रदान की गई है। रात की पाली में कार्य करने के लिये महिला श्रमिकों की लिखित सहमति अनिवार्य होगी और उन्हें पांच से अधिक समूह में नियोजित किया जाएगा। महिला कर्मचारियों के लिए घर से लाने और ले जाने की परिवहन सुविधा देना नियोक्ता की जिम्मेदारी होगी। कार्यस्थल पर प्रकाश व्यवस्था, सीसीटीवी निगरानी, शौचालय, भोजन व विश्राम कक्ष उपलब्ध होंगे। कार्य स्थल के प्रवेश एवं निकास पर महिला सुरक्षाकर्मी (गार्डस) उपलब्ध होगी। ठहरने की व्यवस्था महिला वार्डन अथवा सुपरवाइजर के नियंत्रण में होगी। रात्रि पाली में सुपरवाइजरी स्टाफ का एक-तिहाई हिस्सा महिलाएं होंगी। पाली परिवर्तन के दौरान कम से कम 12 घंटे का अंतराल जरूरी होगा। कारखानों में लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 के प्रावधानों का पूर्ण पालन करना अनिवार्य होगा।  

श्रीकृष्ण जन्म भूमि-शाही ईदगाह मामले में हिंदू पक्ष को बड़ा झटका, HC ने हिंदू पक्ष की अर्जी खारिज की

प्रयागराज  इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में मंदिर पक्ष की वह अर्जी खारिज कर दी है जिसमें भविष्य की सभी कार्यवाहियों में 'ईदगाह मस्जिद' को 'विवादित संरचना' के रूप में संदर्भित करने की मांग की गई थी। यह अर्जी मामले में पक्षकार और अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने दाखिल की थी। बीती 23 मई को अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया था। न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकल पीठ ने यह निर्णय सुनाया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि मौजूद तथ्यों और याचिका के आधार पर मथुरा की शाही ईदगाह को फिलहाल विवादित ढांचा घोषित नहीं किया जा सकता है. जबकि, हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया था कि ईदगाह का निर्माण श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर स्थित अति प्राचीन मंदिर को तोड़कर किया गया था. फिलहाल, सबकी निगाहें अगली सुनवाई पर टिकी हैं.  इस पूरे मामले में हिंदू पक्ष के वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट में 5 मार्च 2025 को मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किए जाने की मांग करते हुए एक एप्लीकेशन दी गई थी. इस पर 23 मई को कोर्ट में बहस पूरी हो गई थी और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था, जो आज सुनाया गया.  हिंदू पक्षकार के मुताबिक, हमने हाई कोर्ट के समक्ष कहा था कि वहां पहले मंदिर था. वहां पर मस्जिद होने का कोई साक्ष्य आज तक शाही ईदगाह मस्जिद पक्ष कोर्ट में पेश नहीं कर सका है. ऐसे में इसे मस्जिद क्यों कहा जाए, विवादित ढांचा घोषित किया जाए. जैसे कोर्ट ने अयोध्या मामले में अपना निर्णय देने से पहले बाबरी मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किया था, उसी तरह शाही ईदगाह मस्जिद को भी विवादित ढांचा घोषित करना चाहिए. हिंदू पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने कोर्ट के समक्ष कहा था कि वहां पहले मंदिर था। वहां पर मस्जिद होने का कोई साक्ष्य आज तक शाही ईदगाह मस्जिद पक्ष न्यायालय में पेश नहीं कर सका। न खसरा खतौनी में मस्जिद का नाम है, न नगर निगम में उसका कोई रिकॉर्ड। न कोई टैक्स दिया जा रहा। यहां तक कि बिजली चोरी की रिपोर्ट भी शाही ईदगाह प्रबंध कमेटी के खिलाफ हो चुकी है, फिर इसे मस्जिद क्यों कहा जाए? पक्षकार ने इसके लिए मासरे आलम गिरी से लेकर मथुरा के कलेक्टर रहे एफएस ग्राउस तक के समय में लिखी गई इतिहास की पुस्तकों का हवाला दिया था। श्रीकृष्ण जन्मभूमि एवं शाही ईदगाह मस्जिद केस के मंदिर पक्षकार ने बताया कि हाईकोर्ट में 5 मार्च 2025 को ये प्रार्थना पत्र दिया था। इस पर न्यायाधीश राम मनोहर नारायण मिश्र के न्यायालय में बहस पूरी हो चुकी है। न्यायालय ने अपना ऑर्डर रिजर्व कर लिया। महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने बताया कि चार जुलाई को कोर्ट का निर्णय आएगा। उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के बैनर तले देश भर में हिंदू चेतना यात्राएं निकली जा रही हैं। इसे लेकर मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर अपनी आपत्ति दर्ज की थी। जानिए पूरा विवाद  गौरतलब है कि पूरा विवाद मथुरा के कटरा केशव देव क्षेत्र की 13.37 एकड़ जमीन पर है, जिसमें मंदिर और मस्जिद दोनों बनी हैं. जानकारी के मुताबिक, कुल जमीन में 11 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि है, जबकि बाकीजमीन पर ईदगाह होने का दावा है. हिंदू पक्ष पूरी जमीन को श्रीकृष्ण जन्मभूमि बताता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इससे इनकार करता है.  हिंदू पक्ष के अनुसार, 1670 में औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर बने मंदिर को तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद बनवाई थी. वहीं, मुस्लिम पक्ष इस दावे को खारिज करता रहा है. आज यानी 4 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा हम इसे विवादित ढांचा नहीं घोषित कर सकते हैं.   

