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कुसम्ही जंगल के वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन से शुरू होती है सीएम योगी की दीपावली

गोरखपुर, गोरखपुर जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर कुसम्ही जंगल के बीच बसे वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन के लोग बीते एक सप्ताह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन के इंतजार में बेकरार हैं। यह बेकरारी उल्लास और उमंग की है। कारण, सीएम योगी इस वनटांगिया गांव में दीपोत्सव मनाने आते हैं। यहां हर घर दीप वनटांगियों के अपने ‘योगी बाबा’ के नाम पर प्रज्वलित होते हैं। वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में प्रशासन अपनी तैयारियों में जुटा है तो गांव के लोग मुख्यमंत्री की अगवानी के लिए अपने-अपने घर-द्वार को साफ सुथरा बनाने, रंग रोगन करने और सजाने-संवारने में। तैयारी ऐसी मानों उनके घर उनका आराध्य आने वाला हो। सब कुछ स्वतः स्फूर्त और मिलजुलकर। मुख्यमंत्री इस गांव में सोमवार (20 अक्टूबर) को एक बार बार फिर आकर दीपोत्सव मनाएंगे। वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में बतौर सांसद एवं गोरक्षपीठ उत्तराधिकारी के रूप योगी आदित्यनाथ ने वंचितों में भी वंचित रहे वनटांगियों के साथ दीपावली मनाने की जो परंपरा शुरू की, वह उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद भी जारी है। उनकी दीपावली की शुरूआत ही इसी गांव से होती है। इस बार भी उनके आगमन के दिवाली पर सीएम योगी का गांव के हर किसी को शिद्दत से इंतजार है। इसके मद्देनजर तैयारियां जोरों पर हैं। प्रशासन तो लगा ही है, गांव के लोग भी अपने बाबा के स्वागत को घर-आंगन को सजाने-संवारने में जुटे है। ऐसा होना लाजिमी भी है, सौ साल तक उपेक्षित और बदहाल रहे वनटांगिया समुदाय को नागरिक का दर्जा देने से लेकर समाज व विकास की मुख्य धारा में लाने का श्रेय योगी आदित्यनाथ को ही तो जाता है। वनटांगियों ने बसाया जंगल, पर था बेदखली का भय ब्रिटिश हुकूमत में जब रेल पटरियां बिछाई जा रही थीं तो स्लीपर के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों से साखू के पेड़ों की कटान हुई। इसकी भरपाई के लिए अंग्रेज सरकार ने साखू के नए पौधों के रोपण और उनकी देखरेख के लिए गरीब भूमिहीनों, मजदूरों को जंगल मे बसाया। साखू के जंगल बसाने के लिए वर्मा देश की ‘टांगिया विधि’ का इस्तेमाल किया गया, इसलिए वन में रहकर यह कार्य करने वाले वनटांगिया कहलाए। कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी व चिलबिलवा में इनकी पांच बस्तियां वर्ष 1918 में बसीं। इसी के आसपास महराजगंज के जंगलों में अलग अलग स्थानों पर इनके 18 गांव बसे। 1947 में देश भले आजाद हुआ लेकिन वनटांगियों का जीवन गुलामी काल जैसा ही बना रहा। जंगल बसाने वाले इस समुदाय के पास देश की नागरिकता तक नहीं थी। नागरिक के रूप में मिलने वाली सुविधाएं तो दूर की कौड़ी थीं। जंगल में झोपड़ी के अलावा किसी निर्माण  की इजाजत नहीं थी। पेड़ के पत्तों को तोड़कर बेचने और मजदूरी के अलावा जीवनयापन का कोई अन्य साधन भी नहीं। समय समय पर वन विभाग की तरफ से वनों से बेदखली की कार्रवाई का भय अलग से। महाराज जी नहीं आते तो बदहाली में ही मर-खप जाते वर्ष 1998 में योगी आदित्यनाथ पहली बार गोरखपुर के सांसद बने। उनके संज्ञान में यह बात आई कि वनटांगिया बस्तियों में रहने वालों की जिंदगी काफी बदतर हाल में है। उन्होंने सबसे पहले शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को इन बस्तियों तक पहुंचाने की ठानी। इस काम में लगाया गया उनके नेतृत्व वाली महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संस्थाओं एमपी कृषक इंटर कालेज व एमपीपीजी कालेज जंगल धूसड़ और गोरखनाथ मंदिर की तरफ से संचालित गुरु श्री गोरक्षनाथ अस्पताल की मोबाइल मेडिकल सेवा को। जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन वनटांगिया गांव में 2003 से शुरू ये प्रयास 2007 तक आते आते मूर्त रूप लेने लगे। इस गांव के रामगणेश कहते है कि वनटांगिया बिलकुल उपेक्षित थे। महराज जी (योगी आदित्यनाथ को वनटांगिया समुदाय के लोग इसी संबोधन से बुलाते हैं) नहीं आते बदहाली में ही मर-खप जाते। योगी के संघर्षों का साक्षी है गोरक्षनाथ हिंदू विद्यापीठ वनटांगिया लोगों को शिक्षा के जरिये समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए योगी आदित्यनाथ ने मुकदमा तक झेला है। 2009 में जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में योगी के सहयोगी वनटांगिया बच्चों के लिए एस्बेस्टस शीट डाल एक अस्थायी स्कूल का निर्माण कर रहे थे। वन विभाग ने इस कार्य को अवैध बताकर केस दर्ज करा दिया। योगी ने अपने तर्कों से विभाग को निरुत्तर किया और अस्थायी स्कूल बन सका। गोरक्षनाथ हिंदू विद्यापीठ नाम से यब विद्यालय आज भी योगी के संघर्षों का साक्षी है। सीएम बनने के बाद भी वनटांगियों संग दीपोत्सव का सिलसिला जारी वनटांगियों को सामान्य नागरिक जैसा हक दिलाने की लड़ाई शुरू करने वाले योगी ने वर्ष 2009 से वनटांगिया समुदाय के साथ दिवाली मनाने की परंपरा शुरू की तो पहली बार इस समुदाय को जंगल से इतर भी जीवन के रंगों का अहसास हुआ। फिर तो यह सिलसिला बन पड़ा। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी इस परंपरा का निर्वाह करना नहीं भूलते हैं। इस दौरान बच्चों को मिठाई, कापी-किताब और आतिशबाजी का उपहार देकर पढ़ने को प्रेरित करते हैं तो सभी बस्ती वालों को तमाम सौगात। इस बार भी दिवाली पर सीएम योगी के आगमन के मद्देनजर ग्रामीण उत्साह से उनकी अगवानी की तैयारियों में जुटे हुए हैं। मिटा दी सौ साल की कसक मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने बीते आठ दीपावली में वनटांगिया समुदाय की सौ साल की कसक मिटा दी है। लोकसभा में वनटांगिया अधिकारों के लिए लड़कर 2010 में अपने स्थान पर बने रहने का अधिकार पत्र दिलाने वाले योगी ने सीएम बनने के बाद अपने कार्यकाल के पहले ही साल वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दे दिया। राजस्व ग्राम घोषित होते ही ये वनग्राम हर उस सुविधा के हकदार हो गए जो सामान्य नागरिक को मिलती है। सिर्फ तिकोनिया नम्बर तीन ही नहीं, उसके समेत गोरखपुर-महराजगंज के 23 वनटांगिया गांवों में कायाकल्प सा परिवर्तन दिखता है योगी के कार्यकाल में वनटांगिया हुए खुशहाल अपने कार्यकाल में सीएम योगी ने वनटांगिया गांवों को आवास, सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, स्ट्रीट लाइट, आंगनबाड़ी केंद्र और आरओ वाटर मशीन जैसी सुविधाओं से आच्छादित कर दिया है। वनटांगिया गांवो में आज सभी के पास अपना सीएम योजना का पक्का आवास, कृषि योग्य भूमि, आधारकार्ड, … Read more

