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हरियाणा के बेटे से सुप्रीम कोर्ट तक: Justice Surya Kant की प्रेरक यात्रा

हिसार  हरियाणा के हिसार से निकलकर देश की सर्वोच्च न्यायिक कुर्सी तक पहुंचने वाले जस्टिस सूर्यकांत की कहानी प्रेरणादायक है। साधारण परिवार से आने वाले इन न्यायाधीश ने मेहनत, ईमानदारी और न्याय के प्रति जुनून से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर तय किया है। वे 24 नवंबर 2025 को भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI ) बनेंगे और फरवरी 2027 तक इस पद पर रहेंगे। प्रारंभिक जीवन और शिक्षा जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हिसार जिले के पेट्वर गांव में हुआ। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से पूरी की और 1981 में गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, हिसार से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। फिर उन्होंने 1984 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से कानून (एलएलबी) की पढ़ाई पूरी की। कानूनी करियर और सफलता  1984 में उन्होंने हिसार के जिला न्यायालय में वकालत शुरू की और 1985 में चंडीगढ़ स्थित पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की। उन्होंने सांविधानिक, सेवा और नागरिक मामलों में प्रभावशाली दलीलों द्वारा अपनी पहचान बनाई। सामाजिक न्याय के लिए योगदान जस्टिस सूर्यकांत की न्यायिक यात्रा सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित रही। वे सार्वजनिक संसाधनों के संरक्षण, भूमि अधिग्रहण, मुआवजे, पीड़ितों के अधिकार, आरक्षण और संवैधानिक संतुलन जैसे विषयों पर संवेदनशील और न्यायसंगत दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। उनके फैसलों ने सामाजिक न्याय और नागरिक अधिकारों को मजबूती दी। प्रमुख उपलब्धियां 7 जुलाई 2000: हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल नियुक्त। 2001: वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा प्राप्त। 9 जनवरी 2004: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बने। 5 अक्तूबर 2018: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त। आगामी मुख्य न्यायाधीश नियुक्ति केंद्र सरकार ने जस्टिस सूर्यकांत को देश का 53वां मुख्य न्यायाधीश बनाने की प्रक्रिया शुरू की है। मौजूदा मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के बाद, 24 नवंबर 2025 को जस्टिस सूर्यकांत मुख्य न्यायाधीश पद संभालेंगे। वे 9 फरवरी 2027 तक इस पद पर रहेंगे। नियुक्ति प्रक्रिया का नियम ‘मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर’ के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट का सबसे वरिष्ठ और उपयुक्त न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है। वर्तमान सीजेआई के सेवानिवृत्त होने से लगभग एक माह पहले विधि मंत्री उनकी सिफारिश मांगते हैं। वर्तमान में जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट में सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। जस्टिस सूर्यकांत की नियुक्ति से भारतीय न्यायपालिका को नई दिशा और मजबूती मिलने की उम्मीद है।

शॉकिंग हमला! मनोरंजन कालिया के घर फेंका गया ग्रेनेड, जांच में सामने आई बड़ी साजिश

