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कूल रूम में आराम करना भारी पड़ सकता है आपकी सेहत पर, शुगर लेवल कैसे होता है प्रभावित?

नई दिल्ली  गर्मी से राहत पाने के लिए लोग एयर कंडीशनर (AC) का सहारा लेते हैं। ऑफिस हो या घर, कई लोग घंटों तक AC के नीचे बैठने की आदत बना चुके हैं। हालांकि ठंडी हवा आराम देती है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक AC में रहने से डायबिटीज मरीजों के ब्लड शुगर लेवल पर असर पड़ सकता है। कैसे बढ़ता है शुगर का स्तर डॉ. अजीत कुमार, मेडिसिन विभाग, जीटीबी अस्पताल के मुताबिक, AC में लंबे समय तक बैठने से शरीर का मेटाबॉलिज़्म धीमा पड़ जाता है। जब मेटाबॉलिज़्म स्लो होता है, तो शरीर शुगर को सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाता और ब्लड शुगर बढ़ सकता है। इसके अलावा, ठंडी जगह में शरीर कम सक्रिय रहता है। लोग ज्यादा चलते-फिरते नहीं हैं और फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है। इससे इंसुलिन की संवेदनशीलता घटती है और ग्लूकोज को एनर्जी में बदलने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। कैलोरी बर्न भी कम होती है AC में लगातार रहने से शरीर का थर्मल स्ट्रेस कम हो जाता है। गर्मी में पसीना बहाना शरीर के लिए प्राकृतिक तरीका है कैलोरी बर्न करने और शुगर कंट्रोल में रखने का। AC में बैठने से यह प्रक्रिया रुक जाती है और शुगर शरीर में जमा रह सकती है। विशेषज्ञों की सलाह AC में लंबे समय तक रहने वाले लोग बीच-बीच में बाहर निकलकर हल्की वॉक करें। नियमित स्ट्रेचिंग करें और पर्याप्त पानी पीएं। रूम का तापमान बहुत कम न रखें, हल्की ठंडक ही पर्याप्त है।  

