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केंद्रीय मंत्री गोयल करेंगे जर्मनी दौरा, निवेश और व्यापार के नए अवसरों की तैयारी

नई दिल्ली वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा बुधवार को दी गई जानकारी के अनुसार, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारियों और उद्योग जगत के दिग्गजों के साथ बातचीत के लिए 23 अक्टूबर से जर्मनी के दौरे पर हैं। मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, बर्लिन यात्रा जर्मनी के साथ भारत के जुड़ाव को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। वर्ष 2025 भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ का भी वर्ष है, जो द्विपक्षीय संबंधों की गहराई और दीर्घकालिक मजबूती को उजागर करता है। केंद्रीय मंत्री गोयल की बैठकें दोनों देशों के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, इंडस्ट्री लीडर्स और व्यापार संघों के साथ उच्च-प्रभावी बातचीत को आगे बढ़ाएगी। इस यात्रा के दौरान केंद्रीय मंत्री गोयल जर्मन संघीय आर्थिक मामले एवं ऊर्जा मंत्री कैथरीना रीचे और फेडरल चांसलरी में आर्थिक एवं वित्तीय नीति सलाहकार तथा जर्मनी के जी7 एवं जी20 शेरपा डॉ. लेविन होले के साथ उच्च स्तरीय द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। बैठक के दौरान गतिशील भारत-जर्मनी आर्थिक साझेदारी को मजबूत बनाने और व्यापार एवं निवेश सहयोग बढ़ाने के नए रास्ते तलाशने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया कि केंद्रीय मंत्री गोयल द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को मजबूत करने के अलावा, लक्जमबर्ग की आगामी भारत राजकीय यात्रा, वर्तमान क्षेत्रीय घटनाक्रमों और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए लक्जमबर्ग के उप प्रधान मंत्री और विदेश मामलों एवं व्यापार मंत्री जेवियर बेटेल के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक भी करेंगे। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, अपनी बर्लिन यात्रा के दौरान गोयल तीसरे बर्लिन ग्लोबल डायलॉग (बीजीडी) में एक वक्ता के रूप में भाग लेंगे। यह एनुअल समिट ग्लोबल इकोनॉमी को आकार देने वाले मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए व्यापार, सरकार और शिक्षा जगत के नेताओं को एक साथ लाता है। 'लीडर्स डायलॉग : ग्रोइंग टूगेदर- ट्रे़ एंड अलायंस इन अ चेंजिंग वर्ल्ड' टाइटल के सेशन में केंद्रीय मंत्री गोयल एक पैनलिस्ट होंगे। इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री गोयल की इस यात्रा में शेफलर ग्रुप, रेन्क व्हीकल मोबिलिटी सॉल्यूशंस, हेरेनक्नेच्ट एजी, इनफिनियन टेक्नोलॉजीज एजी, एनरट्रैग एसई और मर्सिडीज-बेंज ग्रुप एजी जैसी प्रमुख जर्मन कंपनियों के सीईओ के साथ आमने-सामने की कई बैठकें शामिल होंगी। वे जर्मन मिटेलस्टैंड कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों और प्रमुखों के साथ एक राउंडटेबल की अध्यक्षता भी करेंगे और फेडरेशन ऑफ जर्मन इंडस्ट्रीज (बीडीआई) तथा एशिया-पैसेफिक एसोसिएशन ऑफ जर्मन बिजनेस (एपीए) के प्रतिनिधियों से भी मिलेंगे।

छठ पूजा के लिए 12000 स्पेशल ट्रेनें? रेलवे का बड़ा फैसला और तैयारी, देखें पूरी लिस्ट

