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गया जी में दर्दनाक दुर्घटना, बस और ट्रक की टक्कर में एक की मौत, कई घायल

गया जी बिहार के गया जी जिले में शुक्रवार की सुबह एक भीषण सड़क हादसा हो गया। महाराष्ट्र से बोधगया आ रही तीर्थयात्रियों की बस सड़क किनारे खड़े ट्रक से जा टकराई। हादसे में बस चालक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 14 यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए। अन्य यात्रियों को मामूली चोटें आई हैं। सभी घायलों को इलाज के लिए अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया है। चालक की मौके पर ही मौत हो गई जानकारी के अनुसार, यह हादसा शेरघाटी थाना क्षेत्र के गोपालपुर गांव के पास हुआ। यात्रियों से भरी बस जैसे ही गांव के समीप पहुंची, अचानक सड़क किनारे खड़े ट्रक में पीछे से जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि बस के आगे का हिस्सा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया और चालक की मौके पर ही मौत हो गई। घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया सूचना मिलते ही शेरघाटी थाना पुलिस दल-बल के साथ मौके पर पहुंची और राहत-बचाव कार्य शुरू किया। घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, वहीं मृत चालक के शव को पोस्टमार्टम के लिए अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया। बताया जा रहा है कि बस महाराष्ट्र से तीर्थयात्रियों को लेकर अयोध्या और काशी विश्वनाथ होते हुए बोधगया जा रही थी। इसी दौरान गोपालपुर गांव के पास यह दुर्घटना हुई। हादसे के बाद प्रशासन की देखरेख में अन्य यात्रियों को दूसरी बस से बोधगया रवाना कर दिया गया। पुलिस ने बताया कि घटना की जांच की जा रही है और ट्रक चालक की तलाश जारी है।

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के कानून पर जताई चिंता, धर्मांतरण पर कड़ा रुख और सेकुलरिज़्म की पुष्टि

लखनऊ  उत्तर प्रदेश में लागू धर्मांतरण विरोधी कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए हैं। अदालत ने कहा कि इस कानून के माध्यम से अपना धर्म बदलने के इच्छुक लोगों की राह को कठिन बनाया गया है। इसके अलावा जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने किसी के धर्म परिवर्तन करने की प्रक्रिया में सरकारी अधिकारियों की संलिप्तता और हस्तक्षेप को लेकर भी चिंता जताई। बेंच ने कहा कि ऐसा लगता है कि कानून इसलिए बनाया गया है कि किसी के धर्म परिवर्तन करने की प्रक्रिया में सरकारी मशीनरी के दखल को बढ़ाया जा सके। हालांकि अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि यूपी के धर्मांतरण विरोधी कानून की वैधता पर फिलहाल अदालत विचार नहीं कर सकती। बेंच ने यह भी याद दिलाया कि भारत एक सेकुलर देश है और कोई भी अपनी इच्छा के अनुसार धर्मांतरण कर सकता है। बेंच ने कहा, 'इस मामले में उत्तर प्रदेश धर्मांतरण अधिनियम के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता पर विचार करना हमारे दायरे में नहीं आता। फिर भी हम यह मानने से खुद को नहीं रोक सकते कि धर्मांतरण से पहले और बाद में घोषणा से संबंधित नियम जो बनाए गए हैं, वह किसी व्यक्ति की ओर से दूसरे धर्म को अपनाने की औपचारिकता कठिन करने वाले हैं। यह स्पष्ट है कि इन नियमों के माध्यम से धर्मांतरण की प्रक्रिया में अधिकारियों का दखल बढ़ा दिया गया है। यहां तक कि जिला मजिस्ट्रेट को कानूनी रूप से धर्मांतरण के प्रत्येक मामले में पुलिस जांच का निर्देश देने के लिए बाध्य किया गया है।' इसके अलावा अदालत ने धर्मांतरण के बाद घोषणा करने की अनिवार्यता पर भी सवाल उठाया। बेंच ने कहा कि कौन किस धर्म को स्वीकार कर रहा है, यह उसका निजी मामला है। इस संबंध में घोषणा करने की बाध्यता तो निजता के खिलाफ है। बेंच ने कहा, 'यह सोचने की बात है कि आखिर क्या जरूरत है कि कोई बताए कि उसने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया है और अब वह किस मजहब को मानता है। इस पर विचार करने की जरूरत है कि क्या यह नियम निजता के प्रावधान का उल्लंघन नहीं है।' अदालत ने कहा- संविधान के मूल ढांचे में धर्मनिरपेक्षता शामिल राज्य में धर्मांतरण की कठोर प्रक्रिया को लेकर बेंच ने कहा कि यह ध्यान देना जरूरी है कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना और धर्मनिरपेक्ष प्रकृति क्या कहती है। अदालत ने कहा कि हमारे संविधान की प्रस्तावना अत्यंत महत्वपूर्ण है और संविधान को उसकी 'महान और दिव्य' दृष्टि के पढ़ना चाहिए। उसके अनुसार ही व्याख्या होनी चाहिए। न्यायालय ने यह भी रेखांकित किया कि यद्यपि 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द 1976 में एक संशोधन के माध्यम से संविधान में जोड़ा गया था, फिर भी धर्मनिरपेक्षता संविधान के मूल ढांचे का एक अभिन्न अंग है, जैसा कि 1973 के केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के निर्णय में कहा गया था।