मोहाली/जालंधर  पंजाब के पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया के जालंधर स्थित घर पर हुए ग्रेनेड हमले की सुनवाई एन.आई.ए. की विशेष न्यायाधीश मनजोत कौर की अदालत में हुई। इस मामले में आरोपी सैदुल अमीन और हरियाणा के कुरुक्षेत्र निवासी अभिजोत जांगड़ा वी.सी. के जरिए अदालत में पेश हुए। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 10 नवंबर तय की है। इस मामले में एन.आई.ए. ने पिछली सुनवाई में खालिस्तान समर्थकों समेत 4 लोगों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। आरोप पत्र में गिरफ्तार दो आरोपियों सैदुल अमीन (उत्तर प्रदेश निवासी) और अभिजोत जांगड़ा (हरियाणा के कुरुक्षेत्र निवासी) के अलावा दो फरार आरोपियों के नाम शामिल हैं। फरार आरोपियों की पहचान हरियाणा के यमुनानगर निवासी कुलबीर सिंह सिद्धू और करनाल निवासी मनीष उर्फ काका राणा के रूप में हुई है।  पूर्व मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता के घर पर 7 अप्रैल, 2025 की रात को हमला हुआ था। कुछ दिनों बाद, 12 अप्रैल को, जांच एन.आई.ए. को सौंप दी गई। एन.आई.ए. द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बी.के.आई.) के सदस्य सिद्धू ने अपने साथी मनीष के साथ मिलकर पंजाब के प्रमुख नेताओं को निशाना बनाने के लिए एक आतंकवादी गिरोह बनाया ताकि लोगों में भय का माहौल बनाया जा सके और फिरौती के माध्यम से बी.के.आई. के लिए धन इकट्ठा किया जा सके। एन.आई.ए. के अनुसार, मनीष ने अमीन की भर्ती की थी, जिसने पूर्व मंत्री के घर पर ग्रेनेड फेंका था। जांच एजेंसी ने कहा कि सिद्धू ने अमीन को ग्रेनेड दिया था, जबकि जांगड़ा ने धन मुहैया कराया था। हमले के बाद सिद्धू ने एक पोस्टर प्रसारित किया था, जिसमें उसने मनीष के साथ साजिश रचने की जिम्मेदारी ली थी। सिद्धू के खिलाफ 'रेड कॉर्नर' नोटिस जारी किया गया है और उसकी गिरफ्तारी पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया है।

किसानों के हक का गबन: मंडियों में तराजू के खेल से हो रही भारी चोरी

चंडीगढ़  पंजाब के किसानों का आरोप है कि उनकी फसल को कम तौला जा रहा है. खासकर कुछ चावल मिलों की ओर से ऐसा किया जा रहा है. किसानों का आरोप है कि पंजाब के निजी और सरकारी अधिकृत धान केंद्रों पर आढ़तियों यानी कमीशन एजेंटों की तरफ से ऐसा किया जा रहा है. कई जिलों के किसानों का दावा है कि कुछ एजेंट, कुछ मंडी अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर रहे हैं. इस वजह से वास्तविक उपज से कम वजन दिखाने के लिए तौल और तराजू में हेराफेरी की जा रही है. इससे उन्हें अपनी धान की उपज का सही पैसा नहीं मिल पा रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जब कोई किसान अपनी फसल मंडी में लाता है, तो उसे पहले बिजली के पंखे के सामने सुखाया जाता है, फिर बोरियों में रखा जाता है और बाद में बोरियों की सिलाई से पहले तौला जाता है. फिर इसे मिलों में ले जाया जाता है. यहां पर इसे मिलों में रखा जाता है. पंजाब में सरकार की तरफ से खरीदा गया सारा धान पहले 5,000 से ज़्यादा चावल मिलों में संग्रहीत किया जाता है और मिलिंग के बाद, चावल भारतीय खाद्य निगम (FCI) को आपूर्ति किया जाता है. प्राइवेट मंडियों में मंगा रहे हैं फसल की उपज कई किसानों और मंडी सूत्रों के मुताबिक, कुछ कमीशन एजेंट अपने साथ जुड़े किसानों को सरकारी मंडियों के बजाय निजी मंडियों में अपनी उपज लाने के लिए कह रहे हैं. किसानों का आरोप है कि मंडियों में एजेंटों की तरफ से तराजू में पहले से ही छेड़छाड़ की जाती है और प्रति क्विंटल धान का असली वजन 2 से 3 किलोग्राम कम दिखाया जाता है. ऐसे में प्राइवेट प्रतिष्ठानों में तौल मशीनों पर अक्सर पर्याप्त सरकारी निगरानी नहीं होती. आरोप है कि ये एजेंट कम वजन दिखाकर बाकी पैसे हड़प लेते हैं. किसानों का आरोप है कि आर्थिक रूप से की जा रही इस हेराफेरी की वजह से किसानों को प्रति ट्रॉली धान पर हजारों रुपये का नुकसान हो सकता है. बेमौसम बारिश और कीटों से हुए नुकसान के कारण इस सीज़न में पहले से ही कम पैदावार से जूझ रहे किसानों ने कहा कि कम तौल एक और झटका है. कई किसानों ने बताया कि इस साल उनकी फसल सामान्य पैदावार की तुलना में प्रति एकड़ 5 से 10 क्विंटल कम है. मंडी बोर्ड के अधिकारी ने क्या कहा? वहीं मंडी बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जैसे-जैसे पंजाब में धान की खरीद आगे बढ़ रही है, किसानों को उम्मीद है कि ज्यादा सतर्कता, डिजिटल निगरानी और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई से उस प्रणाली में विश्वास बहाल होगा जो लंबे समय से राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही है.  