नई दिल्ली त्योहारी सीजन के दौरान रेलवे की तैयारी पर, रेलवे बोर्ड के सूचना एवं प्रचार विभाग के कार्यकारी निदेशक, दिलीप कुमार ने कहा, “भारतीय रेलवे ने इस वर्ष दिवाली और छठ पूजा के अवसर पर 12,000 से अधिक ट्रेनों के संचालन की व्यापक योजना बनाई है. पिछले कुछ दिनों में, हमने जिन ट्रेनों का संचालन किया है, उनके माध्यम से हमने लगभग 1 करोड़ यात्रियों को विशेष ट्रेनों के माध्यम से सुविधा प्रदान की है. इन ट्रेनों को चलाने का मुख्य उद्देश्य बड़ी संख्या में उन लोगों को सुविधा प्रदान करना है जो त्योहारों के दौरान अपने घरों की यात्रा करना चाहते हैं.” पिछले 4 दिनों मं 15 लाख यात्रियों ने यात्रा की रेलवे के सूचना एवं प्रचार विभाग के कार्यकारी निदेशक ने बताया, “पिछले साल, हमने 7,724 विशेष ट्रेनें चलाईं. इस साल हमने 12,000 ट्रेनें चलाने का फैसला किया है… पिछले 4 दिनों में, लगभग 15 लाख यात्रियों ने नई दिल्ली के विभिन्न स्टेशनों का उपयोग करके अपने-अपने गंतव्य तक यात्रा की है.” यात्रियों सुविधाएं बढ़ाई गईं, 12 लाख रेलवे कर्मचारी कर रहे दिन-रात काम रेलवे के सूचना एवं प्रचार विभाग के कार्यकारी निदेशक ने बताया- “हमने सभी प्रमुख स्टेशनों पर होल्डिंग एरिया बनाए हैं, सभी स्टेशनों पर टिकट काउंटरों की सुविधाओं में वृद्धि की है. सभी रेलवे व्यवस्थाओं की चौबीसों घंटे निगरानी की जा रही है. 12 लाख रेलवे कर्मचारी दिन-रात अथक परिश्रम कर रहे हैं ताकि यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुँचाया जा सके.” पूर्वोत्तर रेलवे के इज्जतनगर मंडल में स्पेशल और सामान्य ट्रेनों में कुल 46 कोच जोड़े गए हैं, जिससे प्रतिदिन लगभग 12,000 यात्रियों की क्षमता बढ़ी है कई क्षेत्रों से कोलकाता और बेंगलुरु (SMVT बेंगलुरु) के लिए पूजा स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं या नियमित ट्रेनों में अतिरिक्त कोच जोड़े गए हैं। पिछले 4 दिनों मं 15 लाख यात्रियों ने यात्रा की रेलवे के सूचना एवं प्रचार विभाग के कार्यकारी निदेशक ने बताया, “पिछले साल, हमने 7,724 विशेष ट्रेनें चलाईं. इस साल हमने 12,000 ट्रेनें चलाने का फैसला किया है… पिछले 4 दिनों में, लगभग 15 लाख यात्रियों ने नई दिल्ली के विभिन्न स्टेशनों का उपयोग करके अपने-अपने गंतव्य तक यात्रा की है.” लालकुआं से कोलकाता के बीच स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है जो यूपी के कई स्टेशनों जैसे भोजीपुरा, पीलीभीत, लखीमपुर, सीतापुर, गोंडा, बस्ती और गोरखपुर से होकर गुजरती है। दक्षिण पश्चिम रेलवे (SWR) भी बेंगलुरु से उत्तरी शहरों, जैसे पटना और हावड़ा तक यात्रियों को सुविधा देने के लिए स्पेशल ट्रेनें चला रहा है और अतिरिक्त कोच जोड़ रहा है। यात्रियों की सुविधा के लिए प्लेटफॉर्म पर भीड़ कम करने के लिए होल्डिंग एरिया और अतिरिक्त सुरक्षा बल (RPF) भी तैनात किए गए हैं।आरपीएफ और रखरखाव कर्मचारी हाई अलर्ट पर हैं। पिछले साल की तुलना में इस साल हमने अधिक विशेष ट्रेनें चलाई हैं। यात्रियों की सहायता के लिए स्टेशनों पर हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं। प्रमुख स्टेशनों पर नियंत्रण कक्षों की निगरानी मंडल अधिकारियों द्वारा चौबीसों घंटे की जा रही है  

गुनाहों का हिसाब अब भारत में! मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण को बेल्जियम कोर्ट की हरी झंडी

