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नीतीश कुमार का चुनावी दांव: सोशल इंजीनियरिंग से एक तीर, कई निशाने

पटना. बिहार की राजनीति में अगर किसी नेता को सोशल इंजीनियरिंग का मास्टर कहा जाता है, तो वह हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. सुशासन बाबू के नाम से मशहूर नीतीश कुमार ने अपने पूरे राजनीतिक करियर में समाज के हर वर्ग को जोड़ने और संतुलन साधने की रणनीति पर काम किया है. यही कारण है कि चाहे सरकार बनानी हो, मंत्रिमंडल का गठन करना हो या चुनाव में उम्मीदवारों का चयन- हर बार उन्होंने सामाजिक, जाति और क्षेत्रीय समीकरणों का ध्यान रखते हुए फैसला लिया है. इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद समाजवादी राजनीति में कदम रखने वाले नीतीश कुमार ने हमेशा विकास के साथ सामाजिक न्याय की बात की है. नीतीश कुमार ने सत्ता में रहते हुए योजनाओं, नीतियों और टिकट बंटवारे में सामाजिक संतुलन को प्राथमिकता दी है. इस बार भी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए जेडीयू की उम्मीदवार सूची इस परंपरा को आगे बढ़ाती दिख रही है. टिकट बंटवारे में दिखा सामाजिक संतुलन बिहार चुनाव को लेकर जेडीयू ने अपनी 101 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है, जिसमें हर समाज और वर्ग को प्रतिनिधित्व दिया गया है. पार्टी ने पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, सवर्ण और महिलाओं सभी को टिकट देकर समावेशी राजनीति का संदेश दिया है. जेडीयू उम्मीदवारों की लिस्ट में सोशल इंजीनियरिंग की झलक     पिछड़ा वर्ग (OBC) से 37 उम्मीदवार     अति पिछड़ा वर्ग (EBC) से 22 उम्मीदवार     सवर्ण समाज से 22 उम्मीदवार     अनुसूचित जाति (SC) से 15 उम्मीदवार     अनुसूचित जनजाति (ST) से 2 उम्मीदवार शामिल हैं.     इसके साथ ही पार्टी ने 13 महिलाओं को भी टिकट देकर महिला सशक्तिकरण का मजबूत संदेश दिया है.     पहली लिस्ट में ‘लव-कुश समीकरण’, दूसरी में ‘पिछड़ा-समाज पर फोकस’ जेडीयू की पहली लिस्ट में जहां लव-कुश समीकरण (कुशवाहा और यादव समुदाय) को प्राथमिकता दी गई थी, वहीं दूसरी लिस्ट में पिछड़ा समाज को प्रमुखता दी गई है. नीतीश कुमार की रणनीति साफ दिख रही है वे चाहते हैं कि हर जाति और वर्ग को प्रतिनिधित्व मिले, जिससे जेडीयू का सामाजिक आधार और व्यापक हो. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जेडीयू का यह कदम न केवल महागठबंधन के भीतर संतुलन बनाए रखने की कोशिश है, बल्कि उन वर्गों को भी साधने की रणनीति है जो पिछले कुछ वर्षों में बीजेपी और आरजेडी के साथ झुक गए थे. जेडीयू की लिस्ट में जातीय समीकरण के गणित को समझें नीतीश कुमार की सोशल इंजीनियरिंग का इतिहास नीतीश कुमार के राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी ताकत रही है उनकी सोशल इंजीनियरिंग. जब 2005 में उन्होंने पहली बार बिहार की सत्ता संभाली, तब से उन्होंने “विकास और सामाजिक न्याय” के संतुलन पर काम किया. इन सभी योजनाओं ने नीतीश कुमार को सिर्फ विकास पुरुष नहीं, बल्कि सामाजिक संतुलन साधने वाले नेता के रूप में स्थापित किया.     सात निश्चय योजना     मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना     आरक्षण में बढ़ोतरी     महिलाओं को 35 प्रतिशत नौकरी आरक्षण     अति पिछड़ा आयोग का गठन महिलाओं को प्राथमिकता ‘सशक्त बिहार’ का संदेश जेडीयू ने अपनी इस लिस्ट में 13 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है. इससे पार्टी ने यह स्पष्ट किया है कि नीतीश कुमार महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को लेकर हमेशा गंभीर रहते हैं. पंचायत चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले से लेकर सरकारी नौकरियों में आरक्षण तक, उन्होंने महिलाओं को सशक्त करने की दिशा में कई ठोस कदम उठाए हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जेडीयू की यह रणनीति महिला वोट बैंक को मजबूत करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है. अति पिछड़े और दलित समाज को भी बड़ा प्रतिनिधित्व जेडीयू की लिस्ट में अति पिछड़ा समाज (EBC) से 22 और अनुसूचित जाति (SC) से 15 उम्मीदवार शामिल किए गए हैं. नीतीश कुमार की राजनीति की जड़ें इन्हीं तबकों में हैं. उन्होंने हमेशा इन वर्गों को राजनीतिक और सामाजिक रूप से सशक्त करने पर ध्यान दिया है. जेडीयू नेताओं का कहना है कि जेडीयू हमेशा से सबका साथ, सबका विकास की नीति पर चलती है. हमारी कोशिश यही रहती है कि कोई भी समाज खुद को अलग या उपेक्षित महसूस न करे.” नीतीश कुमार ने इन 3 नेताओं से भी लिया फीडबैक वहीं जेडीयू सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार ने सीट शेयरिंग में सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूला का इस्तेमाल करने के लिए इस बार जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं ललन सिंह, संजय झा और विजय चौधरी से भी बड़ी चर्चा की है. जेडीयू सूत्रों का कहना है कि इन तीनों नेताओं ने उम्मीदवारों के चयन को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रत्याशियों और सीटों से जुड़े फीडबैक और कई अहम जानकारियां दी. हालांकि बिहार चुनाव 2025 में नीतीश कुमार की यह सोशल इंजीनियरिंग कितनी कारगर साबित होगी, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन इतना तय है कि सुशासन बाबू ने अपने पुराने फार्मूले पर एक बार फिर से भरोसा जताया है.  

