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ब्रहमोस मिसाइल और राफेल के साथ ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया

नई दिल्ली ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों और बाद में जवाबी कार्रवाई के दौरान वहां के सैन्य प्रतिष्ठानों पर सुखोई-30 लड़ाकू विमानों के जरिये ब्रह्मोस मिसाइलें दागी गई थीं। ये मिसाइलें अचूक साबित हुईं। इसने बहावलपुर में लश्कर-ए-तैयबा और मुरीदके में जैश-ए-मोहम्मद समेत नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था। हाल में सामने आए एक सरकारी दस्तावेज से स्पष्ट तौर पर ऐसे संकेत मिलते हैं। इसके अनुसार वायुसेना और थल सेना द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की सीमा के निकटवर्ती क्षेत्रों में राफेल और सुखोई की स्क्वाड्रन तैनात की गई थी। ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत के दिन ही कच्छ से लेकर कश्मीर तक सीमावर्ती क्षेत्र में बाकायदा वायुसेना ने अभ्यास का ऐलान भी किया था, जो छह मई की रात किए गए ऑपरेशन सिंदूर की तैयारी थी। हाल में ऑपरेशन सिंदूर के लिए वायुसेना के पायलटों को वीर चक्र से सम्मानित करने के उपलक्ष्य में एक विस्तृत गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया। इसमें ऑपरेशन सिंदूर के नाम लिए बगैर पायलटों की बहादुरी का वर्णन किया गया है। यह विवरण दर्शाता है कि किस प्रकार एयरफोर्स की राफेल और सुखोई की स्क्वाड्रनों ने बहादुरी के साथ इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। वीर चक्र से सम्मानित पायलट राफेल और सुखोई दोनों स्क्वाड्रनों से हैं। राफेल ने कई पाकिस्तानी विमानों को गिराया विवरण से संकेत मिलते हैं कि सुखोई से ब्रह्मोस के जरिये जमीनी लक्ष्यों को निशाना बनाया गया, जबकि राफेल का इस्तेमाल उस क्षेत्र में एयर डिफेंस के लिए किया गया। राफेल ने पाकिस्तान के कई हमलों को नाकाम किया और उसके कई विमानों को मार गिराया। दोनों लड़ाकू विमानों के पायलटों ने अपने-अपने कार्य को बाखूबी अंजाम दिया, जिसके लिए उन्हें युद्धकाल का तीसरा बड़ा पुरस्कार वीर चक्र प्रदान किए गए।

रक्षा का नया चरण — ऑपरेशन सिंदूर ने खोले प्राइवेट कंपनियों के लिये हथियार निर्माण के दरवाज़े

नई दिल्ली भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं को दीर्घकालिक रूप से सुदृढ़ करने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। रक्षा मंत्रालय ने मिसाइल, तोप के गोले, गोला-बारूद और आयुध के विकास और निर्माण का काम निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया है। इसका मकसद यह है कि लंबे चलने वावे युद्ध या सैन्य अभियान के दौरान देश के पास हथियारों की कमी न हो। सूत्रों के अनुसार, राजस्व खरीद मैनुअल में संशोधन किया गया है। इसके तहत अब कोई भी निजी कंपनी गोला-बारूद निर्माण इकाई स्थापित करने से पहले सरकारी कंपनी म्युनिशन इंडिया लिमिटेड (MIL) से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेने के लिए बाध्य नहीं होगी। इस बदलाव के बाद 105 मिमी, 130 मिमी, 150 मिमी तोप के गोले, पिनाका मिसाइल, 1000 पौंड बम, मोर्टार बम, हैंड ग्रेनेड और मध्यम व छोटे कैलिबर के कारतूस जैसे आयुधों का निर्माण अब निजी क्षेत्र में भी संभव होगा। DRDO को भेजा मंत्रालय का प्रस्ताव सूत्रों के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) को भी पत्र लिखकर यह संकेत दिया है कि मिसाइल विकास और इंटीग्रेशन का क्षेत्र भी निजी कंपनियों के लिए खोला जाएगा। अब तक यह कार्यक्षेत्र केवल सरकारी कंपनियों भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) तक सीमित था। ऑपरेशन सिंदूर के बाद बड़ा फैसला यह फैसला ऐसे समय आया है जब ऑपरेशन सिंदूर के दौरान यह साफ हुआ कि भविष्य के युद्ध लॉन्ग-रेंज मिसाइलों और स्टैंड-ऑफ हथियारों पर आधारित होंगे। सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान ने इस अभियान में चीन निर्मित लंबी दूरी की एयर-टू-एयर और एयर-टू-सर्फेस मिसाइलों का इस्तेमाल किया, जिससे भारत सरकार ने निष्कर्ष निकाला कि निजी क्षेत्र की भागीदारी के बिना देश की मिसाइल जरूरतें पूरी नहीं की जा सकतीं। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत को अब ब्रहमोस, निर्भय, प्रलय और शौर्य जैसी कन्वेंशनल मिसाइलों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। भविष्य के युद्ध मुख्यतः स्टैंड-ऑफ वेपन्स और एंटी-मिसाइल सिस्टम्स के जरिए लड़े जाएंगे, क्योंकि लड़ाकू विमानों की भूमिका सीमित होती जा रही है। S-400 सिस्टम की शक्ति का प्रदर्शन ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की S-400 वायु रक्षा प्रणाली ने अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया था, जब उसने 10 मई की सुबह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 314 किलोमीटर अंदर एक पाकिस्तानी इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस (ELINT) विमान को मार गिराया था। यह घटना इस बात का प्रमाण थी कि आधुनिक युद्धों में लॉन्ग-रेंज मिसाइल और एंटी-एयर सिस्टम निर्णायक भूमिका निभाएंगे। गोला-बारूद की कमी से बचने की तैयारी रक्षा मंत्रालय का यह कदम इस उद्देश्य से भी प्रेरित है कि यदि भविष्य में कोई लंबा युद्ध छिड़ता है, तो भारतीय सेना गोला-बारूद की कमी का सामना न करे। अब तक भारत को कई बार आपातकालीन स्थिति में विदेशी विक्रेताओं से ऊंचे दामों पर हथियार खरीदने पड़े हैं। वर्तमान में रूस और पश्चिमी देश यूक्रेन युद्ध, इजरायल गाज़ा युद्ध में व्यस्त हैं। ऐसे में मिसाइलों और गोला-बारूद की वैश्विक मांग चरम पर है। दूसरी ओर पाकिस्तान को चीन से निरंतर सैन्य आपूर्ति मिल रही है। इससे भारत को अपनी घरेलू रक्षा उत्पादन क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि रणनीतिक मिसाइलों का विकास और नियंत्रण केवल DRDO के अधीन रहेगा, जबकि कन्वेंशनल मिसाइलों के क्षेत्र में निजी क्षेत्र को अवसर दिया जाएगा। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीति के तहत रक्षा उत्पादन में स्वदेशीकरण और निजी भागीदारी को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक निर्णय माना जा रहा है।  

