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500 करोड़ का साइबर स्कैम: बैंककर्मियों ने उजागर किया ग्राहकों के डेटा बेचने का जाल

जयपुर  जिले में चल रहे ऑपरेशन साइबर संग्राम के तहत अलवर पुलिस ने एक सनसनीखेज साइबर ठगी रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जिसमें बैंककर्मियों की सीधे तौर पर मिलीभगत सामने आई है। यह संगठित गिरोह सैकड़ों करंट/कॉर्पोरेट खातों (म्यूल अकाउंट्स) को ऊंचे कमीशन पर साइबर अपराधियों को बेच रहा था, जिससे 100 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी को अंजाम दिया गया। एसपी सुधीर चौधरी ने बताया कि थाना वैशाली नगर की टीम ने अपनी कार्रवाई को तेज करते हुए इस मामले में 4 बैंक कर्मियों और 1 मास्टरमाइंड सहित 6 और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस मामले में अब तक गिरफ्तार किए गए आरोपियों की कुल संख्या 16 हो गई है। 500 करोड़ का संदिग्ध लेन-देन पुलिस जांच में पता चला है कि इन म्यूल अकाउंट्स में 500 करोड़ रुपये से अधिक के स्कैम फंड का लेन-देन हुआ है। इन खातों के खिलाफ अकेले एनसीआरपी पोर्टल पर 4,000 से ज्यादा शिकायतें दर्ज हैं। गिरफ्तार हुए 6 नए आरोपियों में मास्टरमाइंड वरूण पटवा (40) निवासी हिरणमगरी उदयपुर हाल गुरुग्राम, हरियाणा व सतीश कुमार जाट (35) निवासी उकलाना जिला हिसार हरियाणा है। चारों बैंककर्मी एक्सिस बैंक हिसार में कार्यरत है, जिनमे साहिल अग्रवाल (33) व गुलशन पंजाबी (33) निवासी नरवाल जिला जींद सेल्स मैनेजर, आसु शर्मा (23) निवासी खेड़ाचोपड़ा हिसार मर्चेंट इंक्वारी बिजनेस (MIB) और आंचल जाट (24) निवासी उकलाना हिसार सेल्स ऑफिसर है। कैसे काम करता था यह नेटवर्क बैंक कर्मी ग्राहकों को कमीशन देकर, फर्जी फर्मों के नाम, पते और टर्नओवर के आधार पर करंट अकाउंट खुलवाते थे। ये अकाउंट्स मास्टर माइंड और दलाल द्वारा व्हाट्सएप/टेलीग्राम ग्रुप्स में साइबर ठगों को बेचे जाते थे। आरोपी बैंक से लिंक मोबाइल नंबर को दूसरे फोन में डालकर, APK फाइल इंस्टॉल करवाकर, ठगों को ओटीपी और इंटरनेट बैंकिंग का सीधा एक्सेस दे देते थे। इन खातों का उपयोग बेटिंग, गेमिंग फ्रॉड और क्रिप्टो एक्सचेंजों (जैसे Binance) के माध्यम से बड़ी मात्रा में ठगी की रकम निकालने के लिए किया जाता था। बड़ी मात्रा में बरामदगी पुलिस ने कार्रवाई के दौरान ₹2.51 लाख नकद जब्त किए हैं और लगभग ₹5 लाख की अपराध राशि 10 खातों में फ्रीज करवाई है। इसके अलावा 26 एटीएम कार्ड, 33 मोबाइल फोन, 34 सिम कार्ड, 12 चेक बुक, 06 बैंक पासबुक, 12 हस्ताक्षरयुक्त चेक, एक-एक आधार व पैन कार्ड, दो पहचान पत्र, तीन आरसी, मोहर, रसीद बुक और दो कारें भी जब्त की गई हैं। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मुख्यालय कांबले शरण गोपीनाथ के नेतृत्व में गठित एसआईटी टीम मामले की गहनता से जाँच कर रही है, ताकि इस पूरे रैकेट के सरगना और बचे हुए अन्य सदस्यों को पकड़ा जा सके। पूर्व में भी मामले में इस टीम द्वारा 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

छात्रसंघ चुनाव की उठाई मांग, जॉस्लिन नंदिता चौधरी ने महिलाओं को राजनीति में सक्रिय होने की दी अपील