समाजसेवी डॉक्टर एमसी डाबर का आज 80 वर्ष की उम्र में निधन, 50 वर्षों से 20 रुपए में गरीबों का इलाज करते थे

जबलपुर प्रसिद्ध चिकित्सक, जबलपुर के गौरव और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. एम.सी. डावर का आज दुखद निधन हो गया। वे वर्षों तक मात्र 2 रुपये में गरीबों का उपचार कर जनसेवा में लगे रहे। उनके निधन की जानकारी मध्य प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने एक्स पर साझा की।मध्यप्रदेश के जबलपुर में 50 वर्षों से गरीब और जरूरतमंद मरीजों की सेवा करने वाले प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. एमसी डाबर का शुक्रवार (4 जुलाई 2025) सुबह निधन हो गया। वे 80 वर्ष के थे और जीवन भर केवल 20 रुपए फीस लेकर गरीबों का इलाज किया। डॉ. एमसी डाबर लाखों मरीजों के जीवन में आशा की किरण बने रहे। उनका निधन शहर के लिए अपूरणीय क्षति है।     2 रुपये में गरीबों का इलाज करने वाले सुप्रसिद्ध चिकित्सक, जबलपुर के गौरव, पद्मश्री डॉ. एम.सी. डाबर जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। उनका जाना सामाजिक सेवा के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति है। अपने एक्स पर मंत्री राकेश सिंह ने लिखा कि डॉ. एम.सी. डावर जी का जाना सामाजिक सेवा के क्षेत्र में एक अपूरणीय क्षति है। ईश्वर से प्रार्थना है कि पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और शोक संतप्त परिवार को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें। डॉ. डाबर जबलपुर के गोरखपुर क्षेत्र में क्लिनिक चलाते थे, जहां दूर-दराज से मरीज इलाज के लिए आते थे. भीड़ इतनी होती थी कि रोजाना सैकड़ों मरीज उनके घर के बाहर लाइन लगाकर खड़े रहते थे. वे खुद ही मरीजों की जांच करते, दवा लिखते और जरूरत पड़ने पर आर्थिक मदद भी करते थे. उनकी मृत्यु से चिकित्सा जगत और समाज ने एक सच्चे सेवक को खो दिया है. अंतिम दर्शन के लिए सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग उनके निवास पर पहुंचने लगे. कई लोगों की आंखें नम थीं. हर कोई यही कह रहा है कि डॉ डाबर जैसा डॉक्टर इस युग में मिलना मुश्किल है. जीवन परिचय: पाकिस्तान से जबलपुर तक का सफर डॉ. डाबर का जन्म 16 जनवरी 1946 को पंजाब (अब पाकिस्तान) में हुआ था। देश के विभाजन के बाद वे अपने माता-पिता के साथ भारत आ गए। बहुत कम उम्र में पिता का साया सिर से उठ गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। पंजाब के जालंधर से स्कूल की पढ़ाई पूरी कर वे जबलपुर मेडिकल कॉलेज पहुंचे और 1967 में MBBS की डिग्री प्राप्त की। सेना में सेवा और 1971 की जंग डॉ. डाबर ने 1971 की भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय सेना में चिकित्सक के रूप में सेवा दी। उस समय उनकी पोस्टिंग बांग्लादेश सीमा पर थी, जहां उन्होंने सैकड़ों घायल जवानों का इलाज किया। स्वास्थ्य समस्याओं के चलते उन्हें समय से पहले सेवा छोड़नी पड़ी, जिसके बाद उन्होंने जबलपुर में चिकित्सा सेवा शुरू की। जालंधर से की थी स्कूली पढ़ाई डॉ. एमसी डाबर का जन्म 16 जनवरी 1946 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत में आकर बस गया। मात्र डेढ़ साल की आयु में उनके पिता का निधन हो गया था। उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई जालंधर से की थी। उन्होंने 1967 मध्यप्रदेश के जबलपुर से एमबीबीएस की डिग्री ली थी। डाबर भारतीय सेना में कैप्टन के पद पर थे। हालांकि खराब सेहत को देखते हुए उन्होंने सेना से इस्तीफा दे दिया था। डाबर ने 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी थी। 