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गले मिले, संवेदना जताई — हरिओम के परिवार से मुलाकात के दौरान इमोशनल हुए राहुल गांधी

फतेहपुर यूपी के फतेहपुर जिले में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने शुक्रवार की सुबह रायबरेली के ऊंचाहार में मॉब लिंचिंग का शिकार हुए हरिओम वाल्मीकि के परिवार से काफी देर तक मुलाकात की। इस दौरान हरिओम के परिजन राहुल से मिलकर भावुक हो गए। बेटे हरिओम को खोने के बाद परिवार सदमे में है। राहुल गांधी ने संवेदना व्यक्त की और परिवार के सदस्यों का हाथ अपने हाथ में थाम लिया। मार्मिक मुलाकात के दौरान राहुल ने हरिओम के पिता को गले भी लगाया। कांग्रेस नेता के सामने हरिओम की मां फूट-फूटकर रोने लगीं। इसपर राहुल ने उनका हाथ थामकर ढांढस बंधाया। शुक्रवार सुबह जब कांग्रेस नेता मृतक हरिओम के घर पहुंचे तो शोकाकुल परिवार सदमे में डूबा था। राहुल गांधी ने हरिओम के पिता का न केवल हाथ थामा बल्कि उन्हें गले भी लगाया। हरिओम की मां के सामने भी राहुल गांधी भी भावुक हो गए।   हरिओम की मां राहुल के सामने फफक पड़ीं। बेटे की मौत पर दुख जताया। कांग्रेस नेता ने उनका हाथ पकड़कर उन्हें शांत कराया। इस दौरान राहुल गांधी ने परिवार को न्याय दिलाने और हर कदम पर उनका साथ देने का आश्वासन दिया।   यूपी के रायबरेली जिले के ऊंचाहार में 2 अक्तूबर को चोर समझकर भीड़ ने बर्बरता से हरिओम वाल्मीकि की पिटाई की। जिससे उसकी मौत हो गई। मॉब लिंचिंग की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। बताया जाता है कि पिटाई के दौरान हरिओम ने अपना नाम और पता भी बताया था। इसके अलावा अंतिम सांसों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम भी लिया था। जिसके बाद इस मुद्दे ने बड़ा सियासी रूप ले लिया था। 'हमारे बेटे, हमारे भाई को मारा गया है' कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दो अक्तूबर को रायबरेली में कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या मारे गए हरिओम वाल्मीकि के परिवार से मुलाकात के बाद कहा कि, "कुछ दिन पहले दलित अफसर ने आत्महत्या की थी। मैं वहां गया और आज मैं यहां आया हूं। अपराध इस परिवार ने नहीं किया, अपराध इनके खिलाफ किया गया है और लग ऐसा रहा है कि यह लोग अपराधी हैं। इन्हें घर में बंद कर रखा है, इन्हें डराया जा रहा है। ये लोग केवल न्याय मांग रहे हैं। हमारे बेटे, हमारे भाई को मारा गया है। उसकी हत्या की गई है। हम केवल न्याय मांग रहे हैं। 'इन्हें न्याय दीजिए, इनका सम्मान कीजिए' पूरे देश में दलितों के खिलाफ अत्याचार, हत्याएं, दुष्कर्म जैसी घटनाएं हो रही हैं। मैं मुख्यमंत्री से कहना चाहता हूं, इन्हें न्याय दीजिए, इनका सम्मान कीजिए। जो अपराधी हैं उनके खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई कीजिए और उनकी रक्षा करने का प्रयास मत कीजिए…(पीड़ित परिवार) मुझ से मिलें, मुझ से ना मिलें यह जरूरी नहीं है, बल्कि जरूरी बात यह है कि ये लोग अपराधी नहीं हैं। इन्होंने कोई गलती नहीं की है… अपराधी दूसरे लोग हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। मैंने आज यहां आकर इनसे बातचीत की, इनका दर्द और दुख सुना और कांग्रेस पार्टी और मेरा प्रयास है कि हम जो मदद कर सकते हैं हम करेंगे। 'परिवार को मुझसे न मिलने की धमकी दी' लोकसभा नेता राहुल गांधी ने कहा कि आज सुबह सरकार ने परिवार को मुझसे न मिलने की धमकी दी, यह महत्वपूर्ण नहीं है कि पीड़ित परिवार मुझसे मिलता है या नहीं, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि ये लोग अपराधी नहीं हैं। उन्होंने कोई गलती नहीं की है। मैंने मृतक के परिवार से मुलाकात की और उनकी बात सुनी। कांग्रेस पार्टी और मैं परिवार को हर संभव मदद प्रदान करने की पूरी कोशिश करेंगे। देश में जहां भी दलितों के खिलाफ अत्याचार होगा, कांग्रेस वहां होगी और हम हर संभव मदद प्रदान करेंगे और न्याय के लिए लड़ेंगे। राहुल गांधी से मुलाकात करने से कर दिया था इनकार इससे पहले शुक्रवार सुबह परिवार ने राहुल गांधी से मुलाकात करने से साफ इनकार कर दिया था। हरिओम के भाई शिवम ने कहा है कि मैं सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट हूं। इस मामले में किसी तरह की राजनीति नहीं चाहते हैं। मेरे भाई के हत्यारों को जेल भेजा गया है और बहन को नौकरी भी दी गई है। हम चाहते हैं कि कांग्रेस और अन्य राजनैतिक पार्टियों के नेता राजनीति करने न आएं। माना जा रहा है कि परिवार अब राजनीतिक हस्तक्षेप से दूर रहना चाहता है, क्योंकि मामले में प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की है।

सीट बंटवारे पर विवाद जारी, लालू-तेजस्वी ने दिल्ली की उड़ान भरी, राहुल गांधी से करेंगे बातचीत

