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सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस की CEC बैठक कल, बिहार चुनाव को लेकर तैयारी तेज

पटना कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों के चयन के मकसद से बुधवार को बैठक करेगी। पार्टी सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पार्टी यह बैठक उस वक्त करने जा रही है जब उसके सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल और वाम दलों के साथ सीट बंटवारे पर बातचीत अंतिम दौर में है। निर्वाचन आयोग द्वारा सोमवार को बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया गया। राज्य विधानसभा चुनाव के लिए आगामी छह नवंबर और 11 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा तथा मतगणना 14 नवंबर होगी।

छत्तीसगढ़ में अपराध की नई पटकथा लिख रही कांग्रेस ? NSUI शहर अध्यक्ष समेत 5 गिरफ्तार, उपमुख्यमंत्री ने उठाया सवाल

जांजगीर-चांपा छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में पुलिस ने 5 लोगों को डकैती के प्रयास मामले में गिरफ्तार किया. आरोपियों में एनएसयूआई का शहर अध्यक्ष जितेंद्र दिनकर भी शामिल है. इनके पास से एक पिस्टल और पांच कारतूस बरामद किया गया है. इस मामले पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि जांजगीर ही नहीं, जहां भी अपराध हुए हैं, कांग्रेस की संलिप्तता मिली है. उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि एक विधायक का रेत माफिया से वसूली का ऑडियो वायरल हुआ. एक विधायक बलौदाबाजार आगजनी कांड में सहभागी रहे. एक विधायक शराब घोटाला मामले में जेल में बंद हैं. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अपराध की पटकथा लिख रही है. क्या है पूरा मामला ? दरअसल, घटना 5 अक्टूबर की रात करीब 2 बजे की है. पेंड्री रोड के श्याम सुपर मार्किट निवासी राहुल अग्रवाल ने रविवार रात दूकान का शटर तोड़ने की आवाज सुनी. वह अपने पिता के साथ बाहर आने पर देखा की तीन नकाबपोश युवक शटर तोड़ने की कोशिश कर रहे थे. शोर मचाने पर वह तीनों भागने की कोशिश करने लगे. इसकी सूचना पुलिस को दी गई. सूचना मिलने पर पुलिस पेट्रोलिंग पार्टी गश्त पर निकली. कुछ दूर पर ही पुलिस ने घेराबंदी कर आरोपियों को दबोच लिया. तलाशी लेने पर उनके पास से पिस्टल और पांच जिन्दा कारतूस, दो लोहे के सब्बल और बाइक बरामद किया गया. जांजगीर नगर पुलिस अक्षीक्षक योगिता खापर्डे ने बताया कि पुलिस ने मनीष कुमार बनवा, चैतन्य दिनकर, हितेश दिनकर, जितेंद्र दिनकर और तरुण सूर्यबंशी को गिरफ्तार किया है. पुलिस के हत्थे चढ़े जितेंद्र दिनकर जांजगीर एनएसयूआई नगर अध्यक्ष है. पकड़े गए आरोपियों ने पुलिस को बताया कि जितेंद्र दिनकर से पिस्टल की खरीदी की है और कारतूस भी उपलब्ध कराया है. इस मामले मे धारा 331(4), 305(a), 310(4), 3(5), 312, 296, 351 BNS आर्म्स एक्ट 25 के तहत कार्रवाई की है और न्यायिक हिरासत मे भेज दिया है.

