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17% मुस्लिम आबादी, फिर भी NDA के सिर्फ 4 मुस्लिम उम्मीदवार — क्या है रणनीति?

पटना  एनडीए के सभी घटक दलों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. इस मामले में महागठबंधन पिछड़ गया. एनडीए में जेडीयू को छोड़ किसी भी घटक दल ने मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारे हैं. जेडीयू ने 17 प्रतिशत आबादी वाले मुस्लिम समाज से सिर्फ 4 कैंडिडेट देकर एनडीए की लाज बचा ली है. बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए के सभी घटक दलों ने अपने हिस्से की सीटों पर उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं. जेडीयू ने बुधवार को 57 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी और गुरुवार को दूसरी सूची जारी कर बचे उम्मीदवारों के नाम भी घोषित कर दिए. एनडीए की दूसरी सहयोगी भाजपा ने भी अपने 101 उम्मीदवारों के नाम 3 किस्तों में जारी कर दिए हैं. एनडीए की तीसरी पार्टी हम (HAM) ने भी हिस्से में मिली 6 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम तय कर दिए हैं. चौथी सहयोगी चिराग पासवान की लोजपा-आर ने भी 14 उम्मीदवारों की एक सूची जारी की है. उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम ने भी नाम तय कर दिए हैं. चिराग पासवान को बंटवारे में 29 सीटें मिली हैं. एनडीए की कैंडिडेट लिस्ट में जेडीयू को छोड़ किसी ने मुस्लिम कैंडिडेटट नहीं दिए. जेडीयू ने सिर्फ 4 मुसलमानों को इस बार मौका दिया है. जेडीयू ने 2020 में 11 मुस्लिम कैंडिडेट दिए थे. उम्मीदवारों के चयन में जातीय समीकरण यह बात किसी से छिपी नहीं है कि बिहार की सियासत में जातीय समीकरण की कितनी अहमियत होती है. इसी अहमियत को ध्यान में रख कर लालू यादव के नेतृत्व वाले आरजेडी ने वर्षों पहले मुस्लिम-यादव समीकरण बनाया था. नीतीश कुमार ने जब से लालू का साथ छोड़ा, तब से लेकर अब तक सभी जातियों को समान रूप से साधने का प्रयास किया है. यही वजह है 5 प्रतिशत से भी कम आबादी वाली कुर्मी जाति से आने वाले नीतीश ने अपना बड़ा जनाधार तैयार कर लिया है. हर बार की तरह इस बार भी उन्होंने उम्मीदवारों के चयन में यह सावधानी बरती है. जेडीयू की लिस्ट में 4 मुस्लिम कैंडिडेट जेडीयू की सूची में एक बात खटकती है. इस बार सिर्फ 4 मुस्लिम कैंडिडेट सूची में हैं. जेडीयू ने अक्टूबर 2005 के चुनाव में 9 मुस्लिम कैंडिडेट दिए थे. 2010 में भी यह सिलसिला बरकरार रहा. तब 17 मुससलमानों को विधानसभा का टिकट जेडीयू से मिला था. 2015 में जेडीयू को इस बार की तरह ही 101 सीटें मिली थीं. फिर भी नीतीश ने 7 मुसलमानों को उम्मीदवार बनाया था. तब नीतीश आरजेडी के साथ चुनाव लड़े थे. बाद में वे भाजपा में लौट गए. नतीजा यह हुआ कि 2020 में जब उन्होंने 11 मुसलमानों को टिकट दिया तो उनकी जमात ने स्वजातीय या स्वधर्मी उम्मीदवारों का साथ नहीं दिया. जेडीयू के सारे मुस्लिम कैंडिडेट हार गए. 2015 तक मुसलमानों का मिला साथ मुस्लिम-यादव के मजूबत समीकरण की वजह से आरजेडी के प्रति मुसलमानों का आकर्षण भले कभी अधिक रहा हो, लेकिन नीतीश कुमार के उदय के बाद और उनके द्वारा किए गए काम से खुश होकर मुसलमानों का बड़ा तबका जेडीयू के साथ आ गया था. मुसलमानों में पिछड़े तबके की पहचान कर नीतीश ने उनके विकास के लिए काम किए तो उनका झुकाव उनके प्रति स्वाभाविक था. आम मुसलमानों के हित में भी नीतीश ने कई उल्लेखनीय काम कर उनके दिलों में अपनी जगह बना ली थी. नीतीश ने भी मुसलमानों को सम्मान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इसके बावजूद 2020 के चुनाव में मुसलमानों ने उनका साथ नहीं दिया. जेडीयू ने 11 मुस्लिम कैंडिडेट उतारे थे, लेकिन एक भी नहीं जीत पाया. बसपा के जमा खान अगर नीतीश के साथ नहीं आते तो विधानसभा में जेडीयू का कोई मुस्लिम विधायक ही नहीं होता. इसके संकेत पहले से ही मिलने लगे थे जेडीयू पर मुसलमानों का भरोसा नहीं रहा, यह संकेत तो स्पष्ट तौर पर 2020 में ही मिल गया था, जब उसके सारे मुस्लिम कैंडिडेट हार गए. 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद सांसद देवेश चंद्र ठाकुर और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने खुल कर कहना शुरू किया कि जेडीयू को मुसलमानों के वोट नहीं मिलते. यह अलग बात है कि नीतीश कुमार ने मुसलमानों के लिए सर्वाधिक और उल्लेखनीय काम किए हैं. मुसलमानों में नीतीश के प्रति नाराजगी की वजह शायद भाजपा की संगत रही है. भाजपा के साथ तो वे सर्वाधिक समय तक सरकार चलाते रहे हैं, लेकिन कई मौकों पर उन्होंने भाजपा की खुल कर मुखालफत भी की है. सांसद चुने जाने के बाद देवेश चंद्र ठाकुर ने गुस्से में यहां तक कह दिया कि उन्हें मुसलमानों ने वोट नहीं दिया, इसलिए वे उनका काम नहीं करेंगे. वक्फ कानून पर भाजपा के साथ जेडीयू का खड़ा होना भी मुसललमानों को नागवार लगा था. इसकी झलक उस दिन मिली, जब नीतीश ने रमजान के महीने में इफ्तार की पार्टी दी. मुस्लिम जमात के लोगों ने उसका बायकाट किया था. जेडीयू ने इस बार सिर्फ 4 मुसलमानों को ही मौका दिया है तो इसकी यही वजह समझ में आती है.  

