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सोनिया और राहुल गांधी की बढ़ेंगी मुश्किलें,2000 करोड़ की संपत्ति हड़पने की थी रची साजिश…ED का दावा

एजेएल पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्थापित नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन करता था। राजू ने कहा कि यंग इंडियन बनाने की साजिश रची गई थी, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी के 76% शेयर थे, ताकि कांग्रेस से लिए गए 90 करोड़ रुपये के कर्ज के लिए 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति हड़पी जा सके। नई दिल्ली दिल्ली की एक विशेष अदालत ने अब बंद हो चुके नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बुधवार को दैनिक सुनवाई शुरू की। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे तथा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से जुड़े इस हाई-प्रोफाइल मामले की सुनवाई सीबीआई के विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने कर रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल वी राजू ने कहा कि कांग्रेस पार्टी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को हड़पना चाहती थी, जिसकी संपत्ति 2,000 करोड़ रुपये की थी। एएसजी ने कहा कि यह साजिश कांग्रेस पार्टी के इशारे पर सोनिया और राहुल गांधी ने रची थी। एजेएल पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्थापित नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन करता था। राजू ने कहा कि यंग इंडियन बनाने की साजिश रची गई थी, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी के 76% शेयर थे, ताकि कांग्रेस से लिए गए 90 करोड़ रुपये के कर्ज के लिए 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति हड़पी जा सके। एसजी एस वी राजू ने कहा, "यंग इंडियन ने घोषणा की थी कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी लाभकारी मालिक थे। एएसजी ने कहा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा यंग इंडियन में प्रमुख प्रबंधकीय कर्मी थे।" कोर्ट के इस सवाल पर ईडी के वकील एएसजी वीएस राजू ने जवाब द‍िया. उन्‍होंने कहा, बैंकों के पास खुद संपत्ति नहीं होती, इसलिए उन्हें कर्ज देना ही होता है. ऐसी स्थिति में बैंक उधारकर्ता से समझौता करते हैं. लेकिन इस केस में तो 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति उपलब्ध थी. फिर सिर्फ 50 लाख रुपये में 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति क्यों दी गई? संपत्ति की पूरी वैल्यू इस पर कोर्ट ने फ‍िर सवाल क‍िया, क्या यह मामला एनपीए (Non Performing Asset) जैसा था? इस पर ED की ओर से पेश वकील राजू ने कहा, नहीं, इस केस में तो संपत्ति की पूरी वैल्यू थी. ईडी की तरफ से पेश वकील ने कोर्ट के सामने दलील देते हुए एक बड़ा संकेत दिया. कांग्रेस पार्टी भी ईडी की जांच के दायरे में आ सकती है, इस संभावना से इनकार नहीं किया गया है. कांग्रेस भी बनेगी आरोपी? ईडी का कहना है कि अभी कांग्रेस को आरोपी नहीं बनाया गया है, लेकिन भविष्य में ऐसा किया जा सकता है. ईडी ने कोर्ट से कहा, अगर AICC यानी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को आरोपी बनाया जाता है, तो राहुल गांधी और सोनिया गांधी की भूमिका उनके खिलाफ पीएमएलए की धारा 70 के तहत मामला मजबूत करने में सहायक हो सकती है. हालांकि, ईडी द्वारा ये स्पष्टीकरण दिया गया कि बिना पुख्ता सबूत के ऐसा कदम नहीं उठाएंगे. एएसजी एसवी राजू ने दलील दी कि 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति वाली कंपनी एजेएल को 90 करोड़ रुपये के लोन के लिए अधिग्रहित किया गया। यह एक धोखाधड़ी है। यह वास्तविक लेनदेन नहीं था। एजेएल का अधिग्रहण कांग्रेस ने नहीं, बल्कि यंग इंडियन ने किया था। उन्होंने कहा कि यह एक साजिश थी। एएसजी ने कहा कि कांग्रेस ने न तो ब्याज लिया और न ही जमानत ली। 90 करोड़ रुपये का लोन 50 लाख रुपये में बेचा गया। ईडी ने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के निर्देश पर एजेएल को विज्ञापन के पैसे भी दिए गए। इस फर्जी कंपनी से जो भी आय हुई, वह अपराध की कमाई है। 21 मई को पिछली सुनवाई के दौरान ईडी ने कहा था कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने कथित नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़े 142 करोड़ रुपये के "अपराध की आय" का आनंद लिया है। मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक एजेंसी ने नेशनल हेराल्ड मामले में गांधी परिवार समेत वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के खिलाफ अभियोजन शिकायत दर्ज की है। आरोप पत्र में कांग्रेस के ओवरसीज प्रमुख पित्रोदा, सुमन दुबे और अन्य के नाम शामिल हैं। एएसजी राजू ने क्या कहा? एएसजी राजू ने कहा कि, ‘एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) नाम की एक कंपनी थी, जो मुनाफा नहीं कमा रही थी, लेकिन उसके पास करीब 2000 करोड़ रुपये की संपत्तियां थीं. उसे अपने दिन-प्रतिदिन के खर्च चलाने में कठिनाई हो रही थी.’ उन्होंने आरोप लगाया कि एजेएल ने कांग्रेस पार्टी से 90 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था, जिसे बाद में वापस करने से इनकार कर दिया गया. उन्होंने कहा, ‘अगर किसी के पास इतनी बड़ी संपत्ति हो और वो कर्ज न चुका सके, तो यह सवाल खड़े करता है. आम परिस्थितियों में कोई भी समझदार व्यक्ति अपनी संपत्ति बेचकर कर्ज चुका देता. लेकिन यहां उद्देश्य अलग था.’ एएसजी ने तर्क दिया कि कांग्रेस पार्टी की मंशा एजेएल की संपत्ति को हथियाने की थी और इसके लिए ‘यंग इंडिया’ नाम की कंपनी के जरिये 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति को मात्र 90 करोड़ के कर्ज के बहाने ट्रांसफर करने की साजिश रची गई. सोनिया-राहुल पर क्या आरोप एएसजी राजू ने सीधे तौर पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर आरोप लगाते हुए कहा कि, ‘वे दोनों इस 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति वाली कंपनी को अपने नियंत्रण में लेना चाहते थे.’ उन्होंने सवाल उठाया कि, ‘कोई भी समझदार व्यक्ति किसी कंपनी को इतना कर्ज क्यों देगा, जो पहले ही डिफॉल्ट कर चुकी हो?’ इस पर कोर्ट ने एएसजी से पूछा कि, ‘क्या आप यह कह रहे हैं कि इस स्तर पर केवल अपराध के संज्ञान (cognisance) का मुद्दा ही प्रासंगिक है, और समन जारी करने का अधिकार बाद में आता है?’ इस पर एएसजी राजू ने उत्तर दिया, ‘जी हां, इस चरण पर केवल संज्ञान का मुद्दा देखा जाना चाहिए. समन की प्रक्रिया डिस्चार्ज एप्लिकेशन के समय प्रासंगिक होगी.’ एएसजी राजू ने फिर कोर्ट को सूचित किया कि वे आज या कल तक अपनी बहस पूरी कर लेंगे. इसके बाद कोर्ट में इस मामले को लेकर अगली प्रक्रिया आगे बढ़ेगी. किराये और चंदे के नाम पर गड़बड़ी? ED के … Read more

एयर इंडिया क्रैश की जांच में हो गया बड़ा खुलासा, टेकऑफ करते ही फेल हो गए दोनों इंजन!