ब्रसेल्स भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी अब जल्द ही भारत लौटाया जा सकता है. बेल्जियम की एंटवर्प अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसले में उसके भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है. कोर्ट ने साफ कहा कि चोकसी बेल्जियम का नागरिक नहीं बल्कि विदेशी नागरिक है और उसके खिलाफ भारत में दर्ज आरोप गंभीर आपराधिक प्रकृति के हैं. बेल्जियम कोर्ट के अनुसार, मेहुल चोकसी पर धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और जालसाजी जैसे संगीन अपराधों के आरोप हैं. कोर्ट ने माना कि भारत में उसे निष्पक्ष सुनवाई मिलेगी और जेल की सुविधाएं भी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होंगी. धरी रह गईं चोकसी की सारी दलीलें अदालत ने चोकसी की उस दलील को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने दावा किया था कि उसका मामला राजनीतिक प्रतिशोध या धार्मिक भेदभाव से प्रेरित है. कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि ‘यह मामला न तो राजनीतिक है, न धार्मिक और न ही नस्लीय आधार पर प्रेरित.’ बेल्जियम कोर्ट ने चोकसी द्वारा लगाए गए अपहरण और यातना जैसे आरोपों को भी निराधार करार दिया. अदालत ने कहा कि इन आरोपों का कोई ठोस सबूत नहीं है और ये केवल प्रत्यर्पण प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश हैं. जल्द आया जाएगा भारत सूत्रों के मुताबिक, इस फैसले के बाद भारत सरकार ने चोकसी को जल्द से जल्द भारत लाने की तैयारी शुरू कर दी है. अब बेल्जियम की अदालत के आदेश की औपचारिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद चोकसी के प्रत्यर्पण की तारीख तय की जाएगी. वर्ष 2018 में पीएनबी लोन घोटाला उजागर होने के बाद मेहुल चोकसी भारत से भाग गया था. उनके अपने भांजे नीरव मोदी के साथ मिलकर बैंक को लगभग 13,000 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया था. नीरव मोदी इस समय ब्रिटेन की जेल में बंद है और उसके भारत प्रत्यर्पण की प्रक्रिया पहले से चल रही है. बेल्जियम अदालत के इस फैसले को भारत के लिए एक बड़ी कानूनी जीत माना जा रहा है. विदेश मंत्रालय और केंद्रीय जांच एजेंसियों ने इसे ‘न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम’ बताया है.

मोदी-ट्रंप रिश्तों में आएगा नया मोड़? जल्द हो सकती है अहम मुलाकात

नई दिल्ली पीएम नरेंद्र मोदी मलयेशिया के दौरे पर आसियान समिट में जा सकते हैं। यदि वह ASEAN समिट में गए तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी मुलाकात हो सकती है और इस पर दुनिया भर की नजरें होंगी। वह आसियान समिट से इतर डोनाल्ड ट्रंप से मिल सकते हैं। माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच ट्रेड डील को लेकर इस दौरान बात हो सकती है। पाकिस्तान और अमेरिका के बीच बीते कुछ महीनों में करीबी बढ़ती दिखी है और ऐसी स्थिति में नरेंद्र मोदी और ट्रंप की मुलाकात के मायने क्या होंगे, यह देखने वाली बात होगी। अमेरिका ने जिस तरह पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर को तवज्जो दी है और उन्हें वाइट हाउस तक बुलाया था, उससे कयास लग रहे हैं कि एक बार फिर से शीत युद्ध जैसे हालात बन सकते हैं। तब भारत गुटनिरपेक्षता की राजनीति करते हुए एक तरह से रूस के ब्लॉक में था। वहीं अमेरिका की गोद में पाकिस्तान बैठा था। एक बार फिर से रूस और भारत का विरोध करते हुए अमेरिका उसी रणनीति पर आगे बढ़ता दिखता है। ऐसे हालात में पीएम नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की मीटिंग में क्या निकलता है, यह चर्चा का विषय है। अब तक सरकारी सूत्रों ने स्पष्ट नहीं किया है कि पीएम नरेंद्र मोदी का ASEAN समिट में जाना तय है या नहीं। लेकिन दौरे से इनकार भी नहीं है। बता दें कि खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कह चुके हैं कि वह 26 अक्तूबर से होने वाले ASEAN समिट में जाएंगे और पीएम नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की उम्मीद है। इससे पहले दोनों नेताओं की आखिरी मुलाकात इस साल फरवरी में हुई थी, जब पीएम नरेंद्र मोदी द्विपक्षीय वार्ता के लिए अमेरिका गए थे। लेकिन रिश्तों के बिगड़ने की शुरुआत तब हुई, जब अमेरिका की ओर से भारत पर मोटा टैरिफ लगाया गया। इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप की ओर से बार-बार दावे हुए कि उन्होंने जंग रुकवाई है। इस बात ने भी भारत को असहज किया है और दोनों देशों के रिश्ते निचले स्तर पर पहुंचे हैं।