51 साल से 200 मरीजों का इलाज कर रहे थे 1972 से वे मध्यप्रदेश के जबलपुर में मात्र 2 रुपये में लोगों का इलाज कर रहे थे। इसके बाद 1997 में 5 रुपये लेने लगे। 2012 में 10 रुपये और मौजूदा समय में 20 रुपये चार्ज करते थे। भारत सरकार ने 2023 में चिकित्सा क्षेत्र में उनकी निस्वार्थ सेवा के लिए पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया था। डॉ. डाबर के बारे में एक और रोचक बात थी। वे पिछले 51 साल से रोजाना 200 मरीजों का इलाज कर रहे थे। उनके पास तीन-तीन पीढ़ियों के मरीज थे। डॉ. डाबर के पास न केवल जबलपुर बल्कि दूर-दराज के शहरों से भी मरीज आते थे। 2 रुपए से शुरू की सेवा, कभी नहीं रोकी डॉ. एमसी डाबर ने जबलपुर में सस्ते इलाज की शुरुआत 10 नवंबर 1972 को की थी। पहले मरीजों से सिर्फ 2 रुपए शुल्क लेते थे, लेकिन महंगाई बढ़ी तो 1986 में यह फीस 3 रुपए फिर 5 और धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 20 रुपए कर दिया, लेकिन कभी लाभ कमाने की कोशिश नहीं की। डॉ. डाबर हमेशा वही पुराना टेबल-कुर्सी और बेड इस्तेमाल करते रहे, जो 1972 में खरीदे थे। वह कहते थे कि सादा जीवन उच्च विचार ही मेरी पूंजी है। दिन में 200 मरीज फिर भी मुस्कान डॉ. डाबर हफ्ते में 6 दिन काम करते थे और रोज़ाना 150 से 200 मरीजों का इलाज करते थे। उनकी सादगी और समर्पण का आलम ये था कि जब 1986 में उन्हें किडनी फेलियर हुआ, तब उनके मरीज मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों में दुआ करने पहुंचे। पद्मश्री और पद्मभूषण सम्मान भारत सरकार ने डॉ. डाबर को उनके अद्भुत सेवा कार्यों के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया था। 2019 में वे पद्मभूषण के लिए भी नॉमिनेट किए गए। ओपी खरे ने बताया कि ऐसा डॉक्टर दोबारा जन्म नहीं लेता। डॉ. डाबर ने हजारों जानें बचाईं हैं। अंतिम यात्रा, लोगों ने दी श्रद्धांजलि उनकी अंतिम यात्रा शुक्रवार शाम 4 बजे, उनके निज निवास से गुप्तेश्वर मुक्तिधाम के लिए निकलेगी। जबलपुर शहर सहित पूरे मध्यप्रदेश में शोक की लहर है। जबलपुर निवासी रामू साहू पिछले 30 वर्षों से डॉ. डाबर के पास इलाज के लिए आते थे। उन्होंने बताया कि हमारे लिए वे डॉक्टर नहीं भगवान थे। उनकी फीस से ज्यादा तो आज दवाओं की रेट होती है, लेकिन उन्होंने कभी रुपए की चिंता नहीं की। सेवा, सादगी और संवेदना के मिसाल थे डॉ डाबर डॉ. एमसी डाबर सिर्फ एक डॉक्टर नहीं बल्कि सेवा, सादगी और संवेदना के प्रतीक थे। चिकित्सा सेवा जब इतनी महंगी होती जा रही है, ऐसे समय में भी डॉ. डाबर ने साबित कर दिया कि इंसानियत अभी जिंदा है। उनके द्वारा दिया गया उदाहरण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्तंभ रहेगा।

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री आज 29 साल के हुए ,’बंजर’ गढ़ा को बना दिया बागेश्वर धाम?