अहमदाबाद  12 जून को अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद क्रैश हुई एयर इंडिया की लंदन फ्लाइट को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस भयावह दुर्घटना के पीछे डुअल इंजन फेलियर यानी दोनों इंजन का फेल होना, एक बड़ी वजह हो सकती है। यही तकनीकी गड़बड़ी विमान को हवा में टिके रहने से रोक सकती है। इस रिपोर्ट के अनुसार, एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) इस हफ्ते के आखिर या अगले सप्ताह की शुरुआत में अपनी शुरुआती जांच रिपोर्ट सार्वजनिक कर सकता है। इस रिपोर्ट में कई अहम तकनीकी पहलुओं की ओर इशारा किया गया है। ब्लूमबर्ग ने हादसे से जुड़ी जांच से जुड़े सूत्रों के हवाले से बताया कि एयर इंडिया के पायलटों ने फ्लाइट सिमुलेटर में उस दुर्घटनाग्रस्त विमान की उड़ान की परिस्थितियों को दोहराने की कोशिश की। इसमें लैंडिंग गियर नीचे और विंग फ्लैप्स पीछे की ओर समेटे गए थे। हालांकि, सिर्फ इन्हीं वजहों से विमान के गिरने की संभावना कम मानी जा रही है, जिससे ध्यान अब तकनीकी खराबी की ओर मुड़ गया है। जांच में क्या मिला? जांचकर्ताओं और एयर इंडिया के पायलटों ने सिम्युलेटर में उस हादसे की परिस्थितियों को दोहराया. इसमें उन्होंने देखा कि क्या लैंडिंग गियर खुले होने और फ्लैप्स बंद होने से विमान गिर सकता है, लेकिन सिम्युलेटर टेस्ट में पाया गया कि सिर्फ इन कारणों से विमान नहीं गिरता. इमरजेंसी पावर सिस्टम ने दी चेतावनी हादसे से ठीक पहले विमान में इमरजेंसी पावर टरबाइन (RAT) अपने आप एक्टिव हो गया था. यह सिस्टम तभी ऑन होता है जब विमान के दोनों इंजन काम करना बंद कर देते हैं. इससे यह शक और गहरा गया है कि हादसे के वक्त विमान में बिजली की पूरी सप्लाई बंद हो गई थी. विमान के मलबे की जांच में क्या आया सामने? विमान के मलबे की जांच से पता चला है कि टेकऑफ के समय विंग फ्लैप्स और स्लैट्स पूरी तरह सही ढंग से फैले हुए थे, जिससे यह साफ होता है कि टेकऑफ की प्रक्रिया में कोई चूक नहीं हुई थी। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि क्रैश से ठीक पहले पायलट्स ने मेडे (Mayday) सिग्नल भेजा था, जो कि इमरजेंसी का संकेत होता है। इस चेतावनी कॉल और विमान के जमीन से टकराने के बीच सिर्फ 15 सेकंड का समय था। इस हादसे की गंभीरता को देखते हुए टाटा संस ने एयर इंडिया क्रैश के बाद अपनी पहली बोर्ड मीटिंग बुलाई, जिसमें चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने राहत कोशिशों और अब तक किए गए कामों की जानकारी ग्रुप की लीडरशिप को दी। उन्होंने बताया कि टाटा ग्रुप और टाटा ट्रस्ट्स मिलकर प्रभावित परिवारों के लिए राहत कार्यों को आगे बढ़ाएंगे। 270 लोगों की मौत 12 जून को हुए इस भीषण हादसे में बोइंग ड्रीमलाइनर विमान में सवार 242 में से 241 यात्रियों और क्रू सदस्यों समेत कुल कम से कम 270 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। टाटा ग्रुप, जो एयर इंडिया का मालिक है, उसने इस दुर्घटना में जान गंवाने वालों के परिजनों को प्रति व्यक्ति 1 करोड़ रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की है। इस हादसे ने एक बार फिर विमान सुरक्षा मानकों और तकनीकी जांच के महत्व को गहराई से सामने ला दिया है। अब सभी की निगाहें AAIB की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो इस दिल दहला देने वाले रहस्य से पर्दा उठा सकती है। जांचकर्ताओं ने क्या कहा? अभी तक AAIB (Aircraft Accident Investigation Bureau) और एयर इंडिया ने आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक हादसे की वजह अब तकनीकी फेलियर की ओर मुड़ गई है. ब्लैक बॉक्स (फ्लाइट रिकॉर्डर) के डेटा की जांच अभी जारी है. सिमुलेशन में क्या मिला? बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के मलबे की तस्वीरों से पता चला कि फ्लैप्स एक्सटेंड हुए थे और पीछे नहीं हटे थे, जैसा कि अनुमान लगाया गया था. जब प्लेन की स्पीड धीमी होती है, तब फ्लैप्स टेक-ऑफ और लैंडिंग के दौरान विमान को जरूरी एक्स्ट्रा लिफ्ट देते हैं. लंदन जाने वाली फ्लाइट अहमदाबाद में उड़ान भरने के कुछ सेकंड के अंदर एक मेडिकल कॉलेज कैंपस के पास हादसे का शिकार हो गई, जिससे प्लेन में सवार 242 यात्रियों और क्रू मेंबर्स में से एक को छोड़कर सभी की मौत हो गई और जमीन पर मौजूद 34 अन्य लोग मारे गए. कई एक्सपर्ट्स ने इस बात की पुष्टि की है कि टेक्निकल फेलियर ही हादसे के पीछे की एक वजह हो सकता है.  दोनों इंजन फेल होने की वजह से हुआ हादसा? एविएशन एक्सपर्ट और पूर्व अमेरिकी नौसेना पायलट कैप्टन स्टीव शेबनर ने कहा कि इस हादसे के पीछे की वजह डुअल इंजन फेलियर हो सकती है. इंडिया टुडे के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि उड़ान भरने के तुरंत बाद रैम एयर टर्बाइन (RAT) का खुलना डुअल इंजन फेलियर की तरफ इशारा करता है. यह सिमुलेशन विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) द्वारा की जा रही आधिकारिक जांच से अलग आयोजित किया गया था. सूत्रों ने ब्लूमबर्ग को बताया कि यह संभावित कारणों का पता लगाने के लिए किया गया था. एअर इंडिया के पायलटों द्वारा किए गए क्रैश फुटेज के एनालिसिस से पता चला कि लैंडिंग गियर आगे की ओर झुका हुआ था, जिससे पता चलता है कि पहियों का पीछे हटना शुरू हो गया था. उस वक्त, लैंडिंग-गियर के दरवाज़े नहीं खुले थे, जिसके बारे में पायलटों ने कहा कि यह इशारा करता है कि प्लेन में बिजली की कमी या हाइड्रोलिक फेलियर हुआ था, जो इंजन में समस्या की ओर इशारा करता है. हादसे का शिकार हुए एअर इंडिया प्लेन के ब्लैक बॉक्स से डेटा का एनालिसिस मौजूदा वक्त में दिल्ली में AAIB की लैब में चल रहा है. इससे यह पता चलेगा कि हादसे का क्या क्रम था यानी स्टेप बाय स्टेप क्या-क्या हुआ. इसके साथ ही यह भी बताएगा कि दोनों इंजनों की पॉवर एक साथ क्यों खत्म हो गई. फ्लाइट सिमुलेटर एक डिवाइस या सॉफ्टवेयर है, जिसमें विमान की उड़ान जैसी स्थिति बनाई जाती है। फ्लाइट सिमुलेटर का इस्तेमाल पायलटों की ट्रेनिंग, विमान के डिजाइन और रिसर्च आदि में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें एयरक्राफ्ट कंट्रोल सिस्टम, फ्लाइट डायनामिक्स और … Read more