जोधपुर जोधपुर में पहुंचीं दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्र नेता जोस्लिन नंदिता चौधरी ने कहा कि महिलाओं को राजनीति में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए क्योंकि यह निर्णय लेने की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण स्थान है। जॉस्लिन रविवार को जोधपुर पहुंचीं, जहां एयरपोर्ट पर बड़ी संख्या में लोगों ने उनका स्वागत किया। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि अभिभावकों को भी चाहिए कि वे बच्चों को सपोर्ट करें, चाहे वे लड़के हों या लड़कियां। उन्होंने अपने चुनावी अनुभव को साझा करते हुए कहा कि उन्हें लोगों का बहुत प्यार और समर्थन मिला, जिससे काफी कुछ सीखने को भी मिला। जॉस्लिन ने कहा, “यह पहली बार हुआ जब राजस्थान से दिल्ली विश्वविद्यालय के चुनाव में टिकट आई। इतनी दूर जाकर चुनाव लड़ने का अनुभव काफी प्रेरणादायक रहा। मैं ऐसे क्षेत्र से आती हूं, जहां वर्षा भी ठीक से नहीं होती, लेकिन वहां के किसान कभी आत्महत्या नहीं करते। यह अपने आप में बड़ी सीख है।” उन्होंने आगे कहा कि राजस्थान में भी छात्र संघ चुनाव होने चाहिए क्योंकि यहां के छात्र-छात्राएं राजनीति में सक्रिय हैं और मध्यम वर्ग से आने वाले छात्र छात्र राजनीति के जरिए आगे बढ़ सकते हैं। जॉस्लिन ने बताया कि सभी नेता उनके प्रेरणा स्रोत हैं और उन्होंने उनसे सीखकर ही आगे बढ़ने का प्रयास किया है। चुनाव के दौरान संसाधनों और अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने उन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। मारवाड़ के लोगों ने हमेशा सहयोग किया और किसी भी कमी को महसूस नहीं होने दिया। उन्होंने अंत में कहा कि वे हमेशा छात्र हितों के लिए काम करती रहेंगी और मेहनत के साथ आगे बढ़ती रहेंगी।  

त्योहार के दिन दर्दनाक घटना: लूनकरणसर में झाड़ियों में मिली परित्यक्त नवजात

बीकानेर एक ओर जहां नवरात्र के दिनों में जब घर-घर में कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उनके चरण पखारने की परंपरा निभाई जा रही है, वहीं दूसरी ओर जिले लूनकरणसर के कालाबास गांव से एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसने समाज की संवेदनाओं को झकझोर दिया। झाड़ियों में लावारिस हालत में एक नवजात बालिका पाई गई। सूचना मिलते ही टाइगर फोर्स के महिपाल सिंह मौके पर पहुंचे और मासूम को बाहर निकालकर तुरंत अस्पताल पहुंचाया। लूनकरणसर अस्पताल प्रभारी डॉ. वीरेंद्र मांझु ने बताया कि बच्ची झाड़ियों में फेंके जाने से चोटिल हो गई थी और मिट्टी से सनी हुई थी। डॉक्टरों ने मासूम का उपचार कर ऑक्सीजन पर रखा। पास में भर्ती एक महिला ने बच्ची को दूध पिलाने की कोशिश भी की, लेकिन बच्ची ने दूध नहीं लिया। स्थिति को देखते हुए बच्ची को बीकानेर रेफर किया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता महिपाल सिंह मासूम को लेकर बीकानेर रवाना हो गए हैं। नवरात्र में जहां कन्याओं को देवी मानकर उनकी आरती उतारी जाती है, वहीं उसी कन्या को झाड़ियों में मरने के लिए छोड़ देना हमारे समाज के दोहरे चेहरे को उजागर करता है। यह सवाल हर उस इंसान से है जो कन्या के चरण पखारता है,क्या सच में हम कन्या को देवी मानते हैं, या सिर्फ रस्म निभाते हैं?

सोनम वांगचुक के समर्थन में प्रदर्शन, जोधपुर में शख्स हिरासत में

जोधपुर लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शन के दो दिन बाद पुलिस ने जलवायु कार्यकर्ता और प्रदर्शनकारी नेता सोनम वांगचुक को गिरफ्तार कर जोधपुर सेंट्रल जेल भेज दिया है। इसी बीच शनिवार (27 सितंबर) सुबह जेल के बाहर एक व्यक्ति तिरंगा लेकर पहुंचा और भारत माता की जय के नारे लगाने लगा। यह व्यक्ति सोनम वांगचुक का समर्थन कर रहा था और कह रहा था कि सोनम वांगचुक देशभक्त हैं। उसने यह भी कहा कि लेह और लद्दाख के सभी नागरिक देशभक्त हैं, जिन्होंने कारगिल की घुसपैठ के बारे में भारतीय सेना को जानकारी दी थी। प्रदर्शनकारी ने अपना नाम और पता सुजानगढ़ निवासी विजयपाल बताया। पुलिस ने उसे डिटेन कर लिया है और मामले की जांच जारी है। इस घटना के दौरान जेल परिसर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। प्रशासन ने बताया कि फिलहाल किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है और स्थिति नियंत्रण में है। बता दें कि सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद लेह में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं बाधित हैं। यहां चौथे दिन भी कर्फ्यू जारी रहा और स्कूल व शैक्षणिक संस्थान बंद हैं। प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और अर्द्धसैनिक बल तैनात किए हैं। हालांकि शुक्रवार को किसी भी जगह हिंसक घटनाओं की खबर नहीं आई और प्रशासन ने हालात धीरे-धीरे सामान्य होने की जानकारी दी।

