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अवैध ‘नॉनवेज’ होटल पर बुलडोजर, विरोध में उतरा मालिक बोला – लाठीचार्ज कर लो, नहीं हटूंगा

संभल  उत्तर प्रदेश के संभल जिले में प्रशासन ने एक अवैध रूप से संचालित 'नॉनवेज' होटल को ध्वस्त कर दिया. मोहम्मद सईदुद्दीन का यह होटल बिना नक्शा पास कराए चलाया जा रहा था. प्रशासन ने पहले नोटिस दिया था, लेकिन जब अवैध निर्माण नहीं हटाया गया, तो बुलडोजर से इसे गिरा दिया गया. इस दौरान होटल संचालक और स्थानीय लोग विरोध करने के लिए इकट्ठा हो गए, जिससे मौके पर तनाव फैल गया.  क्यों चला बुलडोजर? बताया जा रहा है कि हयातनगर के सरायतरीन में मोहम्मद सईदुद्दीन द्वारा संचालित इस होटल का नक्शा पास नहीं था. संबंधित विभाग ने 12 जुलाई 2025 को होटल संचालक को अवैध निर्माण हटाने का नोटिस जारी किया था. इसके बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो नायब तहसीलदार और विनिमय क्षेत्र कार्यालय के अधिकारी बुलडोजर लेकर मौके पर पहुंचे. उन्होंने आरबी एक्ट की धारा 10 के तहत कार्रवाई करते हुए अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया.  संचालक और प्रशासन में हुई तीखी बहस जब प्रशासन ने बुलडोजर से कार्रवाई शुरू की, तो होटल संचालक और वहां मौजूद भीड़ ने विरोध करना शुरू कर दिया. संचालक ने आरोप लगाया कि प्रशासन सत्ता के दबाव में काम कर रहा है और उनकी दुकान का मामला अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है. उसने यह भी कहा कि वह पुलिस से पिटने, मरने और जेल जाने के लिए तैयार है, लेकिन अपनी जगह नहीं छोड़ेगा. इसके बाद हयातनगर थाने की पुलिस और पीएसी को बुलाया गया ताकि हालात को संभाला जा सके.  प्रशासन ने दी कार्रवाई की जानकारी संभल के एसडीएम विकास चंद्र ने बताया कि यह कार्रवाई पूरी तरह से कानूनी है. उन्होंने कहा कि आरबी एक्ट की धारा 10 के तहत अवैध निर्माण को ध्वस्त किया गया है. एसडीएम ने यह भी बताया कि नोटिस पहले ही जारी कर दिया गया था और सुनवाई के बाद ही यह कदम उठाया गया. वहीं, होटल संचालक का आरोप है कि 50 साल से उस जमीन पर उसका कब्जा है और प्रशासन उसे पलायन करने के लिए मजबूर कर रहा है.  होटल संचालक का बयान  होटल संचालक ने कहा कि 50 साल से मेरा इसी जमीन पर कब्जा है. प्रशासन के द्वारा गलत तरीके से सत्ता के दबाव में जाकर कार्रवाई की गई है, जबकि मेरी दुकान का मुकदमा भी कोर्ट में विचार अधीन है. मौके पर मेरा जायज कब्जा है. नाजायज तरीके से बुलडोजर लेकर यहां पर अधिकारी आए हैं. लेकिन अब मैं पुलिस से पिटने के लिए, मरने के लिए और जेल जाने के लिए तैयार हूं, मगर यह जगह नहीं छोडूंगा.

पशु चिकित्सक रिश्वत लेते धरा गया! उज्जैन में लोकायुक्त ने 9 हजार की रिश्वत लेते किया गिरफ्तार