रिकॉर्ड हाई के बाद सोने-चांदी के दामों में भारी गिरावट, चांदी 2,500 रुपये सस्ती, लेटेस्ट रेट अपडेट

इंदौर  लगातार 2 महीने की लगातार उछाल के बाद सोने और चांदी की कीमतों में तेज गिरावट शुरू हुई है. हर दिन सोने-चांदी के भाव कम हो रहे हैं. शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में दोनों कीमती धातुओं में बड़ी गिरावट देखने को मिली. रिकॉर्ड हाई लेवल पर पहुंचने के बाद सोना और चांदी के यह गिरावट जारी है.  MCX पर सोने का रिकॉर्ड हाई लेवल 1.32 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम है, जबकि चांदी का रिकॉर्ड लेवल 1.70 लाख से ऊपर है. यहां से देखा जाए तो दोनों ही धातुओं में बड़ी गिरावट आई है. सोना 9000 रुपये से ज्‍यादा, जबकि चांदी 24000 रुपये से ज्‍यादा कम हुई है.  यह गिरावट ऐसे समय में आई है जब वैश्विक जोखिम धारणा में सुधार हो रहा है. अमेरिकी डॉलर मजबूत हो रहा है और निवेशक अपने सुरक्षित निवेश पर फिर विचार कर रहे हैं. यह सुधार महंगाई की चिंता, ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों और भू-राजनीतिक अस्थिरता के बाद आया है.  आज कितना सोना-चांदी का भाव कम हुआ?  MCX पर सोना आज 1244 रुपये कम होकर 1,22,860 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा है. जबकि चांदी 2565 रुपये कम होकर 1,45,947 रुपये प्रति किलो पर है. सोने का आज का हाई रेट 123776 रुपये और निचला स्‍तर 122800 रुपये है. चांदी ने आज 147473 रुपये प्रति किलो का हाई लेवल टच किया था.  गिरावट पर क्‍या कह रहे हैं एक्‍सपर्ट्स कमोडिटी एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि यह कदम धातु की तात्कालिक तेजी के दौर का अंत हो सकता है, हालांकि जरूरी नहीं कि यह व्यापक तेजी के दौर का अंत हो. एस्पेक्ट बुलियन एंड रिफाइनरी के सीईओ दर्शन देसाई ने कहा कि सोने की कीमतें हाल के उच्च स्तर से भारी गिरावट के बाद अपने नौ सप्‍ताह के बढ़ते क्रम को तोड़ने के लिए तैयार हैं. उन्होंने इस गिरावट का कारण निवेशकों द्वारा 'बढ़े हुए मूल्यांकन, संभावित अमेरिकी-चीन व्यापार समझौते को लेकर नए सिरे से आशावाद और मजबूत अमेरिकी डॉलर' के बीच मुनाफावसूली को बताया है. कहां तक जाएगा सोना-चांदी?  मेहता इक्विटीज लिमिटेड के उपाध्यक्ष (कमोडिटी) राहुल कलंत्री ने बताया कि छह सालों में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट के बाद, सोने की कीमतों में हल्की रिकवरी की कोशिश हो रही है. उन्होंने सोने के लिए तकनीकी स्तर $4,055-4,005 के सपोर्ट और $4,135-4,160 का टारगेट रखा है. भारतीय रुपये में, सोने को 1,23,670-1,22,980 रुपये पर सपोर्ट और 1,24,950-1,25,800 रुपये के आसपास प्रतिरोध स्तर पर रखा है. चांदी को 1,46,850-1,45,150 रुपये पर समर्थन और 1,49,850 रुपये पर प्रतिरोध है.

एड इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान: पीयूष पांडेय का निधन, उनके क्रिएटिव कैंपेन ने दिया कई यादगार विज्ञापन