समस्तीपुर से उठेगा चुनावी जादू, पीएम मोदी ने रैली की तारीख की घोषणा की

पटना 6 नवंबर से शुरू हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों का शेड्यूल तय हो गया है। पीएम मोदी 24 अक्टूबर से बिहार में अपने चुनावी अभियान की शुरुआत करेंगे। इस दौरान वह प्रदेश के कई जिलों में जनसभाएं करेंगे और जनता से सीधा संवाद करेंगे। चुनावी अभियान की शुरुआत समस्तीपुर से होगी, जहां प्रधानमंत्री मोदी कर्पूरी ग्राम जाकर समाजवादी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के घर पहुंचेंगे। वहां वह कर्पूरी ठाकुर को श्रद्धांजलि देंगे। इसी कार्यक्रम से प्रधानमंत्री अपने बिहार दौरे और चुनावी रैलियों की औपचारिक शुरुआत करेंगे। प्रधानमंत्री के दौरे का यह आगाज बेहद प्रतीकात्मक माना जा रहा है, क्योंकि कर्पूरी ठाकुर को बिहार की राजनीति का बड़ा चेहरा और सामाजिक न्याय का प्रतीक माना जाता है। कर्पूरी ग्राम से शुरुआत करके पीएम मोदी एक बार फिर 'सबका साथ, सबका विकास' के संदेश के साथ बिहार में एनडीए की ताकत को और मजबूत करने की कोशिश करेंगे। जानकारी के मुताबिक, 24 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समस्तीपुर और बेगूसराय में दो बड़ी चुनावी सभाएं करेंगे। इसके बाद उनका अगला चरण 30 अक्टूबर को तय है, जब वह मुजफ्फरपुर और छपरा में रैलियां संबोधित करेंगे। सूत्रों के अनुसार, 2 नवंबर, 3 नवंबर, 6 नवंबर और 7 नवंबर को भी प्रधानमंत्री बिहार के अलग-अलग जिलों में जनसभाएं करेंगे। इन रैलियों के कार्यक्रम को लेकर सुरक्षा और प्रशासनिक तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि पीएम मोदी की रैलियों से बिहार में एनडीए के चुनावी अभियान को नई ऊर्जा मिलेगी। वहीं राजनीतिक जानकारों का मानना है कि समस्तीपुर से शुरुआत करना एक रणनीतिक कदम है, क्योंकि यह क्षेत्र न सिर्फ समाजवादी राजनीति की धरती रहा है, बल्कि उत्तर बिहार की राजनीति में इसका विशेष प्रभाव है। बिहार में पहले चरण की वोटिंग 6 नवंबर को होनी है और दूसरे चरण के लिए 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी और इसके साथ ही चुनाव के नतीजे सामने आ जाएंगे।