राजस्थान में प्रशासनिक हलचल तेज, एक्शन मोड में CM भजनलाल शर्मा

जयपुर राजस्थान की प्रशासनिक मशीनरी एक बार फिर से पूरी रफ्तार पकड़ने जा रही है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देश पर राज्य सरकार ने आईएएस (IAS), आरएएस (RAS) और आरपीएस (RPS) अधिकारियों के तबादलों की तैयारियां लगभग पूरी कर ली हैं। सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) में कई चरणों की बैठकों और समीक्षा के बाद सूची को लगभग अंतिम रूप दे दिया गया है। सूत्रों के अनुसार आईएएस तबादला सूची किसी भी समय जारी हो सकती है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव स्तर से लेकर जिला कलेक्टरों तक कई पदों पर बदलाव की मंजूरी दे दी है। इस सूची में कई चौंकाने वाले नाम शामिल हो सकते हैं। बताया जा रहा है कि कुछ वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को बुधवार देर शाम सीएमओ बुलाकर चर्चा की गई, जिसमें उन्हें संभावित तबादलों को लेकर संकेत दिए गए। राजस्थान में लंबे समय से कई जिलों में प्रशासनिक नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा थी। अब सीएम भजनलाल शर्मा के सख्त और तेज प्रशासनिक रुख के चलते इन अटकलों को बल मिला है। आरएएस (RAS) अधिकारियों की सूची भी तैयार है, जिसमें ज़िलास्तर और विभागीय पदों पर बड़ी संख्या में परिवर्तन की संभावना जताई जा रही है। वहीं, आरपीएस (RPS) अधिकारियों की सूची भी विचार-विमर्श के अंतिम चरण में है। जानकारी के अनुसार सरकार इस वीकेंड तक लगभग सभी तबादला सूचियां जारी कर सकती है। प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि यह तबादला अभियान राज्य की कार्यकुशलता और जवाबदेही बढ़ाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। गौरतलब है कि इससे पहले 22 अक्टूबर (बुधवार) को सरकार ने 34 आईपीएस (IPS) अधिकारियों की तबादला सूची जारी की थी, जिसमें जयपुर पुलिस कमिश्नर सहित कई प्रमुख पदों पर फेरबदल हुआ था।

उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने हमीदिया अस्पताल में कार्बाइड गन प्रभावित बच्चों और युवाओं का हाल जाना

उप मुख्यमंत्री  शुक्ल ने हमीदिया अस्पताल में कार्बाइड गन से प्रभावित युवाओं एवं बच्चों का हाल जाना दोषियों पर होगी कठोर वैधानिक कार्रवाई भोपाल उप मुख्यमंत्री  राजेन्द्र शुक्ल ने हमीदिया चिकित्सालय भोपाल पहुँचकर कार्बाइड गन से दुर्घटनाग्रस्त युवाओं और बच्चों का हालचाल जाना। उन्होंने चिकित्सकों से घायलों के स्वास्थ्य की विस्तृत जानकारी ली और उनके उपचार की सतत मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए। चिकित्सकों ने जानकारी दी कि दुर्घटना में घायल कुल 37 मरीजों में से 32 स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं, जबकि 5 मरीजों का उपचार अभी जारी है। उप मुख्यमंत्री  शुक्ल ने कहा कि सभी मरीजों को सर्वोत्तम चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ को निर्देश दिए कि किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए और निरंतर निगरानी रखी जाए। उप मुख्यमंत्री  शुक्ल ने कहा कि अवैध रूप से पटाखा निर्माण या विस्फोटक सामग्री रखने वालों की सघन जांच की जा रही है। दोषियों पर कठोर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल की डीन डॉ. कविता सिंह, अधीक्षक डॉ. सुनीत टंडन सहित वरिष्ठ चिकित्सकगण उपस्थित रहे।  

