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शांति के बीच टूटे सन्नाटा, गाजा में भारी झड़प, 27 नागरिक और 8 आतंकी मरे

गाजा  इजरायल और हमास के बीच शांति हो गई है. इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को उम्मीद है कि सोमवार को उनके कैदियों की वापसी होने लगेगी. लेकिन इस सबके बीच गाजा से एक चिंता वाली खबर आई है. गाजा में एक बार फिर भीषण हिंसा भड़क उठी है लेकिन इस बार दुश्मन इजराइल नहीं, बल्कि हमास के अपने ही लोग हैं. शनिवार देर रात से रविवार सुबह तक चली हमास सुरक्षा बलों और दुघमुश (Dughmush) कबीले के लड़ाकों के बीच हुई मुठभेड़ में कम से कम 27 लोग मारे गए, जिनमें 19 कबीले के सदस्य और 8 हमास फाइटर शामिल हैं. यह गाजा में इज़राइल के बड़े हमलों के खत्म होने के बाद से अब तक का सबसे भीषण आंतरिक संघर्ष है. BBC की रिपोर्ट के मुताबिक प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि, गाजा सिटी के तेल अल-हावा इलाके में जॉर्डनियन अस्पताल के पास भारी गोलीबारी हुई. मास्क पहने हमास गनमैनों ने दुघमुश कबीले के लड़ाकों पर हमला किया. कहा जा रहा है कि यह झड़प तब शुरू हुई जब हमास के 300 से ज्यादा फाइटर एक बिल्डिंग में घुसे जहां दुघमुश कबीले के लोग छिपे थे. स्थानीय लोगों ने बताया कि ‘इस बार लोग इजरायली हमले से नहीं, बल्कि अपने ही लोगों से भाग रहे थे.’ कई परिवारों को फिर से विस्थापन झेलना पड़ा, जो पहले से युद्ध की मार झेल चुके हैं. क्यों हुई लड़ाई? रिपोर्ट के अनुसार, झगड़े की शुरुआत तब हुई जब दुघमुश कबीले के लड़ाकों ने हमास के दो एलीट फाइटर्स को गोली मार दी, जिनमें से एक हमास के वरिष्ठ सैन्य खुफिया प्रमुख इमाद आकेल का बेटा था. गुस्से में हमास ने ‘सुरक्षा ऑपरेशन’ चलाते हुए इलाके को घेर लिया. हमास के आंतरिक मंत्रालय ने कहा कि यह ‘गैरकानूनी मिलिशिया की कार्रवाई’ थी, जिसे ‘कठोरता से दबाया जाएगा.’ दूसरी ओर, दुघमुश कबीले ने आरोप लगाया कि हमास उनकी बिल्डिंग पर कब्जा करना चाहता था, जो पहले जॉर्डन अस्पताल रही थी और जहां कबीले के लोग शरण लिए हुए थे. रिपोर्ट के मुताबिक दुघमुश कबीले के 19 और हमास के 8 लड़ाके मारे गए. गाजा के सबसे प्रमुख कबीलों में से एक, दुघमुश परिवार का हमास के साथ लंबे समय से तनावपूर्ण संबंध रहा है. पहले भी हमास के साथ इसके टकराव हुए हैं. दोनों पक्ष झड़प के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. दुघमुश का कहना है कि उनके लोगों ने जहां शरण ले रखी थी हमास उस जगह को कब्जा करने के लिए पहुंचा और अपना बेस बना लिया, जिससे बवाल बढ़ा. हमास ने 7,000 लड़ाकों को बुलाया गाजा से मिली रिपोर्टों के अनुसार, हमास ने हाल ही में 7,000 सुरक्षा कर्मियों को दोबारा बुलाया है ताकि इज़राइल की वापसी के बाद छोड़े गए इलाकों पर फिर से नियंत्रण पाया जा सके. इनमें कई पूर्व सैन्य कमांडर शामिल हैं जिन्हें गवर्नर नियुक्त किया गया है. स्थानीय सूत्रों का कहना है कि हमास ‘गाज़ा को अपराधियों और इज़राइल समर्थक तत्वों से मुक्त’ करने की तैयारी में है.  

ट्रंप के शांति प्रस्ताव पर हमास ने दी हामी, सभी इजरायली बंधकों की रिहाई सुनिश्चित

 गाजा  हमास ने ट्रंप के गाजा पीस प्लान को लेकर सकारात्मक रुख दिखाया है और लगभग सभी बड़ी शर्तों को मानने के लिए हामी भरी है. ​इस फिलिस्तीनी मिलिशिया संगठन ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा आगे बढ़ाए गए शांति योजना के तहत सभी इजरायली बंधकों (चाहे जीवित हों या मृत) को रिहा करने के लिए तैयार है. हमास का यह फैसला गाजा में संघर्ष समाप्त करने में काफी महत्वपूर्ण साबित होगा. हमास ने एक बयान में कहा कि वह इस मामले (ट्रंप के गाजा प्लान) की विस्तृत चर्चा के लिए मध्यस्थों के माध्यम से तत्काल वार्ता में शामिल होने के लिए तैयार है. यदि यह कदम साकार होता है, तो यह अक्टूबर 2023 में इजरायल पर हमले के दौरान अपहृत बंधकों की वापसी के लिए महीनों की कोशिशों में सबसे महत्वपूर्ण सफलता होगी. हमास ने यह भी दोहराया कि वह गाजा का प्रशासन 'स्वतंत्र तकनीकी विशेषज्ञों की फिलिस्तीनी संस्था' को सौंपने के लिए तैयार है. हमास ने डोनाल्ड ट्रंप का जताया आभार बता दें कि हमास ही अब तक गाजा का प्रशासन चलाता था. इस समूह ने गाजा संघर्ष समाप्त कराने के प्रयासों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका के लिए उनका सार्वजनिक रूप से धन्यवाद दिया. साथ ही अरब, इस्लामी और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों का आभार जताया. इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हमास से रविवार शाम 6 बजे तक इजरायल के साथ शांति समझौते पर पहुंचने का अल्टीमेटम था, वरना गाजा में कहर टूटने की चेतावनी दी थी. अमेरिकी राष्ट्रपति ने दिया था अल्टीमेटम ट्रंप ने कहा था कि हमास को हमारे गाजा प्लान को स्वीकार करने, इजरायली बंधकों को रिहा करने और शत्रुताओं समाप्त करने का एक आखिरी मौका दिया जा रहा है. अगर वह इस पर सहमति नहीं जताता है तो इसका अंजाम बहुत बुरा होगा. उन्होंने कहा था कि गाजा में किसी न किसी तरह शांति जरूर स्थापित होगी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दो वर्ष से चल रहे गाजा युद्ध को समाप्त करने के लिए इजरायल और हमास दोनों को शांति समझौते पर सहमत करने के लिए प्रयासरत हैं. ट्रंप के 20 सूत्री गाजा प्लान में क्या-क्या है? उन्होंने इसके लिए एक 20 सूत्री प्रस्ताव का खाका तैयार किया है, जो न केवल युद्ध को तत्काल रोकने का आह्वान करता है बल्कि गाजा में शासन के लिए एक समाधान भी प्रस्तुत करता है. व्हाइट हाउस ने संघर्ष समाप्त करने और क्षेत्र के भविष्य के प्रशासन को आकार देने के लिए ट्रंप के गाजा प्लान को एक रोडमैप बताया. ट्रंप के गाजा पीस प्लान (गाजा शांति योजना) के अनुसार, हमास और इजरायल के बीच शांति समझौते के 72 घंटों के भीतर हमास को सभी जीवित और मृत इजरायली बंधकों को रिहा करना होगा, बदले में इजरायल सैकड़ों फिलिस्तीनी कैदियों को अपनी जेलों से रिहा करेगा. अब गाजा पर नहीं होगा हमास का नियंत्रण इस प्लान के मुताबिक गाजा पर हमास का नियंत्रण खत्म होगा और अंतरराष्ट्रीय निगरानी में एक स्वतंत्र सरकार यहां का प्रशासन चलाएगी. हमास की ओर से इस पीस प्लान पर सहमति जताने के तुरंत बाद गाजा में पूर्ण सहायता भेजी जाएगी. ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि यदि हमास गाजा प्लान को अस्वीकार करता है, तो उसे पूरी तरह खत्म करने का काम पूरा करने के लिए इजरायल को अमेरिका का पूर्ण समर्थन मिलेगा. हमास का ट्रंप के गाजा प्लान पर सहमति जताना, मध्य पूर्व में शांति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा.