नई दिल्ली इंडियन एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री के मशहूर नाम पीयूष पांडे का गुरुवार को निधन हो गया. उन्होंने चार दशकों से ज्यादा वक्त तक ओगिल्वी इंडिया के साथ काम किया. पीयूष पांडे 1982 में ओगिल्वी से जुड़े थे. उन्होंने 27 साल की उम्र में अंग्रेजी-प्रभुत्व वाले विज्ञापन उद्योग में प्रवेश किया और इसे हमेशा के लिए बदल दिया.  बिजनेसमेन सोहेल सेठ ने पीयूष पांडे के निधन पर सोशल मीडिया अकाउंट पर शोक जताया. उन्होंने लिखा, "मेरे सबसे प्यारे दोस्त पीयूष पांडे जैसे जीनियस के खोने से मैं बहुत ज़्यादा दुखी और टूट गया हूं. भारत ने सिर्फ़ एक महान एडवरटाइजिंग माइंड ही नहीं, बल्कि एक सच्चे देशभक्त और एक बहुत अच्छे इंसान को खो दिया है." विज्ञापन की दुनिया में नए रंग भरे थे और उनके कई कैंपेन तो बेहद चर्चित रहे और घर-घर में ब्रांड्स की पहचान बनी। जैसे उन्होंने एशियन पेंट्स का कैंपेन स्लोगन लिखा था- हर खुशी में रंग लाए। इसके अलावा कैडबरी का ऐड 'कुछ खास है' भी उनकी कलम से निकला था। लंबे समय तक भारत की विविधता में एकता को दिखाने वाले गीत 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' के लेखक भी वही थे। यह गाना तो दूरदर्शन का थीम सॉन्ग बन गया था। फिर इंटरनेट के प्रसार होने पर लोग यूट्यूब आदि पर जाकर भी इस गीत को सुनते रहे। उन्होंने फेविकोल, हच जैसी कंपनियों के लिए भी कई सफल ऐड कैंपेन को लीड किया था। वह 70 साल के थे। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के प्रचार का नारा भी उन्होंने दिया था, जो काफी चर्चित रहा। यह नारा था- अबकी बार, मोदी सरकार। पीयूष पांडेय को भारत की विज्ञापन इंडस्ट्री में बड़े बदलाव लाने के लिए जाना जाता है। उन्होंने नामी ऐड कंपनी ओगिल्वी इंडिया के साथ करीब 4 दशकों तक काम किया था। यह कंपनी देश में ऐडवर्टाइजमेंट की दुनिया का पर्याय बनी रही और इसमें अहम भूमिका पीयूष पांडेय की भी मानी जाती है। उनकी निधन के साथ ही विज्ञापन की दुनिया का एक युग समाप्त हो गया है। उनकी शानदार मूंछें और हंसमुख चेहरा हमेशा याद किया जाएगा। उन्हें भारतीय समाज की भाषा, परंपरा की गहरी समझ थी। यही कारण था कि उनके कई कैंपेन तो ऐसे थे, जो लोगों के दिलों को छू गए। प्रोडक्ट लोकप्रिय हुए तो उनके बनाए विज्ञापनों ने भी खूब चर्चा बटोरी और लोग पूरी दिलचस्पी से विज्ञापन देखते रहे। पीयूष पांडेय ने 1982 में ओगिल्वी इंडिया को जॉइन किया था। इससे पहले वह एक क्रिकेटर रहे थे। इसके अलावा चाय बागान में उन्होंने काम किया था और निर्माण क्षेत्र में भी काम कर चुके थे। उन्होंने 27 साल की उम्र में इस इंडस्ट्री में एंट्री ली और अंग्रेजी भाषा के प्रभुत्व वाली विज्ञापन की दुनिया का कलेवर ही बदल डाला। एशियन पेंट्स, कैडबरी समेत कई कंपनियों के कैंपेन्स को उन्होंने नई ऊंचाइयां दी थीं। सोहेल सेठ ने आगे कहा कि अब स्वर्ग में 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' पर डांस होगा." फिल्ममेकर हंसल मेहता ने लिखा, "फेविकोल का जोड़ टूट गया. आज एड वर्ल्ड ने अपना ग्लू खो दिया. पियूष पांडे, आप अच्छे से जाएं." 'हमेशा याद रहने वाली कहानियां…' केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "पद्म श्री पीयूष पांडे के निधन पर अपनी उदासी ज़ाहिर करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं. एडवरटाइजिंग की दुनिया में एक महान हस्ती, उनकी क्रिएटिव जीनियस ने कहानी कहने के तरीके को फिर से परिभाषित किया और हमें यादगार और हमेशा याद रहने वाली कहानियां दीं." उन्होंने आगे कहा कि मेरे लिए, वह एक ऐसे दोस्त थे, जिनकी चमक उनकी सच्चाई, गर्मजोशी और हाज़िरजवाबी में दिखती थी. मैं हमेशा उनके साथ हुई अपनी दिलचस्प बातचीत को याद रखूंगा. वह अपने पीछे एक गहरा खालीपन छोड़ गए हैं, जिसे भरना मुश्किल होगा. उनके परिवार, दोस्तों और चाहने वालों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं. विज्ञापन जगत की दिग्गज शख्सियत पीयूष पांडे का जन्म 1955 में जयपुर के एक परिवार में हुआ था. उनके नौ भाई-बहन थे, जिनमें सात बहनें और दो भाई शामिल थे. पीयूष पांडे के पिता एक बैंक में काम करते थे. पांडे ने कई सालों तक क्रिकेट भी खेला था. उन्होंने एशियन पेंट्स के लिए 'हर खुशी में रंग लाए', कैडबरी के लिए 'कुछ खास है' और फेविकोल और हच जैसे ब्रांडों के लिए विज्ञापन बनाए.