पटना बिहार में ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस' (इंडिया) गठबंधन के दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर अनिश्चितता कुछ और समय जारी रहने की संभावना है तथा राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष लालू प्रसाद अपने पुत्र तेजस्वी यादव के साथ रविवार को दिल्ली रवाना हो गए। पार्टी ने हाल में प्रसाद को सीट वितरण और उम्मीदवार चयन पर अंतिम निर्णय लेने का ‘‘अधिकार'' दिया था। बिहार में ‘‘महागठबंधन'' के रूप में जाने जाने वाले गठबंधन में राजद का दबदबा है। इस ‘‘महागठबंधन'' में कांग्रेस और वाम दल भी शामिल हैं। बाद में यही गठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर ‘इंडिया' नाम से जाना जाने लगा। रविवार सुबह जब पिता-पुत्र और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी अपने आवास से रवाना हुए तो वहां मौजूद पार्टी के टिकट दावेदारों में निराशा फैल गई जिन्हें उम्मीद थी कि नेता उनकी बात सुनेंगे। सुरक्षाकर्मियों को 10, सर्कुलर रोड स्थित राबड़ी देवी के आवास से उन्हें हटाने में खासी मशक्कत करनी पड़ी। यह आवास मुख्यमंत्री निवास के ठीक सामने स्थित है। हवाई अड्डे पर लालू प्रसाद और राबड़ी देवी ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया, जबकि तेजस्वी यादव ने बस इतना कहा कि "सब ठीक है"। अटकलें लगाई जा रही हैं कि राजद नेता दिल्ली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात कर सकते हैं। मीडिया के एक वर्ग में आई खबरों के अनुसार, कांग्रेस का मानना है कि वह ‘वोटर अधिकार यात्रा' की सफलता के बाद राज्य में कमजोर नहीं रह गई है और वह लगभग उतनी ही सीट पर चुनाव लड़ना चाहती है, जितनी उसने पांच साल पहले लड़ी थी। उस समय उसने 70 उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से केवल 19 ही जीत पाए थे। राजद प्रमुख के एक करीबी सहयोगी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “लालू जी और तेजस्वी जी दिल्ली इसलिए गए हैं, क्योंकि कल ‘नौकरी के बदले जमीन' मामले में सुनवाई की तारीख है। हालांकि वहां वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।” राजद सूत्र ने कहा, “हमारा मन बन चुका है। हम 243 सीट में से कम से कम आधी सीट अपने पास रखेंगे। हमने 2020 के चुनाव में 140 से अधिक सीट पर चुनाव लड़ा था, इसलिए इस बार नए सहयोगियों को समायोजित करने के लिए यह पहले से ही एक तरह का ‘त्याग' है।” उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस ही नहीं, बल्कि छोटे दलों को भी अपनी महत्वाकांक्षाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए। तभी सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के खिलाफ एक विश्वसनीय चुनौती खड़ी की जा सकती है।” पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 17 अक्टूबर है। इस चरण में 121 सीट पर छह नवंबर को मतदान होगा।

चाईबासा कोर्ट में राहुल गांधी केस की अगली तारीख हुई तय, सुनवाई 9 अक्टूबर

रांची झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा स्थित एमपी-एमएलए विशेष न्यायालय में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से जुड़ा मामला 4 अक्टूबर को तय समय पर नहीं सुना जा सका। भाजपा नेता अमित शाह पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के संबंध में चल रहे इस केस में राहुल गांधी ने अपनी निजी उपस्थिति से छूट की मांग की है। यह आवेदन उन्होंने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 205 के तहत अदालत में दाखिल किया था। अदालत को इस आवेदन पर 4 अक्टूबर को फैसला सुनाया था, लेकिन न्यायाधीश के अवकाश पर रहने के कारण सुनवाई स्थगित कर दी गई। अब मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के अधिवक्ता सुभाष चंद्र मिश्रा ने बताया कि दोनों पक्षों की दलीलें 22 सितंबर को पूरी हो चुकी थीं और अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया था। 4 अक्टूबर को फैसले की उम्मीद थी, लेकिन न्यायाधीश की अनुपस्थिति के कारण प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। पार्टी नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी राष्ट्रीय स्तर पर अत्यंत व्यस्त रहते हैं और हर सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना उनके लिए संभव नहीं होगा। इसलिए, यह आवेदन उनकी व्यस्तता को ध्यान में रखते हुए दायर किया गया है ताकि राजनीतिक और संसदीय कर्तव्यों में बाधा न आए। अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को तय हुई है जिसमें इस आवेदन पर निर्णय दिए जाने की संभावना है।  

कांग्रेस संगठन में नई हलचल, एमपी के ज़िला अध्यक्ष मैदान में – नवंबर में राहुल और खड़गे की सीधी बैठक