मुरीदके एयरबेस का दर्द अभी बाकी, ऑपरेशन सिंदूर की सच्चाई गूगल पर उजागर

इस्लामाबाद  मई 2025 में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के मुरीदके एयरबेस पर किए गए हमलों के निशान आज भी साफ दिख रहे हैं. गूगल अर्थ की नई तस्वीरों से पता चलता है कि सितंबर 2025 तक हमले वाली दोनों जगहें अभी भी ढकी हुई हैं. ऐसा लगता है कि पाकिस्तान अब भी मरम्मत कर रहा है. यह खुलासा भारत की सैन्य ताकत और पाकिस्तान की कमजोरी को दिखाता है. ऑपरेशन सिंदूर: मई 2025 का बड़ा हमला 7 मई 2025 को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया. यह पाकिस्तान के आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम था. भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के कई एयरबेस पर सटीक हमले किए. इनमें मुरीदके एयरबेस भी शामिल था, जो पाकिस्तान का महत्वपूर्ण हवाई अड्डा है. मई के अंत में जारी सैटेलाइट तस्वीरों से साफ दिखा कि हमले ने भारी नुकसान पहुंचाया. मुरीदके एयरबेस पर हमले का मुख्य निशान एक बड़ा गड्ढा था. यह गड्ढा करीब तीन मीटर चौड़ा था और एयरबेस सुविधा से सिर्फ 30 मीटर दूर था. यह सुविधा पाक वायुसेना के लिए बहुत गोपनीय मानी जाती है. हाई-रेजोल्यूशन तस्वीरों से पुष्टि हुई कि भारत ने सटीक निशाना साधा. हमले से एयरबेस की संरचना को गहरा नुकसान हुआ, जिसमें छतें उड़ गईं और इमारतें टूट गईं. सितंबर 2025 की गूगल अर्थ तस्वीरें: मरम्मत के संकेत अब सितंबर 2025 की गूगल अर्थ तस्वीरों से नया खुलासा हुआ है. हमले वाली दोनों जगहें – गड्ढा और क्षतिग्रस्त हिस्से – अभी भी ढकी हुई दिख रही हैं. ऐसा लगता है कि पाकिस्तान ने तिरपाल या अन्य सामग्री से इन्हें छिपाया है, ताकि मरम्मत जारी रख सके. अन्य पाकिस्तानी एयरबेस जैसे सरगोधा में जून 2025 तक रनवे की मरम्मत हो चुकी थी, लेकिन मुरीदके में काम धीमा चल रहा है. यह ढकाव नुकसान की गहराई दिखाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि अंडरग्राउंड सुविधा को ठीक करने में महीनों लग सकते हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक मई के हमलों से पाकिस्तानी सुविधाओं को सीमित लेकिन साफ नुकसान हुआ. पाकिस्तान की हवाई ताकत पर सवाल ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान की हवाई ताकत को कमजोर कर दिया. मुरीदके एयरबेस पर हमला न सिर्फ बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया, बल्कि पाकिस्तान के आत्मविश्वास को भी झकझोर दिया. भारत ने न्यूनतम नुकसान के साथ सटीक हमले किए, जो वायुसेना की क्षमता दिखाता है. पाकिस्तान ने शुरुआत में नुकसान को कम बताया, लेकिन सैटेलाइट तस्वीरों ने सच्चाई उजागर कर दी. नूर खान और सरगोधा जैसे अन्य बेस भी प्रभावित हुए. मुरीदके पर फोकस इसलिए, क्योंकि यह अंडरग्राउंड हथियार भंडारण का केंद्र था. भारत की सतर्कता बरकरार यह तस्वीरें दिखाती हैं कि मई के हमले का असर आज भी है. पाकिस्तान मरम्मत में जुटा है, लेकिन पूरी तरह ठीक होने में समय लगेगा. भारत के लिए यह चेतावनी है कि सीमा पर सतर्कता जरूरी है. ऑपरेशन सिंदूर ने साबित किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाएगा. विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसी तस्वीरें निगरानी के लिए महत्वपूर्ण हैं. गूगल अर्थ जैसी तकनीक से दुनिया को सच्चाई पता चलती है.

