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लंबे समय से बीमार कांग्रेस नेता भरत सिंह का इंतकाल, राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

जयपुर हाड़ौती क्षेत्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री भरत सिंह का सोमवार रात जयपुर के एसएमएस अस्पताल में निधन हो गया। वे लंबे समय से फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित थे। शुरुआत में कोटा में इलाज चला, लेकिन तबीयत बिगड़ने पर उन्हें जयपुर रैफर किया गया था। करीब एक महीने से उनका इलाज एसएमएस अस्पताल में चल रहा था। उनके निधन की खबर से कांग्रेस में शोक की लहर दौड़ गई। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने शोक जताया और भरत सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुद्दों पर डटे रहने वाले नेता भरत सिंह को मुद्दों पर अडिग रहने वाले नेता के रूप में जाना जाता था। उनके करीबी और कांग्रेस के पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष कुशल पाल सिंह पानाहेड़ा ने बताया कि भरत सिंह ने राजनीति में कभी लाभ-हानि की चिंता नहीं की। वे गांधीवादी विचारधारा को मानते थे और उनकी ईमानदारी की सराहना विपक्षी नेता भी किया करते थे। राजनीतिक सफर भरत सिंह का जन्म 15 अगस्त 1950 को हुआ था। उन्होंने एमएस बड़ौदा यूनिवर्सिटी (गुजरात) से स्नातक की पढ़ाई की थी। वे 1993 में पहली बार खानपुर (झालावाड़) से विधायक बने। 1998 में लोकसभा चुनाव में वसुंधरा राजे से हार गए। 2003 में दीगोद (कोटा) से विधायक बने, जहां उन्होंने भाजपा के ललित किशोर चतुर्वेदी को हराया। 2008 में सांगोद से चुनाव जीते, 2013 में हारने के बाद पंचायत चुनाव लड़ा और वार्ड पंच बने। उनकी पत्नी मीना कुमारी उस समय सरपंच रहीं। 2018 में भरत सिंह एक बार फिर सांगोद से विधायक चुने गए। नहीं लड़ा 2023 का चुनाव 2023 विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने राजनीति से खुद को अलग करने का फैसला लिया। उन्होंने साफ कहा था कि वे न तो चुनाव लड़ेंगे और न ही परिवार के किसी सदस्य को टिकट दिलाएंगे। इसके बाद सांगोद से कांग्रेस ने भानु प्रताप सिंह को टिकट दिया। भरत सिंह तीन बार कुंदनपुर से सरपंच और दस साल तक सांगोद पंचायत समिति के प्रधान भी रहे। अंतिम संस्कार आज भरत सिंह का अंतिम संस्कार आज  उनके पैतृक गांव कुंदनपुर में किया जाएगा। गहलोत सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने जताया दुख भरत सिंह के निधन पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत सहित कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने दुख प्रकट किया है। गहलोत ने बयान जारी कर कहा-  पूर्व मंत्री  भरत सिंह कुंदनपुर के निधन का समाचार मिला। मैं कल ही SMS अस्पताल जाकर उनसे कुशलक्षेम पूछकर आया था। डॉक्टरों ने उनकी तबीयत में सुधार बताया था परन्तु आज ऐसा समाचार मेरे लिए व्यथित करने वाला है। भरत सिंह कुंदनपुर राजनीति एवं जनसेवा में बेबाकी एवं ईमानदारी की मिसाल थे। वो हाड़ौती क्षेत्र के कद्दावर नेता थे। मेरे उनके परिवार से संबंध उनके पिताजी के समय से थे जब मैं उनके साथ लोकसभा सांसद बना था। भरत सिंह कुंदनपुर मेरे साथ मंत्री भी रहे। मैं ईश्वर से श्री भरत सिंह जी की आत्मा को शांति एवं उनके परिजनों को हिम्मत देने की प्रार्थना करता हूं।