बिहार एसआईआर विवाद: चुनाव आयोग की चुप्पी पर कांग्रेस की तीखी प्रतिक्रिया

 नई दिल्ली कांग्रेस ने मंगलवार को चुनाव आयोग पर फिर से हमला बोलते हुए कहा कि मतदाता सूची से गैर नागरिकों को हटाने के लिए मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण की जरूरत पर बल दिया गया, लेकिन चुनाव आयोग में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह देशवासियों को बता सके कि बिहार में कितने गैर नागरिकों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए। कांग्रेस महासचिव और पार्टी के संचार प्रभारी जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि एसआईआर प्रक्रिया में समानता और पारदर्शिता की कमी है। जयराम रमेश ने चुनाव आयोग पर लगाए गंभीर आरोप कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि अगर चुनाव आयोग ने यह जानकारी दी होती कि बिहार में कितने गैर-नागरिकों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए, तो उसकी पोल और भी ज्यादा खुल जाती। जयराम रमेश ने बताया कि बिहार विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई मंगलवार से फिर शुरू हो रही है। उन्होंने एक समाचार पत्र में प्रकाशित एक लेख की तस्वीर भी सोशल मीडिया पोस्ट में साझा की, जिसमें एसआईआर प्रक्रिया का विश्लेषण किया गया है। विश्लेषण में दावा किया गया है कि सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप ने बड़े पैमाने पर लोगों के मताधिकार से वंचित होने की आशंकाओं को कम किया है, लेकिन एसआईआर की पूरी प्रक्रिया में सटीकता, समानता, पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। बिहार चुनाव की तारीखों का एलान विपक्ष बिहार में एसआईआर प्रक्रिया का तीखा विरोध कर रहा है। विपक्ष ने चुनाव आयोग पर सत्तारूढ़ भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया। हालांकि चुनाव आयोग ने विपक्ष के दावे को सिरे से खारिज कर दिया। आयोग ने साफ किया कि किसी भी पात्र नागरिक को मतदाता सूची से बाहर नहीं रहने दिया जाएगा और किसी भी अपात्र व्यक्ति को मतदाता सूची में शामिल नहीं होने दिया जाएगा। चुनाव आयोग ने सोमवार को बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया। इस एलान के तहत 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा और 14 नवंबर को मतगणना होगी।

लंबे समय से बीमार कांग्रेस नेता भरत सिंह का इंतकाल, राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

जयपुर हाड़ौती क्षेत्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री भरत सिंह का सोमवार रात जयपुर के एसएमएस अस्पताल में निधन हो गया। वे लंबे समय से फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित थे। शुरुआत में कोटा में इलाज चला, लेकिन तबीयत बिगड़ने पर उन्हें जयपुर रैफर किया गया था। करीब एक महीने से उनका इलाज एसएमएस अस्पताल में चल रहा था। उनके निधन की खबर से कांग्रेस में शोक की लहर दौड़ गई। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने शोक जताया और भरत सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुद्दों पर डटे रहने वाले नेता भरत सिंह को मुद्दों पर अडिग रहने वाले नेता के रूप में जाना जाता था। उनके करीबी और कांग्रेस के पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष कुशल पाल सिंह पानाहेड़ा ने बताया कि भरत सिंह ने राजनीति में कभी लाभ-हानि की चिंता नहीं की। वे गांधीवादी विचारधारा को मानते थे और उनकी ईमानदारी की सराहना विपक्षी नेता भी किया करते थे। राजनीतिक सफर भरत सिंह का जन्म 15 अगस्त 1950 को हुआ था। उन्होंने एमएस बड़ौदा यूनिवर्सिटी (गुजरात) से स्नातक की पढ़ाई की थी। वे 1993 में पहली बार खानपुर (झालावाड़) से विधायक बने। 1998 में लोकसभा चुनाव में वसुंधरा राजे से हार गए। 2003 में दीगोद (कोटा) से विधायक बने, जहां उन्होंने भाजपा के ललित किशोर चतुर्वेदी को हराया। 2008 में सांगोद से चुनाव जीते, 2013 में हारने के बाद पंचायत चुनाव लड़ा और वार्ड पंच बने। उनकी पत्नी मीना कुमारी उस समय सरपंच रहीं। 2018 में भरत सिंह एक बार फिर सांगोद से विधायक चुने गए। नहीं लड़ा 2023 का चुनाव 2023 विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने राजनीति से खुद को अलग करने का फैसला लिया। उन्होंने साफ कहा था कि वे न तो चुनाव लड़ेंगे और न ही परिवार के किसी सदस्य को टिकट दिलाएंगे। इसके बाद सांगोद से कांग्रेस ने भानु प्रताप सिंह को टिकट दिया। भरत सिंह तीन बार कुंदनपुर से सरपंच और दस साल तक सांगोद पंचायत समिति के प्रधान भी रहे। अंतिम संस्कार आज भरत सिंह का अंतिम संस्कार आज  उनके पैतृक गांव कुंदनपुर में किया जाएगा। गहलोत सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने जताया दुख भरत सिंह के निधन पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत सहित कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने दुख प्रकट किया है। गहलोत ने बयान जारी कर कहा-  पूर्व मंत्री  भरत सिंह कुंदनपुर के निधन का समाचार मिला। मैं कल ही SMS अस्पताल जाकर उनसे कुशलक्षेम पूछकर आया था। डॉक्टरों ने उनकी तबीयत में सुधार बताया था परन्तु आज ऐसा समाचार मेरे लिए व्यथित करने वाला है। भरत सिंह कुंदनपुर राजनीति एवं जनसेवा में बेबाकी एवं ईमानदारी की मिसाल थे। वो हाड़ौती क्षेत्र के कद्दावर नेता थे। मेरे उनके परिवार से संबंध उनके पिताजी के समय से थे जब मैं उनके साथ लोकसभा सांसद बना था। भरत सिंह कुंदनपुर मेरे साथ मंत्री भी रहे। मैं ईश्वर से श्री भरत सिंह जी की आत्मा को शांति एवं उनके परिजनों को हिम्मत देने की प्रार्थना करता हूं।