उज्जैन मध्यप्रदेश में भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारी के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बावजूद घूसखोरी के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहें हैं। ताजा मामला उज्जैन से सामने आया है। यहां पशु चिकित्सक को गाय का पोस्टमार्टम करने के लिए घूस लेते हुए लोकायुक्त पुलिस ने रंगे हाथों पकड़ा है। 9 हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार को उज्जैन के इंगोरिया में पदस्थ पशु चिकित्सा मनमोहन सिंह पवैया को 9 हजार रुपये की रिश्वत लेते लोकायुक्त पुलिन ने रंगें हाथ पकड़ा है। दरअसल, पशु चिकित्सा कार्यालय पर गाय का पोस्टमार्टम करने के एवज में मनमोहन सिंह पवैया ने 10 हजार की रिश्वत मांगी थी। उसी रिश्वत राशि में 9000 लेते हुए लोकायुक्त की टीम ने डॉ मनमोहन सिंह पवैया को गिरफ्तार किया। शिकायत के बाद कार्रवाई बता दें कि, ग्राम सरसाना बड़नगर तहसील के रहने शख्स ने लोकायुक्त कार्यालय में मामले की शिकायत की थी। फरियादी की शिकायत के बाद लोकायुक्त पुलिस ने भ्रष्ट चिकित्सक के खिलाफ एक्शन लिया। फिलहाल भ्रष्टाचार के विभिन्न अधिनियमों के तहत कार्रवाई की जा रही है।

पुलिस विभाग में हलचल: जहानाबाद के 47 अधिकारियों का स्थानांतरण

जहानाबाद जहानाबाद जिले में आगामी दशहरा पूजा और विधानसभा चुनाव को देखते हुए पुलिस विभाग में बड़े स्तर पर फेरबदल किया गया है। पुलिस अधीक्षक विनीत कुमार के आदेश पर जिले के 47 पुलिस पदाधिकारियों का स्थानांतरण किया गया, जिनमें 19 थानाध्यक्ष शामिल हैं। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि यह कदम जिले में कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने और थानों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। उन्होंने बताया कि सभी थाना अध्यक्षों का निरीक्षण किया गया और जिन अधिकारियों ने अपने कार्यों में पर्याप्त सजगता नहीं दिखाई, उन्हें नए पदों पर स्थानांतरित किया गया। इस फेरबदल के बाद उम्मीद है कि सभी थाना अध्यक्ष अपने कार्य के प्रति अधिक सजग रहेंगे और जिले में पुलिसिंग में पारदर्शिता और गति बढ़ेगी। तबादले के प्रमुख विवरण इस प्रकार हैं:     सदर थाना प्रभारी दिवाकर कुमार विश्वकर्मा को मखदुमपुर थाना का प्रभारी बनाया गया।     मखदुमपुर थाना प्रभारी ओम प्रकाश को सदर अंचल निरीक्षक बनाया गया।     शकुराबाद थाना प्रभारी मोहन प्रसाद को सदर थाना, हुलासगंज थाना प्रभारी पंकज कुमार को टेहटा, टेहटा थाना प्रभारी सुमन को कड़ौना, और कड़ौना थाना प्रभारी पवन कुमार दास को ओकरी स्थानांतरित किया गया।     घोषी थाना प्रभारी ददन प्रसाद को कल्पा, सदर अंचल निरीक्षक परमानंद लाल करण को घोसी का प्रभारी बनाया गया।     अन्य स्थानांतरण में काको, परसबिगहा, अनुसूचित जनजाति थाना, भेलावर, उमता, वाणावर, सिकरिया, विष्णुगंज और पाली थाना शामिल हैं। इस बड़े फेरबदल के बाद जिले में पुलिस महकमे में हलचल मची हुई है। सभी स्थानांतिरत अधिकारियों को तुरंत नए पदों पर योगदान देने का निर्देश दिया गया है। इस कदम से जिले में कानून व्यवस्था को मजबूत करने के साथ ही पुलिसिंग में गति और पारदर्शिता बढ़ाने की उम्मीद जताई जा रही है।

पुलिस ने किया बड़ा एनकाउंटर, शिवपुरी में 30 किलो चरस और तस्कर पकड़ाए, संपत्ति की जांच होगी