तुलसी के ये उपाय कार्तिक मास में करेंगे आपको मालामाल!

कार्तिक का महीना व्रतों और त्योहारों के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस माह में करवा चौथ, धनतेरस और दिवाली जैसे त्योहार मनाए जाते हैं. देवउठनी एकादशी भी इसी माह में पड़ती है. जब भगवान विष्णु चार माह की योगनिद्रा से जागते हैं और चतुर्मास का समापन होता है, जिसके बाद विवाह समेत तमाम मांगलिक कामों की शुरुआत हो जाती है. कार्तिक माह भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है. इस माह में भगवान विष्णु का विधि-विधान से पूजन किया जाता है. इस माह में भगवान विष्णु के साथ माता तुलसी की भी पूजी जाती है. माता तुलसी देवी लक्ष्मी का स्वरूप मानी जाती हैं. ऐसे में इस माह में उनकी पूजा का विशेष महत्व धर्म शास्त्रों में बताया गया है. कार्तिक मास में तुलसी पूजन और कुछ विशेष उपाय करने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और धन संपदा बढ़ती है. वैदिंक पंचांग के अनुसार, इस साल आठ अक्टूबर से कार्तिक के महीने की शुरुआत हो चुकी है. ये कार्तिक मास अगले महीने पांच नवंबर तक रहेगा. तुलसी के उपाय जल चढ़ाएं कार्तिक मास में रोज जल चढ़ाना चाहिए. ऐसा करना शुभ होता है. इससे माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, लेकिन द्वादशी तिथि को जल नहीं चढ़ाना चाहिए. तुलसी के सामने दीपक जलाएं कार्तिक के पूरे महीने के दौरान तुलसी के सामने घी का दीपक अवश्य प्रज्वलित करना चाहिए. ऐसा शाम के समय में करना चाहिए. तुलसी पर दूध चढ़ाएं कार्तिक माह में रोजाना जल में थोड़ा सा दूध डालकर माता तुलसी को चढ़ाना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से आर्थिक तंजी से छुटकारा मिल जाता है. तुलसी पर चढ़ाएं 16 श्रृंगार कार्तिक मास में तुलसी माता को चुनरी चढ़ानी चाहिए. साथ ही 16 श्रृंगार का सामान भी अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है. तुलसी की मिट्टी कार्तिक मास में तुलसी को जल देने के बाद रोजाना उनके जड़ की थोड़ी सी मिट्टी अपने माथे और नाभि पर लगानी चाहिए. ऐसा करने माता तुलसी आशीर्वाद देती हैं.  

वास्तु के अनुसार इस दिशा में लगाएं पारिजात, जीवन में आएगी तरक्की और सकारात्मक ऊर्जा

 हिंदू धर्म में पारिजात के पौधे का विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है. सफेद-नारंगी रंग के पारिजात के इन फूलों को हरसिंगार या रात की रानी के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, पारिजात के फूल माता लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय हैं. यही कारण है कि इसे घर में लगाने से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. वास्तु शास्त्र में भी इस पौधे का खास महत्व है. यह पौधा नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और घर में सुख, समृद्धि और शांति लाता है, लेकिन इसे लगाते समय सही दिशा और शुभ दिन का ध्यान रखना जरूरी होता है, नहीं तो इसके विपरीत परिणाम भी मिल सकते हैं. कब लगाएं पारिजात का पौधा पारिजात के पौधे को घर में लगाने के लिए सोमवार या शुक्रवार और गुरुवार का दिन शुभ माना गया है. सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है, वहीं शुक्रवार का दिन धन की देवी माता लक्ष्मी का माना गया है, गुरुवार  का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है. इन दिनों में पौधा लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और परिवार के सदस्यों के बीच सामंजस्य बना रहता है. किस दिशा में लगाएं पारिजात का पौधा वास्तु शास्त्र के अनुसार, पारिजात के पौधे को घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में लगाना सबसे शुभ माना गया है. यह दिशा देवताओं की दिशा कही जाती है और यहां पौधा लगाने से घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है. आप उत्तर दिशा भी इस पौधे को लगा सकते हैं. माना जाता है कि इस दिशा में पारिजात लगाने से घर से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मकता बढ़ती है. ध्यान रहे कि पौधे को कभी भी घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में न लगाएं, क्योंकि वास्तु के अनुसार  यह दिशा स्थिरता की होती है और यहां पौधा लगाने से उन्नति रुक सकती है. पारिजात के फायदे   1. धन और समृद्धि की प्राप्ति: पारिजात का पौधा घर में धन और समृद्धि लाने वाला माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब पारिजात का पौधा घर में लगाया जाता है, तो माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है. इसके आसपास की ऊर्जा सकारात्मक रहती है, जिससे घर के सदस्यों के व्यवसाय और आर्थिक मामलों में लाभ होता है.  2. वास्तु दोष से मुक्ति: पारिजात का पौधा सिर्फ सुंदर नहीं है, बल्कि वास्तु दोष दूर करने वाला भी माना जाता है. घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा और अशुभ प्रभावों को यह पौधा कम करता है. इसके लगाने से घर का वातावरण स्वच्छ, शांत और सकारात्मक बनता है.  3. संतान और पारिवारिक सुख: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पारिजात का पौधा परिवार में प्रेम और सौहार्द बनाए रखने में मदद करता है. इसे लगाने से परिवार के सदस्यों के बीच मेलजोल और सामंजस्य बढ़ता है. साथ ही, इसे घर में लगाने से संतान सुख की प्राप्ति होती है.  4. पूजा में महत्व: पारिजात के फूल केवल सुंदर नहीं, बल्कि पूजा में अत्यंत शुभ माने जाते हैं. इन फूलों से देवी-देवताओं की आराधना करने पर विशेष कृपा प्राप्त होती है.  पारिजात के फूल भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रिय हैं. इसलिए यह पूजा और हवन में विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाता है, जिससे घर में आध्यात्मिक ऊर्जा और दिव्यता बनी रहती है. 