कांग्रेस पर मंत्री नेताम का हमला: विजय रथ को रोकने में किसी में दम नहीं

रायपुर कांग्रेस में जिला अध्यक्षों की दावेदारी को लेकर मंत्री रामविचार नेताम ने तंज कसा है. उन्होंने कहा कि सब घोड़े एक जगह जमा हो गए हैं. सभी घोड़े की स्थिति खराब है. कांग्रेस का कोई भी घोड़ा टिकने वाला नहीं है. भाजपा का रथ बहुत तेजी के आगे बढ़ रहा. जिसे रोकने का किसी में ना ही दुस्साहस है और ना ही क्षमता. धान खरीदी को लेकर मंत्री नेताम का बड़ा बयान छत्तीसगढ़ में जल्द ही धान खरीदी की शुरुआत होने वाली है. कृषि मंत्री राम विचार नेताम ने इसे लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में नवंबर से धान खरीदी की शुरुआत होगी. सरकार किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीदी करेगी. उन्होंने कहा कि फिलहाल प्रदेश में लगातार बारिश हो रही है. इसके बाद धान खरीदी की शुरुआत करेंगे. बीजेपी प्रदेश कार्यालय में सहयोग केंद्र की शुरूआत मंत्री रामविचार नेताम ने आज फिर से ठाकरे परिसर में सहयोग केंद्र की शुरूआत को लेकर कहा कि पहले की सरकार में भी सहयोग केंद्र खोले गए थे. यहां बारी-बारी से मंत्रियों की ड्यूटी लगती है. कार्यकर्ता अपनी समस्याओं को रखते हैं. सहयोग के माध्यम से निराकरण किया जाता है.

