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चुनावी रणभूमि की पहली लड़ाई: कौन कितनी सीटों पर दावेदार, लालू-नीतीश की ताकत का हाल

पटना बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान छह नवंबर को है। पहले चरण में 18 जिले के 121 सीटों पर चुनाव होना है। अब तक 1698 विभिन्न दलों के साथ ही निर्दलीय प्रत्याशियों ने नामांकन किया है। 20 अक्टूबर तक नाम वापसी की अंतिम तिथि है। खास बात यह है कि पहले चरण में राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाईटेड की सबसे अधिक सीटें दांव पर लगी है। इस बार महागठबंधन की ओर से राजद ने 71, कांग्रेस ने 25, भाकपा माले 13, वीआईपी और सीपीआई छह-छह, सीपीएम और आईआईपी ने दो प्रत्याशी उतारे हैं। वहीं एनडीए से जदयू ने 57 उतारे हैं। भाजपा के 48, लोजपा (राम) के 14 और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोमो से दो प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं।   पहले चरण में 36 सीटों पर राजद और जदयू के प्रत्याशी आमने-सामने हैं। वहीं राजद और भाजपा के बीच 23 सीटों पर आमने सामने हैं। कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों के बीच 23 सीटों पर मुकाबला है। वहीं कांग्रेस और जदयू  12 सीटों पर आमने-सामने हैं। वहीं चिराग और तेजस्वी के बीच 10 सीटों पर मुकाबला होना है। पहले यह संख्या 11 थी। लेकिन, मढ़ौरा से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) सीमा सिंह का नामांकन रद्द होने के कारण यह संख्या अब 10 रह गई। महागठबंधन में पिछले कुछ दिनों से सबसे ज्यादा चर्चा में रहे मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी का मुकाबला पहले चरण की छह में से चार सीटों पर भाजपा और दो सीटों पर जदयू से है। इन दिग्गजों की किस्मत पहले चरण में दांव पर पहले चरण में राजद से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव राघोपुर और छपरा से भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह चुनाव लड़ रहे हैं।  भाजपा से उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा लखीसराय, सम्राट चौधरी तारापुर से, मंत्री मंगल पांडेय सीवान से, जिवेश मिश्रा जाले से, संजय सरावगी दरभंगा सदर से, राजू सिंह राजू कुमार सिंह,  नितिन नवीन बांकीपुर और लोकगायिका मैथिली ठाकुर अलीनगर सीट, पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा से चुनावी मैदान में हैं। वहीं जदयू से मंत्री विजय कुमार चौधरी सरायगंज से, महेश्वर हजारी कल्याणपुर से चुनावी मैदान में हैं। 

बिहार में सियासी दिलचस्पी बढ़ी: महागठबंधन की आठ सीटों पर कांग्रेस-राजद में सीधी टक्कर