हाईकोर्ट ने जयपुर रियासत के ‘महाराज’ और ‘राजकुमारी’ उपाधियों पर लगाई रोक

जयपुर राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व जयपुर राजपरिवार के वंशजों को गृह कर लगाने के मामले में अपनी याचिकाओं से महाराज और राजकुमारी उपसर्ग हटाने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि 13 अक्तूबर तक सुधार नहीं किया गया तो 24 साल पुराने मामले को बिना सुनवाई के खारिज कर दिया जाएगा। जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल ने पिछले सप्ताह गृह कर लगाने से संबंधित 24 वर्ष पुराने मामले में यह आदेश जारी किया। याचिका जयपुर राजघराने के दिवंगत जगत सिंह और पृथ्वीराज सिंह के कानूनी उत्तराधिकारियों की ओर से दायर की गई है। कोर्ट ने वाद शीर्षक में शाही सम्मानसूचक शब्दों के प्रयोग पर आपत्ति जताई तथा याचिकाकर्ताओं को संशोधित दस्तावेज दाखिल करने का निर्देश दिया। इसमें कहा गया है कि यदि अगली सुनवाई से पहले आदेश का पालन नहीं किया गया तो मामला सुनवाई किए बिना खारिज कर दिया जाएगा।

SMS अस्पताल हादसा: आग के बाद तुरंत पहुंचे सीएम शर्मा स्थिति का लिया जायजा

जयपुर जयपुर में कल देर रात सवाई मान सिंह अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो आईसीयू वार्ड में अचानक लगी आग से सात मरीजों की मौत हो गई। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा मामले की सूचना मिलते ही अस्पताल पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में उन्होंने कहा कि जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में आग लगने की घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। अस्पताल पहुंचकर चिकित्सकों एवं अधिकारियों से जानकारी ली और त्वरित राहत कार्य सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। मरीजों की सुरक्षा, इलाज और प्रभावित लोगों की देखभाल के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं और स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। प्रभु श्रीराम दिवंगत आत्माओं को अपने श्री चरणों में स्थान दें। राज्य सरकार प्रभावित परिवारों के साथ है और उन्हें हर संभव सहयोग प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।   हादसे को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के ICU में आग लगने से सात लोगों की मृत्यु बहुत दुखी करने वाली है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि इस हादसे में कम से कम जनहानि हो। प्रभु दिवंगत आत्माओं को अपने श्रीचरणों में स्थान दें एवं घायलों को शीघ्र स्वस्थ करें। साथ ही यह भी कहा है कि राज्य सरकार इस घटना की उच्च स्तरीय जांच करवाकर यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में कहीं भी ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति न हो सके। इधर प्रदेश की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने भी एक्स पर लिखा  है कि जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में आग लगने की हृदय विदारक घटना में मरीजों की जनहानि का समाचार अत्यंत दु:खद और पीड़ादायक है।   ईश्वर दिवंगत आत्माओं को अपने श्री चरणों में स्थान दें और शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं। प्रभु श्रीराम हादसे में घायल हुए नागरिकों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें । नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने अपने शोक संदेश में कहा कि एसएमएस अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के ICU में आग लगने से 3 महिलाओं सहित 8 लोगों की मृत्यु का समाचार अत्यंत दुःखद एवं हृदय विदारक है। इस भीषण घटना ने मन को झकझोर कर रख दिया है, हृदय अत्यंत व्यथित है। मेरी गहरी संवेदनाएं दिवंगतों के परिजनों के साथ हैं। ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि दिवंगत आत्माओं को अपने श्रीचरणों में एवं शोकाकुल परिजनों को यह असहनीय दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूं। अभी जयपुर जिला कलेक्टर से घटना की पूरी जानकारी ली है और थोड़ी ही देर में SMS अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर पहुंच रहा हूं। गौरतलब है कि कल देर रात एसएमएस अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो आईसीयू में आग लगने से सात लोगों की मौत हो गई, मरने वालों में तीन महिलाएं भी शामिल हैं।