नदीम ने रची थी गुलशन कुमार की हत्या की साजिश? वकील ने बताई अनुराधा पौडवाल से जुड़ी चौंकाने वाली वजह

मुंबई कैसेट किंग गुलशन कुमार की हत्या मेन मास्टरमाइंड नदीम सैफी थी। यह कहना है, लॉयर उज्ज्वल निकम का। 1997 में दिनदहाड़े गुलशन कुमार को गोलियों से छलनी कर दिया गया था। इस हत्याकांड ने हर किसी को झकझोर दिया था। उनकी हत्या की वजह भी अभी तक किसी को ठीक से नहीं पता। कुछ लोग इसे पैसे का लेनदेन बताते हैं। वहीं उज्ज्वल निकम ने इशारा किया है कि दोनों की सिंगर अल्का याज्ञनिक और अनुराधा पौडवाल की वजह से राइवलरी थी। इसीलिए भारत नहीं आ रहा नदीम शुभंकर मिश्रा के पॉडकास्ट में उज्ज्वल निकम से पूछा गया कि क्या गुलशन कुमार की हत्या में नदीम का हाथ था? इस पर उन्होंने जवाब दिया, 'हां, उसका हाथ था। इसीलिए वह वापस नहीं आ रहा है। वह ट्रायल फेस नहीं कर रहा है। वरना ट्रायल में क्यों नहीं आता।' नदीम कई साल यूके में रहने के बाद अब दुबई में रह रहा है। ट्रायल नहीं फेस करना चाहता नदीम उज्ज्वल ने बताया कि कुछ साल पहले नदीम ने वापस आने की इच्छा जाहिर की थी। वह बोले, 'उसने प्रपोजल दिया था कि वापस आना चाहता हूं। मैंने कहा, 'बिल्कुल वापस आओ और ट्रायल फेस करो।' वह नहीं चहता था।' क्यों हुई गुलशन कुमार की हत्या उज्ज्वल से पूछा गया कि गुलशन कुमार की हत्या क्यों हुई थी? इस पर उन्होंने जवाब दिया, 'वो एकदम अलग कहानी है। अनुराधा पौडवाल इनकी सिंगर थीं। अल्का याज्ञनिक उनकी सिंगर थीं। बस। पुलिस को लगता है कि नदीम इस हत्या का मुख्य षड्यंत्रकर्ता था। उसने ही सब रचा था। पुलिस का मानना है कि हत्या नदीम के कहने पर हुई और साजिश दुबई में रची गई।' कैसे हुई थी हत्या गुलशन कुमार वैष्णो देवी और शिव के परम भक्त थे। 12 अगस्त 1997 को वह मंदिर से पूजा करके वापस आ रहे थे तभी उन पर हमला कर दिया गया। गुलशन कुमार को 16 गोलियां लगी थीं और मौके पर ही उनका निधन हो गया। 30 अगस्त को इस हत्याकांड में नदीम-श्रवण की जोड़ी वाले नदीम का हाथ सामने आया। रिपोर्ट्स थीं कि गुलशन कुमार ने नदीम के अल्बम 'हाय अजनबी' की ठीक से पब्लिसिटी नहीं की तो वह नाराज था। हालांकि काफी पहले से दोनों के बीच काफी मनमुटाव चल रहा था।

क्या है कफाला सिस्टम? सऊदी में ऐतिहासिक बदलाव से प्रवासी मजदूरों को मिला आज़ादी का तोहफा