पटना विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 121 सीटों पर नामांकन प्रक्रिया खत्म हो गई। अब तक केवल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने सीट बंटवारे की घोषणा की है। महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग का फॉर्मूला अब तक तय नहीं हुआ है। सभी दलों ने पहले चरण की सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी उतार दिए। इनमें राजद ने 72, कांग्रेस ने 26, वामदल ने 21 और वीआईपी ने छह सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि आठ ऐसी सीटें हैं, जहां महागठबंधन के ही घटक दलों के उम्मीदवार एक-दूसरे को चुनौती देंगे। इनमें वैशाली, लालगंज, राजापाकड़, बछवाड़ा, रोसड़ा, बछवाड़ा, तारापुर और कहलगांव विधानसभा सीट है। इन सीटों पर फ्रेंडली फाइल से स्पष्ट हो गया है कि महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है। तारापुर विधानसभा सीट     यहां पर राजद और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रत्याशी आमने सामने हैं। राजद से अरुण शाह ने नामांकन पर्चा दाखिल किया है। वहीं वीआईपी की ओर से सकलदेव सिंह ने अपना नामांकन पर्चा दाखिल किया है। बछवाड़ा विधानसभा सीट     यहां पर कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) के प्रत्याशी आमने-सामने हैं। कांग्रेस से प्रकाश दास ने नामांकन पर्चा दाखिल किया है। वहीं सीपीआई से अवधेश कुमार राय ने नामांकन किया है। बिहारशरीफ विधानसभा सीट     यहां पर भी कांग्रेस और सीपीआई के प्रत्याशी आमने-सामने हैं। कांग्रेस से उमैर खान ने नामांकन किया है। वहीं सीपीआई के शिव प्रसाद यादव ने नामांकन किया है। रोसड़ा विधानसभा सीट     यहां पर कांग्रेस और सीपीआई के उम्मीदवार आमने-सामने हैं। कांग्रेस से बीके रवि ने नामांकन किया है। वहीं सीपीआई से लक्ष्मण पासवान ने नामांकन दाखिल किया है। राजपाकर विधानसभा सीट     यहां से कांग्रेस और सीपीआई के प्रत्याशी आमने-सामने हैं। कांग्रेस से प्रतिमा कुमारी ने नामांकन किया है। वहीं सीपीआई से मोहित पासवाान ने नामांकन किया है। वैशाली विधानसभा सीट     यहां राजद और कांग्रेस के प्रत्याशी आमने-सामने हैं। राजद से अजय कुशवाहा ने नामांकन किया है। वहीं कांग्रेस से ई.संजीव सिंह ने नामांकन किया है। लालगंज विधानसभा सीट     सबसे ज्यादा चर्चित यही सीट है। यहां राजद और कांग्रेस के प्रत्याशी आमने-सामने हैं। राजद पूर्व विधायक बाहुबली मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला को टिकट दिया। उन्होंने अपना नामांकन पर्चा दाखिल कर दिया। वहीं कांग्रेस से आदित्य कुमार राजा ने भी अपना नामांकन कर दिया है। जानिए, महागठबंधन के अंदर कलह पर किसने क्या कहा? भाकपा (माले) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार चुनाव के लिए सीट बंटवारे और उम्मीदवारों की घोषणा में हो रही देरी महागठबंधन के टूटने का संकेत नहीं, बल्कि इसके विस्तार का परिणाम है। कांग्रेस सांसद अखिलेश सिंह ने कहा कि कहीं कोई दिक्कत नहीं है। अंदर-अंदर काम चल रही है। महागठबंधन में कोई विवाद नहीं हैं। हमलोगों के बीच सबकुछ ठीक है। वहीं मुकेश सहनी की नाराजगी दूर हो गई है। उन्हें सम्मान देने कुछ तो इधर-उधर करना पड़ा। हमलोगों ने अपनी सीटें पिछली बार की तुलना में कम कर ली। वहीं सीएम फेस को लेकर उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के चेहरे हैं। सीट बंटवारे की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही सबकुछ फाइनल हो जाएगा। राजद सांसद सुधाकर सिंह ने कहा कि महागठबंधन में सबलोग एकजुट हैं। विरोधी की अफवाहों पर आपलोग ध्यान नहीं दें। किसी सीट फ्रेंडली फाइट नहीं हो रही है। जहां पर कंफ्यूजन में महागठबंधन के घटन दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ अपना नामांकन भर दिया है। वहां वापस लिया जा रहा है।  

RJD में संकट: दो बड़े नेताओं ने छोड़ा दल, अब नीतीश का हाथ थामेंगे

पटना बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को एक और बड़ा झटका लगा है। दरअसल, अब नवादा और रजौली से मौजूदा विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों के अनुसार, दोनों ही विधायक जदयू में शामिल हो सकते हैं। दरअसल, नवादा सीट से विधायक विभा देवी और रजौली (सुरक्षित) से प्रकाश वीर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। दोनों विधायकों ने अपना त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव को सौंपा, जिसे अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया है। इन दोनों विधायकों के इस्तीफे से बिहार की सियासत में खलबली मच गई है। इस्तीफे पर बोलते हुए, प्रकाश वीर ने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) पार्टी में लौटने का कोई सवाल ही नहीं है। मैंने विधायक पद से त्यागपत्र दे दिया है… वह (राजद नेता तेजस्वी यादव) एक बार नवादा में यात्रा के लिए गए थे, लेकिन उन्होंने हमें आमंत्रित नहीं किया, इसलिए हम नहीं गए। भीड़ में से कोई उन्होंने कहा, "मैंने चिल्लाकर कहा, 'तेजस्वी भैया, प्रकाश वीर को हटाओ'…इससे मेरे स्वाभिमान को ठेस पहुंची है…(राजद में वापस जाने का) कोई सवाल ही नहीं उठता।" इसी तरह, राष्ट्रीय जनता दल की नेता विभा देवी यादव ने पद से इस्तीफा देते हुए, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में अच्छा काम किया है। विभा देवी यादव बिहार विधानसभा में नवादा का प्रतिनिधित्व कर रही थीं। उन्होंने कहा, "मैंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है…मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नवादा और बिहार में अच्छा काम किया है। वह आगे भी ऐसा ही करते रहेंगे…जनता विकास की उम्मीद करती है। जनता सवाल उठाएगी कि विकास हुआ है या नहीं…" इस बीच, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने रविवार को दो चरणों वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले हर परिवार को सरकार देने के अपने चुनावी वादे को दोहराया।  