मोहन यादव का बयान: राहुल गांधी को डूब मरना चाहिए, बोले- PM मोदी ने बढ़ाया देश का मान

भोपाल /चंपारण शेरा बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष ताबड़तोड़ प्रचार कर रहे हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव शुक्रवार को पश्चिम चंपारण शेरा बाजार खेल मैदान में जनसभा को संबोधित किया।मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि, 'राहुल गांधी और कांग्रेस को डूब मरना चाहिए। विदेश में जाकर देश का अपमान करते हैं और सेना के पराक्रम पर सबूत मांगते हैं। प्रधानमंत्री के जरिए भाजपा ने राष्ट्रपति मुर्मू को देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचाया। महादलित आयोग भाजपा ने बनाया। ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा पीएम मोदी ने दिया।' कांग्रेस-राजद वादे करने वाली पार्टियां ऐसे नेता को जिताइए जो देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए हमेशा खड़ा रहता है। कांग्रेस और राजद जैसी पार्टियां सिर्फ वादे करती हैं, जबकि भाजपा जनता के विश्वास और राष्ट्रहित के लिए काम करती है। 'नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनेगी सरकार' इधर, केंद्रीय मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में फिर से सरकार बनेगी। 2005 से पहले बच्चे-बच्चियां स्कूल नहीं जाते थे। नीतीश कुमार के आने के बाद शिक्षा- व्यस्था में सुधार हुआ। आज मुख्यमंत्री साइकिल योजना से बच्चे ट्रिन-ट्रिन करते पढ़ने जाते हैं। लोगों को सड़क और बिजली मिली। सेना की बहादुरी पर सवाल क्यों उठाते हैं? मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राहुल गांधी पर तीखा तंज करते हुए कहा कि जब नेता सेना की बहादुरी पर सवाल उठाते हैं, तो ऐसे नेताओं को "डूब मरना चाहिए।" उनका कहना था कि देश की सुरक्षा में हमारी सेना का अहम योगदान है, और इसे सवालों के घेरे में लाना गलत है। खुर्शीद फिरोज पर संजय जायसवाल ने कसा तंज इस दौरान भाजपा सांसद डॉ. संजय जायसवाल ने जदयू के पूर्व मंत्री खुर्शीद फिरोज अहमद पर तंज कसते हुए कहा कि 2020 में भाजपा ने चुनाव प्रचार हर जगह बड़े जोश और मजबूती से किया, लेकिन सिकटा विधानसभा क्षेत्र में प्रचार नहीं किया। उन्होंने कहा कि उस समय सिकटा से “नकामा लूटेरा” प्रत्याशी चुनाव में खड़ा था, जो सड़क तक को डकार जाता था। सांसद ने आगे कहा कि जनता अब ऐसे नेताओं की वास्तविक छवि को भली-भांति समझ चुकी है और विकास, रोजगार और जनहित के मुद्दों पर ध्यान दे रही है। महात्मा गांधी की कांग्रेस और आज की कांग्रेस में अंतर मोहन यादव ने कांग्रेस पार्टी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि महात्मा गांधी की कांग्रेस और आज की कांग्रेस में बहुत अंतर है। उनका कहना था कि महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कांग्रेस का नेतृत्व किया, लेकिन आज के नेताओं की न तो भाषा की समझ है, न ही शालीनता। बिहार का विकास और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का योगदान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बिहार के विकास को लेकर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की। उन्होंने कहा कि 2005 के बिहार और आज के बिहार में भारी अंतर है। आज बिहार नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है, जो कि एनडीए और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में संभव हो सका है। विकास की नई ऊंचाइयों पर बिहार मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि बिहार में पिछले कुछ वर्षों में बड़े बदलाव आए हैं। आज के बिहार में लोग बेहतर जीवन स्तर का आनंद ले रहे हैं। उन्होंने उदाहरण के तौर पर बताया कि पहले गया से पटना पहुंचने में चार घंटे लगते थे, अब डेढ़ घंटे में सफर पूरा हो जाता है। एनडीए का योगदान बिहार चुनाव 2025 में चुनावी सभा में एनडीए सरकार के योगदान को भी प्रमुखता से बताया। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने इस बदलाव को विकासशील बिहार की पहचान बताया। उनका कहना था कि बिहार में हो रहे बदलाव प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों के कारण ही संभव हो पाए हैं।