जोधपुर जेल: लॉरेंस बिश्नोई से सलमान तक, अब वांगचुक का नया पड़ाव

जोधपुर लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के आने के साथ जोधपुर सेंट्रल जेल दुनिया भर में सुर्खियों में है। सोनम वांगचुक को शुक्रवार की शाम को जोधपुर सेंट्रल जेल लाया गया। इसके बाद शनिवार को जेल के बाहर वांगचुक के समर्थन में लोग जुटने शुरू हो गए। इसे देखते हुए जेल के भीतर और बाहर सुरक्षा को कड़ा कर दिया गया है। जेल के बाहर करीब 100 मीटर पर बैरिकेडिंग की गई है। जोधपुर सेंट्रल जेल पहले भी कई बार हाई प्रोफाइल कैदियों को लेकर सुर्खियों में रही है। पूरे देश में तिहाड़ जेल के बाद सबसे सुरक्षित जेल जोधपुर को माना जाता है। जोधपुर सेंट्रल जेल रातानाडा इलाके में स्थित है और 20 फीट ऊंची दीवारों से घिरी है। जेल में त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरा है, दीवारों के ऊपर कंटीले तार लगे हैं जिनमें करंट रहता है जिसके चलते इसे अभेद माना  जाता है। जेल के बाहर मुख्य द्वार पर सुरक्षा जांच होती है। इसके बाद जेल में प्रवेश करने के दौरान आरएसी के जवानों के द्वारा सुरक्षा जांच की जाती है। वहीं सामान की जांच स्कैनर की मदद से की जाती है। उसके बाद मुख्य जेल के दोनों गेट खोलकर कैदी को अंदर लिया जाता है। जेल के भीतर की सुरक्षा भी सख्त है, जेल में जगह-जगह वॉच टावर भी लगाए गए हैं। लद्दाख के सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को जोधपुर सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया गया था। आज (शनिवार) सुबह सवा दस बजे उनके समर्थन में एक युवक तिरंगा लिए जोधपुर सेंट्रल जेल के बाहर पहुंच गया। भारत माता की जय के नारे लगाने लगा। युवक ने अपना नाम विजयपाल बताया। वह चूरू जिले के सुजानगढ़ का रहने वाला है। उसे पुलिस ने हिरासत में लिया है। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है। जोधपुर की सेंट्रल जेल में जम्मू कश्मीर के अलगाववादियों के अलावा बब्बर खालसा से जुड़े आतंकियों को भी रखा गया था। जोधपुर में पकड़ी गई आतंकियों की स्लीपर सेल के आरोपियों को भी इसी जेल में रखा गया। वहीं, इस जेल में भंवरी देवी अपहरण और हत्या के मामले में तत्कालीन कांग्रेस के मंत्री महिपाल मदेरणा सहित बड़े राजनेता भी रह चुके हैं। साल 2017 में लॉरेंस बिश्नोई को जोधपुर के सेंट्रल जेल में ही कैद किया गया था। हालांकि फिलहाल लॉरेंस बिश्नोई साबरमती जेल में कैद है। वहीं, बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान भी काला हिरण शिकार मामले में 2018 में जोधपुर सेंट्रल जेल में कैदी रह चुके हैं। सलमान को यहां कैदी नंबर 106 का बिल्ला दिया गया था। अभी इसी जेल में आसाराम बापू कैद है, वह दुष्कर्म मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। आसाराम फिलहाल जमानत पर बाहर है।