भोपाल  मध्यप्रदेश कांग्रेस ने संगठन को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश के सभी 71 जिला अध्यक्षों के लिए 2 से 12 नवंबर तक पचमढ़ी में 10 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जा रहा है। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे सीधी क्लास लेंगे। राहुल गांधी की क्लास से पहले सभी जिला अध्यक्ष फील्ड में सक्रिय हो गए हैं। अध्यक्षों को एक महीने में कार्यकारिणी बनानी है, मुद्दों को उठाना है और जनता से सीधा संवाद करना है। यह प्रशिक्षण शिविर सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि संगठनात्मक मजबूती की नींव बनने जा रहा है। इस विशेष शिविर में कांग्रेस नेतृत्व कार्यकर्ताओं को दिशा दिखाने और जमीनी स्तर पर संगठन को सक्रिय करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।  जिलाध्यक्षों से सीधा संवाद करेंगे राहुल शिविर की शुरुआत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे करेंगे, जबकि राहुल गांधी दो दिन तक प्रशिक्षण में मौजूद रहेंगे। इस दौरान वे जिलाध्यक्षों से सीधे संवाद करेंगे और पूछेंगे कि आप ने  अभी तक संगठन में आपने क्या काम किया? किन मुद्दों पर आंदोलन किए? जनता के बीच कितनी बार पहुंचे? राहुल गांधी व्यक्तिगत रूप से फीडबैक लेंगे, जिससे कार्यकर्ताओं को अपने प्रदर्शन को बेहतर करने की प्रेरणा मिलेगी। राहुल गांधी दो दिन रहेंगे, प्रभात फेरी में होंगे शामिल  लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी दो दिन तक यहां मौजूद रहेंगे. राहुल जिला अध्यक्षों को संगठन की चुनौतियों, चुनावी रणनीति और बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के गुर सिखाएंगे. वे नेताओं से वन टू वन चर्चा कर उनके जिलों की परिस्थितियों को समझेंगे और आगे की कार्ययोजना देंगे. इस शिविर का मकसद संगठन सृजन अभियान से बने जिला अध्यक्षों को जमीनी स्तर पर प्रशिक्षित करना है. वरिष्ठ नेता महेंद्र जोशी को प्रशिक्षण स्थल की तैयारियां देखने के लिए पचमढ़ी भेजा गया है. अनुशासन और राहुल गांधी की रणनीति  पार्टी नेताओं का कहना है कि इस तरह के शिविर कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाते हैं. पचमढ़ी का शांत और प्राकृतिक वातावरण इसके लिए उपयुक्त माना गया है. राहुल गांधी का सीधा जुड़ाव शिविर की खासियत होगा. कांग्रेस इस शिविर से दो संदेश देना चाहती है. पहला यह कि पार्टी अनुशासन को प्राथमिकता देती है. दूसरा यह कि राहुल गांधी सीधे रणनीति बना रहे हैं. गौसेवा और प्रभातफेरी जैसी गतिविधियां परंपरा और आधुनिक राजनीति के बीच संतुलन बनाने की कोशिश हैं. कांग्रेस का संगठनात्मक अनुशासन और सांस्कृतिक जुड़ाव पर जोर इस शिविर का मकसद संगठन सृजन अभियान से बने जिला अध्यक्षों को जमीनी स्तर पर प्रशिक्षित करना है. सुबह योग और प्रभात फेरी से दिन की शुरुआत होगी. इसके बाद प्रशिक्षण सत्रों में रणनीति, संवाद और चुनावी प्रबंधन सिखाया जाएगा. गौसेवा और स्वच्छता कार्यक्रमों के जरिए कांग्रेस संगठनात्मक अनुशासन और सांस्कृतिक जुड़ाव पर जोर देना चाहती है. नेताओं की मजबूत टीम देगी मार्गदर्शन 2 से 12 नवंबर तक पचमढ़ी में 10 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण शिविर में जयराम रमेश, पवन खेड़ा, सुप्रिया श्रीनेत, प्रशिक्षण विभाग के राष्ट्रीय प्रमुख सचिन राव, प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी, पीसीसी अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी मौजूद रहेंगे। कांग्रेस का मानना है कि यह प्रशिक्षण शिविर संगठनात्मक मजबूती और कार्यकर्ताओं की दिशा तय करने में मील का पत्थर साबित होगा। जनसंवाद की रणनीति 1-सोशल मीडिया का प्रभावी उपयोग 2-जमीनी मुद्दों की पहचान और समाधान 

2 से 12 अक्टूबर तक पचमढ़ी में कांग्रेस प्रशिक्षण शिविर, राहुल और खरगे बताएंगे जीत की रणनीति