शिवपुरी  शिवपुरी पुलिस ने नशे के कारोबार के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए 30 किलो 295 ग्राम चरस जब्त की है। बरामद मादक पदार्थ की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत लगभग 6 करोड़ 21 लाख रुपए बताई गई है। मामले में आरोपी संदीप सिंह सिख (38), निवासी रमतला की किया गिरफ्तार।  एसपी अमन सिंह राठौड़ के मुताबिक, गुरुवार को देहात थाना प्रभारी जितेंद्र मावई को सूचना मिली कि मझेरा गांव, कोटा-झांसी फोर लेन पर एक युवक बड़ी खेप लेकर पहुंचने वाला है। पुलिस ने घेराबंदी कर आरोपी को पकड़ा। उसके पास से दो बैगों में रखे 60 पैकेट चरस और एक नई किओ कार जब्त की गई। जांच में सामने आया कि संदीप सिंह ने यह खेप नेपाल से मंगवाई थी। नेपाल से टमाटर का व्यापार करने वाला मोहन ठाकुर यह खेप ट्रक में छुपाकर लाया और संदीप को सौंप दी। राजस्थान की पार्टी से सौदा तय हुआ था, लेकिन पुलिस की दबिश से आरोपी पहले ही पकड़ लिया गया। ऐसे आया पुलिस की पकड़ में पुलिस के मुताबिक, कुछ महीने पहले गुना की केंट पुलिस ने आरोपी संदीप सिंह को 650 ग्राम अफीम के साथ पकड़कर जेल भेज दिया था। यहीं जेल में उसकी मुलाकात बंटी नाम के कैदी से हुई। बंटी ने संदीप को भरोसा दिलाया कि वह उसे राजस्थान की बड़ी पार्टी से मिलवा सकता है, जो चरस की भारी खेप खरीदने को तैयार है। करीब एक माह पहले जब दोनों जेल से बाहर आए, तब बंटी ने संदीप की मुलाकात उस राजस्थान की पार्टी से कराई। इसके बाद संदीप सिंह ने नेपाल से चरस की यह खेप मंगवाई। मोहन ठाकुर नाम का टमाटर व्यापारी यह खेप नेपाल से ट्रक में छुपाकर अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पार करके शिवपुरी लाया और संदीप सिंह को सौंप दी। डील तय हुई कि राजस्थान की पार्टी चरस लेने शिवपुरी आएगी और मझेरा गांव (कोटा-झांसी फोर लेन) पर डिलीवरी पॉइंट तय किया गया। लेकिन इससे पहले ही पुलिस ने दबिश देकर संदीप सिंह को पकड़ लिया। चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपी ने सिर्फ 7 दिन पहले ही नई किओ कार खरीदी थी, जिससे वह चरस की डिलीवरी देने पहुंचा था। ढाबे से होटल तक- 7 साल का काला सफर संदीप सिंह के माता-पिता मूलतः पंजाब के रहने वाले हैं। कई साल पहले वे कोलारस आकर बस गए और 10 बीघा जमीन लेकर खेती करने लगे। संदीप दो भाइयों में से एक है। कोरोना काल के दौरान संदीप ने कोलारस बायपास पर एक छोटी झोपड़ी में ढाबा खोला। इसी ढाबे से उसने अवैध नशे का कारोबार शुरू किया। धीरे-धीरे वह अफीम, गांजा और चरस बेचने और सप्लाई करने लगा। सिर्फ 7 साल में जिस झोपड़ी में ढाबा था, वहां अब दो मंजिला होटल खड़ा है। इसके अलावा उसने काली कमाई से कई जमीनें और मकान खरीदे हैं। एसपी अमन सिंह राठौड़ ने यह भी कहा है कि आरोपी ने अचानक ही पैसा बनाया और प्रॉपर्टी खड़ी कर ली। अब उसकी संपत्ति की जांच भी होगी। आरोपी का नेटवर्क और आपराधिक रिकॉर्ड मोहन ठाकुर लखनऊ का रहने वाला है। वही नेपाल से टमाटर की खेप ले जाने वाला व्यापारी है, जिसने नेपाल से चरस लाकर संदीप को देता था। बंटी कैदी साथी जिससे जेल में मुलाकात, जिसने राजस्थान की बड़ी पार्टी से संदीप का कनेक्शन कराया। संदीप सिंह का रिकॉर्ड, पहले भी कई मामले दर्ज, जिनमें एनडीपीएस, आबकारी एक्ट और गुना-कोलारस थानों में अपराध शामिल हैं। पिछले वर्ष उससे 03 करोड़ 49 लाख रुपए की 17 किलो चरस भी जब्त हुई थी।

नाबालिग पीड़िता को आरोपी के घर भेजा, फिर हुई दरिंदगी – पन्ना DPO समेत 10 के खिलाफ केस