सरकार की बड़ी पहल: अब अप्रैल से चलेगा स्कूलों का नया सत्र

जयपुर राजस्थान में सरकारी स्कूलों का शैक्षणिक सत्र जुलाई के बजाय 1 अप्रैल से शुरू किया जा सकता है। शिक्षा विभाग ने शैक्षणिक सत्र में बदलाव को लेकर कवायद शुरू कर दी है। इस मामले में शिक्षा विभाग के सचिव कृष्ण कुणाल ने हाल में एक बैठक भी बुलाई थी जिसमें शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत को अप्रैल  से करने के लिए शिविरा पंचांग में बदलाव और शिक्षा समय-सारणी में आवश्यक समायोजन पर चर्चा की गई। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह बदलाव इस मकसद से किया जा रहा है ताकि सरकारी स्कूल भी निजी स्कूलों की प्रतिस्पर्धा में टिक सकें। राजस्थान में निजी स्कूलों का शैक्षणिक सत्र अप्रैल से ही शुरू हो जाता है। जबकि सरकारी स्कूल में मार्च में परीक्षा खत्म होने के बाद स्कूल फिर से खुलने के बीच लंबा गैप आ जाता है। इस बीच निजी स्कूल वाले कई बच्चों को सरकारी स्कूल से तोड़कर अपने स्कूलों में दाखिला करवा लेते हैं। इसके साथ ही सत्र पहले शुरू होने से छात्रों का कोर्स भी समय पर पूरा हो सकेगा। बैठक में सुझाव दिया गया कि 15 अप्रैल से 1 मई के बीच कम‑से‑कम 20 % अध्याय पूरा किया जाए, यदि पुस्तकों की समय पर आपूर्ति हो सके। साथ ही राज्य में परीक्षा समय-सारणी को CBSE के साथ करने के प्रस्ताव पर विचार किया गया। इसके लिए परीक्षा पेटर्न में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं। जिसमें इंटरनल असेसमेंट्स को घटाने व विषय परीक्षाओं को मार्च 15 तक समाप्त करने जैसे उपाय शामिल हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में कई चुनौतियां भी हैं । राजस्थान के सरकारी स्कूलों में नई कॉपी और किताबों की प्रिंटिंग का काम जुलाई तक पूरा होता है। इतनी बड़ी संख्या में पुस्तकों और कॉपियों को पहले प्रिंट करवाने के लिए बजट भी पहले चाहिए होगा। यह केंद्र सरकार से समग्र शिक्षा अभियान के तहत मिलता है। तो इसके लिए केंद्र सरकार से मांग की जाएगी कि समग्र शिक्षा अभियान के तहत राजस्थान को जो राशि नए वित्त वर्ष में जारी की जाए उसकी जानकारी पहले से दे दी जाए ताकि उसके अनुसार अपने खर्च पूर्व में ही निर्धारित कर सकें। पूर्व में भी हुए प्रयास लेकिन विफल रहे शिक्षक संगठनों ने इस प्रस्ताव पर संशय जताया है। आल राजस्थान स्कूल शिक्षक संघ के अध्यक्ष रामकृष्ण अग्रवाल ने कहा कि पूर्व में भी यह प्रयास हुए लेकिन सफल नहीं हुए। पूर्व शिक्षक प्रकाश मिश्रा ने कहा कि अधिकांश ग्रामीण छात्र जुलाई के पहले स्कूल नहीं आते, और सत्र की शुरुआत अप्रैल से करना व्यवहार में चुनौतीपूर्ण है। हालांकि विभाग का कहना है कि इस निर्णय को सभी पक्षों से सलाह करके लिया जाएगा।

सरकार का बड़ा फैसला: तबादलों पर सख्ती, विभागीय स्वीकृति ज़रूरी

जयपुर तबादलों में विभागों के मनमाने रवैये से नाराज सरकार ने अब कर्मचारियों के  स्थानांतरण, प्रतिनियुक्ति या नई पदस्थापना को लेकर सख्ती कर दी है। राज्य सरकार के प्रशासनिक सुधार विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। आदेश कु अनुसार अब किसी भी अधिकारी या कर्मचारी का स्थानांतरण, प्रतिनियुक्ति या नई पदस्थापना प्रशासनिक विभाग की पूर्व अनुमति के बिना नहीं हो सकेगी।  आदेश में स्पष्ट किया गया है कि यदि बिना सहमति कोई आदेश जारी किया गया तो वह स्वतः प्रभावहीन माना जाएगा और संबंधित विभागीय अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि किसी विशेष या आपात स्थिति में बिना अनुमति आदेश जारी करना अत्यावश्यक हो, तो तुरंत प्रशासनिक विभाग को सूचना देकर अनुमोदन प्राप्त करना अनिवार्य होगा। बीते दिनों सरकार के कई विभागों ने अपने स्तर पर ही तबादले, प्रतिनियुक्ति और पदस्थापन के आदेश जारी कर दिए थे। इनमें सबसे ज्यादा मामले प्रतिनियुक्ति को लेकर सामने आते हैं। अपनी मनमानी जगह पर तबदला लेने के लिए सरकार में बड़ी संख्या में प्रतिनियुक्तियां भी करवाई गई हैं। सरकार ने इसे गंभीर प्रशासनिक चूक मानते हुए सख्ती से रोका गया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, यह निर्देश सभी विभागों को भेज दिया गया है और इस पर तत्काल प्रभाव से अमल सुनिश्चित करने को कहा गया है। इसके तहत अब बिना सक्षम अनुमति के जारी हुए सभी आदेश शून्य प्रभाव माने जाएंगे। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब राज्य में अफसरशाही और संगठन दोनों स्तरों पर संवेदनशील नियुक्तियों और फेरबदल को लेकर गंभीरता बढ़ी है।

मुख्यमंत्री ने प्रवासी राजस्थानी दिवस के लिए किया प्रवासी राजस्थानियों को आमंत्रित