CM डॉ. मोहन यादव बोले—बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए पोलियो की खुराक बेहद जरूरी

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विश्व पोलियो दिवस पर 5 वर्ष तक के बच्चों को पोलियो की खुराक दिलवाने का आह्वान किया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पोलियो मुक्त भारत का संकल्प जन-जन ने अपनी एकजुटता से सिद्ध किया है। विश्व पोलियो दिवस इस प्रतिबद्धता को निरंतर बनाए रखने के लिए हम सबको प्रेरित करता है। बच्चों के सुरक्षित और उज्ज्वल भविष्य के लिए उन्हें पोलियो की नियमित खुराक दिलाना जरूरी है।  

जिला प्रशासन हाईटेक बनेगा: मध्यप्रदेश में 60% से ज्यादा अफसरों को सीखनी होगी नई तकनीक

भोपाल  जिला प्रशासन का पूरा काम एप्लीकेशन व पोर्टल से शुरू किया गया, लेकिन अप्रशिक्षित कर्मचारियों की वजह से काम में दिक्कत आ रही। प्रशासन के विभिन्न विभागों ने अपने-अपने उच्चाधिकारियों को इसकी शिकायत की है। इसके बाद अब इन्हें प्रशिक्षित करने की कवायद शुरू की जा रही है। इनकी विशेष ट्रेनिंग होगी। बताया जा रहा है कि 60 फीसदी से ज्यादा प्रशासनिक अफसर- राजस्व अधिकारियों को हाईटेक तकनीक सीखने जरूरत है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रमसिंह ने कहा कि प्रशासन में ई-ऑफिस सिस्टम को मजबूत किया जा रहा है। अब पूरा काम डिजिटल, इलेक्ट्रॉनिक ही हो रहा है। कर्मचारियों को जरूरी प्रशिक्षण तय किया जा रहा। इस तरह जिला प्रशासन अब पूरी तरह ऑनलाइन एमपी ई- डिस्ट्रीक्ट- विभिन्न प्रमाण पत्रों जैसे- आय, निवास, जाति प्रमाण पत्र और सरकारी सेवाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन और ट्रैक करने के लिए है। एमपी भू-अभिलेख- जमीन के रिकॉर्ड, खसरा, खतौनी और भू-नक्शा देखने के लिए। स्मार्ट एप्लीशन फॉर रेवेन्यू एडमिनिस्ट्रेशन- इसके तहत डिजिटल फसल सर्वेक्षण और गिरदावरी निरीक्षण जैसे कार्य किए जाते हैं। इसलिए जरूरी -भू स्वामियों की जमीनों से जुड़े खसरे, नामांतरण, सीमांकन की प्रमाण पत्र सीधे वाट्सएप पर भेजे जाने लगे हैं। -सभी तरह के सर्टिफिकेट अब ऑनलाइन डिजिटली ही दिए जाने लगे हैं। ई-डिस्ट्रीक्ट से सीधे मोबाइल मैसेज, मेल व वॉट्सएप पर प्रति पहुंच रही है। -आने वाले दिनों में नोटिस समेत अन्य हर्जाना- जुर्माना ई-चालान की तरह डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक ही भेजे जाएंगे।