पंजाब उपचुनाव में कांग्रेस ने तरनतारन सीट पर घोषित किया उम्मीदवार

तरनतारन  पंजाब के तरनतारन विधानसभा सीट पर होने वाले आगामी उपचुनाव के लिए आम आदमी पार्टी, बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल ने अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है. वहीं अब कांग्रेस ने भी उम्मीदवार का नाम सार्वजनिक कर दिया है. इस उपचुनाव में करणबीर सिंह बुर्ज कांग्रेस की तरफ से चुनावी मैदान में नजर आएंगे. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने तरनतारन निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में करणबीर सिंह बुर्ज की उम्मीदवारी को मंजूरी दे दी है. जून में आम आदमी पार्टी विधायक कश्मीर सिंह सोहल के निधन के बाद यह सीट खाली हुई थी. निर्वाचन आयोग ने अभी उपचुनाव की तारीख की घोषणा नहीं की है. हालांकि सभी दल चुनाव का तैयारियों में जुट गए हैं. कांग्रेस ने करणबीर सिंह बुर्ज को दिया टिकट इससे पहले पहले चर्चा थी कि अकाली दल छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व मंत्री अनिल जोशी को टिकट दिया जा सकता है, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता जोशी का विरोध कर रहे हैं. ऐसे में पार्टी ने करणबीर सिंह बुर्ज को चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया गया है. करणबीर सिंह कांग्रेस के किसान सेल के उपाध्यक्ष रह चुके हैं. इसके अलावा, प्रताप सिंह बाजवा से उनकी करीबी की भी चर्चा है. AAP ने हरमीत सिंह संधू को बनाया उम्मीदवार तरनतारन उपचुनाव को विधानसभा से पहले की सियासी जंग माना जा रहा है, वहीं इस सीट पर कांटे की टक्कर होने की संभावना है. क्योंकि आम आदमी पार्टी ने पूर्व विधायक और अकाली दल के वरिष्ठ नेता रहे हरमीत सिंह संधू को टिकट दिया है. बीते शुक्रवार को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने तरनतारन में एक जनसभा को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक हरमीत सिंह संधू को AAP का उम्मीदवार घोषित किया था. संधू का अपना राजनीतिक आधार है.अब तक किसी भी विधानसभा चुनाव में उन्हें 39 हज़ार से कम वोट नहीं मिले हैं. ऐसे में उन्हें एक मज़बूत उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा है. अकाली दल ने सुखविंदर कौर रंधावा को उतारा वहीं दूसरी ओर अकाली दल का भी इस सीट पर राजनीतिक आधार है. सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व वाले अकाली दल ने आज़ाद गुट की नेता रहीं बीबी सुखविंदर कौर रंधावा को टिकट दिया है. पिछले विधानसभा चुनावों में इस आज़ाद दल की अपनी भूमिका थी और उन्होंने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कश्मीर सिंह सोहल का समर्थन किया था. हरजीत सिंह संधू बीजेपी उम्मीदवार दूसरी तरफ किसान आंदोलन के बाद बीजेपी भी पंजाब में अपना राजनीतिक आधार बनाने की कोशिश कर रही है. ऐसे में तरनतारन की सीट उसके लिए बड़ी चुनौती पेश करेगी क्योंकि यह सिख बहुल सीट है और इस इलाके के लोगों ने किसान आंदोलन में भी बड़ी संख्या में हिस्सा लिया था. ऐसे में बीजेपी ने स्थानीय नेता (जिला अध्यक्ष) हरजीत सिंह संधू को अपना उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी स्थानीय नेताओं और सिख चेहरों के सहारे मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश कर रही है. हरजीत सिंह संधू केंद्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा के करीबी माने जाते हैं.  

अशोक गहलोत का ‘जादूगर ट्रैक’: कांग्रेस की जीत की कहानी बिहार से पहले कहां-कहां हुई कामयाब