नीतीश से उपेंद्र तक, सबको साधने की रणनीति, पटना में अमित शाह संभालेंगे कमान

नई दिल्ली बिहार विधानसभा चुनाव में दो गठबंधन आमने-सामने हैं और दोनों की ही अपनी समस्याएं हैं। एनडीए ने सीट बंटवारा तो कर लिया है, लेकिन उससे उपजी नाराजगी को थामने की चुनौती है। वहीं महागठबंधन में अब तक सीट बंटवारा ही अंतिम रूप नहीं ले सका और फिर कैंडिडेट्स को लेकर खींचतान तो बाकी ही है। इस बीच एनडीए क्राइसिस मैनेजमेंट में भी बढ़त लेने की कोशिश में है। होम मिनिस्टर अमित शाह खुद बिहार पर फोकस बढ़ा रहे हैं और अगले कुछ दिनों तक वह पटना में ही कैंप करेंगे। अलग-अलग दिनों में वह विधानसभा चुनाव होने तक पटना में समय देंगे। इसके तहत उनका पहला दौरा गुरुवार से ही शुरू हो रहा है। वह 16 से 18 अक्तूबर तक पटना में कैंप करेंगे। इस दौरान वह जेडीयू, जीतन राम मांझी, चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा के खेमे से डील करेंगे। दरअसल चर्चाएं हैं कि गठबंधन के साथियों में कुछ मतभेद हैं। नीतीश कुमार की नाराजगी की चर्चाएं हैं तो वहीं उपेंद्र कुशवाहा तो शेरो शायरी से बहुत कुछ कह ही रहे हैं। ऐसे में अमित शाह का पटना में कैंप करना मायने रखता है। वह अपने प्रवास के दौरान संगठन की बैठकों में रहेंगे। सहयोगी दलों के नेताओं से मिलेंगे और कुछ रैलियों को भी संबोधित करेंगे। कुछ प्रत्याशियों के नामांकन में भी रहेंगे होम मिनिस्टर अमित शाह अमित शाह का शेड्यूल अब तक फाइनल नहीं है, लेकिन खबर है कि कुछ प्रत्याशियों के नामांकन में भी वह शामिल हो सकते हैं। इसके बाद वह दीवाली ब्रेक पर लौटेंगे और 22 अक्तूबर से अगले 4 दिनों के लिए फिर से पटना में कैंप करेंगे। 25 अक्तूबर को उनका फिर से दिल्ली लौटने का प्लान है और उसके बाद 28 को छठ महापर्व के समापन के बाद बिहार वापसी करेंगे। भाजपा के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, सह-प्रभारी सीआर पाटिल और यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी बिहार में ही रहेंगे। चर्चाएं हैं कि अमित शाह खुद हर चीज की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। प्रचार की कमान वह खुद अपने हाथ में ले चुके हैं और दूसरे राज्यों के नेताओं को भी जिम्मेदारी मिली है। कई राज्यों के सीएम और डिप्टी सीएम उतारेगी भाजपा भाजपा की प्रचार शैली अन्य दलों के मुकाबले काफी आक्रामक रहती है। इसी के तहत कई राज्यों के मुख्यमंत्री, डिप्टी सीएम, मंत्री समेत तमाम नेता बिहार पहुंचेंगे। फिलहाल पार्टी का पूरा फोकस इस बात पर है कि गठबंधन में एक राय रहे और सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे। जनता के बीच किसी भी तरह से ऐसा संदेश ना जाए कि गठबंधन में ऑल इज वेल नहीं है।

नीतीश का सीधा वार चिराग पर, JDU की पहली लिस्ट में उठा सियासी खेल; NDA में खलबली?

