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तालिबान ने दी धमकी: पाकिस्तान को सबक सिखाने का वक्त आ गया!

काबुल अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर हैं। पाकिस्तान ने हाल ही में अफगानिस्तान में एयर स्ट्राइक करके सीजफायर का उल्लंघन किया, जिससे तालिबान भड़क गया। इस हमले में दस लोगों की जान चली गई, जिसमें उभरते हुए क्रिकेटर्स भी शामिल थे। पाकिस्तान के इस हमले के बाद तालिबान ने उसे सख्त चेतावनी दी है। शहबाज शरीफ के देश को धमकी देते हुए अफगानिस्तान की इंटीरियर मिनिस्ट्री में डिप्टी मंत्री और तालिबान नेता मौलवी मुहम्मद नबी ओमारी ने कहा कि हमले की कोशिश हुई तो पाकिस्तानी सैनिकों को भारत के बॉर्डर तक खदेड़ दिया जाएगा। पाकिस्तानी सेना को चेतावनी देते ओमारी ने कहा, ''अगर अफगानिस्तान और लोगों ने धार्मिक आदेश से हमलावर घोषित कर दिया तो मैं कसम खाता हूं कि तुम्हें भारतीय बॉर्डर तक भी सुरक्षा नहीं मिलेगी।'' पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर और शहबाज शरीफ की मुलाकात पर भी उन्होंने निशाना साधा। तालिबानी मंत्री ने कहा कि पाकिस्तानी सेना सबकुछ दूसरों की इच्छा के हिसाब से ही करती है और हाल ही में सबने शहबाज शरीफ को ट्रंप की चापलूसी करते हुए भी देखा ही होगा।'' इस बीच, पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोहा में बातचीत में तुरंत सीजफाययर पर राजी हो गए। हालांकि, यह वक्त ही बताएगा कि पाकिस्तान अपने इस समझौते को कितना मानता है, क्योंकि पिछले दिनों सीजफायर होने के बाद भी उसने अफगानिस्तान में एयर स्ट्राइक की थी। एक हफ्ते से ज्यादा समय से, दक्षिण एशियाई पड़ोसी बॉर्डर पर खूनी झड़पों में लगे हुए हैं, जोकि साल 2021 में तालिबान सरकार की वापसी के बाद से यह उनकी सबसे बुरी लड़ाई है। दोहा में शांति बातचीत के बाद, कतर के विदेश मंत्रालय ने रविवार सुबह कहा कि दोनों पक्ष तुरंत सीजफायर और दोनों देशों के बीच पक्की शांति और स्थिरता को मजबूत करने के लिए सिस्टम बनाने पर राजी हो गए हैं। विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि वे सीजफायर पक्का करने के लिए आने वाले दिनों में फॉलो-अप मीटिंग करने पर भी राजी हुए। पाकिस्तान के डिफेंस मिनिस्टर ख्वाजा आसिफ ने कन्फर्म किया कि सीजफायर एग्रीमेंट हो गया है और कहा कि दोनों पक्ष 25 अक्टूबर को इस्तांबुल में फिर मिलेंगे।

सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल: मुस्लिम युवाओं ने प्रेमानंद जी महाराज के लिए दरगाह में मांगी दुआ