ट्रंप के गाजा प्लान पर समर्थन से घिरा पाकिस्तान, सोशल मीडिया पर भड़के लोग – ‘शहबाज ने सरेंडर कर दिया

इस्लामाबाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 20-सूत्री गाजा शांति योजना ने अंतरराष्ट्रीय पटल पर हलचल मचा दी है। लेकिन इस बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का इस योजना का खुला समर्थन उनके लिए मुसीबत बन गया है। उनके विरोधी कह रहे हैं कि शहबाज शरीफ ने ट्रंप के आगे सरेंडर कर दिया है। विपक्षी नेता और आम नागरिक उन्हें 'गद्दार' करार दे रहे हैं जिसने फिलिस्तीन के साथ धोखा किया है। मामला बिगड़ता देख शहबाज सरकार ने सफाई दी है कि ट्रंप की गाजा योजना में पाकिस्तान की सभी मागों को शामिल नहीं किया गया है। ट्रंप ने सोमवार को वाइट हाउस में अपनी गाजा योजना का ऐलान किया। ट्रंप और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच वार्ता के बाद प्रस्तुत की गई इस योजना में गाजा में युद्ध तत्काल खत्म करने, हमास द्वारा बंधक बनाए गए सभी लोगों को रिहा करने और गाजा के असैन्यीकरण का प्रस्ताव है। योजना में इजरायल को गाजा के आसपास सुरक्षा परिधि बनाने और फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई का प्रावधान है, लेकिन कई आलोचकों का मानना है कि यह प्लान इजरायल के हितों को प्राथमिकता देता है और फिलिस्तीनियों की सहमति को नजरअंदाज करता है। ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में शहबाज शरीफ और पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की खुलेआम तारीफ की। उन्होंने कहा, "पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और फील्ड मार्शल शुरू से हमारे साथ थे। उन्होंने 100% समर्थन का बयान जारी किया है। वे कमाल के लोग हैं।" इसके बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गाजा योजना का स्वागत करते हुए कहा कि “फिलिस्तीनी जनता और इजरायल के बीच स्थायी शांति ही क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक विकास ला सकती है।” लेकिन उनके इस बयान ने पाकिस्तान के भीतर कड़ी प्रतिक्रिया पैदा कर दी। राजनीतिक दलों, विश्लेषकों, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं ने इसे "सरेंडर" करार देते हुए सरकार पर ऐतिहासिक रुख से पीछे हटने का आरोप लगाया। 'मुस्लिम दुनिया ने पूरी तरह आत्मसमर्पण कर दिया' पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित ने कहा कि मुस्लिम दुनिया ने पूरी तरह आत्मसमर्पण कर दिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि फिलिस्तीन राष्ट्र की स्थापना से पहले अब्राहम समझौते में शामिल होना पाकिस्तान के लिए “भारी भूल” होगी। मजलिस वहदत-ए-मुस्लिमीन के नेता अल्लामा राजा नासिर ने योजना को “त्रुटिपूर्ण और अन्यायी” बताया। उन्होंने कहा कि यह योजना फिलिस्तीनियों की राय को दरकिनार कर अमेरिकी और इजरायली हितों को आगे बढ़ाती है। मानवाधिकार कार्यकर्ता इमान जैनब मजारी ने कहा, “फिलिस्तीन मुद्दे पर पाकिस्तान की जनता एकमत है। प्रधानमंत्री का यह कदम देश की ऐतिहासिक स्थिति से विश्वासघात है।” लेखिका फातिमा भुट्टो ने कहा कि पाकिस्तान का इजरायल से सामान्य संबंध स्थापित करना नैतिक और धार्मिक कर्तव्य से पलायन है। उन्होंने लिखा, “पाकिस्तानी जनता कभी दो-राष्ट्र नीति के सरेंडर को स्वीकार नहीं करेगी। केवल एक फिलिस्तीन है और वह इजरायल के कब्जे में है।” पत्रकारों और राजनीतिक नेताओं की नाराजगी पत्रकार तलत हुसैन ने योजना की आलोचना करते हुए कहा, “कोई फिलिस्तीनी राष्ट्र नहीं, गाजा में फिलिस्तीनी अथॉरिटी नहीं, हमास का सफाया- और नेतन्याहू हत्याओं के बाद शांति-दूत बन जाएंगे। यह सब ताजा खून की धरती पर ट्रंप का रियल एस्टेट सौदा है।” पत्रकार जर्रार खुहरो ने इसे “इजरायल को पाक-साफ करने और फिलिस्तीनियों के गुस्से को भटकाने की चाल” बताया। वहीं कार्यकर्ता अम्मार अली जान ने शहबाज शरीफ़ के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “जनसंहार कर रहे जायोनी देश से शांति की बात करना शर्मनाक है। पाकिस्तान की जनता कभी इसे माफ नहीं करेगी।” सीनियर नेता जावेद हाशमी ने कहा कि पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना का रुख स्पष्ट था कि इजरायल “एक नाजायज देश” है। जमात-ए-इस्लामी प्रमुख हाफिज नईमुर रहमान ने कहा कि उनकी पार्टी प्रधानमंत्री के बयान को पूरी तरह खारिज करती है। उन्होंने लिखा, “66,000 शहीद फिलिस्तीनियों की लाशों पर खड़ी किसी भी तथाकथित शांति योजना की तारीफ करना दरअसल गुनहगारों के साथ खड़ा होना है।” पूर्व वित्त मंत्री असद उमर ने भी प्रधानमंत्री की आलोचना की। उन्होंने सवाल उठाया कि “जब इजरायल का इतिहास हर समझौते को तोड़ने का रहा है, तो उसे चरणबद्ध वापसी का भरोसा क्यों? गाजा में 20 लाख की आबादी के लिए केवल 600 ट्रक राहत क्यों?” पाक सरकार की सफाई पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ईशाक डार ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रस्तावित गाजा शांति योजना पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह योजना पाकिस्तान द्वारा सुझाए गए सभी बदलावों को शामिल नहीं करती है। डार ने एक टीवी चैनल पर कहा कि वाशिंगटन द्वारा तैयार अंतिम मसौदा पाकिस्तान के 24 घंटे के भीतर सौंपे गए संशोधनों को नजरअंदाज करता है। डार ने कहा, "ट्रंप की टीम ने कुछ बिंदु साझा किए थे, और हमने 24 घंटे के भीतर अपने संशोधन सौंपने का वादा किया। लेकिन वाशिंगटन द्वारा तैयार दस्तावेज में हमारे सभी सुझावों को शामिल नहीं किया गया।" उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान की नीति फिलिस्तीन मुद्दे पर स्पष्ट और अपरिवर्तित बनी हुई है। उप प्रधानमंत्री ने कहा कि योजना के तहत फिलिस्तीन में एक स्वतंत्र तकनीकी विशेषज्ञों की सरकार स्थापित की जाएगी, जिसकी निगरानी मुख्य रूप से फिलिस्तीनियों से बनी एक पर्यवेक्षी संस्था करेगी। उन्होंने गाजा में युद्ध विराम और पूर्ण शांति लाने के प्रयासों के बारे में बात की, जिसमें पिछले सप्ताह न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप के साथ आठ मुस्लिम देशों के नेताओं की तैयारी बैठक भी शामिल थी।