पटना बिहार की राजनीति में आज नई हलचल देखी गई जब नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) ने विधानसभा चुनाव 2025 के लिए पहली 57 उम्मीदवारों की सूची जारी की। इस सूची ने चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के कुछ प्रमुख दावों पर सीधे चुनौती दी, जिससे गठबंधन के भीतर तनाव और नाराजगी की स्थिति बन सकती है। चिराग पासवान के लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के पांच प्रमुख दावों वाली सीटों – मोरवा, सोनबरसा, राजगीर, गायघाट और मटिहानी पर जेडीयू ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं। ऐसा बताया जा रहा था कि ये सीटें पहले चिराग की झोली में जाने वाली थीं। एनडीए में बढ़ेगा तनाव? पिछले चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि मोरवा और गायघाट पर 2020 में आरजेडी का दबदबा था, राजगीर और सोनबरसा पर जेडीयू जीता था, जबकि मटिहानी पिछली बार लोक जनशक्ति पार्टी ने जीती थी, लेकिन विजयी राजकुमार सिंह बाद में जेडीयू में शामिल हो गए थे। इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के चलते इन सीटों पर सियासी निगाहें खास हैं और उम्मीदवारों की हर चाल का चुनावी मायने बढ़ गया है। इन सीटों पर जेडीयू का उम्मीदवार उतारना गठबंधन में संतुलन बदल सकता है और चिराग समर्थक ताकतों के साथ टकराव के अवसर बढ़ा सकता है जिससे एनडीए की मौजूदा स्थिति जटिल हो सकती है। जेडीयू की लिस्ट में 3 बाहुबली भी शामिल जेडीयू के उम्मीदवारों की सूची में तीन बाहुबली और कई अनुभवी नेता शामिल हैं। विशेष रूप से, मौजूदा सरकार के पांच कैबिनेट मंत्री अपने-अपने क्षेत्रों से फिर मैदान में उतारे गए हैं। इसमें ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार (नालंदा), जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी (सरायरंजन), सूचना व जनसंपर्क मंत्री महेश्वर हजारी (कल्याणपुर), समाज कल्याण मंत्री मदन साहनी (बहादुरपुर) और मद्य निषेध मंत्री रत्नेश सदा (सोनबरसा) शामिल हैं। जेडीयू ने 30 नए चेहरों को उतारा गौरतलब है कि जेडीयू की पहली सूची में 30 नए चेहरे और 27 पुराने प्रत्याशी शामिल हैं। चार महिला उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा गया है, जिनमें मधेपुरा से कविता साहा, गायघाट से कोमल सिंह, समस्तीपुर से अश्वमेध देवी और विभूतिपुर से रवीना कुशवाहा का नाम शामिल है।  

पीएम मोदी का ऐलान: महिला रोजगार योजना के तहत 75 लाख महिलाओं को मिलेगा ₹10 हजार

पटना  बिहार में महिला सशक्तिकरण के लिए एनडीए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की शुरुआत आज से हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 सितंबर को सुबह 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस योजना का शुभारंभ किया.  इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा समेत कई मंत्री भी शामिल हुए.  योजना का मकसद महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और स्वरोजगार के जरिए सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है. महिलाओं को मिलेगा 10 हजार रुपए इस योजना के तहत, बिहार के हर परिवार की एक महिला को अपनी पसंद के रोजगार के लिए ₹10,000 की पहली किस्त दी जाएगी. काम शुरू करने के 6 महीने बाद, मूल्यांकन के आधार पर, उन्हें अधिकतम ₹2 लाख तक की अतिरिक्त सहायता भी मिल सकती है. यह एक समुदाय-आधारित योजना है, जिसमें स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को वित्तीय मदद के साथ-साथ कार्य प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. ग्रामीण हाट-बाजारों का विकास इस योजना में उत्पादन के बाद उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए राज्य में ग्रामीण हाट-बाजारों को और विकसित करने की योजना भी शामिल है. यह कदम महिलाओं को उनके उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने में मदद करेगा और उनकी आजीविका को बढ़ावा देगा. कौन उठा सकेगा योजना का लाभ? योजना का फायदा उठाने के लिए महिला को बिहार का स्थायी निवासी होना जरूरी है. आवेदक की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 10+2, इंटरमीडिएट, आईटीआई, पॉलिटेक्निक डिप्लोमा या समकक्ष होनी चाहिए. आवेदक की उम्र 18 से 60 साल के बीच होनी चाहिए. यह योजना सभी धर्मों और जातियों के लिए है और इसमें ट्रांसजेंडर व्यक्ति भी शामिल हैं. आवेदक के परिवार में कोई भी सदस्य सरकारी नौकरी में नहीं होना चाहिए और न ही आयकर दाता हो.  