जयपुर, मुख्यमंत्री  भजनलाल शर्मा ने कहा कि प्रवासी राजस्थानी जहां भी जाते हैं वहां अपनी संस्कृति, विचार और राजस्थानी मिट्टी की खुशबू बिखेरते हैं। दुनियाभर में प्रवासी राजस्थानी अपने काम के साथ सामाजिक सरोकार के कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने प्रदेश में निवेश अनुकूल वातावरण तैयार करने के लिए अनेक अभूतपूर्व निर्णय लिए हैं। उन्होंने प्रवासी राजस्थानियों से अपील करते हुए कहा कि राज्य में उपलब्ध असीमित अवसरों में निवेश कर वे प्रदेश के विकास में साझेदार बनें जिससे एक नए तथा विकसित राजस्थान का निर्माण हो। श्री शर्मा शुक्रवार को हैदराबाद में प्रवासी राजस्थानी मीट को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पिछले साल दिसंबर में राज्य सरकार द्वारा राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट के दौरान प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को प्रवासी राजस्थानी दिवस मनाने की घोषणा की गई थी। इसी क्रम में इस साल 10 दिसंबर को जयपुर में प्रथम प्रवासी राजस्थानी दिवस का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने सभी प्रवासी राजस्थानियों को इस भव्य आयोजन में शामिल होने के लिए आमंत्रण दिया।  शर्मा ने कहा कि प्रवासी राजस्थानी दिवस की श्रृंखला की शुरूआत आज हैदराबाद से की गई है। आगे भी देश के विभिन्न हिस्सों में इस तरह की मीट आयोजित की जाएगी जिससे देश और दुनिया में मौजूद प्रवासी राजस्थानी समुदाय के साथ संबंधों को मजबूती मिले। प्रवासी राजस्थानियों के लिए बनेगा विशेष विभाग- मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रवासी राजस्थानी दिवस के दौरान शिक्षा, पर्यटन, उद्योग, स्वास्थ्य और जल संचयन जैसे क्षेत्रों के लिए विभिन्न सत्रों का भी आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार हर साल प्रवासी राजस्थानी सम्मान देगी और विभिन्न अवसरों पर भी सराहनीय कार्य करने वाले प्रवासियों को सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रवासी राजस्थानियों के व्यावसायिक और सामाजिक प्रयासों में सहयोग के लिए एक विशेष विभाग का गठन किया जाएगा। प्रवासी राजस्थानियों के लिए हर जिले में बना सिंगल प्वॉइंट कॉन्टेक्ट- श्री शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार ने राजस्थान फाउंडेशन को सुदृढ़ किया है। इसके तहत पिछले एक साल में 14 नए चैप्टर खोले गए हैं तथा पूर्व के 12 चैप्टर्स में भी अध्यक्षों को मनोनीत कर सभी 26 चैप्टर्स को क्रियाशील किया गया है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया के न्यूयॉर्क, लंदन, रियाद जैसे कई बड़े शहरों में राजस्थान फाउंडेशन के चैप्टर सुचारु रूप से चल रहे हैं और इनके जरिए प्रवासी समुदाय राज्य सरकार के साथ राजस्थान की विकास यात्रा के साझेदार बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रवासी राजस्थानियों के परिवारजन के लिए प्रदेश के हर जिले में सिंगल प्वॉइंट कॉन्टेक्ट बनाया गया है तथा उनकी समस्याओं के समाधान के लिए प्रत्येक जिले में अतिरिक्त जिला कलक्टर को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। राजस्थान में निवेश की अपार संभावनाएं- श्री शर्मा ने कहा कि राजस्थान आज विकास की नई ऊंचाइयां छू रहा है। राइजिंग समिट के दौरान 35 लाख करोड़ रुपये के एमओयू किए गए। अब तक लगभग 7 लाख करोड़ रुपये के एमओयू धरातल पर उतर भी चुके हैं। हम राजस्थान को 350 बिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा राज्य देश में मौजूदा हाईवेज का