पाक के F-16 और JF-17 जेट्स को किया ढेर, एयरफोर्स चीफ ने खोले ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के राज

नई दिल्ली भारतीय वायुसेना (आईएएफ) अपने 93वें वायुसेना दिवस पर जोरदार उत्सव की तैयारी कर रही है. इस मौके पर एयर चीफ एपी सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में इंडियन एयरफोर्स ने पांच पाकिस्तानी F-16, JF-17 को मार गिराया था. विंग कमांडर जयदीप सिंह, जो वायुसेना के पीआरओ हैं ने प्रेस ब्रीफिंग में इसकी पूरी जानकारी दी.  उन्होंने बताया कि 8 अक्टूबर को हिंडन एयर फोर्स बेस पर एक भव्य परेड होगी. 6 अक्टूबर को फुल ड्रेस रिहर्सल होगी. इस समारोह में वायुसेना प्रमुख, नौसेना प्रमुख और थलसेना प्रमुख भी शामिल होंगे. यह दिवस वायुसेना की ताकत, आत्मनिर्भरता और देश सेवा को दर्शाएगा. ऑपरेशन सिंदूर में पाक का नुकसान      जमीन पर: चार जगहों पर रडार, दो जगहों पर कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, दो जगहों पर रनवे, तीन जगहों पर हैंगर और 4-5 एफ-16 (क्योंकि हैंगर एफ-16 का था) तथा एक एसएएम सिस्टम नष्ट.     हवा में: एक लंबी दूरी के स्ट्राइक के सबूत हैं. एडब्ल्यूएसीएस या सिगइंट एयरक्राफ्ट के और 4-5 फाइटर एफ-16 या जे-10 क्लास के. इससे पाकिस्तान को जमीन और हवा में कुल फाइटर विमानों का नुकसान करीब 9-10 हो गया. परेड और आकर्षण: ध्वज फ्लाइपास्ट और स्टेटिक डिस्प्ले विंग कमांडर सिंह ने कहा कि परेड में कई रोमांचक चीजें होंगी. सबसे खास होगा ध्वज फ्लाइपास्ट. इसमें एमआई-17 हेलीकॉप्टर ऑपरेशन सिंदूर का झंडा लेकर उड़ेगा. यह ऑपरेशन इस साल का सबसे बड़ा अभियान था. स्टेटिक डिस्प्ले में राफेल, Su-30MKI, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और आकाश सरफेस-टू-एयर मिसाइल दिखाए जाएंगे. रडार और हथियार भी प्रदर्शित होंगे. वायुसेना ने कुल 18 नई इनोवेशन भी पेश की हैं. ये इनोवेशन वायुसेना की आत्मनिर्भरता, समस्या समाधान क्षमता और भविष्य की सोच को दिखाते हैं. विंग कमांडर ने कहा कि ये दिखाते हैं कि हम खुद पर भरोसा करते हैं. नई चुनौतियों के लिए तैयार हैं. ऑपरेशन सिंदूर: इतिहास का नया अध्याय ब्रीफिंग का मुख्य फोकस था ऑपरेशन सिंदूर. यह पहलगाम हमले के बाद का सबसे महत्वपूर्ण अभियान था. विंग कमांडर ने बताया कि सरकार ने सेनाओं को पूरी आजादी दी थी. यह युद्ध इतिहास में दर्ज होगा, क्योंकि यह एक लक्ष्य के साथ शुरू हुआ और राष्ट्र ने सीजफायर का फैसला लिया. हमारी मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम ने खेल पलट दिया. लॉन्ग रेंज एसएएम मिसाइलों ने दुश्मन को पीछे धकेल दिया. सबसे लंबा टारगेट किल 300 किलोमीटर से ज्यादा का था. विंग कमांडर ने गर्व से कहा कि यह इतिहास में दर्ज होगा. हमने सटीक हमले किए, न्यूनतम नुकसान के साथ. सिर्फ एक रात में दुश्मन को घुटनों पर ला दिया. 1971 के बाद पहली बार इतना विनाशकारी अभियान ऑपरेशन सिंदूर में दिखा. वायुसेना ने साबित किया कि वह अचूक, अभेद्य और सटीक है. सभी सेनाओं – वायु, थल और नौ – ने मिलकर योजना बनाई और अमल किया. विंग कमांडर ने कहा कि गलत सूचनाओं की भरमार थी, लेकिन हमारे मीडिया ने सेनाओं की बहुत मदद की. जनता का मनोबल न गिरे, इसके लिए चैनलों ने योगदान दिया. वायुसेना ने ऑपरेशन सिंदूर के हमलों का वीडियो भी जारी किया है. जरूरत पड़ने पर कैमरा फीड से और जानकारी ली जा सकती है. मानवीय सहायता और अंतरराष्ट्रीय अभ्यास ऑपरेशन सिंदूर के अलावा, वायुसेना ने कई मानवीय सहायता मिशन चलाए. असम, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और अन्य जगहों पर मदद पहुंचाई. विंग कमांडर ने कहा कि हमने लोगों की जिंदगी बचाई और राहत दी. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सक्रियता रही. यूएई, मिस्र, फ्रांस, सिंगापुर जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यास किए. इन देशों के कमांडरों ने तारीफ की और कहा कि वे अभ्यास जारी रखना चाहते हैं. ग्रुप कैप्टन सुभांशु शुक्ला ने अपना मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया. विंग कमांडर ने कहा कि यह साल अच्छा रहा, लेकिन आगे के समय के बारे में सोचना होगा. भविष्य की चुनौतियां और आत्मनिर्भरता विंग कमांडर ने चेतावनी दी कि अगला युद्ध पिछले जैसा नहीं होगा. हमें वर्तमान और भविष्य के युद्धों के लिए तैयार रहना होगा. दुनिया भर की घटनाओं पर नजर रखनी है. 2047 तक का रोडमैप तैयार है, जिसमें आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) मुख्य है. एलसीए मार्क-1ए के ऑर्डर दिए जा चुके हैं. एलसीए मार्क-2 और आईएमआरएच भी पाइपलाइन में हैं. कई रडार और सिस्टम विकसित हो रहे हैं. विंग कमांडर ने कहा कि हम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन जरूरत पड़ी तो रणनीतिक तकनीक ले सकते हैं. गैप भरने के लिए काम चल रहा है. भविष्य का युद्ध हमेशा एकीकृत होगा – सभी सेनाओं और एजेंसियों के साथ. ऑपरेशन सिंदूर से हमने सबक सीखे. इससे वायु शक्ति की अहमियत फिर साबित हुई.  क्या आएगा Su-57 फाइटर जेट?  एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) और रूसी सुखोई-57 पर पूछा गया. एयर चीफ एपी सिंह ने कहा कि यह एडीए और डीआरडीओ के क्षेत्र में है. मुझे लगता है कि यह दशक में उड़ान भरेगा. तेजस मार्क-1ए जैसा कठिन काम है. सुखोई-57 पर सभी विकल्प तौलेंगे. रक्षा में प्रक्रिया है, जो भी फैसला होगा, सबसे अच्छा होगा. ऑपरेशन सिंदूर में इंडियन एयरफोर्स ने पांच पाकिस्तानी F-16, JF-17 को मार गिराया था.