मुख्यमंत्री योगी ने पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों में पांच गुना तक वृद्धि का निर्णय

मुख्यमंत्री योगी का बड़ा निर्णय, 30 वर्ष बाद बढ़ेंगे पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के वित्तीय अधिकार मुख्यमंत्री योगी ने पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों में पांच गुना तक वृद्धि का निर्णय वर्ष 1995 में तय सीमाएं अब पुरानी, लागत बढ़ने के अनुरूप अब हो रहा वित्तीय अधिकारों का पुनर्निर्धारण मुख्य अभियंता को अब ₹10 करोड़, अधीक्षण अभियंता को ₹5 करोड़ तक कार्य स्वीकृति का अधिकार अधिशासी अभियंता और सहायक अभियंता के अधिकारों में भी बढ़ोतरी से निर्णय प्रक्रिया होगी त्वरित मुख्यमंत्री के निर्णय से निविदा, अनुबंध व कार्यारंभ प्रक्रिया में तेजी, प्रशासनिक दक्षता व पारदर्शिता में वृद्धि होगी उत्तर प्रदेश अभियंता सेवा (लोक निर्माण विभाग) (उच्चतर) नियमावली, 1990 में होगा संशोधन विद्युत एवं यांत्रिक संवर्ग में पहली बार मुख्य अभियंता (स्तर-एक) का नया पद शामिल मुख्य अभियंता (स्तर-दो) और अधीक्षण अभियंता के पदों की संख्या बढ़ी, पदोन्नति प्रक्रिया स्पष्ट होगी लखनऊ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लोक निर्माण विभाग के विभागीय अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों में पाँच गुना तक की वृद्धि किए जाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि बदलावों से विभागीय अधिकारियों को निर्णय लेने में अधिक स्वायत्तता प्राप्त होगी। उच्च स्तर पर अनुमोदन की आवश्यकता घटने से निविदा, अनुबंध गठन एवं कार्यारंभ की प्रक्रिया में गति आएगी। यह सुधार वित्तीय अनुशासन बनाए रखते हुए प्रशासनिक दक्षता और पारदर्शिता को बढ़ाने में सहायक होगा। शुक्रवार को लोक निर्माण विभाग की बैठक में यह तथ्य सामने आया कि विभाग के अधिकारियों के वित्तीय अधिकार वर्ष 1995 में निर्धारित किए गए थे। इस बीच निर्माण कार्यों की लागत में पाँच गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स के अनुसार वर्ष 1995 की तुलना में वर्ष 2025 तक लगभग 5.52 गुना वृद्धि दर्ज की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में वित्तीय अधिकारों का पुनर्निर्धारण आवश्यक है, जिससे निर्णय प्रक्रिया में तेजी आए और परियोजनाओं का क्रियान्वयन समयबद्ध रूप से किया जा सके। अपर मुख्य सचिव, लोक निर्माण विभाग ने मुख्यमंत्री को सिविल, विद्युत एवं यांत्रिक कार्यों के लिए वित्तीय अधिकारों की वर्तमान व्यवस्था की जानकारी दी। विमर्श के उपरांत निर्णय लिया गया कि सिविल कार्यों के लिए अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों की सीमा अधिकतम पाँच गुना तक तथा विद्युत एवं यांत्रिक कार्यों के लिए कम से कम दो गुना तक बढ़ाई जाएगी। मुख्यमंत्री के निर्णय के अनुसार मुख्य अभियंता को अब ₹2 करोड़ के स्थान पर ₹10 करोड़ तक के कार्यों की स्वीकृति का अधिकार होगा। अधीक्षण अभियंता को ₹1 करोड़ से बढ़ाकर ₹5 करोड़ तक के कार्यों की स्वीकृति का अधिकार दिया जाएगा। अधिशासी अभियंता के वित्तीय अधिकार ₹40 लाख से बढ़ाकर ₹2 करोड़ किए जाएंगे। सहायक अभियंता को भी सीमित दायरे में टेंडर स्वीकृति एवं छोटे कार्यों की अनुमति देने के अधिकार बढ़ाए जाएंगे। बता दें कि यह पुनर्निर्धारण तीन दशकों के बाद होने जा रहा है। बैठक में उत्तर प्रदेश अभियंता सेवा (लोक निर्माण विभाग) (उच्चतर) नियमावली, 1990 में संशोधन के माध्यम से विद्युत एवं यांत्रिक संवर्ग की सेवा संरचना, पदोन्नति व्यवस्था तथा वेतनमान के पुनर्गठन से जुड़े प्रस्तावों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। बैठक में बताया गया कि नियमावली में किया जा रहा यह संशोधन विभागीय अभियंताओं की सेवा संरचना को वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने के उद्देश्य से किया गया है। संशोधित नियमावली में विद्युत एवं यांत्रिक संवर्ग में पहली बार मुख्य अभियंता (स्तर-एक) का नया पद सम्मिलित किया गया है। इसके साथ मुख्य अभियंता (स्तर-दो) और अधीक्षण अभियंता के पदों की संख्या में वृद्धि की गई है। नवसृजित पदों को नियमावली में समाहित करते हुए उनके पदोन्नति स्रोत, प्रक्रिया और वेतनमान को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, जिससे सेवा संरचना अधिक पारदर्शी और संगठित हो सके। बैठक में यह भी बताया गया कि मुख्य अभियंता (स्तर-एक) के पद पर पदोन्नति अब मुख्य अभियंता (स्तर-दो) से वरिष्ठता के आधार पर की जाएगी। इसी प्रकार मुख्य अभियंता (स्तर-दो) और अधीक्षण अभियंता के पदों पर भी पदोन्नति की प्रक्रिया को नियमावली में स्पष्ट किया गया है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप अधिशासी अभियंता से लेकर मुख्य अभियंता (स्तर-एक) तक के पदों के वेतनमान और मैट्रिक्स पे लेवल भी निर्धारित किए गए हैं। इसके साथ चयन समिति की संरचना को अद्यतन किया गया है, ताकि पदोन्नति और नियुक्ति की कार्यवाही अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ की जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक निर्माण विभाग राज्य की विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन में एक प्रमुख विभाग है, इसलिए अभियंताओं की सेवा नियमावली को समयानुकूल, व्यावहारिक और पारदर्शी बनाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि योग्यता, अनुभव और वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति व्यवस्था से विभाग की कार्यकुशलता, तकनीकी गुणवत्ता और सेवा भावना को नई दिशा मिलेगी।