पीटीसी इंडस्ट्रीज के सिंबोलिक ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी ऑफ सिस्टम इंटीग्रेशन फैसिलिटी कार्यक्रम में शामिल हुए रक्षा मंत्री व सीएम योगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने बीते 11 वर्षों में हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में अद्भुत प्रगति की है- सीएम योगी यहां स्ट्रैटेजिक मैटेरियल के उत्पादन से लेकर रेडी-टू-फिट क्रिटिकल कंपोनेंट तक, संपूर्ण सप्लाई चेन की क्षमता विकसित हो चुकी है- मुख्यमंत्री हमारे पास पर्याप्त भूमि बैंक है, तकनीकी सहयोग के लिए आईआईटी और एकेटीयू जैसे संस्थान हमारे साथ हैं- सीएम योगी लखनऊ, रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में उत्तर प्रदेश ने एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस परिसर में पीटीसी इंडस्ट्रीज का सिंबोलिक ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी ऑफ सिस्टम इंटीग्रेशन फैसिलिटी कार्यक्रम की शुरुआत की। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अब केवल एक विचार नहीं, बल्कि साकार होती हकीकत है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में भारत अब अपने रक्षा उत्पादन में दुनिया के सामने आत्मविश्वास से खड़ा है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने बीते 11 वर्षों में हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में अद्भुत प्रगति की है। आज भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रहा है। रक्षा क्षेत्र में भी जो सपना प्रधानमंत्री जी ने 11 वर्ष पहले देखा था, वह आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी के नेतृत्व में साकार होता दिख रहा है। यह आत्मनिर्भरता का प्रतीक ही नहीं, बल्कि रोजगार सृजन का भी बड़ा माध्यम है- सीएम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनात ने कहा कि भारत, जो कभी अपनी रक्षा जरूरतों के लिए अन्य देशों पर निर्भर था, अब न केवल अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहा है बल्कि मित्र देशों की भी रक्षा आपूर्ति में सहयोगी बन चुका है। यह आत्मनिर्भरता का प्रतीक ही नहीं, बल्कि रोजगार सृजन का भी बड़ा माध्यम है। उन्होंने कहा कि पीटीसी इंडस्ट्रीज ने जिस समर्पण और तकनीकी कौशल के साथ लखनऊ नोड पर स्ट्रैटेजिक मैटेरियल टेक्नोलॉजी कॉम्प्लेक्स स्थापित किया है, वह इस बात का प्रमाण है कि भारत अब रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में निजी क्षेत्र के सहयोग से भी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यहां स्ट्रैटेजिक मैटेरियल के उत्पादन से लेकर रेडी-टू-फिट क्रिटिकल कंपोनेंट तक, संपूर्ण सप्लाई चेन की क्षमता विकसित हो चुकी है। हमारे पास पर्याप्त भूमि बैंक है- मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री ने कहा कि लखनऊ में ब्रह्मोस के साथ-साथ पीटीसी इंडस्ट्रीज ने 50 एकड़ में 1000 करोड़ रुपये का निवेश कर अपने संकल्प को धरातल पर उतारा है। यह केवल रक्षा आपूर्ति का केंद्र नहीं, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार और देश के ब्रेन ड्रेन को रोकने का माध्यम भी बना है। उन्होंने कहा कि डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कॉरिडोर के सभी छह नोड्स लखनऊ, कानपुर, आगरा, झांसी, अलीगढ़ और चित्रकूट पूरी क्षमता के साथ कार्यरत हैं। हमारे पास पर्याप्त भूमि बैंक है, तकनीकी सहयोग के लिए आईआईटी और एकेटीयू जैसे संस्थान हमारे साथ हैं। योगी ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस की प्रगति को भारत के शताब्दी संकल्प से जोड़ते हुए कहा कि यह वही आत्मविश्वास है जो प्रधानमंत्री मोदी ने ‘विकसित भारत’ के विजन के तहत दिखाया था। आज भारत अपने एयरो इंजनों और एडवांस प्रोपेल सिस्टम का निर्माण खुद करने की दिशा में अग्रसर है। यह सिर्फ एक उद्योग नहीं, राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया का हिस्सा है। पीटीसी इंडस्ट्रीज जैसी इकाइयां युवाओं के लिए अवसरों के नए द्वार खोल रही हैं- मुख्यमंत्री सीएम योगी ने कहा कि पीटीसी इंडस्ट्रीज जैसी इकाइयां न केवल रक्षा आत्मनिर्भरता की मिसाल हैं बल्कि युवाओं के लिए अवसरों के नए द्वार खोल रही हैं। प्रदेश सरकार ऐसे हर प्रयास के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। उन्होंने कहा कि जब भारत का युवा अपनी मातृभूमि की रक्षा के उपकरण स्वयं बनाएगा, तभी ‘मेक इन इंडिया’ का वास्तविक अर्थ साकार होगा। आज लखनऊ नोड में जो दिख रहा है, वह केवल उद्योग का नहीं, आत्मगौरव और आत्मनिर्भरता के नवयुग का आरंभ है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीपावली से पूर्व 10 लाख से अधिक विद्यार्थियों को डीबीटी के माध्यम से वितरित की छात्रवृत्ति