हरिद्वार  वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के स्वास्थ्य को लेकर दुआ का दौर जारी है। जहां एक तरफ हिंदू समुदाय के लोग मंदिरों में उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कलियर में भी मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी उनके चित्र को हाथों में लेकर दरगाह साबिर पाक में चादर व फूल पेश कर प्रेमानंद महाराज की लंबी आयु और उनके जल्द स्वस्थ होने की दुआ मांगी है। वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज की कई दिन से स्वास्थ्य ठीक न होने से देशभर में भक्त काफी मायूस और परेशान हैं। उनकी सेहत के लिए दुआएं मांगी जा रही हैं। दुआओं का असर है कि संत प्रेमानंद महाराज के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। इसी को लेकर कलियर में भी मुस्लिम समाज के लोग ने भी प्रेमानंद महाराज के दीर्घायु और जल्द स्वस्थ होने की दुआ मांग रहे है। इस दौरान मुस्लिम समाज के लोगों ने हाथों में संत प्रेमानंद महाराज की तस्वीर लकर दरगाह साबिर पाक ने चादर और फूल पेश कर हुए उनके जल्द स्वस्थ होने की दुआ मांगी। इस दौरान सिंगर राजा तुर्क, शफीक साबरी, इस्तेखार साबरी आदि शामिल रहे। संत प्रेमानंद की सेहत पर चिंता में भक्त प्रेमानंद महाराज की सेहत पिछले कई दिनों से कमजोर चल रही है। उन्हें पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज नामक गंभीर किडनी की बीमारी है, जिसके कारण उन्हें नियमित डायलिसिस करानी पड़ती है। 2006 में पेट दर्द के बाद यह बीमारी सामने आई थी। हाल ही में उनकी तबीयत खराब होने के कारण उनकी तीर्थयात्रा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है। वे अब वृंदावन में भक्तों से मिलने लगे हैं और स्वास्थ्य सुधार की दिशा में हैं।

दिवाली-छठ के दौरान नासिक में हादसा, भीड़ में ट्रेन से कटकर तीन गंभीर घायल

 नासिक  महाराष्ट्र के नासिक रेलवे स्टेशन पर दर्दनाक हादसा सामने आया है. मुंबई से बिहार जाने वाली कर्मभूमि एक्सप्रेस को पकड़ने की कोशिश में तीन यात्री ट्रेन की चपेट में आ गए. इस हादसे में दो लोगों की मौके पर मौत हो गई, जबकि एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल है. जानकारी के अनुसार, त्योहारों के मौसम में मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य शहरों से बड़ी संख्या में लोग अपने गांव लौट रहे हैं. इसी दौरान नासिक स्टेशन पर ट्रेन पकड़ने की जल्दबाजी ने दो यात्रियों की जान ले ली. कैसे हुआ हादसा? बताया जा रहा है कि कर्मभूमि एक्सप्रेस नासिक स्टेशन पर नहीं रुकती है, लेकिन ट्रेन की रफ्तार यहां थोड़ी धीमी थी. इसी दौरान तीन यात्रियों ने चलती ट्रेन में चढ़ने की कोशिश की और तभी वे ट्रेन की चपेट में आ गए. रेलवे अधिकारियों और स्थानीय पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर राहत कार्य शुरू किया. गंभीर रूप से घायल यात्री को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मृतकों की पहचान की जा रही है. ये सभी बिहार जाने वाले यात्री बताए जा रहे हैं. रेलवे स्टेशनों पर भारी भीड़ यह हादसा एक बार फिर से रेलवे सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े करता है. त्योहारी सीजन में ट्रेनों में बढ़ती भीड़ और जल्दबाजी में लिए गए फैसले अक्सर जानलेवा साबित होते हैं. रेलवे को चाहिए कि वह ऐसे स्टेशनों पर सुरक्षा उपायों को और बेहतर करे, जहां ट्रेनें नहीं रुकतीं, लेकिन यात्रियों की भीड़ ज्यादा होती है. उधर दीपावली और छठ पर्व करीब आते ही राजधानी दिल्ली सहित देशभर के कई रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है. खासतौर से उत्तर प्रदेश और बिहार के हजारों प्रवासी अपने घर लौटने के लिए रेलवे स्टेशन पर डटे हुए हैं. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हालात ऐसे हैं कि पैर रखने की भी जगह नहीं दिख रही.  