दो आतंकी दबोचे गए, ISI कनेक्शन सामने आया, जानें उनका फिदायीन हमला का प्लान

भोपाल/ दिल्ली  देश में बड़े आईएसआई मॉड्यूल का पर्दाफाश हुआ है. आईएसआईएस से जुड़े 2 आतंकी पकड़े गए हैं. दिल्ली पुलिस ने साउथ दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से एक आतंकी को गिरफ्तार किया है, जबकि दूसरा मध्य प्रदेश के भोपाल से पकड़ा गया है. दोनों संदिग्ध आतंकी की उम्र 20-26 वर्ष के बीच बताई जा रही है. ये देश में फिदायीन हमले की फिराक में थे. इन दोनों आतंकियों के पाकिस्तानी आईएसआई से लिंक सामने आए हैं. गिरफ्तार आतंकियों के पास से कई संदिग्ध सामग्री बरामद हुई हैं. प्रारंभिक पूछताछ में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के हैंडलर्स से सीधे संपर्क का खुलासा हुआ है. ये आतंकी किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के फिराक में थे. सूत्रों के मुताबिक, ये आतंकी ऑनलाइन रेडिकलाइज्ड थे. यह मॉड्यूल दिल्ली-एनसीआर समेत कई शहरों में किसी बड़ी वारदात की साजिश रच रहा था. फिलहाल मामले की पूरी जांच जारी है, और अन्य संदिग्धों की तलाश में छापेमारी की जा रही है. यह कार्रवाई भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ी सफलता मानी जा रही है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक, उन दोनों में से एक आतंकी का नाम अदनान है. दिल्ली के सादिक नगर और भोपाल से दोनों आतंकियों की गिरफ्तारी हुई है. दोनों आतंकी फिदायीन अटैक करने की ट्रेनिंग भी ले रहे थे. विस्तृत जानकारी का इंतजार है.  