तीसरा एवं रेलवे का पांचवां सबसे बड़ा नेटवर्क है। राजस्थान में सात प्रमुख हवाई अड्डे हैं और दिल्ली-मुंबई फ्रेट कॉरिडोर का सबसे बड़ा हिस्सा हमारे प्रदेश से गुजरता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में निवेश के अनुकूल माहौल बनाने के लिए 20 से ज्यादा नई नीतियां बनाई गई हैं। साथ ही, कई नए औद्योगिक क्षेत्र स्थापित किए जा रहे हैं। पचपदरा के रिफाइनरी भी इसी वर्ष शुरू होने जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा 1 हजार 232 निवेशकों को भूमि उपलब्ध करवाई गई है तथा 17 गीगावाट की अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 34 हजार हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है जो निवेश को धरातल पर उतारने के लिए हमारी प्रतिबद्धता को दिखाता है।       ऊर्जा-पर्यटन सहित विभिन्न क्षेत्रों में राज्य सरकार ले रही अभूतपूर्व निर्णय- मुख्यमंत्री ने कहा कि कल 25 सितंबर को ही यशस्वी प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के माही-बांसवाड़ा में 2 हजार 800 मेगावाट क्षमता की 42 हजार करोड़ रुपए लागत वाली न्यूक्लियर पावर परियोजना का शिलान्यास किया है। बैटरी स्टोरेज, पंप स्टारेज, रूफटॉप सोलर, पीएम कुसुम के तहत विकेंद्रीकृत सोलर प्रोजेक्ट सहित ऊर्जा के हर क्षेत्र में राज्य ने एक नई पहल की है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। प्रदेश में प्रतिवर्ष करोड़ों देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं। राजस्थान का हर कोना, अपनी समृद्ध धरोहर, प्रकृति, संस्कृति और विविधताओं का दर्शन करवाता है। पर्यटन निवेश में तेजी लाने के लिए राज्य सरकार ने भूमि आवंटन हेतु न्यूनतम निवेश को 100 करोड़ रुपये से घटाकर 50 करोड़ रुपये कर दिया है। इस संशोधन से हेरिटेज, वेलनेस और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र के साथ-साथ घरेलू निवेशकों को भागीदारी का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि हमने रिप्स-2024 में स्टैंडर्ड सर्विसेज पैकेज के तहत इन्सेंटिव के लिए पर्यटन में निवेश की न्यूनतम सीमा 50 करोड़ रुपये से घटाकर 10 करोड़ रुपये कर दी है। श्री शर्मा ने प्रदेश में खनन के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि राजस्थान खनिज नीति तथा राजस्थान एम-सैंड पॉलिसी लॉन्च की है। साथ ही, खनिजों के ब्लॉकों की नीलामी में अभूतपूर्व तेजी आई है। उन्होंने कहा कि जयपुर और जोधपुर में अत्याधुनिक टियर-4 डाटा सेंटर स्थापित किए गए हैं तथा शीघ्र ही नई सेमीकंडक्टर पॉलिसी भी आने वाली है। प्रदेश में ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग, वस्त्र, चिकित्सा उपकरण, रक्षा उपकरण, खाद्य प्रसंस्करण सहित सभी क्षेत्रों में निवेश के लिए बेहतरीन अवसर हैं। कार्यक्रम में प्रवासी राजस्थानियों द्वारा अपने अनुभव भी साझा किए गए। मुख्यमंत्री ने इस दौरान सामाजिक सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रवासी राजस्थानियों को सम्मानित किया तथा राजस्थानी फाउंडेशन चैप्टर मेंबरशिप की भी लॉन्चिंग की। इससे पहले कार्यक्रम में प्रवासी राजस्थानियों पर एक लघु फिल्म प्रदर्शित की गई। इस अवसर पर उद्योग राज्यमंत्री के के बिश्नोई, श्रम विभाग के शासन सचिव  पी. रमेश, राजस्थान फाउंडेशन की आयुक्त श्रीमती मनीषा अरोड़ा, प्रवासी समुदाय से ऑल इंडिया मारवाड़ी युवा मंच के नेशनल प्रेसिडेंट  सुरेश एम जैन, हैदराबाद चैप्टर प्रेसिडेंट  पवन बंसल, सीआईआई तेलंगाना के पूर्व चेयरमैन  साई डी प्रसाद सहित बड़ी … Read more