कांग्रेस सरकार में फला-फूला नक्सलवाद, अब हो रहा सफाया: श्यामबिहारी, ताम्रध्वज बोले- हमारी सरकार होती तो पहले खत्म हो जाता

रायपुर छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर सियासत गरमाने लगा है. माड़ डिवीजन के 16 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. इस मामले में मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने कहा, यह डबल इंजन सरकार की इच्छाशक्ति का परिणाम है. पिछली सरकार में नक्सलवाद फला, फूला और बढ़ता गया. कांग्रेस की सरकार में इच्छाशक्ति की कमी थी. इच्छाशक्ति होती तो नक्सलवाद का सफाया हो जाता. वहीं नक्सलवाद को लेकर पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा है कि 5 साल तक नक्सलवाद को सिमटते हुए एक पिनपॉइंट पर हमने ला दिया था. अगर हमारी सरकार बनती तो उस पिनपॉइंट को खत्म कर देते. डबल इंजन सरकार नहीं होते हुए भी नक्सलवाद खत्म हो जाता. नक्सलवाद खात्मे पर पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा, 15 साल रमन सरकार ने नक्सल उन्मूलन का काम नहीं किया. भूपेश सरकार में नक्सल उन्मूलन और विकास हुआ. नक्सल क्षेत्रों में 70 कैंप भूपेश सरकार में खुले. विश्वास और विकास का नारा भूपेश सरकार ने दिया. अगर हमारी सरकार बनती तो डबल इंजन सरकार नहीं होते हुए भी नक्सलवाद खत्म हो जाता. प्रसिद्ध कथावाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने गोमाता को राजमाता का दर्जा देने की मांग की है. इस पर मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने कहा, गाय की पूजा सदियों से माता के रूप में की जा रही है. गोमाता को राजमाता का दर्जा दिया जाए तो खुशी की बात है. मुझे लगता है कि इसमें किसी को भी आपत्ति नहीं होगी. सनातन संस्कृति में हमेशा गोमाता की जय का नारा लगता है. पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा, बोलने और दुष्प्रचार करने में भाजपा माहिर है. जब से सृष्टि बनी है तब से गौ माता को गौ माता ही कहते हैं. यह तो सामान्य प्रक्रिया शुरू से चल रही है. मंत्री ने मुगलों से की कांग्रेस की तुलना कांग्रेस के घोटालों को लेकर हर दिन हो रहे खुलासे पर मंत्री जायसवाल ने कांग्रेस की तुलना मुगलों से की. घोटालों को लेकर उन्होंने कहा, रहीम ने कहा है – खैर, खून, खांसी, खुशी, बैर, प्रीति, मदपान, रहीमन दाबे न दबे, जानत सकल जहान. आपराधिक चीजों, भ्रष्टाचार को तत्काल कोई नहीं कहता, लेकिन एक न एक दिन ये बातें खुलकर सामने आती है. कभी मुगलों और टीपू सुल्तान को महान बताया जाता था. आज सबको पता चल रहा है ये लूटेरे थे, लूटने आए थे. इसी तरह से कांग्रेस के घोटाले भी खुलकर सामने आ रहे हैं. पूर्व गृह मंत्री ने कहा – मंत्री को इतिहास की जानकारी नहीं मंत्री ने कांग्रेस की तुलना मुगलों से की. इस पर पलटवार करते हुए पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा, श्यामबिहारी जायसवाल को भारत वर्ष के इतिहास की जानकारी नहीं है. पहले जानकारी लें, इतिहास पढ़ें कि आजादी के पहले क्या था. अंग्रेजों के शासन के पहले क्या था. उसके बाद मुगलों की तुलना कांग्रेस से करे. कांग्रेस को भाजपा के प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है. कांग्रेस सरकार में हर क्षेत्र में अंधाधुन भ्रष्टाचार हुआ : श्यामबिहारी कांग्रेस का कहना है कि सरकार 32 लाख राशनकार्ड धारियों के राशन कार्ड निरस्त करना चाहती है. इस मामले में मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने कहा, कांग्रेस चाहती है कि जंगलराज वापस आए. Kyc की वजह से डायरेक्ट पैसा जा रहा है. ये फिर से चाहते हैं कि 100 रुपए भेजे और 15 पैसे जाए. कांग्रेस के समय में हर क्षेत्र में अंधाधुन भ्रष्टाचार हुआ है. सरकार जब भी उसे दुरुस्त करना चाहती है उनको पीड़ा होती है.