नेतन्याहू का दांव: गाजा संघर्ष के बीच ट्रंप से मीटिंग, US में युद्धविराम की आस

गाजा इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस समय वॉशिंगटन में हैं। आज (सोमवार, 29 सितंबर को) उनकी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात होने वाली है। इससे पहले नेतन्याहू ने कहा है कि वह वाइट हाउस के साथ गाजा में एक नए युद्धविराम योजना पर काम कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने इसका कोई विवरण नहीं दिया और सिर्फ इतना कहा कि इसके विवरण तय किए जा रहे हैं। नेतन्याहू का यह बयान ऐसे वक्त पर आया है, जब एक तरफ इजरायली फौज गाजा में लगातार आगे बढ़ रही है और ताबड़तोड़ हमले कर रही है, ताकि शहर को हमास से मुक्त कराया जा सके। वहीं दूसरी तरफ, नेतन्याहू पर गाजा युद्ध को समाप्त करने का भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव है। इस बीच, गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इजरायल और हमास के बीच लगभग तीन साल से जारी युद्ध में मारे गए फिलिस्तीनी नागरिकों की संख्या अब बढ़कर 66,000 से अधिक हो गई है। वाइट हाउस में सोमवार को होने वाली ट्रंप-नेतन्याहू की बैठक में, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा गाजा में युद्ध समाप्त करने के लिए एक नया प्रस्ताव साझा करने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि ट्रंप इसके लिए 21 सूत्री प्रस्ताव का ऐलान कर सकते हैं। इसी के मद्देनजर नेतन्याहू के सुर में बदलाव देखा गया है। नेतन्याहू ने फॉक्स न्यूज़ संडे के 'द संडे ब्रीफिंग' में कहा, “हम इस पर काम कर रहे हैं। इसे अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है, लेकिन हम राष्ट्रपति ट्रंप की टीम के साथ काम कर रहे हैं, और मुझे उम्मीद है कि हम इसे सफल बना सकते हैं।” 21-सूत्रीय प्रस्ताव में तत्काल युद्धविराम योजना की जानकारी रखने वाले अरब अधिकारियों का कहना है कि 21-सूत्रीय प्रस्ताव में तत्काल युद्धविराम, हमास द्वारा बंधक बनाए गए सभी लोगों को 48 घंटों के भीतर रिहा करने और गाजा से इजरायली सेना की क्रमिक वापसी की बात शामिल है। अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर एसोसिएट प्रेस से यह बात कही क्योंकि प्रस्ताव की औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। अधिकारियों ने कहा कि प्रस्ताव अंतिम नहीं है और इसमें बदलाव की पूरी संभावना है। अरब नेताओं के साथ इस प्रस्ताव पर चर्चा दरअसल, ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान न्यूयॉर्क में अरब नेताओं के साथ इस प्रस्ताव पर चर्चा की थी। हमास के एक अधिकारी ने कहा कि समूह को योजना के बारे में जानकारी दे दी गई है, लेकिन अभी तक मिस्र और कतर के मध्यस्थों से कोई आधिकारिक प्रस्ताव नहीं मिला है। हमास ने कहा है कि वह ‘किसी भी प्रस्ताव का सकारात्मक और जिम्मेदारी से अध्ययन करने’ के लिए तैयार है। गाजा में अभी भी 48 लोग बंधक बता दें कि नेतन्याहू ने हमास के खात्मे तक लड़ाई जारी रखने की कसम खाई है। हालांकि, उन्होंने संघर्ष समाप्त करने वाले समझौते के तहत हमास के गुर्गों को गाजा छोड़ने की अनुमति देने की पेशकश दोहराई है। बता दें कि 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के आतंकी हमले के बाद से इजरायल ने हमास के ठिकानों को नेस्तनाबूद करना शुरू कर दिया था। गाजा में आक्रमण उसी रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने कहा, "अगर वे युद्ध खत्म कर देते हैं, सभी बंधकों को रिहा कर देते हैं, तो हम उन्हें छोड़ देंगे।" गाजा में अभी भी 48 लोग बंधक है। सीजफायर की बात क्यों करने लगे नेतन्याहू? दरअसल, नेतन्याहू पर युद्ध समाप्त करने के लिए काफी अंतरराष्ट्रीय दबाव है। इजरायली आपत्तियों के बावजूद, प्रमुख पश्चिमी सहयोगी देश फिलिस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने वाले देशों की बढ़ती सूची में शामिल हो गए हैं। अमेरिका पर भी इस युद्ध को रुकवाने का दबाव बढ़ गया है। दूसरी तरफ, यूरोपीय संघ इजरायल के खिलाफ प्रतिबंधों पर विचार कर रहा है और उसके खिलाफ खेल एवं सांस्कृतिक बहिष्कार के प्रयास भी तेज हो गए हैं।

