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भारत-अर्कटिक कनेक्शन: पुतिन की पहल से चीन को टक्कर, बर्फीले मार्ग की अहमियत

मॉस्को/ नईदिल्ली  वैश्विक भू-राजनीति के बदलते परिदृश्य में, रूस और भारत के बीच सदियों पुरानी दोस्ती एक बार फिर नई ऊंचाइयों को छूने वाली है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दिसंबर में प्रस्तावित भारत यात्रा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगी, बल्कि आर्कटिक क्षेत्र में एक ऐतिहासिक समझौते की नींव भी रखेगी। यह समझौता नॉर्दर्न सी रूट (NSR) और संसाधन विकास पर केंद्रित होगा जो भारत को आर्कटिक परिषद में बड़ी भूमिका दिलाने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। यह कदम न केवल आर्थिक अवसरों के द्वार खोलेगा, बल्कि चीन की बढ़ती आर्कटिक महत्वाकांक्षाओं के बीच रूस के लिए एक रणनीतिक संतुलन भी साबित होगा। पारंपरिक दक्षिणी समुद्री मार्गों की तुलना में छोटा यह मार्ग ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, नई दिल्ली की नॉर्दर्न सी रूट के विकास में संभावित भागीदारी को लेकर बातचीत चल रही है और संभावना है कि इस साल होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन में इस दिशा में ठोस परिणाम सामने आ सकते हैं। नॉर्दर्न सी रूट रूस के उत्तरी तट के साथ आर्कटिक महासागर से होकर गुजरता है और पारंपरिक दक्षिणी समुद्री मार्गों की तुलना में करीब 40% छोटा है। इस मार्ग से यूरोप और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के बीच तेज, सुरक्षित और किफायती कार्गो परिवहन संभव हो सकेगा। जुलाई 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉस्को यात्रा के दौरान दोनों देशों ने आर्कटिक शिपिंग में सहयोग की संभावनाओं को लेकर एक संयुक्त कार्य समूह बनाने पर सहमति जताई थी। यह समूह रूस के विशेष आर्कटिक विकास प्रतिनिधि व्लादिमीर पानोव (Rosatom) और भारत के नौवहन मंत्रालय के विशेष सचिव राजेश कुमार सिन्हा की संयुक्त अध्यक्षता में काम कर रहा है। इस कार्य समूह की पहली बैठक अक्टूबर 2024 में नई दिल्ली में हुई, जिसमें आर्कटिक जहाज निर्माण परियोजनाओं में साझेदारी, भारतीय नाविकों को ध्रुवीय नौवहन प्रशिक्षण देने, और एनएसआर पर कार्गो शिपिंग सहयोग के लिए एक एमओयू तैयार करने पर चर्चा हुई। भारत को आर्कटिक काउंसिल में बड़ी भूमिका देना चाहता है रूस सूत्रों के अनुसार, रूस चाहता है कि भारत को आर्कटिक काउंसिल में अधिक प्रभावशाली भूमिका दी जाए। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि मॉस्को क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल को संतुलित करना चाहता है। आर्कटिक इलाका जीवाश्म ईंधन और महत्वपूर्ण खनिजों से समृद्ध है, जिससे रूस और भारत दोनों के लिए यह रणनीतिक रूप से अहम बनता है। इसके साथ ही रूस इस बात पर भी जोर दे रहा है कि नॉर्दर्न सी रूट को ईरान के चाबहार बंदरगाह से जोड़ा जाए। भारत ने इस बंदरगाह के संचालन की जिम्मेदारी अगले दस वर्षों के लिए हासिल की है। रूस इस बंदरगाह का इस्तेमाल भारतीय महासागर क्षेत्र तक पहुंच के लिए करना चाहता है। पुतिन के आगामी भारत दौरे से उम्मीद की जा रही है कि भारत-रूस आर्कटिक सहयोग में एक नया अध्याय शुरू होगा, जो न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। आर्कटिक: वैश्विक व्यापार का नया गेटवे आर्कटिक क्षेत्र पृथ्वी के सबसे ठंडे और संसाधन-समृद्ध इलाकों में से एक है। यह आज जलवायु परिवर्तन के कारण तेजी से पिघल रहा है। इससे न केवल नए शिपिंग मार्ग खुल रहे हैं, बल्कि तेल, गैस, दुर्लभ खनिजों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों तक पहुंच भी आसान हो रही है। रूस आर्कटिक महासागर के 53 प्रतिशत तट को नियंत्रित करता है। वह इस क्षेत्र में अपनी प्रभुता कायम रखने के लिए सक्रिय है। 2024 में NSR से 37 मिलियन टन से अधिक माल ढोया गया, जो 2025 में और बढ़ने की उम्मीद है। भारत के लिए यह अवसर सुनहरा है। स्वेज कनाल या पनामा चैनल जैसे पारंपरिक मार्गों की तुलना में NSR एशिया और यूरोप के बीच यात्रा को 40 प्रतिशत छोटा कर देता है। इससे न केवल ईंधन की बचत होगी, बल्कि व्यापारिक लागत भी घटेगी। रूसी स्रोतों के अनुसार, पुतिन की यात्रा के दौरान NSR के उपयोग पर ठोस कार्रवाई की योजना बनेगी। इसमें भारत को रूसी आइसब्रेकर बेड़े (जिसमें 40 आइसब्रेकर और 8 न्यूक्लियर-संचालित जहाज शामिल हैं) का सहयोग मिलेगा। यह कदम चीन की 'पोलर सिल्क रोड' महत्वाकांक्षाओं का मुकाबला करने के लिए रूस की रणनीति का हिस्सा है। आर्कटिक में चीन की बढ़ती उपस्थिति रूस के लिए चुनौती बनी हुई है, और भारत का प्रवेश एक संतुलनकारी शक्ति के रूप में काम करेगा। भारत-रूस संबंध: इतिहास से वर्तमान तक भारत और रूस के बीच संबंध सोवियत काल से ही विशेष रहे हैं। 1971 के भारत-पाक युद्ध में सोवियत संघ का समर्थन हो या आज रूस का S-400 मिसाइल सिस्टम, दोनों देशों की साझेदारी रक्षा, ऊर्जा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में अटूट रही है। 2024 में द्विपक्षीय व्यापार 63 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें रूसी तेल भारत का सबसे बड़ा आयात स्रोत बना। यूक्रेन संघर्ष के बावजूद, भारत ने रूसी ऊर्जा पर निर्भरता बनाए रखी, जिसकी आलोचना अमेरिका ने की। लेकिन राष्ट्रपति पुतिन ने हाल ही में वलदाई चर्चा क्लब में कहा, "भारत हमारे ऊर्जा वाहकों को अस्वीकार करे तो उसे 9-10 अरब डॉलर का नुकसान होगा। हमारी साझेदारी मजबूत है।" पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को "प्रिय मित्र" और "बुद्धिमान नेता" कहा, जो देश की भलाई के बारे में सोचते हैं।