भारतीय ज्ञान परपंरा का उपयोग कर बढ़ाएं बच्चों की बौद्धिक क्षमता : राज्यपाल बागडे

जयपुर,  राज्यपाल एवं कुलाधिपति हरिभाऊ बागडे ने कहा कि भारत ज्ञान की दृष्टि से सर्वाधिक समृद्ध है। वैज्ञानिकों, प्रोफेसर्स को चाहिए कि वे भारतीय ज्ञान परंपरा का शोध-अनुसंधानों में उपयोग करते हुए बच्चों की बौद्धिक क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दें।     राज्यपाल बागडे उदयपुर में शुक्रवार को महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय के अधिकारियों, विभागाध्यक्षों, संबद्ध महाविद्यालयों के अधिष्ठाताओं की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने विश्वविद्यालय के अकादमिक ढांचे, नामांकन की स्थिति, छात्रवृत्ति योजनाओं से लाभान्वित विद्यार्थियों, परीक्षा व्यवस्था, वित्तीय स्थिति, स्वीकृत एवं रिक्त पदों की स्थिति, रॉस्टर प्रणाली, विश्वविद्यालय की उपलब्ध एवं बिल्टअप भूमि आदि के बारे में विस्तृत जानकारी लेते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।     उन्होंने कहा कि भारत आदिकाल से ज्ञान का कोष रहा है। उन्होंने भारद्वाज ऋषि सहित अन्य का उदाहरण देते हुए उनके लिखे ग्रंथों का उल्लेख किया। उन्होंने ऐसी पुस्तकों को विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में रखने तथा उनका अध्ययन करने तथा अनुसंधान करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इससे युवा पीढ़ी में देश के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव बढ़ेगा। राज्यपाल ने कहा कि भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। अमेरिका सहित पूरा विश्व भारतीय टेलेन्ट पर निर्भर है। यही वजह है कि 1998 के परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद भारत पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ा और वर्तमान में चल रहे हालातों में भी भारत मजबूती से खड़ा है।     श्री बागडे ने विश्वविद्यालय की ओर से गोद लिए गए गांवों में संचालित गतिविधियों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि गोद लिए गांवों में स्वच्छता आदि गतिविधियां चलाना ही पर्याप्त नहीं हैं। वहां का समूचा वातावरण बदलना चाहिए। इन गांवों में महाविद्यालयों के विद्यार्थियों, सेवानिवृत्त अधिकारियों-शिक्षकों, कार्मिकों आदि को जोड़ते हुए प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों को कहानी-प्रेरक किस्सों आदि के माध्यम से शिक्षित-दीक्षित करने की दिशा में काम किया जाना चाहिए, ताकि उनकी नींव मजबूत हो और वे जिम्मेदार नागरिक बन सकें। इसी से गांव का परिदृश्य बदलेगा। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति भी पूर्व प्राथमिक एवं प्राथमिक स्तर पर बच्चों को अपने लोकल परिवेश के साथ जोड़ते हुए पढ़ाने की पक्षधर है।