माइक्रोवेव और एयर फ्रायर का कमाल, एक ही मशीन में दो फायदे, बजट में

मुंबई  हेल्दी कुकिंग हर किसी की जरूरत है और जरूरी भी है. पिछले कुछ वक्त से ऑयल फ्री कुकिंग का ट्रेंड भी चल गया है. हर कोई अपने लिए हेल्दी और बिना तेल का खाना चाहता है. इसकी वजह से एयर फ्रायर काफी पॉपुलर हुए हैं. कई लोगों को ये भी लगता है कि एयर फ्रायर और माइक्रोवेव ओवन एक जैसे हैं, लेकिन ये माइक्रोवेव ओवन से काफी अलग हैं. ये गर्म हवा की मदद से खाना को पकाता है. पिछले कुछ दिनों से हम Prestige Air Flip एयर फ्रायर को इस्तेमाल कर रहे हैं. ये दो तरीके से काम करता है. आप इसे एयर फ्रायर और ग्रिलर दोनों की तरह यूज कर सकते हैं. आइए जानते हैं ये प्रोडक्ट किन लोगों के लिए बना है और क्या आपको इसके लिए पैसे खर्च करने चाहिए. डिजाइन और बिल्ड क्वालिटी Prestige Air Flip 4.5L का डिजाइन काफी स्लीक और मॉडर्न है. ये देखने में किसी दूसरे एयर फ्रायर जैसा है, लेकिन ज्यादा प्रीमियम लगता है. ये मैट ब्लैक फिनिश में आता है, जिसकी बास्केट ट्रांसपैरेंट है. इसमें टच कंट्रोल मिलते हैं, जो कई प्रीसेट ऑप्शन्स के साथ आते हैं.  इसकी क्षमता 4.5 लीटर की है, जो इसे 3 से 4 लोगों के परिवार के लिए बेहतरीन ऑप्शन बनाता है. ट्रांसपैरेंट डिजाइन और ग्लास फिनिश की वजह से इसे साफ रखना ज्यादा आसान है.  परफॉर्मेंस और टेक्नोलॉजी Prestige ने इसमें 360 डिग्री एयर सर्कुलेशन टेक्नोलॉजी दी है. इसकी मदद से खाना हर तरफ से मिलने वाली गर्मी से पकता है. ये गर्म हवा खाने को क्रिस्पी बनाती है. यानी आपको बिना तेल के ही डीप फ्राई का मजा मिलेगा. आप टेम्परेचर को 80 डिग्री सेल्सियस से लेकर 200 डिग्री सेल्सियस तक सेट कर सकते हैं.  इसमें आपको मैन्युअली टाइम और टेम्परेचर सेट करने का विकल्प मिलता है. हालांकि, आपको कई प्रीसेट मोड्स मिलेंगे, जिसकी वजह से मैन्युअल सेटअप की जरूरत कम पड़ती है. इसमें आप फ्रेंच फ्राइज से लेकर समोसा तक पका सकते हैं. ये सब कुछ हेल्दी होगा. अच्छी बात है कि इसमें ग्रिलर भी मिलता है.  ग्रिलर की मदद से आप बेहतरीन डिश तैयार कर सकते हैं. इसके लिए एयर फ्रायर में एक सिस्टम दिया गया है. इस सिस्टम की मदद से एयर फ्रायर फ्लिप होकर ग्रिलर बन जाता है. जैसे ही आप इस फ्लिप बटन को ऑन करेंगे, आपको इसमें ग्रिलिंग का मजा मिलेगा.  टच पैनल रिस्पॉन्सिव है और इसे इस्तेमाल करना बहुत ही आसान है. आपको अपने पसंद का प्रीसेट मोड चुनना होगा. फैन का शोर सामान्य एयर फ्रायर्स जैसा ही है. डिवाइस ऑटो क ट-ऑफ फीचर के साथ आता है, जिसकी वजह से खाना बहुत ज्यादा पकता नहीं है. ये 1500W की पावर के साथ आता है, जो इसे रेगुलर यूज के लिए परफेक्ट बनाता है.  बॉटम लाइन  Prestige Air Flip एक छोटी फैमिली के लिए बेस्ट ऑप्शन है. हालांकि, ये प्रीमियम प्राइस पर आता है, जिसकी वजह इसमें मिलने वाला डुअल मोड है. यानी आप इसे ग्रिलर और एयर फ्रायर दोनों की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें 360 डिग्री एयर सर्कुलेशन मिलता है. कई सारे प्रीसेट मोड्स की वजह से ये डिवाइस एक परफेक्ट ऑप्शन बन जाता है.  हालांकि, इसकी कीमत कई लोगों को ज्यादा लग सकती है. इसका प्राइज 12,499 रुपये है, जो कई लोगों के बजट से बाहर हो जाता है. मार्केट में ज्यादातर एयर फ्रायर्स के मुकाबले ये प्रीमियम प्राइस पॉइंट पर आता है. अगर आप एक भरोसेमंद और हेल्दी कुकिंग डिवाइस ढूंढ रहे हैं, तो Prestige Air Flip Air Fryer (4.5L) को चुन सकते हैं.

सारी दिन कुर्सी पर? जानें आयुर्वेदिक तरीके जो बचाएं आपको बीमारियों से

नई दिल्ली  आज की डिजिटल और व्यस्त जीवनशैली ने इंसान को शारीरिक रूप से इतना निष्क्रिय बना दिया है कि स्वास्थ्य पर इसका गहरा प्रभाव पड़ रहा है। घंटों तक एक ही जगह बैठना, मोबाइल और लैपटॉप की स्क्रीन पर लगातार नजरें गड़ाए रखना और शारीरिक श्रम से दूरी रखना आज आम बात हो गई है। यह निष्क्रियता धीरे-धीरे अनेक रोगों की जड़ बनती जा रही है। आयुर्वेद के अनुसार, जब शरीर को उचित मात्रा में गतिविधि नहीं मिलती, तो वात, पित्त और कफ तीनों दोष असंतुलित होकर अनेक रोगों को जन्म देते हैं। चरक संहिता में स्पष्ट कहा गया है कि नियमित व्यायाम से स्वास्थ्य, दीर्घायु, बल और मानसिक सुख प्राप्त होते हैं। शारीरिक गतिविधि की कमी से मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, जोड़ों का दर्द, मानसिक तनाव, पाचन विकार और प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। लगातार बैठे रहने से मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, वसा जमा होती है, रक्त संचार बाधित होता है और हार्मोन असंतुलन के कारण मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। आयुर्वेद में इन समस्याओं के लिए प्राकृतिक और घरेलू समाधान बताए गए हैं। सबसे पहला उपाय है दैनिक व्यायाम। सुबह कम से कम 30 मिनट टहलना या हल्की दौड़ लगाना अत्यंत लाभकारी है। सूर्य नमस्कार को संपूर्ण व्यायाम माना गया है जो शरीर को संतुलन, लचीलापन और ऊर्जा प्रदान करता है। साथ ही, ताड़ासन, त्रिकोणासन, भुजंगासन जैसे सरल आसन नियमित रूप से करने चाहिए। प्राणायाम जैसे अनुलोम-विलोम, कपालभाति और सूर्यभेदी नाड़ी शरीर के दोषों को संतुलित कर मानसिक शांति भी देते हैं। संतुलित आहार भी आवश्यक है। भारी, तली-भुनी चीजों की बजाय हरी सब्जियां, अंकुरित अनाज, फल और हल्का भोजन करना चाहिए। सुबह गुनगुना पानी या त्रिफला जल पीना पाचन में सहायक होता है। भोजन के बाद कुछ देर टहलना पाचन क्रिया को सुचारू बनाता है। अभ्यंग यानी तेल मालिश भी आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण अभ्यास माना गया है, जिससे शरीर की थकान दूर होती है और स्नायु मजबूत होते हैं। शारीरिक गतिविधि सिर्फ शरीर के लिए नहीं, बल्कि मन और आत्मा के लिए भी आवश्यक है। यदि हम डिजिटल जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव करें, तो हम अनेक गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं।