जयपुर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस हाईकमान ने बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मुख्य पर्यवेक्षक बनाया है। आगामी दिनों में गहलोत बिहार जाकर चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालेंगे। ये पहली बार नहीं है, जब कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने अशोक गहलोत पर भरोसा जताते हुए उन्हें चुनावी राज्य में मुख्य पर्यवेक्षक नियुक्त किया हो। आइए जाते हैं अशोक गहलोत को बिहार से पहले किस-किस चुनावी राज्य में जिम्मेदारी दी गई और वहां कांग्रेस की प्रदर्शन कैसा रहा… अशोक गहलोत के साथ इन नेताओं को भी दी गई बिहार की जिम्मेदारी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शनिवार को राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और लोकसभा में पार्टी के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षकनियुक्त किया है। अशोक गहलोत पर पार्टी ने एक बार फिर भरोसा जताया है। इससे पहले भी पार्टी ने उन्हें कई चुनावी राज्यों में बड़ी जिम्मेदारी दी है। आइए जानते हैं अशोक गहलोत का ट्रैक रिकॉर्ड कैसा रहा है… हरियाणा और महाराष्ट्र में सिमट गई कांग्रेस हरियाणा विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस ने पूर्व सीएम अशोक गहलोत, अजय माकन और प्रताप सिंह बाजवा को वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया था। गहलोत के तमाम प्रयासों के बावजूद सत्ताधारी दल भाजपा को कांग्रेस मात नहीं दे सकी। कांग्रेस को 90 में से केवल 37 सीटों पर जीत मिली। उधर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में गहलोत के साथ जी परमेश्वर मुंबई और कोंकण जोन का पर्यवेक्षक बनाया गया था। पर्यवेक्षक होते हुए गहलोत अपना जादू नहीं दिखा सके। महाराष्ट्र में भी कांग्रेस सत्ता से बाहर है। गुजरात में भी नहीं चली अशोक गहलोत की रणनीति गुजरात विधानसभा चुनाव में भी अशोक गहलोत को पार्टी ने जिम्मेदारी दी। अशोक गहलोत सहित राजस्थान के कई नेताओं ने गुजरात में डेरा डाल रखा था। अशोक गहलोत ने कई विधानसभा क्षेत्रों में पैदल मार्च करके कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने की अपील की। लेकिन शायद अशोक गहलोत की रणनीति काम नहीं आई और गुजरात में कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में नहीं आ सकी। राजस्थान में भी करिश्मा नहीं दिखा सके गहलोत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत को राजनीति का जादूगर कहा जाता है, लेकिन उनके नेतृत्व में हुए चुनाव में वे कभी जादू नहीं दिखा सके। गहलोत जब पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने, तब वे विधायक नहीं थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके लिए जोधपुर की सरदारपुरा सीट को खाली किया गया, जहां हुए उपचुनाव में वे विधायक निर्वाचित हुए। तब से वे लगातार सरदारपुरा से विधायक बनते रहे हैं। राजस्थान में भी कभी कांग्रेस की सत्ता रिपीट नहीं करा सके अशोक गहलोत पहली बार 1998 से 2003 तक मुख्यमंत्री रहने के बावजूद गहलोत सरकार को रिपीट नहीं करा सके। वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस केवल 57 सीटों पर जीत दर्ज कर सकी। वर्ष 2008 से 2013 तक गहलोत दूसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में भी वे कांग्रेस की सरकार को रिपीट कराने में कामयाब नहीं रहे। वर्ष 2018 से 2023 तक गहलोत तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन फिर वे सत्ता को बरकरार रखने में कामयाब नहीं हुए।