युद्ध के साए में इज़राइल का हथियार निर्यात, गाजा-ईरान तनाव के बीच 14 अरब डॉलर की बिक्री

तेल अवीव इजरायल दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में से एक है, लेकिन वह जंग लड़ते हुए भी बड़ा व्यापार कर रहा है. गाजा में लंबी जंग और ईरान के साथ तनाव के बावजूद, 2024 में इजरायल ने रिकॉर्ड 14.7 अरब डॉलर (करीब 1.23 लाख करोड़ रुपये) के हथियार बेचे. सबसे हैरानी की बात ये है कि इनमें से आधे से ज्यादा यूरोपीय देशों ने खरीदे. इजरायल के रक्षा मंत्रालय ने जून 2025 में यह आंकड़ा जारी किया. यह चौथा साल लगातार है जब इजरायल के हथियार निर्यात ने नया रिकॉर्ड बनाया.  2024 में हथियार बिक्री का रिकॉर्ड: आंकड़े क्या कहते हैं? इजरायल के रक्षा उद्योग ने 2024 में 13% की बढ़ोतरी के साथ 14.7 अरब डॉलर का टर्नओवर किया. यह 2023 की तुलना में 1.3 अरब डॉलर से ज्यादा है. मुख्य खरीदार यूरोप था, जिसने कुल निर्यात का 54% (करीब 8 अरब डॉलर) लिया. 2023 में यह हिस्सा सिर्फ 35% था. एशिया-पैसिफिक दूसरे नंबर पर रहा, लेकिन यूरोप ने सबको पछाड़ दिया. सबसे ज्यादा बिके हवाई रक्षा सिस्टम, जैसे आयरन डोम के हिस्से. इनकी बिक्री 48% रही. इसके अलावा मिसाइलें, ड्रोन, रडार और साइबर हथियार भी लोकप्रिय रहे. इजरायल एयर इंडस्ट्रीज (आईएआई), राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स और एल्बिट सिस्टम्स जैसी कंपनियों ने बड़ा योगदान दिया. जंग के बीच व्यापार कैसे फला-फूला? गाजा में 2023 से चल रही जंग ने इजरायल को भारी नुकसान दिया. हजारों सैनिक घायल हुए, लेकिन इसने इजरायली हथियारों की ताकत दिखाई. यूरोपीय देशों को लगा कि इजरायल के हथियार असली जंग में काम करते हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध से यूरोप को हथियारों की भारी जरूरत पड़ी. इजरायल ने मौका लपका और तेजी से डिलीवरी दी. ईरान के साथ तनाव ने भी मदद की. ईरान ने अप्रैल 2024 में इजरायल पर मिसाइल हमला किया, लेकिन इजरायल ने उसे रोक लिया. इससे उसके डिफेंस सिस्टम की डिमांड बढ़ी. यूरोप में भी रूस का खतरा है, इसलिए वे इजरायली तकनीक चाहते हैं. बावजूद बॉयकॉट कॉल्स के (गाजा जंग पर निंदा के कारण) बिक्री बढ़ी. यूरोपीय देश क्यों खरीद रहे? यूरोप इजरायल का सबसे बड़ा पार्टनर बन गया. जर्मनी, फ्रांस, इटली और ब्रिटेन जैसे देशों ने बड़े ऑर्डर दिए. उदाहरण के लिए…     जर्मनी: आयरन डोम जैसे सिस्टम के लिए अरबों डॉलर खर्च.     पोलैंड: ड्रोन और मिसाइल सिस्टम.     रोमानिया: रडार और एयर डिफेंस. यूरोपीय संघ (ईयू) ने गाजा पर सख्त बातें कीं, लेकिन व्यापार जारी रहा. ईयू इजरायल का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है, जिसने 2024 में 45.5 अरब डॉलर का व्यापार किया. हथियारों पर दबाव है, लेकिन अभी कोई बड़ा प्रतिबंध नहीं. कुछ देशों ने कहा कि अगर गाजा जंग न रुकी, तो ट्रेड बेनिफिट्स काट देंगे. इजरायल के लिए फायदे और चुनौतियां यह बिक्री इजरायल की अर्थव्यवस्था को मजबूत करती है. रक्षा उद्योग 7% जीडीपी देता है. 50 हजार नौकरियां पैदा करता है. जंग के खर्च (करीब 60 अरब डॉलर) को पूरा करने में मदद मिलती है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय निंदा बढ़ रही है. संयुक्त राष्ट्र ने गाजा में 'नरसंहार' का आरोप लगाया. अमेरिका ने 18 अरब डॉलर की मदद दी, लेकिन यूरोप में बॉयकॉट मूवमेंट तेज हो रहा. नेतन्याहू सरकार ने कहा कि यह आत्मनिर्भरता का सबूत है. वे और निर्यात बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, खासकर एशिया और अफ्रीका में.  दुनिया पर असर: शांति या हथियार दौड़? यह खबर दिखाती है कि जंग के बीच भी पैसा कमाया जा सकता है. लेकिन गाजा में 40000 से ज्यादा मौतें हो चुकीं हैं. ईरान तनाव बढ़ रहा है. यूरोप के हथियार खरीदने से मिडिल ईस्ट में संतुलन बिगड़ सकता है. हथियार व्यापार को नियंत्रित करने के लिए वैश्विक नियम सख्त करने चाहिए. इजरायल की यह सफलता तकनीकी ताकत दिखाती है, लेकिन नैतिक सवाल भी खड़े करती है. क्या जंग के बीच हथियार बेचना सही है?