अगर 14 दिन चीनी छोड़ दी जाए तो शरीर पर क्या असर होगा? AIIMS एक्सपर्ट का जवाब जानिए

नई दिल्ली चीनी शरीर के लिए बहुत अच्छी नहीं है और आपको अगर इसका बहुत ज्यादा सेवन करने की आदत है तो फिर ये खबर आपके लिए ही है. आपको अपनी इस आदत को बदलने और चीनी के सेवन पर नियंत्रण रखने पर विचार करना चाहिए. आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन सिर्फ दो हफ्तों तक चीनी छोड़ने से आपको अपने चेहरा साफ-सुथरा लगेगा, स्किन अंदर से क्लियर होगी, शरीर की सूजन और पेट की चर्बी में कमी दिखेगी और पेट की सेहत में भी सुधार जैसे कई बदलाव देखने को मिलेंगे. एम्स, हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड जैसे मशहूर संस्थानों से ट्रेनिंग ले चुके गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ सेठी ने अपने एक नए इंस्टाग्राम पोस्ट में दो हफ्तों तक अपनी डाइट से चीनी हटाने के बाद होने वाले कई पॉजिटिव बदलावों की जानकारी दी. डॉ. सेठी ने 15 अक्टूबर को अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के कैप्शन में लिखादो हफ्तों तक चीनी छोड़ने पर क्या होता है? क्या आपको लगता है कि आप दो हफ्ते बिना चीनी के रह सकते हैं? वास्तव में आपके शरीर को ये अनुभव हो सकते हैं. आंखों के आसपास सूजन या लिक्विड्स का जमाव कम होगा डॉ. सेठी के अनुसार, चीनी छोड़ने से चेहरे की सूजन और फैट कम हो सकता है जिससे आपका चेहरा अधिक नेचुरल और शार्प दिखता है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि यह बदलाव लिवर में जमा फैट कम करने में मदद कर सकता है जिससे पेट की चर्बी कम जमा होती है. उन्होंने कहा, अगर आप सिर्फ 2 हफ्ते के लिए चीनी का सेवन बंद कर दें तो आपकी आंखों के आसपास सूजन या तरल पदार्थ का जमाव भी कम हो जाएगा. जैसे-जैसे आपके लिवर में फैट कम होने लगेगा, आपको पेट की चर्बी में भी कमी दिखाई देगी. चीनी छोड़ने से पेट ज्यादा खुश रहता है डॉ. सेठी ने यह भी बताया कि चीनी छोड़ने से आंत (इंटेस्टाइन) के माइक्रोबायोम को आंत को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है. उन्होंने आगे कहा कि मुंहासे या लालिमा जैसी त्वचा की समस्याओं वाले लोगों को चीनी कम करने से त्वचा साफ दिख सकती है. उन्होंने कहा, चूंकि चीनी छोड़ने से आंत के हेल्दी माइक्रोबायोम ज्यादा खुश रहते हैं तो अगर आपको कील-मुंहासे या लाल धब्बे हैं तो आपकी त्वचा में सुधार होता है और वो ज्यादा साफ दिखती है. दरअसल चीनी इन्फ्लेमेशन (सूजन) को बढ़ाती है जो कील, मुंहासे जैसी कई त्वचा की दिक्कतों का कारण बन सकता है. इसलिए चीनी छोड़ने से आपकी त्वचा साफ और चमकदार हो सकती है. शुरुआत में चीनी छोड़ना मुश्किल हो सकता है. लेकिन यह नामुमकिन नहीं है. आपको ये लंबे समय में कई फायदे दे सकता है.