छतरपुर/पन्ना   पन्ना जिले की बाल कल्याण समिति, महिला एवं बाल विकास अधिकारी और वन स्टॉप सेंटर के स्टाफ ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की जिंदगी से खिलवाड़ किया. दरअसल, पन्ना जिले की नाबालिग को एक युवक भगाकर ले गया. बाद में नाबालिग को छतरपुर जिले से बरामद किया गया. दुष्कर्म के आरोपी को जेल भेज दिया गया. पीड़िता को वन स्टॉप सेंटर पर रखा गया. जब आरोपी जेल से छूटकर आया तो पीड़िता को जिम्मेदारों ने उसी के घर भेज दिया. इसके बाद आरोपी ने नाबालिग को लगातार हवस का शिकार बनाया. जांच के बाद छतरपुर पुलिस का एक्शन इस मामले का खुलासा होने पर पन्ना जिला प्रशासन और पुलिस में हड़कंप मच गया. इसके बाद हुई जांच के आधार पर छतरपुर पुलिस ने बाल कल्याण समिति पन्ना के अध्यक्ष, समिति के पांचों सदस्य, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी, वन स्टॉप सेंटर के तीनों कर्मचारी और एक अन्य महिला के खिलाफ अपराध दर्ज किया है. एक आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया गया है. अन्य की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है. पुलिस ने जांच में पाया कि नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में बाल कल्याण समिति ने घोर लापरवाही की. 15 साल की लड़की को साथ ले गया युवक छतरपुर के जुझारनगर थाने में पन्ना के डीपीओ सहित 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. मामले के अनुसार पन्ना जिले के एक गांव में रहने वाली 15 साल की नाबालिग 16 जनवरी 2025 को स्कूल जाने के लिए घर से निकली, फिर लौटी नहीं. परिजनों ने थाना में गुमशुदुगी दर्ज कराई. पुलिस ने मामला दर्ज कर नाबालिग को 17 फरवरी 2025 को छतरपुर जिले के एक गांव से दस्तयाब किया. नाबालिग को भगा ले जाने वाले आरोपी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया. पीड़िता को आरोपी के ही घर भेजा नाबालिग को बाल कल्याण समिति पन्ना के समक्ष प्रस्तुत किया गया. बाल कल्याण समिति ने अस्थाई आश्रय के लिए वन स्टॉप सेंटर पन्ना भेज दिया. बताया गया कि बच्ची के परिवार वाले उससे नाराज थे. इस कारण उन्होंने अपने साथ ले जाने से मना कर दिया. इसलिए उसे महिला बाल विकास की समिति और वन स्टॉप सेंटर को सौंप दिया. इसी बीच बाल कल्याण समिति ने 29 मार्च 2025 को पीड़िता को आरोपी के घर भेज दिया. जनसुनवाई में मामला पहुंचने से हड़कंप कुछ दिनों बाद नाबालिग के परिजनों ने बेटी को सुपुर्द करने कलेक्ट्रेट पन्ना जनसुनवाई में शिकायत दर्ज कराई. कलेक्टर ने शिकायत को संज्ञान में लेकर बाल कल्याण समिति को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने निर्देश दिए. गलत और मनमाने निर्णय का खुलासा न हो, इसलिए नाबालिग को 29 अप्रैल 2025 को दोबारा वन स्टॉप सेंटर भेज दिया गया. वन स्टॉप सेंटर की काउंसलिंग में खुलासा हुआ कि उसके साथ कई बार दुष्कर्म हुआ. एक आरोपी गिरफ्तार, अन्य की गिरफ्तारी के लिए दबिश इस मामले में छतरपुर पुलिस ने बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष भानुप्रताप जड़िया पिता मनीराम जड़िया निवासी किशोरगंज पन्ना, सदस्य अंजली भदौरिया पति योगेंद्र भदौरिया निवासी सिविल लाइन पन्ना, आशीष बॉस पिता एनएन बॉस निवासी सिविल लाइन पन्ना, सुदीप श्रीवास्तव पिता सरमन लाल श्रीवास्तव निवासी किशोरगंज पन्ना और प्रमोद कुमार सिंह पिता मोहन सिंह निवासी ललार जिला पन्ना के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 17 के तहत कायमी की है. छतरपुर पुलिस ने आशीष बॉस को गिरफ्तार किया है. बाकी आरोपियों के घर पुलिस ने दबिश दी जा रही है. इनके खिलाफ भी पॉक्सो एक्ट सहित अन्य धाराओं में केस इसके अलावा वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक कविता पाण्डेय, काउंसलर प्रियंका सिंह, केस वर्कर शिवानी शर्मा के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 21 के तहत अपराध कायम किया गया है. जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी अवधेश सिंह के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 21, एससीएसटी एक्ट की धारा 4, बीएनएस की धारा 199, 239 सहित एक अन्य महिला अंजली कुशवाहा के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम की धारा 82 के तहत अपराध दर्ज किया गया है. इस मामले में लवकश नगर SDOP नवीन दुबे ने बताया "मामले को गंभीरता से लेते हुए पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है. पहली गिरफ्तारी महिला बाल कल्याण समिति के सदस्य आशीष बॉस की हुई है. उसे जेल भेज दिया गया है. बाकी सदस्य अभी फरार हैं. जल्द ही सभी को गिरफ्तार किया जाएगा."  