EU ने तीन भारतीय कंपनियों पर लिया एक्शन, ट्रंप के बाद बढ़ी नजर — रूसी सेना से लिंक बताया गया

नई दिल्ली पहले अमेरिका ने रूस की दो दिग्गज तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया. अब यूरोपियन यूनियन ने रूस पर आर्थिक दबाव डालने के मकसद से भारत की तीन कंपनियों को प्रतिबंधित कर दिया है. यूरोपियन यूनियन ने इन तीन भारतीय कंपनियों पर कथित रूप से रूसी सेना से संबंध रखने का आरोप लगाया है.  रूसी सेना के साथ कथित संबंधों के लिए गुरुवार को यूरोपियन यूनियन ने दुनिया भर की 45 संस्थाओं को बैन किया था. इसमें तीन भारतीय कंपनियां भी शामिल थीं.  यूरोपीय संघ ने प्रतिबंधों के अपने 19वें पैकेज के तहत इन कंपनियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की है. ये प्रतिबंध यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के खिलाफ उस पर आर्थिक दबाव बनाने के प्रयासों का हिस्सा है. जिन तीन कंपनियों को प्रतिबंधित किया गया है. उनमें Aerotrust Aviation Private Limited, Ascend Aviation India Private Limited और Shree Enterprises शामिल है.  एरोट्रस्ट विमानन क्षेत्र से जुड़ी कंपनी है. इस कंपनी पर रूसी सेना को तकनीकी सहायता प्रदान करने का आरोप है.  दूसरी कंपनी Ascend Aviation विमानन क्षेत्र की कंपनी है. यूरोपियन यूनियन का दावा है कि इस कंपनी ने निर्यात प्रतिबंधों का उल्लंघन किया है. तीसरी कंपनी सामान्य व्यापारिक इकाई है. ईयू के अनुसार इस कंपनी पर रूसी सेना के साथ रिश्ते हैं. यूरोपीय संघ की कार्रवाई पर भारतीय अधिकारियों की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.  यूरोपीय संघ की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि यूरोपीय परिषद ने 45 नई संस्थाओं की पहचान की है जो "कंप्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल (सीएनसी) मशीन टूल्स, माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, मानवरहित हवाई वाहनों (यूएवी) और अन्य उन्नत प्रौद्योगिकी वस्तुओं पर निर्यात प्रतिबंधों को दरकिनार करके" रूस के सैन्य और मिलिट्री इंडस्ट्री को "सीधे समर्थन" दे रही हैं.  इसमें कहा गया है कि इन संस्थाओं पर दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं के साथ-साथ उन वस्तुओं के निर्यात पर कड़े प्रतिबंध लागू होंगे जो आम तौर पर रूस के रक्षा क्षेत्र के तकनीकी विकास में योगदान दे सकती हैं. यूरोपियन यूनियन ने कहा है कि इन 45 में से 17 कंपनियां ऐसी हैं जो रूस में नहीं हैं. इन 17 में 12 चीन-हॉन्गकॉन्ग की हैं, 3 भारत की हैं और 2 थाईलैंड की हैं. यूरोपियन यूनियन ने चीन की जिन 12 कंपनियों को प्रतिबंधित किया है उन पर कथित रूप से रूसी सैना को तेल, रसायनों और दोहरी उपयोग वाली वस्तुओं की आपूर्ति करके प्रतिबंधों का उल्लंघन करने का आरोप है. यूरोपियन यूनियन का मुख्य फोकस रूसी तेल की खरीद और परिवहन पर है, जो रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही हैं. यूरोपियन यूनियन इस फैक्टर को कमजोर करना चाहता है. इन प्रतिबंधों में संपत्ति जमाबंदी, वित्तीय लेनदेन पर रोक और यात्रा प्रतिबंध शामिल हैं.

दर्दनाक हादसा: बर्निंग बस में फंसे 20 लोग जिंदा जले, बारिश और फ्यूल टैंक ने बढ़ाई त्रासदी