रूस ने दिया भरोसा: ट्रंप के टैरिफ से भारत को कोई नुकसान नहीं होगा

नई दिल्ली अमेरिका ने भारत को झुकाने के लिए 50 फीसदी टैरिफ लगाया. डोनाल्ड ट्रंप ने सोचा इससे भारत-रूस की दोस्ती टूट जाएगी. भारत टैरिफ के दबाव में रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा. इससे रूस कमजोर पड़ जाएगा. रूस-यूक्रेन खत्म हो जाएगा. मगर ट्रंप की सोच से भी आगे निकली भारत-रूस की दोस्ती. जी हां, ट्रंप के टैरिफ का असर अब उल्टा हो रहा है. भारत और रूस की दोस्ती और मजबूत हो रही है. यही कारण है कि रूस अब अपने दोस्त भारत को टैरिफ से अधिक नुकसान नहीं होने देगा. ट्रंप टैरिफ से भारत को हो रहे नुकसान की भरपाई खुद रूस करेगा. इसका आदेश भी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दे दिया है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को अपनी सरकार को आदेश दिया है कि वह नई दिल्ली की ओर से कच्चे तेल के भारी आयात के कारण भारत के साथ व्यापार असंतुलन को कम करने के उपाय करे. साउथ रूस के काला सागर रिसॉर्ट में गुरुवार शाम भारत सहित 140 देशों के सुरक्षा और भू-राजनीतिक विशेषज्ञों के अंतर्राष्ट्रीय वल्दाई चर्चा मंच से बोलते हुए पुतिन ने इस बात पर जोर दिया कि रूस और भारत के बीच कभी कोई समस्या या तनाव नहीं रहा है और उन्होंने हमेशा अपनी संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए कदम उठाए हैं. पुतिन ने की मोदी की तारीफ पुतिन ने कहा कि भारत के साथ रूस का कभी कोई समस्या या अंतर्राज्यीय तनाव नहीं रहा. कभी नहीं. व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना मित्र बताया और कहा कि वे उनके भरोसेमंद संबंधों में सहज महसूस करते हैं. पुतिन ने मोदी के नेतृत्व वाली भारत की राष्ट्रवादी सरकार की सराहना की और उन्हें एक संतुलित, बुद्धिमान और राष्ट्र हितैषी नेता बताया. भारत के नुकसान की भरपाई करेगा रूस पुतिन ने कहा कि भारत में हर कोई यह बात अच्छी तरह जानता है. खासकर रूस से तेल आयात रोकने के अमेरिकी दबाव को नजरअंदाज करने के भारत के फैसले के बारे में. उन्होंने कहा, ‘अमेरिका के टैरिफ के कारण भारत को होने वाले नुकसान की भरपाई रूस से कच्चे तेल के आयात से हो जाएगी. साथ ही इससे भारत को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठा भी मिलेगी.’ क्या है रूस का प्लान पुतिन ने कहा कि व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिए रूस भारत से और अधिक कृषि उत्पाद और दवाइयां खरीद सकता है. पुतिन ने कहा, ‘भारत से और अधिक कृषि उत्पाद खरीदे जा सकते हैं. औषधीय उत्पादों और दवाइयों के लिए हमारी ओर से कुछ कदम उठाए जा सकते हैं.’ उन्होंने रूस और भारत के बीच आर्थिक सहयोग की अपार संभावनाओं का जिक्र किया, मगर इन अवसरों को पूरी तरह से खोलने के लिए विशिष्ट मुद्दों को सुलझाने की जरूरत को भी स्वीकार किया. पुतिन ने वित्तपोषण, रसद और भुगतान संबंधी बाधाओं को प्रमुख चिंताओं के रूप में चिन्हित करते हुए कहा कि हमें अपने अवसरों और संभावित लाभों को खोलने के लिए सभी तरह के कार्यों को हल करने की ज़रूरत है. भारत के लोग कभी अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे रूस और यूरोप के बीच बढ़ते तनाव के बीच राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर पश्चिमी देशों को चेतावनी दी है. उन्होंने साफ कहा कि यदि यूरोप ने रूस को उकसाने की कोशिश की तो उसका जवाब तुरंत और बेहद घातक होगा. साथ ही उन्होंने रूस-यूक्रेन जंग खत्‍म कराने की कोश‍िश करने के ल‍िए भारत की तारीफ की. पीएम मोदी की तारीफ करते हुए पुत‍िन ने कहा, मैं पीएम मोदी को जानता हूं. भारत के लोग अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे. रूस भारत और चीन जैसे देशों का आभारी है, जिन्होंने ब्रिक्स की स्थापना की. ये ऐसे देश हैं जो किसी का पक्ष लेने से इनकार करते हैं और वास्तव में एक न्यायपूर्ण विश्व बनाने की आकांक्षा रखते हैं दक्षिण रूस में आयोजित एक समारोह में पुतिन ने कहा, हम यूरोप के बढ़ते सैन्यीकरण पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. रूस की ओर से जवाबी कदम उठाने में वक़्त नहीं लगेगा. और यह प्रतिक्रिया बहुत गंभीर होगी. पुतिन ने साफ किया कि रूस कमजोरी या अनिर्णय का परिचय कभी नहीं देगा. हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि रूस का नाटो गठबंधन पर हमला करने का कोई इरादा नहीं है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “अगर किसी को अभी भी हमारे साथ सैन्य प्रतियोगिता करने का मन है, तो उन्हें कोशिश कर लेने दें. रूस ने सदियों से यह साबित किया है कि उकसावे का जवाब तुरंत और सख्ती से दिया जाता है. शांति से सोइए, आराम कीजिए राष्ट्रपति पुतिन ने विशेष रूप से जर्मनी का नाम लेते हुए कहा कि वह यूरोप में सबसे शक्तिशाली सेना बनाने का सपना देख रहा है. उन्होंने यूरोपीय नेताओं पर हिस्टेरिया फैलाने का आरोप लगाया. यूरोप की एकजुट अभिजात्य जमात लगातार युद्ध की आशंका का माहौल बना रही है. वे बार-बार कहते हैं कि रूस से जंग दरवाज़े पर खड़ी है. यह एक तरह की बकवास है, जिसे वे मंत्र की तरह दोहराते रहते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यह मानना असंभव है कि रूस कभी नाटो के किसी सदस्य देश पर हमला करेगा. सचमुच, मैं सिर्फ यही कहना चाहता हूं: शांति से सोइए, आराम कीजिए और अपने घर की समस्याओं पर ध्यान दीजिए. जरा देखिए कि यूरोपीय शहरों की सड़कों पर क्या हो रहा है. रूस-यूरोप टकराव: शीत युद्ध से आगे रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने पश्चिमी मीडिया की शीत युद्ध जैसी तुलना को खारिज किया. उन्होंने कहा, यह शीत युद्ध नहीं है. यहां काफी पहले से ठंड नहीं, बल्कि आग लगी हुई है. हम पहले से ही एक नए तरह के संघर्ष में हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि यूरोपीय संघ और नाटो, रूस पर झूठे आरोप लगाकर अपने विशाल रक्षा बजट को सही ठहराना चाहते हैं. “उनके बयान दो चीज़ें बताते हैं. पहला, वे उकसावे की एक श्रृंखला तैयार कर रहे हैं. दूसरा, उन्हें अपने सैन्य बजट को जायज़ ठहराने का बहाना चाहिए. ड्रोन घटनाएं और बढ़ती चिंताएं पिछले दिनों डेनमार्क में ड्रोन घटनाओं और एस्टोनिया व पोलैंड में कथित रूसी हवाई उल्लंघनों ने इस डर को गहरा कर दिया है कि यूक्रेन युद्ध की आग … Read more