चुनावी रणभूमि की पहली लड़ाई: कौन कितनी सीटों पर दावेदार, लालू-नीतीश की ताकत का हाल

पटना बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान छह नवंबर को है। पहले चरण में 18 जिले के 121 सीटों पर चुनाव होना है। अब तक 1698 विभिन्न दलों के साथ ही निर्दलीय प्रत्याशियों ने नामांकन किया है। 20 अक्टूबर तक नाम वापसी की अंतिम तिथि है। खास बात यह है कि पहले चरण में राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाईटेड की सबसे अधिक सीटें दांव पर लगी है। इस बार महागठबंधन की ओर से राजद ने 71, कांग्रेस ने 25, भाकपा माले 13, वीआईपी और सीपीआई छह-छह, सीपीएम और आईआईपी ने दो प्रत्याशी उतारे हैं। वहीं एनडीए से जदयू ने 57 उतारे हैं। भाजपा के 48, लोजपा (राम) के 14 और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोमो से दो प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं।   पहले चरण में 36 सीटों पर राजद और जदयू के प्रत्याशी आमने-सामने हैं। वहीं राजद और भाजपा के बीच 23 सीटों पर आमने सामने हैं। कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों के बीच 23 सीटों पर मुकाबला है। वहीं कांग्रेस और जदयू  12 सीटों पर आमने-सामने हैं। वहीं चिराग और तेजस्वी के बीच 10 सीटों पर मुकाबला होना है। पहले यह संख्या 11 थी। लेकिन, मढ़ौरा से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) सीमा सिंह का नामांकन रद्द होने के कारण यह संख्या अब 10 रह गई। महागठबंधन में पिछले कुछ दिनों से सबसे ज्यादा चर्चा में रहे मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी का मुकाबला पहले चरण की छह में से चार सीटों पर भाजपा और दो सीटों पर जदयू से है। इन दिग्गजों की किस्मत पहले चरण में दांव पर पहले चरण में राजद से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव राघोपुर और छपरा से भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह चुनाव लड़ रहे हैं।  भाजपा से उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा लखीसराय, सम्राट चौधरी तारापुर से, मंत्री मंगल पांडेय सीवान से, जिवेश मिश्रा जाले से, संजय सरावगी दरभंगा सदर से, राजू सिंह राजू कुमार सिंह,  नितिन नवीन बांकीपुर और लोकगायिका मैथिली ठाकुर अलीनगर सीट, पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा से चुनावी मैदान में हैं। वहीं जदयू से मंत्री विजय कुमार चौधरी सरायगंज से, महेश्वर हजारी कल्याणपुर से चुनावी मैदान में हैं। 