दुबई  सऊदी अरब में अब पहले के मुताबिक जॉब करना आसान हो गया है क्योंकि इस देश ने गुलामी की जंजीर कही जाने वाली दशकों पुरानी कफाला सिस्टम का अंत कर दिया है। यह लेबर स्पॉन्सरशिप सिस्टम था, जिसके तहत लाखों विदेशी कामगारों के जीवन और अधिकारों को नियंत्रित किया जाता था। जून 2025 में घोषित यह निर्णय अब प्रभावी हो गया है। यह प्रवासी कल्याण और श्रम अधिकारों में सुधार की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इस सुधार से लगभग 1.3 करोड़ प्रवासी कामगारों को लाभ होने की उम्मीद है, जिनमें से अधिकांश दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया से हैं। इनमें भारतीयों की भी बड़ी संख्या है। कफाला सिस्टम क्या? कफाला, अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ 'प्रायोजन' यानी स्पॉन्सरशिप होता है। यह शब्द खाड़ी देशों में जीवन के एक तरीके को उजागर करता है। इसके तहत कोई भी विदेशी कामगार या श्रमिक वहां किसी नियोक्ता के स्पॉन्सरशिप पर ही काम कर सकता था। इस सिस्टम में नियोक्ताओं का अपने कर्मचारियों पर लगभग पूरा कंट्रोल होता है। कर्मचारी अपने स्पॉन्सरशिप की इजाजत के बिना न तो नौकरी बदल सकते हैं, न देश छोड़ सकते हैं, या यहां तक ​​कि उसे कोई कानूनी मदद भी नहीं मिल सकती है। यह एक तरह से गुलामी की जंजीर थी। 1950 के दशक से ही चला आ रहा यह सिस्टम 1950 के दशक से ही चला आ रहा है। सऊदी अरब के अलावा यह कतर, कुवैत, जॉर्डन जैसे देशों में बहुत प्रचलित सिस्टम है। कफाला सिस्टम मूल रूप से तेल-समृद्ध खाड़ी अर्थव्यवस्थाओं के निर्माण के लिए आवश्यक सस्ते विदेशी श्रमिकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और उसका प्रबंधन करने के लिए डिजाइन किया गया था। इस प्रणाली के अनुसार, प्रत्येक प्रवासी श्रमिक एक स्थानीय प्रायोजक, जिसे कफ़ील कहा जाता था, से बंधा होता था, जो उनके निवास, रोजगार और कानूनी स्थिति पर अधिकार रखता था। श्रमिकों के शोषण का जरिया था ये सिस्टम शुरुआत में यह सिस्टम प्रवासी श्रमिकों की मदद के लिए लाया गया था ताकि विदेशी जमीं पर उनके रहमे-सहने, खाने-पीने का इंतजाम उसके स्पॉन्सर करें लेकिन बाद में यह सिस्टम श्रमिकों के शोषण का जरिया बन गया। नियोक्ता श्रमिकों के पासपोर्ट जब्त कर लेते थे, वेतन देने में देरी या इनकार किया करते थे, और उनकी आवाजाही पर बैन लगा रहे थे। बेचारा श्रमिक उनकी मर्जी के बिना अपने घर भी नहीं लौट सकते थे, या दुर्व्यवहार की स्थिति में अधिकारियों से भी संपर्क नहीं कर सकते थे। सऊदी अरब Vision 2030 का हिस्सा हालांकि, कई अधिकार समूह अक्सर कफाला सिस्टम की तुलना 'आधुनिक गुलामी' से करते रहे हैं, और कहते हैं कि इसने श्रमिकों से उनकी बुनियादी स्वतंत्रता छीन ली और उन्हें शोषण के दलदल में धकेल दिया है। लेकिन अब सऊदी अरब के हालिया श्रम सुधारों ने कफाला सिस्टम की जगह कॉन्ट्रैक्ट एंप्लॉयमेंट मॉडल को लागू किया है। सऊदी प्रेस एजेंसी के अनुसार, नए सिस्टम में विदेशी वर्कर्स को मौजूदा कंपनी या कहें कफील की इजाजत लिए बगैर नई कंपनी ज्वाइन करने की अनुमति होगी। बता दें कि सऊदी अरब Vision 2030 के तहत देश में सुधार कर रहा है और कफाला सिस्टम को खत्म करना भी इसी पहल का हिस्सा है।

बाल-बाल बचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, केरल में लैंड करते ही धंस गया हेलीपैड