विमान हादसे के डर से कांपे यात्री, 10500 फीट नीचे गिरा प्लेन, मोबाइल कैमरे में रिकॉर्ड हुआ हर पल

टोक्यो शंघाई से जापान की राजधानी टोक्यो जा रही जापान एयरलाइंस की एक फ्लाइट में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब बोइंग 737 विमान को अचानक 10,500 फीट नीचे उतारना पड़ा और ऑक्सीजन मास्क तैनात करने पड़े। यह हादसा 30 जून की शाम को हुआ, जब विमान ने चीन के शंघाई पुडोंग एयरपोर्ट से उड़ान भरी थी और टोक्यो के नारिता एयरपोर्ट की ओर जा रहा था। यह विमान जापान एयरलाइंस और इसकी कम लागत वाली सहयोगी एयरलाइन ‘स्प्रिंग जापान’ के कोडशेयर समझौते के तहत संचालित हो रहा था। विमान में कुल 191 लोग सवार थे। अचानक 10 मिनट में 36,000 फीट से 10,500 फीट पर आ गया विमान रिपोर्ट के अनुसार, विमान ने उड़ान भरने के कुछ समय बाद ही तकनीकी खराबी का सामना किया। जापान के क्यूशू द्वीप के ऊपर उड़ान भरते समय विमान के केबिन प्रेशर सिस्टम में खराबी का अलर्ट मिला। इसके चलते विमान को तेजी से नीचे लाना पड़ा, जिसे इमरजेंसी डिसेंट कहा जाता है। महज 10 मिनट में यह लगभग 36,000 फीट से घटकर 10,500 फीट की ऊंचाई पर आ गया। यात्रियों ने बताया कि एक "मफल्ड बूम" की आवाज सुनाई दी और कुछ ही सेकंड में ऑक्सीजन मास्क गिर गए। केबिन में अराजकता का माहौल बन गया, जिसमें फ्लाइट अटेंडेंट्स जोर-जोर से यात्रियों को मास्क पहनने के लिए कह रही थीं। डर के मारे वसीयत लिखने लगे यात्री कई यात्री उस समय सो रहे थे और घबरा गए। कुछ यात्रियों ने तो इस डर से अपनी वसीयत लिख दी और अपने परिजनों को एटीएम पिन व बीमा की जानकारी भेज दी। एक यात्री ने बताया, “मैं सो रहा था, तभी अचानक ऑक्सीजन मास्क नीचे गिरने लगे। कुछ ही पलों में अफरा-तफरी मच गई। फ्लाइट अटेंडेंट रोते हुए कह रही थी कि विमान में तकनीकी खराबी आ गई है और सभी लोग मास्क पहन लें।” घबराए यात्रियों ने की रिकॉर्डिंग, वीडियो हुआ वायरल इस डरावने लम्हे को कुछ यात्रियों ने मोबाइल पर रिकॉर्ड भी किया। वीडियो में देखा जा सकता है कि यात्री ऑक्सीजन मास्क पकड़े हुए हैं और एक फ्लाइट अटेंडेंट घबराए हुए स्वर में घोषणा कर रही है। ओसाका में इमरजेंसी लैंडिंग, कोई घायल नहीं विमान के पायलट ने तत्काल एयर ट्रैफिक कंट्रोल को आपात स्थिति की सूचना दी और विमान को ओसाका के कंसाई इंटरनेशनल एयरपोर्ट की ओर मोड़ दिया गया। विमान ने शाम 8:50 बजे सुरक्षित लैंडिंग की। राहत की बात यह रही कि इस हादसे में कोई भी यात्री या क्रू मेंबर घायल नहीं हुआ। जांच शुरू, यात्रियों को मुआवजा एयरलाइन की ओर से यात्रियों को 15,000 येन (लगभग 93 अमेरिकी डॉलर) का परिवहन मुआवजा और एक रात के होटल ठहराव की सुविधा दी गई है। विमान की तकनीकी खराबी की जांच शुरू कर दी गई है। बोइंग विमानों पर फिर सवाल यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब बोइंग विमानों की सुरक्षा को लेकर वैश्विक चिंता बढ़ती जा रही है। पिछले महीने अहमदाबाद से लंदन जा रही एक बोइंग विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 241 यात्रियों समेत 270 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। इस नई घटना ने बोइंग विमानों की सुरक्षा पर फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।  

अब नौकरियों में मिलेगा हक! सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार लागू किया SC-ST आरक्षण