नाटो प्रमुख का दावा: पीएम मोदी ने पुतिन से पूछा यूक्रेन युद्ध का अगला कदम

नई दिल्ली पश्चिमी सैन्य गठबंधन नाटो के महासचिव मार्क रुटे ने भारत पर अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ के प्रभावों पर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अमेरिका के टैरिफ की वजह से भारत ने  रूस से उसकी यूक्रेन स्ट्रैटेजी पर स्पष्टीकरण मांगा है. नाटो चीफ ने कहा कि ट्रंप की ओर से भारत पर लगा गए टैरिफ की वजह से रूस पर बड़ा असर पड़ रहा है. रूटे ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे लेकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर  पुतिन से बात कर रहे हैं. न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर सीएनएन से बात करते हुए रूटे ने कहा कि भारत पर ट्रंप के टैरिफ का रूस पर बड़ा असर हो रहा है. भारत की ओर से पुतिन से बात की जा रही है. पीएम मोदी रूस से यूक्रेन पर अपनी रणनीति स्पष्ट करने को कह रहे हैं क्योंकि भारत को टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि ट्रंप ने पिछले महीने भारत पर 25 फीसदी रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था. इसके साथ ही रूस से कच्चा तेल खरीदने की वजह से भारत पर अमेरिका ने 25 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ भी लगाया था. अमेरिकी सरकार का कहना है कि रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर टैरिफ लगाया गया है. अमेरिका का कहना है कि रूस से तेल खरीदने की वजह से यूक्रेन के खिलाफ रूस को मदद मिल रही है. ट्रंप ने इस दौरान नाटो देशों से भी चीन पर टैरिफ लगाने को कहा था कि ताकि रूस का तेल कम खरीदा जा सके.