JDU को झटका, वरिष्ठ नेता ने चुनाव से पहले RJD में की शामिल

पटना बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पाला बदलने का सिलसिला शुरू हो चुका है। इसी कड़ी में जेडीयू को एक बड़ा झटका लगा है।  बिहार सरकार के पूर्व मंत्री लक्ष्मेश्वर राय ने जदयू से इस्तीफा देकर राजद का थामन लिया है। लक्ष्मेश्वर राय बिहार सरकार में आपदा प्रबंधन मंत्री रह चुके है। लक्ष्मेश्वर राय ने आज ही आरजेडी की सदस्यता ग्रहण की है। गौरतलब हो कि 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू के टिकट पर लौकहा सीट से भाजपा प्रत्याशी प्रमोद प्रियदर्शी को हराया था। इसके बाद उन्हें बिहार सरकार में आपदा प्रबंधन मंत्री बनाया गया। बता दें कि कल 10 अक्टूबर से पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। गौरतलब है कि बिहार में पहले चरण का मतदान 6 नवंबर और दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होना है। वहीं अभी भी महागठबंधन और एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है।  

विधानसभा चुनाव 2027 से पहले पंजाब में राजनीतिक हलचल, गुप्ता सहित कई बड़े चेहरे मैदान में

चंडीगढ़  आम आदमी पार्टी (आप) ने उद्योगपति राजिंदर गुप्ता को राज्यसभा की टिकट देकर एक बार फिर से उद्योगपतियों को साधने का प्रयास किया है। वर्ष 2027 विधानसभा चुनाव में उद्योग वर्ग अहम भूमिका निभाने वाला है। प्रदेश में इससे जुड़ा अच्छा खासा वोट बैंक भी है। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए आप कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इससे पहले दो उद्योगपतियों और एक बिजनेसमैन की राज्यसभा में पार्टी एंट्री करवा चुकी है।  संजीव अरोड़ा के इस्तीफे के बाद फिर से उद्योग वर्ग से उद्योगपति विक्रमजीत सिंह साहनी के रूप में सिर्फ एक सांसद रह गया था। इसके अलावा एक बिजनेसमैन अशोक कुमार मित्तल भी आप से राज्यसभा में सांसद है। उद्योगपतियों के अहम रोल का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आप सरकार ने पंजाब व हरियाणा के बॉर्डर पर लगे किसानों का मोर्चा भी हटा दिया था, जिस कारण उद्योगपतियों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा था। उद्योगपतियों के साथ बैठक के बाद ही यह कार्रवाई सामने आई थी। राजिंद्र गुप्ता ने छोटी उम्र से ही हाथ से मेहनत की और फिर ट्राइडेंट समूह खड़ा किया, जिसके वह चेयरमैन बने। उन्होंने टेक्सटाइल, पेपर व केमिकल उद्योग का संचालन किया। गुप्ता अकाली दल और कांग्रेस की सरकारों में अहम पदों पर रहे हैं। वह दोनों सरकारों के दौरान योजना बोर्ड के वाइस चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन रहे हैं। उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त था। पंजाब में राज्यसभा की 7 सीटें हैं। इनमें से एक पद रिक्त हैं। साहनी और मित्तल के अलावा पर्यावरणविद बलबीर सिंह सीचेवाल, आप नेता राघव चड्डा, आप नेता संदीप कुमार पाठक, क्रिकेटर हरभजन सिंह भी इसमें हैं।