केरल केरल के पथानामथिट्टा जिले में राजीव गांधी स्टेडियम स्थित नव-निर्मित हेलीपैड का एक हिस्सा उस समय धंस गया जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हेलिकॉप्टर के पहिए उसमें फंस गए। यह हादसा उस वक्त हुआ जब राष्ट्रपति सबरीमला दर्शन के बाद यहां उतरीं। अधिकारियों के अनुसार, हेलिकॉप्टर के जमीन पर छूते ही हेलीपैड की सतह का हिस्सा अचानक धंस गया। घटना के बाद हेलिकॉप्टर एक ओर झुक गया, जिसके बाद मौके पर मौजूद पुलिस और अग्निशमन दल के कर्मियों ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया। संयुक्त प्रयासों से हेलिकॉप्टर को सुरक्षित बाहर निकाला गया। अधिकारियों ने बताया कि यह हेलीपैड अंतिम समय में तैयार किया गया था। खराब मौसम के कारण राष्ट्रपति के हेलिकॉप्टर की लैंडिंग स्थल निलक्कल से बदलकर प्रमादम (राजीव गांधी स्टेडियम) कर दिया गया था। इसलिए मंगलवार देर रात तक कंक्रीट डालकर नया हेलिपैड बनाया गया। लेकिन चूंकि कंक्रीट पूरी तरह सूख नहीं पाया था, इसलिए वह हेलिकॉप्टर के वजन को सहन नहीं कर सका और धंस गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि स्टेडियम को लैंडिंग स्थल के रूप में आखिरी पल में चुना गया और इसी वजह से निर्माण अधूरा रह गया था। आपको बता दें कि राष्ट्रपति मुर्मू मंगलवार शाम को अपनी चार दिवसीय केरल यात्रा पर तिरुवनंतपुरम पहुंची थीं। बुधवार को वे सबरीमला मंदिर में दर्शन और आरती करने पहुंचीं। इस दौरान पथानामथिट्टा जिले के प्रमादम में उनके हेलिकॉप्टर की लैंडिंग हुई, जहां यह हादसा हुआ। घटना में किसी को चोट नहीं आई और राष्ट्रपति पूरी तरह सुरक्षित हैं। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए एक्स (X) पर लिखा, “केरल आगमन पर भारत की माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का हार्दिक स्वागत। उनका यहां होना हमारे राज्य और जनता के लिए गर्व की बात है।”

भारत और कतर की बढ़ती पकड़ से घबराए तुर्की-पाक, इस्लामी नेतृत्व पर मंडरा रहा टकराव