19 अक्टूबर से 29 अक्टूबर तक बिहार में छुट्टियों का शेड्यूल – जानिए पूरी सूची

पटना  त्योहारी सीजन में बिहार में छुट्टियों की भरमार लग गई हैं। राज्य में 19 अक्टूबर से लेकर 29 अक्टूबर तक छुट्टियां ही छुट्टियां हैं। अगर स्कूल की बात करें तो सरकार ने 20 अक्टूबर से लेकर 29 अक्टूबर तक स्कूल बंद रखने का आदेश दिया है। आइए डिटेल में जानते हैं कि बैंक, सकूल और अदालतें किस-किस दिन बंद रहेंगे।  जानें दिवाली पर कितने दिन बंद रहेंगे बैंक? दिवाली से लेकर छठ पूजा तक बैंक 4 से 5 दिन बंद रहेंगे। छुट्टियों की पूरी लिस्ट के लिए किल्क करें।   कितने दिन बंद रहेंगी अदालतें?  बिहार में पटना व्यवहार न्यायालय समेत पटना न्याय मंडल की सभी अदालतें 19 अक्टूबर 2025 से 28 अक्टूबर 2025 तक दीपावली एवं छठ महापर्व की (Bihar Court Holidays 2025) छुट्टियों के कारण बंद रहेंगी। पूरी खबर के लिए क्लिक करें।   बच्चों की लगी मौज…इतने दिन बंद रहेंगे School बिहार सरकार ने 20 अक्टूबर से 29 अक्टूबर 2025 तक स्कूल बंद रखने का आदेश जारी किया है। इस अवधि में राज्य के सभी जिलों में सरकारी और निजी स्कूलों में (Bihar Govt School Closed ) अवकाश रहेगा। ये छुट्टियां दिवाली और छठ पूजा दोनों को कवर करेंगी। 

कांग्रेस में टिकट की ‘घोड़ा-दौड़’! पप्पू यादव-अल्लावरू का धमाकेदार ऑडियो मचा रहा हड़कंप