महिलाओं के लिए नई उम्मीद: नीतीश की रोजगार स्कीम लॉन्च, तेजस्वी ने किया अलग योजना का ऐलान

पटना  बिहार में तेजस्वी यादव और कांग्रेस के ‘माई बहिन मान योजना’ वादे के बाद से जिस तरह की संभावना जताई जा रही थी, उसी अनुरूप सीएम नीतीश कुमार ने महिलाओं को ध्यान में रखते हुए ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ शुरू करने की घोषणा कर दी है। शुक्रवार को कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी और सितंबर से योजना चालू हो जाएगी। महिलाओं की मदद के लिए सरकार इस स्कीम के तहत परिवार की एक औरत को 10 हजार रुपये देगी, जिससे वो अपनी पसंद का रोजगार शुरू कर सके। छह महीने बाद उस महिला के रोजगार का आकलन करके जरूरत हुई तो सरकार 2 लाख रुपये तक की अतिरिक्त सहायता भी करेगी। ‘माई बहिन मान योजना’ में सरकार बनने पर महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये नकद देने का वादा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए बताया कि महिलाओं के हित में एक महत्वपूर्ण और अभूतपूर्व निर्णय लिया गया है, जिसके सकारात्मक दूरगामी परिणाम होंगे। उन्होंने कहा कि ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ का मुख्य लक्ष्य राज्य के सभी परिवारों की एक महिला को उनकी पसंद का रोजगार शुरू करने के लिए आर्थिक सहायता देना है। इस योजना के तहत आवेदक महिला को पहली किस्त के तौर पर 10 हजार रुपये मिलेंगे, जिस राशि से उसे स्व-रोजगार शुरू करना है। सरकार ने ग्रामीण विकास विभाग को इसका नोडल विभाग बनाया है जबकि निगर विकास और आवास विभाग को जरूरत के हिसाब सहयोग देना है। नीतीश कुमार ने घोषणा की है कि अगले महीने यानी सितम्बर 2025 से ही महिलाओं के खाते में फंड ट्रांसफर शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि महिलाओं द्वारा रोजगार शुरू करने के 6 माह के बाद आकलन करते हुए 2 लाख रुपए तक की अतिरिक्त सहायता आवश्यकतानुसार दी जा सकेगी। इसके साथ ही सरकार गांव से शहर तक महिलाओं के उत्पादों की बिक्री के लिए हाट बाजार विकसित करेगी। नीतीश ने उम्मीद जताई है कि इस योजना से न सिर्फ महिलाओं की स्थिति मजबूत होगी बल्कि राज्य के अंदर ही रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे और मजबूरी में काम के लिए राज्य से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। नीतीश कुमार और उनकी सरकार ने इससे पहले तेजस्वी यादव के ज्यादातर चुनावी वादों पर कुछ ना कुछ ऐक्शन ले रखा है। तेजस्वी ने 200 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा किया है तो नीतीश ने 1 अगस्त से 125 यूनिट फ्री बिजली देना शुरू कर दिया है। सरकारी नौकरी पर दोनों के बीच श्रेय की लड़ाई चल ही रही थी कि जुलाई में नीतीश कैबिनेट ने अगले पांच साल में एक करोड़ नौकरी और रोजगार देने का संकल्प पास कर दिया। नीतीश सरकार ने जून में वृद्धा, विधवा एवं दिव्यांग पेंशन 400 रुपये से बढ़ाकर 1100 रुपये कर दिया। तेजस्वी ने सरकार बनने पर 1500 करने का वादा किया है। तेजस्वी ने सरकारी नौकरियों में 100 फीसदी डोमिसाइल नीति का वादा किया है तो नीतीश कैबिनेट ने 5 अगस्त को शिक्षक बहाली में 84.4 फीसदी पद बिहार के निवासियों के लिए आरक्षित कर दिया। 60 परसेंट जातीय आरक्षण के ऊपर नीतीश ने इससे पहले ही अनारक्षित 40 फीसदी पदों के अंदर 35 फीसदी पद बिहार की महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिया था, जिससे प्रभावी डोमिसाइल 74 फीसदी तक पहुंच गया था। अनारक्षित कोटे में बची 65 फीसदी सीटों पर अगस्त में 40 फीसदी पद बिहार से मैट्रिक या इंटर करने वालों के लिए रिजर्व कर दिया गया था, बोर्ड चाहे कोई भी हो।

लंबे इंतजार के बाद समस्तीपुर में अनुकंपा नियुक्तियां, लोगों के चेहरे पर मुस्कान

समस्तीपुर  बिहार के समस्तीपुर जिले के कर्पूरी सभागार में शिक्षा विभाग द्वारा एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें अनुकंपा के आधार पर माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में लिपिक और परिचारी के पदों पर चयनित 134 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए गए। इस मौके पर ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री श्रवण कुमार, समस्तीपुर सांसद शांभवी चौधरी, विधान पार्षद डॉ. तरुण कुमार चौधरी और समस्तीपुर विधानसभा के राजद विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन मौजूद थे। वर्षों से अटके मामलों का हुआ निपटारा ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि वर्षों से कागजात की कमी के कारण अनुकंपा आश्रितों को नियुक्ति पत्र नहीं मिल पाए थे। सभी दस्तावेज पूरे होने के बाद अब इन अभ्यर्थियों को उनका अधिकार सौंपा गया है। नियुक्ति पत्र मिलने के बाद चयनित अभ्यर्थियों के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। नालंदा की घटना पर मंत्री का बयान नालंदा जिले के पामा गांव में हुए हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि वे वहां एक जीविका दीदी के परिवार से मिलने गए थे, जिनकी दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। गांव में नौ लोगों की मौत हुई थी और वे परिवार को सांत्वना देने गए थे। उन्होंने बताया कि कुछ युवाओं ने आपत्तिजनक बातें कहीं, जिसके बाद वे वहां से निकल गए। आगे क्या हुआ, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। विपक्ष पर साधा निशाना मंत्री ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि आज विपक्ष के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है। अगर होता, तो वह जनता के सामने रखते। उन्होंने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था है और उस पर सवाल उठाना नियम संगत नहीं है। विपक्ष केवल बिना आधार के आरोप लगाकर राजनीति कर रहा है। कार्यक्रम में दिखी उत्साह की झलक नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में चयनित अभ्यर्थियों के साथ उनके परिजन भी मौजूद थे। सभी ने सरकार के इस कदम की सराहना की। कार्यक्रम में उपस्थित नेताओं ने आश्रितों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं और शिक्षा विभाग में बेहतर योगदान की उम्मीद जताई।