भोपाल  मध्य प्रदेश कांग्रेस के 71 जिलाध्यक्षों को पचमढ़ी में आवासीय प्रशिक्षण (residential training) दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण शिविर का आयोजन आगामी 2 से 12 अक्टूबर तक किया जाएगा। इस खास ट्रेनिंग शिविर में लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) भी उपस्थित होंगे। इस दस दिन के कार्यक्रम में राहुल गांधी दो दिन तक जिला अध्यक्षों को मार्गदर्शन देंगे। इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं को आने वाली चुनावी चुनौतियों के लिए बेहतर तरीके से तैयार किया जा सके। वहीं, इस प्रशिक्षण शिविर में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी शमिल होंगे। राहुल गांधी जिला अध्यक्षों से करेंगे संवाद     सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस सांसदराहुल गांधी इस कार्यक्रम के दौरान जिला अध्यक्षों के साथ न केवल सार्वजनिक रूप से संवाद करेंगे, बल्कि वे उनसे व्यक्तिगत (one-to-one) बातचीत भी करेंगे। इस बातचीत में वे जिला अध्यक्षों से उनके जिलों की सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों, चुनौतियों और भविष्य की रणनीतियों पर चर्चा करेंगे। यह संवाद कांग्रेस को आगामी चुनावों के लिए एक मजबूत रणनीति तैयार करने में मदद करेगा। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे भी आएंगे इस प्रशिक्षण शिविर में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी शामिल होंगे। संभावित कार्यक्रम के मुताबिक, खरगे इस शिविर के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस प्रशिक्षण शिविर में जयराम रमेश, पवन खेड़ा, सुप्रिया श्रीनेत, कांग्रेस ट्रेनिंग डिपार्टमेंट के नेशनल हेड सचिन राव, मप्र के प्रभारी हरीश चौधरी, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी शामिल होंगे। अध्यक्षों से खुद चर्चा करेंगे राहुल गांधी सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी ट्रेनिंग के दौरान जिला अध्यक्षों को न केवल संबोधित करेंगे, बल्कि, जिला अध्यक्षों से वन टू वन बातचीत भी करेंगे। जिला अध्यक्षों से उनके जिले की सामाजिक, राजनीतिक परिस्थितियों, चुनौतियों और भविष्य की रणनीति पर चर्चा कर सकते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, राहुल गांधी ट्रेनिंग के दौरान जिलाध्यक्षों को न केवल संबोधित करेंगे, बल्कि उनसे वन-टू-वन चर्चा भी करेंगे. इस दौरान जिलाध्यक्षों से उनके जिले की सामाजिक, राजनीतिक हालातों, चुनौतियों और भविष्य की रणनीति पर विचार विमर्श करेंगे. इस प्रशिक्षण शिविर के दौरान कांग्रेस के कई बड़े-बड़े नेता जयराम रमेश, पवन खेड़ा, सुप्रिया श्रीनेत, कांग्रेस ट्रेनिंग डिपार्टमेंट के नेशनल हेड सचिन राव, एमपी के प्रभारी हरीश चौधरी, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी मौजूद रहेंगे.  ट्रेनिंग में क्या क्या होगा? मिली जानकारी के मुताबिक, इस दस दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के दौरान जिलाध्यक्षों के सुबह उठने से लेकर रात तक सोने तक का मिनट-टू-मिनट का प्रोग्राम निश्चित किया गया है. बता दें कि रोजाना सुबह 7 बजे से लेकर शाम 7 से 8 बजे तक चलेगा. इसके अलावा, सुबह के समय में सैर, योग, ध्यान जैसी गतिविधियां भी कराई जाएंगी. इस प्रशिक्षण का मकसद आगामी समय में होने वाले नगरीय निकाय, पंचायत चुनाव और 2028 के विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव को लेकर पूरा रोडमैप तैयार किया जाएगा.      मध्यप्रदेश कांग्रेस के 71 जिलाध्यक्षों को पचमढ़ी में 2-12 अक्टूबर तक आवासीय प्रशिक्षण मिलेगा, जिसमें राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे भी शामिल होंगे।     राहुल गांधी जिला अध्यक्षों से एक व्यक्तिगत संवाद करेंगे और आगामी चुनावों के लिए रणनीति तैयार करने पर चर्चा करेंगे।     कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जैसे जयराम रमेश, पवन खेड़ा, सुप्रिया श्रीनेत, और सचिन राव भी इस प्रशिक्षण शिविर का हिस्सा होंगे।     इस ट्रेनिंग में पार्टी कार्यकर्ताओं को ब्लॉक, मंडल, वार्ड, ग्राम पंचायत और बूथ स्तर तक संगठन बनाने के तरीकों की जानकारी दी जाएगी।     पचमढ़ी को शांति और आरामदायक माहौल के कारण इस प्रशिक्षण के लिए चुना गया है, जो शहर की हलचल से दूर है। जिले में कैडर मैनेजमेंट से लेकर 4 चुनावों तक के लिए तैयार होंगे पचमढ़ी में होने वाली ट्रेनिंग में कांग्रेस के जिला अध्यक्षों को अपने जिले में ब्लॉक, मंडलम, सेक्टर, वार्ड, ग्राम पंचायत और बूथ लेवल तक संगठन बनाने के बारे में बताया जाएगा। आगामी समय में होने वाले नगरीय निकाय, पंचायत चुनाव और 2028 के विधानसभा और 2029 के लोकसभा चुनाव को लेकर कैसे रणनीति बनाना है, इसका पूरा रोडमैप बताया जाएगा। अब जानिए दस दिन की ट्रेनिंग में क्या होगा प्रशिक्षण शिविर में दस दिन की ट्रेनिंग में जिला अध्यक्षों के सुबह उठने से लेकर रात तक सोने का मिनट टू मिनट का प्रोग्राम तय किया गया है। प्रतिदिन सुबह 7 बजे शुरू होकर शाम 7-8 बजे तक चलेगा। इसमें सुबह की सैर, योग और ध्यान जैसी गतिविधियां कराई जाएंगी। जिले में कार्यकारिणी से लेकर, ब्लॉक, मंडलम, सेक्टर, वार्ड, ग्राम पंचायत और बूथ स्तर पर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का चयन कैसे करना है। पार्टी के दिग्गज नेता बताएंगे। पचमढ़ी को क्यों चुना? शहरों की भागदौड़ से दूर एकांत में सतपुड़ा की वादियों के शांत माहौल में दस दिनों तक जिला अध्यक्षों और बाहर से आने वाले विषय विशेषज्ञों और दिग्गजों के रुकने के लिए फाइव स्टार रेटिंग वाले होटल मौजूद हैं। बडे़ नेताओं के आने के लिए भोपाल नजदीकी एयरपोर्ट है। राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे जैसे नेता हेलिकॉप्टर के जरिए सीधे पहुंच सकेंगे। वहीं जिला अध्यक्षों और प्रदेश के नेताओं को पचमढ़ी तक पहुंचने के लिए ट्रेन और आसान सड़क रूट है। ऐसे में नेताओं को पहुंचने और रुकने में आसानी होगी। भविष्य की चुनावी तैयारी पर ध्यान केंद्रित इस विशेष ट्रेनिंग में कांग्रेस के जिला अध्यक्षों को संगठनात्मक स्तर पर कार्य करने की पूरी जानकारी दी जाएगी। पचमढ़ी में होने वाली इस ट्रेनिंग में कार्यकर्ताओं को ब्लॉक, मंडल, सेक्टर, वार्ड, ग्राम पंचायत और बूथ स्तर तक संगठन बनाने की प्रक्रिया के बारे में बताया जाएगा। इसके साथ ही आगामी नगरीय निकाय चुनाव, पंचायत चुनाव, और 2028 विधानसभा चुनाव और 2029 लोकसभा चुनाव के लिए रणनीतियाँ तैयार की जाएंगी। जानें इस दस दिन के प्रशिक्षण में क्या होगा? प्रशिक्षण शिविर में प्रत्येक दिन का कार्यक्रम सुबह 7 बजे से लेकर रात 7-8 बजे तक निर्धारित किया गया है। इसमें जिला अध्यक्षों को पूरे दिन के लिए एक विस्तृत शेड्यूल मिलेगा। इसमें सुबह की सैर, योग, और ध्यान जैसी गतिविधियाँ शामिल होंगी। इसके अलावा, इस प्रशिक्षण में कार्यकारिणी से लेकर ब्लॉक, मंडल, सेक्टर, वार्ड, ग्राम पंचायत और बूथ स्तर तक पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का चयन कैसे करना है, इस पर भी … Read more

राहुल गांधी के हाइड्रोजन बम बयान पर चिराग ने साधा निशाना, कहा- ‘आरोप लगाना गलत’

 पटना लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बयान पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बुधवार को पलटवार किया है। चिराग ने कहा, 'जब वे धमाका करेंगे, तभी हमें पता चलेगा कि यह 'हाइड्रोजन बम' क्या है। लेकिन फिलहाल, जब भी वे आते हैं और बोलते हैं, तो सिर्फ उसी चीज़ पर जोर देते हैं जिससे SIR प्रक्रिया की शुरुआत हुई।' उन्होंने आगे कहा, 'वे बार-बार आकर मतदाता सूची में गड़बड़ियों की बात करते हैं। यही वजह है कि SIR लाया गया है। एक तरफ आप शिकायत करते हैं और दूसरी तरफ उस शिकायत के समाधान से समस्या जताते हैं। यह ठीक नहीं है। अगर इस सिस्टम से आपको दिक्कत है तो उसके लिए कानून मौजूद हैं। लेकिन सिर्फ आरोप लगाना गलत है।' गौरतलब है कि इससे पहले मंगलवार को लोकसभा में राहुल गांधी ने बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि उन्होंने जिस हाइड्रोजन बम की बात कही थी, वह अभी आया नहीं है, बल्कि आने वाला है। जिस दिन आएगा, उस दिन सभी को सच्चाई का पता चल जाएगा। राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा संविधान को खत्म करना चाहती है। उन्होंने दावा किया, 'मैं भागीदारी के हिसाब से हिस्सेदारी के लिए गारंटी देता हूं। यह मेरी गारंटी है। क्योंकि, हम संविधान मानते हैं।'

राहुल की यात्रा में दिखी एकता, पर तेजस्वी की चुप्पी के पीछे क्या है गठबंधन की गांठ?