डायबिटीज का खतरा कम करना है? तो पेट की चर्बी को कहें अलविदा

नई दिल्ली टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित लोगों में गुर्दे की बीमारी, दिल का दौरा या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है और मृत्यु दर भी बढ़ जाती है। कुछ साल पहले तक, टाइप 2 मधुमेह को अपरिवर्तनीय माना जाता था। अब हम जानते हैं कि कुछ रोगियों में, वज़न में भारी कमी लाकर, टाइप 2 मधुमेह को कम किया जा सकता है। इसके बाद, रोगी स्वस्थ हो जाते हैं, लेकिन पूरी तरह ठीक नहीं होते। हालाँकि, यह कमी शायद ही कभी स्थायी होती है: ज़्यादातर रोगियों में 5 साल बाद फिर से टाइप 2 मधुमेह विकसित हो जाता है। इसलिए, डीज़ेडडी के शोधकर्ताओं ने इस बात की जाँच की कि क्या टाइप 2 डायबिटीज़ के शुरुआती चरण, प्रीडायबिटीज़, को उलटना संभव है। प्रीडायबिटीज़ में, रक्त शर्करा का स्तर पहले से ही बढ़ा हुआ होता है, लेकिन अभी इतना ज़्यादा नहीं होता कि टाइप 2 डायबिटीज़ कहा जा सके। लेकिन प्रीडायबिटीज़ से पीड़ित लोगों में हृदय, गुर्दे और आँखों की जटिलताएँ भी विकसित हो सकती हैं। प्रीडायबिटीज़ लाइफस्टाइल इंटरवेंशन स्टडी (पीएलआईएस), जो कि मधुमेह के एक बड़े बहुकेंद्रीय अध्ययन का हिस्सा है, में प्रीडायबिटीज़ से पीड़ित 1,105 लोगों ने एक साल के वज़न घटाने के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इसमें स्वस्थ आहार और ज़्यादा शारीरिक गतिविधि शामिल थी। जब शोधकर्ताओं ने उन प्रतिभागियों का अध्ययन किया जिन्होंने कम से कम 5% वज़न कम किया था, तो उन्होंने पाया कि कुछ लोगों में वज़न में कमी आई थी, जबकि कुछ में नहीं – हालाँकि सभी के लिए सापेक्ष वज़न में कमी एक समान थी। पेट की चर्बी कम होने के कारण बेहतर इंसुलिन संवेदनशीलता वज़न कम होना अपने आप में रोगमुक्ति के लिए ज़िम्मेदार नहीं लगता। हालाँकि, जिन लोगों को रोगमुक्ति मिली थी, उनमें इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता और भी बेहतर थी। वे रक्त शर्करा कम करने वाले हार्मोन इंसुलिन के प्रति ज़्यादा संवेदनशील थे। और उन्होंने पेट की आंतरिक चर्बी भी ज़्यादा खोई थी। पेट की आंतरिक चर्बी सीधे उदर गुहा में होती है और आंतों को घेरती है। यह वसा ऊतक में सूजन की प्रतिक्रिया के माध्यम से आंशिक रूप से इंसुलिन संवेदनशीलता को प्रभावित कर सकती है। प्रीडायबिटीज़ में छूट पाने के लिए पेट की आंतरिक चर्बी कम करना बेहद ज़रूरी प्रतीत होता है। डीज़ेडडी शोधकर्ताओं के अनुसार, प्रीडायबिटीज़ में यही चिकित्सीय लक्ष्य होना चाहिए। अब तक, वज़न कम करने का इस्तेमाल केवल टाइप 2 डायबिटीज़ की शुरुआत को टालने के लिए किया जाता रहा है। लेकिन अध्ययन में जिन लोगों को छूट मिली, उनमें कार्यक्रम समाप्त होने के 2 साल बाद तक टाइप 2 डायबिटीज़ होने का जोखिम काफ़ी कम रहा। उनके गुर्दे की कार्यक्षमता में भी सुधार देखा गया और उनकी रक्त वाहिकाओं की स्थिति भी बेहतर हुई। नए परिणामों के अनुसार, जब शरीर का वजन 5% कम हो जाता है और महिलाओं में पेट की परिधि लगभग 4 सेमी और पुरुषों में 7 सेमी कम हो जाती है, तो छूट की संभावना बढ़ जाती है।