EWS आवास योजना 2025: हरियाणा सरकार की नई पहल, गरीबों के लिए बड़ा तोहफ़ा

चंडीगढ़  हरियाणा सरकार ने राज्य के शहरी गरीबों और निम्न आय वर्ग के परिवारों को सस्ती और स्थायी छत देने की दिशा में बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने नई ‘ईडब्ल्यूएस पॉलिसी-2025’ को लागू कर दिया है। इस नीति को प्रदेश के लाखों गरीब परिवारों के लिए आशा की किरण के तौर पर देखा जा रहा है। यह नीति उन लोगों के लिए बनाई गई है जो वर्षों से किराये के मकानों, झुग्गियों या अस्थायी कमरों में रहकर अपने घर का सपना देख रहे थे। अब यह सपना केवल ख्वाहिश नहीं रहेगा, बल्कि सरकार की गारंटी बनेगा। राज्य सरकार का कहना है कि यह नीति ‘हाउसिंग फॉर ऑल’ के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में एक ठोस कदम है। इसका उद्देश्य है कि आवास अब केवल अमीरों की पहुंच तक सीमित न रहे, बल्कि हर मेहनतकश, हर कर्मचारी और हर ज़रूरतमंद परिवार को भी अपना घर मिले। यह नीति हरियाणा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा तैयार की गई है और इसे लागू करने की ज़िम्मेदारी ‘हाउसिंग फॉर ऑल’ विभाग को दी गई है। विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एसके सिंह की ओर से यह पॉलिसी जारी की है। नई ईडब्ल्यूएस नीति के तहत अब कोई भी रिहायशी कॉलोनी या हाउसिंग प्रोजेक्ट सिर्फ़ अमीरों के लिए नहीं होगा। सरकार ने आदेश दिया है कि हर लाइसेंस प्राप्त कॉलोनी में 20 प्रतिशत प्लॉट और हर ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी में 15 प्रतिशत फ्लैट आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए अनिवार्य रूप से सुरक्षित रखे जाएंगे। इससे शहरी इलाकों में गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार भी मुख्यधारा की कॉलोनियों का हिस्सा बन सकेंगे।   प्लॉट/फ्लैट के साइज व रेट भी तय सरकार ने यह भी तय किया है कि गरीबों को दिए जाने वाले घरों का आकार और दाम उनकी आय और जरूरत के अनुरूप हों। ईडब्ल्यूएस प्लॉट्स का साइज 50 से 125 वर्ग मीटर तक रहेगा। वहीं ईडब्ल्यूएस फ्लैट 200 से 400 वर्ग फुट के होंगे। ईडब्ल्यूएस EWS प्लॉट 600 प्रति वर्ग मीटर और फ्लैट 1.50 लाख या 750 प्रति वर्ग फुट के दर पर दिए जाएंगे। यह पहली बार है जब हरियाणा में गरीबों के लिए इतने सुलभ दामों पर घर उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। हाउसिंग फॉर ऑल विभाग करेगा आवंटन ईडब्ल्यूएस नीति के तहत डेवलपर या बिल्डर को अपने हिस्से के प्लॉट और फ्लैट्स ‘हाउसिंग फॉर ऑल’ विभाग को सौंपने होंगे। यह विभाग आगे इन घरों का निर्माण करवाएगा और पात्र लोगों को पारदर्शी प्रक्रिया से आवंटित करेगा। इसके लिए पहले पात्र लोगों से आवेदन मांगे जाएंगे। आवेदन आने के बाद ड्रा के जरिये प्लॉट और फ्लैट‌्स का आवंटन होगा। चयनित और प्रतीक्षा सूची दोनों सार्वजनिक रूप से जारी की जाएंगी ताकि कोई पक्षपात या गड़बड़ी न हो सके। 10 हजार होगी आवेदन फीस आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाया है। इसके लिए 10 हजार रुपये आवेदन शुल्क तय किया है। अगर आवेदक को घर मिलता है, तो यह राशि अंतिम भुगतान में समायोजित होगी। अगर चयन नहीं होता, तो यह रकम दो महीने के भीतर बिना ब्याज लौटाई जाएगी। सरकार की ओर से ड्रॉ प्रक्रिया में छह महीने से अधिक देरी होती है, तो आवेदकों को भारतीय स्टेट बैंक की बचत ब्याज दर के अनुसार मुआवजा दिया जाएगा। इस प्रावधान से सरकार ने पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की है। पांच साल तक बेचने पर पाबंदी ईडब्ल्यूएस घर पाने वाले व्यक्ति को यह घर कम-से-कम पांच साल तक न बेचने या ट्रांसफर करने की शर्त माननी होगी। अगर कोई व्यक्ति यह नियम तोड़ता है तो उसे 100 प्रतिशत जुर्माना देना होगा। यानी जितने में घर मिला था, उतनी ही राशि दंड के रूप में देनी होगी। यह प्रावधान इसलिए रखा गया है ताकि यह योजना केवल असली ज़रूरतमंदों तक पहुंचे न कि निवेश या दलाली का साधन बने। रेंटल हाउसिंग स्कीम भी लागू हरियाणा सरकार ने इस नीति में ‘किराये पर आवास योजना’ (रेंटल हाउसिंग स्कीम) का प्रावधान भी जोड़ा है। इसके तहत कुछ ईडब्ल्यूएस यूनिट्स को किराये पर उपलब्ध कराया जाएगा। इससे फैक्टरी कर्मियों, प्रवासी मजदूरों, सफाई कर्मचारियों और निम्न आय वर्ग के परिवारों को कम किराये में सम्मानजनक आवास मिल सकेगा। अगर ‘हाउसिंग फॉर ऑल’ विभाग डेवलपर को भुगतान में देरी करता है, तो उसे 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देना होगा। ‘एक व्यक्ति-एक घर’ का नियम पहले कई योजनाओं में एक ही व्यक्ति ने अलग-अलग जगहों से घर हासिल किए थे। नई नीति ने इस गड़बड़ी को रोकने के लिए सभी आवंटन को आधार कार्ड और परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) से जोड़ दिया है। ‘हाउसिंग फॉर ऑल’ विभाग का डेटा अब शहरी स्थानीय निकाय विभाग के साथ साझा किया जाएगा ताकि पूरे राज्य में एक एकीकृत हाउसिंग डेटाबेस तैयार हो सके। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई व्यक्ति एक से अधिक सरकारी घर का लाभ न उठा सके।  