पंडाल उद्घाटन के बाद विवाद: ऑपरेशन सिंदूर लाइट शो रद्द करने का आरोप

कोलकाता कोलकाता में दुर्गा पूजा पंडाल के आयोजकों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके ऑपरेशन सिंदूर पर आधारित लाइट एंड साउंड शो को रोकने की कोशिश की। भाजपा नेता सजल घोष ने भी धमकी दी कि अगर दबाव की रणनीति बंद नहीं हुई तो वे पंडाल को बंद कर देंगे और मूर्ति का समय से पहले विसर्जन कर देंगे। इस पंडाल का उद्घाटन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीते दिनों किया था। वहीं, कोलकाता पुलिस आयुक्त मनोज वर्मा ने इन आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि पुलिस केवल सार्वजनिक सुरक्षा के लिए चिंतित है क्योंकि संकरी जगह में भारी भीड़ जमा हो रही है। कोलकाता नगर निगम के पार्षद घोष ने पंडाल के मैदान में प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया, 'पुलिस ने ऑपरेशन सिंदूर पर आधारित लाइट एंड साउंड शो को रोकने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। इस शो में आतंकवादियों की ओर से पहलगाम नरसंहार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन और भारत की ओर से पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर जवाबी हमला दिखाया गया था। यह शो केवल तीन से चार मिनट लंबा था।' सजल घोष ने कहा कि शहर और राज्य में अन्य स्थानों पर पहले और इस उत्सव के दौरान भी कई लाइट एंड साउंड शो आयोजित हुए हैं। कई अन्य पूजा पंडालों में भारी भीड़ उमड़ी है। लेकिन कहीं भी पुलिस ने इस तरह की सख्ती का हवाला नहीं दिया। पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप बीजेपी नेता ने दावा किया कि पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर रास्ते को संकरा कर दिया, जिससे लोगों को पूजा देखने के लिए 2 किलोमीटर से अधिक चलना पड़ रहा है। किसी भी नजदीकी एंट्री गेट से यह दूरी 700 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर आयोजकों को सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने के बाद भी शो चलाने की इजाजत नहीं दी गई, तो वे लाइट बंद कर देंगे। देवी के चेहरे पर काले कपड़े डाल देंगे और पुजारियों से सलाह लेने के बाद विजय दशमी से पहले मूर्ति का विसर्जन कर देंगे। उन्होंने आरोप लगाया, 'यह सिर्फ असहयोग नहीं, बल्कि एक साजिश है। टीएमसी शासन में देशभक्ति वाले शो की भी अनुमति नहीं है।' भाजपा पार्षद ने दावा किया कि दक्षिण 24 परगना जिले के सागर द्वीप में ऑपरेशन सिंदूर थीम पर आधारित पूजा को भी रोका गया था।