पटना  बिहार चुनाव से पहले टिकटों की खरीद-फरोख्त को लेकर कांग्रेस पर गंभीर इल्जाम लग रहे हैं। गंभीर बात यह है कि यह आरोप कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस के ही विधायक अफाक आलम लगा रहे हैं। अफाक आलम कस्बा से कांग्रेस विधायक हैं। कस्बा से कांग्रेस विधायक आफाक आलम और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम के बीच हुई बातचीत का एक ऑडियो भी वायरल हुआ है। इसमें आफाक आलम के पूछने पर राजेश राम कह रहे हैं कि आपके टिकट पर हम साइन कर दिए हैं। अब प्रभारी के पास है। लेकिन कोई मुकतु और इरफान है। खेल, हाथी, घोड़ा सब हो रहा है। बता दें कि कस्बा से कांग्रेस ने इरफान को टिकट दिया है। अफाक आलम का कहना है कि घोड़ा कृष्णा अल्लावरू हैं और हाथी पप्पू यादव। सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि अफाक आलम और राजेश राम के बीच क्या बातचीत हुई। हालांकि, लाइव हिन्दुस्तान इस ऑडियो की पुष्टि नहीं करता है। जो ऑडियो वायरल हुआ है उसमें अफाक आलम कहते हैं कि अध्यक्ष जी बताइए ना क्या करें, बैठे हए हैं। इसपर राजेश राम कहते हैं कि यहां पर एक मुत्थु हैं, कोई इरफान हैं। उसके लिए बहुत है, आपका ओके है लेकिन अभी सिंबल रोके हुए है। इसके बाद अफाक आलम ने कहा कि तो हमको दे दिजिए। इसपर राजेश राम ने कहा कि हम तो साइन कर के दे ही दिए हैं वहां, हम चले आए क्षेत्र पर। अफाक आलम राजेश राम से कहते हैं कि धन्यवाद आपका सर। खेल, हाथी-घोड़ा हो रहा – राजेश राम इसपर राजेश राम ने कहा कि हम साइन, वगैरह जितना था उतना कर दिए हैं। लेकिन अब ये जो है वो प्रभारी जी के पास है। अफाक आलम कहते हैं कि आप अध्यक्ष है सर। इसपर राजेश राम कहते हैं कि अध्यक्ष हैं तो हम अनुमति तक सबकुछ कर दिए हैं। अफाक आलम ने इसपर पूछा कि तो फिर ये क्या खेल हो रहा है सर। इसपर राजेश राम ने कहा कि खेल, हाथी-घोड़ा सब हो रहा है। हमने कहा था कि किसी भी विधायक का टिकट नहीं कटना चाहिए। इसपर अफाक आलम ने कहा कि आप ऊपर खबर कर दीजिए सर। इसपर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अभी पप्पू यादव लगा हुआ है ना। तब अफाक आलम ने कहा कि किसके पीछे लगा हुआ है पप्पू यादव, पप्पू यादव क्या चीज है, पप्पू यादव क्या है? पप्पू यादव हमलोग की पार्टी का क्या है? इसपर राजेश राम कहते हैं कि यह तो आप ऊपर पूछिएगा ना सर। हमने आपका नाम आगे बढ़ा दिया। बाद में आकर टिकट रूका है। अफाक आलम ने पूछा कि किसने रोक दिया? इसपर राजेश राम ने कहा कि ये सब तो पप्पू जी, वेणु जी सब बैठ कर क्या-क्या कर रहे हैं। हमलोग तो पहले ही साइन करके दे चुके हैं। अफाक आलम इसे बाद कहते हैं कि क्या सर इससे पार्टी चलेगा? तब राजेश राम कहते हैं कि पार्टी एकदम नहीं चलेगा। इससे हम भी बहुत परेशान हैं। आप एक साफ-सुथरा आदमी हैं। आपके बनने से एक मैसेज है कि आपके होने से हमलोग बातचीत कर सकते हैं। आप हमारे अध्यक्ष हैं आपको अड़ना होगा सर। इधर इस ऑडियो क्लिप के वायरल होने के बाद अफाक आलम ने न्यूज 18 से बातचीत में माना कि यह बातचीत उनके और राजेश राम के बीच की ही है। इन लोगों ने टिकट बेचा है और टिकट बेचकर वैसे लोगों को बेचा गया है जो हारा हुआ है। कांग्रेस में टिकट बेचे जाने की बात पर अड़े अफाक आलम अफाक आलम ने कहा कि जो बिहार कांग्रेस के प्रभारी अल्लावरू और अध्यक्ष राजेश राम और शकील खान इन तीनों की जिम्मेदारी थी टिकट देने की। हम लगातार फोन करते रहे लेकिन अल्लावरू साहब ने फोन नहीं उठाया। हमने कहा कि दूसरे चरण में हमलोगों को टिकट मिलना है। हमलोगों को टिकट दिया जाए। उसके बाद हमको धीरे-धीरे पता चला कि पप्पू यादव जी ने पैसे की उगाही कराई और इन लोगों दबाव में लाकर वैसे लोगों को टिकट दिया गया जिनका कोई जनाधार नहीं है और जो समिति में हारा हुआ है। पैसा लेकर टिकट दिया गया है। अफाक आलम ने कहा कि मनमाने ढंग से कांग्रेस पार्टी को बर्बाद करने के लिए कई लोग लगे हुए हैं। अफाक आलम ने कहा कि हम अपनी बात को राहुल गांधी, खरगे और केसी वेणुगोपाल तक पहुंचाया है। यहां बिहार में ये लोग टिकट बेचने का काम कर रहे हैं। किशनगंज में भी फ्रॉड करने की कोशिश की गई है। कसम खाकर कहें कि पैसा दिया गया या नहीं – अफाक आलम कस्बा विधायक ने अपनी अगली रणनीति को लेकर कहा कि हमारे समर्थक हमारे साथ हैं। कई हजार लोग यहां आ गए हैं। हम उनसे राय लेने के बाद ही कदम उठाएंगे। हम इंसाफ मांगते हैं कि आखिर ऐसा क्यों हआ? लोकतंत्र में ईमानदार लोगों को ही क्यों रोका जाता है? ऐसे तो लोकतंत्र में कोई आगे नहीं बढ़ेगा। वहीं दलाल, फ्रॉड लोग आगे आएंगे। अफाक आलम ने कहा कि मुझसे पप्पू यादव ने पूछा कि आप जीतिएगा कि वो जीतेंगे? यह सारा खेल वहीं से हुआ है। पैसा लिया गया है। वो रामायण-पुराण की कसम खाकर कहें कि पैसे दिया गया है नहीं। रातोंरात पैसा कैसे पहुंचा है और पैसा मिलने के बाद टिकट ओके किया गया है।