प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल में हादसा — ट्रॉमा सेंटर में लगी आग, सात लोगों की जान गई

जयपुर राजधानी जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर में रविवार देर रात बड़ा हादसा हो गया। ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो आईसीयू वार्ड में अचानक आग लगने से 7 मरीजों की मौत हो गई। मृतकों में 3 महिलाएं भी शामिल हैं। जानकारी के अनुसार रात करीब 11 बजकर 20 मिनट पर आग ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू के स्टोर रूम में लगी, जहां मेडिकल पेपर, ब्लड सैंपल ट्यूब्स और आईसीयू से जुड़ा अन्य सामान रखा गया था। आग की वजह शॉर्ट सर्किट मानी जा रही है, हालांकि आधिकारिक पुष्टि जांच के बाद ही की जाएगी। ट्रॉमा सेंटर के नोडल ऑफिसर और सीनियर डॉक्टर ने बताया कि हादसे के समय आईसीयू में कुल 11 मरीज भर्ती थे। वहीं बगल वाले दूसरे आईसीयू में 13 मरीज और थे। आग लगते ही स्टाफ ने तुरंत अलार्म बजाया और मरीजों को शिफ्ट करने की कोशिश की गई लेकिन धुएं और आग की चपेट में आने से 7 मरीजों की जान चली गई। घटना के बाद अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी मच गई। परिजन रोते-बिलखते नजर आए, वहीं कुछ मरीजों की हालत गंभीर बताई जा रही है। दमकल की कई गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं और तकनीकी टीमों को शॉर्ट सर्किट की पुष्टि के लिए लगाया गया है। सरकार और अस्पताल प्रशासन की ओर से अभी तक इस पर कोई विस्तृत आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।

सिरप सेवन से मौत मामले में केंद्रीय मंत्री ने उठाई जांच की मांग

जयपुर राजस्थान में मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत वितरित की जा रही खांसी की दवा को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। बीते दिनों Dextromethorphan Hydrobromide Syrup लेने के बाद कई बच्चों की तबीयत बिगड़ने और कई बच्चों की मौत के मामले सामने आए। परिजनों ने आरोप लगाया कि बच्चों की हालत यह दवा लेने के बाद ही खराब हुई। इसके बाद राज्य सरकार ने संबंधित कंपनी कायसन फार्मा की दवाओं की जांच करवाई, लेकिन रिपोर्ट में कंपनी को क्लीन चिट दे दी गई।  शेखावत ने कही ‘पूरी जांच’ की बात रविवार को जब केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से इस मामले में प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कहा कि दवाओं के मानकीकरण को लेकर भारत सहित पूरी दुनिया में एक निश्चित प्रोटोकॉल निर्धारित है। किसी भी दवा को मानव उपभोग के लिए अनुमति देने से पहले उसे कठोर परीक्षण प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। उन्होंने कहा कि भारत में अंतरराष्ट्रीय मानकों से भी अधिक सख्त परीक्षण प्रणाली अपनाई जाती है। फिर भी यदि किसी तकनीकी कारण, रासायनिक प्रतिक्रिया या किसी अन्य वजह से ऐसी घटनाएं होती हैं, तो इसकी पूरी जांच होनी चाहिए। दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जानी चाहिए। शेखावत ने यह भी जोड़ा कि भारत में दवाओं की लाइसेंसिंग, प्रत्येक बैच की पहचान और टेस्टिंग को लेकर सुव्यवस्थित और सख्त नियम बने हुए हैं और यदि कहीं चूक हुई है तो कार्रवाई तय है।   भरतपुर, सीकर और चूरू से आईं शिकायतें गौरतलब है कि बीते दिनों भरतपुर, सीकर और अन्य जिलों से मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना में दी जा रही Dextromethorphan HBr Syrup IP 13.5mg/5ml की गुणवत्ता पर सवाल उठे। पहली शिकायत 28 सितंबर 2025 को भरतपुर से आई, जिसमें बैच नंबर KL-25/147 की दवा का जिक्र था। इसके अगले दिन, 29 सितंबर को सीकर से बैच नंबर KL-25/148 को लेकर शिकायत मिली। शनिवार को चूरू से जयपुर रेफर किए गए छह वर्षीय बच्चे की मौत भी इसी सिरप के सेवन के बाद हुई, जिससे विवाद और गहरा गया।   सरकार की कार्रवाई पर उठे सवाल राज्य सरकार द्वारा कैसन फार्मा की दवा की जांच रिपोर्ट में कोई खामी न मिलने पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। स्थानीय स्तर पर यह मांग उठ रही है कि जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए, ताकि प्रभावित परिवारों को न्याय मिल सके।