पटना  बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा दोनों गठबंधनों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. एनडीए में चिराग पासवान और जीतन राम मांझी अधिकाधिक सीटें हासिल करने के लिए लंबे समय से बवेला मचाए हुए हैं. मांझी अब 20 सीटों के लिए अड़े हुए हैं. चिराग पासवान की पार्टी लोजपा-आर (LJP-R) को न सिर्फ सीटें चाहिए, बल्कि अब सीएम पद की रेस में भी उन्हें शामिल कर दिया है. चिराग के बहनोई सांसद अरुण पासवान की नजर में चिराग सीएम पद के लिए फिट कैंडिडेट हैं. मांझी ने अधिक सीटें मांगने के पीछे के कारण भी उजागर कर दिए हैं. उनका कहना है कि पार्टी को सदन में मान्यता के लिए कम से कम 8सीटों पर जीतना जरूरी है. और, यह तभी संभव होगा, जब उनकी पार्टी को 20 या इससे अदिक सीटें मिलें. एनडीए का तो रिकार्ड ही रहा है कि टिकट बंटवारे से पहले खूब चिल्ल-पों मचती है, लेकिन जिसे जितनी सीटें मिलती हैं, वे उससे ही संतुष्ट हो जाते हैं. सबसे मुश्किल हालात 8 विपक्षी दलों के महागठबंधन में पैदा हो गए हैं. कांग्रेस और आरजेडी के बीच सीट बंटवारे की शर्तों को लेकर घमासान मचा हुआ है. कांग्रेस ने कसी RJD की नकेल महागठबंधन के दो सबसे बड़े घटक दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे और नेतृत्व को लेकर तलवारें तन गई हैं. अव्वल तो कांग्रेस तेजस्वी को चुनाव से पहले सीएम फेस घोषित करने को तैयार नहीं, जबकि तेजस्वी खुद को सीएम फेस बताते रहे हैं. बिहार अधिकार पर निकले तेजस्वी कांग्रेस की चुप्पी के बावजूद अपने को भावी सीएम के रूप में पेश कर रहे हैं. पहले भी वे कई बार यह बात कह चुके हैं. राहुल के साथ वोटर अधिकार यात्रा के दौरान उन्होंने यहां तक कह दिया कि राहुल को पीएम और उन्हें सीएम बनाने के लिए वोट कीजिए. जहां तक सीटों का सवाल है तो कांग्रेस 2020 की तरह मनपसंद 70 सीटें तो चाहती ही है, साथ ही अब उप मुख्यमंत्री का पद भी मांगने लगी है. दोनों दलों के बीच तनातनी का आलम यह है कि सीट बंटवारे के मुद्दे पर 15 सितंबर को होने वाली महागठबंधन की बैठक टालनी पड़ गई. अब तेजस्वी यादव ने भी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. खींचतान से महागठबंधन में दिख रही दरार अगर टूट की बुनियाद बन जाए तो आश्चर्य नहीं. बिहार की वह सीट, जिसे लेकर RJD-कांग्रेस में खींच गई तलवार बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन के अंदर सीट शेयरिंग का मसला गरमा गया है. खासकर कुटुंबा (SC) विधानसभा सीट को लेकर कांग्रेस और आरजेडी के बीच खींचतान तेज हो गई है. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक आरजेडी ने इस सीट से पूर्व मंत्री सुरेश पासवान का नाम आगे कर दिया है. इससे कांग्रेस नेताओं में नाराजगी है. कांग्रेस का आरोप है कि आरजेडी जानबूझकर दबाव की राजनीति कर रही है और कुटुंबा में उनकी मजबूत स्थिति को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है. दरअसल, कुटुंबा सीट पर कांग्रेस का लगातार दबदबा रहा है. मौजूदा विधायक राजेश कुमार और उनके पिता सात बार से इस सीट पर कब्जा बनाए हुए हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में भी राजेश कुमार ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी. उन्हें 50,822 वोट मिले थे, जबकि रनर-अप हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के उम्मीदवार शर्वन भुइंया को 34,169 वोट ही मिले. कांग्रेस ने तब 16,653 वोटों के अंतर से यह सीट अपने नाम की थी. साल 2020 के नतीजे कैंडिडेट    कुल वोट     वोट शेयर राजेश कुमार    50,822    36.61% शर्वन भुइंया    34,169    24.61% कहां फंसा है मामला? यही वजह है कि कांग्रेस मानती है कि इस सीट पर उनकी स्थिति बेहद मजबूत है और आरजेडी का नया चेहरा थोपना केवल राजनीतिक दबाव बनाने की रणनीति है. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस इस बार आरजेडी की मोहताज नहीं है और बदली हुई परिस्थितियों में बेहतर तरीके से चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस नेताओं का यह भी आरोप है कि राजेश राम को डिप्टी सीएम का चेहरा सामने न लाने के लिए भी अंदरखाने राजनीति हो रही है. यानी, महागठबंधन के भीतर सत्ता संतुलन को लेकर खींचतान खुलकर सामने आने लगी है. 76 सीटों पर दावेदारी इसी बीच, खबर है कि कांग्रेस ने इस बार बिहार की 76 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है. इनमें से 38 सीटों पर जल्द ही उम्मीदवारों का ऐलान भी कर दिया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस इन सीटों पर आरजेडी के ग्रीन सिग्नल का इंतजार नहीं करेगी. यानी, पार्टी अब अपनी रणनीति खुद बनाने के मूड में है. आज दिल्ली में कांग्रेस की अहम बैठक भी होने वाली है, जिसमें बिहार कांग्रेस के कई नेता शामिल होंगे. माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद कांग्रेस अपने रुख को और स्पष्ट करेगी. अब देखना यह है कि यह खींचतान सीट शेयरिंग फॉर्मूले को कितना प्रभावित करती है और क्या महागठबंधन एकजुट रहकर मैदान में उतर पाता है. कांग्रेस की आक्रामक दावेदारी सीटों की संख्या के लिए आरजेडी के सामने कांग्रेस ने 2020 को आधार बनाने की शर्त रखी है. तब कांग्रेस को महागठबंधन में 70 सीटें मिली थीं. कांग्रेस का कहना है कि उसे जो सीटें दी गईं, उसमें आधी से अधिक कमजोर सीटें थीं. इसलिए उसने टिकट बंटवारे में अच्छी-बुरी सीटों में संतुलन बनाने की दूसरी शर्त रखी है. कांग्रेस केवल 19 सीटें जीत पाई थी. उसके खराब स्ट्राइक रेट को महागठबंधन की हार का एक मुख्य कारण माना गया था. कांग्रेस का कहना है कि उसे आधी से अधिक वैसी कमजोर सीटें मिली थीं, जिसकी वजह से उसका स्ट्राइक रेट खराब रहा. कांग्रेस ने अपने लिए उप मुख्यमंत्री पद की तीसरी शर्त रखी है. महागठबंधन में शामिल वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी भी डिप्टी सीएम पद के लिए पहले से ही हाय-तौबा मचाए हुए हैं. सहनी तो यहां तक कहते हैं कि अगर तेजस्वी सीएम बनेंगे तो उनका डिप्टी सीएम बनना पक्का है. कांग्रेस की शर्तों से यह साफ है कि काग्रेस अब बिहार में अपने को आरजेडी का पिछलग्गू बनाए रखने से बचना चाहती हैं. राहुल की वोटर अधिकार … Read more