खरीफ की फसल हो गई बर्बाद? चिंता न करें किसान, बस कर दें ये काम

खरीफ की फसल हो गई खराब! राज्य फसल सहायता योजना का उठाएं लाभ  खरीफ की फसल हो गई बर्बाद? चिंता न करें किसान, बस कर दें ये काम  खरीफ 2025: खरीफ की फसल हो गई खराब? जल्‍द कीजिए आवेदन   खरीफ किसानों को दी बड़ी राहत! 10000 रुपये तक सीधे देगी सरकार  नगर पंचायत से गांव तक, खरीफ किसानों को मिला सरकार का सुरक्षा कवच पटना  बिहार के किसानों को मौसम की मार से घबराने की जरूरत नहीं है। खरीफ की फसल बोने वाले किसानों की इस समस्‍या का बिहार सरकार ने समाधान कर दिया है। किसानों के लिए सुरक्षा कवच तैयार कर दिया है। बिहार सरकार ने खरीफ 2025 के लिए किसानों को बड़ी राहत दी है।  सीधे मिलेगी आर्थिक मदद, सरकार ने मांगे आवेदन जिन किसानों की फसल मौसम की मार से खराब हो गई है। उनके लिए सरकार फसल सहायता योजना लेकर आई है। सहकारिता विभाग की ओर से बिहार ‘राज्य फसल सहायता योजना’ के तहत इसके लिए ऑनलाइन आवेदन  मांगे गए हैं। किसान 31 अक्टूबर, 2025 तक निशुल्क आवेदन कर सकते हैं। इस योजना के तहत किसानों को फसल नुकसान होने पर सीधे मदद देगी। ये किया गया है प्रावधान जिन किसानों की खरीफ फसल 20 फीसद तक खराब हो गई है, सरकार ने ऐसे किसानों को 7500 रुपये प्रति हेक्‍टेयर क्षतिपूर्ति के रूप में देगी। 20 फीसद से अधिक के नुकसान पर सरकार ने 10000 रुपये प्रति हेक्‍टेयर देने का ऐलान किया है। यह सहायता अधिकतम 2 हेक्टेयर तक ही दी जाएगी। नगर पंचायत और नगर परिषद क्षेत्रों के किसान भी इस योजना के लिए पात्र होंगे। साथ ही, रैयत, गैर-रैयत और आंशिक रूप से रैयत-गैर रैयत किसान भी आवेदन कर सकेंगे। मंत्री ने क्या कहा? सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने बताया कि यह योजना पूरी तरह निशुल्क है। इसमें किसानों से किसी प्रकार का कोई शुल्‍क या प्रीमियम नहीं लिया जाता। उनका कहा, प्राकृतिक आपदाओं से किसानों की फसल को क्षति होने पर सरकार सीधे उनके खाते में वित्तीय सहारा देती है। योजना को और पारदर्शी और सरल बनाने की दिशा में लगातार काम चल रहा है। आवेदन कैसे करें? कृषि विभाग के डीबीटी पोर्टल पर पंजीकृत किसान सीधे आवेदन कर सकते हैं। पीएम किसान सम्मान निधि योजना से जुड़े रैयत किसान केवल रैयत या आंशिक रैयत-गैर रैयत श्रेणी में आवेदन कर पाएंगे। आवेदन करते समय किसानों को फसल व बुआई क्षेत्र की जानकारी देनी होगी। सीधे बैंक खाते में जाएगी राशि बताते चलें कि कटाई के बाद प्रयोग आधारित उपज दर के आधार पर योग्य पंचायतों का चयन किया जाएगा। इसके बाद चुने गए किसानों को आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने होंगे। सत्यापन के बाद राशि सीधे आधार-लिंक्ड बैंक खाते में भेज दी जाएगी। झूठी या गलत जानकारी देने वाले किसानों के आवेदन रद्द कर दिए जाएंगे। इस योजना से जुड़ी विस्तृत जानकारी सहकारिता विभाग की वेबसाइट से भी ली जा सकती है।