पुतिन की नीति ने पलटा खेल, रूस को हुआ आर्थिक लाभ – ट्रंप रह गए पीछे

नई दिल्ली  यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के दबाव में अमेरिका और यूरोप लगातार रूस पर नए-नए प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तो यहां तक कह चुके हैं कि यूरोपीय संघ पूरी तरह से रूसी तेल खरीदना बंद करे. लेकिन उनकी ये चाल कामयाब नहीं हो पाई. इसके उलट, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ऐसा खेल रचा कि देश का खजाना कच्चे तेल की कमाई से भर गया. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस का समुद्री कच्चा तेल निर्यात 21 सितंबर तक के 28 दिनों में औसतन 36.2 लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुंच गया. यह मई 2024 के बाद का सबसे बड़ा आंकड़ा है. यानी पश्चिमी देशों की सख्ती और लगातार हमलों के बावजूद रूस ने तेल बेचने का नया रिकॉर्ड बना डाला. यूक्रेन की तरफ से किए गए ड्रोन हमलों ने रूस की कई तेल रिफाइनरियों को नुकसान पहुंचाया. इसके कारण उत्पादन घटकर 50 लाख बैरल प्रतिदिन से नीचे चला गया, जो अप्रैल 2022 के बाद का सबसे कम स्तर है. जेपी मॉर्गन चेस एंड कंपनी के अनुमान के अनुसार, अगस्त और सितंबर में रूस सामान्य रूप से 54 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल का प्रोसेस करता था. यूक्रेनी ड्रोन हमलों का शोर ज्‍यादा, असर कम यूक्रेन द्वारा रूस की रिफाइनरियों और अन्‍य रणनीतिक ठिकानों पर ड्रोन हमले में बड़े नुकसान के दावे किए गए हैं. लेकिन, असल में उतनी हानि हुई नहीं है. रूस ने पिछले हफ्ते बाल्टिक पोर्ट प्रिमोर्स्क से रिकॉर्ड 12 टैंकर कच्चा तेल लेकर निकले. यह दिखाता है कि पंपिंग स्टेशनों पर हमलों के बावजूद रूस की सप्लाई लाइन मजबूत बनी हुई है. बंदरगाहों पर मौजूद स्टोरेज टैंकों ने भी काम आसान कर दिया. पंप स्टेशनों की मरम्मत होने तक इन टैंकों से तेल की आपूर्ति बिना रुकावट जारी रही. रूस ने अपनी रणनीति में भी बदलाव किया. रिफाइनिंग कम होने के बाद भी रूस ने कच्चे तेल को घरेलू खपत में लगाने के बजाय सीधे निर्यात टर्मिनलों पर भेज दिया. इससे विदेशों में कच्चे तेल की आपूर्ति और बढ़ गई और रूस की जेब भी भर गई. यूरोपीय संघ की दुविधा यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए रूस पर नए प्रतिबंधों की संभावना अभी दूर दिखती है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि आगे कोई नया कदम तभी उठाया जाएगा जब यूरोपीय संघ पूरी तरह रूसी तेल की खरीद बंद करे. डोनाल्ड ट्रंप बार-बार दबाव बना रहे हैं कि यूरोपीय संघ पूरी तरह से रूसी तेल खरीद बंद करे. लेकिन ऐसा होना अभी मुश्किल है. हंगरी और स्लोवाकिया जैसे देश रूस के तेल पर निर्भर हैं और वे इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. इसी कारण यूरोपीय संघ प्रतिबंध लगाने के बजाय अब टैरिफ जैसे व्यापारिक उपायों पर विचार कर रहा है. यह भी पुतिन के लिए राहत की बात है क्योंकि इसका असर सीमित होगा.

भारत तैयार बढ़ाने के लिए रूसी तेल की खरीद, पुतिन का आकर्षक ऑफर

नई दिल्ली अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर बीते 27 अगस्त को 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाकर इसे 50% कर दिया है और ये अतिरिक्त टैरिफ जुर्माने के तौर पर लागू किया गया है, जिसके पीछे वजह है भारत की रूसी तेल की खरीद. जी हां, ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल और हथियारों की खरीद बढ़ाकर यूक्रेन के साथ युद्ध में उसकी आर्थिक मदद करने का आरोप लगाते हुए टैरिफ बम फोड़ा है. हालांकि, अमेरिका को उम्मीद थी कि उसके इस कदम से भारत दबाव में आ जाएगा, लेकिन ट्रंप का दांव उल्टा पड़ा है और रिपोर्ट के मुताबिक, रूस की ओर से की जा रही अतिरिक्त छूट की पेशकश के चलते भारत तेल की खरीद बढ़ाने की तैयारी में है.  ट्रंप का भारत पर दबाव नहीं आया काम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से रूसी क्रूड ऑयल की खरीद को लेकर भारत पर लगाए गए हाई टैरिफ की उनकी कोशिश उल्टी पड़ती नजर आ रही है. रिपोर्ट की मानें, तो अमेरिका के किसी भी दबाव में आने के बजाय भारत और पहले से भी ज्यादा रूसी तेल खरीदने के लिए तैयार है और इस बीच रूस की ओर से भारत को तेल पर भारी छूट का ऑफर भी दिया जा रहा है. ब्लूमबर्ग के अनुसार, सितंबर के अंत और अक्टूबर में भारत को रूसी यूराल क्रूड की आपूर्ति ब्रेंट क्रूड से 3 से 4 डॉलर प्रति बैरल कम पर की जाने का ऑफर है. कुछ हफ्त पहले, यह अंतर 2.50 डॉलर था. ये खबर ट्रंप के टैरिफ अटैक के बाद चीन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की हालिया बैठक के बाद हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच द्विपक्षीय वार्ता के बाद सामने आई है. गौरतलब है कि रूसी तेल का भारत अकेला खरीदार नहीं है, बल्कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी वाला चीन लंबे समय से रूसी तेल का सबसे बड़ा आयातक बना हुआ है. हालांकि, भारत की बात करें, तो यूक्रेन युद्ध के बाद भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद बढ़ाई गई और ये तेजी से बढ़ी है.  अमेरिकी टैरिफ के बाद बढ़ी तेल खरीद अमेरिका के 50% टैरिफ के बावजूद भारत ने अपने रणनीतिक हितों को प्राथमिकता देते हुए रूस के साथ संबंध मजबूत बनाए हुए हैं और इसका नजारा दुनिया ने एससीओ की बैठक के दौरान देखा. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप का एक्स्ट्रा टैरिफ लागू होने के बाद यानी 27 अगस्त से 1 सितंबर के बीच भारत में सरकारी और प्राइवेट रिफाइनरियों ने 11.4 मिलियन बैरल रूसी तेल का आयात किया है. वहीं ऐसा अनुमान भी जताया जा रहा है कि रूस से ऑफर की जा रही छूट के चलते अगले महीने भारत में रूसी तेल के आयात में 10-20% या 1,50,000 से 3,00,000 बैरल प्रतिदिन की अतिरिक्त वृद्धि देखने को मिल सकती है.  रूसी तेल से भारत को अरबों की बचत अमेरिका ने भारत पर तमाम आरोप लगाते हुए टैरिफ को डबल किया है, तो वहीं भारत सरकार की ओर से लगातार साफ किया गया है कि देश की ऊर्जा सुरक्षा के साथ कोई समझौता करने के मूड में नहीं है. बीते दिनों विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा था कि रूस के साथ भारत का ऑयल ट्रेड तेल की वैश्विक कीमतों को स्थिर रखता है. भारत ने जोर देकर अमेरिकी आरोपों के खिलाफ अपना पक्ष रखा है और दो टूक कहा है कि उसका तेल व्यापार किसी भी अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं करता और प्रतिबंधों में कच्चे तेल का आयात शामिल नहीं है.  अगर फायदे की बात करें, तो साल 2022 से भारत का रूसी तेल का आयात 1 फीसदी से बढ़कर करीब 40 फीसदी पर पहुंच चुका है. कई एनालिसिस से स्पष्ट हुआ है कि किफायती रूसी तेल की वजह से भारतीय रिफाइनरियों को अप्रैल 2022 और जून 2025 के बीच कम से कम 17 अरब डॉलर की बचत हुई है. बीते दिनों रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार ने एक इंटरव्यू में अमेरिकी टैरिफ को अनुचित करार देते हुए कहा था कि भारत की प्राथमिकता अपने 140 करोड़ लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है, तेल का व्यापार व्यावसायिक आधार पर होता है और अगर सौदा सही है, तो भारतीय कंपनियां सबसे अच्छे विकल्प से तेल खरीदेंगी.'