चांडलर लैंगविन के बयान से बवाल, भारतीयों पर की गई टिप्पणी से भड़की प्रतिक्रियाएं

वाशिंगटन अमेरिकी लीडर चांडलर लैंगविन ने भारतीयों के खिलाफ सोशल मीडिया पर कई आपत्तिजनक पोस्ट किए हैं। इसे लेकर उन पर जमकर निशाना साधा जा रहा है। फ्लोरिडा के इस राजनेता की टिप्पणियों के खिलाफ सिटी काउंसिल ने निंदा प्रस्ताव पारित किया। रिपोर्ट के अनुसार, इस कदम के बाद लैंगविन को अब कोई भी एजेंडा तय करने से पहले सहमति लेनी होगी। साथ ही, उन्हें आधिकारिक बयान से रोक दिया गया है और समितियों से भी हटा दिए गए हैं। लैंगविन ने भारतीयों की सामूहिक रूप से निर्वासन की मांग की थी। उसने कहा कि कोई भी भारतीय यूएस की परवाह नहीं करता और वे केवल आर्थिक शोषण के लिए यहां हैं। चांडलर लैंगविन ने अपनी पोस्ट में भारतीयों पर अमेरिका का शोषण करने का आरोप लगाया। उन्होंने स्टॉकटन हादसे का जिक्र किया, जहां भारतीय मूल के हरजिंदर सिंह पर गैरकानूनी यूटर्न के कारण तीन लोगों की मौत का आरोप है। 2 अक्टूबर को अपनी जन्मदिन की पोस्ट में लैंगविन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से सभी भारतीयों के वीजा रद्द करने और उन्हें तत्काल निर्वासित करने की मांग की थी। उसने लिखा, 'आज मेरा जन्मदिन है और मैं चाहता हूं कि ट्रंप सभी भारतीय वीजा रद्द करें और उन्हें तुरंत निर्वासित करें। अमेरिका अमेरिकियों के लिए है।' अमेरिकी नेता के बयान की कड़ी निंदा लैंगविन ने कहा कि भारतीय अमेरिकियों की जेब खाली करने के लिए यहां हैं। वे अमेरिका की संस्कृति में घुलमिल नहीं सकते। 18 अक्टूबर की पोस्ट में उन्होंने रूढ़िवादी हिंदुओं और भारतीयों का जिक्र किया जो उनकी निर्वासन की मांग का समर्थन करते हैं। हालांकि, बाद में लैंगविन ने साफ किया कि उनकी टिप्पणियां केवल अस्थायी वीजा धारकों के लिए थीं, न कि भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लिए। इन टिप्पणियों के बाद अमेरिका भर में भारतीय-अमेरिकी समूहों ने लैंगविन की कड़ी निंदा की है। उनके इस्तीफे की मांग की जा रही है। इस विवाद ने यूएस में नस्लीय और आप्रवासी मुद्दों पर चल रही बहस को और तेज कर दिया है।