इजरायल का UN पर निशाना, गाजा रिपोर्ट को खारिज किया; एक दिन में 150 हमले, हालात बिगड़े

तेल अवीव संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट को इजरायल ने खारिज कर दिया है, जिसमें 'फिलिस्तीनियों के खिलाफ नरसंहार' का आरोप लगाया गया था। इजरायल ने इसे 'विकृत और झूठा' करार दिया और लेखकों को 'हमास प्रॉक्सी' बताकर खारिज कर दिया। संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय अधिकृत फिलिस्तीनी क्षेत्र जांच आयोग की 72 पृष्ठों की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इजरायल गाजा में नरसंहारकारी कृत्य कर रहा है। इजरायल के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि यह रिपोर्ट पूरी तरह से हमास के झूठ पर आधारित है, जिसे दूसरों ने दोहराया और प्रचारित किया। इजरायल इस विकृत और झूठी रिपोर्ट को स्पष्ट रूप से खारिज करता है और इस जांच आयोग को तत्काल समाप्त करने की मांग करता है। मंत्रालय ने आयोग के लेखकों पर यहूदी-विरोधी नैरेटिव को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और कहा कि तीनों सदस्यों ने जुलाई में अपने इस्तीफे की घोषणा की थी, जबकि अध्यक्ष नवी पिल्लै का कार्यकाल नवंबर में समाप्त हो रहा है। इजरायल विदेश मंत्रालय ने क्या कहा? विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि इजरायल नागरिक हताहतों से बचने की कोशिश करता है और हमास पर गैर-लड़ाकों को खतरे में डालने का आरोप लगाया। मंत्रालय ने कहा कि रिपोर्ट के झूठ के विपरीत, हमास ने ही इजरायल में नरसंहार की कोशिश की, 1200 लोगों की हत्या की, महिलाओं के साथ बलात्कार किया, परिवारों को जिंदा जलाया और हर यहूदी को मारने के अपने लक्ष्य की खुलेआम घोषणा की। इजरायली विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को झूठे दावों की पुनरावृत्ति बताकर खारिज किया, जिन्हें स्वतंत्र शोध, जिसमें सितंबर की शुरुआत में जारी एक अध्ययन शामिल है, पहले ही खारिज किया जा चुका है। बार-इलान विश्वविद्यालय के बेगिन-सादात सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज की रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया कि नरसंहार के दावे त्रुटिपूर्ण आंकड़ों पर आधारित हैं और अंतरराष्ट्रीय कानून को कमजोर करते हैं। वहीं, संयुक्त राष्ट्र आयोग ने दावा किया कि 7 अक्टूबर 2023 को दक्षिणी इजरायल में हुए हमले क्रूर युद्ध अपराध थे, लेकिन इनसे इजरायल के अस्तित्व को कोई खतरा नहीं था। इजरायल अपनी आबादी की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है, लेकिन इसके तरीकों में यह तथ्य ध्यान में रखना होगा कि उसने बलपूर्वक फिलिस्तीनी क्षेत्र पर कब्जा किया है और अवैध रूप से बस रहा है, जिससे फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का हनन हो रहा है। गाजा में धमाकों के बीच गुजरी रात; 4 लाख भागे इजरायल की ओर से गाजा पर लगातार भीषण हमले जारी हैं।  रात को इजरायल ने कुल 50 हमले गाजा पर किए हैं। इसके साथ ही बीते एक दिन के अंदर इजरायल ने गाजा पर 150 से ज्यादा हमले किए हैं। हालात ऐसे हैं कि गाजा से कुछ दिनों के अंदर ही 4 लाख लोग पलायन कर चुके हैं। गाजा की आबादी 10 लाख के करीब थी और वहां से लगभग 4 लाख लोग पलायन कर गए हैं। स्पष्ट है कि करीब 40 फीसदी आबादी गाजा से पलायन कर चुकी है। इजरायल डिफेंस फोर्सेज की ओर से जारी बयान में कहा गया कि बीते दो दिनों के अंदर ही 150 ठिकानों पर गाजा में हमले किए गए हैं। बीती रात में ही 12 लोगों की इजरायली हमलों से मौत हो गई है। इजरायली सेना का कहना है कि उन्होंने अपने हमलों में सुरंगों को टारगेट किया है तो वहीं कई इमारतों को भी निशाना बनाया है। इजरायल का कहना है कि इन इमारतों में हमास के आतंकी छिपे हुए थे। इजरायली सेना ने कहा कि हमारे सुरक्षा बल लगातार आतंकियों को खत्म कर रहे हैं। अब तक आतंकी संगठन के कई ढांचों को ध्वस्त किया जा चुका है। गाजा को हमास का शक्ति केंद्र माना जाता है। ऐसे में इजरायल का कहना है कि हमास को खत्म करने के लिए गाजा को टारगेट करना होगा। सोमवार से ही इजरायल की सेना ने गाजा पर जमीनी हमले शुरू कर दिए हैं। इससे पहले बीते सप्ताह इजरायल ने कतर की राजधानी दोहा में हमला कर दिया था। इस हमले के बाद से मुसलमान देशों में गुस्सा है। मंगलवार को दोहा में 60 मुसलमान देशों की मीटिंग थी, जिसमें इजरायल के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया। इस मीटिंग में आने वाले देशों में पाकिस्तान, सऊदी अरब, ईरान, तुर्की और बहरीन जैसे मुस्लिम देश शामिल थे। इस दौरान मौजूद नेताओं ने कहा कि इजरायल के खिलाफ एकजुट होना होगा। यही नहीं पाकिस्तान और तुर्की जैसे देशों ने तो इस्लामिक नाटो की स्थापना की भी बात की। हालांकि किसी चीज पर सहमति नहीं बनी है बल्कि एक निंदा प्रस्ताव ही पारित किया जा सका। आरोपों पर नई बहस आयोग के तीन सदस्यों (नवी पिल्लै, क्रिस सिडोटी और मिलून कोठारी) ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में इजरायल-विरोधी पूर्वाग्रह के आरोपों पर नई बहस छेड़ दी है। 2014 में अमेरिकी कांग्रेस के 100 से अधिक सदस्यों ने उनके नेतृत्व की निंदा करते हुए एक पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कहा गया कि परिषद इजरायल के प्रति पूर्वाग्रह का पैटर्न दर्शाता है और इसे मानवाधिकार संगठन के रूप में गंभीरता से नहीं लिया जा सकता। कोठारी 2022 में विवाद के केंद्र में थे, जब उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया 'काफी हद तक यहूदी लॉबी द्वारा नियंत्रित' है और इजरायल की संयुक्त राष्ट्र सदस्यता पर सवाल उठाया। उनके बयान की यहूदी-विरोधी बताकर निंदा की गई। पिल्लै ने इस प्रतिक्रिया को 'दिखावा' बताकर खारिज किया और यहूदी-विरोधी चिंताओं को 'झूठ' करार दिया। सिडोटी की भी यहूदी समूहों पर यहूदी-विरोधी आरोपों को 'शादी में चावल की तरह' उछालने के लिए आलोचना हुई। 2021 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा स्थापित इस आयोग को इजरायल और फिलिस्तीनी पक्षों द्वारा अंतरराष्ट्रीय कानून के कथित उल्लंघनों की जांच का कार्य सौंपा गया था। लेकिन इसके निष्कर्षों ने मुख्य रूप से इजरायल को निशाना बनाया, जिसके कारण यरुशलम, दुनिया भर के यहूदी संगठनों और कई पश्चिमी सरकारों ने इसकी निंदा की। यह आयोग अभूतपूर्व था, क्योंकि इसकी कोई निश्चित समाप्ति तिथि नहीं थी और यह परिषद की सर्वोच्च स्तर की जांच थी।