पुतिन भारत आ रहे हैं दिसंबर में, क्रेमलिन के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया

नई दिल्ली रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर में भारत की यात्रा पर आने वाले हैं। इस बात की पुष्टि क्रेमलिन के वरिष्ठ अधिकारी यूरी उशाकोव ने की है। उन्होंने बताया कि आगामी सोमवार को चीन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन की मुलाकात होगी, जहां दोनों नेता पुतिन की दिसंबर यात्रा की तैयारियों पर चर्चा करेंगे। इससे पहले भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी संकेत दिया था कि पुतिन जल्द ही भारत आएंगे, हालांकि उस समय यात्रा की तारीखें तय नहीं हुई थीं। डोभाल ने भारत-रूस के विशेष और पुराने रिश्तों पर जोर देते हुए कहा कि दोनों देश इस संबंध को बहुत महत्व देते हैं। रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिका ने जताई नाराजगी पुतिन की भारत यात्रा की घोषणा ऐसे समय आई है जब अमेरिका ने भारत पर रूस से तेल आयात को लेकर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने का फैसला किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस कदम को रूस के खिलाफ दबाव बनाने के प्रयास के तौर पर लिया है। ट्रंप का आरोप है कि भारत डिस्काउंट पर रूस से तेल खरीदकर उसे उच्च दाम पर वैश्विक बाजार में बेचकर भारी मुनाफा कमा रहा है। उन्होंने ट्वीट में कहा था कि ‘भारत को इससे फर्क नहीं पड़ता कि यूक्रेन में रूस की मशीनरी से कितने लोग मारे जा रहे हैं।’ भारत ने अमेरिकी आरोपों को ठुकराया भारत ने अमेरिकी टैरिफ को अनुचित, गैर-न्यायसंगत और अस्वीकार्य करार दिया है। भारत का कहना है कि जब अमेरिका और यूरोप भी रूस से ऊर्जा खरीद रहे थे, तो भारत पर ऐसे आरोप लगाना उचित नहीं है। फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी देशों ने रूस की कमाई पर रोक लगाने की कोशिश की, लेकिन यूरोप के बाजार बंद होने के कारण रूस ने अपना तेल भारत और चीन जैसे देशों की ओर मोड़ दिया। इसके कारण रूस की अरबों डॉलर की कमाई जारी है। 

अमेरिका का रूस पर वार तेज, जब्त संपत्तियों की बिक्री से बढ़ेगा तनाव, 29 अरब में बेचेगा लग्जरी नौका!