छतरपुर बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री आज अपना 29वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनके बर्थडे को खास बनाने के लिए दूर-दूर से भक्त गढ़ा ग्राम पहुंच रहे हैं। हालांकि, कल हुए हादसे के बाद उन्होंने अपना जन्मदिन बेहद साधारण तरीके से मानाने का फैसला किया है।  भक्तों से उपहार के बदले मांगी ईंट पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपने जन्मदिन पर भक्तों से उपहार के बदले ईंट मांगी है। बता दें कि बागेश्वर धाम में कैंसर अस्पताल बन रहा है। इसके निर्माण के लिए उन्होंने सहयोग में एक-एक ईंट भेंट करने की अपील की है।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी दी बधाई  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी पंडित धीरेंद्र शास्त्री को जन्मदिन की बधाई दी है। सीएम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर, पूज्य पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी, आपको जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। श्री बजरंग बली जी से प्रार्थना है कि सनातन संस्कृति की सेवा के लिए आप सदैव ऊर्जावान रहें, उत्तम स्वास्थ्य के साथ आप दीर्घायु हों।” बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्मदिन आज, 29 साल के हुए पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, वही राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बागेश्वर बाबा को दी जन्मदिन की बधाई, सीएम भजनलाल ने कहा- बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर परम पूज्य पंडित श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज के जन्मदिवस पर उन्हें हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं, श्री बालाजी महाराज की कृपा से आप सदैव स्वस्थ रहें, दीर्घायु हों एवं अपने दिव्य सत्संग, प्रवचनों व आध्यात्मिक मार्गदर्शन से समाज को सत्य, धर्म और सेवा के पथ पर अग्रसर करते रहें 'बंजर' गढ़ा को पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कैसे बना दिया बागेश्वर धाम तरपुर जिले के एक छोटे से गांव गढ़ा में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को हुआ था। शास्त्री अपनी उम्र के 30वें वर्ष में प्रवेश कर गए हैं। बागेश्वर धाम में गुरु के जन्मदिन पर हर साल हजारों की संख्या में उनके भक्त आते हैं। साथ ही भव्य कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है। इस बार भी तैयारी भव्य थी लेकिन टेंट गिरने की वजह से एक श्रद्धालु की मौत हो गई। इसके बाद धाम में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया है। मगर बागेश्वर धाम में भक्तों की भीड़ कम नहीं हुई है। गढ़ा में भक्तों का मेला लगा हुआ। भारी बारिश के बीच भी वहां भक्त डंटे हुए हैं। आइए आपको बताते हैं कि इतने कम दिनों में बागेश्वर सरकार यह प्रसिद्धि कैसे हासिल की। साथ ही गढ़ा और उसके आसपास के अर्थव्यवस्था को उन्होंने पूरी तरह से बदल दिया है। कहां है गढ़ा गांव दरअसल, जब आप छतरपुर से खजुराहो की ओर नेशनल हाइवे पकड़कर आगे की ओर बढ़ेंगे। करीब 10 किमी आगे बढ़ने के बाद गढ़ा के लिए रास्ता जाता है। हाइवे से सटा एक मुख्य द्वार बना है, जिस पर बागेश्वर धाम जाने का रास्ता लिखा हुआ है। यही से रौनक की शुरुआत हो जाती है। कुछ साल पहले तक सुनसान रहने वाले इस जगह पर अब कई होटल और मार्केट खुल गए हैं। साथ ही सवारी गाड़ियों की भीड़ रहती है जो श्रद्धालुओं को धाम तक लेकर जाते हैं। यहां से गढ़ा गांव की दूरी करीब चार से पांच किमी है। गढ़ा गांव के लोग पहले पूरी तरह से खेती पर आश्रित होते थे। पहाड़ी इलाका होने की वजह से गर्मियों में भीषण पानी की किल्लत होती थी। साथ ही जमीन भी पथरीली है। गढ़ा गांव में ही धीरेंद्र शास्त्री का पैतृक गांव पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का पैतृक घर भी गढ़ा में ही है। परिवार पूजा पाठ से ही जीवकोपार्जन करता था। आर्थिक स्थिति परिवार की ठीक नहीं थी। गांव में इनका खपरैल घर था। अब उसकी जगह पर पक्का मकान है। हालांकि छोटा ही है, जहां उनकी मां और परिवार के अन्य सदस्य रहते हैं। गांव से कुछ दूर आगे बढ़ने के बाद पहाड़ी के करीब ही बालाजी का मंदिर