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट के प्रशासनिक पदों की भर्ती में पहली बार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षण लागू हुआ है। 24 जून को जारी किए गए सर्कुलर में पदों के आरक्षण की जानकारी दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में हर साल 200 पदों पर भर्ती मंजूर है। इस तरह हर साल होने वाली भर्ती में 15 पर्सेंट एससी और 7.5 पर्सेंट एसटी आरक्षण लागू रहेगा। ऐसे में कुल 30 पदों को एससी आरक्षित किया जाएगा। इसके अलावा 15 पद एसटी वर्ग के लिए तय किए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सामाजिक न्याय की मांग को देखते हुए अहम है। लंबे समय से मांग होती रही है कि कोर्ट की भर्तियों में भी कोटा लागू किया जाए। अदालत की ओर से दी गई भर्ती की डिटेल में बताया गया है कि सीनियर पर्सनल असिस्टेंट के 94 पदों पर भर्ती में 14 एससी कोटे के लिए होंगी। इसके अलावा 6 पद एसटी कोटे के लिए आरक्षित रहेंगी। 74 पदों को अनारक्षित किया जाएगा। इसी तरह असिस्टेंट लाइब्रेरियन के 20 पदों में से 3 को एससी और एक को एसटी कोटे में रखा गया है। जूनियर कोर्ट असिस्टेंट की बात करें तो कुल 437 पद हैं, जिनमें से 65 पद एससी के लिए आरक्षित होंगे। इसके अलावा 32 पोस्ट एसटी के लिए होंगी। 340 पद अनारक्षित रहेंगे। यही नहीं जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के 20 पदों पर भी कोटा लागू रहेगा। जूनियर कोर्ट अटेंडेंट के भी 600 पदों पर आरक्षण लागू रहेगा। यही नहीं चेंबर अटेंडेंट के पद भी कोटा लागू होगा। सर्कुलर में कहा गया है कि यदि आरक्षण के नियम को लागू नहीं किया जाता है तो उसकी शिकायत रजिस्ट्रार से की जाए।  

मोदी सरकार जीएसटी स्लैब बदलने पर गंभीर, 12 फीसदी का GST Slab अब 5 फीसदी करने की योजना

नई दिल्ली जीएसटी (GST) को लेकर सरकार की बड़ी प्लानिंग है और इसके तहत मिडिल क्लास व लोअर इनकम ग्रुप वाले लोगों को राहत मिल सकती है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जल्द ही जीएसटी में बड़ी राहत दी जा सकती है और केंद्र सरकार जीएसटी रेट्स में कटौती (GST Rate Cut) की जा सकती है. ऐसा बताया जा रहा है कि मोदी सरकार जीएसटी स्लैब बदलने पर गंभीरता से विचार कर रही है और 12 फीसदी का GST Slab अब 5 फीसदी में आ सकता है.  12% की जगह 5% के स्लैब की तैयारी   सूत्रों के मुताबिक, सरकार की ओर से जीएसटी पर ऐसे सामानों पर राहत मिल सकती है, जो खासतौर पर मिडिल और लोअर इनकम वाले घरों में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं और 12 फीसदी के GST Tax Slab के अंतर्गत आते हैं. सरकार अब विचार कर रही है ऐसे अधिकांश सामानों को या तो 5 फीसदी के टैक्स स्लैब में ट्रांसफर किया जा सकता है या फिर इनपर लगने वाला 12 फीसदी का स्लैब ही समाप्त किया जा सकता है. गौरतलब है कि रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर सामान इसी स्लैब में आते हैं.  कपड़ों से लेकर साबुन तक हो सकते हैं सस्ते जीएसटी काउंसिल की अगली 56वीं बैठक में इसे लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है औ ये GST Counsil Meet इसी महीने हो सकती है. अगर सरकार की ओर से ये निर्णय लिया जाता है, जो अभी तक 12 फीसदी के स्लैब में आने वाले जूते-चप्पल, मिठाई, कपड़े, साबुन, टूथपेस्ट और डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे कई सामान सस्ते हो सकते हैं. इसके अलावा पनीर, खजूर, सूखे मेवे, पास्ता, जैम, पैकेज्ड फ्रूट जूस, नमकीन, छाते, टोपी, साइकिल, लकड़ी से बने फर्नीचर, पेंसिल, जूट या कपास से बने हैंडबैग, शॉपिंग बैग भी इसमें शामिल हैं. GST के भारत में कितने स्लैब साल 2017 में देश में जीएसटी लागू किया गया था और बीते कारोबारी दिन 1 जुलाई को ही इसने आठ साल पूरे किए हैं. देश में जीएसटी दरें GST Counsil द्वारा तय की जाती हैं और इनमें बदलाव के किसी भी फैसले में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि भी शामिल रहते हैं. बात करें भारत में GST Slabs के बारे में, तो अभी चार जीएसटी स्लैब हैं. 5%, 12%, 18% और 28% हैं. अनाज, खाद्य तेल, चीनी, स्नैक्स और मिठाई के अलावा सोना-चांदी और अन्य तमाम सामानों को अलग-अलग कैटेगरी के हिसाब से इन्ही टैक्स स्लैब में रखा गया है. सरकार की ओर से पहले से मिल रहे संकेत जीएसटी (GST) के मोर्चे पर बड़ी राहत के संकेत पहले से ही सरकार की ओर से मिल रहे हैं. बीते मार्च महीने में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने भी कहा था कि जीएसटी टैक्स स्लैब को तर्कसंगत बनाने का प्रोसेस पूरा होने के बाद जीएसटी रेट्स में और भी कमी आएगी. इसके बाद से ही GST Tax Slab Change किए जाने की उम्मीद लगाई जा रही थी और अब सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अगली काउंसिल बैठक में ये बड़ा फैसला लिया जा सकता है.  