मॉस्को  अमेरिका अब रूस के साथ टेंशन बढ़ाने की राह पर चल रहा है. अमेरिका प्रशासन ने रूस की जब्त अरबों की संपत्तियों की नीलामी करने का फैसला शुरू किया है. इसी सिलसिले में अमेरिका रूस के एक जब्त लग्जरी नौका अमेडिया (Amadea) को नीलाम करने जा रहा है. रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद ये अमेरिका किसी रूसी संपत्ति की पहली बार नीलामी कर रहा है. विलासिता की सभी सुविधाओं से लैस इस नौका की कीमत अमेरिका ने 325 मिलियन डॉलर रखी है. रुपये में ये रकम लगभग 29 अरब होती है.   10 सितंबर को समाप्त होने वाली यह नीलामी ऐसे समय में हो रही है जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर युद्ध समाप्त करने के लिए दबाव बढ़ाना चाहते हैं. अमेरिका ने कहा है कि वह अपने सहयोगियों के साथ मिलकर रूसी धनाढ्य वर्ग पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इनमें कुछ रईस पुतिन के करीबी हैं. अमेरिकी सरकार ने इन रईसों की लग्जरी नौकाएं जब्त कर ली है. ताकि ये अमीर लोग राष्ट्रपति पुतिन को युद्ध रोकने के लिए मजबूर करें. विलासिता का दूसरा नाम अमेडिया तीन साल पहले ज़ब्त की गई और वर्तमान में सैन डिएगो में खड़ी 106 मीटर लंबी नौका को जर्मन कंपनी लुर्सेन ने 2017 में विशेष रूप से निर्मित किया था.  फ़्रांस्वा ज़ुरेट्टी द्वारा डिजाइन की गई इस नौका में संगमरमर लगे हैं. इस लग्जरी जहाज में आठ राजकीय कक्ष, एक ब्यूटी सैलून, एक स्पा, एक जिम, एक हेलीपैड, एक स्विमिंग पूल और एक लिफ्ट है.  इसमें 16 मेहमानों और 36 चालक दल के सदस्यों के रहने की व्यवस्था है.  कौन है अमेडिया का मालिक? अमेडिया  का असली मालिक कौन है, ये निर्धारित करना काफी विवादास्पद रहा है. क्योंकि कई ट्रस्ट और शेल कंपनियों के नाम इस लग्जरी नौका से जुड़े हैं. यह नौका केमैन द्वीप समूह में पंजीकृत है और इसका स्वामित्व केमैन द्वीप समूह में ही स्थित मिलमारिन इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के पास है.  अमेरिका का दावा है कि अर्थशास्त्री और पूर्व रूसी राजनेता सुलेमान केरीमोव, जिस पर 2018 में कथित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया था इस नौका के मालिक हैं. वहीं सरकारी नियंत्रण वाली रूसी तेल और गैस कंपनी रोसनेफ्ट के पूर्व अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी एडुआर्ड खुदैनातोव इस नौका के मालिक होने का दावा कर रहे हैं. एडुआर्ड खुदैनातोव अभी अमेरिकी प्रतिबंधों से मुक्त हैं.  अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि खुदैनातोव नौका के नकली मालिक हैं, इसका उद्देश्य नौका के असली मालिक केरीमोव को बचाना और छुपाना है. नौका के असली स्वामित्व को लेकर मुकदमा चल रहा है. खुदैनातोव के एक प्रतिनिधि ने बुधवार को ईमेल के ज़रिए दिए गए एक बयान में कहा कि नौका की बिक्री की योजना "अनुचित और समय से पहले" है क्योंकि खुदैनातोव इस ज़ब्ती के एक फैसले के ख़िलाफ़ अपील कर रहे हैं. प्रतिनिधि एडम फोर्ड ने कहा, "हमें संदेह है कि यह उचित बाजार मूल्य पर किसी भी तर्कसंगत खरीदार को आकर्षित करेगा, क्योंकि स्वामित्व को संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर की अदालतों में चुनौती दी जा सकती है और दी जाएगी, जिससे खरीदारों को कई वर्षों तक महंगी, अनिश्चित मुकदमेबाजी का सामना करना पड़ेगा." 2022 में अमेरिका ने किया था जब्त 2022 में नेशनल मेरीटाइम सर्विस के अधिकारियों ने इस नौका को अपने कब्जे में लिया था. इसके बाद से इसका उपयोग नहीं किया गया है. अब अमेरिका इसकी नीलामी कर रहा है. बोली लगाने वालों को सीलबंद लिफाफे में इस नौका की कीमत भेजनी होगी. इसके अलावा उन्हें पेशगी के तौर पर 11.6 मिलियन डॉलर भी जमा करने होंगे.  मई 2024 में अमेरिका ने यूक्रेन की मदद के लिए एक पैकेज दिया था. इसे यूएस में कानून का दर्जा दिया गया है. इसके आधार पर अमेरिकी क्षेत्र में मौजूद किसी भी रूसी संपत्ति को जब्त किया जा सकेगा और इसे बेचकर इसका इस्तेमाल यूक्रेन के फायदे के लिए किया जा सकेगा. 