राहुल गांधी की अचानक विदेश यात्राएं बनीं चिंता का कारण, CRPF ने जताई नाराजगी

नई दिल्ली केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अनशेड्यूल्ड विदेश दौरों पर आपत्ति जताई है। सुरक्षा प्रोटोकॉल तोड़ने के मामले में उन्हें एक पत्र लिखा गया है। यह पत्र CRPF के वीवीआईपी सुरक्षा प्रमुख ने जारी किया है और इसकी प्रति कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भी भेजी गई है। पत्र 10 सितंबर को जारी किया गया। इसमें कहा गया है कि राहुल गांधी लगातार उन सुरक्षा मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं, जो उनकी सुरक्षा टीम ने निर्धारित किए हैं। वीवीआईपी सुरक्षा प्रमुख ने राहुल गांधी के सुरक्षा के प्रति रवैये पर भी सवाल उठाए और कहा कि वह इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। राहुल गांधी को Z+ श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है, जिसमें ASL (Advance Security Liaison) कवर भी शामिल है। यह देश की सबसे ऊंची सुरक्षा श्रेणियों में से एक है, जिसमें बड़ी संख्या में CRPF के जवान हर वक्त सुरक्षा में तैनात रहते हैं। आपको बता दें कि बिहार में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ संपन्न करने के बाद राहुल गांधी अचानक विदेश यात्रा पर चले गए। ट्विटर पर उनकी कुछ तस्वीरें वायरल हो रही थीं। हालांकि वह उपराष्ट्रपति चुनाव में शामिल होने के लिए भारत वापस आ गए और पार्टी के कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं। बिहार में यात्रा के दौरान एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा अचानक गांधी को कसकर गले लगाने और उनके कंधे पर किस करने के कुछ हफ्ते बाद यह चिंता जताई गई। राहुल गांधी भी इस घटना से क्षण भर के लिए अचंभित रह गए थे। यह घटना पूर्णिया जिले में हुई, जहां से राहुल गांधी मोटरसाइकिल पर सवार होकर अपने दिन के अंतिम पड़ाव अररिया के लिए रवाना हुए थे। राजद नेता तेजस्वी यादव सहित सैकड़ों बाइक सवार राहुल गांधी के साथ चल रहे थे।

न रैली, न चुनाव… फिर भी रीवा में लगे राहुल गांधी के पोस्टर, लिखा- कांग्रेस को बचाओ