इजराइल-गाजा संघर्ष तेज़, नेतन्याहू ने जताया अमेरिका पर भरोसा, कतर ने उठाई सज़ा देने की मांग

यरूशलम: इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने  को कहा कि शीर्ष अमेरिकी राजनयिक मार्को रुबियो की इजराइल यात्रा ने सहयोगियों के बीच संबंधों की मजबूती को दिखाया है. यह बात कतर में हमास नेताओं पर हुए अभूतपूर्व इजराइली हमले की व्यापक आलोचना के कुछ दिनों बाद कही गई है. गाजा युद्ध विराम वार्ता में अमेरिकी सहयोगी और प्रमुख मध्यस्थ पर हुए हमले ने अरब और मुस्लिम नेताओं को दोहा में एकजुटता दिखाने के लिए इकट्ठा होने के लिए प्रेरित किया है. यहां कतर के प्रधानमंत्री ने दुनिया से "दोहरे मानदंडों" को त्यागने और इजराइल को जवाबदेह ठहराने का आग्रह किया. अमेरिकी नेता डोनाल्ड ट्रंप ने हमले के लिए इजराइल की कड़ी आलोचना की, और रुबियो ने वॉशिंगटन रवाना होने से पहले पत्रकारों के सामने स्वीकार किया कि राष्ट्रपति इससे "खुश नहीं" थे. साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि इस हमले से "इजराइलियों के साथ हमारे संबंधों की प्रकृति में कोई बदलाव नहीं आएगा." फिर भी, इस हमले ने गाजा में युद्ध विराम सुनिश्चित करने के प्रयासों पर नए सिरे से दबाव डाला है, और रुबियो ने स्वीकार किया कि संयुक्त राज्य अमेरिका और इजराइल को इसके प्रभाव के बारे में "बात करनी होगी." नेतन्याहू ने इस अभियान का बचाव किया है. इसमें हमास के अधिकारी एक नए अमेरिकी युद्ध विराम प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए एकत्रित हुए थे. साथ ही ये कहा कि समूह के नेताओं को मारने से गाजा युद्ध को समाप्त करने में "मुख्य बाधा" दूर हो जाएगी. एएफपी संवाददाता के अनुसार,  को रुबियो ने नेतन्याहू और इजराइल में अमेरिकी राजदूत माइक हुकाबी के साथ यरुशलम की पवित्र पश्चिमी दीवार पर प्रार्थना की. नेतन्याहू ने बाद में कहा कि इस यात्रा से पता चलता है कि इजराइली-अमेरिकी गठबंधन "पश्चिमी दीवार के उन पत्थरों जितना ही मजबूत और टिकाऊ है जिन्हें हमने अभी छुआ है." उन्होंने आगे कहा कि रुबियो और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में, "यह गठबंधन पहले कभी इतना मजबूत नहीं रहा." रुबियो की नेतन्याहू सहित अधिकारियों के साथ मुख्य बैठकें आज सोमवार को होंगी, उसके बाद मंगलवार को रवाना होंगे. उनकी यह यात्रा  कतर में अरब और मुस्लिम नेताओं के आपातकालीन शिखर सम्मेलन के साथ मेल खाती है, जिसके प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने  को एक तैयारी बैठक को संबोधित किया था. उन्होंने कहा, "समय आ गया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय दोहरे मापदंड अपनाना बंद करे और इज़राइल को उसके द्वारा किए गए सभी अपराधों के लिए दंडित करे." उन्होंने आगे कहा कि गाजा में इजराइल का "विनाश का युद्ध" सफल नहीं होगा. "इजराइल को जारी रखने के लिए जो चीज प्रोत्साहित कर रही है… वह है उसकी चुप्पी, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की उसे जवाबदेह ठहराने में असमर्थता." बढ़ती अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बावजूद, इजराइल ने हाल के दिनों में इस क्षेत्र के सबसे बड़े शहरी केंद्र, गाजा शहर पर कब्जा करने के प्रयास तेज कर दिए हैं. उसने निवासियों को शहर खाली करने के लिए कहा है और कई ऊंची इमारतों को उड़ा दिया है, जिनका इस्तेमाल हमास कर रहा है. अगस्त के अंत तक, संयुक्त राष्ट्र का अनुमान था कि शहर और उसके आसपास के इलाकों में लगभग 10 लाख लोग रह रहे थे, जहां उसने अकाल की घोषणा की है. इसके लिए इजराइली सहायता प्रतिबंधों को जिम्मेदार ठहराया है. एएफपी की तस्वीरों में वाहनों और पैदल लोगों का एक समूह नष्ट इमारतों के वीरान परिदृश्य से होते हुए गाजा शहर से दक्षिण की ओर भागता हुआ दिखाई दे रहा है. गाजा शहर की निवासी 20 वर्षीय सारा अबू रमदान ने कहा, "हम लगातार गोलाबारी और शक्तिशाली विस्फोटों के बीच लगातार आतंक में जी रहे हैं. इन रॉकेटों में इतनी बड़ी मारक क्षमता क्यों है? उनका लक्ष्य क्या है? हम यहां मर रहे हैं, हमारे पास शरण लेने के लिए कोई जगह नहीं है… और दुनिया बस देख रही है." गाजा की नागरिक सुरक्षा एजेंसी ने कहा कि  सुबह से इस क्षेत्र के आसपास इज़राइली हमलों में कम से कम 45 लोग मारे गए हैं. गाजा में मीडिया पर प्रतिबंध और कई इलाकों तक पहुंचने में कठिनाइयों के कारण, एएफपी नागरिक सुरक्षा एजेंसी या इजराइली सेना द्वारा उपलब्ध कराए गए विवरणों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर पा रहा है. कतर के पीएम की दुनिया से गुहार, इजराइल को दंडित करें, डबल स्टैंडर्ड छोड़ें कतर के प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से "दोहरे मानदंडों" को खारिज करने और इजराइल को जवाबदेह ठहराने का आग्रह किया. यह बात उन्होंने दोहा में हमास सदस्यों पर अभूतपूर्व इजराइली हमले के जवाब में बुलाई गई एक आपातकालीन शिखर बैठक की पूर्व संध्या पर कही. अमेरिका के एक सहयोगी द्वारा दूसरे देश की धरती पर किए गए इस घातक हमले ने आलोचनाओं की लहर पैदा कर दी. इसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की फटकार भी शामिल है, जिन्होंने समर्थन जताने के लिए विदेश मंत्री मार्को रुबियो को इजराइल भेजा. सोमवार को अरब और इस्लामी नेताओं की आपातकालीन बैठक खाड़ी देशों के बीच एकता का एक स्पष्ट प्रदर्शन होगी और इजराइल पर और दबाव बनाने की कोशिश करेगी, जो पहले से ही गाजा में युद्ध और मानवीय संकट को समाप्त करने के लिए बढ़ती मांगों का सामना कर रहा है. कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने रविवार को एक तैयारी बैठक में कहा, "समय आ गया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय दोहरे मापदंड अपनाना बंद करे और इजराइल को उसके द्वारा किए गए सभी अपराधों के लिए दंडित करे." उन्होंने आगे कहा कि गाजा में इजराइल का "विनाश का युद्ध" सफल नहीं होगा. "इजराइल को जारी रखने के लिए जो चीज प्रोत्साहित कर रही है… वह है उसकी चुप्पी, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की उसे जवाबदेह ठहराने में असमर्थता." सोमवार के शिखर सम्मेलन में ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन, इराकी प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन के शामिल होने की उम्मीद है. फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास रविवार को दोहा पहुंचे. यह देखना बाकी है कि सऊदी अरब के वास्तविक शासक, क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान इस बैठक में शामिल होंगे या नहीं, हालांकि उन्होंने इस हफ़्ते की शुरुआत में पड़ोसी देशों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए कतर का दौरा किया था. कतर के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माजिद अल-अंसारी के अनुसार, … Read more