छत्तीसगढ़ नंबर-1 ऑनलाइन सट्टे में, सियासी आरोप-प्रत्यारोप तेज

रायपुर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) ने रिपोर्ट-2023 पेश किया है, जिसमें खुलासा हुआ है कि छत्तीसगढ़ ऑनलाइन जुआ-सट्टा मामले में देश में पहले स्थान पर है. प्रदेश में कुल 52 मामले में एफआईआर दर्ज की गई है. आंकड़े सामने आने के बाद सियासत शुरू हो गई है. भाजपा नेता केदार गुप्ता ने इसका ठीकरा पिछली सरकार पर फोड़ा. वहीं इस बयान पर कांग्रेस नेता विनोद तिवारी ने भी पलटवार किया है. भूपेश सरकार में जमी ऑनलाइन सट्टा की जड़ें : भाजपा नेता केदार गुप्ता भाजपा नेता और प्रदेश प्रवक्ता केदार गुप्ता ने एनसीआरबी की रिपोर्ट में ऑनलाइन सट्टेबाजी में छत्तीसगढ़ देश में पहले नंबर आने पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कांग्रेस पर हमलावर होते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार के समय में ऑनलाइन जुआं-सट्टा की जड़े जमीं हुई थी. लेकिन जब से भाजपा सरकार बनी है, उसकी जड़ें उखाड़ रही है. यह भी बोले कि ये ग्राफ जल्द नीचे जाएगा. केंद्र सरकर इसे बंद करें : कांग्रेस नेता विनोद तिवारी इधर, भाजपा नेता केदार गुप्ता के बयान का कांग्रेस नेता और प्रदेश प्रवक्ता विनोद तिवारी ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि जो ऑनलाइन सट्टा एप चल रहा है, वो सेंट्रल गवर्मेंट की अधीन है. केंद्र सरकार को इसे बंद कर देना चाहिए. भूपेश सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ में 6 से 7 सौ लोगों पर कार्रवाई भी हुई. साथ ही उन्होंने ऑनलाइन सट्टा को बंद करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था. उसके बाद भी ये कारोबार खुलेआम चल रहा है. इसको केंद्र सरकार को बंद ही कर देना चाहिए. उससे कमाई ही क्यों कर रहे हैं.