पटना और गया से सीधे काठमांडू, सिंगापुर, बैंकॉक… बिहार सरकार का बड़ा ऐलान

बड़ी खबर : बिहार से दुनिया तक सीधी उड़ान का नया दौर शुरू, पूरब, पश्चिम, उत्‍तर और दक्षिण दुनिया से जुड़ेगा बिहार!  बिहार से दुनिया तक सीधी उड़ान! 5 इंटरनेशनल रूट्स पर जल्द उड़ान भरेंगी विमान सेवाएं पटना और गया से सीधे काठमांडू, सिंगापुर, बैंकॉक… बिहार सरकार का बड़ा ऐलान   बिहार में हवाई क्रांति! पहली बार इंटरनेशनल फ्लाइट्स को मिलेगा VGF सपोर्ट  अब बिहार से सीधे विदेश! पर्यटन और व्यापार को मिलेगा नया आयाम  गया–शारजाह और पटना–काठमांडू सहित 5 रूट्स पर उड़ान भरेंगी इंटरनेशनल फ्लाइट्स   पूरब, पश्चिम, उत्‍तर और दक्षिण दुनिया से जुड़ेगा बिहार! पटना राज्‍य सरकार की ओर बिहार को अंतरराष्‍ट्रीय हवाई कनेक्टिविटी को मजबूत करने का बड़ा प्रयास किया जा रहा है। इसके तहत वीजीएफ राशि की घोषणा की गई है। यह VGF इसलिए दी जा रही है ताकि बिहार से उड़ान भरने वाली इंटरनेशनल फ्लाइट को प्रोत्‍सा‍हन दिया जा सके। अपर मुख्‍य सचिव मंत्रिमंडल सचिवालय, एस सिद्धार्थ ने बताया कि हमारी कोशिश बिहार को चारों दिशाओं में इंटरनेशनल कनेक्टिविटी से जोड़ने की है।  सभी एयर लाइंस कंपनियों को भेजा पत्र एस. सिद्धार्थ ने आज कैबिनेट की ब्रीफिंग के दौरान इस बात की जानकारी दी कि इंटरनेशलन एयरलाइंस सेवा शुरू करने के लिए सरकार की ओर से कदम उठा दिया गया है। सरकार की ओर से देश के सभी इयरलाइंस कंपनियों के बिड आमंत्रित करने के लिए पत्र भेज दिया गया है। उन्‍होंने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया निविदा के माध्‍यम से पूरी की जाएगी।  चारों दिशाओं के देश से जुड़ेगा बिहार  उन्‍होंने इस बात पर उत्‍साह जताया कि बिहार सरकार चारों दिशाओं लिए नये अंतर्राष्ट्रीय मार्गों पर हवाई कनेक्टिविटी बढ़ाने की नीति’ को मंजूरी दे दी है। इसके जरिये बिहार उत्‍तर में नेपाल, दक्षिण में कोलंबो, पूर्व सिंगापुर और पश्चिम शारजाह से सीधे कनेक्‍ट हो जाएगा।  छोटा प्‍लेन नहीं ले जा सकते : एस सिद्धार्थ इस नीति के तहत एयरलाइंस कंपनियों को व्यवहार्यता अंतर निधि (VGF) से वित्तीय सहायता दी जाएगी ताकि वे नई अंतर्राष्‍ट्रीय उड़ानें शुरू कर सकें। अपरमुख्‍य सचिव मंत्रिमंडल सचिवालय ने जानकारी दी कि अंतरराष्‍ट्रीय उड़ानों के लिए वीजीएफ उन हवाई जहाजों के लिए होगी जिनकी सिटिग कैपेसिटी (यात्रियों के बैठने की क्षमता) कम से कम 150 होगी। उन्‍होंने कहा कि वीजीएफ के जरिए सहायता छोटे प्‍लेन के नहीं है।    एस सिद्धार्थ का कहना है कि जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, पटना और गया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की भौगोलिक स्थिति बिहार को अंतरराष्ट्रीय ट्रैवल और ट्रेड का बड़ा केंद्र बना सकती है। अब हमें इंतजार है कि एयरलाइंस कंपनियां इन आकर्षक रूट्स पर कब से उड़ान भरना शुरू करती हैं। किन रूट पर कितनी मिलेगी वीजीएफ की फंडिंग पटना–काठमांडू : 5 लाख रुपये प्रति राउंड ट्रिप गया–शारजाह : 10 लाख रुपये प्रति राउंड ट्रिप गया–बैंकॉक : 10 लाख रुपये प्रति राउंड ट्रिप गया–कोलंबो : 10 लाख रुपये प्रति राउंड ट्रिप गया–सिंगापुर : 10 लाख रुपये प्रति राउंड ट्रिप इस नीती से ये होगा लाभ  बिहार सरकार का मानना है कि इस कदम से बिहार की राष्ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय लॉजिस्टिक्स नेटवर्क में हिस्सेदारी बढ़ेगी। इसके अलावा पर्यटन और उद्योग दोनों क्षेत्र को मजबूती मिलेगी। नई अंतर्राष्‍ट्रीय हवाई मार्ग तैयार होने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और बिहार राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिए और सुलभ बनेगा।

बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज, 2025 लागू करने पर लगी कैबिनेट की मुहर