है। जहां धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दादा गुरु की समाधि है। बालाजी का मंदिर अब भव्य बन रहा है। मंदिर के आसपास अब सैकड़ों एकड़ जमीन में धाम फैल गया है, जिसे बागेश्वर धाम कहते हैं। ऐसे बढ़ा बागेश्वर धाम दरअसल, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री शुरुआती दिनों मंदिर या फिर आसपास के गांवों में ही कथा सुनाते थे। साथ ही लोगों की पर्ची निकालते थे। धीरे-धीरे इनकी प्रसिद्धि बढ़ी और लोगों की भीड़ जमा होने लगी। कोविड के बाद पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जिंदगी में 360 डिग्री का बदलाव हुआ। उनकी कथाओं की गूंज पूरे देश में सुनाई देने लगी। मध्य प्रदेश की सीमा को लांघकर वह देश और विदेश के अलग-अलग कोनों में जाकर कथा सुनाने लगे। इसके साथ ही बागेश्वर धाम पर श्रद्धालुओं की भीड़ भी उमड़ने लगी। तेजी से उस इलाके की तस्वीर बदलने लगी। बदल गई इलाके की अर्थव्यवस्था पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जिंदगी में जितने बदलाव आए हैं, उतने ही बदलाव गढ़ा और उसके आसपास के इलाकों में देखने को मिला है। गढ़ा, बागेश्वर धाम और उसके आसपास के इलाकों में हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से रोजगार मिल गया है। गांवों में होम स्टे खुल गए हैं। हजारों की संख्या में धाम में दुकान हैं। इसके साथ ही अब बड़े-बड़े होटल भी खुल रहे हैं। हजारों लोगों हर दिन धाम आते हैं औसतन 10-20 लाख से अधिक का कारोबार होता है। सिर्फ स्थानीय ही नहीं, बाहर से भी लोग आकर यहां व्यापार कर रहे हैं। खपरैल घर से फाइव स्टार होटल तक का सफर वहीं, बागेश्वर धाम सरकार का बचपन खपरैल घर में बीता है। अब वह जब कथाओं के लिए जाते हैं तो भक्त फाइव और थ्री स्टार होटल में उन्हें ठहराते हैं। अंबानी के घर लग्जरी प्राइवेट जेट से जाते हैं। हालांकि धाम पर होते हैं तो अभी भी वह मंदिर के करीब बने सामुदायिक भवन के ही एक कमरे में ठहरते हैं। जन्मदिन के मौके पर उन्हें बधाई देने का सिलसिला जारी है। अब बागेश्वर धाम पर सिर्फ आम नहीं, खास श्रद्धालुओं का भी तांता लगा रहता है। 

फिर पीएम मोदी ने त्रिनिदाद-टोबैगो की PM को दिया अयोध्या वाला खास गिफ्ट, स्वागत में खास डिनर, पत्ते पर खाना…

 पोर्ट ऑफ स्पेन  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय कैरिबियाई देश त्रिनिदाद एवं टोबैगो के दो दिवसीय दौरे पर हैं. यह उनकी पांच देशों की यात्रा का दूसरा चरण है. यहां राजधानी पोर्ट ऑफ स्पेन के पियार्को इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उनका भव्य स्वागत किया गया. उन्हें यहां गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. त्रिनिदाद एवं टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर ने अपनी पूरी कैबिनेट के साथ एयरपोर्ट पर पीएम मोदी का स्वागत किया. इस दौरान उनकी कैबिनेट के 38 मंत्री और चार सांसद मौजूद थे. खुद पीएम कमला ने पारंपरिक भारतीय परिधान साड़ी पहनी थी. उनके साथ कई मंत्री और सांसद भी भारतीय परिधानों में नजर आए, जो दोनों देशों के सांस्कृतिक जुड़ाव को दर्शाता है. पीएम मोदी के स्वागत समारोह में भारतीय संस्कृति की छठा बखूबी दिखाई दी. वहां के भारतीय समुदाय ने तिरंगा झंडा लहराकर और पारंपरिक लोकगीत गाकर पीएम मोदी का स्वागत किया. यह सांस्कृतिक प्रदर्शन दोनों देशों के बीच गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक था. पोर्ट ऑफ स्पेन में भारतीय मूल के लोगों में पीएम मोदी के आगमन को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा गया. लोगों ने हाथों में तिरंगे लेकर और पारंपरिक नृत्य पेश किए गए. पीएम मोदी ने भी इस गर्मजोशी का जवाब देते हुए भारतीय समुदाय का अभिनंदन किया. बीजेपी नेता अमित मालवीय ने पोस्ट कर बताया कि पीए मोदी का पोर्ट ऑफ स्पेन में ऐतिहासिक स्वागत किया गया. प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर और त्रिनदाद एवं टोबैगो की पूरी कैबिनेट एयरपोर्ट पर पीएम मोदी के स्वागत के लिए मौजूद थी. 38 मंत्री और चार सांसदों ने पीएम मोदी का स्वागत किया, जो वैश्विक मंच पर पीएम मोदी के नेतृत्व के प्रति सम्मान को दर्शाता है. बता दें कि पीएम मोदी की त्रिनिदाद एवं टोबैगो की यह पहली आधिकारिक द्विपक्षीय यात्रा है. 