रोहिणी आचार्य के पक्ष में तेजस्वी यादव, बोले- उनका टिकट नहीं बल्कि योगदान अहम

पटना राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने शुक्रवार को कहा कि उनकी बहन रोहिणी आचार्य का त्याग राजनीतिक हितों से कहीं ऊपर है और उनका जीवन सेवा एवं बलिदान को समर्पित रहा है। यादव ने कहा कि जब उनके पिता और राजद प्रमुख लालू प्रसाद गंभीर रूप से बीमार थे, तब रोहिणी ने अपनी किडनी दान करके एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया जो समाज के लिए मिसाल है। ‘रोहिणी दीदी ने हमें पाला है, उनके स्नेह और त्याग को भुलाया नहीं जा सकता'- Tejashwi Yadav तेजस्वी ने कहा, ‘‘रोहिणी दीदी ने हमें पाला है, उनके स्नेह और त्याग को भुलाया नहीं जा सकता। राजनीति में पद या टिकट की उनकी कभी कोई इच्छा नहीं रही।'' बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर रोहिणी आचार्य को लेकर अनर्गल टिप्पणियां कर रहे हैं, लेकिन ऐसी बातें बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य हैं। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद की बेटी, जो उनको ‘किडनी' देने के बाद चर्चा में आई थीं, ऐसा पोस्ट कर रही थीं जिससे लालू परिवार में आंतरिक कलह के संकेत मिल रहे थे। RJD नेता ने स्पष्ट किया कि छपरा के लोगों की मांग पर ही लालू प्रसाद ने रोहिणी आचार्य को टिकट दिया था और वे जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए लगातार काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी को मजबूत करने और संगठन को सुदृढ़ करने में उनकी बहन की अहम भूमिका है।  