मासूम का सपना हुआ पूरा: 8 साल की बच्ची को मिली पुलिस की नौकरी, जानें कितना मिलेगा वेतन

उज्जैन क्या चौथी कक्षा में पढ़ने वाली आठ साल की बच्ची पुलिस विभाग में भर्ती हो सकती है, तो इसके जवाब में हर कोई कहेगा कि नहीं ऐसा बिल्कुल भी संभव नहीं है। लेकिन मध्य प्रदेश के उज्जैन में ऐसा हो चुका है। यहां पर पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने हाल ही में इस 8 साल की बच्ची को पुलिस में बाल आरक्षक पद पर नियुक्ति का पत्र सौंपा है। नियुक्ति पत्र के साथ बालिका की सैलरी ओर कार्य का दायित्व भी सौंपा गया। हालांकि वर्दी पहनने के लिए उसे 10 साल ओर इंतजार करना पड़ेगा। यह मामला सोमवार को उस वक्त सामने आया, जब बच्ची अपनी मां के साथ हाथों में कॉपी-पेंसिल की जगह अनुकम्पा नियुक्ति के लिए नौकरी का आवेदन लेकर उज्जैन शहर के पुलिस कंट्रोल रूम स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंची। इस बच्ची का नाम इच्छा रघुवंशी है, जो कि अपने पिता की जगह अनुकम्पा नियुक्ति पाने के लिए आवेदन लेकर पहुंची थी। दरअसल उसके पिता देवेंद्र सिंह रघुवंशी महाकाल थाने में प्रधान आरक्षक थे, और इस साल 17 मई को ड्यूटी के दौरान हार्ट अटैक आने से उनकी मौत हो गई थी। पति के अचानक जाने से मां-बेटी पर टूटा दुखों का पहाड़ तीन सदस्यों के परिवार में इच्छा के पिता कमाने वाले अकेले सदस्य थे। ऐसे में उनके यूं अचानक गुजर जाने से मां-बेटी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा और उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया और उनका पालन-पोषण करने वाला कोई नहीं बचा। ऐसे में देवेंद्र सिंह के गुजरने के तीन महीने बाद 2 सितंबर को मृतक प्रधान आरक्षक की पत्नी अपनी 8 वर्षीय बेटी इच्छा के साथ पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंची और यहां आरक्षक पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। आवेदन देने के 25 मिनिट के अंदर मिला नियुक्ति पत्र शासकीय कार्य कैसे होते हैं यह तो हम भलीभांति जानते हैं। ऐसे मामलों में आमतौर पर फाइलें इधर से उधर घूमती रहती हैं, साइन और आदेश के बीच समय निकलता जाता है, पर इस मामले ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ। मां-बेटी जब अनुकम्पा नियुक्ति से जुड़ा आवेदन पत्र लेकर पहुंचीं तो उज्जैन के पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने अति संवेदनशीलता का परिचय देते हुए आवेदन प्राप्त होते ही तत्काल इस बारे में आदेश जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी और मात्र 25 मिनट के भीतर ही उन्होंने बच्ची को बाल आरक्षक पद पर नियुक्ति का आदेश जारी कर नियुक्ति पत्र परिजन को सौंप दिया। नौकरी में बच्ची को करना पड़ेगा यह काम, मिलेगा इतना वेतन इच्छा अभी 8 साल की है और चौथी कक्षा में पढ़ती है, हालांकि इसके बावजूद उसका नाम पुलिस कर्मचारी की लिस्ट में दर्ज हो चुका है। पुलिस नियमों के अनुसार जब वो 10वीं कक्षा पास कर लेगी तो स्थायी आरक्षक बन सकेगी। इच्छा को मिलने वाले वेतन की जानकारी देते हुए अधिकारी ने बताया कि बाल आरक्षक को नव आरक्षक से आधा वेतन मिलता है। इसी नियम के तहत इच्छा को हर महीने 15 हजार 113 रुपए वेतन मिलेगा। साथ ही उसे महीने में एक बार थाने आकर साइन करना होगा और इस दौरान उसकी पढ़ाई-लिखाई से जुड़ी जानकारी भी ली जाएगी। 10 साल बाद जब इच्छा 18 साल की उम्र पूरी कर लेगी और 10वीं की परीक्षा पास कर लेगी, तो उसके बाद वह स्थायी आरक्षक बन पाएगी। इस दौरान पिता की पेंशन उनकी मां को मिलती रहेगी।