RJD नेता का आवास पर प्रदर्शन: रोने के साथ कुर्ता फाड़ा, लगाए बड़े आरोप

पटना/ मोतिहारी पूर्वी चंपारण जिले की मधुबन विधानसभा सीट से राष्ट्रीय जतना दल के पूर्व प्रत्याशी मदन साह का दर्द रविवार को राबड़ी आवास के बाहर फूट पड़ा। उन्होंने पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर अपना कुर्ता फाड़ लिया और फूट-फूटकर रोने लगे। इस दौरान उन्होंने तेजस्वी यादव के राजनीतिक सलाहकार संजय यादव पर टिकट बेचने का गंभीर आरोप लगाया। मदन साह का आरोप है कि कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के करीबी व राज्यसभा सांसद संजय यादव ने मुझसे दो करोड़ सत्तर लाख रुपये की मांग की थी। पैसे नहीं देने पर मेरा टिकट काट दिया गया। मैं बर्बाद हो गया हूं। बेटा-बेटी की शादी तक टाल दी थी चुनाव के लिए। लालू यादव ने खुद कहा था कि तैयारी करो, पिछली बार कम वोटों से हारे थे। इधर, पार्टी की ओर से इस पूरे मामले पर फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। मधुबन से लड़े से विधानसभा चुनाव बता दें कि मदन साह 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद के टिकट पर मधुबन से चुनाव लड़े थे, जहां उन्हें भारतीय जनता पार्टी के राणा रणधीर सिंह ने मात्र 5,878 वोटों के अंतर से हराया था। उस हार के बाद पार्टी ने उन्हें प्रोत्साहित किया और अगली बार मौका देने का भरोसा दिया था। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान मदन साह पर यह आरोप लगा कि उन्होंने राजद उम्मीदवार की जगह NDA प्रत्याशी को अंदरखाने से मदद की। आरोप है कि उनकी भूमिका के चलते ही जदयू की लवली आनंद ने राजद उम्मीदवार ऋतु जयसवाल को करीब 30,000 वोटों से हरा दिया। इसी वजह से पार्टी नेतृत्व उनसे नाराज चल रहा था।

नाराज़ RJD नेता का ड्रामा! टिकट ना मिलने पर फूट-फूटकर रोए, लालू-राबड़ी के घर मचा बवाल

पटना बिहार चुनाव को लेकर सियासी हलचल के बीच पटना में जमकर ड्रामा हुआ. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के 10, सर्कुलर रोड स्थित आवास के बाहर उस समय हंगामा मच गया, जब मधुबन विधानसभा सीट से टिकट के दावेदार रहे मदन शाह अचानक वहां पहुंच गए और जोरदार प्रदर्शन करने लगे. मदन शाह ने आवास के बाहर गेट के ठीक सामने अपना कुर्ता फाड़ लिया और जमीन पर लेटकर जोर-जोर से रोने लगे. मौके पर मौजूद लोगों ने पूरे घटनाक्रम का वीडियो रिकॉर्ड किया, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में मदन शाह कहते नजर आ रहे हैं कि उनसे आरजेडी टिकट के बदले पैसे मांगे गए थे. उनका आरोप है कि जब उन्होंने पैसे देने से इनकार किया, तो पार्टी ने उनका टिकट काटकर डॉ. संतोष कुशवाहा को पैसे लेकर दे दिया. मदन शाह ने कहा, "मैं सालों से पार्टी के लिए मेहनत कर रहा हूं, लेकिन टिकट पैसों के दम पर बांटा गया है. पार्टी ने समर्पित कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर धनबल वालों को प्राथमिकता दी है." उन्होंने आरजेडी के राज्यसभा सांसद संजय यादव पर भी गंभीर आरोप लगाए. उनका कहना है कि संजय यादव ने टिकट की दलाली की है और पैसे लेकर टिकट बेचा गया है. लालू-राबड़ी के घर के बाहर अफरा-तफरी घटना के दौरान लालू-राबड़ी आवास के बाहर अफरा-तफरी का माहौल बन गया. सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत मदन शाह को वहां से हटाया और स्थिति को नियंत्रित किया. इस बीच, आरजेडी की ओर से इस पूरे घटनाक्रम पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है. महागठबंधन में सीटों को लेकर खटपट जारी बता दें कि राज्य विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में खटपट जारी है. गठबंधन दलों के बीच आपसी सहमती नहीं बन सकी है. राजद और कांग्रेस के बीच आपसी मतभेद है और कई सीटों पर आमने-सामने की लड़ाई की स्थिति बन गई है. राजद और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी के बीच भी कुछ मतभेद है, जहां मधेपुरा में एक सीट पर एक ही उम्मीदवार ने दोनों पार्टियों से पर्चा भरा है. मसलन, हालात पेचीदा हो गया है.