तेजी से बढ़ें मजबूत और खूबसूरत नाखून के लिए अपनाएं ये 9 जादुई तेल

नाखून सिर्फ सौंदर्य का हिस्सा नहीं होते, बल्कि यह हमारी सेहत और स्वच्छता को दर्शाते हैं। हेल्दी , शाइनी और मजबूत नाखून हर किसी की पर्सनालिटी को एक खास अट्रैक्शन देते हैं। लेकिन प्रदूषण, बार-बार नेल पॉलिश का इस्तेमाल, कुछ खास घरेलू केमिकल के संपर्क में आना और पोषण की कमी जैसे कारणों से नाखून कमजोर होकर टूटने लगते हैं या भुरभुरे हो जाते हैं। ऐसे में कुछ नेचुरल ऑयल्स का नियमित इस्तेमाल न केवल नेल ग्रोथ को प्रोत्साहित करता है, बल्कि उन्हें अन्दर से पोषण देकर सुंदर और मजबूत भी बनाता है। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ प्रभावशाली ऑयल्स के बारे में जो आपके नेल केयर रूटीन का हिस्सा बन सकते हैं जोजोबा ऑयल इसकी बनावट हमारी स्किन के नेचुरल सीबम से मिलती-जुलती होती है, जिससे यह नाखूनों और क्यूटिकल्स में गहराई तक जाकर उन्हें मॉइस्चराइज करता है और नेल को बढ़ाता है। नारियल तेल इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं जो नेल्स को इन्फ्रा से बचाते हैं। यह नाखूनों को टूटने से बचाकर उन्हें सॉफ्ट और हेल्दी बनाता है। ऑलिव ऑयल विटामिन ई से भरपूर ऑलिव ऑयल नाखूनों की जड़ों में गहराई से जाकर उन्हें पोषण देता है और ग्रोथ तेज करता है। टी ट्री ऑयल इसकी एंटीसेप्टिक प्रॉपर्टीज नाखूनों को फंगल इन्फेक्शन और डलनेस से बचाती हैं। इसे हमेशा किसी कैरियर ऑयल में मिलाकर लगाना चाहिए। बादाम का तेल विटामिन ई, जिंक और प्रोटीन से भरपूर यह तेल नाखूनों की मजबूती और चमक को बनाए रखने में मदद करता है। अरंडी का तेल विटामिन ई और फैटी एसिड से भरपूर अरंडी का तेल केराटिन उत्पादन को बढ़ावा देता है, जिससे नेल का तेजी से विकास होता है।थोड़ा गाढ़ा होने के बावजूद यह नाखूनों की लंबाई और मोटाई बढ़ाने में बेहद असरदार है। लैवेंडर ऑयल सुगंधित और आरामदायक लेवेंडर ऑयल शरीर में सूजन को कम करता है और नाखूनों को एक सॉफ्ट व पोषित लुक देता है। एवोकाडो ऑयल विटामिन ए, डी और ई युक्त एवोकाडो ऑयल डैमेज नेल्स की मरम्मत कर उन्हें नई जान देता है। आर्गन ऑयल इस तेल की हाइड्रेटिंग प्रॉपर्टीज नाखूनों को ड्राईनेस से बचाती हैं और उन्हें चमकदार बनाती हैं। इन तेलों को अपने डेली नेल केयर रूटीन में शामिल कर आप न सिर्फ नेल ग्रोथ बढ़ा सकते हैं, बल्कि उन्हें इंफेक्शन से बचाकर स्ट्रॉन्ग, शाइनी और सुंदर भी बना सकते हैं। बेहतर परिणाम के लिए रात में सोने से पहले हल्की मसाज करें और बदलाव खुद महसूस करें।  