कर्नूल आंध्र प्रदेश के कर्नूल जिले के चिन्ना टेकुरु गांव में शुक्रवार तड़के एक भीषण सड़क हादसे में कम से कम 20 लोगों के जिंदा जलने की पुष्टि हो चुकी है। यह आंकड़ा अभी बढ़ सकता है। घटना उस समय हुई जब कावेरी ट्रैवल्स की एक प्राइवेट बस हैदराबाद-बेंगलुरु हाईवे पर एक बाइक से टकरा गई, जिसके बाद बस में आग लग गई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, बस कुछ ही मिनटों में आग की लपटों में घिर गई। हादसे के समय बस में 44 यात्री सवार थे। 12 यात्री किसी तरह बाहर निकलने में सफल रहे, जबकि बाकी लोग बस के अंदर फंस गए। दमकल और बचाव दल मौके पर पहुंचकर राहत कार्य में जुटे हुए हैं, लेकिन फिलहाल आधिकारिक तौर पर मृतकों की संख्या की पुष्टि नहीं की गई है। यह घटना सुबह करीब 3:30 बजे हुई, जब कावेरी ट्रैवल्स की एक बस हैदराबाद से बेंगलुरु जा रही थी। कुर्नूल शहर के बाहरी इलाके के पास नेशनल हाईवे 44 पर एक मोटरसाइकिल से टकरा गई। पुलिस ने बताया, "दोपहिया वाहन बस के नीचे फंस गया और फ्यूल टैंक से टकरा गया, जिससे तुरंत धमाका हुआ और आग पूरी गाड़ी में तेजी से फैल गई।" हादसे के समय ज्यादातर यात्री सो रहे थे। कुछ यात्री अचानक आग लगने से जाग गए और खिड़कियां तोड़कर बाहर कूदने में कामयाब रहे, लेकिन कई लोग अंदर ही फंस गए क्योंकि आग ने कुछ ही मिनटों में पूरी बस को अपनी चपेट में ले लिया। चश्मदीदों ने बताया कि बस के पूरी तरह जलने से पहले मदद के लिए चीखें सुनाई दे रही थीं। स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और फायर ब्रिगेड के आने से पहले घायलों को बचाने की कोशिश की। कुरनूल बस हादसे की कहानी दरअसल, कुरनूल बस हादसे की असली वजह एक बाइकर निकला. जी हां, बाइकर भी बस के रास्ते ही जा रहा था. उस समय तेज बारिश हो रही थी. सड़क पर टायर फिसलने की स्थिति बन गई थी. बावजूद इसके कुरनूल का बाइकर शिवशंकर अपनी बाइक तेज चला रहा था. वह बाइक पर नियंत्रण नहीं रख पाया. आखिरकार बाइक फिसल गई और बस के आगे के पहियों के नीचे आ गई. बाइक, बाइकर के साथ बस के नीचे चली गई. बाइक अब सीधे जाकर बस के डीजल टैंकल से टकरा गई. इस कारण ही बस में भयंकर आग लग गई. बाइकर बस के नीचे ही मर गया, मगर आग की लपटों ने बस को अपनी चपेट में ले लिया. बर्निंग बस और मौत का मातम यह हादसा सुबह 3.30 बजे हुआ. बस संख्या DD01N 9490 थी. जैसे ही बस में आग लगी ड्राइवर ने अचानक बस को सड़क पर ब्रेक लगाकर बगल में सो रहे सहायक ड्राइवर को जगाया. दोनों ने इसे छोटी सी आग समझकर बुझाने की कोशिश की, लेकिन वे बुझा नहीं पाए. यह जानते हुए कि यह एक बड़ी आग है, वे बस से कूदकर बाहर निकल आए, लेकिन उन्होंने यात्रियों को सचेत नहीं किया. यही उनकी सबसे बड़ी भूल थी. चूंकि यात्री सो रहे थे, इसलिए उन्हें कुछ पता नहीं चला. आग पहले ही बस के दरवाजे और ड्राइवर की सीट तक फैल चुकी थी. चूंकि यह एक वोल्वो बस और एक एसी बस थी, इसलिए सभी खिड़कियां और दरवाजे बंद थे. इसलिए यात्रियों को समझ नहीं आया कि उन्हें कैसे तोड़ा जाए. बस का आधा हिस्सा पहले ही जल चुका था. धुआं फैल रहा था. कुछ लोग बच पाए, मगर कुछ क्यों नहीं इसी बीच एक व्यक्ति ने जबरदस्ती आपातकालीन खिड़की का दरवाज़ा तोड़ दिया. वह नीचे कूद गया. तुरंत ही, 11 अन्य लोग भी नीचे कूद गए. सभी को मामूली चोटें आईं. बाकी लोग बच नहीं पाए. वे बस के पिछले हिस्से में ही रहे. इस बीच आग पूरी बस में फैल गई. वे चिखते-चिल्लाते हुए बस के अंदर ही रहे.. और उनकी मौत हो गई. जैसे ही दमकल विभाग को मामले की जानकारी मिली.. वे तीन दमकल गाड़ियों के साथ पहुंचे. उन्होंने आग बुझाने की कोशिश की.. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. यह सब उस बाइक सवार की वजह से हुआ. यह हादसा इसलिए हुआ क्योंकि वह बस के पहियों के बीच फंस गया. सब कुछ इतनी जल्दी हुआ. अब तक 20 लोगों की मौत की खबर है. पुलिस शवों की पहचान करने की कोशिश कर रही है. चालक और सहायक चालक को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है और मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना जताई है। उन्होंने प्रशासन को घायलों को तत्काल चिकित्सा सहायता और राहत कार्य तेज करने के निर्देश दिए हैं। बीते सप्ताह राजस्थान के जैसलमेर-जोधपुर मार्ग पर 14 अक्टूबर को एक बस में आग लगने से 22 लोगों की मौत हो गई थी। उस मामले में एसी यूनिट में शॉर्ट सर्किट और गैस रिसाव को आग का कारण बताया गया था।