चाचा की हत्या कर गैंगस्टर बना, हरियाणा का बदमाश बादली अब पुलिस के हत्थे चढ़ा

गुरुग्राम गैंगस्टर मैनपाल बादली को कंबोडिया से भारत प्रत्यर्पित कर बुधवार सुबह दिल्ली लाया गया, जहां हरियाणा पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने उसे गिरफ्तार कर लिया। बादली पर सात लाख का इनाम घोषित था और वह साल 2018 में पैरोल पर बाहर आने के बाद से फरार था। विदेश से चला रहा था गैंग एसटीएफ के अनुसार बादली पिछले कई सालों से विदेश में बैठकर अपने आपराधिक गिरोह को चला रहा था। वह रंगदारी, हत्या और अन्य संगीन अपराधों में शामिल था। एसटीएफ ने इंटरपोल की मदद से उसे कंबोडिया में हिरासत में लिया था और कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद उसे भारत डिपोर्ट किया गया है। सात साल से विदेश में था मैनपाल बादली मैनपाल 29 अगस्त 2018 को पैरोल पर जेल से बाहर आया था। जिसके बाद वह विदेश चला गया। उस पर हत्या समेत कई गंभीर मामले दर्ज हैं। जेल में रहते हुए भी हत्या करने का आरोप है। मैनपाल शुरुआत में ट्रैक्टर रिपेयर का काम सीखता था, लेकिन साल 2000 में अपने चाचा की हत्या के बाद अपराध की दुनिया में उसने कदम रखा। नंबर वन मोस्टवांटेड है मैनपाल हरियाणा पुलिस की सूची में मैनपाल बादली नंबर-1 मोस्ट वांटेड बदमाश है। इसी के चलते पुलिस इसको दबोचने के लिए लगी हुई थी। हाल ही में इसको कंबोडिया में पकड़ा गया। पुलिस और खुफिया एजेंसियां अब उसके गैंग के बाकी सदस्यों और नेटवर्क पर भी नजर रख रही हैं। साथ ही एसटीएफ ने इस ऑपरेशन को गुप्त रखा था। इसके बाद कम्बोडिया की स्थानीय अधिकारियों के सहयोग से मैनपाल को हिरासत में लिया गया। ड्रग्स सिंडीकेट से भी संपर्क पुलिस के अनुसार मैनपाल का गैंग ड्रग्स की तस्करी और अवैध हथियारों के कारोबार में भी शामिल है। कंबोडिया में उसकी लोकेशन ट्रैक करने के लिए हरियाणा एसटीएफ ने इंटरपोल और केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम किया। 20 अगस्त के आसपास कंबोडिया पुलिस ने उसे हिरासत में लिया और डिपोर्ट की प्रक्रिया पूरी कर उसे भारत लाया गया है। गैंगस्टर बनने से पहले ट्रैक्टर मिस्त्री था शुरुआत में मैनपाल ट्रैक्टर रिपेयर का काम सीख रहा था, लेकिन चाचा की हत्या के बाद उसने अपराध की राह पकड़ ली। धीरे-धीरे वह हरियाणा के सबसे खतरनाक गैंगस्टरों में शामिल हो गया। उसका गैंग कई आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा, जिसमें हत्या, फिरौती और संगठित अपराध शामिल हैं। 2018 में हुआ था फरार बादली को साल 2018 में एक मामले में पैरोल मिली थी, जिसके बाद वह वापस जेल नहीं लौटा और फरार हो गया था। एसटीएफ उसकी तलाश में थी और आखिरकार उसे पकड़ने में सफलता मिली। गिरफ्तारी के बाद, बादली से आगे की पूछताछ की जा रही है ताकि उसके गैंग के अन्य सदस्यों और गतिविधियों का पता लगाया जा सके।