छात्रवृत्ति से वंचित नहीं रहेगा प्रदेश का कोई भी छात्रः सीएम योगी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीपावली से पूर्व 10 लाख से अधिक विद्यार्थियों को डीबीटी के माध्यम से वितरित की छात्रवृत्ति छात्रवृत्ति वितरण कार्यक्रम के तहत ₹300 करोड़ से ज्यादा की धनराशि सीधे छात्रों के खातों में भेजी गई प्रधानमंत्री जी के कथन“पारदर्शिता ही सुशासन की पहचान है”को डीबीटी प्रणाली के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहाः सीएम अब दो चरणों में दी जा रही छात्रवृत्ति, 2016-17 में 8.64 लाख से बढ़कर अब 62 लाख छात्र-छात्राएं पा रहे हैं लाभः मुख्यमंत्री 4.27 करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को अब तक मिला है छात्रवृत्ति का लाभः योगी आदित्यनाथ बाबा साहब ने कहा था- पढ़-लिखकर ही स्वावलंबी बन सकते हैं, हमारा भी संकल्प है कोई भी छात्र शिक्षा से वंचित न रहेः सीएम योगी   लखनऊ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीपावली के ठीक पूर्व प्रदेश के छात्र-छात्राओं को बड़ी सौगात देते हुए दशमोत्तर एवं पूर्वदशम छात्रवृत्ति वितरण कार्यक्रम के अंतर्गत एक साथ 10 लाख 28 हजार 205 विद्यार्थियों को ₹300 करोड़ की छात्रवृत्ति राशि डीबीटी के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों में प्रेषित की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कार्यक्रम प्रदेश के होनहार विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने और उनकी शिक्षा में किसी प्रकार की बाधा न आने देने के संकल्प के साथ आयोजित किया गया है। यह डबल इंजन सरकार द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में चलाए जा रहे शिक्षा-सशक्तिकरण अभियान की एक नई कड़ी है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी विजयादशमी के अवसर पर बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी गई थी। पहले छात्रवृत्ति वितरण प्रक्रिया में भेदभाव, विलंब और भ्रष्टाचार जैसी समस्याएं आम थीं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में टेक्नोलॉजी आधारित डीबीटी प्रणाली लागू होने से अब पात्र छात्रों के खाते में राशि सीधे पहुंच रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब छात्रवृत्ति वर्ष में एक बार नहीं बल्कि दो चरणों में (अक्टूबर और जनवरी में) दी जाएगी, ताकि छात्रों को समय पर सहायता मिले। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016-17 तक जहां केवल 8.64 लाख विद्यार्थी छात्रवृत्ति से लाभान्वित होते थे, वहीं अब यह संख्या 62 लाख तक पहुंच गई है। विभिन्न वर्गों के छात्रों को मिली छात्रवृत्ति मुख्यमंत्री ने बताया कि इस अवसर पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के 3 लाख 56 हजार से अधिक विद्यार्थियों को ₹114 करोड़ 92 लाख, सामान्य वर्ग के 97 हजार से अधिक छात्रों को ₹29 करोड़ 18 लाख, अन्य पिछड़ा वर्ग के 4 लाख 83 हजार से अधिक विद्यार्थियों को ₹126 करोड़ 69 लाख और अल्पसंख्यक वर्ग के 90 हजार 758 विद्यार्थियों को ₹27 करोड़ 16 लाख की राशि डीबीटी के माध्यम से सीधे उनके खातों में भेजी गई है। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा एकदम स्पष्ट है, जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी जी कहते हैं,“पारदर्शिता ही सुशासन की पहचान है।”डीबीटी प्रणाली इसी पारदर्शिता का सशक्त उदाहरण है। पारदर्शी और तकनीक आधारित व्यवस्था मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी पात्र छात्र छात्रवृत्ति से वंचित न रहे। गत वर्ष जिन विद्यार्थियों को संस्थानों की लापरवाही या पोर्टल की त्रुटियों के कारण छात्रवृत्ति नहीं मिल पाई थी, उनके लिए पोर्टल को पुनः सक्रिय किया गया है। जैसे ही डेटा एंट्री पूरी होगी, एक विशेष समारोह में उन्हें भी डीबीटी के माध्यम से राशि दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य स्पष्ट है कि प्रदेश का कोई भी बच्चा शिक्षा के अधिकार से वंचित न रहे, हर छात्र अपने सपनों की उड़ान भर सके। शिक्षा ही स्वावलंबन का मार्ग मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर का उल्लेख करते हुए कहा कि बाबा साहब ने कहा था कि “पढ़-लिखकर ही हम स्वावलंबी बन सकते हैं और समाज के लिए कुछ कर सकते हैं।” उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि कठिन परिस्थितियों में भी बाबा साहब ने शिक्षा के बल पर अपनी राह बनाई। आज हमारे पास संसाधनों की कमी नहीं, आवश्यकता है मेहनत, अनुशासन और लगन की। मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे पुस्तकालयों की ओर रुझान बढ़ाएं, नियमित रूप से विद्यालय जाएं, नवाचार के प्रति जिज्ञासा रखें और समाज व राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएं। 4 करोड़ 27 लाख विद्यार्थियों को अब तक लाभ मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले आठ वर्षों में 4 करोड़ 27 लाख से अधिक विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति का लाभ दिया गया है। 2016-17 से पहले की सरकारों ने अनुसूचित जाति और जनजाति छात्रों की छात्रवृत्ति रोक दी थी, लेकिन हमारी सरकार ने न केवल वह राशि जारी की बल्कि दो वर्षों की छात्रवृत्ति एक साथ दी। उन्होंने कहा कि हमारा स्पष्ट संकल्प है कि किसी भी विद्यार्थी के साथ भेदभाव नहीं होगा। ईमानदारी, पारदर्शिता और समान अवसर हमारी सरकार की प्राथमिकता है। शिक्षा-सशक्तिकरण की नई पहलें मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी के मार्गदर्शन में प्रदेश में शिक्षा-सशक्तिकरण के लिए कई नई पहलें की गई हैं। अटल आवासीय विद्यालय के माध्यम से सभी 18 कमिश्नरी में विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं, जहां श्रमिक परिवारों के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा, आवास और भोजन की सुविधा मिल रही है। आश्रम पद्धति विद्यालय के अंतर्गत अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों के लिए उत्कृष्ट शिक्षा, आवास और भोजन की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। कस्तूरबा बालिका विद्यालय के माध्यम से गरीब और वंचित वर्ग की बालिकाओं को इंटरमीडिएट स्तर तक निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है। अभ्युदय कोचिंग योजना के तहत प्रदेश के प्रत्येक जनपद में प्रतियोगी परीक्षाओं की निःशुल्क तैयारी का अवसर मिल रहा है, जिससे अब छात्रों को बाहर नहीं जाना पड़ता। सामाजिक सुरक्षा की दिशा में कदम मुख्यमंत्री ने बताया कि समाज कल्याण विभाग के माध्यम से प्रदेश के 1 करोड़ 5 लाख परिवारों को ₹12,000 वार्षिक पेंशन डीबीटी के जरिए दी जा रही है। पहले ₹300 मासिक पेंशन छह महीने में दी जाती थी, जिसमें बिचौलिये हिस्सा खा जाते थे। हमारी सरकार ने इसे बढ़ाकर अब ₹1,000 प्रति माह किया है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत अब तक 4 लाख से अधिक बेटियों के विवाह कराए जा चुके हैं। प्रत्येक विवाह हेतु ₹1 लाख की सहायता राशि दी जाती है। गरीबी उन्मूलन में ऐतिहासिक उपलब्धि मुख्यमंत्री ने … Read more