रीवा  कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए जा रहे वोट चोरी के आरोपों के बाद रीवा में लगे उनके पोस्टरों ने खलबली मचा दी है. शहर के प्रमुख मार्गों में लगे पोस्टर पर राहुल गांधी की तस्वीर है, जिसमें लिखा गया है. "राहुल गांधी जी रीवा रायशुमारी चोरी हो गई, रीवा कांग्रेस बचाओ.'' इस तरह के पोस्टर से अब कांग्रेस खुद ही घिरती हुई दिखाई दे रहीं है. पोस्टर शहर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र स्थित मुख्य मार्ग लगाए गए हैं. ये पोस्टर किसने लगाए यह अभी सस्पेंस बना हुआ है लेकिन कयास लागाए जा रहें है कि रीवा मे एक बार फिर कांग्रेस के अंदर गुटबाजी का बम फूटा है. जिससे सियासी हलचल भी तेज हो गई है. रीवा कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं? पोस्टरों में मोटे अक्षरों में लिखा गया है, 'कांग्रेस बचाओ, रायशुमारी चोरी हो गई है' यह वाक्य सीधे तौर पर पार्टी संगठन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है. चौराहे से गुजरने वाले लोग इन पोस्टरों को देखकर तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं कि रीवा कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं है. पार्टी में भीतरघात और गुटबादजी? सियासी विश्लेषक मान रहे हैं कि इस घटना के पीछे पार्टी मे अंदरूनी तौर पर असंतोष की भूमिका है. कहा जा रहा है कि जिला अध्यक्ष की नियुक्ति में पारदर्शिता नहीं बरती गई और रायशुमारी को दरकिनार कर कुछ खास नेताओं की पसंद को तरजीह दी गई है. इस असंतोष का परिणाम ही सिरमौर चौराहे पर लगे पोस्टर के रूप में सामने आया. दिलचस्प यह है कि पोस्टर लगाने वाले की पहचान अब तक नहीं हो पाई है, लेकिन पार्टी के अंदरखाने में चर्चा है कि यह कदम नाराज कार्यकर्ताओं या किसी असंतुष्ट गुट की ओर से उठाया गया है. नए जिला अध्यक्ष की ताजपोशी के बाद खींचतान कांग्रेस पार्टी की रीवा इकाई में लंबे समय से गुटबाजी की खबरें सामने आती रही हैं. नए जिला अध्यक्ष की ताजपोशी के बाद यह खींचतान और तेज हो गई है. संगठन में कई पुराने और सक्रिय कार्यकर्ताओं ने खुलकर नाराजगी जताई है. उनका कहना है कि वर्षों से पार्टी के लिए मेहनत करने के बावजूद उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया. यही कारण है कि नियुक्ति के तुरंत बाद पार्टी के भीतर असंतोष का माहौल बना हुआ है. कांग्रेस ने इस बार भी इंजि. राजेंद्र शर्मा को रीवा कांग्रेस का जिला अध्यक्ष चुना था जबकि इसके पूर्व मे भी राजेंद्र शर्मा ही जिला ही जिला अध्यक्ष के पद पर नियुक्त थे. भाजपा को मिल सकता है फायदा कांग्रेस के भीतर चल रही खींचतान और खुले तौर पर उभरी नाराजगी का सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिल सकता है. भाजपा पहले से ही संगठनात्मक दृष्टि से मजबूत है और कांग्रेस की इस आंतरिक कलह से उसे आगामी चुनावों में बढ़त मिल सकती हैं. रीवा की राजनीति में भाजपा का दबदबा कायम रहा है, ऐसे में कांग्रेस के भीतर का यह असंतोष उसकी स्थिति को और कमजोर कर सकता है. पोस्टर वॉर के जरिए नेतृत्व पर सवाल पोस्टरों में राहुल गांधी की तस्वीर के इस्तेमाल किए जाने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. माना जा रहा है कि पोस्टर के जरिए है पार्टी हाईकमान को सीधा संदेश देने की कोशिश की गई है. यह भी बताने का प्रयास किया गया है की जिला स्तर पर संगठन सही ढंग से नहीं चल रहा है “रायशुमारी चोरी हो गई है” जैसी पंक्ति यह संकेत देती है कि पार्टी नेतृत्व तक नाराजगी की गूंज पहुंचाने का प्रयास किया गया है. कुछ लोग करते है गैर अनुपातिक मांग: कांग्रेस जिला अध्यक्ष रीवा में राहुल गांधी के पोस्टर को लेकर कांग्रेस जिला अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने कहा, ''जब पद एक होता है तो उसके कई दावेदार होते हैं और उसमें सभी की यह महत्त्वकांक्षा होती है कि वो पद उसे मिले. कांग्रेस में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो गैर अनुपातिक मांगें करते हैं वे अपना कद और साख नहीं देखते. इसके बाद भी उन्हें लगता है कि पद उन्हें मिले. रीवा में रायशुमारी हुई, जिसमें 25 हजार लोग शामिल हुए. रायशुमारी के बाद जो नाम सामने आए उसके आधार पर ही जिला अध्यक्षो की नियुक्तियां की गई.'' पोस्टर लगाने वाले साबित कर रहे कि वे उस पद लायक नहीं: राजेंद्र शर्मा कांग्रेस जिला अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने आगे कहा, '' जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर शीर्ष नेताओं की भी राय ली गई थी. यहां तक की मध्यप्रदेश की अगर बात करें तो 8 से 10 ऐसे जिला अध्यक्ष बनाएं गए जिन्हें राहुल गांधी ने खुद फोन कर उनकी नियुक्ति कर दी. CEC के मेंबर ओमकार सिंह मरकाम को डिंडोरी का जिला अध्यक्ष बनाया गया, मध्य प्रदेश के मंत्री रहे जयवर्धन सिंह को भी जिला अध्यक्ष बनाएं जाने पर सहमति बनी और वह बनेंगे. कांग्रेस पार्टी अपने तरीके से काम करती है. हर व्यक्ति को नेतृत्व से आस्था होनी चाहिए. पोस्टर लगाने वाले यह साबित कर रहे हैं कि वह उस पद के लायक नहीं हैं.'' राहुल गांधी को नहीं पता अपनी ही पार्टी की परंपरा: बीजेपी जिला अध्यक्ष अब इस मामले पर बीजेपी कहा चुप बैठने वाली थी. राहुल गांधी के रीवा में लगे पोस्टर्स पर बीजेपी के रीवा जिला अध्यक्ष वीरेंद्र गुप्ता ने कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, " इत्तेफाक है कि एक तरफ राहुल गांधी वोट अधिकार यात्रा तो निकाल रहे हैं लेकिन उन्हें अपनी ही पार्टी की परंपरा का ज्ञान नहीं. सरदार पटेल पंडित जवाहर लाल नेहरू के बीच वोटिंग हुई थी तब सरदार पटेल को 12 वोट मिले थे जबकि जवाहर लाल नेहरू को 2 वोट प्राप्त हुए थे लेकिन इसके बावजूद भी पंडित जवाहर लाल नेहरू विजयी घोषित हुए थे. और यही कांग्रेस की पुरानी परंपरा रही.''    

कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ीं, साथी दलों ने राहुल गांधी को छोड़कर बढ़ाया कदम खींचने का दबाव