OpenAI का नया कदम: ChatGPT में जोड़ा जाएगा ‘एडल्ट मोड’ फीचर

नई दिल्ली ChatGPT मेकर OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने अपने प्लेटफॉर्म की पॉलिसी में बड़े बदलाव का ऐलान कर दिया है. अब कुछ यूजर्स को एडल्ट कंटेंट तक का एक्सेस मिलेगा. हालांकि इसे कम उम्र के यूजर्स एक्सेस नहीं कर सकेंगे.  सैम ऑल्टमैन ने  पोस्ट करके कहा, दिसंबर में हम पूरी तरह से उम्र को लेकर नियम लागू करेंगे और एडल्ट यूजर्स को एडल्ट की तरह सर्विस का एक्सेस देंगे. इसके बाद वेरिफाइड एडल्ट्स को एडल्ट जैसे कंटेंट तक पहुंच दी जाएगी. हालांकि अभी तक कंपनी ने ये क्लियर नहीं किया गया है कि एडल्ट कंटेंट के एक्सेस के रूप में कौन-कौन सी परमिशन दी जाएंगी. बताते चलें कि यह बदलाव OpenAI के सबसे बड़े बदलावों में से एक है.  यूजर्स की जरूरत या राइवल्स का प्रेशर  दरअसल, मार्केट में Elon Musk का Grok AI और कई प्लेटफॉर्म यूजर्स को एडल्ट कंटेंट तक का एक्सेस दे रहे हैं, जिसको लेकर कई बार विवाद भी खड़ा हुआ है. इसके बावजूद उन कंपनियों ने अपनी पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं किया. अब ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि OpenAI यूजर्स को क्या वाकई इस मोड की जरूरत है या फिर कंपनी अपने राइवल्स से आगे निकलने के लिए ये एक्सेस दे रही है.  सैम ऑल्टमैन ने मौजूदा पॉलिसी को लेकर कही ये बात  सैम ऑल्टमैन ने बताया कि ChatGPT के मौजूदा वर्जन को ऐसे तैयार किया था, जिससे वह यूजर्स के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान ना पहुंचाए. इसके लिए यूजर्स को कई तरह के कंटेंट से दूर रखा गया, जिसकी वजह से उन यूजर्स को भी नुकसान हुआ है जो मानसिक रूप से मजबूत हैं.  सैम ऑल्टमैन ने कहा कि अब हमारे पास नए टूल्स हैं, जिनकी मदद से हम कुछ मामलों में सुरक्षा को फॉलो करते हुए नियमों में ढील दे सकेंगे. यहां न्यू टूल्स से मतलब पैरेंटल कंट्रोल्स से हो सकता है. कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म  टीएनजर्स वर्जन के लिए अलग से पॉलिसी और फीचर्स को सीमित कर रहे हैं, जिसमें कुछ कंट्रोल्स उनके पैरेंट्स के पास होता है. अब चैटजीपीटी में भी पेरेंट्ल कंट्रोल जैसा एक्सेस दिया जा सकता है, हालांकि आने वाले दिनों में इसको लेकर और भी जानकारी सामने आएंगी.