77 साल बाद बदलेंगे रिश्ते? बड़ा इस्लामिक देश अब्राहम अकॉर्ड में हो सकता है शामिल

तेल अवीव सीरिया में 14 साल तक चले गृह युद्ध के बाद अब हालात सामान्य होने की ओर हैं। अमेरिका ने सीरिया से सारे प्रतिबंध हटा लिए हैं और अब यह इस्लामिक मुल्क दोबारा से सामान्य जनजीवन की ओर बढ़ रहा है। आर्थिक गतिविधियों में इजाफा हुआ है तो वहीं सुरक्षा व्यवस्था के हालात भी सुधरे हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया के नए राष्ट्रपति अहमद अल शारा से मुलाकात भी की और फिर यह ऐलान हुआ। लेकिन अमेरिका की इस रियायत की अब एक वजह सामने आ रही है। दरअसल इजरायल और सीरिया के बीच पहली बार सीधी वार्ता हुई है। यही नहीं खबर है कि दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य करने पर कुछ ऐलान हो सकता है। इसे अब्राहम अकॉर्ड के विस्तार के तौर पर देखा जा रहा है। मध्य पूर्व के मामलों के जानकारों का कहना है कि शायद अमेरिका ने सीरिया से सभी बैन हटाने को लेकर पहले से ही ऐसी डील की होगी कि उसे इजरायल से रिश्ते सुधारने होंगे। अब उसी दिशा में सीरिया बढ़ता दिख रहा है। यदि ऐसा कुछ हुआ तो वैश्विक राजनीति में यह बड़ा बदलाव होगा क्योंकि सीरिया और इजरायल एक तरह से 1948 से ही जंग में हैं। इस तरह 77 साल पुरानी दुश्मनी खत्म होगी। अल जजीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच सीधी वार्ता हुई है। यह वार्ता भी बैकचैनल से संयुक्त अरब अमीरात ने कराई है, जो 2020 से ही अब्राहम अकॉर्ड शामिल है। अब तक अब्राहम अकॉर्ड के मेंबर बन चुके हैं ये देश इसीलिए कहा जा रहा है कि सीरिया का इजरायल से रिश्ते सामान्य करना अब्राहम अकॉर्ड का विस्तार होगा। दरअसल डोनाल्ड ट्रंप ने ही अपने पहले कार्यकाल में अब्राहम अकॉर्ड कराया था। तब यूएई, बहरीन, मोरक्को और सूडान इसमें शामिल हुए थे। पहली बार इस्लामिक मुल्कों ने इजरायल को मान्यता दी थी और उससे रिश्ते सामान्य किए थे। अब ट्रंप प्रशासन चाहता है कि इसका विस्तार हो जाए ताकि मिडल ईस्ट में शांति कराई जा सके। ट्रंप ने मई में ही तीन मिडल ईस्ट देशों का दौरा किया था। इसके अलावा सऊदी अरब में सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शारा से मुलाकात की थी। क्या इजरायल और सीरिया के रिश्ते सामान्य होना इतना आसान है? इन चर्चाओं को लेकर सीरिया के लेखक रॉबिन यासिन कसाब ने कहा कि ऐसा होना मुझे को मुश्किल लग रहा है। उन्होंने कहा कि सीरिया के इजरायल के करीब जाना इसलिए मुश्किल है क्योंकि 1967 की जंग से रिश्ते बहुत खराब हो गए थे। इजरायल ने हमारे हिस्से वाले गोलान हाइट्स पर कब्जा जमा रखा है। उस पर भी कुछ फैसला हो, तभी ऐसा संभव है। वहीं इजरायली रक्षा मंत्री गिदिओन सार का कहना है कि हम सीरिया से समझौता करेंगे, लेकिन गोलान हाइट्स के मसले पर पीछे नहीं हटेंगे। हालांकि सीरिया में अब समझौते को सही मानने वालों की संख्या बढ़ी है। इसकी वजह है कि लंबे अरसे से आर्थिक बदहाली से जूझ रहे लोग अब हालात सामान्य होते देखना चाहते हैं।  

प्रतिष्ठित स्कूल की अंग्रेजी की टीचर को नाबालिग छात्र के साथ शारीरिक संबंध बनाने के आरोप में किया अरेस्ट

मुंबई मुंबई से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक प्रतिष्ठित स्कूल की अंग्रेजी की टीचर को नाबालिग छात्र के साथ शारीरिक संबंध बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। फिलहाल, मामले की जांच जारी है। खबर है कि टीचर ने कई मौकों पर छात्र का यौन शोषण किया था। इसके अलावा वह उसे शराब परोसती थी और फाइव स्टार होटलों में ले जाती थी। पुलिस ने बताया है कि यौन शोषण का यह सिलसिला एक साल से ज्यादा समय तक चला। जब परिवार ने छात्र के व्यवहार में बदलाव देखा, तो उसने कथित तौर पर खुलकर यौन शोषण की बात बताई। हालांकि, परिवार को लगा कि स्कूल पास करने में कुछ ही महीनों का समय बाकी है, तो वो चुप रहे। उन्हें उम्मीद थी कि टीचर बच्चे का पीछा छोड़ देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पुलिस ने बताया कि इस साल छात्र बोर्ड की परीक्षा पास कर गया, लेकिन वह डिप्रेशन में था। मामले ने दोबारा तूल तब पकड़ा, जब टीचर ने घरेलू नौकर के जरिए बच्चे से फिर संपर्क साधने की कोशिश की। उसने संदेश भिजवाया कि वह मिलना चाहती है। पुलिस ने कहा, 'तब परिवार ने हमारे पास आने का फैसला किया और केस दर्ज कराया।' ऐसे शुरू हुई हैवानियत टीचर की उम्र 40 साल बताई जा रही है और वह शादीशुदा है। साथ ही उसका एक बच्चा भी है। जबकि, पीड़ित छात्र 11 कक्षा में था और 16 साल का था। शिकायत में कहा गया है कि वह दिसंबर 2023 में हाई स्कूल के वार्षिक समारोह के दौरान डांस ग्रुप बनाने के समय वह कई बार छात्र के संपर्क में आई। तब ही वह उसके प्रति आकर्षित हुई। जनवरी 2024 में उसने पहली बार छात्र के सामने संबंधों का प्रस्ताव रखा। सहेली को बनाया जरिया छात्र ने शुरुआत में दूरी बनाना शुरू कर दी। इसके बाद टीचर ने स्कूल से अन्य उसकी एक महिला मित्र का सहारा लिया और बात आगे बढ़ाई। इस मामले में दोस्त के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ है। उसने कथित तौर पर पीड़ित छात्र से कहा था कि वो दोनों एक दूसरे के लिए बने हैं और उम्रदराज महिलाओं और लड़कों के बीच रिलेशनशिप आम बात है। दोस्त से बातचीत के बाद छात्र ने टीचर से मिलने का फैसला किया। एक अधिकारी ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया, 'वह (टीचर) छात्र को अपनी कार में लेकर एक सूने स्थान पर गई और जबरन कपड़े उतरवा दिए और शोषण किया।' उन्होंने कहा, 'अगले कुछ दिनों में छात्र परेशान रहने लगा, तो उसने उसे एंटी एन्जाइटी पिल्स भी दीं।' इसके बाद टीचर ने उसे दक्षिण मुंबई के अलग-अलग पांच सितारा होटल ले जाना शुरू किया और शारीरिक संबंध बनाए। पुलिस ने बताया है कि संबंध बनाने से पहले कई बार टीचर छात्र को शराब पिलाती थी। आरोपी टीचर को बुधवार तक पुलिस हिरासत में भेजा गया है।  

कोलकाता रेप केस में चौंकाने वाले खुलासे, पीड़िता की मेडिकल जांच में जबरन यौन संबंध, काटने के निशान और खरोंच के निशान पाए गए