रूस ने यूक्रेन पर किया बहुत बड़ा हमला, एक रात में दागे 728 ड्रोन; मचा दी तबाही

मॉस्को  यूक्रेन की वायु सेना ने बुधवार को बताया कि रूस ने बीती रात यूक्रेन पर रिकॉर्ड 728 शाहेद ड्रोन और डमी ड्रोन दागे. रूस की तरफ से ड्रोन्स की बौछार के साथ-साथ 13 मिसाइलें भी दागी गईं. रूस ने यूक्रेन पर ये हमला ऐसे वक्त में किया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने युद्ध खत्म करने को लेकर रूसी राष्ट्रपति से हुई अनबन के बीच यूक्रेन को मिसाइल देने का वादा किया है. अमेरिका ने पहले साफ कर दिया था कि वो यूक्रेन को हथियार नहीं देगा लेकिन फिर ट्रंप ने कह दिया है कि अमेरिका यूक्रेन को अपनी सुरक्षा के लिए हथियार मुहैया कराएगा. अमेरिकी न्यूज वेबसाइट Axios की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते शुक्रवार को राष्ट्रपति ट्रंप ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से फोन पर बात की और कहा कि वो यूक्रेन को जल्द ही 10 पेट्रियट मिसाइल इंटरसेप्टर्स भेजेंगे. मिसाइल इंटरसेप्टर एक तरह का डिफेंसिव मिसाइल होता है जो बैलेस्टिक मिसाइलों के हमले को रोकता है. यह खबर सामने आने के बाद रूस-अमेरिका में तनाव बढ़ता दिखा है और इसी बीच खबर आ रही है कि रूस ने यूक्रेन पर रिकॉर्ड संख्या में ड्रोन बरसाए हैं. यूक्रेन की वायु सेना ने एक बयान में कहा कि यूक्रेन के एयर डिफेंस सिस्टम ने 296 ड्रोन और सात मिसाइलों को मार गिराया, जबकि 415 से अधिक ड्रोन रडार से गायब हो गए या जाम हो गए. इसमें कहा गया है कि हमले में मुख्य रूप से यूक्रेन के पश्चिमी वोलिन क्षेत्र और वोलिन क्षेत्र की राजधानी लुत्स्क को निशाना बनाया गया, जो यूक्रेन के उत्तर-पश्चिम में स्थित है. यह क्षेत्र पोलैंड और बेलारूस की सीमा से लगा हुआ है. कतर के सरकारी ब्रॉडकास्टर अलजजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी कुर्स्क शहर के कार्यवाहक क्षेत्रीय गवर्नर अलेक्जेंडर खिनश्टाइन ने बताया कि शहर के एक समुद्र तट पर यूक्रेनी हमले में तीन लोगों की मौत हो गई और सात लोग घायल हो गए, जिनमें एक पांच साल का बच्चा भी शामिल है. रूस की समाचार एजेंसी TASS के अनुसार, मृतकों में एक रूसी नेशनल गार्ड का अधिकारी भी शामिल है. रूसी एजेंसी ने बताया कि कुर्स्क क्षेत्र के रिल्स्क में यूक्रेनी ड्रोन हमले में सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल, एक एम्बुलेंस बिल्डिंग और एक प्रशासनिक भवन को भी निशाना बनाया गया, जिसमें दो लोग घायल हो गए. कुर्स्क के कार्यवाहक मेयर सर्गेई कोटलारोव ने कहा कि गिराए गए यूक्रेनी ड्रोन के मलबे से जेलेज्नोडोरोजनी जिले में कई घर क्षतिग्रस्त हो गए. यूक्रेन के दोनेत्स्क में मारे गए तीन लोग यूक्रेन के दोनेत्सक के गवर्नर वादिम फिलाशकिन ने कहा कि रूस के हमलों में क्षेत्र में तीन लोग मारे गए और 10 अन्य घायल हो गए. क्षेत्रीय प्रशासन ने कहा कि यूक्रेन के सुमी क्षेत्र पर रूसी हमलों में चार लोग मारे गए और चार अन्य घायल हो गए. यूक्रेन के अखबार कीव इंडिपेंडेंट ने बताया कि यूक्रेन की वायुसेना ने पूरे देश के लिए मिसाइल अलर्ट जारी किया था जिसके बाद बुधवार को लगभग आधी रात को कीव में विस्फोटों की आवाज सुनी गई. रूस-यूक्रेन में संघर्षविराम की ट्रंप की कोशिशें हो रही नाकाम रूस और यूक्रेन का युद्ध 24 फरवरी 2022 से जारी है जिसमें दोनों पक्षों को काफी नुकसान हुआ है, खासकर यूक्रेन को. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोबारा राष्ट्रपति बनने से पहले अपने चुनावी कैंपेन में कहा था कि वो राष्ट्रपति बनते ही रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करवा देंगे. राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म कराने के लिए दोनों पक्षों के बीच संघर्षविराम की कोशिशें भी की हैं जो नाकाम रही हैं. इससे बौखलाए ट्रंप ने मंगलवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर सीधा हमला बोला है. ट्रंप ने कहा है कि वो पुतिन से खुश नहीं हैं क्योंकि वो बहुत से लोगों की जान ले रहे हैं. ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध के लंबा खिंचने और हिंसा बढ़ने पर भी नाराजगी जताई और कहा कि संघर्ष अब पहले से कहीं ज्यादा मुश्किल हो गया है क्योंकि इससे वैश्विक सुरक्षा पर असर हो रहा है. ट्रंप ने पुतिन से नाराजगी जताते हुए कहा, 'हमें पुतिन की तरफ से बहुत बकवास सुनने की मिलती है. वो जो दोस्ती दिखाते हैं, वो बेकार है.' 

पुतिन के लिए तानाशाह किम जोंग का बड़ा फैसला, 30000 अतिरिक्त सैनिक भेजेगा उत्तर कोरिया