RSS कार्यक्रम को नहीं मिली मंजूरी, कर्नाटक सरकार के निर्णय पर गरमाई सियासत

चित्तपुर  कर्नाटक के चित्तपुर में रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के पथ संचलन कार्यक्रम की इजाजत नहीं दी गई। राज्य सरकार में मंत्री प्रियंक खरगे का गृह निर्वाचन क्षेत्र चित्तपुर है, जहां अधिकारियों ने शांति और कानून-व्यवस्था भंग होने की आशंका का हवाला दिया। नगर पालिका परिषद ने मुख्य सड़क पर आरएसएस की ओर से लगाए गए कट-आउट और बैनर पुलिस सुरक्षा के बीच हटा दिए थे। उसने कहा था कि इन्हें मार्च की इजाजत देने से पहले लगाया गया थे। चित्तपुर के तहसीलदार ने अपने आदेश में कहा, ‘चित्तपुर में शांति व कानून-व्यवस्था भंग होने से रोकने और किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए 19 अक्टूबर को होने वाले आरएसएस के पथ संचलन कार्यक्रम की अनुमति देने से इनकार किया जाता है। इसके साथ ही आवेदन खारिज किया जाता है।’ कर्नाटक सरकार ने भी आदेश जारी कर निजी संगठनों, संघों या समूहों के लिए किसी भी सरकारी संपत्ति या परिसर का उपयोग कार्यक्रमों, आयोजनों या जुलूसों के लिए करने के वास्ते पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया। राज्य सरकार ने क्यों लिया यह फैसला राज्य मंत्रिमंडल की ओर से लिए गए उस निर्णय के दो दिन बाद यह कदम उठाया गया है, जिसमें कहा गया था कि किसी भी कार्यक्रम के आयोजन के लिए सरकारी विद्यालयों, कॉलेज परिसरों और सार्वजनिक स्थलों के उपयोग से पहले इजाजत लेना जरूरी होगा। कर्नाटक के मंत्री प्रियंक खरगे ने हाल ही में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को पत्र लिखा थी। इसमें उन्होंने सरकारी विद्यालयों, कॉलेज और सार्वजनिक स्थानों पर आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग रखी थी। संगठन के शताब्दी समारोह के अवसर पर और विजयादशमी के तहत RSS ने 19 रविवार को दोपहर तीन बजे कार्यक्रम रखा था। कलबुर्गी जिले के चित्तपुर शहर में पथ संचलन और विजयादशमी कार्यक्रम की इजाजत के लिए एक आवेदन दिया था। भीम आर्मी संगठन ने भी मांगी थी इजाजत भीम आर्मी संगठन ने भी पत्र के माध्यम से सूचित किया कि वह 19 अक्टूबर को उसी मार्ग पर एक रूट मार्च निकालेगा। इसके अलावा पुलिस थाने के खुफिया अधिकारी को इन जुलूसों के बारे में जानकारी एकत्र करने का काम दिया गया था। इस संबंध में एक रिपोर्ट सौंपी गई थी जिसमें कहा गया कि 16 अक्टूबर को RSS कार्यकर्ता दानेश नारोन ने स्थानीय विधायक और जिला प्रभारी मंत्री प्रियंक खरगे को अपशब्द कहे थे। उन्हें जान से मारने की धमकी दी। उन्होंने कहा कि इस संबंध में बेंगलुरु के सदाशिवनगर थाने में मामला दर्ज किया गया है। इस घटना के विरोध में चित्तपुर सहित पूरे कर्नाटक में प्रदर्शन हुए हैं।

गोला-बारूद से नहीं, फुलझड़ियों से खतरा! कुमार विश्वास ने किया पटाखा नीति पर व्यंग्य

मुंबई  हिंदी के जाने-माने कवि डॉ. कुमार विश्वास ने दिवाली से पहले आतिशबाजी को लेकर बड़ा बयान दिया है. मुंबई में आयोजित एक कवि सम्मेलन में डॉ. कुमार विश्वास ने तीन साल से चल रहे यूक्रेन-रूस युद्ध के बहाने दिवाली पर आतिशबाजी का विरोध करने वालों को करारा जवाब दिया है. मुंबई के षणमुखानंद हॉल में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. कुमार विश्वास ने कहा, ‘तीन साल से यूक्रेन और रूस आपस में भिड़े हुए हैं. इतना गोला-बारूद बर्बाद कर दिया. गाजा में भी गोला-बारूद चल रहा है.’ उन्होंने भारत के ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद पाकिस्तान के साथ हुए तनाव को भारत का वॉर्मअप बताते हुए कहा कि इतने गोले-बारूद से ओजोन परत बिलकुल सुरक्षित रही, लेकिन दिवाली पर चार फुलझड़ी से ओजोन में बड़ा छेद हो जाएगा. डॉ. कुमार विश्वास ने तंज कसते हुए कहा, ‘ओजोन में चार फुलझड़ियों से इतना बड़ा छेद हो जाएगा कि उसमें से बहुत सारे बुद्धिजीवी ऊपर जाएंगे और नीचे आएंगे.’ हर दिवाली छिड़ती है आतिशबाजी को लेकर बहस दरअसल, हर दिवाली पर इस बात को लेकर बहस छिड़ती है कि इसदिन होने वाली आतिशबाजी से पर्यावरण को कितना नुकसान होता है. इसे लेकर एक पक्ष का कहना होता है कि एक सुनियोजित साजिश के तहत हिंदू त्योहारों को निशाना बनाने की कोशिश के चलते पर्यावरण का बहाना बनाया जाता है. इस पक्ष का तर्क यह भी होता है कि न्यू ईयर से लेकर दुनियाभर में होने वाले विभिन्न आयोजनों में जमकर आतिशबाजी की जाती है, लेकिन उनपर कोई सवाल नहीं उठाया जाता. वहीं दूसरे पक्ष का कहना होता है कि दिवाली पर होने वाली आतिशबाजी से प्रदूषण फैलता है और पर्यावरण को नुकसान होता है.  