अमित शाह का स्वागत करने एयरपोर्ट पहुंचे सीएम, JECC में करेंगे प्रदर्शनी का उद्घाटन

जयपुर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह आज जयपुर पहुंचे। शाह के जयपुर आगमन पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पुष्पगुच्छ भेंट कर एयरपोर्ट पर उनका हार्दिक स्वागत किया। शाह नए आपराधिक कानूनों के एक वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर जेईसीसी में आयोजित 6 दिवसीय प्रदर्शनी का उद्घाटन करने जयपुर पहुंचे हैं। गौरतलब है कि देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार लाने वाली तीन नवीन आपराधिक संहिताओं के क्रियान्वयन को एक वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में 13 से 18 अक्तूबर, 2025 तक जयपुर एग्जिबिशन एंड कन्वेंशन सेंटर (JECC), सीतापुरा में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है, जिसके शुभारंभ अवसर पर शाह जयपुर पहुंचे हैं। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री  दिया कुमारी, उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा, राज्यसभा सांसद मदन राठौड़, पूर्व विधायक सतीश पूनिया, मुख्य सचिव सुधांश पंत, पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार शर्मा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

गोमती केवल नदी नहीं, सांस्कृतिक चेतना और जीवनधारा की प्रतीक : मुख्यमंत्री

  ‘गोमती नदी पुनर्जीवन मिशन’ बनेगा आस्था, पर्यावरण और विकास के संगम का प्रतीक, मुख्यमंत्री ने जनता से की सहभागिता की अपील सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर कड़ाई से लागू होगा प्रतिबंध, सीवर सिस्टम को चोक करने में इसकी बड़ी भूमिका भूतपूर्व सैनिकों, विशेषज्ञों सहित विभिन्न सरकारी विभाग एकजुट होकर करेंगे काम, लखनऊ में मंडलायुक्त को समन्वय की जिम्मेदारी लखनऊ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘स्वच्छ, अविरल और निर्मल गोमती’ के संकल्प को साकार करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए ‘गोमती नदी पुनर्जीवन मिशन’ की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पीलीभीत से गाजीपुर तक प्रवाहित गोमती केवल एक नदी नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक चेतना, आध्यात्मिक विरासत और जीवनधारा की प्रतीक है। गोमती का पुनर्जीवन केवल जल शुद्धिकरण का नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और पर्यावरण के पुनर्संवर्धन का व्यापक अभियान है। यह मिशन पर्यावरणीय उत्तरदायित्व और भावी पीढ़ियों के प्रति हमारी साझा प्रतिज्ञा का प्रतीक बनेगा। टेरिटोरियल आर्मी की पहल पर आयोजित इस बैठक में बैठक में मेजर जनरल सलिल सेठ, ब्रिगेडियर नवतेज सिंह सोहल, ब्रिगेडियर सी. माधवाल, कर्नल अरविन्द एस. प्रसाद, ले. कर्नल सचिन राणा, ले.कर्नल सौरभ मेहरोत्रा, मेजर के.एस. नेगी, प्रो. (डॉ.) वेंकटेश दत्ता, ले. कर्नल हेम लोहुमी, एस.एम. (सेवानिवृत्त) के साथ-साथ शासन स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति रही। बैठक में मुख्यमंत्री ने मिशन की विस्तृत कार्ययोजना पर चर्चा की और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यह केवल एक प्रशासनिक परियोजना नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग की सहभागिता से चलने वाली एक जन-आंदोलनात्मक पहल होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि गोमती में एक भी बूंद सीवरेज न गिरे, इसके लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक रणनीति तैयार की जाए। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि नदी किनारे बसे अवैध बस्तियों में घुसपैठियों की पहचान कर विधिसम्मत कार्रवाई की जाए, ताकि गोमती के तटों पर स्वच्छता और सुरक्षा दोनों सुनिश्चित की जा सकें। उन्होंने कहा कि मिशन का दायरा पीलीभीत से गाजीपुर तक गोमती नदी के संपूर्ण प्रवाह क्षेत्र को कवर करेगा, जिससे गोमती अपने पूरे विस्तार में स्वच्छ, अविरल और निर्मल रूप पुनः प्राप्त कर सके। मुख्यमंत्री ने मिशन के अंतर्गत नगरीय सीवेज का 95 प्रतिशत से अधिक अवरोधन, नदी प्रदूषण को न्यूनतम स्तर तक लाना और नदी तटीय पारिस्थितिकी का पुनरुद्धार का लक्ष्य निर्धारित किया। बैठक में यह जानकारी दी गई कि गोमती में गिरने वाले 39 प्रमुख नालों में से 13 अब भी बिना उपचारित हैं। वर्तमान में छह एसटीपी 605 एमएलडी की कुल क्षमता के साथ संचालित हैं। इन्हें पूर्ण रूप से प्रभावी बनाने हेतु नालों को एसटीपी तक मोड़ने, नए संयंत्र स्थापित करने और पुराने संयंत्रों के उन्नयन की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मिशन केवल प्रदूषण नियंत्रण तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि नदी के जैविक, सांस्कृतिक और सौंदर्यात्मक पुनर्जीवन का माध्यम बनेगा। कार्ययोजना के अंतर्गत लखनऊ में इकाना वेटलैंड और साजन झील जैसे नए वेटलैंड विकसित किए जाएंगे। नदी किनारे के अवैध अतिक्रमणों को हटाने, घाटों के सौंदर्यीकरण, और तटीय हरियाली बढ़ाने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर सख्ती से प्रतिबंध लागू किया जाएगा, क्योंकि सीवर सिस्टम को चोक करने और प्रदूषण बढ़ाने में इसकी बड़ी भूमिका है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अंतर्गत इसी वर्ष जनवरी में गठित गोमती टास्क फोर्स में राज्य स्वच्छ गंगा मिशन के परियोजना निदेशक, सिंचाई विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जल निगम, लखनऊ नगर निगम, लखनऊ विकास प्राधिकरण तथा अन्य संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है। इनमें बीबीएयू लखनऊ के प्रो. (डा.) वेंकटेश दत्ता और अतुल्य गंगा ट्रस्ट के सह-संस्थापक ले. कर्नल देवेंद्र चौधरी (सेवानिवृत्त) प्रमुख रूप से सम्मिलित हैं। यह टास्क फोर्स शासन और समाज के बीच एक सशक्त सेतु के रूप में कार्य कर रही है। बैठक में बताया गया कि गोमती टास्क फोर्स द्वारा अब तक नदी तटों पर पैदल और नौका गश्त, एक हजार टन से अधिक जलकुंभी की सफाई, नालों का सर्वेक्षण कर प्रदूषण स्रोतों की पहचान, तथा 100 से अधिक जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से 70,000 से ज्यादा नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित की गई है। ‘नदी योग अभियान’ के अंतर्गत 21 अप्रैल से 21 जून 2025 तक पाँच प्रमुख घाटों पर प्रतिदिन योग, घाट-सफाई और जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित हुए, जिनमें 50,000 से अधिक नागरिकों ने भाग लिया और 300 टन से अधिक जलकुंभी हटाई गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि गोमती का जल जीवन का आधार है, और इसे स्वच्छ, अविरल तथा निर्मल बनाए रखना उत्तर प्रदेश की नैतिक और सांस्कृतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि टास्क फोर्स की मासिक बैठकें नियमित रूप से आयोजित हों, त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी जाए और हर स्तर पर पारदर्शिता व जनसहभागिता सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि गोमती पुनर्जीवन मिशन के लिए आवश्यक संसाधनों; जैसे ट्रैक बोट, फ्लोटिंग बैरियर, एक्सकेवेटर और अन्य उपकरण की उपलब्धता में सरकार किसी प्रकार की कमी नहीं रहने देगी। उन्होंने कहा कि यह मिशन केवल सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि जनता की सहभागिता से संचालित एक संकल्प यात्रा बनेगा। इसके लिए जनप्रतिनिधियों के मार्गदर्शन में शैक्षणिक व अन्य सामाजिक संस्थानों की सक्रिय भागीदारी से व्यापक जनजागरूकता अभियान चलाए जाएं, ताकि यह मिशन एक जनांदोलन का स्वरूप ग्रहण कर सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब समाज और शासन साथ कदम बढ़ाएँगे, तभी गोमती अपनी स्वाभाविक निर्मलता और जीवनदायिनी धारा पुनः प्राप्त कर सकेगी।