भयंकर संकट में गाजा, यूएन ने किया अलर्ट, इजरायल की सुप्रीम कोर्ट भी हुई नाराज

गाजा  गाजा में इजरायली हमलों में अब तक 64 हजार लोगों की जान गई है। वहीं भुखमरी से मरने वालों को कोई आंकड़ा ही सामने नहीं आया है। अंतरराष्ट्रीय संगठन गाजा में अकाल को लेकर बेहद चिंतित हैं। यूएन की एजेंसी का भी कहना है कि अगर इजरायल चाहे तो गाजा अकाल से बच सकता है। ग्लोबल हंगर मॉनीटर के मुताबिक हजारों फिलिस्तीनी अब भी भुखमरी का शिकार हैं। वहीं गाजा सिटी में इजरायली हमला तेज होने के बाद यहां स्थिति काफी खराब हो गई है। इजरायल ने मार्च से मई तक 11 महीने के लिए गाजा में मानवीय सहायता पर भी रोक लगा दी थी। वहीं अब इजरायल का दावा है कि वह आम लोगों तक राशन पहुंचा रहा है। वहीं यूएन की एजेंसी के मुताबिक यह सहायता पर्याप्त नहीं है। यूएन ऐड के चीफ टॉम फ्लेचर ने कहा कि समय तेजी से गुजर रहा है। अगर गाजा को अकाल से बचाना है तो इसके लिए बहुत कम समय बचा है। इजरायल की रक्षा एजेंसी COGAT कहना है कि पिछले सप्ताह गाजा में 1900 ट्रंक भेजे गए हैं। धीरे-धीरे सप्लाई बढ़ाई जा रही है। एजेंसी ने कहा, यह सहायता केवल आम लोगों के लिए है ना कि हमास के लिए। इजरायल का कहना है कि गाजा सिटी की बहुमंजिला इमारतों पर हमास का कब्जा है इसलिए आम लोग इसे खाली कर दें। बीते दिनों इजरायल ने गाजा सिटी की कई हाई राइज को निशाना बनाया है। इन हमलों में कम से कम 14 लोग मारे गए। गाजा के लोगों का कहना है कि गाजा सिटी राफाह बन जाए, इससे पहले हमास को इजरायल के साथ बात करके युद्ध खत्म करना चाहिए। इजरायल में भी आम जनता गाजा के इस युद्ध का समर्थन नहीं करती है। शनिवार को भी हजारों लोगों ने युद्ध खत्म करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। माना जा रहा है कि गाजा में अब भी 48 इजरायली बंधक जिंदा हैं। इजरायली सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार को लताड़ा इजराइल के सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को कहा कि सरकार फलस्तीनी कैदियों को पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध नहीं करा रही। कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे कैदियों को पर्याप्त भोजन मुहैया कराएं। यह लगभग ढाई साल में ऐसा दुर्लभ मामला है, जिसमें उच्चतम न्यायालय ने सरकार के खिलाफ कोई फैसला सुनाया है। युद्ध शुरू होने के बाद से इजराइल ने गाजा में हमास से जुड़े होने के संदेह में हजारों लोगों को कैद किया है। हजारों लोगों को महीनों हिरासत में रखने के बाद छोड़ा भी गया है। अधिकार समूहों ने जेलों और हिरासत केंद्रों में कैदियों के साथ बड़े पैमाने पर दुर्व्यवहार होने की जानकारी दी है, जिनमें पर्याप्त मात्रा में भोजन व स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध न कराना और अस्वच्छता जैसी समस्याएं शामिल हैं। मार्च में इजराइली जेल में 17 वर्षीय फलस्तीनी लड़के की मौत हो गई थी, जिसके बाद चिकित्सकों ने कहा था कि मौत का मुख्य कारण भूख हो सकती है।