आलमनगर में चुनावी उलटफेर: एक कैंडिडेट, दो पार्टियों से नामांकन – RJD और VIP में मचा घमासान

पटना  बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नामांकन के दौरान मधेपुरा जिले के आलमनगर विधानसभा क्षेत्र से एक अनोखा मामला सामने आया है. यहां एक ही प्रत्याशी ई नवीन कुमार उर्फ नवीन निषाद ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और विकासशील इंसान पार्टी (VIP), दोनों के सिंबल पर अपना नामांकन पर्चा दाखिल किया है. यह घटना महागठबंधन के भीतर सीट शेयरिंग विवाद की वजह से हुई है, जहां अभी तक सीटों का सटीक बंटवारा नहीं हो पाया है. नवीन कुमार, जो पिछले चुनाव में भी RJD के टिकट पर आलमनगर से चुनाव लड़ चुके हैं, इस बार विकासशील इंसान पार्टी की ओर से भी उम्मीदवार हैं. नवीन कुमार ने बताया कि उन्होंने पार्टी के आदेश का पालन किया है और आगे भी पार्टी की हिदायात के अनुसार ही काम करेंगे. इस सीट का प्रचार पहले मुकेश सहनी की पार्टी के पास था, जिसने इसे अपने खाते में ले लिया है. इस मामले से महागठबंधन के अंदरूनी संकट और सीट शेयरिंग की जटिलताओं का पता चलता है. चुनाव के अंतिम चरण में यह विवाद हल होने की संभावना है, और प्रत्याशी की ओर से भी सीट छोड़ने या समर्थन वापस लेने की संभावना बनी हुई है. महागठबंधन में वीआईपी को मिल रहीं 15 सीटें बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चली लंबी बातचीत के बाद महागठबंधन ने विकासशील इंसान पार्टी (VIP) को करीब 15 सीटें देने पर सहमति बना ली है. हालांकि इसका आधिकारिक ऐलान अभी बाकी है, लेकिन यह समझौता पहले चरण के नामांकन की आखिरी तारीख से कुछ घंटे पहले ही तय हुआ. 30 सीटें मांग रहे थे मुकेश सहनी वीआईपी पार्टी के नेता मुकेश सहनी शुरू में ज्यादा सीटों की मांग कर रहे थे. पहले उन्होंने 30 सीटों तक की मांग रखी थी, बाद में 20 सीटें मांगीं, साथ ही अगर गठबंधन की जीत होती है तो उपमुख्यमंत्री पद की भी इच्छा जताई थी. हालांकि, अभी कुछ फाइनल नहीं हुआ है. 

अमित शाह का बड़ा बयान: बिहार में उद्योग क्यों नहीं फल-फूल रहे, बाढ़ मुक्ति के लिए पेश किया रोडमैप