बिहार में उद्योगों को नए तरीके से प्रोत्साहित करने में जुटी सरकार  बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज, 2025 लागू करने पर लगी कैबिनेट की मुहर  कैबिनेट में 26 एजेंडे मंजूर, 100 करोड़ से अधिक निवेश करने वाली कंपनियों को मुफ्त जमीन पटना राज्य में उद्योगों को नए सिरे से गति प्रदान करने के लिए विशेष प्रोत्साहन नीति की घोषणा की गई है। इससे संबंधित बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज (बीआईआईपीपी) 2025 की मंजूरी राज्य कैबिनेट की बैठक में दी गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में 26 एजेंडों पर मुहर लगी। इसमें सबसे महत्वपूर्ण उद्योग से जुड़े इस खास प्रोत्साहन पैकेज और इंडस्ट्रियल पार्क को मंजूरी दिया जाना है। कैबिनेट की बैठक के बाद इससे संबंधित विस्तृत जानकारी मुख्य सचिव (सीएस) अमृत लाल मीणा ने सूचना भवन के सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में दी। गौरतलब है कि 15 अगस्त गणतंत्र दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन राज्य में उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए कई नई रियायतों की घोषणा की थी। इन्हें ही अमलीजामा पहनाते हुए कैबिनेट की मुहर लगाई गई है।         मुख्य सचिव श्री मीणा ने कहा कि 31 मार्च 2026 तक सूबे में निवेश करने वाले उद्योगों के लिए मुफ्त औद्योगिक क्षेत्र की जमीन, टैक्स में छूट समेत अन्य खास प्रोत्साहन शामिल हैं। राज्य में 100 करोड़ या इससे अधिक का निवेश और 1 हजार रोजगार देने वाली कंपनियों को 10 एकड़ तक जमीन् मुफ्त जमीन मुहैया कराने का निर्णय लिया गया है। साथ ही 1 हजार करोड़ या इससे अधिक रुपये का निवेश करने वाली कंपनियों को 25 एकड़ तथा फॉर्च्युन 500 की श्रेणी में आने वाली कंपनियों को मुफ्त 10 एकड़ जमीन दी जाएगी। इन्हें 1 रुपये के टोकन मनी पर बियाडा के स्तर से चिन्हित औद्योगिक पार्क या क्षेत्र में जमीन दी जाएगी। इससे कम निवेश करने वाली या इस दायरे से बाहर की कंपनियों को बियाडा की जमीन दर पर 50 फीसदी की छूट पर औद्योगिक जमीन मुहैया कराई जाएगी।   तीन तरह की वित्तीय सहायता उद्योग लगाने वालों को श्री मीणा ने बताया कि बिहार में उद्योग स्थापित करने वालों को विशेष वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए तीन तरह के विकल्प दिए गए हैं। इन तीनों में किसी एक विकल्प को कोई भी औद्योगिक इकाई अपना सकती हैं। पहला विकल्प के तौर पर बैंक से लिए लोन पर ब्याज दर में 40 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता एवं स्टेट जीएसटी पर सौ फीसदी तक की छूट देना शामिल है। दूसरा, 14 वर्षों तक कुल एसजीएसटी की प्रतिपूर्ति, जो अनुमोदित प्रोजेक्ट का 300 फीसदी तक होगा। अनुमोदित परियोजना का 20 से 30 प्रतिशत तक पूंजीगत सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। तीसरा है, कैपिटल सब्सिडी प्रदान करना, जो स्वीकृत प्रोजेक्ट की लागत का 30 फीसदी तक हो सकता है। कुछ अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी सूबे में निवेश करने वाली कंपनियों को कुछ अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जा रही हैं। इसमें निर्यात करने वाली कंपनियों को निर्यात प्रोत्साहन के तहत 14 वर्षों तक 40 लाख प्रति वर्ष की छूट देना। टेक्सटाइल इकाईयों के लिए 5 हजार रुपये प्रति महीने प्रति कर्मी देने वाली इकाईयों को ईएसआई एवं ईपीएफ में 300 प्रतिशत तक का लाभ। वहीं, दूसरी श्रेणी की कंपनियों के लिए 2 हजार रुपये मासिक देने वाले कर्मियों के लिए ईएसआई एवं ईपीएफ में 100 प्रतिशत तक का लाभ। इसके अतिरिक्त पर्यावरण संरक्षण अनुदान, रिन्यूअल एनर्जी उपयोग, सीएफसी डेवलपमेंट प्रोत्साहन प्रदान की जाएगी। राज्य में विकसित किए जाएंगे 32 औद्योगिक पार्क सीएस अमृत लाल मीणा ने कहा कि पिछले वर्ष 2024 में सभी जिलों खासकर जहां औद्योगिक पार्क नहीं है या जमीन समाप्त हो गई है, तो वहां नए सिरे से इसे विकसित किया जा रहा है। राज्य में पिछले एक से सवा साल के दौरान 32 औद्योगिक पार्क विकसित करने की रूपरेखा तैयार की गई है। इसके लिए 14 हजार 600 एकड़ जमीन का अधिग्रहण बियाडा के माध्यम से किया गया है। इसमें 2 हजार 700 एकड़ सरकारी जमीन है, जिसमें 700 एकड़ का स्थानांतरण किया जा चुका है। 2 हजार जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है। बियाडा की तरफ से 8 हजार एकड़ जमीन अर्जित किया गया है। वहीं, पिछले एक-सवा वर्ष के दौरान 14 हजार 600 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया है।        जहां-जहां औद्योगिक पार्क विकसित किए जा रहे हैं, वहां से रेल और सड़क मार्ग की सुगम कनेक्टिविटी का खासतौर से ध्यान रखा गया है। पूर्णिया एक्सप्रेसवे के पास पूर्णिया के के-नगर अंचल में 66 करोड़ 91 लाख रुपये की लागत से 279.65 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। दरभंगा के बहादुरपुर मौजा में 376 करोड़ रुपये की लागत से 385.45 एकड़, शिवहर के तरियानी अंचल में 105 करोड़ से 270 एकड़, रोहतास के शिवसागर अंचल में 154 करोड़ की लागत से 492.85 एकड़, शेखपुरा के चेवड़ा अंचल में 42 करोड़ 16 लाख रुपये से 250 एकड़ और भोजपुर के तरारी अंचल में 52 करोड़ 62 लाख रुपये की लागत से 249.48 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। गिफ्ट सिटी की तर्ज पर बनेगा फिनटेक सिटी गुजरात के अहमदाबाद एवं गांधीनगर के बीच मौजूद गिफ्ट सिटी की तर्ज पर पटना जिला के फतुहां अंचल में फिनटेक सिटी को बनाया जाएगा। फतुहां के जैतीया मौजा के पास मल्टी मॉडल हब से सटे 408 करोड़ रुपये की लागत से 242 एकड़ का अधिग्रहण कर इस सिटी का निर्माण कराया जाएगा। इसका उदेश्य नवाचार आधारित उद्यमों, उन्नत तकनीक और निर्यात उन्नुख उद्योगों को एक ही परिसर में समावेशित कर एक प्रतिस्पर्धी पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया जाएगा। इससे राज्य में लॉजिस्टिक क्षेत्र में निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। ‎