सॉफ्ट और गुलाबी होंठ पाने के लिए आजमाएं ये नैचुरल उपाय

गुलाबी और मुलायम होंठ किसी भी चेहरे की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। लेकिन धूप, धूल, प्रदूषण, स्मोकिंग, पानी की कमी, केमिकल वाली लिपस्टिक का ज्यादा इस्तेमाल और पोषण की कमी जैसे कारणों से होंठ काले, रूखे और बेजान हो जाते हैं। ऐसे में नेचुरली पिंक लिप्स पाने के लिए केमिकल बेस्ड प्रोडक्ट के बजाय घरेलू उपायों पर भरोसा करें। ये उपाय सुरक्षित, असरदार और लंबे समय तक चलने वाले होते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ उपायों के बारे में। गुलाबी होंठों के लिए आसान टिप्स     गुलाब की पंखुड़ियां और दूध- गुलाब की पंखुड़ियों को रातभर कच्चे दूध में भिगोकर सुबह पीस लें। इस पेस्ट को होंठों पर 15 मिनट लगाकर धो दें। यह होंठों को नमी देता है और उनमें नेचुरली गुलाबी रंग लौटाता है।     चुकंदर का रस- चुकंदर में नेचुरल पिगमेंट होते हैं जो होंठों को हल्का रंग देते हैं। सोने से पहले इसका रस लगाएं और सुबह धो लें। यह धीरे-धीरे होंठों की रंगत सुधारता है।     शहद और नींबू- एक चम्मच शहद में कुछ बूंदें नींबू रस की मिलाएं और होंठों पर लगाएं। ये होंठों की ब्लैकनेस दूर कर उन्हें सॉफ्ट बनाता है।     एलोवेरा जेल- ताजा एलोवेरा जेल को होंठों पर लगाना उन्हें मॉइस्चराइज करता है और डैमेज से बचाता है।     नारियल तेल- रात को सोने से पहले होंठों पर नारियल तेल लगाना उन्हें हाइड्रेट और पोषित रखता है।     ब्राउन शुगर स्क्रब- ब्राउन शुगर और शहद मिलाकर हल्के हाथों से होंठों की स्क्रबिंग करें। इससे डेड स्किन हटती है और होंठ सॉफ्ट और पिंकी बनते हैं।     पानी भरपूर पिएं- डिहाइड्रेशन होंठों को रूखा बना देता है। दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पिएं।     विटामिन-ई ऑयल- विटामिन-ई कैप्सूल को तोड़कर उसका तेल होंठों पर लगाएं। यह डैमेज स्किन को रिपेयर करता है।     केमिकल वाले लिपस्टिक से बचें- हमेशा हाई-क्वालिटी या हर्बल लिपस्टिक का इस्तेमाल करें और लिप्स को रात के  समय अच्छे से साफ करके सोएं।     हेल्दी डाइट लें- विटामिन-सी, ई और आयरन से भरपूर फूड्स होंठों की नेचुरल सुंदरता बनाए रखने में मदद करते हैं। इन घरेलू और बेहद आसान उपायों को अपनाकर आप अपने होंठों को न सिर्फ गुलाबी बना सकते हैं, बल्कि उनकी नमी और कोमलता भी लंबे समय तक बनाए रख सकते हैं।  

फास्ट वेट लॉस का राज़: डिनर से तुरंत हटा दें ये 5 चीज़ें

वजन घटाने के लिए रात का खाना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि रात में मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है। इसलिए डिनर में से हैवी और आसानी से न पचने वाले फूड्स को बाहर कर देना चाहिए। ज्यादा कैलोरी वाला खाना वजन बढ़ाते हैय़ इसलिए रात के समय हल्का, कम कैलोरी और हाई फाइबर वाला खाना खाना चाहिए। वजन घटाना आज के समय में बहुत लोगों की प्राथमिकता बन चुका है, लेकिन अक्सर लोग सिर्फ एक्सरसाइज या डाइटिंग पर ध्यान देते हैं और यह भूल जाते हैं कि कब और क्या खाना है, यह भी उतना ही जरूरी है। खासकर डिनर यानी रात का खाना, वेट लॉस में अहम भूमिका निभाता है। रात को हमारा मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है और हम शरीर को आराम देते हैं, इसलिए अगर इस समय गलत डाइट ली जाएं, तो वे आसानी से फैट में बदल सकते हैं। ऐसे में अगर आप अपनी वेट लॉस के लक्ष्य को आसान बनाना चाहते हैं, तो इन चीजों को रात के खाने में शामिल करने से बचें। डिनर में किन चीजों को खाने से बचें?     सफेद चावल- इसमें हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जो ब्लड शुगर को बढ़ाता है और वजन घटाने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है।     ऑयली डिशेज- पकोड़े, समोसे, पूरी जैसे डीप फ्राइड फूड्स से फैट और कैलोरी दोनों बढ़ते हैं।     पास्ता और नूडल्स- पास्ता और नूडल्स मैदे से बने होते हैं जो फाइबर में कम और कार्ब्स में ज्यादा होते हैं।     रेड मीट- हाई फैट और प्रोटीन वाले भारी मीट रात में पचने में समय लेते हैं, जिससे नींद और मेटाबॉलिज्म दोनों ही प्रभावित होता है, जिससे वेट बढ़ता है।     मिठाइयां और डेजर्ट्स- आइसक्रीम, केक और मिठाइयों में चीनी और कैलोरी ज्यादा होती है, जो रात को फैट के रूप में स्टोर होती हैं।     सफेद ब्रेड- इसमें मौजूद रिफाइंड कार्ब्स वजन बढ़ाने में मदद करते हैं और फाइबर की कमी से पेट भी जल्दी नहीं भरता, जो वजन बढ़ने का कारण बनता है।     सॉफ्ट ड्रिंक्स और सोडा- इन ड्रिंक्स में छिपी हुई शुगर और कैलोरी वेट लॉस की प्रक्रिया को रोक सकती हैं।     प्रोसेस्ड फूड्स- प्रोसेस्ड फूड्स जैसे इंस्टेंट नूडल्स, पैकेज्ड स्नैक्स में नमक, शुगर और प्रिजरवेटिव्स ज्यादा होते हैं।     चीज और डेयरी प्रोडक्ट्स- इनमें सैचुरेटेड फैट ज्यादा होता है, जो रात को मेटाबॉलिज्म पर असर डालता है।     ज्यादा नमक वाला खाना- यह शरीर में पानी रोककर सूजन और वजन बढ़ा सकता है। अगर आप वेट लॉस करना चाहते हैं, तो सबसे पहले रात के खाने की क्वालिटी और क्वांटिटी पर ध्यान दें। हल्का, लो-कैलोरी और हाई-फाइबर वाला खाना न केवल वजन कम करने में मदद करेगा, बल्कि नींद और पाचन को भी बेहतर बनाएगा।  