ग्रामीण अंचल में सुधार की नई पहल: मुख्यमंत्री की बस योजना

आमजन को मिलेगी सुलभ यातायात सुविधा रायपुर, बस्तर अंचल के सुदूर वनांचलों में रहने वाले लोगों के आवागमन के लिए मुख्यमंत्री ग्रामीण बस सेवा योजना शुरू की गई है। इसी कड़ी में कोण्डागांव जिले के ग्रामीण अंचल को जिला मुख्यालय से जोड़ने और आम नागरिकों को सुलभ यातायात सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री ग्रामीण बस योजना का शुभारंभ पुराने बस स्टैंड से बस्तर विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष और स्थानीय विधायक  लता उसेंडी ने हरी झंडी दिखाकर किया।     राज्यव्यापी इस योजना की शुरुआत शनिवार को जगदलपुर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बसों को हरी झंडी दिखाकर की थी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के विजन में ग्रामीण परिवहन व्यवस्था सुदृढ़ हो ताकि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए गांवों से शहर तक आमजन को आने-जाने में किसी प्रकार की परेशानी न हो।     कोण्डागांव जिले में योजना के तहत पहली बस सेवा सुंदर ट्रेवल्स द्वारा प्रारंभ की गई है। शुरुआती चरण में बस का संचालन कोण्डागांव से विश्रामपुरी मार्ग पर किया जा रहा है। तय समयानुसार यह बस सुबह 7 बजे विश्रामपुरी से कोण्डागांव के लिए रवाना होगी और वापसी में सुबह 10 बजे कोण्डागांव से विश्रामपुरी जाएगी। इस प्रकार प्रतिदिन दो फेरे लगाए जाएंगे, जिससे उन ग्रामीण क्षेत्रों को सीधे बस सुविधा उपलब्ध होगी जहां पहले परिवहन सेवाएँ सीमित थीं। क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी ने बताया कि अगले चरण में विकासखंड माकड़ी के क्षमतापुर से कोण्डागांव तक भी मुख्यमंत्री ग्रामीण बस योजना के अंतर्गत बस सेवा प्रारंभ करने की तैयारी की जा रही है। इससे दूरस्थ अंचलों के हजारों ग्रामीणों को सीधी परिवहन सुविधा मिलेगी और जिला मुख्यालय तक उनकी पहुंच आसान होगी।     इस अवसर पर विधायक लता उसेंडी ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में विकास को नई गति मिल रही है। ग्रामीण बस योजना इसका जीवंत उदाहरण है, जिससे गांव और शहर के बीच की दूरी कम होगी और लोगों का जीवन आसान बनेगा। कार्यक्रम में नगर पालिका अध्यक्ष नरपति पटेल, उपाध्यक्ष जसकेतु उसेंडी, पार्षद मनोज जैन, हर्षवीर सिंह ढिल्लन, सोनामणि पोयाम बस संचालक दिनेश कुमार जैन और बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि एवं प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे।