1999 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली यात्रा है. त्रिनिदाद और टोबैगो की 40 फीसदी से अधिक आबादी भारतीय मूल की है. यहां के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा स्पीकर भी भारतीय मूल के हैं.भी खास बनाता है. पीएम मोदी ने भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और महाकुंभ का जिक्र भी किया. उन्होंने कमला प्रसाद बिसेसर को राम मंदिर की रिप्लिका और सरयू नदी का पवित्र जल भी भेंट किया. पीएम मोदी ने त्रिनिदाद-टोबैगो की PM को दिया अयोध्या वाला खास गिफ्ट ग्लोबल साउथ के भारत के साथ संबंध मजबूत करने निकले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 देशों की यात्रा पर हैं। इस दौरान पीएम मोदी त्रिनिदाद एंड टोबैगो की यात्रा पर भी पहुंचे हैं। यहां भारत के प्रधानमंत्री का भव्य स्वागत किया गया। पीएम मोदी के स्वागत में त्रिनिदाद एंड टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर ने रात्रिभोज का आयोजन किया। रात्रिभोज में प्रधानमंत्री मोदी को सोहारी पत्ते पर भोजन परोसा गया। दरअसल, त्रिनिदाद एंड टोबैगो के लोगों में सोहारी के पत्ते पर भोजन करने का बहुत अधिक महत्व है। खासकर भारतीय मूल के लोगों के लिए इस सांस्कृतिक परंपरा के तौर पर देखा जाता है। इस देश में त्यौहारों और विशेष कार्यक्रमों के दौरान अक्सर इस पत्ते पर भोजन परोसा जाता है। सोशल मीडिया पर खुद पोस्ट की तस्वीरें पीएम मोदी ने खुद रात्रिभोज की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कीं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर ने रात्रिभोज का आयोजन किया, जिसमें मैंने अयोध्या में राम मंदिर की प्रतिकृति (स्वरूप) और सरयू नदी के पवित्र जल के साथ-साथ प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ का जल भी भेंट किया। ये भारत और त्रिनिदाद और टोबैगो के बीच गहरे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों का प्रतीक हैं। दोनों देशों के बीच मजबूत होगा संबंध इससे पहले पीएम मोदी ने त्रिनिदाद और टोबैगो में रहने वाले भारतीय प्रवासियों की छठी पीढ़ी को भी संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि यहां रह रहे भारतीय मूल के लोगों को ओसीआई कार्ड जारी करने के हमारे निर्णय से भारत के साथ उनका संबंध मजबूत होगा। इसके साथ ही भावी पीढ़ियों के लिए हमारी साझा विरासत सुरक्षित रहेगी।    प्रधानमंत्री मोदी और त्रिनिदाद का रिश्ता, 25 साल पहले विश्व हिंदू सम्मेलन को किया था संबोधित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (शुक्रवार) को कैरिबियाई सागर में स्थित त्रिनिदाद और टोबैगो के दो दिवसीय दौरे पर हैं. यहां उन्होंने भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करते हुए कहा है कि इस देश में भारतीय समुदाय की यात्रा साहस और धैर्य की मिसाल है. जिस परिस्थिति में भारतीय लोग यहां आए वो मज़बूत आत्मा को भी तोड़ सकती है. लेकिन, उन्होंने संघर्ष को उम्मीद और हिम्मत से झेला.  नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री के तौर पर त्रिनिदाद और टोबैगो की यह पहली यात्रा है. लेकिन, उनका इस धरती से पुराना संबंध है. उन्होंने 25 साल पहले 1999 में बीजेपी के महासचिव के तौर पर राष्ट्र की यात्रा की थी. इस दौरान उन्होंने अगस्त 2000 में विश्व हिंदू सम्मेलन द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में भाग लिया था.  विश्व हिंदू सम्मेलन द्वारा इसका सम्मेलन का आयोजन राजधानी पोर्ट‑ऑफ‑स्पेन में किया गया था. इस सम्मेलन में दुनिया भर के प्रतिनिधि आए थे. इस सम्मेलन में त्रिनिदाद-टोबैगो के तत्कालीन प्रधानमंत्री बासदेव पांडे, तत्कालीन आरएसएस सरसंघचालक के. सुदर्शन और आरएसएस के वरिष्ठ नेता मौजूद थे. इस सम्मेलन का विषय 'हिंदू धर्म और समकालीन विश्व समस्याएं – विकासशील तकनीक और मनुष्य की चुनौतियां' थी. नरेंद्र मोदी ने इस सम्मेलन में भाषण दिया था और ख़ुद को ग्लोबल हिंदू नेतृत्व वाला व्यक्तित्व के रुप में स्थापित किया. इसके बाद ही नवंबर 2000 में उन्हें बीजेपी के संगठन प्रभारी महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया था और अगले साल वह गुजरात के मुख्यमंत्री बने.  सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजे गए प्रधानमंत्री मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ऑर्डर ऑफ त्रिनिदाद एंड टोबैगो’ से नवाजा गया है. यह त्रिनिदाद एंड टोबैगो का सबसे सर्वोच्च सम्मान है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यहां के भारतीय समुदाय ने यहां कि इकोनॉमिक, कल्चरल और स्पिरिचुअल प्रगति में अहम योगदान दिया है. त्रिनिदाद एंड टोबैगो और भारत के लोग एक ही परिवार के हैं. हमारी और इनकी मित्रता भूगोल या पीढ़ियों से कहीं आगे की चीज़ है. यहां के भारतीय प्रवासी राष्ट्रदूत हैं, जो भारत के संस्कृति, मूल्यों और विरासत को दुनियाभर में ले जा रहे हैं. त्रिनिदाद एंड टोबैगो के प्रधानमंत्री के साथ नरेंद्र मोदी की रात्रिभोज … Read more

सीएम मोहन यादव स्टूडेंट्स को दिया मेगा गिफ्ट, 94,234 छात्रों को लैपटॉप के लिए 25-25 हजार रुपए की सहायता राशि बैंक खातों में की ट्रांसफर

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शुक्रवार, 4 जुलाई को राज्य के 94,234 मेधावी छात्रों को लैपटॉप खरीदने के लिए 25-25 हजार रुपए की सहायता राशि उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की। यह राशि “प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना” के तहत दी जा रही है। इस योजना के लिए राज्य सरकार कुल 238 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह और जनजातीय कार्य मंत्री डॉ. विजय शाह भी पहुंचे है। 75% या उससे अधिक अंक लाने वाले छात्रों को मिली राशि मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल (MPBSE) की 12वीं बोर्ड परीक्षा में 75% या उससे अधिक अंक लाने वाले विद्यार्थियों को यह लाभ मिला। योजना के तहत छात्रों को सीधे उनके बैंक खाते में ₹25,000 की राशि भेजी जाती है ताकि वे अपनी पसंद का लैपटॉप खरीद सकें। इस साल 94 हजार 234 छात्रों को कुल ₹235.58 करोड़ की राशि दी गई। सीएम ने कहा- यह आर्थिक मदद नहीं, प्रतिभा का सम्मान है मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस योजना को सिर्फ आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि प्रदेश की मेधा शक्ति को सम्मान देने का प्रयास बताया है। उन्होंने कहा कि आज के युग में तकनीक सफलता की कुंजी है, और एक लैपटॉप छात्रों को भविष्य संवारने में मदद कर सकता है। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण सभी जिलों में किया जाएगा। जिला स्तरीय कार्यक्रमों में मंत्रीगण, सांसद, विधायक और जनप्रतिनिधि भाग लेंगे। 500 से अधिक विद्यार्थी और शिक्षक इस राज्य स्तरीय आयोजन में प्रत्यक्ष रूप से शामिल होंगे। पिछले साल भी 89 हजार से ज्यादा छात्रों को मिली थी राशि 2023-24 में सरकार ने 89,710 छात्रों को ₹224.27 करोड़ की राशि दी थी। यह योजना वर्ष 2009-10 से लागू है। पिछले 15 वर्षों में अब तक 4.32 लाख विद्यार्थियों को लगभग ₹1,080 करोड़ की सहायता राशि प्रदान की जा चुकी है। प्रदेश के विभिन्न जिलों में इस अवसर पर अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। देवास में उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, शहडोल में राजेन्द्र शुक्ल, सिवनी में करण सिंह वर्मा, सिंगरौली में संपतिया उइके, और ग्वालियर में तुलसीराम सिलावट सहित अन्य मंत्रीगण, सांसद और विधायक उपस्थित रहेंगे।  

मुख्यमंत्री यादव आज अनूपपुर और सिंगरौली में आयोजित कार्यक्रम में 950 करोड़ के विकास कार्यों का भूमि-पूजन एवं लोकार्पण करेंगे

अनूपपुर  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 4 जुलाई को अनूपपुर जिले में 443.31 करोड़ रूपये लागत के 114 विकास कार्यों का भूमि-पूजन एवं लोकार्पण और सिंगरौली में आयोजित कार्यक्रम में 503 करोड़ 9 लाख 19 हजार रूपये लागत के 54 विकास कार्यों की सौगात देंगे। कोतमा में लोकार्पण-भूमिपूजन मुख्यमंत्री डॉ. यादव अनूपपुर जिले के कोतमा में आयोजित कार्यक्रम में जल संसाधन एक, मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण के 28, राजस्व के एक, लोक शिक्षण/स्कूल शिक्षा के 2, राज्य शिक्षा केंद्र के 21, लोक निर्माण विभाग के 2, नगरीय प्रशासन एवं विकास के 3, जनजातीय कार्य के एक, मध्यप्रदेश भवन विकास निगम के एक और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के एक कुल 61 कार्यों का भूमि-पूजन करेंगे। जिनकी अनुमानित लागत 365.39 करोड़ रुपये है। साथ ही 9 विभागों के 53 कार्यों जिनकी लागत 77.92 करोड़ रुपये है का लोकार्पण करेंगे।   