काबुल  दक्षिण एशिया और इस्लामी जगत में तेजी से बदलते समीकरणों के बीच भारत और कतर ने ऐसे कदम उठाए हैं, जिसने न केवल अफगानिस्तान बल्कि पूरे मुस्लिम वर्ल्ड में नए संकेत दे दिए हैं. भारत सरकार ने मंगलवार को काबुल में अपने मिशन को अपग्रेड कर फिर से ‘दूतावास’ का दर्जा देने की घोषणा की है. वहीं कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने अफगानिस्तान में मिर्दिफ अली अल काशूती को अफगानिस्तान का नया राजदूत नियुक्त किया है. ये दोनों फैसले ऐसे समय में आए हैं, जब अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच अगली वार्ता तुर्की में होने वाली है और इस्लामी जियो पॉलिटिक्स में नए शक्ति समीकरण बनते दिख रहे हैं. भारत ने काबुल में खोला दूतावास भारत सरकार ने अफगानिस्तान में काबुल स्थित अपने तकनीकी मिशन को तत्काल प्रभाव से दूतावास में अपग्रेड करने का फैसला लिया है. भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस महीने अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी के भारत दौरे के दौरान काबुल में भारतीय तकनीकी मिशन को दूतावास का दर्जा देने की घोषणा की थी. मुत्तकी 9 से 16 अक्टूबर तक भारत में थे. इस दौरान वह दक्षिण एशिया के सबसे प्रभावशाली इस्लामिक इदारे ‘दारुल उलूम देवबंद’ का भी दौरा किया था. तालिबान की वैचारिक जड़ें जो प्रतीकात्मक रूप से इस भारतीय इदारे से भी जुड़ी मानी जाती हैं. मुत्तकी के दौरे के दौरान कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई, जिसमें अफगानिस्तान में भारत की विकास और मानवीय सहायता की भूमिका भी शामिल थी. वहीं अब अफगानिस्तान में दोबारा से दूतावास शुरू करने पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह फैसला भारत और अफगानिस्तान के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को ‘हर क्षेत्र में और गहराई तक’ ले जाने की दिशा में एक अहम कदम है. भारत पहले ही अफगानिस्तान में कई विकास परियोजनाओं और स्वास्थ्य सहायता कार्यक्रमों का हिस्सा रहा है और अब दूतावास के दोबारा एक्टिव होने से ये संबंध औपचारिक रूप से और मजबूत होंगे. कतर ने काबुल में नियुक्त किया पूर्ण राजदूत उधर, कतर ने भी इस्लामी कूटनीति में अपनी पकड़ और भूमिका को और मज़बूत करने की दिशा में कदम बढ़ाया है. इस खाड़ी देश ने मिर्दिफ अल काशूती को अफगानिस्तान में पूर्ण राजदूत बनाने का फैसला किया है. वह पिछले तीन वर्षों से काबुल स्थित कतर दूतावास में वरिष्ठ राजनयिक के रूप में काम कर रहे थे. कतर ने यह नियुक्ति ऐसे वक्त पर की है जब वह अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है, और दोनों देशों की अगली बैठक तुर्किये में होने वाली है. इस्लामिक वर्ल्ड की धुरी नहीं तुर्की-पाकिस्तान एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत और कतर के ये कदम एक बड़े भू-राजनीतिक संदेश का हिस्सा हैं. यह संकेत है कि इस्लामी वर्ल्ड की धुरी अब सिर्फ तुर्की या पाकिस्तान के इर्द-गिर्द नहीं घूमेगी. तुर्की खुद को इस्लामी दुनिया का नेता बनाने की कोशिश करता रहा है. वहीं पाकिस्तान अफगानिस्तान में अपनी प्रभावशाली भूमिका बनाए रखना चाहता है. हालांकि भारत और कतर की बढ़ती उपस्थिति से इन दोनों देशों का चिंतित होना लाजमी माना जा रहा है. भारत ने जहां मुत्तकी के दौरे और देवबंद जैसी इस्लामी संस्था के माध्यम से एक ‘धार्मिक संवाद की कूटनीति’ को आगे बढ़ाया है. वहीं कतर ने अपनी ‘मध्यस्थ डिप्लोमेसी’ के जरिये इस्लामिक देशों में तुर्की की बढ़ती दखलअंदाजी को संतुलित करने की कोशिश की है. यह दोनों घटनाएं बताती हैं कि दक्षिण एशिया में इस्लामी विश्व की नई धुरी बन रही है, जिसमें भारत, कतर और अफगानिस्तान की भूमिका अहम होती जा रही है. ऐसे में तुर्की और पाकिस्तान के लिए यह एक स्पष्ट संकेत है कि ‘खलीफा बनने की कोशिश’ के दिन अब आसान नहीं रहे.  