राज्य के विकास व चुनाव मामलों पर सीएम हेमंत से हुई आयुक्तों की चर्चा

रांची झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आज यहां कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में दो अधिकारियों से शिष्टाचार मुलाकात हुईं। पहली मुलाकात झारखंड की राज्य निर्वाचन आयुक्त अलका तिवारी ने मुख्यमंत्री से की, जिसमें दोनों के बीच सौहार्दपूर्ण चर्चा हुई। यह मुलाकात एक पारंपरिक शिष्टाचार भेंट थी, जिसमें चुनाव संबंधी प्रशासनिक विषयों पर चर्चा हुई। वहीं, दूसरी शिष्टाचार मुलाकात विकास आयुक्त, झारखंड अजय कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री से की। इस अवसर पर सिंह ने मुख्यमंत्री को विभिन्न विकास परियोजनाओं और योजनाओं की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया। सोरेन ने भी संबंधित योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दिया। सोरेन ने अधिकारियों से चर्चा करते हुए सहयोग और वैश्विक तौर पर सकारात्मक परिवर्तनों के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की।  

छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा हुई सुलभ, छात्रों के सपनों को मिली उड़ान

रायपुर छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है जहाँ मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सरकार में शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन और विकास का सबसे बड़ा माध्यम माना जाने लगा है। शिक्षा ही वह शक्ति है जो किसी भी व्यक्ति, समाज और राज्य को नई दिशा देती है। लेकिन उच्च शिक्षा तक पहुँचना हमेशा से गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए एक चुनौती रहा है। आर्थिक तंगी के कारण कई मेधावी छात्र अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने इस समस्या को गहराई से समझा और समाधान के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया — मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा ऋण ब्याज अनुदान योजना। इस योजना ने हजारों छात्रों के लिए उच्च शिक्षा की राह को आसान बना दिया है। अब छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के लिए लिए गए शिक्षा ऋण पर ब्याज की चिंता नहीं करनी पड़ती, क्योंकि सरकार वह बोझ अपने ऊपर ले रही है। मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा ऋण ब्याज अनुदान योजना की पृष्ठभूमि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद प्रभावित और पिछड़े क्षेत्रों के छात्र अक्सर आर्थिक कठिनाइयों के कारण तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते थे। उच्च शिक्षा तक पहुँचने में सबसे बड़ी रुकावट महँगी फीस और शिक्षा ऋण का बोझ था। इसी समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार ने यह योजना शुरू की।मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का मानना है कि “शिक्षा में निवेश ही सबसे बड़ा निवेश है, क्योंकि शिक्षित युवा ही राज्य और राष्ट्र का भविष्य गढ़ते हैं।” इसी सोच के तहत यह योजना लागू की गई। इस योजना के अंतर्गत अधिकतम 4 लाख रुपए तक का शिक्षा ऋण ब्याज मुक्त उपलब्ध कराया जाता है। इस योजना का लाभ लेने के लिए छात्र के परिवार की वार्षिक आय 2 लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए। बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, जशपुर आदि नक्सल प्रभावित जिलों के छात्रों को पूर्णत: ब्याज मुक्त ऋण मिलता है।अन्य जिलों के छात्रों को केवल 1% ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है। शेष ब्याज सरकार वहन करती है।बैंक द्वारा लगाए जाने वाले ब्याज की पूरी या आंशिक राशि सरकार देती है।इससे छात्रों पर सिर्फ मूलधन  चुकाने की ही बाध्यता रहती है। इस योजना में 35 तकनीकी और व्यावसायिक पाठ्यक्रम शामिल हैं। इनमें डिप्लोमा, स्नातक (ग्रेजुएशन), स्नातकोत्तर (पोस्ट ग्रेजुएशन) और पेशेवर कोर्स सम्मिलित हैं।योजना के लिए पात्र छात्रों का छत्तीसगढ़ का निवासी होना आवश्यक है। उसकी वार्षिक पारिवारिक आय 2 लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए। छात्र को किसी मान्यता प्राप्त संस्थान में प्रवेश लेना अनिवार्य है। इस योजना के लिए राज्य के किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक / सहकारी बैंक में शिक्षा ऋण के लिए आवेदन किया जा सकता है। आवेदन पत्र के साथ आवश्यक दस्तावेज़ (निवासी प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, प्रवेश पत्र, अंकसूची, आधार कार्ड आदि) जमा करना होता है। बैंक से ऋण स्वीकृत होने के बाद छात्र को योजना का लाभ पाने के लिए उच्च शिक्षा विभाग या जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में आवेदन करना होता है। योजना के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का योगदान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस योजना को बहुत ही कुशलता से धरातल पर उताराने का काम किया है। उनके नेतृत्व में इस योजना का विस्तार इस तरह से किया गया, जिससे नक्सल प्रभावित जिलों के छात्रों को विशेष लाभ मिला।इस योजना में ऑनलाइन प्रक्रिया को सरल बनाया गया ताकि छात्रों को बार-बार कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें।बजट में बढ़ोतरी करते हुए उच्च शिक्षा विभाग के बजट में इस योजना के लिए पर्याप्त प्रावधान किया गया। इस योजना के लिए एक निगरानी तंत्र बनाया गया है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि बैंक समय पर छात्रों को ऋण दें और ब्याज अनुदान में देरी न हो। योजना के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव छत्तीसगढ़ के मुखिया के नेतृत्व में मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा ऋण ब्याज अनुदान योजना से गरीब और पिछड़े वर्ग के छात्र उच्च शिक्षा तक पहुँच पा रहे हैं।नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी इस योजना के पहुँचने से काफ़ी उम्मीद बढ़ी है इससे शिक्षा से जुड़ने वाले युवाओं की संख्या बढ़ी है, जिससे नक्सलवाद से लड़ाई को नई ताक़त मिल रही है। तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा लेकर युवा नौकरी और स्वरोज़गार में आगे बढ़ रहे हैं और परिवारों पर ब्याज का बोझ घटने से वे बच्चों की शिक्षा के लिए और अधिक उत्साहित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की भावी योजनाएँ छत्तीसगढ़ सरकार इस योजना को और व्यापक बनाने की तैयारी में है। इस योजना में मिलने वाले ऋण सीमा को 4 लाख रुपए से बढ़ाकर 7 लाख रुपए तक करने पर विचार किया जा रहा है। इस योजना में नॉन-प्रोफेशनल कोर्स (जैसे BA, B.Sc, B.Com) को भी शामिल करने की योजना बनाई जा रही है। डिजिटल पोर्टल पर पूरी तरह से ऑनलाइन आवेदन और स्वीकृति की सुविधा बनाई जा रही है। छात्रवृत्ति और ऋण अनुदान को जोड़कर “डबल बेनिफिट स्कीम” बनाने पर विचार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा ऋण ब्याज अनुदान योजना छत्तीसगढ़ के युवाओं के सपनों को पंख देने वाली योजना है। यह न केवल छात्रों की आर्थिक समस्याएँ हल कर रही है बल्कि राज्य को ज्ञान और कौशल की शक्ति से सशक्त भी बना रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का यह कदम शिक्षा को लोकतांत्रिक और सुलभ बनाने की दिशा में ऐतिहासिक है। आज जब कोई भी छात्र यह महसूस करता है कि उसकी पढ़ाई सिर्फ पैसे की वजह से अधूरी नहीं रहेगी, तो यह योजना अपने उद्देश्य में सफल मानी जाती है।