एक देश, 14 बॉर्डर! जानिए वो अनोखा देश जिसकी सरहदें छूती हैं सबसे ज्यादा देशों को

बीजिंग  दुनिया में एक ऐसा देश भी है जिसकी सीमाएं 14 अलग-अलग देशों से मिलती हैं. यह जानकर कई लोगों को आश्चर्य हो सकता है लेकिन यह सच है. आपको बता दें कि अपनी इस खासियत वाला यह देश दुनिया का एकमात्र देश है. तो आइए जानते हैं क्या है इस देश का नाम और इसकी सीमाएं किन देशों से मिलती है. एक बड़ा देश  दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश चीन दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिसकी सीमाएं 14 देशों से मिलती है. इसकी सीमाएं पहाड़ों, रेगिस्तान, जंगलों और नदियों के पार हजारों किलोमीटर तक फैली हुई हैं. यह देश अपनी सीमा भारत, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, म्यांमार, वियतनाम, कंबोडिया, उत्तर कोरिया, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान, रूस और मंगोलिया से जोड़ता है. दुनिया में कोई भी दूसरा देश इतनी सारी सीमाओं को नहीं छूता है.  संस्कृति और भाषाओं का संगम  अब क्योंकि चीन की सीमाएं इतने सारे देशों से लगती हैं इस वजह से यह संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं का एक संगम बन चुका है. पश्चिम में बर्फ से ढके हिमालय से लेकर वियतनाम और म्यांमार के जंगलों तक सीमा के कई क्षेत्र विविध जातिय समूह का निवास स्थान बन चुके हैं.  भौगोलिक विविधता  चीन की सीमाएं गोबी रेगिस्तान और हिमालय पर्वतों से लेकर विशाल नदी घाटियों और घने जंगलों तक काफी मनमोहक परिदृश्यों से होकर गुजरती हैं. यह विविधता चीन की जलवायु और बायोडायवर्सिटी के साथ-साथ इन जगहों पर रहने वाले लोगों के व्यापार और रहने के तरीकों को भी प्रभावित करती है.  सुरक्षा और सीमा प्रबंधन  14 देशों के साथ सीमाएं होने की कई चुनौतियां हैं. चीन को हजारों किलोमीटर क्षेत्र में सुरक्षा, सीमा नियंत्रण और निगरानी बनाए रखनी पड़ती है. इसे संभालने के लिए देश एडवांस्ड टेक्नोलॉजी, सख्त मॉनिटरिंग सिस्टम और मजबूत सैन्य उपस्थिति का इस्तेमाल करता है.  14 पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को संभालना कोई आसान काम नहीं है. कूटनीति, व्यापार और बातचीत के जरिए चीन दुनिया की आबादी के एक बड़े हिस्से को प्रभावित करता है और ऐसी नीतियों को आकार देने में एक बड़ी भूमिका भी निभाता है. चीन की सीमाएं विविधता और कूटनीति की कहानी बयां करती है. चीन दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिसकी भूमि सीमाएं 14 देशों के साथ साझा होती हैं और यह अवसरों और चुनौतियां दोनों का एक बड़ा केंद्र बिंदु है. इतने सारे देशों के पड़ोसी के रूप में चीन वैश्विक राजनीति में एक बड़ा प्रभाव प्रदान करता है.