    कोलकाता  पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में कसबा स्थित साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज में 24 वर्षीय छात्रा के साथ हुए गैंगरेप की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. 25 जून को कॉलेज परिसर के सिक्योरिटी गार्ड के कमरे में हुई इस जघन्य वारदात ने न केवल कानून के मंदिर की पवित्रता को कलंकित किया, बल्कि कॉलेज में लंबे समय से दबदबा बनाए हुए मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा की आपराधिक पृष्ठभूमि को भी उजागर किया. इस मामले में पीड़िता की शिकायत, मेडिकल रिपोर्ट, सीसीटीवी फुटेज और इलेक्ट्रॉनिक सबूतों ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. इस घटना ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) के छात्र संगठन से जुड़े मनोजीत के राजनीतिक रसूख और कॉलेज प्रशासन की नाकामी पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. आइए, इस मामले में हुए 10 नए खुलासों पर नजर डालते हैं… 1. पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया कि गैंगरेप से पहले उसे पैनिक अटैक हुआ और सांस लेने में तकलीफ होने लगी. उसने अस्पताल ले जाने की गुहार लगाई, लेकिन मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा ने अपने साथी जैब अहमद से इनहेलर लाने को कहा. पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने कोर्ट में खुलासा किया कि इनहेलर पीड़िता की मदद के लिए नहीं, बल्कि उसकी हालत सुधारने के बाद उसे फिर से यातना देने के लिए लाया गया था. पीड़िता ने इनहेलर लेने के बाद कुछ राहत महसूस की और भागने की कोशिश की, लेकिन मुख्य गेट लॉक होने के कारण वह असफल रही. 2. कोलकाता पुलिस ने कॉलेज के सीसीटीवी फुटेज और मेडिकल स्टोर की फुटेज हासिल की है, जिसमें जैब अहमद को 25 जून की रात 8:29 बजे इनहेलर खरीदते देखा गया. मेडिकल स्टोर के मालिक ने बताया कि जैब ने 350 रुपये का भुगतान यूपीआई के जरिए किया. पीड़िता की मेडिकल जांच में जबरन यौन संबंध, काटने के निशान और खरोंच के निशान पाए गए, जो उसके प्रतिरोध की पुष्टि करते हैं. मनोजीत के शरीर पर भी ताजा खरोंच और चोट के निशान मिले, जो पीड़िता के संघर्ष का सबूत हैं. 3. पुलिस ने मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा (31), दो छात्रों जैब अहमद (19) और प्रमित मुखर्जी (20), और सिक्योरिटी गार्ड पिनाकी बनर्जी को कल अलीपुर कोर्ट में पेश किया. कोर्ट ने मनोजीत और दो छात्रों को 8 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है, जबकि गार्ड की हिरासत 4 जुलाई तक बढ़ाई गई है. पुलिस का कहना है कि जांच अभी अधूरी है और अन्य संदिग्धों की तलाश जारी है. 4. मनोजीत मिश्रा साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज का पूर्व छात्र और टीएमसी छात्र संगठन का पदाधिकारी है. एक ‘हिस्ट्री-शीटर’ रह चुका है. उसके खिलाफ कोलकाता के कालीघाट, कसबा, अलीपुर, हरिदेवपुर और टॉलीगंज थानों में कई मामले दर्ज हैं, जिनमें 2019 में कॉलेज में एक छात्रा के कपड़े फाड़ने, 2020 में चोरी, 2022 में छेड़छाड़ और 2024 में सिक्योरिटी गार्ड पर हमला और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे आरोप शामिल हैं. 5.  रिपोर्ट के मुताबिक, एक पूर्व छात्रा ने बताया कि मनोजीत कॉलेज में सभी के लिए डर का कारण था. उसने कई छात्राओं को परेशान किया, उनकी तस्वीरें मॉर्फ कीं और व्हाट्सएप ग्रुप्स में शेयर कीं. एक अन्य छात्रा ने इंडिया टुडे को बताया कि दो साल पहले एक कॉलेज ट्रिप के दौरान मनोजीत ने उसके साथ छेड़छाड़ की और विरोध करने पर उसे और उसके परिवार को धमकी दी. कम से कम 15 छात्राओं के साथ उसकी हरकतों की शिकायतें सामने आई हैं, लेकिन कॉलेज प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की. 6. पुलिस ने मनोजीत के मोबाइल फोन के कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स की जांच की, जिसमें पता चला कि घटना के अगले दिन सुबह उसने कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल डॉ. नयना चटर्जी से बात की थी. पुलिस ने उपप्राचार्य से दो बार पूछताछ की है और इस बातचीत के मकसद का पता लगाने की कोशिश कर रही है. यह खुलासा मामले में कॉलेज प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाता है. 7. साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज ने मनोजीत मिश्रा की अस्थायी नौकरी समाप्त कर दी है और जैब अहमद व प्रमित मुखर्जी को निष्कासित कर दिया. कॉलेज ने अनिश्चितकाल के लिए कक्षाएं निलंबित कर दी हैं. गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष और टीएमसी विधायक अशोक कुमार देब ने कहा कि सिक्योरिटी एजेंसी को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा. 8. मनोजीत मिश्रा के टीएमसी छात्र संगठन (TMCP) के दक्षिण कोलकाता जिला संगठन सचिव होने की वजह से यह मामला राजनीतिक रूप से संवेदनशील हो गया है. बीजेपी ने मनोजीत की तस्वीरें टीएमसी नेताओं, जैसे अभिषेक बनर्जी और चंद्रिमा भट्टाचार्जी के साथ शेयर कर सरकार पर निशाना साधा. टीएमसी ने दावा किया कि मनोजीत का संगठन से कोई सक्रिय संबंध नहीं था और उसे कड़ी सजा दी जाएगी. 9. अलीपुर कोर्ट में सुनवाई के दौरान सैकड़ों वकील बिना अनुमति कोर्ट रूम में घुस आए, जिससे हंगामा मच गया. एक पक्ष ने आरोपियों के लिए कड़ी सजा की मांग की, जबकि दूसरा पक्ष निष्पक्ष जांच की वकालत कर रहा था. मनोजीत के वकील ने दावा किया कि यह मामला उनके मुवक्किल के खिलाफ साजिश है और पुलिस को पीड़िता का फोन और कॉल रिकॉर्ड्स की जांच करनी चाहिए. 10. पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज में कॉलेज परिसर में शाम 4 बजे के बाद मौजूद 16 लोगों की सूची तैयार की है, जिनमें से 6 से पूछताछ की जा चुकी है. जांच में यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या इस वारदात में और लोग शामिल थे. एक छोटा वीडियो क्लिप (1 मिनट 30 सेकंड) भी बरामद हुआ है, जो पीड़िता के बयान की पुष्टि करता है.

अब प्राइवेट नंबर की बाइक भी कर सकेंगे बुक, सरकार का बड़ा फैसला, पीक ऑवर में दोगुना किराया… जारी की गाइडलाइन