सरकार का वादा निवेशकों को निवेश करने के लिए भूमि की नहीं होगी कमी

बिहार की औद्योगिक तस्वीर बदलने वाले पैकेज को कैबिनेट की मंजूरी  सरकार का वादा निवेशकों को निवेश करने के लिए भूमि की नहीं होगी कमी  बिहार में औद्योगिक क्रांति की ओर बड़ा कदम: नीतीश सरकार ने लॉन्च किया औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज 2025  पटना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में उद्योगों को नई ऊँचाई देने और युवाओं के लिए रोजगार के बड़े अवसर सृजित करने के उद्देश्य से बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज 2025 (BIPPP-2025) की घोषणा की है। जिसे आज कैबिनेट की मंजूरी भी मिल गई है। इस पैकेज को सरकार की महत्वाकांक्षी पहल बताया जा रहा है, जिसके तहत अगले पाँच वर्षों में 1 करोड़ युवाओं को रोजगार और नौकरी के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे।  पैकेज की प्रमुख विशेषताएँ  # 40 करोड़ रुपए तक ब्याज सब्सिडी (Interest Subvention) # नई इकाइयों को 14 वर्षों तक स्वीकृत परियोजना लागत का 300% तक SGST की प्रतिपूर्ति # 30% तक पूंजीगत सब्सिडी (Capital Subsidy) # निर्यात प्रोत्साहन की सीमा 14 वर्षों तक 40 लाख रुपए प्रतिवर्ष # कौशल विकास, पर्यावरण संरक्षण, नवीकरणीय ऊर्जा, स्टाम्प ड्यूटी एवं भूमि रूपांतरण शुल्क की प्रतिपूर्ति # निजी औद्योगिक पार्कों, पेटेंट पंजीकरण एवं गुणवत्ता प्रमाणन को सहयोग  निवेशकों को भूमि मुफ्त  # सरकार ने निवेशकों के लिए भूमि आवंटन को भी आकर्षक बनाया है। # 100 करोड़ से अधिक का निवेश और 1000 से अधिक रोजगार देने वाली इकाइयों को 10 एकड़ भूमि मुफ्त # 1000 करोड़ से अधिक का निवेश करने वाली कंपनियों को 25 एकड़ भूमि मुफ्त # फॉर्च्यून 500 कंपनियों को 10 एकड़ तक भूमि निःशुल्क  आवेदन की अंतिम तिथि  इस पैकेज का लाभ उठाने के लिए निवेशकों को 31 मार्च 2026 तक आवेदन करना अनिवार्य होगा।  सीएम नीतीश कुमार का लक्ष्य  मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इस नई औद्योगिक नीति से बिहार के युवाओं को राज्य के अंदर ही बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा। उनका उद्देश्य है कि बिहार आत्मनिर्भर, औद्योगिक रूप से सशक्त और युवाओं का भविष्य सुरक्षित राज्य बने।  बिहार को मिलेगा औद्योगिक बढ़ावा  विशेषज्ञों का मानना है कि BIPPP-2025 से राज्य में न केवल निवेश का माहौल बेहतर होगा, बल्कि बिहार उद्योग और रोजगार का हब बनकर उभरेगा।