ट्रंप की योजना: गाजा के 20 लाख लोग हटेंगे, लौटने पर मिलेगा फ्लैट

गाजा  डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन और इजरायल ने मिलकर गाजा को लेकर प्लान तैयार किया है। इस प्लान की काफी चर्चा है और वॉशिंगटन पोस्ट ने ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों के पास मौजूद दस्तावेजों के हवाले से एक रिपोर्ट छापी है। इसके मुताबिक फिलिस्तीन के बड़े हिस्से गाजा से 20 लाख लोगों को अस्थायी तौर पर हटाया जाएगा। इन लोगों को मिस्र, कतर जैसे देशों में रखा जाएगा या फिर फिलिस्तीन के ही किसी एक क्षेत्र में रखा जाएगा। इन लोगों को तब तक गाजा से बाहर रहना होगा, जब तक इलाके का पुनर्विकास नहीं हो जाता। इस दौरान गाजा छोड़ने वाले फिलिस्तीनियों को डिजिटल टोकन दिए जाएंगे। इसके अलावा कैश पेमेंट किया जाएगा। गाजा से अस्थायी तौर पर हटाए लोग जहां रहेंगे, वहां खानपान की व्यवस्था होगी। इसके अलावा रेंट सब्सिडी भी दी जाएगी। गाजा के लोगों को हटाने के प्लान को वॉलेंट्री डिपार्टर कहा जा रहा है, जिसके तहत वे दूसरे देश में जाएंगे या फिर तय स्थान पर उन्हें रखा जाएगा। गाजा के लोगों को कुल 4 साल तक बाहर रखने के प्लान पर काम चल रहा है। इसके तहत उन्हें 4 साल की रेंट सब्सिडी मिलेगी और एक साल तक खाने की व्यवस्था की जाएगी। अमेरिका और इजरायल के रणनीतिकारों ने इस प्लान का नाम भी बेहद दिलचस्प रखा है– GREAT। यहां ग्रेट से अर्थ है, Gaza Reconstitution, Economic Acceleration, and Transformation। अमेरिकी प्लान के मुताबिक गाजा को टूरिस्ट डेस्टिनेशन में तब्दील करने का प्लान है। यहां Gaza Trump Riviera विकसित किया जाएगा। इसके अलावा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस स्मार्ट सिटी बनाए जाएंगे। स्कूल, अस्पताल, इंडस्ट्री, ग्रीन स्पेस जैसी व्यवस्था रहेगी। यहां बड़े पैमाने पर अपार्टमेंट्स बनाने की तैयारी है, जिनके फ्लैट गाजा के उन लोगों को दिए जाएंगे, जिन्हें बाहर भेजा जाएगा। वे अपनी जमीन के बदले मिले डिजिटल टोकन का इस्तेमाल करते हुए फ्लैट हासिल कर सकेंगे। अब तक इस मामले पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से कोई स्पष्ट बात नहीं कही गई है। अखबार ने लिखा है कि गाजा को लेकर बने इस प्लान में अमेरिकी फंड की जरूरत नहीं होगी बल्कि इससे लाभ ही होगा। इस प्रोजेक्ट के तहत दुनिया भर से निवेश को आमंत्रित किया जाएगा। यहां इलेक्ट्रिक वीकल प्लांट्स से लेकर डेटा सेंटर्स तक तैयार किए जाएंगे। इसके अलावा हाईराइज इमारतों की भरमार होगी। इस प्रोजेक्ट में कुल 100 अरब डॉलर के शुरुआती निवेश की तैयारी है। इसके बाद यह प्रोजेक्ट खुद ही फंड जनरेट करेगा।

हमास को इजराइल की धमकी: गाजा को खंडहर बना देंगे, हमले में 17 फिलीस्तीनियों की जान गई

इजराइल  इजराइल के रक्षा मंत्री ने गाजा सिटी में हमले का दायरा बढ़ाने की तैयारी के बीच शुक्रवार को चेतावनी दी कि अगर हमास उसकी शर्तों को स्वीकार नहीं करता है तो इस शहर को तबाह किया जा सकता है। यह चेतावनी ऐसे समय आई है जब एक दिन पहले इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सेना को गाजा सिटी पर कब्जा करने की अनुमति देने का एलान किया। रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने चेतावनी दी कि गाजा पट्टी का सबसे बड़ा शहर ‘‘रफाह और बैत हानून'' इलाकों की तरह मलबे में तब्दील हो सकता है, जिन्हें युद्ध के शुरुआती चरण में तबाह कर दिया गया था। उन्होंने ‘एक्स' पर कहा, ‘‘गाजा में हमास के हत्यारे और बलात्कारी अगर युद्ध को समाप्त करने के लिए इजराइल की शर्तों को स्वीकार नहीं करते हैं, तो उनके लिए जल्द ही नरक के दरवाजे खुलने वाले हैं।'' काट्ज ने इजराइल की युद्ध-विराम शर्तों को दोहराया, जिसमें सभी बंधकों की रिहाई और हमास का पूरी तरह निरस्त्रीकरण शामिल है। वहीं, हमास का कहना है कि वह युद्ध खत्म करने के बदले बंधकों को रिहा कर सकता है, लेकिन फलस्तीनी राष्ट्र की स्थापना के बिना निरस्त्रीकरण को स्वीकार नहीं करेगा। गाजा सिटी में व्यापक पैमाने पर सैन्य अभियान कुछ ही दिनों में शुरू हो सकता है। गाजा सिटी हमास की गतिविधियों का गढ़ है और इजराइल का मानना ​​है कि शहर में हमास का सुरंगों का विशाल नेटवर्क है। गाजा सिटी में लाखों नागरिक भी शरण लिए हुए हैं और वहां अब भी गाजा पट्टी के कुछ महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे एवं स्वास्थ्य सुविधाएं मौजूद हैं। हमास ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि वह अरब मध्यस्थों के युद्ध-विराम प्रस्ताव पर सहमत हो गया है, जिसे अगर इजराइल स्वीकार कर लेता है, तो हमलों को रोका जा सकता है। दोनों पक्ष सीधे तौर पर बातचीत नहीं कर रहे हैं और अतीत में भी ऐसी घोषणाएं की गई हैं, जिनसे युद्ध-विराम नहीं हो सका। कई इजराइलियों को डर है कि अगर हमला हुआ, तो हमास समर्थित आतंकवादियों के सात अक्तूबर 2023 के हमले के बाद अब भी जीवित बचे लगभग 20 बंधकों की जान खतरे में पड़ सकती है। सहायता समूहों और अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने चेतावनी दी है कि इससे गाजा पट्टी का मानवीय संकट और भी बदतर हो जाएगा। वहीं, नेतन्याहू का कहना है कि सैन्य अभियान ही बंधकों को छुड़ाने और हमास को कुचलने का सबसे ठोस उपाय है।  उन्होंने बृहस्पतिवार को दक्षिणी इजराइल में एक कमांड सेंटर के दौरे के दौरान कहा, ‘‘ये दोनों चीजें-हमास को हराना और हमारे सभी बंधकों को मुक्त कराना, साथ-साथ चलेंगी।'' गाजा शहर में स्थित शिफा अस्पताल ने बताया कि इजराइल द्वारा शुक्रवार को किए गए व्यापक हमले में कम से कम 17 फिलीस्तीनियों की मौत हो गयी। इजराइल ने शेख रादवान स्थित एक स्कूल पर हवाई हमला किया। शेख रादवान गाजा शहर का एक ऐसा इलाका है, जहां दर्जनों फलस्तीनी स्कूल के प्रांगण में अस्थायी तंबुओं में शरण लिए हुए हैं। एक प्रत्यक्षदर्शी और अस्पताल के रिकॉर्ड के अनुसार, इस हमले में कम से कम सात लोग मारे गए। इजराइली सेना ने कहा कि उन्हें इस क्षेत्र में किसी हमले की जानकारी नहीं थी।