चीन को नहीं रास आई भारत की प्रगति, WTO में दर्ज कराई आपत्ति

नई दिल्ली आधुनिक भारत की अर्थव्‍यवस्‍था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्‍यवस्‍था बन चुकी है, क्‍योंकि देश की घरेलू खपत अन्‍य देशों की तुलना में ज्‍यादा है. एग्रीकल्‍चर हो या ईवी, भारत हर सेक्‍टर्स में तरक्‍की के नए मुकाम हासिल कर रहा है. ईवी प्रोडक्‍ट्स के मामले में भारत घरेलू निर्माण पर फोकस है. यही बात ड्रैगन को पसंद नहीं आ रही है, जिस कारण उसने विश्व व्यापार संगठन (WTO) के पास शिकायत कर डाली है. चीन का आरोप है कि भारत की इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी सब्सिडी योजनाएं आयात की तुलना में घरेलू उत्‍पादों को प्राथमिकता दे रही हैं, जो वैश्विक व्‍यापार नियमों का उल्लंघन करती हैं. चीन का कहना है कि भारत के विशाल ईवी बाजार तक पहुंच चाहने वाले चीनी वाहन निर्माताओं को संभवतः दरकिनार किया जा रहा है.  चीन ने भारत से रखी ये मांग WTO के एक कम्युनिकेशन लेटर के मुताबिक, बीजिंग ने WTO सेटलमेंट मैकनिज्‍म के तहत तीन भारतीय कार्यक्रमों के तहत सेटमेंट करने की रिक्‍वेस्‍ट की है. चीन ने उन्नत रसायन सेल (ACC) बैटरी भंडारण के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना, ऑटोमोबाइल और ऑटो उद्योग के लिए पीएलआई योजना, और इलेक्ट्रिक पैसेंजर कार विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक अलग पॉलिसी की मांग रखी है.  चीन ने भारत पर और क्‍या लगाए आरोप  चीन का दावा है कि ये उपाय घरेलू स्‍तर पर बन रहे वस्‍तुओं के उपयोग पर 'पात्रता और प्रोत्साहनों के वितरण की शर्तें' लगाते हैं, जो चीनी उत्‍पादों के साथ भेदभाव है. चीन का कहना है कि इस तरह के प्रतिबंध सब्सिडी और प्रतिपूरक उपायों (SCM) समझौते, टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौते (गैट) 1994, और व्यापार-संबंधी निवेश उपायों पर समझौते (ट्रिम्स) के तहत भारत के दायित्वों का उल्लंघन करते हैं.  WTO फाइलिंग में कहा गया है कि ये उपाय चीन को मिलने वाले लाभों को रद्द या कम कर देते हैं. चीन विवाद को सुलझाने के पहले कदम के रूप में परामर्श के लिए एक डेट की मांग कर रहा है. भारत के इन योजनाओं का क्‍या है मतलब?  भारत के प्रोत्साहन कार्यक्रमों का उद्देश्य आयात पर निर्भरता कम करते हुए स्थानीय इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी उत्पादन को बढ़ावा देना है. मई 2021 में शुरू की गई PLI-ACC योजना में 50 GWh घरेलू बैटरी क्षमता विकसित करने के लिए ₹18,100 करोड़ का परिव्यय शामिल है. सितंबर 2021 में ₹25,938 करोड़ की लागत से स्वीकृत ऑटो-केंद्रित PLI योजना का लक्ष्य ऑटोमोटिव टेक्‍नोलॉजी का घरेलू उत्पादन और रोजगार पैदा करना है.  भारत का बढ़ा व्‍यापार घाटा  लेकिन BYD जैसे चीनी ईवी निर्माताओं को यूरोपीय संघ में घटते मुनाफे और विनियामक बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें 27% टैरिफ भी शामिल है. हालांकि फिर भी चीन का आयात बढ़ा है. 2024-25 में चीन को भारत के निर्यात में 14.5% की गिरावट के आई, लेकिन चीन से आयात में 11.5% की वृद्धि हुई है. इससे बीजिंग के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 99.2 बिलियन डॉलर हो गया. 

दिवाली की बधाई पर ट्रंप को मोदी का जवाब –दो लोकतंत्र कर रहे हैं दुनिया का नेतृत्व

नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सोशल मीडिया पोस्ट करते हुए दिवाली पर बधाई संदेश देने के लिए शुक्रिया अदा किया है. पिछले दिनों दिवाली के मौके पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने पीएम मोदी को फोन करके बधाई दी थी. नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप, आपके फ़ोन कॉल और दिवाली की हार्दिक शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद. प्रकाश के इस पर्व पर, हमारे दो महान लोकतंत्र दुनिया को उम्मीद की रोशनी दिखाते रहें और आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ एकजुट रहें." ट्रंप ने दिवाली पर दी थी बधाई… व्हाइट हाउस द्वारा जारी एक बयान में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रोशनी के त्योहार दिवाली मनाने वाले सभी लोगों को शुभकामनाएं दीं. इस दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, "आज, मैं दिवाली, 'रोशनी का त्योहार' मनाने वाले हर अमेरिकी को अपनी शुभकामनाएं देता हूं." ट्रंप ने आगे कहा, "कई अमेरिकियों के लिए, दिवाली अंधकार पर प्रकाश की विजय का एक शाश्वत स्मरण है. यह परिवारों और दोस्तों को एक साथ लाकर समुदाय का जश्न मनाने, उम्मीद से ताकत हासिल करने और नवीनीकरण की स्थायी भावना को अपनाने का भी वक्त है." उन्होंने आगे कहा, "लाखों नागरिक दीये और लालटेन जलाते हैं, और हम इस शाश्वत सत्य पर प्रसन्न होते हैं कि अच्छाई की हमेशा बुराई पर विजय होती है. दिवाली मनाने वाले प्रत्येक अमेरिकी के लिए, ईश्वर करे कि यह त्यौहार स्थायी शांति, समृद्धि, आशा और शांति लाए."