बीजेपी को बड़ा झटका, मिर्धा परिवार के तेजपाल ने थामा कांग्रेस का हाथ

नागौर राजस्थान की राजनीति में मिर्धा परिवार का नाम हमेशा ही एक सियासी तूफान के पर्याय के रूप में लिया जाता रहा है। मारवाड़ के इस जाट बहुल इलाके में मिर्धा वंश की जड़ें इतनी गहरी हैं कि कभी कांग्रेस को मजबूत करने वाले नाथूराम मिर्धा के वारिस आज भाजपा की ओर झुकते नजर आ रहे हैं। ताजा घटनाक्रम में कुचेरा नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष तेजपाल मिर्धा ने अपने 500 से अधिक समर्थकों के साथ कांग्रेस को अलविदा कह दिया और भाजपा में शामिल हो गए। देर रात प्रगतिशील संगठन (कांग्रेस समर्थित) का दामन थाम लिया। यह कदम 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान हुए दृश्यों की याद दिला रहा है, जब तेजपाल ने गठबंधन प्रत्याशी हनुमान बेनीवाल के खिलाफ खुला विद्रोह किया था। लेकिन अब, ज्योति मिर्धा के खिलाफ पार्टी के संगठन की गुटबाजी के चलते उन्होंने फिर से कांग्रेस का दामन थाम लिया। यह घटना नागौर की सियासत को एक नया आयाम दे रही है। तेजपाल मिर्धा, जो खींवसर विधानसभा क्षेत्र से 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर लड़े थे, ने उस समय राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के हनुमान बेनीवाल के खिलाफ मैदान संभाला था। बेनीवाल, जो आरएलपी के संस्थापक हैं और 2019 के लोकसभा चुनाव में नागौर से जीते थे, ने ज्योति मिर्धा को हराया था। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-आरएलपी गठबंधन के तहत बेनीवाल को ही टिकट मिला, जिससे मिर्धा परिवार में खलबली मच गई। तेजपाल ने तब खुलेआम बेनीवाल के खिलाफ प्रचार किया और ज्योति मिर्धा का समर्थन किया। परिणामस्वरूप, अप्रैल 2024 में कांग्रेस ने तेजपाल सहित तीन नेताओं—सुखराम डोडवाडिया और भंवराराम सूबका—को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। निष्कासन के ठीक बाद, 12 अप्रैल 2024 को तेजपाल मिर्धा के आह्वान पर कुचेरा नगरपालिका के 21 पार्षदों, 8 पूर्व पार्षदों और 7 पंचायत समिति सदस्यों ने सामूहिक रूप से कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। लगभग 400 से अधिक कार्यकर्ताओं ने त्यागपत्र सौंपे, जिससे नागौर में कांग्रेस की नींव हिल गई। तेजपाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, "नागौर में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 8 में से 4 सीटें जीतीं। लोकसभा में भी हमारी स्थिति मजबूत थी, फिर आरएलपी से गठबंधन क्यों? हनुमान बेनीवाल कांग्रेस को तोड़ने का हथियार मात्र हैं।" एक साल बाद, तेजपाल ने फिर वही रास्ता चुना है। देर रात राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कांग्रेस पार्टी से निष्कासित तेजपाल को दुबारा पार्टी में शामिल कर लिया। डोटासरा ने उन्हें पार्टी में शामिल करते हुए धन्यवाद दिया। तेजपाल ने कहा कि दिन का भटका रात को घर वापिस आ जाना कोई बड़ी बात नहीं है। उनका मकसद परिवार की एकजुटता और ज्योति मिर्धा के प्रति वफादारी था। तेजपाल के साथ उनके 500 समर्थक भी भाजपा से वापिस कांग्रेस में शामिल हो गए, जो कुचेरा और आसपास के इलाकों में मिर्धा परिवार की मजबूत पकड़ को दर्शाता है। तेजपाल खुद कुचेरा नगरपालिका के दो बार निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए हैं, और खींवसर में उनका प्रभाव निर्विवाद है। यह घटना मिर्धा परिवार की जटिल सियासी यात्रा का एक और अध्याय जोड़ती है। स्वर्गीय नाथूराम मिर्धा, जिन्हें राजस्थान में 'बाबा' के नाम से जाना जाता है, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और किसान नेता थे। वे कांग्रेस के दिग्गज नेता थे, जिन्होंने 1977 के लोकसभा चुनाव में इमरजेंसी के बाद कांग्रेस की एकमात्र सीट नागौर से जीती थी। नाथूराम की विरासत पर चलते हुए उनकी पोती डॉ. ज्योति मिर्धा 2009 में नागौर से कांग्रेस सांसद बनीं। लेकिन 2023 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और भाजपा का दामन थाम लिया। दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में शामिल होते हुए ज्योति ने कहा था कि "कांग्रेस गलत दिशा में जा रही है, राष्ट्र निर्माण में अवसर कम हैं।" भाजपा ने उन्हें तुरंत प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया और 2023 विधानसभा तथा 2024 लोकसभा में नागौर से टिकट दिया। ज्योति के इस कदम के बाद मिर्धा परिवार के अन्य सदस्यों ने भी भाजपा की ओर कदम बढ़ाए। मार्च 2024 में ज्योति के चाचा रिछपाल मिर्धा और उनके बेटे विजयपाल मिर्धा (डेगाना विधायक) ने अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली। ज्योति ने इसे अपनी सफलता बताया, यह कदम भाजपा को और मजबूत करेगा। लेकिन परिवार में सब कुछ सुगम नहीं चला। अप्रैल 2024 में रिछपाल के भाजपा जॉइन करने के बावजूद तेजपाल ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देकर परिवार के साथ में डटे रहने का फैसला किया था। अब तेजपाल का वापिस कांग्रेस में आना परिवार की एकजुटता को मजबूत करने का संकेत नहीं दे रहा हैं। हालांकि, नागौर के भाजपा संगठन में मिर्धा परिवार और स्थानीय नेताओं के बीच गुटबाजी चरम पर है। ज्योति मिर्धा को टिकट मिलने के बाद से ही संगठन के पुराने नेताओं में असंतोष पनप रहा है। मिर्धा परिवार की प्रभुत्व की कोशिशों से स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता नाराज हैं। सूत्र बताते हैं कि ज्योति और संगठन के बीच खींचतान तेज हो गई है। हाल ही में नवंबर 2024 के विधानसभा उपचुनावों से पहले नागौर और सवाई माधोपुर से 14 कांग्रेस नेताओं के भाजपा में शामिल होने पर भी ज्योति की भूमिका प्रमुख रही, लेकिन संगठन ने इसे अपनी जीत बताया। कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा, "भाजपा डर दिखाकर तोड़ रही है।" स्थानीय लोग कयास लगा रहे हैं कि यह अंत नहीं है। ज्योति मिर्धा और भाजपा संगठन के बीच जारी तनाव के चलते रिछपाल मिर्धा समेत अन्य परिवारजन फिर से कांग्रेस की ओर कभी लौट सकते हैं। एक स्थानीय किसान नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि मिर्धा परिवार की राजनीति हमेशा उतार-चढ़ाव वाली रही है। नाथूराम बाबा की विरासत किसानों की आवाज है, लेकिन आज सत्ता की होड़ में बंट गई है। नागौर जिले के 9 विधानसभा क्षेत्रों में से 3 पर मिर्धा परिवार का कब्जा रहा है—खींवसर, डेगाना और नागौर। 2023 चुनावों में ही चार मिर्धाओं ने मैदान संभाला था: तेजपाल (कांग्रेस, खींवसर), विजयपाल (कांग्रेस, डेगाना), हरेंद्र (कांग्रेस, नागौर) और ज्योति (भाजपा, नागौर)। यह घटना न केवल कांग्रेस को मजबूत कर रही है, बल्कि आने वाले स्थानीय निकाय चुनावों में भी भाजपा पर असर डालेगी। कुचेरा जैसे छोटे शहरों में तेजपाल का प्रभाव विकास कार्यों से जुड़ा है—सड़कें, पानी की आपूर्ति और किसान योजनाओं … Read more