दुबई ने भी मनाई दिवाली! लाइट्स और जश्न का नज़ारा देख यूजर्स बोले – ये तो मिनी इंडिया है

दुबई जहां का नाम लेते ही चमकते गगनचुंबी टावर, लक्जरी कारें और सोने की गलियां याद आती हैं. लेकिन इस बार कुछ अलग है. सोशल मीडिया पर एक भारतीय इंफ्लुएंसर का वीडियो वायरल हो गया है जिसमें दुबई की सड़कों पर दीवाली का नजारा देखने को मिल रहा है. शाम के वक्त शूट किए गए इस वीडियो में हर तरफ जगमग रोशनी है. इमारतें दीपोत्सव की तरह सजी हुई हैं. और शहर की हवा में भारतीय त्योहार की महक घुली हुई है. वीडियो देखकर ऐसा लगता है जैसे ये दुबई नहीं बल्कि मुंबई, दिल्ली या जयपुर की कोई जगमगाती सड़क है. यही वजह है कि सोशल मीडिया पर लोग इसे देखकर कह रहे हैं.."दुबई में भी अब दीवाली के रंग दिखने लगे हैं." दुबई में दिखा दिल्ली जैसा नजारा, दीवाली की चौतरफा धूम इस वीडियो में भारतीय कंटेंट क्रिएटर अपनी कार में बैठकर दुबई की गलियों का नजारा दिखा रही हैं. वीडियो में ऊंची ऊंची इमारतों से लेकर डाउनटाउन तक की बिल्डिंग्स चमचमाती लाइट्स में नहाई नजर आ रही हैं. दुबई के मॉल्स, होटेल्स और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स दीवाली की थीम पर सजे हुए दिख रहे हैं. कई जगह “Happy Diwali” और “Festival of Lights” के बोर्ड भी चमकते नजर आ रहे हैं. खास बात यह है कि यह सब ऐसे देश में हो रहा है जहां करीब 75 प्रतिशत आबादी मुस्लिम समुदाय से जुड़ी है. ऐसे में भारतीय संस्कृति के त्योहार को इतनी शिद्दत से मनाया जाना लोगों के लिए किसी अजूबे से कम नहीं. यूजर्स भी हो गए हैरान वीडियो सामने आते ही इंटरनेट पर धूम मच गई. हजारों लोग इस क्लिप को शेयर कर रहे हैं और कमेंट सेक्शन में अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे हैं. कोई लिख रहा है..“दुबई में रहकर भी भारत जैसा एहसास.” तो कोई कह रहा है कि “ये है असली ग्लोबल इंडिया की झलक.” कई यूजर्स ने यह भी कहा कि यह दृश्य इस बात का सबूत है कि भारतीय संस्कृति अब सीमाओं से परे पहुंच चुकी है. वहीं कुछ लोगों ने इसे भारत और यूएई के मजबूत रिश्तों का प्रतीक बताया है. वीडियो को lifebetweensweetandsalt नाम के इंस्टाग्राम अकाउंट से शेयर किया गया है जिसे अब तक लाखों लोगों ने देखा है तो वहीं कई लोगों ने वीडियो को लाइक भी किया है.