ऑपरेशन सिंदूर से घबराया पाकिस्तान, लश्कर का ट्रेनिंग कैंप अफगान सीमा पर पहुंचाया

खैबर पख्तूनख्वा  पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा इलाके में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का नया ट्रेनिंग सेंटर बन रहा है. यह खबर पूरे इलाके की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय बनी हुई है. यह सेंटर आतंकवाद को बढ़ावा दे सकता है. नया ट्रेनिंग सेंटर: मरकज जिहाद-ए-अकसा यह सेंटर लोअर डिर जिले के कुम्बन मैदान इलाके में बनाया जा रहा है. यह अफगान सीमा से करीब 47 किलोमीटर दूर है. 4643 वर्ग फुट के प्लॉट पर यह बन रहा है, जो LeT के हाल ही में बने जामिया अहले सुन्नाह मस्जिद के बगल में है.  निर्माण जुलाई 2025 में शुरू हुआ, जो ऑपरेशन सिंदूर के दो महीने बाद था. यह दिसंबर 2025 तक पूरा हो जाएगा. ऑपरेशन सिंदूर भारत की तरफ से था, जिसमें LeT के कई ठिकाने तबाह हो गए थे. मुख्य विशेषताएं और उद्देश्य     ट्रेनिंग प्रोग्राम: यहां दो मुख्य कोर्स चलेंगे – दौरा-ए-खास और दौरा-ए-लश्कर. ये आतंकियों को हथियार चलाना, हमले करना और जिहाद की ट्रेनिंग देंगे.     पुराने सेंटर की जगह: यह LeT के जान-ए-फिदाई फिदायीन यूनिट की जगह लेगा. यह यूनिट पहले भींबर-बरनाला के मरकज अहले हदीस में था, जो ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने नष्ट कर दिया था.     भर्ती और कट्टरवाद: यहां नए लोगों की भर्ती होगी, उन्हें कट्टर बनाया जाएगा. बड़े ग्रुप में ट्रेनिंग दी जाएगी. नेतृत्व और संचालन     कमांड: नसर जावेद को कमान सौंपी गई है. वह 2006 के हैदराबाद बम धमाके का सह-मास्टरमाइंड था. 2004 से 2015 तक वह PoK के दुलाई कैंप चला चुका है.     जिहाद की शिक्षा: मुहम्मद यासिन (उर्फ बिलाल भाई) जिहाद की धार्मिक शिक्षा देगा.     हथियार ट्रेनिंग: अनस उल्लाह खान हथियारों की ऑपरेशनल ट्रेनिंग संभालेगा. उसने 2016 में LeT के गढ़ी हबीबुल्लाह कैंप में ट्रेनिंग ली थी. रणनीतिक महत्व     स्थान बदलना: LeT ने PoK और पंजाब के पुराने ठिकानों को छोड़कर खैबर पख्तूनख्वा में शिफ्ट किया है. इसका मकसद भविष्य में भारतीय हमलों से बचना है.     दूसरे ग्रुप्स से तालमेल: यह सेंटर हिजबुल मुजाहिदीन के HM-313 कैंप से सिर्फ 4 किलोमीटर दूर है. इससे दोनों ग्रुप्स के बीच समन्वय या रणनीतिक सहयोग की आशंका है.     पाकिस्तानी सेना की भूमिका: जून 2025 में पाकिस्तानी सेना ने क्लीनअप ड्राइव चलाई, जिसमें 2 दर्जन से ज्यादा TTP (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) के सदस्य मारे गए. इससे इलाके को LeT के लिए साफ कर दिया गया लगता है. इलाके की सुरक्षा चिंताएं     आतंकी गतिविधियां: यह इलाका हमेशा से भारत-विरोधी आतंकवाद का केंद्र रहा है. यहां अल बद्र और TTP जैसे ग्रुप्स सक्रिय हैं.     नागरिकों की हानि: जून 2025 से पाकिस्तानी सेना और एयर फोर्स के हवाई हमलों में 40 से ज्यादा नागरिक मारे गए हैं. इससे काउंटर-टेररिज्म ऑपरेशंस की प्रभावशीलता पर सवाल उठे हैं.     पाकिस्तान की रणनीति: पाकिस्तान अच्छे आतंकवाद को बढ़ावा देता है और बुरे आतंकवाद को खत्म करता है. यह बात मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर ने खुद स्वीकार की है. इससे पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी प्रतिबद्धता पर शक होता है. यह नया सेंटर भारत और पूरे क्षेत्र के लिए खतरे की घंटी है. LeT जैसे ग्रुप्स की गतिविधियां बढ़ने से शांति भंग हो सकती है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस पर नजर रखनी चाहिए. भारत को अपनी सुरक्षा मजबूत करनी होगी ताकि ऐसे हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके.

छात्रा की सोशल मीडिया पोस्ट पर HC ने कहा नहीं रद्द करेंगे केस, पढ़ाई और ऑपरेशन सिंदूर पर बहस