हिंसा में मारे गए लोगों के लिए न्याय की गुहार, जेल से सोनम वांगचुक का संदेश

जोधपुर लद्दाख हिंसा के बाद जेल में बंद सोनम वांगचुक ने लेह विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई चार लोगों की मौत की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि जब तक यह मांग पूरी नहीं हो जाती, वह जेल में रहने को तैयार हैं। वांगचुक वर्तमान में जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। पुलिस ने उन्हें 26 सितंबर को हिरासत में लिया था। कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के नेता सज्जाद कारगिली ने एक्स पर पोस्ट सोनम वांगचुक का संदेश शेयर किया है। सोनम से उनके भाई कात्सेतन दोरजे ले और वकील मुस्तफा हाजी ने 4 अक्टूबर को जेल में उनसे मुलाकात की थी। उन्होंने अपने वकील के माध्यम से कहा, मैं शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ हूं और सभी की चिंता और प्रार्थनाओं के लिए धन्यवाद देता हूं। उन लोगों के परिवारों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना, जिन्होंने अपनी जान गंवाई और जो लोग घायल हुए हैं और गिरफ्तार हुए हैं। हमारे चार लोगों की हत्या की एक स्वतंत्र न्यायिक जांच होनी चाहिए और जब तक ऐसा नहीं होता, मैं जेल में रहने के लिए तैयार हूं। सोनम ने अपने संदेश में कहा कि मैं 6ठी अनुसूची और राज्य का दर्जा पाने की हमारी वास्तविक संवैधानिक मांग में सर्वोच्च निकाय, केडीए और लद्दाख के लोगों के साथ दृढ़ता से खड़ा हूं। सर्वोच्च निकाय लद्दाख के हित में जो भी कदम उठाएगा, मैं तहे दिल से उनके साथ हूं। मैं लोगों से अपील करता हूं कि वे शांति और एकता बनाए रखें, और अहिंसा के सच्चे गांधीवादी तरीके से शांतिपूर्ण तरीके से अपना संघर्ष जारी रखें।   कल सुप्रीम कोर्ट में गिरफ्तारी पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट सोमवार को पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करेगा। इस याचिका में वांगचुक की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून  के तहत की गई गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट की 6 अक्तूबर की कार्यसूची के अनुसार, यह याचिका न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और एन. वी. अंजनिया की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को लद्दाख में हुए प्रदर्शन के दो दिन बाद एनएसए के तहत गिरफ्तार किया गया था। यह प्रदर्शन लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर किया गया था, जिसमें चार लोगों की मौत और करीब 90 लोग घायल हुए थे।

अशोक गहलोत का ‘जादूगर ट्रैक’: कांग्रेस की जीत की कहानी बिहार से पहले कहां-कहां हुई कामयाब