विभागीय कार्यों की प्रगति पर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों संग की विस्तृत चर्चा

शासकीय कामकाज में बढ़ी पारदर्शिता: बेहतर परफ़ॉर्म करने वाले अधिकारियों की हुई सराहना, अधिकारियों को स्व-मूल्यांकन कर सुधार करने के निर्देश पूंजीगत व्यय और शासकीय कामकाज के क्रियान्वयन की व्यापक समीक्षा जेम पोर्टल से होने वाली शासकीय खरीदी में अनियमितता पर होगी कड़ी कार्रवाई मंत्रालय में उप सचिव स्तर से वरिष्ठ अधिकारियों के लिए 01 दिसंबर से लागू होगी बायोमैट्रिक अटेंडेंस गुणवत्ता के साथ निर्माण कार्यों में लाएँ तेजी, सुगम आवागमन के लिए सड़कों के सुधार और रखरखाव पर ज़ोर रायपुर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज मंत्रालय महानदी भवन में  विभागीय सचिवों और विभागाध्यक्षों की मैराथन बैठक ली। उन्होंने विकसित छत्तीसगढ़ की दिशा में आगे बढ़ने के लिए अधिकारियों को विभागीय समन्वय और टीम भावना के साथ कार्य करने हेतु प्रेरित किया। मुख्यमंत्री साय ने उच्च स्तरीय बैठक में पूंजीगत व्यय में तेजी, शासकीय कामकाज में पारदर्शिता, आमजनों की समस्याओं का त्वरित निराकरण तथा गुणवत्ता के साथ निर्माण कार्यों को समय पर पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने बेहतर प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों की सराहना की और अधिकारियों को स्व-मूल्यांकन कर सुधार लाने के लिए कहा। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि ई-ऑफिस प्रणाली से शासन के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ी है और इससे सुशासन का संकल्प साकार हो रहा है। उन्होंने प्रसन्नता जताई कि लगभग सभी विभागों में ई-ऑफिस प्रणाली लागू हो चुकी है। शेष विभाग दिसंबर 2025 तक इसे अनिवार्य रूप से लागू करें। मुख्यमंत्री ने सुगम आवागमन के लिए सड़कों के सुधार और रखरखाव पर विशेष बल दिया। साथ ही, जेम पोर्टल से होने वाली शासकीय खरीदी में किसी भी प्रकार की अनियमितता पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूंजीगत व्यय से राज्य की आधारभूत संरचना मज़बूत होती है और दीर्घकालिक विकास की नींव पड़ती है। उन्होंने कम पूंजीगत व्यय वाले विभागों को कार्यों में गति लाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रदेश के रजत जयंती वर्ष को “अटल निर्माण वर्ष” के रूप में मनाया जा रहा है। इस वर्ष के बजट में पिछले वर्ष की तुलना में 18 प्रतिशत अधिक प्रावधान किया गया है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि बजट में प्रावधानित कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति समय पर दी जाए, स्वीकृत कार्यों के टेंडर शीघ्र जारी हों और बिना विलंब कार्य प्रारंभ हो। उन्होंने कहा कि पूंजीगत व्यय के सभी कार्य जनता के हित से सीधे जुड़े हैं, इसलिए इन्हें समय पर पूरा करना आवश्यक है। जिन विभागों का व्यय पिछले वर्ष की तुलना में कम है, वे इसके कारणों की पहचान कर तत्काल सुधार करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि बरसात अब समाप्ति की ओर है, ऐसे में आगामी दो महीनों का सदुपयोग करते हुए निर्माण कार्यों से संबंधित सभी औपचारिकताएँ शीघ्र पूरी करें। जनता की समस्याओं को धैर्य से सुनें अधिकारी मुख्यमंत्री श्री साय ने विभागीय सचिवों से कहा कि आप सभी जनता की समस्याओं को धैर्यपूर्वक सुनें और उनका निराकरण करें। उन्होंने कहा कि सतत मॉनिटरिंग और नियमित प्रवास से विकास की गति बढ़ती है। प्रभारी सचिव अपने-अपने प्रभार वाले जिलों का हर दो माह में दौरा कर योजनाओं के क्रियान्वयन की गहन समीक्षा करें। मंत्रालय के कामकाज में कसावट के लिए बायोमैट्रिक अटेंडेंस मुख्यमंत्री श्री साय ने मंत्रालय के कामकाज में कसावट लाने के उद्देश्य से 1 दिसंबर से बायोमैट्रिक अटेंडेंस प्रणाली लागू करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अधिकारी समय पर कार्यालय पहुँचें और अपने अधीनस्थों को भी समयपालन के लिए प्रेरित करें। मुख्य सचिव श्री विकास शील ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि 1 दिसंबर से मंत्रालय में उप सचिव स्तर से वरिष्ठ अधिकारियों तक के लिए बायोमैट्रिक अटेंडेंस प्रणाली लागू होगी। इस अवसर पर मुख्य सचिव विकास शील, अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार पिंगुआ, अपर मुख्य सचिव ऋचा शर्मा, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव पी. दयानंद, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत सहित सभी विभागीय सचिव और विभागाध्यक्ष उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 57 हजार ग्राम प्रधानों और सदस्यों से वर्चुअल संवाद