मुंबई  ऑपरेशन सिंदूर पर विवादित पोस्ट के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि छात्रा पढ़ने में अच्छी है, केवल इस आधार पर केस रद्द नहीं किया जा सकता। चीफ जस्टिस चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अखंड की बेंच ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि आरोपी एक मेधावी छात्रा है और उसने अपनी परीक्षाएं अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की है, इसका मतलब यह नहीं है कि उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द की जा सकती है। 19 वर्षीय छात्रा ने ऑपरेशन सिंदूर के खिलाफ पोस्ट की थी। हाई कोर्ट ने आगे कहा कि केवल पोस्ट हटा लेना और माफी मांग लेना ही काफी नहीं है। अदालत पुणे की एक छात्रा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही जिसमें ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत-पाकिस्तान शत्रुता पर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए मई में उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया गया था। उसे गिरफ्तार किया गया था लेकिन बाद में उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद उसे रिहा कर दिया गया था। शुक्रवार को छात्रा के वकील ने अदालत को बताया कि जमानत मिलने के बाद, वह परीक्षा में शामिल हुई और उसे अच्छे अंक मिले। हालांकि, बेंच ने कहा कि इसलिए कि वह एक मेधावी छात्रा है, प्राथमिकी रद्द करने का आधार नहीं हो सकता। छात्रा के वकील ने दलील दी कि पोस्ट के पीछे उसकी कोई बुरी मंशा नहीं थी और उसने तुरंत इसे हटा दिया और माफी मांग ली। हालांकि, अदालत ने कहा कि (पोस्ट को) हटाने से मामला और भी गंभीर और जटिल हो गया है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद निर्धारित की और सरकारी वकील मनखुवर देशमुख को ‘केस डायरी’ पेश करने का निर्देश दिया। छात्रा ने 7 मई को, इंस्टाग्राम पर 'रिफॉर्मिस्तान' नाम के एक अकाउंट से एक पोस्ट को रीपोस्ट किया था, जिसमें भारत सरकार की आलोचना की गई थी। दो घंटे के भीतर, छात्रा को अपनी गलती का एहसास हुआ और कई धमकियां मिलने के बाद उसने पोस्ट हटा दिया।  

कीमत चुकानी पड़ती है – वायुसेना प्रमुख ने समझाया ऑपरेशन सिंदूर रोकने का कारण

नई दिल्ली  भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बड़ा खुलासा किया। उन्होंने बताया कि आखिर क्यों महज चार दिनों में ही ऑपरेशन सिंदूर रोकना पड़ा। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया ऑपरेशन सिंदूर केवल चार दिनों में समाप्त कर दिया गया, क्योंकि भारत ने अपने उद्देश्यों को हासिल कर लिया था। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी संगठनों के नौ प्रमुख ठिकानों को नष्ट कर दिया गया। एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा, "हमारा उद्देश्य आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करना था। हमने आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर लिया। जब उद्देश्य पूरे हो गए, तो हमें युद्ध को समाप्त करने में देरी क्यों करनी चाहिए? प्रत्येक संघर्ष की एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है जो हमारी अगली तैयारियों, अर्थव्यवस्था और देश की प्रगति को प्रभावित करती है।" वायु सेना प्रमुख ने कहा कि दुनिया को भारत से यह सबक सीखना चाहिए कि किसी संघर्ष को कैसे शुरू किया जाए और उसे यथाशीघ्र कैसे समाप्त किया जाए। उन्होंने विश्व के चल रहे संघर्षों, जैसे रूस-यूक्रेन और इजरायल के युद्धों का जिक्र करते हुए कहा कि ये युद्ध वर्षों से चल रहे हैं, क्योंकि कोई भी संघर्ष को समाप्त करने की रणनीति पर ध्यान नहीं दे रहा। उन्होंने कहा कि लक्ष्य बदलने या अहंकार के कारण युद्ध को लंबा खींचना गलत है। पहलगाम हमले का जवाब: ऑपरेशन सिंदूर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान चली गई थी। इसके जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पीओके में नौ प्रमुख आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इनमें जैश-ए-मोहम्मद का बहावलपुर मुख्यालय और लश्कर-ए-तैयबा का मुरिदके मुख्यालय शामिल थे। इन केंद्रों पर भारत विरोधी आतंकवादी गतिविधियों की योजना बनाई जाती थी। भारतीय वायुसेना द्वारा जारी किए गए वीडियो में इन ठिकानों पर हुए हमलों की तीव्रता और विनाश का स्तर स्पष्ट दिखाई देता है। हमलों में आतंकी संगठनों के वरिष्ठ नेताओं के आवासीय क्षेत्रों और कार्यालयों को नष्ट कर दिया गया, जहां कमांडर अपनी योजनाएं बनाते थे। ऑपरेशन की पूरी स्वतंत्रता दी गई थी एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में वायु सेना प्रमुख ने कहा कि सेना को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए पूरी स्वतंत्रता दी गई थी और राजनीतिक नेतृत्व ने उस पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई थी। एयर चीफ मार्शल ने कहा कि 7-10 मई को पाकिस्तान के साथ हुए संघर्ष के दौरान वायु शक्ति की उत्कृष्टता प्रदर्शित हुई थी। उन्होंने कहा कि एस-400 मिसाइल प्रणाली बाजी पलटने वाली साबित हुई, क्योंकि इस हथियार का दायरा और ताकत को देखते हुए दुश्मन घबरा गया था। एयर चीफ मार्शल ने कहा कि पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचा। उन्होंने कहा, “उसकी (पाकिस्तान) कई सैन्य सुविधाएं, रडार, नियंत्रण एवं समन्वय केंद्र, हैंगर, विमान, सभी को भारी नुकसान हुआ।” वायु सेना प्रमुख ने 2019 के बालाकोट हवाई हमलों की प्रभावशीलता का सबूत मांगने वालों पर निशाना साधते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान को हुए नुकसान का कुछ ग्राफिक विवरण दिखाया। "वे (पाकिस्तान) पीछे हट गए थे, इसमें कोई संदेह नहीं है" एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा कि दुनियाभर में लंबे समय से चल रहे अनेक युद्धों की पृष्ठभूमि में संघर्ष समाप्ति इस अभियान का एक महत्वपूर्ण पहलू था। उन्होंने इस विचार को भी खारिज कर दिया कि भारत को पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य अभियान जारी रखना चाहिए था। वायु सेना प्रमुख ने कहा, “हमने लोगों को यह कहते हुए सुना कि हमें थोड़ा और प्रयास करना चाहिए था। हमने युद्ध बहुत जल्दी रोक दिया। हां, वे (पाकिस्तान) पीछे हट गए थे, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन हमारा उद्देश्य क्या था? हमारा उद्देश्य आतंकवाद विरोधी था।” उन्होंने कहा, “हमें उन पर हमला करना ही था। हमने ऐसा किया भी। इसलिए अगर हमारे उद्देश्य पूरे हो गए, तो फिर हमें संघर्ष क्यों नहीं समाप्त करना चाहिए? हमें संघर्ष क्यों जारी रखना चाहिए? क्योंकि किसी भी संघर्ष की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।” एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा कि इस अभियान के जारी रहने से “अगले अभियान के लिए हमारी तैयारियों” पर असर पड़ सकता था। उन्होंने कहा, “इससे हमारी अर्थव्यवस्था प्रभावित होती। इसका असर देश की सामान्य प्रगति पर भी पड़ता।” रूस-यूक्रेन युद्ध सहित विभिन्न मौजूदा संघर्षों का हवाला देते हुए वायु सेना प्रमुख ने कहा कि जब युद्ध शुरू होता है, तो दुनिया अपने उद्देश्यों को भूल जाती है। उन्होंने कहा, “अब उनका उद्देश्य बदल रहा है। अहंकार बीच में आ रहा है। और यहीं पर मुझे लगता है कि दुनिया को भारत से यह सबक सीखना चाहिए कि किसी संघर्ष को कैसे शुरू किया जाए और उसे यथाशीघ्र कैसे समाप्त किया जाए।”  