शराब पीकर वाहन चलाना पड़ा भारी, रायपुर पुलिस ने 1200 से अधिक चालकों को पकड़ा

रायपुर  नशे की हालत में वाहन चलाने वालों पर रायपुर पुलिस का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। यातायात पुलिस ने विशेष अभियान चलाकर सिर्फ पिछले एक हफ्ते में 90 से अधिक वाहन चालकों पर कार्रवाई की है। वहीं जनवरी 2025 से अब तक 1200 से अधिक चालकों के खिलाफ मोटरयान अधिनियम के तहत कार्यवाही की जा चुकी है। एसएसपी डॉ. लाल उमेद सिंह के निर्देश पर चलाए जा रहे इस अभियान के तहत पुलिस शहर के प्रमुख मार्गों और चौक-चौराहों पर बेरिकेटिंग कर ब्रीथ एनालाइज़र मशीन से जांच कर रही है। नशे की हालत में वाहन चलाते पाए जाने पर मौके पर ही वाहन ज़ब्त कर चालान बनाकर कोर्ट पेश किया जा रहा है। पिछले एक सप्ताह में कार्रवाई के आंकड़े     मोटरसाइकल/स्कूटी : 20     कार : 56     टाटा एस/पिकअप : 08     ट्रक : 02     ट्रैक्टर : 02     ई-रिक्शा : 02 भारी जुर्माना और लाइसेंस निलंबन न्यायालय में पेश किए जाने पर इन चालकों पर 10 हजार से 15 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जाता है। इसके अलावा लाइसेंस निलंबन की प्रक्रिया भी की जाती है। त्योहारी सीजन में विशेष अभियान त्योहारों के दौरान अपराध और सड़क हादसों पर रोकथाम के लिए पुलिस रोज़ाना रात 11 बजे से तड़के 2 बजे तक विशेष चेकिंग अभियान चला रही है। पुलिस की अपील पुलिस ने वाहन चालकों से अपील की है कि नशे की हालत में वाहन न चलाएं। ऐसा करने पर चालक न सिर्फ खुद की बल्कि दूसरे लोगों की जान को भी खतरे में डालता है। पकड़े जाने पर वाहन ज़ब्त करने के साथ ही कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां भारी जुर्माने से दंडित होना तय है। 

गाजा पीड़ित बनकर मस्जिदों से पैसा वसूलने वाले सीरियाई गैंग को पुलिस ने पकड़ा

अहमदाबाद अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने एक सीरियाई गिरोह का भंडाफोड़ किया है. यह गिरोह गाजा पीड़ितों के रूप में मस्जिदों से पैसे वसूल रहा था. मामले में पुलिस ने अली मेघात अलजाहर नाम के एक सीरियाई नागरिक को गिरफ्तार किया है. वह टूरिस्ट वीजा पर भारत आया था. पूछताछ के दौरान पता चला कि वह पैसों का इस्तेमाल ऐशो-आराम की ज़िंदगी जीने में कर रहा था. पुलिस कार्रवाई के बाद उसके तीन साथी फरार हैं. जिनकी तलाश की जा रही है. पुलिस का दावा है कि जल्द ही तीनों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. ऐसी गतिविधियां देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए हैं खतरा: पुलिस क्राइम ब्रांच ने कहा है कि ये गतिविधियां देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं. वे वीजा नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं और संदिग्ध गतिविधियों में शामिल हैं. हालांकि एकत्रित धन का इस्तेमाल किस उद्देश्य से किया जा रहा था, इसका पता लगाने के लिए जांच चल रही है.  मामले की जांच राज्य और केंद्रीय एजेंसियों द्वारा की जा रही है. फिलहाल अली को हिरासत में लेकर ब्लैकलिस्ट करने और डिपोर्ट करने की कार्रवाई की जा रही है. पुलिस द्वारा ऐसे अन्य गैंग का भी पता लगाया जा रहा है.  मेधात अल-ज़हर दमास्क्स का रहने वाला है अली मेधात पुलिस ने बताया कि क्राइम ब्रांच द्वारा पकड़ा गया अली मेधात, अल-ज़हर दमास्क्स का रहने वाला है और खुद को सीया मुस्लिम बता रहा है. वह अहमदाबाद की एक होटल में रुका था, जहां से उसे पकड़ा गया. क्राइम ब्रांच की जांच में सामने आया कि आरोपी के शरीर पर घाव के निशान हैं, जिसे वह युद्ध में लगे चोट होने का दावा कर रहा है.  आरोपी के गैंग में शामिल झकरीया अलजर, अहमदा अल्हबश, युसेफ अलजहर अभी फरार हैं. पुलिस उन्हें ढूंढ रही है. यह लोग लेबनान में एकत्रित हुए और फिर वहां से भारत आए थे.