नई दिल्ली ऐप या एग्रीगेटर्स के जरिये अब आप प्राइवेंट नंबर की बाइक बुक कर सफर पर निकल सकेंगे। दरअसल, केंद्र सरकार ने बीते मंगलवार को पहली बार एग्रीगेटर्स के जरिये पैसेंजर यात्रा के लिए गैर-परिवहन (निजी) मोटरसाइकिलों के इस्तेमाल की अनुमति दे दी, जो राज्य सरकार की मंजूरी के अधीन है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, केंद्र की गाइडलाइंस में कहा गया है कि राज्य सरकार एग्रीगेटर्स के जरिये पैसेंजर द्वारा यात्रा के लिए गैर-परिवहन मोटरसाइकिलों के एकत्रीकरण (एग्रीगेशन) की अनुमति दे सकती है। इसका फायदा यह होगा कि यातायात की भीड़ और वाहन प्रदूषण में कमी आएगी। इसके अलावा, सस्ती यात्री गतिशीलता, हाइपरलोकल डिलीवरी और आजीविका के अवसर पैदा होंगे।  केंद्र सरकार ने बाइक टैक्सी को मंजूरी दे दी है। सरकार ने 1 जुलाई को मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश, 2025 जारी किए, जिनमें निजी (गैर-परिवहन) बाइक को यात्री सेवा के लिए उपयोग करने की अनुमति दी गई है। लेकिन इसके लिए राज्य सरकारों की मंजूरी जरूरी होगी। रैपिडो, उबर और ओला जैसी बाइक टैक्सी प्लेटफॉर्म के लिए यह बहुत बड़ी राहत है। राज्यों को प्रतिदिन, साप्ताहिक या 15 दिनों के हिसाब से शुल्क लगाने का अधिकार दिशानिर्देश में कहा गया है कि इस पहल से न केवल ट्रैफिक जाम और प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि लोगों को सस्ता परिवहन विकल्प भी उपलब्ध होगा। साथ ही, हाइपरलोकल डिलीवरी सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा और नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। राज्य सरकारों को एग्रीगेटर कंपनियों पर प्रतिदिन, साप्ताहिक या 15 दिनों के हिसाब से शुल्क लगाने का अधिकार होगा। बाइक्स को मिली मंजूरी MVAG 2025 राज्य सरकार की मंजूरी के अधीन एग्रीगेटर्स के माध्यम से नॉन-ट्रांसपोर्ट (निजी) मोटरसाइकिलों के उपयोग की अनुमति देकर एक लंबे समय से चली आ रही बहस को भी खत्म करता है. नई गाइडलाइन के अनुसार, "राज्य सरकार एग्रीगेटर्स के माध्यम से नॉन-ट्रांसपोर्ट (निजी) मोटरसाइकिलों को भी शेयर्ड मोबिलिटी के तौर पर अनुमति दे सकती हैं. जिसका उद्देश्य ट्रैफिक और प्रदूषण को कम करते हुए सस्ती मोबिलिटी प्रदान करना है.  इसका मतलब है कि अब मोटरसाइकिलों को भी कैब सर्विस के रूप में इस्तेमाल करने का रास्ता साफ हो गया है. गाइडलाइन के क्लॉज 23 के अनुसार राज्यों को ऐसी मोटरसाइकिलों के उपयोग के लिए एग्रीगेटर्स पर दैनिक, साप्ताहिक या पाक्षिक शुल्क लगाने का अधिकार होगा. रैपिडो और उबर जैसे बाइक टैक्सी ऑपरेटर, जो कई राज्यों में विनियामक ग्रे ज़ोन में काम करते हैं – जिसमें कर्नाटक भी शामिल है, जहाँ हाल ही में प्रतिबंध के कारण विरोध प्रदर्शन हुए थे – ने इस कदम का स्वागत किया है. रैपिडो ने इस क्लॉज को "विकसित भारत की दिशा में मील का पत्थर" कहा, और कहा कि यह परिवर्तन लास्ट-माइल कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने और कम सेवा वाले क्षेत्रों में किफायती परिवहन का विस्तार करने में मदद करेगा.  बता दें कि, मोटर व्हीकल एग्रीग्रेटर गाइडलाइन (MVAG) का ये नया एडिशन पिछले 2020 संस्करण की जगह लेगा. इस नए गाइडलाइन के जरिए आम लोगों के इस्तेमाल में आने वाले रोजाना की मोबिलिटी को असाना बनाने का प्रयास किया गया है.  केंद्र सरकार के फैसले से बाइक टैक्सी सेवाओं को कानूनी स्पष्टता मिली केंद्र के इस फैसले से उन ऐप-आधारित बाइक टैक्सी सेवाओं को कानूनी स्पष्टता मिली है जो अब तक कई राज्यों में कानूनी अनिश्चितता में काम कर रही थीं। हालांकि, इसका असली असर तब देखने को मिलेगा जब राज्य सरकारों की ओर से इसे लागू करने के लिए अधिसूचना जारी की जाएगी। कर्नाटक में 16 जून से बाइक टैक्सी सेवाओं पर रोक लगा दी गई है। उबर और रैपिडो ने किया स्वागत केंद्र सरकार का यह फैसला रैपिडो और उबर जैसे बाइक टैक्सी ऑपरेटरों को राहत देता है, जो लंबे समय से कानूनी ग्रे एरिया में काम कर रहे हैं, खासकर कर्नाटक जैसे राज्यों में, जहां हाल ही में बाइक टैक्सियों पर प्रतिबंध के चलते व्यापक विरोध हुआ था। उबर और रैपिडो सहित अन्य ऐसी कंपनियों ने इस कदम का स्वागत किया है। उबर ने गाइडलाइंस की सराहना करते हुए कहा कि यह इनोवेशन और विनियामक स्पष्टता को बढ़ावा देने की दिशा में एक दूरदर्शी कदम है।  उबर के प्रवक्ता ने कहा कि हम मंत्रालय के परामर्शी और संतुलित दृष्टिकोण की सराहना करते हैं और फ्रेमवर्क के प्रभावी और समावेशी रोलआउट का समर्थन करने के लिए सभी स्तरों पर सरकारों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। रैपिडो ने विशेष रूप से MVAG 2025 के खंड 23 के संचालन का स्वागत किया। यह खंड यात्री यात्राओं के लिए गैर-परिवहन मोटरसाइकिलों के एकत्रीकरण की अनुमति देता है। इसे रैपिडो ने भारत की विकासशील भारत की यात्रा में एक मील का पत्थर बताया। रैपिडो ने एक बयान में कहा कि गैर-परिवहन मोटरसाइकिलों (निजी बाइक) को साझा गतिशीलता के साधन के रूप में मान्यता देकर, सरकार ने लाखों लोगों के लिए अधिक किफायती परिवहन विकल्पों के द्वार खोले हैं, खासकर वंचित और अति-स्थानीय क्षेत्रों में। शेयर्ड मोबिलिटी ईकोसिस्टम में अहम बदलाव आया साल 2020 से, भारत के साझा गतिशीलता पारिस्थितिकी तंत्र (शेयर्ड मोबिलिटी ईकोसिस्टम) में तेजी से और महत्वपूर्ण बदलाव आया है। सरकार ने 2020 में, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 93 के तहत मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश 2020 जारी किए। बाइक-शेयरिंग, इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की शुरुआत और ऑटो-रिक्शा की सवारी सहित विविध और लचीले गतिशीलता समाधानों की मांग में वृद्धि ने उपभोक्ता आधार को व्यापक बनाया है। मोटर वाहन एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2020 को मोटर वाहन एग्रीगेटर ईकोसिस्टम में विकास के साथ नियामक ढांचे को अपडेट रखने के लिए संशोधित किया गया है। नए गाइडलाइंस यूजर्स की सुरक्षा और चालक के कल्याण के मुद्दों पर ध्यान देते हुए एक हल्के-फुल्के नियामक प्रणाली प्रदान करने का प्रयास करते हैं।