ऑपरेशन सिंदूर का असर: दहशत में आतंकी सरगना, PoK से बदल रहे ठिकाने

नई दिल्ली भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 बड़े आतंकवादी ठिकाने ध्वस्त कर दिए गए थे. भारत के इस प्रहार से आतंक के आका डरे हुए हैं. लिहाजा पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठन विशेषकर जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और हिज्बुल मुजाहिदीन (HM) ने अपनी गतिविधियों का केंद्र बदलकर PAK के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में शिफ्ट करना शुरू कर दिया है. ये बदलाव दिखाता है कि अब वे पीओके को असुरक्षित मानते हैं. जबकि, खैबर पख्तूनख्वा उन्हें बेहतर सुरक्षा देता है, क्योंकि ये अफगान सीमा के नज़दीक है और यहां अफगान युद्ध से जुड़े पुराने जिहादी ठिकाने मौजूद हैं. जैश-ए-मोहम्मद का भर्ती अभियान खुला  14 सितंबर 2025 को भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच शुरू होने से करीब 7 घंटे पहले जैश-ए-मोहम्मद ने खैबर पख्तूनख्वा के मनसेहरा ज़िले के गढ़ी हबीबुल्लाह कस्बे में खुलेआम भर्ती अभियान चलाया था. ये आयोजन दिखावे में तो देवबंदी धार्मिक सभा था, लेकिन असल में इसे जैश-ए-मोहम्मद और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई) ने मिलकर आयोजित किया था. इसका असल मकसद लोगों को कट्टरपंथ की तरफ खींचना और भर्ती करना था, यानी कट्टरपंथी स्पीच देकर उनका ब्रेनवॉश करना था. मसूद इलियास कश्मीरी का भड़काऊ भाषण भारत में वांछित आतंकवादी और जैश-ए-मोहम्मद का बड़ा चेहरा मसूद इलियास कश्मीरी, जो संगठन के संस्थापक मौलाना मसूद अजहर का करीबी माना जाता है, उसने सभा में भड़काऊ भाषण दिया. उसने ओसामा बिन लादेन की तारीफ करते हुए उसे 'शोहदा-ए-इस्लाम' और 'अरब का राजकुमार' बताया. कश्मीरी ने जैश-ए-मोहम्मद की विचारधारा को अल-कायदा की विरासत से जोड़ते हुए खैबर पख्तूनख्वा को मुजाहिदीन की स्थायी पनाहगाह बताया. जैश का अगला ठिकाना बना पेशावर जैश अब 25 सितम्बर को पेशावर में एक बड़ा कार्यक्रम करने जा रहा है. इस बार जैश नए नाम अल-मुराबितून का इस्तेमाल करेगा, ताकि दुनिया की नजरों से बचा जा सके. 'अल-मुराबितून' का मतलब है इस्लाम की जमीन के रक्षक. नए ट्रेनिंग सेंटर्स का निर्माण सूत्रों ने बताया कि जैश-ए-मोहम्मद मनसेहरा में एक नया ट्रेनिंग सेंटर बना रहा है, जिसका नाम मरकाज़ शोहदा-ए-इस्लाम रखा गया है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद इस कैंप का दायरा बढ़ा है, इसका मकसद इस इलाके में जैश की भर्ती और ट्रेनिंग के कामों को सुगम बनाना है. रिपोर्ट्स के मुताबिक हिज्बुल मुजाहिदीन के पूर्व पाकिस्तानी कमांडो खालिद खान के नेतृत्व में खैबर पख्तूनख्वा के निचले दीर के बंदाई इलाके में 'HM313' नाम से नया प्रशिक्षण केंद्र बन रहा है. ये कैंप पीओके में तबाह हुए शिविरों की जगह लेना चाहता है. साथ ही कश्मीर में विचारधारा और सीमा पार योजना बनाने का एक मंच बनेगा. जिहादी नेटवर्क का फायदा उठा रहे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन का खैबर पख्तूनख्वा में एक्टिव होना क्षेत्र की शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है. ये दिखाता है कि ये आतंकी संगठन धार्मिक और राजनीतिक सभाओं के बहाने लोगों की भर्ती को सामान्य बनाने की कोशिश कर रहे हैं और इलाके में पहले से मौजूद जिहादी नेटवर्क का फायदा उठा रहे हैं, इन गतिविधियों से यह सवाल भी उठता है कि क्या पाकिस्तानी सरकार सच में आतंकवाद के खिलाफ सख्त है और क्या वह क्षेत्रीय स्थिरता लाने में ईमानदारी से काम कर रही है. पाकिस्तान पर लगातार दबाव बनाना जरूरी पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों का ये रणनीतिक बदलाव भारत और पूरी दुनिया के लिए बड़ी चिंता है. जैश-ए-मोहम्मद के खुलेआम भर्ती अभियान और हिज्बुल मुजाहिदीन के नए शिविर साफ दिखाते हैं कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर पल रहे आतंकियों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठा रहा. इसलिए, पाकिस्तान पर लगातार दबाव बनाए रखना जरूरी है, ताकि वह इन संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करे. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी पाकिस्तान को उसके कामों के लिए जिम्मेदार ठहराना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह आतंकवाद रोकने और क्षेत्र में स्थिरता लाने के लिए गंभीर कदम उठाए. खैबर पख्तूनख्वा (KPK) क्यों चुना गया? – PoK पर अब भारत की सीधी मार पड़ रही है. – KPK पहाड़ी इलाका है, अफगानिस्तान के पास है और पहले से आतंकी छिपने की जगहें हैं. – यहां आतंकियों को ज़्यादा सुरक्षित महसूस होता है.