संजय पाठक नए विवाद में घिरे, जमीन मामले के चार आदिवासी कर्मचारी लापता

कटनी   मध्य प्रदेश के कटनी जिले की विजयराघवगढ़ सीट से बीजेपी विधायक संजय पाठक एक बार फिर विवादों में हैं। उन पर आदिवासियों के नाम पर जमीन खरीदने का गंभीर आरोप लगा है। जानकारी के अनुसार, कटनी, डिंडोरी, उमरिया, जबलपुर और सिवनी जिलों में आदिवासियों के नाम पर 1111 एकड़ जमीन खरीदी गई, लेकिन ये जमीनें कथित रूप से पाठक के चार आदिवासी कर्मचारियों के नाम पर दर्ज की गईं। अब इस मामले में नया मोड़ तब आया जब शिकायतकर्ता दिव्यांशु मिश्रा ‘अंशु’ ने दावा किया कि चारों आदिवासी कर्मचारी लापता जैसी स्थिति में हैं। आयोग की जांच शुरू शिकायत के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने मामले की जांच शुरू कर दी है। प्रशासन ने चारों आदिवासियों से पूछताछ के लिए नोटिस भेजे, लेकिन कोई भी हाजिर नहीं हुआ। जानकारी के मुताबिक, नत्थू कोल, प्रहलाद कोल, राकेश सिंह गौड़ और रघुराज सिंह गौड़ के नाम नोटिस जारी किए गए थे। 14 अक्टूबर को नोटिस जारी हुआ और 16 अक्टूबर को पेश होने को कहा गया था, लेकिन चारों ही नहीं पहुंचे। परिजनों ने नोटिस लेने से किया इनकार जब प्रशासन की टीम प्रहलाद कोल के घर पहुंची तो उसकी बेटी ने बताया कि पिता बाहर गए हैं और मोबाइल बंद है। कुछ परिजनों ने नोटिस लेने से भी इनकार कर दिया। प्रशासन अब चारों के आमदनी के स्रोत, पहचान और बैंक डिटेल्स की जांच कर रहा है।