तेजस्वी की उम्मीदों पर पानी फेरने को तैयार कांग्रेस? बिहार की राजनीति में बढ़ा तनाव

पटना सारा श्रृंगार किया पर ‘घेघा’ बिगाड़ दिया…बिहार के ग्रामीण अंचलों में ये कहावत काफी लोकप्रिय है. इसका उपयोग वैसे संदर्भों में किया जाता है जब ‘अज्ञानता वश’ किसी के पूरे परिश्रम पर पानी फिर जाता है. बिहार चुनाव के संदर्भ में क्या महागठबंधन के साथ यही कुछ होने जा रहा है? दरअसल, वोट चोरी और बिहार एसआईआर के मुद्दे पर जिस तरह से राहुल गांधी ने आक्रामक रूप दिखाया और एनडीए सरकार के विरुद्ध तमाम माहौल बनाया, क्या यह बिहार में फलीभूत होता हुआ दिख रहा है? 16 अगस्त से लेकर 3 सितंबर तक राहुल गांधी ने बिहार की यात्रा भी की, तेजस्वी यादव को भी साथ लिया और पूरी आक्रामकता से जदयू-भाजपा सरकार पर जोरदार प्रहार भी किए, लेकिन इसका परिणाम क्या हुआ? टाइम्स नाउ और जेवीसी की ताजा चुनावी सर्वे रिपोर्ट इसकी परतें खोलती है जो कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है! कांग्रेस की सियासी जमीन और खिसकी दरअसल कांग्रेस ने बिहार में कांग्रेस की मिट्टी पलीद हो जाने की तस्वीर इस सर्वे में दिखाई गई है. खास बात यह कि बीते 2020 के चुनाव से भी बदतर नतीजे कांग्रेस के लिए इस ताजा सर्वे में दिखाए जा रहे हैं. सर्वेक्षण से पता चलता है कि कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का ‘वोट चुराने’ का अभियान मतदाताओं को रास नहीं आया है और 52 प्रतिशत लोगों ने विशेष जांच के आरोपों को निराधार बता दिया है. खास बात तो यह है कि सीटों के आंकड़े ऐसे हैं जो कांग्रेस की सियासी जमीन ही उसके पैरों तले से खिसका देने वाली है. नीतीश-तेजस्वी की टक्कर में कांग्रेस गुम! बता दें कि बिहार चुनाव 2025 जनमत सर्वेक्षण में जेवीसी पोल के अनुसार, इस साल नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) को 53 सीटें मिलने की उम्मीद है. दूसरी ओर, भाजपा को 71 सीटें मिलने की संभावना है, जबकि राजद को 74 सीटें मिलने की उम्मीद है. यानी राजद और भाजपा बराबरी की टक्कर में है और पिछले चुनाव की तुलना में जदयू भी बढ़ता हुआ दिख रहा है और 10 सीटें अधिक आने का अनुमान है. लेकिन, सवाल कांग्रेस को लेकर है कि आखिर देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी का बिहार में क्या होने वाला है? सर्वे की बड़ी तस्वीर, कांग्रेस की कमजोर नींव बता दें कि ओपिनियन पोल में सीटों की संख्या के मामले में एनडीए महागठबंधन पर मज़बूत बढ़त बनाए हुए है. जेवीसी पोल के अनुसार, एनडीए को 131-150 सीटें मिलने की उम्मीद है, जिसमें भाजपा को 66-77 सीटें, जेडी(यू) को 52-58 सीटें और एनडीए के अन्य सहयोगियों को 13-15 सीटें मिल सकती हैं. वहीं, सर्वेक्षण में महागठबंधन के लिए अनुमान लगाया गया है कि राजद को 57-71 सीटें मिल सकती हैं, उसके बाद कांग्रेस को 11-14 सीटें और अन्य को 13-18 सीटें मिल सकती हैं. इस तरह विपक्षी गठबंधन की कुल सीटों की संख्या 81-103 हो जाती है. सीएम फेस की रेस में तेजस्वी से आगे नीतीश प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को 4-6 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि एआईएमआईएम, बसपा और अन्य को 5-6 सीटें मिलने का अनुमान है. सर्वेक्षण की सबसे खास बात यह है कि ये ओपिनियन पोल नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के लिए सकारात्मक संदेश दे रहे हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी पार्टी और बिहार में अपना जनाधार खोने की अफवाहों के विपरीत, बिहार चुनाव से पहले एक नए सर्वेक्षण से पता चलता है कि जेडीयू को 2020 की तुलना में अधिक सीटें मिलने की संभावना है. नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे पसंदीदा नेता बनकर उभरे हैं. चुनावी समीकरण और वोट शेयर का गणित जेवीसी पोल के अनुसार, इस साल नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) को 53 सीटें मिलने की उम्मीद है। यह 2020 की तुलना में दस सीटें ज़्यादा है और इस साल अगस्त में किए गए सर्वेक्षण के अपने अनुमान से लगभग दोगुनी है. पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा और राजद ने क्रमशः 74 और 75 सीटें जीती थीं. वोट शेयर की बात करें तो एनडीए को 41-45 प्रतिशत वोट मिलने की उम्मीद है, जबकि महागठबंधन को 37-40 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है. बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर का एक्स-फैक्टर जेवीसी सर्वे के अनुसार, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, जिसे कई लोग आगामी चुनावों में ‘एक्स-फैक्टर’ मानते हैं, 10-11 प्रतिशत वोट शेयर के साथ अच्छा प्रदर्शन कर सकती है. दूसरी ओर, कांग्रेस को एक और झटका लग सकता है. मुख्यमंत्री के सवाल पर, अधिकांश उत्तरदाताओं ने नीतीश को प्राथमिकता दी, 27 प्रतिशत ने उन्हें वोट दिया. राजद के तेजस्वी यादव 25 प्रतिशत वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. इसके बाद प्रशांत किशोर (15%), चिराग पासवान (11%) और सम्राट चौधरी (8 प्रतिशत वोट) हैं. राहुल की रणनीति पर सवाल, तेजस्वी की टेंशन राहुल गांधी ने वोट चोरी और एसआईआर मुद्दे पर जमकर आक्रामकता दिखाई, लंबा दौरा किया, तेजस्वी यादव को साथ लिया और एनडीए सरकार को घेरा भी. लेकिन, सर्वे बताता है कि मतदाताओं को यह रणनीति रास नहीं आई. उल्टे, कांग्रेस की सियासी ज़मीन और खिसकती दिख रही है. राहुल गांधी की रणनीति को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. सवाल यह भी कि क्या बिहार के चुनावी रण में कांग्रेस फिर वही गलती दोहराने जा रही है जो राजद और तेजस्वी यादव के लिए सेटबैक साबित होने जा रही है. जाहिर है बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर आए ताज़ा जेवीसी सर्वे ने कांग्रेस की चिंता और गहरी कर दी है.  