स्वदेशी तकनीक ने दिखाई ताकत: ऑपरेशन सिंदूर में ‘संभव’ फोन से आतंकवादियों को मात

नई दिल्ली  भारतीय सेना ने हाल ही में एक खुफिया और सफल मिशन 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम दिया है, जिसने भारत की सुरक्षा क्षमताओं में एक नया मील का पत्थर जोड़ा है। इस ऑपरेशन में, जवानों ने विदेशी ऐप्स जैसे व्हाट्सएप (WhatsApp) की जगह स्वदेशी और पूरी तरह से सुरक्षित 'संभव' फोन का इस्तेमाल किया। यह कदम भारत की सुरक्षा के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा बदलाव है। 'ऑपरेशन सिंदूर' क्या था? मई 2025 में हुए इस ऑपरेशन का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला लेना था। इस हमले में 26 पर्यटक मारे गए थे। भारतीय सेना ने पाकिस्तान और गुलाम कश्मीर में घुसकर 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया, जिसमें 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इस ऑपरेशन को 'ग्रे जोन' ऑपरेशन बताया, जिसमें थल सेना, वायु सेना और नौसेना ने मिलकर काम किया। 'संभव' फोन क्यों बना हीरो? किसी भी खुफिया ऑपरेशन में सबसे बड़ी चुनौती होती है, संचार को सुरक्षित रखना। पहले भारतीय सेना के अधिकारी बातचीत के लिए व्हाट्सएप जैसे विदेशी ऐप्स का इस्तेमाल करते थे, जिससे जासूसी और डेटा लीक होने का खतरा बना रहता था। 'संभव' (Secure Army Mobile Bharat Version) फोन ने इस खतरे को खत्म कर दिया। यह फोन पूरी तरह से भारत में बनाया गया है और इसकी सुरक्षा इतनी मजबूत है कि इसे हैक करना लगभग नामुमकिन है। 'एम-सिग्मा' (M-Sigma) ऐप: इस फोन में एक खास ऐप है, जो बिल्कुल व्हाट्सएप की तरह काम करता है, लेकिन यह पूरी तरह से सुरक्षित है। जवान इसके जरिए बिना किसी डर के मैसेज, फोटो और वीडियो भेज सकते हैं। अटूट कनेक्शन: यह 5G टेक्नोलॉजी पर काम करता है और किसी भी नेटवर्क पर बिना रुकावट के चलता है। मल्टी-लेयर एन्क्रिप्शन: इसमें कई स्तरों की सुरक्षा कोडिंग है, जो बातचीत को पूरी तरह से गोपनीय रखती है। सेना प्रमुख ने बताया कि इस ऑपरेशन के दौरान कमांडरों से लेकर जवानों तक, सभी ने बातचीत और खुफिया जानकारी साझा करने के लिए केवल 'संभव' फोन का ही इस्तेमाल किया, जिससे ऑपरेशन को गुप्त रखने और तेजी से काम करने में मदद मिली।