सिंगरौली जिले में लोकार्पण और शिलान्यास मुख्यमंत्री सिंगरौली जिले के सरई में हायर सेकण्डरी स्कूल परिसर में जनजातीय और महिला सम्मेलन में भाग लेंगे। मुख्यमंत्री सम्मेलन में सिंगरौली जिले को 503 करोड़ 9 लाख 19 हजार रुपए के 54 निर्माण कार्यों की सौगात देंगे। समारोह में मुख्यमंत्री 104 करोड़ 67 लाख 26 हजार रुपए की लागत के 20 निर्माण कार्यों का लोकार्पण करेंगे। मुख्यमंत्री 398 करोड़ 41 लाख 93 हजार रुपए की लागत के 34 निर्माण कार्यों का शिलान्यास करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव सिंगरौली जिले में सांदीपनि हायर सेकण्डरी स्कूल चकरिया एवं हिरवाह, विद्युत सब स्टेशन हरफरी, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भवन, 8 सड़कों का डामरीकरण, कालेज भवन बरगवां, लोक सेवा केन्द्र माड़ा एवं सरई और आयुष विंग के निर्माण कार्यों का लोकार्पण करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव 11 सड़क, मेडिकल कालेज में 400 बिस्तर के अस्पताल भवन, एकल नल जल योजनाओं, नगर निगम सिंगरौली में सड़क निर्माण, नाली निर्माण सहित विभिन्न निर्माण कार्यों का शिलान्यास करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव विधानसभा क्षेत्र चितरंगी के 13, विधानसभा क्षेत्र सिंगरौली के 25, विधानसभा क्षेत्र देवसर के 15 तथा विधानसभा क्षेत्र धौहनी के एक निर्माण कार्यों का शिलान्यास एवं लोकार्पण करेंगे।  

बाढ़ से पहले तैयारी ज़रूरी: जल संसाधन मंत्री सिलावट ने दिए एहतियाती उपायों के निर्देश

भोपाल  जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने कहा है कि विभागीय अधिकारी प्रदेश में बांधों एवं जलाशयों में जल भराव की स्थिति की निरंतर निगरानी करें और बाढ़ नियंत्रण के सभी एहतियाती उपाय करें. संबंधित विभागों के साथ निरंतर समन्वय स्थापित कर आपदा प्रबंधन और नियंत्रण के सभी प्रयास करें. प्रदेश में कहीं से भी अतिवृष्टि अथवा बाढ़ की स्थिति की सूचना मिलने पर तत्परता के साथ कार्रवाई करें। जल संसाधन मंत्री श्री सिलावट ने गुरुवार को मुख्य अभियंता, बोधी कार्यालय स्थित राज्य बाढ़ नियंत्रण कक्ष में विभागीय अधिकारियों की बैठक में प्रदेश में वर्षा एवं जल संरचनाओं में जल भराव की स्थिति की समीक्षा की एवं आवश्यक निर्देश दिए. इस अवसर पर मुख्य अभियंता, बोधी श्री आर. डी. अहिरवार, अधीक्षण यंत्री, संचालक बाढ़ नियंत्रण कक्ष एवं सभी संबंधित अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में बताया गया कि रिजर्वॉयर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम में चिन्हित प्रदेश के 286 प्रमुख बांधों में से आज की स्थिति में 6 जलाशयों में 90% से अधिक, 07 में 75% से 90% तक, 22 जलाशयों में 50% से 75% तक, 43 जलाशयों में 25% से 50% तक, 52 जलाशयों में 10% से 25% तक तथा 156 जलाशयों में 10% से कम जल भराव है। विगत वर्ष में आज दिनांक की स्थिति में प्रदेश के प्रमुख बांधो में लगभग 25.76 प्रतिशत औसत जलभराव था, जबकि इस वर्षाकाल में अच्छे मानसून के आगमन से प्रदेश के प्रमुख बांधो में जलभराव की स्थिति लगभग 35.34 प्रतिशत से अधिक है। इस प्रकार विगत वर्ष की तुलना में जल भराव की स्थिति 10.25 प्रतिशत अधिक है। मानसून 2025 में मध्यप्रदेश में आज दिनांक तक 230.8 मि.मी. वास्तविक वर्षा दर्ज की गई है, जो प्रदेश की औसत वर्षा से 48 प्रतिशत अधिक है। राज्य के पूर्वी हिस्से में औसत से 30 प्रतिशत अधिक एवं पश्चिमी हिस्से में औसत से 65 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई है। प्रदेश में अच्छे मानसून के आगमन से राज्य के प्रमुख बांधो में जल भराव की स्थिति संतोषप्रद है। विगत वर्ष आज की स्थिति में मध्यप्रदेश में वास्तविक वर्षा 142 मि.मी. दर्ज हुई थी, जो औसत वर्षा से 9 प्रतिशत कम थी। पूर्वी मध्यप्रदेश में 18 प्रतिशत कम और पश्चिमी मध्यप्रदेश में औसत वर्षा दर्ज की गई थी।