सियासी पारा बढ़ा, मोहन भागवत की वसुंधरा ‘वन’ वापसी पर उठे सवाल

जयपुर राजस्थान बीजेपी की सियासत इस वक्त ठहरे हुए पानी जैसी लग रही है, लेकिन भीतर बहुत कुछ खदबदा रहा है। कई किरदार सियासत के रंगमंच पर अपनी भूमिका के इंतजार में हैं और नजर एक ही चेहरे पर टिकी है. वो चेहरा है वसुंधरा राजे। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एक बार फिर से भाजपा और संघ की सक्रिय राजनीति के केंद्र में आती दिख रही हैं। बुधवार को जोधपुर प्रवास के दौरान राजे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख डॉ. मोहन भागवत से मुलाकात की, जो करीब 20 मिनट तक चली। इस मुलाकात की चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि करीब एक सप्ताह पहले धौलपुर में एक धार्मिक मंच से वसुंधरा राजे ने बयान दिया कि -जीवन में हर किसी का वनवास होता है, लेकिन वह स्थायी नहीं होता। वनवास आएगा तो जाएगा भी। पिछले महीने वसुंधरा राजे ने दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से संसद में मुलाकात कर हाई कमान से अपने बदलते रिश्तों के संकेत भी दिए थे। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी में इन दिनों राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर कई चेहरों के नाम चल रहे हैं। बीजेपी जिस तरह पिछली बार संसद में महिला आरक्षण का विधेयक लाई थी उसे देखते हुए पार्टी को अहम पदों पर मजबूत महिला नेत्रियों की जरूरत भी होगी।  हालांकि, संघ प्रमुख सार्वजनिक मंच से हाल में यह बयान दे चुके हैं कि आरएसएस बीजेपी के मामलों में दखल नहीं देती। उन्होंने हाल में बयान दिया था- RSS कुछ नहीं तय करता। हम सलाह दे सकते हैं, लेकिन वो सरकार चलाने में एक्सपर्ट है और हम अपने काम में एक्सपर्ट है। आपको क्या लगता है कि यदि हम तय करते तो इतनी देर होती क्या? 'कहीं न कहीं संघ का वीटो जरूर होता है' हालांकि, राजनीति के जानकार कहते हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का मसला सिर्फ बीजेपी को ही तय करना होता.. तो अब तक तय हो चुका होता। कहीं न कहीं संघ का वीटो जरूर होता है। इसलिए इस अहम पद पर किसकी तैनाती होगी, इसका रास्ता नागपुर से होकर निकलता है। वसुंधरा की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब भाजपा में नेतृत्व को लेकर भीतरखाने कई चर्चाएं चल रही हैं और संघ की भूमिका फिर से महत्वपूर्ण हो रही है। सूत्रों की मानें तो भाजपा के भीतर एक वर्ग लगातार यह चाहता रहा है कि राजे को एक बार फिर से राजस्थान की राजनीति में नेतृत्व की भूमिका दी जाए। वसुंधरा राजे के साथ उनके खेमें के विधायक और सांसद भी भीतर से उम्मीद लगाए बैठे हैं। 'प्रमुख दावेदार के तौर पर राजे के नाम की चर्चा' राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार मनीष गोधा  का मानना है कि वसुंधरा राजे और मोहन भागवत की मुलाकात तो महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा- वसुंधरा राजे को उन्होंने समय दिया तो निश्चित रूप से कोई अहम विषय रहा होगा। जब तक परिणाम नहीं आते तब तक सिर्फ कयास लगाए जा सकते हैं क्योंकि दोनों के बीच वन टू वन मुलाकात हुई है। लेकिन बीजेपी में इन दिनों जो घटनाक्रम चल रहे हैं। उससे इसे जोड़ा जा सकता है। इसमें बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव और उसमें प्रमुख दावेदार के तौर पर वसुंधरा राजे के नाम की चर्चा है। अब सवाल यह है कि यह मुलाकात क्या उस संदर्भ में थी ? जहां तक राजस्थान की बात है मुझे नहीं लगता कि भागवत लोकल राजनीति में किसी तरह का इंटरेस्ट लेंगे। इसलिए यह मुलाकात राष्ट्रीय मुद्दे पर ही होना लग रहा है। हां इस मुलाकात की चर्चा इसलिए ज्यादा है क्योंकि पिछले दिनों वनवास वापसी को लेकर जिस तरह से राजे ने बयान दिए उसके कई तरह के निहितार्थ निकाले जा सकते हैं। मुलाकात निश्चित रूप से महत्पपूर्ण है। '…विषपान करके अपने आपको धर्यवान रखा' राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार त्रिभुवन पूरे घटनाक्रम पर बेहद सटीक बात करते हैं। उनका कहना है कि हाई कमान मजबूत होता है, तो स्टेट लीडरशिप के साथ उनके रिश्ते बदल जाते हैं। जैसे आप देखेंगे कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी, उसमें हाई कमान और स्टेट लीडरशिप के रिश्तों में स्टेट लीडरशिप भारी पड़ती थी। इसलिए कांग्रेस हाई कमान चाहकर भी वह काम नहीं करवा पाई जो वह करवाना चाहती थी। बीजेपी में भी अतीत में यही पॉजिशन रही थी। लेकिन बीजेपी की सेंट्रल लीडरशिप बहुत ज्यादा मजबूत है। उन्होंने शायद यह समझा कि राजे का राजस्थान में काम करना शायद उतना सरल नहीं है। इसलिए उन्होंने बाकी राज्यों की तरह यहां भी लीडरशिप को चेंज किया ताकि वे अपने तरीके से काम कर सकें। वह तरीका अच्छा है या खराब है वह अलग बात है। इस सूरत में वसुंधरा राजे ने अब तक, खास तौर पर जब से ऐसा लग रहा है कि वे थोड़ा उपेक्षित की गई हैं। तब उन्होंने कहीं न तो फ्रस्ट्रेशन जाहिर किया और न कभी गुस्सा दिखाया। जैस उनके बारे में प्रचारित किया जाता था, उस स्वभाव के बिल्कुल प्रतिकूल उन्होंने बिना कोई गुस्सा या नाराजगी दिखाए वे अपने आपको उपस्थित रखे हुए हैं। इस सूरत में मुझे लगता है कि उन्होंने बेहद शालीनता और गरिमा के साथ पूरा विषपान करके अपने आपको धर्यवान रखा है। मुलाकात एक निर्णायक संकेत दे सकती है हर राजनेता सोचता है कि उनकी भूमिका हो और इनकी होनी चाहिए। खासकर मोदी सरकार ने पिछली बार महिला आरक्षण विधेयक लाई उसमें उन्हें बेहद ताकतवर महिलाओं की जरूरत भी पड़ेगी। मुझे लगता है कि वसुंधरा राजे बीजेपी के बड़े एसेट्स में हैं और हो सकता है कि यह खुद भी प्रयास कर रही हैं कि उनकी भूमिका निर्णायक रहे। हम जानते हैं कि संघ लोगों की भूमिका तय करने में मुख्य भागीदार होता है तो मोहन भागवत के साथ उनकी मुलाकात एक निर्णायक बात हो सकती है। राजे की दावेदारी मजबूत क्यों?     मजबूत जनाधार और जमीनी पकड़ वाली छवि      राजस्थान में बीजेपी में जातिगत संतुलन वाला फार्मूला वसुंधरा राजे की ही देन रही। उन्होंने खुद को“राजपूतों की बेटी, जाटों की बहू और गूर्जरों की संबंधन”बताया।     संगठन और सरकार दोनों का अनुभव     उनके पास संगठन और सरकार चलाने का अनुभव रहा है। उन्होंने – 14 नवम्बर 2002 से 14 दिसम्बर 2003 तथा 2 फरवरी … Read more