राव नरेंद्र बने कांग्रेस अध्यक्ष और विवादों में घिर गए, INLD ने जारी किया सनसनीखेज CD

हरियाणा कांग्रेस हाईकमान ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा अध्यक्ष बदल दिया है। पूर्व मंत्री राव नरेंद्र को हरियाणा कांग्रेस का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है लेकिन राव की नियु​क्ति से जहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में नाराजगी है तो वहीं, विपक्ष ने भी उनके ​खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के प्रदेश अध्यक्ष रामपाल माजरा ने सोमवार को चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राव नरेंद्र की पुरानी सीडी दिखाई, जिसमें वह किसी व्यक्ति से 30 एकड़ जमीन की सीएलयू (चेंज आफ लैंड यूज) का सौदा करने की बातचीत कर रहे हैं। रामपाल माजरा ने पत्रकारों को सीडी दिखाने के साथ-साथ उसमें हुई बातचीत का ब्योरा लिखित में भी दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए राव नरेंद्र सिंह पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप हैं और उन पर पहले से एफआईआर दर्ज है। माजरा और डबवाली के विधायक आदित्य देवीलाल ने सीडी जारी करते हुए कहा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस ने विपक्ष का नेता बनाया है। हुड्डा तो इसके लिए बधाई के पात्र हैं ही, साथ ही भाजपा भी बधाई की पात्र हैं, क्योंकि भाजपा जिसे चाहती थी, कांग्रेस हाईकमान ने विपक्ष का नेता उसे बना दिया है। माजरा ने कहा कि राहुल गांधी ने हाल ही में बयान दिया था कि हरियाणा की कमान किसी युवा के हाथ में देंगे, लेकिन उसके उलट भ्रष्टाचार में संलिप्त लोगों को प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया है। भाजपा के लिए हुड्डा हमेशा फायदेमंद रहे हैं। इसीलिए भाजपा ने पिछले एक साल से विपक्ष का नेता नहीं होते हुए भी हुड्डा से सरकारी कोठी खाली नहीं करवाई। राबर्ट वाड्रा की कंपनी को भी सीएलयू देने के चलते हरियाणा कांग्रेस संगठन में हुए बदलाव माजरा ने कहा कि भूपेंद्र हुड्डा के राज में हरियाणा में कई जमीन घोटाले हुए थे। विधायकों को सीएलयू दिए जाते थे और उनसे मोटी रकम ली जाती थी। तब इनेलो ने कांग्रेस के तत्कालीन मंत्री राव नरेंद्र का स्टिंग आपरेशन करने के बाद सीडी जारी की थी। माजरा ने आरोप लगाया कि इस सीडी में राव नरेंद्र सीएलयू करवाने के 30 करोड़ से 50 करोड़ रुपए तक मांगते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस ने अपनी पार्टी में हर तरफ देखा, लेकिन कोई भी साफ सुथरी छवि वाला व्यक्ति नहीं मिला। कैप्टन अजय यादव ने राव नरेंद्र सिंह की नियुक्ति को लेकर जो सवाल उठाए हैं, वह बिल्कुल सही हैं। उन्होंने कहा कि राव नरेंद्र को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की कांग्रेस पार्टी की कौन-सी मजबूरी थी, यह राहुल गांधी को स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हुड्डा सरकार में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हास्पिटेलिटी को भी सीएलयू दिया गया था। शायद उसी के चलते हरियाणा कांग्रेस के संगठन में यह बदलाव हुए हैं। कांग्रेस ने पुरानी शराब को नई बोतल में डाल के दिया है। अगर कांग्रेस को प्रदेशाध्यक्ष चुनना था तो कुमारी सैलजा, अशोक अरोड़ा, रणदीप सुरजेवाला, कैप्टन अजय यादव और कुलदीप शर्मा में से किसी को चुन सकती थी। क्या था सीडी कांड सीडी कांड साल 2013 का है, जब इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने कांग्रेस के तत्कालीन पांच विधायकों राव नरेंद्र, विनोद भ्याना, नरेश सेलवाल, जरनैल सिंह और रामनिवास घोड़ेला की सीडी जारी की थी। इसमें इन सभी पर सीएलयू के बदले पैसे मांगने के आरोप थे। लोकायुक्त ने पांचों तत्कालीन विधायकों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे। अब भी एंटी करप्शन ब्यूरो के पास जांच लंबित है। विनोद भ्याना इस समय हांसी से भाजपा के विधायक हैं। बाकी चारों कांग्रेस की राजनीति कर रहे हैं। राव नरेंद्र व रामनिवास घोड़ेला इस समय विधायक नहीं हैं, जबकि नरेश सेलवाल और जरनैल सिंह कांग्रेस के विधायक हैं। भाजपा के हाथों में खेल रही इनेलो, इसलिए लगा रही झूठे आरोप: राव नरेंद्र सिंह नए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राव नरेंद्र ने इनेलो द्वारा लगाए गए आरोपों का कहा कि इनेलो नेता भाजपा के हाथों में खेल रहे हैं और इसीलिए कांग्रेस पर हमेशा से तथ्यहीन, झूठ और राजनीतिक द्वेष पूर्ण आरोप लगाते आए हैं। सच्चाई यह है कि इतने वर्षों से इनेलो नेता, इस मामले में खुद कोर्ट में बुलाने पर भी पेश नहीं हो रहे हैं, जबकि हम स्वयं 2016 में इस मामले को लेकर कोर्ट में गुहार लगाई थी और इनेलो के नेताओ को पार्टी बनाया था। कोई भी नेता 9 साल में कोर्ट में पेश तक नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इनेलो ना तो सबूत लेकर कोर्ट में आई और ना ही जवाब देने की हिम्मत कर पाई, क्योंकि इस पार्टी को पता है कि उनके द्वारा जारी किया गया वीडियो पूरी तरह से एडीटिड है। इनेलो यह फर्जी वीडियो लेकर सामने आई थी, तब लोकायुक्त ने भी इसकी जांच की थी। फॉरेंसिक जांच में यह साबित हो चुका है कि इनेलो की वीडियो एडेटिड थी। इनेलो नेताओं से जब मूल वीडियो मांगा गया, तो उन्होंने जानबूझकर ब्लैंक पेन ड्राइव लोकायुक्त को सौंप दी और मूल वीडियो को छिपा लिया क्योंकि मूल वीडियो सामने आने पर यह पार्टी पूरी तरह बेनकाब हो जाती।