3 साल में 22,500 पुलिसकर्मी भर्ती होंगे, CM यादव की घोषणा पर तेज हुई प्रक्रिया

भोपाल  मध्य प्रदेश के पुलिस थानों में खाली पड़े हजारों पद जल्दी भर लिए जायेंगे, सरकार ने इसकी तैयारियां तेज कर दी है, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने बीते 15 अगस्त को घोषणा करते हुए कहा कि अगले तीन साल में ये भर्तियाँ हो जायेंगी इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने भर्तियों के लिए पुलिस भर्ती बोर्ड के गठन की भी घोषणा की। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री डॉ मोहन यादव की घोषणा के बाद से प्रदेश के युवा उत्साहित हैं, विशेष रूप से उन युवाओं में बहुत उत्साह है जो लंबे समय से पुलिस भर्ती की तैयारी कर रहे थे और खाकी वर्दी पहनने का सपना दिल में संजोये बैठे हैं, उनके सपने जल्दी ही हकीकत में बदलने वाले हैं। सीएम डॉ मोहन यादव ने 15 अगस्त को पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों के सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि मेरी जानकारी में आया है हमने  7500 पदों पर भर्ती की अनुमति दी है लेकिन अभी भी 20 हजार पद पुलिस विभाग में खाली है, उन्होंने कहा कि हम अगले तीन सालों में सभी खाली पदों को भर देंगे। सीएम ने की पुलिस भर्ती बोर्ड बनाने की घोषणा  सीएम ने पुलिस के आला अधिकारियों की तरफ देखते हुए कहा कि पहले ये भर्तियाँ कर्मचारी चयन मंडल करता था  जिसमें कई तरह की परेशानियाँ आती थी इसलिए आप इसके लिए बोर्ड बनाइये मैं पुलिस भर्ती बोर्ड बनाने की घोषणा करता हूँ, जिससे आप अपने हिसाब से भर्ती कर सकेंगे।  इससे पुलिस भर्ती में तेजी, पारदर्शिता और परफेक्शन आएगा। तीन वर्ष तक हर साल होगी 7500 पदों पर भर्ती  मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2025 के लिए पुलिस में स्वीकृत पदों की भर्ती मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड की ओर से कर्मचारी चयन मंडल करेगा। वर्ष 2026 से ये भर्तियां पुलिस भर्ती बोर्ड द्वारा ही की जाएंगी। प्रतिवर्ष पुलिस के रिक्त 7500 पदों पर भर्ती की जाएगी और इस प्रकार आगामी 3 वर्ष में पुलिस विभाग के सभी रिक्त 22,500 पद भर दिए जाएंगे। वीवीआईपी ड्यूटी में तैनात अफसरों के लिए ये घोषणा   मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पुलिस, जेल और नगर सेवा एवं सुरक्षा तीनों विभागों के शहीदों की विधवाओं और बच्चों के लिए स्नातक स्तर के सभी पाठ्यक्रमों में विभिन्न प्राथमिकता श्रेणियां में एक अतिरिक्त सीट पर आरक्षण दिये जाने की घोषणा भी की है। वीवीआइपी ड्यूटी में तैनात सुरक्षा कर्मचारियों सहित उप पुलिस अधीक्षक और इससे उच्च अधिकारियों को भी पात्रता अनुसार निर्धारित विशेष भत्ता एवं जोखिम भत्ता दिये जाने का निर्णण भी लिया गया है।