पटना में आगजनी, गया में चक्का जाम – गालीकांड बना बड़ा चुनावी मुद्दा

पटना  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां के अपमान के खिलाफ एनडीए सड़कों पर उतर आया है. कांग्रेस के एक कार्यक्रम में हुई घटना के विरोध में एनडीए ने आज 'बिहार बंद' का आह्वान किया है. सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक बंद का ऐलान किया गया है जिसके तहत अलग-अलग शहरों में एनडीए कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं. हालांकि इस दौरान इमरजेंसी सेवाओं को बाधित नहीं किया जा रहा है. बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा, 'कुछ दिन पहले इंडिया गठबंधन के मंच से पीएम मोदी की दिवंगत मां को गाली दी गई थी. आज एनडीए ने पीएम मोदी की दिवंगत मां के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के विरोध में पांच घंटे का बिहार बंद बुलाया है. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए.' बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'यह बहुत ही शर्मनाक है कि प्रधानमंत्री मोदी की दिवंगत मां को गाली दी गई और आज तक माफी नहीं मांगी गई. मैं राहुल गांधी और तेजस्वी यादव से कहना चाहता हूं कि अगर हमारी पार्टी का कोई नेता ऐसी भाषा का इस्तेमाल करता तो हम उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करते… हम इसकी निंदा करते हैं. भारत की संस्कृति मां का सम्मान करना है… अगर हमारी पार्टी का कोई नेता ऐसी भाषा बोलता तो हम कार्रवाई भी करते और माफी भी मांगते… बिहार की जनता राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को करारा जवाब देगी.' बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश के बीच दरभंगा में 'वोटर अधिकार यात्रा' के दौरान पीएम मोदी और उनकी मां को लेकर दी गई गाली को बीजेपी ने सियासी मुद्दा बना दिया है. इस मुद्दे को लेकर गुरुवार को एनडीए ने बिहार बंद बुलाया है, जो दोपहर एक बजे तक रहेगा. बीजेपी और एनडीए ने पीएम मोदी की मां के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी को महिला अस्मिता से जोड़ दिया है. यही वजह है कि बीजेपी की महिला मोर्चा ने बिहार की सड़क पर फ्रंटफुट पर उतरकर महागठबंधन के खिलाफ माहौल बनाया है. बीजेपी की महिला मोर्चा के कार्यकर्ताओं के साथ एनडीए के तमाम बड़े नेता भी बिहार की अलग-अलग शहरों की सड़क पर उतरेंगे और महागठबंधन को महिला विरोधी के कठघरे में खड़े करेंगे. इस तरह एनडीए की बिहार चुनाव से पहले गाली कांड को भावनात्मक मुद्दा बनाकर आरजेडी-कांग्रेस को घेरने की रणनीति है. बीजेपी विधायक संजय मयूख ने कहा, 'बिहार की माताएं और बहनें एनडीए की ओर से बुलाए गए बंद में हिस्सा ले रही हैं. महागठबंधन के कार्यक्रम में पीएम मोदी की दिवंगत मां के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर आप भाग नहीं सकते. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को बिहार की जनता करारा जवाब देगी.' गयाजी में भी बड़ी संख्या में महिलाएं बीजेपी के झंडों के साथ सड़कों पर बैठकर प्रदर्शन करती नजर आईं. पटना के दानापुर समेत कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों को टायर जलाकर विरोध करते हुए देखा गया. बीजेपी ने इस बंद की कमान महिला मोर्चा को सौंपी है. पटना में बड़ी संख्या में महिलाएं सड़कों पर बैठकर प्रदर्शन कर रही हैं. एनडीए के सभी घटक दल इस बंद में शामिल हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने अन्य सहयोगी दलों के प्रदेश अध्यक्षों के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस इसका ऐलान किया था. खास बात यह है कि पार्टी ने इस बंद की कमान महिला मोर्चा को सौंपी है. एनडीए नेताओं का कहना है कि पीएम मोदी की मां को गाली देकर उनका अपमान किया गया है और इस तरह के व्यवहार का कड़ा विरोध किया जाएगा. एनडीए के 'बिहार बंद' को लेकर विपक्षी दलों ने भी सियासी हमले शुरू कर दिए हैं. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री विदेश में हंसते रहे और भारत लौटते ही रोने लगे. उन्होंने तंज कसा कि सरकार के लोग ही बिहार बंद करा रहे हैं. तेजस्वी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि वह बिहार यात्रा में उमड़े जनसैलाब से डरी हुई है, इसलिए ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं. 'गाली कांड' बना चुनावी मुद्दा बिहार में राहुल गांधी वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का मुद्दा बनाने के लिए 'वोटर अधिकार यात्रा' निकाली थी. इस दौरान दरभंगा में कांग्रेस और आरजेडी के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मां के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी, जिसे लेकर बीजेपी ने मोर्चा खोल दिया है. मंगलवार को पीएम मोदी ने जीविका दीदी को संबोधित करते हुए कहा था, "मां के अपमान के लिए मैं एक बार कांग्रेस को क्षमा कर सकता हूं, बिहार की जनता कभी माफ नहीं करेगी." इतना ही नहीं पीएम मोदी ने इसे बिहार और देश की महिला अस्मिता का मुद्दा बना दिया. पीएम मोदी के बयान के बाद एनडीए की महिला ब्रिगेड ने भी मोर्चा खोल दिया है. पीएम की मां को सार्वजनिक रूप से गाली देना बिहार चुनाव में मुद्दा बन गया है. इसी मद्देनजर 4 सितंबर को बीजेपी ने बिहार बंद का ऐलान भी कर दिया है, जिसमें सिर्फ बीजेपी नेता और उसके कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि एनडीए के सभी घटक दल के नेता और कार्यकर्ता एक साथ सड़क पर उतर गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां पर अभद्र टिप्पणी करने को लेकर एनडीए ने बिहार बंद बुलाया है, जिसके लिए एक दिन पहले ही अखबारों में एनडीए की तरफ से विज्ञापन दिया गया था, जिसमें लोगों से 4 सितंबर को बिहार बंद में स्वेच्छा से शामिल होने की भावुक अपील की गई है. विज्ञापन में एक मां का फोटो और भड़कते हुए शख्स की फोटो भी लगाई गई है. इतना ही नहीं साफ-साफ शब्दों में लिखा गया है कि पीएम मोदी की मां को कांग्रेस-आरजेडी के मंच से जिस प्रकार गाली दी गई है, उससे संपूर्ण बिहार को शर्मसार और कलंकित किया गया है. बीजेपी महिला मोर्चा फ्रंट पर उतरा बिहार बंद का नेतृत्व बीजेपी महिला मोर्चा कर रही है. इसकी सबसे बड़ी झलक पटना में दिख रही है, जहां बड़ी संख्या में महिला मोर्चा की कार्यकर्ता सड़कों पर उतरी हैं. बीजेपी महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष धर्मशिला गुप्ता के नेतृत्व में पटना के इनकम टैक्स गोलंबर से डाक बंगला चौराहे तक मार्च निकालने का भी प्लान बनाया है. मार्च में महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं के साथ-साथ पार्टी के सभी बड़े … Read more