‘कोरोना वैक्सीन और अचानक होने वाली मौतों के बीच कोई संबंध नहीं’, स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिया जवाब, सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट

नई दिल्ली कोविड-19 वैक्सीन और अचानक हो रही मौतों को लेकर जो डर और सवाल थे, अब उन पर जवाब मिल गया है. ICMR और AIIMS की नई स्टडी में साफ कहा गया है कि भारत में वैक्सीन और अचानक मौतों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक, इन मौतों की वजह वैक्सीन नहीं, बल्कि पहले से मौजूद बीमारियां, खराब जीवनशैली और शरीर की बनावट (आनुवांशिक कारण) हैं. यानी अगर किसी को दिल की बीमारी, शुगर या हाई ब्लड प्रेशर पहले से है और इलाज सही नहीं हुआ तो मौत का खतरा बढ़ सकता है. इसका वैक्सीन से कोई लेना-देना नहीं है. स्टडी से ये भी साफ हुआ है कि कोविड वैक्सीन सुरक्षित है और लोगों को इसे लेकर डरने की जरूरत नहीं है. स्टडी से क्या चला पता? स्टडी में पता चला है कि वैक्सीन और अचानक मौतों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है. ज्यादातर मामलों में मौत की वजह पहले से मौजूद बीमारियां, आनुवांशिक कारण और अस्वस्थ जीवनशैली रही. साथ ही वैक्सीन से होने वाले गंभीर दुष्प्रभाव बेहद दुर्लभ हैं. विशेष रूप से 18 से 45 वर्ष के युवाओं में अचानक हुई मौतों की जांच के लिए दो अहम रिसर्च स्टडीज की गई हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी स्पष्ट किया है कि युवाओं में हो रहे हार्ट अटैक और कोरोना वैक्सीन के बीच कोई लिंक नहीं है. मंत्रालय का कहना है कि आईसीएमआर की ओर से की गई स्टडीज में कोरोना वैक्सीन और हार्ट अटैक के बीच किसी लिंक का पता नहीं चला है.  यह स्टडी देश के 19 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों में मई से अगस्त 2023 के बीच की गई थी. यह स्टडी ऐसे लोगों पर की गई, जो पूरी तरह से स्वस्थ थे लेकिन अक्टूबर 2021 से मार्च 2023 के बीच उनकी अचानक मौत हो गई. स्टडी से पता चला कि कोरोना वैक्सीन की वजह से युवाओं में हार्ट अटैक का जोखिम नहीं बढ़ा है. युवाओं की अचानक हो रही मौतों का इससे कोई कनेक्शन नहीं है. यह स्टडी ऐसे समय में सामने आई है जब देशभर में युवाओं में हार्ट अटैक से हो रही मौतों के मामले बढ़े है. आईसीएमआर और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल अचानक हो रही इन मौतों के पीछे का कारण समझने की दिशा में काम कर रही है. इस स्टडी में जीवनशैली और पूर्व की स्थितियों को अचानक हो रही मौतों का प्रमुख कारण माना गया है. सिद्धारमैया के बयान के एक दिन बाद स्टडी हुई सार्वजनिक आईसीएमआर और एम्स की इस स्टडी को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के उस बयान के एक दिन बाद सार्वजनिक किया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कोरोना वैक्सीन को जल्दबाजी में दी गई मंजूरी  और उसका डिस्ट्रीब्यूशन राज्य में युवाओं की अचानक हो रही मौतों का कारण हो सकता है. उन्होंने कोरोना वैक्सीन के संभावित साइट इफैक्ट की स्टडी के लिए एक पैनल के गठन करने का भी ऐलान किया था.  कर्नाटक के सीएम के बयान पर सरकार की सफाई दरअसल कर्नाटक के हासन जिले में दिल का दौरा पड़ने से कई युवाओं की मौत हुई है, जिसके बाद कर्नाट के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने एक बयान में दिल का दौरा पड़ने के लिए कोरोना वैक्सीन को जिम्मेदार बताया था, लेकिन केंद्र सरकार ने उनके दावे को खारिज कर दिया है। सिद्धारमैया ने मंगलवार को कहा कि जल्दबाजी में कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दी गई और फिर तेजी से वैक्सीन का वितरण किया गया, ऐसे में हो सकता है कि अचानक हो रही मौतों की वजह कोरोना वैक्सीन भी हो सकती है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि 'अगर किसी को भी सीने में दर्द, या सांस लेने में तकलीफ की समस्या हो तो तुरंत नजदीकी अस्पताल में अपना चेकअप कराएं और लक्षणों को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें।' सरकार ने कहा- अचानक मौत होने के कई कारण स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि अचानक हो रहीं मौतों की देश की विभिन्न एजेंसियों ने जांच की है और जांच में पाया गया है कि इनका कोरोना वैक्सीन से कोई सीधा संबंध नहीं हैं। आईसीएमआर और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने भी अपने अध्ययन में इसकी पुष्टि की है। सरकार ने कहा कि कोरोना वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावकारी है और इसके दुर्लभ ही किसी पर गंभीर परिणाम दिखे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अचानक हो रही मौतों के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें जेनेटिक्स, हमारा रहन-सहन और दिनचर्या, पहले से कोई बीमारी और कोरोना संक्रमित होने के बाद की दिक्कतें शामिल हैं।  आईसीएमआर और एनसीडीसी ने 18 से 45 साल के लोगों के बीच अध्ययन किया। यह अध्ययन मई 2023 से लेकर अगस्त 2023 तक 47 क्षेत्रीय अस्पतालों और 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किया गया। इस अध्ययन में उन लोगों की जांच की गई जो अक्तूबर 2021 से लेकर मार्च 2023 के बीच अचानक मौत का शिकार हुए। अध्ययन में पता चला कि इन अचानक मौतों का कोरोना वैक्सीन से संबंध नहीं है। अब एम्स द्वारा भी ऐसा ही एक अध्ययन किया जा रहा है, जिसकी फंडिंग आईसीएमआर द्वारा की गई है।   अध्ययन में पाया गया है कि जेनेटिक म्यूटेशन के चलते दिल का दौरा पड़ने जैसी घटनाएं बढ़ी हैं। अभी अध्ययन चल रहा है और इसके पूरा होने के बाद ही रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी। सरकार ने चेताया कि जो दावे किए जा रहे हैं, वे आधारहीन हैं और इनसे आम जनता का कोरोना वैक्सीन में विश्वास कमजोर होगा, जबकि कोरोना वैक्सीन की वजह से ही कोरोना महामारी के दौरान लाखों लोगों की जान बची थी। उल्लेखनीय है कि कर्नाटक सीएम ने दावा किया कि बीते महीने में हासन जिले में 20 से ज्यादा लोगों की मौत अचानक हुई है।