नई दिल्ली सबको जोड़कर चलने की कोशिश में जुटी कांग्रेस एक बार फिर अकेली पड़ती जा रही है. पीएम-सीएम वाले बिल पर विपक्षी एकता का गुब्बारा फुटने लगा है. पीएम-सीएम को हटाने वाले बिल पर जीपीसी में शामिल होने को लेकर इंडिया ब्लॉक में दो फाड़ नजर आ रहा है. इंडिया गठबंधन के प्रमुख साथियों ने कांग्रेस को फंसा दिया है. जेपीसी मामले पर राहुल गांधी अब बीच मझधार फंस चुके हैं. यहां से वह किस ओर जाएंगे, यह आने वाले वक्त में पता चल जाएगा. दरअसल, भ्रष्टाचार यानी आपराधिक मामलों में कम से कम 30 दिनों तक बिना बेल के जेल में रहने वाले प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को हटाने वाले बिलों को जेपीसी के लिए भेजा गया है. इस बिल पर विचार करने के लिए बनने वाली जेपीसी यानी संयुक्त संसदीय समिति में शामिल होने को लेकर ही विपक्षी खेमे यानी इंडिया ब्लॉक मतभेद है. कांग्रेस की क्या प्लानिंग? ET की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि DMK के TKS एलंगोवन ने कहा कि उनकी पार्टी ने बिल के विरोध करने और उसे दर्ज कराने के लिए जेपीसी में शामिल होने का फैसला लिया है। वहीं कांग्रेस के एक सांसद ने कहा, "हमारे पास यह सोचने के उपयुक्त कारण हैं कि जेपीसी में शामिल होना कैसे उपयोगी हो सकता है।" उन्होंने कहा कि हम हर किसी को बीजेपी के खिलाफ एक साथ ले जाना चाहते हैं। विपक्षी दल कह रहे JPC बेमतलब बता दें कि इंडिया गठबंधन में शामिल रही आम आदमी पार्टी ने भी तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की ही तरह जेपीसी में अपने सदस्य नामित नहीं करने का फैसला किया है। हालांकि, वामपंथी दलों ने अपनी स्थिति णअभी स्ष्ट नहीं की है लेकिन माना जा रहा है कि वह इस मुद्दे पर कांग्रेस के साथ है और जेपीसी में अपना विरोध दर्ज कराना चाहते हैं। कई विपक्षी दलों ने कहा है कि इस मुद्दे पर जेपीसी बेमतलब है। विपक्षी एकता में दरार? जब संसद में 130वां संविधान संशोधन विधेयक पेश हुआ तब विपक्षी खेमा एकजुट नजर आया था. मगर अब धीरे-धीरे इस एकता की दीवार ढहने लगी है. पीएम-सीएम वाले बिल पर जेपीसी में हिस्सा लेने को लेकर इंडिया ब्लॉक के प्रमुख दलों में गहरी दरार उभर आई है. अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे से लेकर अरविंद केजरीवाल तक सबने कांग्रेस को फंसा दिया है. सपा, टीएमसी, आप और उद्धव गुट वाली शिवसेना ने जेपीसी से अलग रहने का फैसला किया है. हालांकि, कांग्रेस ने अब तक जेपीसी में शामिल होने के संकेत दिए हैं. इंडिया गठबंधन के सहयोगियों के इस फैसले ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बीच मजधार में अकेला छोड़ दिया है. अब कांग्रेस के सामने यह मुसीबत है कि वह अकेले जेपीसी में जाएगी या फिर अन्य साथियों की तरह अलग रहने का ही फैसला लेगी? क्या है पीएम-सीएम बिल दरअसल, बीते दिनों संविधान (130वां) संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश हुआ. यह बिल और इसके साथ जुड़े जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश शासन संशोधन विधेयक में प्रावधान है कि अगर कोई मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री किसी ऐसे अपराध में गिरफ्तार या हिरासत में रहता है, जिसकी सजा पांच साल या उससे अधिक है, और यह हिरासत लगातार 30 दिन तक रहती है, तो वह अपने पद से खुद ब खुद बर्खास्त हो जाएंगे. हालांकि, जेल से आने के बाद वह पद ग्रहण कर सकते हैं. यह विधेयक 20 अगस्त को लोकसभा में पेश हुआ. इस दौरान विपक्षी सांसदों ने इसका विरोध किया. इसके बाद सरकार ने पीएम-सीएम वाले बिल को 31 सदस्यीय जेपीसी यानी संयुक्त संसदीय समिति को भेजने का फैसला किया. जेपीसी में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल होंगे.अभी तक इसका गठन नहीं हुआ है. जानिए किसका क्या स्टैंड ममता बनर्जी की टीएमसी ने भी जेपीसी से अलग होने का फैसला किया है. टीएमसी का कहना है कि यह बिल भाजपा की ‘राजनीतिक साजिश’ है, जो विपक्ष को फंसाने और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उलझाने का प्रयास है. जेपीसी में शामिल होकर टीएमसी भाजपा के खेल में नहीं पड़ेगी. अखिलेश की समाजवादी पार्टी का भी यही स्टैंड है. खिलेश यादव ने इसे ‘संघीय ढांचे पर हमला’ करार दिया. अखिलेश ने कहा कि यह बिल राज्यों की स्वायत्तता को कमजोर करेगा. हमारा फैसला स्वतंत्र है, और इस मामले में हम कांग्रेस के साथ नहीं चलेंगे. वहीं, उद्धव गुट वाली शिवसेना ने भी ममता और अखिलेश की राह अपनाई है. उद्धव ठाकरे ने कहा कि विपक्षी एकता चुनावों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। लेकिन इस बिल पर जेपीसी में शामिल होना मतलब भाजपा की रणनीति को वैधता देना है। हम बाहर रहकर जनता के बीच मुद्दा उठाएंगे. शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि उद्धव ठाकरे को लगता है कि जेपीसी का कोई मतलब नहीं है. वहीं, अरविंद केजरीवाल की आप के सांसद संजय सिंह ने कहा कि पार्टी जेपीसी में शामिल नहीं होगी, क्योंकि ये बिल भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए नहीं, बल्कि विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाने के लिए लाया गया है. राजद भी इससे अलग रहने का मन बना रही है. कांग्रेस फंस गई कांग्रेस? इस तरह इन चार दलों के फैसले ने कांग्रेस को मुश्किल में डाल दिया है. हालांकि, कांग्रेस ने अभी तक आधिकारिक फैसला नहीं लिया, लेकिन पार्टी सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी जेपीसी में शामिल होने के पक्ष में हैं, ताकि बिल के कमजोर पक्षों को उजागर किया जा सके. हालांकि, अखिलेश, ममता, अरविंद केजरीवाल और उद्धव ठाकरे के फैसले के बाद कांग्रेस पर दबाव बढ़ गया है. कांग्रेस असमंजस में है. वह क्या करे और क्या नहीं, अभी इस पर मंथन कर रही है. अगर कांग्रेस अकेले जाती है, तो यह इंडिया ब्लॉक की एकता को और कमजोर कर सकता है. साथ ही भाजपा को विपक्ष की कमजोरी का फायदा मिल सकता है. यह स्थिति राहुल गांधी के लिए चुनौतीपूर्ण है और ऐसा लग रहा है कि वह बीच मझधार में हैं. अब देखने वाली बात होगी कि इससे राहुल गांधी कैसे पार पाते हैं.