 पटना बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मतदान का समय नजदीक आता जा रहा है। सभी पार्टियां चुनाव प्रचार में जुटी हैं। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को 'हिन्दुस्तान बिहार समागम' कार्यक्रम के दौरान बिहार के विकास पर चर्चा की। शाह ने बिहार में औद्योगिक विकास की बाधाओं पर खुलकर बातचीत की। उन्होंने कहा कि राज्य में फैक्ट्रियां न लगने की सबसे बड़ी वजह भूमि की कमी है, जो निवेशकों को आकर्षित करने में प्रमुख बाधा बनी हुई है। साथ ही, उन्होंने बाढ़ मुक्ति का एक व्यापक प्लान भी साझा किया, जिसमें केंद्र सरकार की भूमिका और दीर्घकालिक उपाय शामिल हैं। हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर के साथ एबीपी न्यूज पर विशेष बातचीत में शाह ने कहा, "बिहार के अंदर हम सभी जानते हैं कि भूमि की कमी है। कोई भी बड़ी इंडस्ट्री लाना है तो बिहार में भूमि मिलने में बड़ी दिक्कत आती है। इसलिए बिहार में इस प्रकार की इंडस्ट्री लानी चाहिए जिसमें भूमि की कम जरूरत हो। इसीलिए हम बिहार को देश के AI का हब बनाना चाहते हैं।" दरअसल शाह से पूछा गया कि क्या वे ये घोषणा कर सकते हैं कि आने वाले 10 वर्षों में बिहार की यह स्थिति हो जाएगी कि ये मजदूरों का निर्यातक प्रदेश नहीं होगा? इस पर गृह मंत्री ने कहा कि इसे अलग तरीके से देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम बिहार को सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री का हब बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, "हमें इस इंडस्ट्री के अनुकूल युवाओं के लिए मौके बनाने होंगे.. उन्हें तराशना होगा। इन विधाओं में शिक्षित मैन पावर बनाने का काम हम करेंगे।" बाढ़ मुक्ति का प्लान समझाया बिहार में हर साल बाढ़ से तबाही मचती है। इसको रोकने के लिए अमित शाह ने अपनी सरकार के प्रयासों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बिहार में चंद्रगुप्त मौर्य के काल से नेपाल का पानी आता है.. गंगा बिहार में आती हैं और यहां तबाही मचती है। शाह ने कहा, "नरेंद्र मोदी जी ने 2024 के बजट के अंदर बिहार की कोसी परियोजनाओं के लिए हजारों करोड़ रुपये घोषित किए। ये परियोजनाएं तेज गति से चल भी रही हैं। 50 हजार हेक्टेयर से ज्यादा भूमि सींचित भी होगी और आने वाले 10 सालों में बिहार पूरी तरह बाढ़ से प्रभाव से मुक्त हो जाएगा। अब समय आ गया है कि बिहार को बाढ़ मुक्त करना चाहिए और हम जरूर करेंगे।"

23 अक्टूबर से पीएम मोदी का मेगा प्रचार अभियान, बिहार के 12 जिलों में भरेंगे चुनावी हुंकार

पटना   बिहार में चुनावी सरगर्मी तेज हो चुकी है और इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यभर में 12 जनसभाओं को संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री की ये रैलियां अलग-अलग चरणों में आयोजित की जाएंगी. पीएम मोदी इस रैली से भाजपा और एनडीए उम्मीदवारों के पक्ष में माहौल बनाएंगे. किस दिन कहां-कहां करेंगे रैली सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी अपनी पहली तीन रैलियां 23 अक्टूबर को करेंगे. इस दिन वे सासाराम, भागलपुर और गया में जनसभाओं को संबोधित करेंगे. इन रैलियों में प्रधानमंत्री केंद्र सरकार की उपलब्धियों, बिहार में विकास योजनाओं और राज्य के लिए केंद्र सरकार क्या-क्या कर रही है उसको जनता के सामने रखेंगे. इसके बाद 28 अक्टूबर को प्रधानमंत्री की तीन और रैलियां निर्धारित हैं. वे इस दिन पटना, मुजफ्फरपुर और दरभंगा में जनता को संबोधित करेंगे. माना जा रहा है कि इन सभाओं में मोदी रोजगार, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास से जुड़ी योजनाओं पर बात करेंगे. अगले चरण में 1 नवंबर को प्रधानमंत्री पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर और छपरा में रैलियां करेंगे. इन इलाकों में एनडीए उम्मीदवारों के समर्थन में बड़ी संख्या में जनता के जुटने की संभावना है. अंतिम चरण में 3 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी पश्चिमी चंपारण, सहरसा और अररिया में चुनावी सभाएं करेंगे. बिहर के नेताओं को पीएम मोदी की रैली से बड़ी उम्मीद भाजपा संगठन इन रैलियों की तैयारी में जुट गई है. बिहार बीजेपी के नेताओं का कहना है कि पीएम मोदी पर बिहार की जनता सबसे ज्यादा भरोसा करती है. केंद्र सरकार की योजनाओं का सबसे ज्यादा लाभ गरीब वर्ग के लोगों को मिलता है. ऐसे समय में पीएम मोदी की रैलियां बिहार में NDA उम्मीदवारों के पक्ष में माहौल बनायेंगे.