विकसित यूपी महाअभियान के अग्रिम सेनानी हैं ग्राम प्रधान: मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 57 हजार ग्राम प्रधानों और सदस्यों से वर्चुअल संवाद  मुख्यमंत्री बोले ग्राम प्रधान लोकतंत्र की प्रथम पंक्ति के प्रतिनिधि विकसित भारत-विकसित उत्तर प्रदेश के संकल्प की धुरी बनेगा ग्रामीण भारत: मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री ने प्रधानों को याद दिलाये प्रधानमंत्री के पंच प्रण, कहा विकसित यूपी के लिए हर प्रदेशवासी का योगदान जरूरी आज उत्तर प्रदेश सुशासन, बेहतर कानून-व्यवस्था, स्थिरता और शांति का पर्याय बन चुका है: मुख्यमंत्री विकसित यूपी अभियान के बारे में ग्राम प्रधानों को किया जागरूक, कहा; पंचायत की खुली बैठक में करें चर्चा, हर प्रदेशवासी का सुझाव अमूल्य प्रत्येक जनपद के तीन और प्रदेश स्तर पर 05 सर्वोत्तम सुझावों को पुरस्कृत किया जाएगा अगले 04 वर्षों में उत्तर प्रदेश देश में नंबर एक प्रदेश होगा: मुख्यमंत्री लखनऊ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि 'विकसित भारत-विकसित उत्तर प्रदेश' की परिकल्पना को साकार करने में गांवों की भूमिका सबसे अहम है। उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। अगर गांव समृद्ध और आत्मनिर्भर होंगे, तो प्रदेश भी आत्मनिर्भर बनेगा और जब प्रदेश आत्मनिर्भर होगा तो विकसित भारत-विकसित उत्तर प्रदेश का संकल्प पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता।  मुख्यमंत्री शुक्रवार को वर्चुअल माध्यम से प्रदेश के 57 हजार ग्राम प्रधानों और सदस्यों से संवाद कर रहे थे। यह संवाद नवरात्र के पावन अवसर पर आयोजित किया गया, जिसमें उन्होंने ग्राम प्रधानों को विकसित यूपी@2047 के संकल्पों से परिचित कराते हुए उनसे इसे जन-जन तक पहुँचाने का आह्वान किया। इस दौरान ग्राम प्रधानों को विकसित यूपी@2047 अभियान के बारे में जानकारी देने वाली एक वीडियो फ़िल्म भी दिखाई गई और क्यूआर कोड तथा पोर्टल के माध्यम से सुझाव देने के तरीके से अवगत भी कराया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत 2047 की दिशा में तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है। जब देश की स्वतंत्रता के सौ वर्ष पूरे होंगे, तब भारत को विश्व की सबसे बड़ी शक्ति के रूप में स्थापित करना हम सबका साझा लक्ष्य है। इस महान लक्ष्य की प्राप्ति में ग्राम पंचायतों और ग्राम प्रधानों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। आजादी के अमृतकाल के लिए प्रधानमंत्री जी ने 'पंच प्रण' लिए हैं, हर नागरिक इनको अपने जीवन मे उतारे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी का स्पष्ट संदेश है कि यदि गांव सशक्त होंगे तो भारत सशक्त होगा और यदि भारत सशक्त होगा तो विश्व मंच पर उसका नेतृत्व सुनिश्चित होगा। मुख्यमंत्री ने अतीत और वर्तमान की तुलना करते हुए कहा कि वर्ष 2017 से पहले उत्तर प्रदेश पिछड़ेपन और अव्यवस्था के बोझ तले दबा हुआ था। किसान कठिन परिस्थितियों में परिश्रम करते थे, लेकिन सिंचाई, तकनीक और विपणन की सुविधाएँ सीमित थीं। बिजली, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरतें अधूरी थीं। युवाओं के पास रोजगार के अवसर नहीं थे। भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और भेदभाव सरकारी व्यवस्थाओं में गहराई तक जकड़े हुए थे। पलायन की पीड़ा आम परिवारों को झेलनी पड़ती थी और गरीबी के कारण बच्चों की असमय मौतें होती थीं। लेकिन बीते आठ वर्षों में प्रदेश की तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। प्रधानमंत्री जी के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' के मंत्र ने उत्तर प्रदेश की दिशा और दशा को नई पहचान दी है। आज उत्तर प्रदेश सुशासन, बेहतर कानून-व्यवस्था, स्थिरता और शांति का पर्याय बन चुका है। 07 वर्षों में प्रदेश की अर्थव्यवस्था 13 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 35 लाख करोड़ रुपए हो रही है। प्रति व्यक्ति आय 43 हजार रुपये से बढ़कर 01 लाख 20 हजार रुपये हो गई है। इन 08 वर्षों में 'नए भारत के नए उत्तर प्रदेश' का निर्माण हुआ है और अब अगले 04 वर्षों में उत्तर प्रदेश देश में नंबर एक प्रदेश होगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2047 तक उत्तर प्रदेश को विकसित राज्य बनाने के लिए एक स्पष्ट रोडमैप तय किया गया है। इसमें तीन प्रमुख थीम रखी गई हैं; अर्थ शक्ति, सृजन शक्ति और जीवन शक्ति। अर्थ शक्ति के अंतर्गत कृषि, उद्योग, निवेश और पर्यटन को नई गति दी जाएगी। सृजन शक्ति के तहत आधुनिक बुनियादी ढाँचा और हरित विकास को बढ़ावा दिया जाएगा। वहीं जीवन शक्ति का लक्ष्य एक स्वस्थ, शिक्षित, सुरक्षित और सशक्त समाज का निर्माण है। इसके तहत 12 सेक्टर निर्धारित किये गए हैं। उन्होंने कहा कि इन लक्ष्यों की प्राप्ति में ग्राम प्रधानों की भूमिका सबसे अहम है क्योंकि लोकतंत्र की प्रथम पंक्ति के प्रतिनिधि होने के नाते वे ही इस महाअभियान के सच्चे शिल्पकार और अग्रिम सेनानी हैं। उन्होंने कहा कि आपके सुझावों के आधार पर एक विस्तृत विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया जाएगा, जो अगले 22 वर्षों में विकसित उत्तर प्रदेश की दिशा और रोडमैप तय करेगा।  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्राम प्रधानों से आह्वान किया कि वे अपनी पंचायत की बैठकों में विकसित उत्तर प्रदेश के इस अभियान पर चर्चा करें, गांव-गांव, वार्ड-वार्ड और मोहल्लों में लोगों को जोड़ें और समर्थ पोर्टल पर अधिक से अधिक सुझाव दिलाएँ। ग्राम प्रधानों को भेजे गए पत्र का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसे पंचायत की खुली बैठक में जरूर पढ़ें। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक जनपद के तीन और प्रदेश स्तर पर 05 सर्वोत्तम सुझावों को पुरस्कृत किया जाएगा। आने वाली पीढियां आपके सुझावों पर गर्व करेगी। उन्होंने कहा कि जब करोड़ों लोगों की ऊर्जा इस यात्रा से जुड़ेगी, तब विकसित भारत और विकसित उत्तर प्रदेश का सपना एक विराट जन-आंदोलन के रूप में साकार होगा। उन्होंने ग्राम प्रधानों से आग्रह किया कि वे ग्रामोदय से राष्ट्रोदय की राह पर आगे बढ़ें और विकसित भारत 2047 के स्वप्न को साकार करने में अपनी भूमिका निभाएँ।