पाकिस्तान ने तोड़ा रिश्तों का डोर, कहा- तालिबान अब भारत के करीब

इस्लामाबाद अफगानिस्तान के साथ तनाव के बीच पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी जहर उगल दिया है। उन्होंने कहा कि अब दोनों देशों के बीच पुराने संबंधों का युग समाप्त हो गया है। आसिफ ने  कहा कि पाकिस्तान में रहने वाले अफगान नागरिक तुरंत अपने देश की ओर रवाना हो जाएं। उन्होंने कहा, अब उनकी अपनी सरकार है। हमारी धरती और संसाधन केवल 25 करोड़ पाकिस्तानियों के लिए हैं। बता दें कि पाकिस्तान की एयरस्ट्राइक के बाद दोनों देशों में तनाव काफी बढ़ गया था। सीमा पर गोलीबारी में दोनों तरफ का नुकसान हुआ। इसके बाद बॉर्डर पर 48 घंटे का सीजफायर हो गया। शुक्रवार शाम को 6 बजे सीजफायर खत्म होने से पहले ही ऐलान हो गया कि इस अस्थायी युद्धविराम को दोहा में वार्ता खत्म होने तक बढ़ाया जाता है। इसके बाद भी पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के पत्तिका प्रांत में एयरस्ट्राइक कर दी। इसको लेकर तालिबानी अधिकारियों ने का कहा कि दोनों के बीच समझौता टूट गया है। ख्वाजा आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान की तरफ से अफगानिस्तान को 836 प्रोटेस्ट नोट भेजे गए हैं। इसके अलावा उससे 13 मांगें रखी गई हैं। यह सभी सीमा पार आतंकवाद से संबंधित हैं। उन्होंने कहा, अब कोई भी प्रतिनिधिमंडल काबुल नहीं जाएगा। अब कोई प्रोटेस्ट नोट और शांति की अपील नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा, आतंक जहां भी पल रहा है, उसे उसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। भारत का भी लिया नाम आसिफ ने बीच में भारत को भी घसीटते हुए कहा कि तालिबान सरकार भारत की तरफ से काम कर रही है और पाकिस्तान के खिलाफ साजिश रच रही है। उन्होंने कहा, काबुल के शासक आज भारत की गोद में जा बैठे हैं। वे कभी हमारी हिफाजत में रहते थे। ख्वाजा आसिफ ने कहा कि अगर सीमा पर अफगानिस्तान कोई भी उकसावे की गतिविधि करता है तो उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। बता दें कि पाकिस्तान ने काबुल पर उस समय एयरस्ट्राइक की थी जब अफगान विदेश मंत्री भारत की यात्रा पर थे। इससे साफ जाहिर होता है कि वह आतंकी घटनाओं से ज्यादा भारत और अफगानिस्तान की बढ़ती करीबी से परेशान है।

ट्रंप की बड़ी पेशकश: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच युद्ध सुलझाने को तैयार, बोले – तुरंत रोक सकता हूं नुकसान