18 पार्षदों के सामूहिक इस्तीफे से शिवपुरी की राजनीति में उठा हलचल, जानिए पूरा मामला

शिवपुरी  शिवपुरी। (भूपेंद्र शर्मा): मध्य प्रदेश के शिवपुरी नगर पालिका में सियासी हलचल तेज हो गई है।  18 पार्षदों ने एक साथ इस्तीफा दे दिया। नाराज पार्षदों ने पहले हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना की और उसके बाद एक रैली निकालकर कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहां उन्होंने अपने-अपने इस्तीफे सौंपे। इसमें शामिल थे 12 भाजपा, 5 कांग्रेस और 1 निर्दलीय पार्षद, जबकि नगर पालिका उपाध्यक्ष सरोज रामजी व्यास ने भी इस्तीफा दिया। रास्ते में पार्षदों का जनता ने स्वागत किया और रैली के दौरान उन्होंने “गायत्री शर्मा चोर है” के नारे लगाए। जानकारी के अनुसार, पिछले दो महीने से पार्षद नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा को हटाने को लेकर सक्रिय थे। उन्होंने उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी पेश किया था, जो खारिज हो गया। इस्तीफे देने वाले पार्षदों ने साफ कहा कि या तो उनके इस्तीफे तुरंत मंजूर किए जाएं या गायत्री शर्मा को पद से हटाया जाए। पार्षदों का आरोप है कि शर्मा के 3 साल के कार्यकाल में नगर पालिका की हालत बेहद खराब रही है। पीने का पानी उपलब्ध नहीं, सड़कें खराब और योजनाओं में भारी भ्रष्टाचार की आशंका जताई गई।