महिलाओं को पुरुषों से ज़्यादा ठंड क्यों लगती है? साइंस ने बताया चौंकाने वाला सच!

क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि जब कमरे का तापमान एक जैसा होता है तब भी महिलाओं को अक्सर पुरुषों की तुलना में ज्यादा ठंड महसूस होती है? यह सिर्फ महसूस करने का अंतर नहीं है बल्कि इसके पीछे ठोस वैज्ञानिक और शारीरिक कारण हैं। शरीर विज्ञान और हार्मोनल अंतर इस लैंगिक असमानता में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। आइए जानते हैं कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा ठंड लगने के पीछे क्या वजहें हैं: कम मांसपेशियों का भार शरीर की मांसपेशियां आराम की अवस्था या गति में होने पर गर्मी पैदा करती हैं। महिलाओं में आमतौर पर पुरुषों की तुलना में मांसपेशियों का भार कम होता है। इस वजह से उनका शरीर कुल मिलाकर कम गर्मी उत्पन्न करता है। हार्मोन का प्रभाव प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन रक्त परिसंचरण और तापमान को नियंत्रित करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। प्रोजेस्टेरोन हार्मोन रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर सकता है जिससे हाथ और पैरों में खून का बहाव कम हो जाता है। इस कारण शरीर के इन हिस्सों में जल्दी ठंड महसूस होती है। धीमा मेटाबॉलिज्म मेटाबॉलिज्म भोजन को ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया है, जिसमें गर्मी भी पैदा होती है। महिलाओं का मेटाबॉलिक रेट पुरुषों की तुलना में धीमा होता है। इसका मतलब है कि उनके शरीर आराम की अवस्था में कम कैलोरी जलाते हैं और परिणामस्वरूप कम गर्मी पैदा करते हैं। फैट इंसुलेशन बनाम हीट प्रोडक्शन महिलाओं में पुरुषों की तुलना में वसा (Fat) का प्रतिशत ज्यादा होता है। यह वसा हीट लॉस के खिलाफ एक इंसुलेटर के रूप में काम करती है (यानी शरीर की गर्मी को बाहर जाने से रोकती है)। हालांकि यह वसा मांसपेशियों की तरह गर्मी उत्पन्न नहीं करती इसलिए शरीर के अंदरुनी तापमान को बनाए रखने के लिए पुरुषों की तुलना में कम आंतरिक गर्मी उपलब्ध होती है। सतह क्षेत्र और आयतन का अनुपात महिलाओं का सरफेस एरिया (सतह क्षेत्र) उनके शरीर के आयतन की तुलना में ज्यादा होता है। इसका मतलब है कि उनके शरीर अपने आसपास के वातावरण में तेजी से गर्मी छोड़ते हैं (हीट लॉस), जिससे उनके लिए शरीर के आंतरिक तापमान को बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। थायरॉइड और केमिकल संवेदनशीलता थायरॉइड हार्मोन जैसे कुछ रसायन मेटाबॉलिज्म और गर्मी के उत्पादन  को नियंत्रित करते हैं। महिलाओं में इन केमिकल्स के प्रति संवेदनशीलता का स्तर थोड़ा अलग हो सकता है। थायरॉइड की कम गतिविधि या धीमा मेटाबॉलिज्म होना महिलाओं में आसानी से ठंड लगने की एक वजह बन सकता है।