मॉस्को  यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझे रूस को उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने बड़ी मदद भेजने का फैसला किया है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर कोरिया ने पुतिन की खातिर लड़ने के लिए 30,000 अतिरिक्त सैनिक भेजेगा। सीएनएन ने यूक्रेनी खुफिया दस्तावेजों के हवाले से बताया है कि ये सैनिक नवम्बर तक रूस पहुंच सकते हैं। इन्हें रूसी टुकड़ी को मजबूती देने के लिए भेजा जा रहा है, जिसमें बड़े पैमाने पर आक्रामक सैन्य अभियान भी शामिल हैं। इसक साथ ही सैटेलाइट से हासिल तस्वीरों में रूस की तैयारियों के संकेत मिले हैं। सैटेलाइट तस्वीरों में उत्तर कोरियाई तैनाती के लिए पहले इस्तेमाल किए गए जहाजों को रूसी बंदरगाहों में देखा गया और कार्गो विमानों के उड़ान पैटर्न से पता चला कि सैनिकों को रूस लाने वाले मार्ग सक्रिय थे। उत्तर कोरिया ने पिछले साल 11,000 सैनिकों को रूस की तरफ से लड़के लिए भेजा था। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अप्रैल में उनकी मौजूदगी की पुष्टि की थी। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब अमेरिकी ने यूक्रेन को वायु रक्षा मिसाइलों की खेप रोकने का फैसला किया है। रूस और यूक्रेन में शांति वार्ता रूस और यूक्रेन लंबी लड़ाई के बाद अब शांति की दिशा में कदम उठा रहे हैं। दो दौर की बातचीत लगभग सफल रही और अब क्रेमलिन को उम्मीद है कि रूस-यूक्रेन वार्ता के तीसरे दौर की तारीख जल्द तय हो सकती है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि हमें उम्मीद है कि इस पर जल्द ही सहमति बन जाएगी। उन्होंने दोहराया कि वार्ता का कार्यक्रम दोनों पक्षों की सहमति से ही तय किया जा सकता है। पेस्कोव ने स्पष्ट किया कि अभी तक कोई निश्चित तारीख तय नहीं हुई है और यह प्रक्रिया आपसी सहमति पर आधारित है। उन्होंने कहा, 'यह एक पारस्परिक प्रक्रिया है।' क्रेमलिन के प्रवक्ता के मुताबिक, अगली वार्ता प्रक्रिया की गति कीव शासन और अमेरिका के मध्यस्थता करने के प्रयासों पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा, 'जमीनी हकीकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और उसे ध्यान में रखना जरूरी है।' रूस से पंगा क्यों ले रहा अजरबैजान? रूस और अजरबैजान के बीच हाल के दिनों में तनाव तेजी से बढ़ा है। ये दोनों देश कभी सोवियत संघ का हिस्सा थे और लंबे समय तक एक-दूसरे के करीबी सहयोगी रहे, लेकिन अब एक गंभीर राजनयिक विवाद में उलझ गए हैं। इस तनाव की शुरुआत कुछ खास घटनाओं से हुई, जिन्होंने दोनों देशों के रिश्तों को गहरी चोट पहुंचाई है। अजरबैजान के बारे में बता दें कि इस देश के भारत के भी रिश्ते कुछ खास नहीं हैं। अजरबैजान खुलकर भारत के दुश्मन देश यानी पाकिस्तान का समर्थन करता है। आइए, समझते हैं कि ये तनाव क्यों और कैसे बढ़ा, और इसके पीछे की वजहें क्या हैं। कैसे हुई तनाव की शुरुआत? ये हैं प्रमुख वजहें- 1. येकातेरिनबर्ग में अजरबैजानी नागरिकों की मौत 27 जून को रूस के येकातेरिनबर्ग शहर में रूसी पुलिस ने अजरबैजानी मूल के लोगों के खिलाफ एक बड़ी छापेमारी की। यह छापेमारी 2000 के दशक की कुछ हत्याओं की जांच के लिए थी, जिनमें अजरबैजानी अपराधी गिरोहों का हाथ माना जा रहा था। इस दौरान दो अजरबैजानी भाई, हुसेन और जियाद्दिन सफारोव की हिरासत में मौत हो गई। अजरबैजान का दावा है कि इन दोनों को रूसी पुलिस ने क्रूरता से पीटा और यातना दी, जिससे उनकी मौत हुई। वहीं, रूस का कहना है कि एक की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई, और दूसरी मौत की जांच चल रही है। अजरबैजान ने इसे "जानबूझकर हत्या" और "यातना" करार दिया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव भड़क उठा। 2. अजरबैजान का जवाबी कदम: रूसी पत्रकारों की गिरफ्तारी इस घटना के जवाब में, अजरबैजान ने बाकू में रूसी सरकार द्वारा संचालित मीडिया आउटलेट "स्पूतनिक अजरबैजान" के दफ्तर पर छापा मारा। इस छापेमारी में स्पूतनिक के दो वरिष्ठ पत्रकारों, इगोर कार्ताविख और येवगेनी बेलौसोव सहित सात रूसी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया। उन पर धोखाधड़ी, अवैध व्यापार और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आरोप लगाए गए। इसके अलावा, लगभग 15 अन्य रूसी नागरिकों को ड्रग तस्करी और साइबर अपराध के आरोप में हिरासत में लिया गया। रूस ने इन गिरफ्तारियों को "अनुचित" और "प्रतिशोधी" बताया, जिससे विवाद और गहरा हो गया। इसके साथ ही आठ रूसी आईटी विशेषज्ञों को भी नशीली दवाओं और साइबर अपराध के आरोप में पकड़ा गया, जिनके चेहरे पर गंभीर चोटों के निशान देखे गए। इन तस्वीरों ने रूस में आक्रोश फैला दिया। रूस ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए अजरबैजान के राजदूत को तलब किया और इसे “संबंधों को कमजोर करने की सोची-समझी कोशिश” करार दिया। जवाब में अजरबैजान ने भी रूसी राजदूत को तलब किया और येकातेरिनबर्ग की घटनाओं की निष्पक्ष जांच, दोषियों की सजा और पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग दोहराई। 3. प्लेन क्रैश का पुराना विवाद तनाव की एक और बड़ी वजह दिसंबर 2024 में हुआ एक हवाई जहाज हादसा है। अजरबैजान एयरलाइंस का एक यात्री विमान, जिसमें 67 लोग सवार थे, रूस के ग्रोज्नी शहर के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में 38 लोगों की मौत हो गई। अजरबैजान का दावा है कि रूसी हवाई रक्षा प्रणाली ने गलती से इस विमान पर हमला किया। अजरबैजानी मीडिया ने हाल ही में कुछ ऑडियो रिकॉर्डिंग जारी कीं, जिनमें कथित तौर पर रूसी सैन्य अधिकारियों को विमान पर गोली चलाने का आदेश देते सुना गया। रूस ने इस हादसे की जिम्मेदारी लेने से इनकार किया है और उस पर घटना को दबाने का आरोप लगा है। अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से औपचारिक माफी की मांग की है, जिसे रूस ने ठुकरा दिया। 4. रूसी स्कूलों पर प्रतिबंध और सांस्कृतिक कदम अजरबैजान ने रूस के खिलाफ अपने गुस्से को जाहिर करने के लिए और भी कदम उठाए। उसने देश में रूसी भाषा के स्कूलों को धीरे-धीरे बंद करने की घोषणा की। अजरबैजान में करीब 340 रूसी भाषा के स्कूल हैं, जिनमें 1.5 लाख से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं। इसके अलावा, अजरबैजान ने रूस से जुड़े सभी सांस्कृतिक कार्यक्रमों को रद्द कर दिया और रूसी संसद के साथ नियोजित बैठकों को भी स्थगित कर … Read more