वाशिंगटन  दुनिया में जब भी कहीं बम फटता है, बंदूक चलती है या सीमा पर तनाव बढ़ता है तो एक शख्स सामने आ ही जाता है और वो है डोनाल्ड ट्रंप. जिनका बयान दुनिया भर में चर्चा का विषय बन जाता है. इस बार उन्होंने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच चल रहे संघर्ष पर अपनी राय रखी और कहा कि अगर वो चाहें तो इसे “आसानी से सुलझा सकते हैं.” अब भले ये बयान आत्मविश्वास से भरा हो या अति-आत्मविश्वास से, लेकिन ट्रंप का अंदाज हमेशा की तरह इस बार भी सुर्खियों में आ गया है.  ट्रंप का बयान जिसने हलचल मचा दी  पत्रकारों से बातचीत में ट्रंप ने कहा कि यह लगभग आखिरी मामला है, हालांकि मैं समझता हूं कि पाकिस्तान ने हमला किया है या अफगानिस्तान पर हमला हो रहा है. अगर मुझे इसे सुलझाना है तो यह मेरे लिए आसान है. इस बीच, मुझे अमेरिका चलाना है, लेकिन मुझे युद्ध सुलझाना पसंद है. यानि ट्रंप के अनुसार, अफगानिस्तान-पाकिस्तान जैसे दशकों पुराने विवाद को सुलझाना उनके लिए कोई मुश्किल काम नहीं. उन्होंने आगे कहा कि उन्हें जान-माल की हानि रोकने में गर्व महसूस होता है. उन्होंने कहा- जानते हो क्यों? मुझे लोगों को मारे जाने से रोकना पसंद है. मैंने लाखों लोगों की जान बचाई है, और मुझे लगता है कि हमें इस युद्ध में सफलता मिलेगी.” उनका यह बयान ऐसे समय आया जब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच 48 घंटे के युद्धविराम (Ceasefire) को बढ़ाने पर सहमति बनी है. यह निर्णय दोहा में हुई बातचीत के बाद लिया गया, जहां सऊदी अरब और कतर ने मध्यस्थता का समर्थन किया. पाकिस्तानी हमले में मारे गए तीन अफगान खिलाड़ी लेकिन इसी बीच मामला फिर से गर्मा गया. खबर आई कि पाकिस्तान के फिर से हवाई हमलों में तीन अफगान क्रिकेटर मारे गए हैं. जिससे कि सीमा पर गोलियों की गूंज के बीच खेल जगत को झकझोर दिया. अफ़ग़ानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (ACB) ने बताया कि तीन क्रिकेटर मारे गए हैं. यह हमला पूर्वी पक्तिका प्रांत में हुआ. बोर्ड ने कहा कि खिलाड़ी उरगुन से शाराना गए थे, जहां वे एक मित्रता-पूर्ण मैच में हिस्सा लेने वाले थे. उरगुन लौटते वक्त, एक सभा के दौरान उन्हें निशाना बनाया गया. जिसे बोर्ड ने “पाकिस्तानी शासन द्वारा किया गया कायराना हमला” बताया. मारे गए खिलाड़ियों की पहचान कबीर, सिबगतुल्लाह और हारून के रूप में हुई. इसी हमले में पांच अन्य लोग भी मारे गए. इसके बाद अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने पीड़ितों के सम्मान में अगले महीने होने वाली त्रिकोणीय श्रृंखला (Tri-series) जिसमें पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल थे. इस हमला के बाद अफगानिस्तान ने नाम वापस ले लिया. रॉयटर्स का खुलासा- युद्धविराम के बावजूद हवाई हमले जारी दुनिया के कई हिस्सों में शांति सिर्फ कागज पर होती है जमीन पर नहीं. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने युद्धविराम के बावजूद बरमल और उरगुन जिलों में हवाई हमले किए. इससे पहले अफ़ग़ान सीमा के पास एक आत्मघाती हमले में सात पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और 13 घायल हुए. पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि आतंकियों ने उत्तरी वजीरिस्तान जिले में एक सैन्य शिविर पर हमला किया. एक हमलावर ने विस्फोटकों से लदी गाड़ी को चारदीवारी से टकरा दिया और दो अन्य हमलावरों को गोली मार दी गई. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया कि हमले में छह आतंकवादी मारे गए. तालिबान ने दी चेतावनी  अफगान तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने पश्तो भाषा के चैनल एरियाना न्यूज से कहा कि काबुल ने अपने बलों को आदेश दिया है कि जब तक पाकिस्तान किसी भी हमले से बचता है, तब तक अफगान बल युद्धविराम बनाए रखें. यानी यह एक शर्तिया शांति है अगर एक गोली चली, तो सबकुछ फिर से भड़क सकता है. कभी सहयोगी रहे इस्लामाबाद और काबुल अब कट्टर प्रतिद्वंद्वी बन चुके हैं. 2021 में अमेरिकी सेनाओं के अफगानिस्तान से निकलने के बाद तालिबान सत्ता में लौटा था, लेकिन पाकिस्तान के लिए वही ‘मित्र’ अब बोझ बन गया है. वर्तमान संकट की शुरुआत तब हुई जब पाकिस्तान ने काबुल से मांग की कि वो उन आतंकियों को रोके जो पाकिस्तान में हमले कर रहे हैं और जिनके ठिकाने अफगीनिस्तान में हैं. लेकिन तालिबान सरकार ने इस आरोप को नकार दिया. नतीजा यह हुआ कि सीमा पर गोलीबारी, हवाई हमले, आत्मघाती धमाके और अब निर्दोष खिलाड़ियों की मौत.