जयपुर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस हाईकमान ने बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मुख्य पर्यवेक्षक बनाया है। आगामी दिनों में गहलोत बिहार जाकर चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालेंगे। ये पहली बार नहीं है, जब कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने अशोक गहलोत पर भरोसा जताते हुए उन्हें चुनावी राज्य में मुख्य पर्यवेक्षक नियुक्त किया हो। आइए जाते हैं अशोक गहलोत को बिहार से पहले किस-किस चुनावी राज्य में जिम्मेदारी दी गई और वहां कांग्रेस की प्रदर्शन कैसा रहा… अशोक गहलोत के साथ इन नेताओं को भी दी गई बिहार की जिम्मेदारी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शनिवार को राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और लोकसभा में पार्टी के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षकनियुक्त किया है। अशोक गहलोत पर पार्टी ने एक बार फिर भरोसा जताया है। इससे पहले भी पार्टी ने उन्हें कई चुनावी राज्यों में बड़ी जिम्मेदारी दी है। आइए जानते हैं अशोक गहलोत का ट्रैक रिकॉर्ड कैसा रहा है… हरियाणा और महाराष्ट्र में सिमट गई कांग्रेस हरियाणा विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस ने पूर्व सीएम अशोक गहलोत, अजय माकन और प्रताप सिंह बाजवा को वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया था। गहलोत के तमाम प्रयासों के बावजूद सत्ताधारी दल भाजपा को कांग्रेस मात नहीं दे सकी। कांग्रेस को 90 में से केवल 37 सीटों पर जीत मिली। उधर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में गहलोत के साथ जी परमेश्वर मुंबई और कोंकण जोन का पर्यवेक्षक बनाया गया था। पर्यवेक्षक होते हुए गहलोत अपना जादू नहीं दिखा सके। महाराष्ट्र में भी कांग्रेस सत्ता से बाहर है। गुजरात में भी नहीं चली अशोक गहलोत की रणनीति गुजरात विधानसभा चुनाव में भी अशोक गहलोत को पार्टी ने जिम्मेदारी दी। अशोक गहलोत सहित राजस्थान के कई नेताओं ने गुजरात में डेरा डाल रखा था। अशोक गहलोत ने कई विधानसभा क्षेत्रों में पैदल मार्च करके कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने की अपील की। लेकिन शायद अशोक गहलोत की रणनीति काम नहीं आई और गुजरात में कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में नहीं आ सकी। राजस्थान में भी करिश्मा नहीं दिखा सके गहलोत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत को राजनीति का जादूगर कहा जाता है, लेकिन उनके नेतृत्व में हुए चुनाव में वे कभी जादू नहीं दिखा सके। गहलोत जब पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने, तब वे विधायक नहीं थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके लिए जोधपुर की सरदारपुरा सीट को खाली किया गया, जहां हुए उपचुनाव में वे विधायक निर्वाचित हुए। तब से वे लगातार सरदारपुरा से विधायक बनते रहे हैं। राजस्थान में भी कभी कांग्रेस की सत्ता रिपीट नहीं करा सके अशोक गहलोत पहली बार 1998 से 2003 तक मुख्यमंत्री रहने के बावजूद गहलोत सरकार को रिपीट नहीं करा सके। वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस केवल 57 सीटों पर जीत दर्ज कर सकी। वर्ष 2008 से 2013 तक गहलोत दूसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में भी वे कांग्रेस की सरकार को रिपीट कराने में कामयाब नहीं रहे। वर्ष 2018 से 2023 तक गहलोत तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन फिर वे सत्ता को बरकरार रखने में कामयाब नहीं हुए।

राजस्थान में बिजली सस्ती हुई! दो दशकों बाद उपभोक्ताओं को बड़ी राहत

जयपुर राजस्थान में 25 वर्षों बाद पहली बार आमजन और उद्योगों के लिए बिजली सस्ती हुई है। जयपुर, जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम्स ने वित्तीय वर्ष 2025-26 की टैरिफ याचिका पर नियामक आयोग से मिली स्वीकृति के बाद ऊर्जा शुल्क (एनर्जी चार्ज) में कमी लागू की है। घरेलू श्रेणी में 51 से 150 यूनिट तक बिजली उपभोग करने वाले 35 लाख उपभोक्ताओं के लिए दर 6 रुपये 50 पैसे से घटाकर 6 रुपये प्रति यूनिट कर दी गई है। 150 से 300 यूनिट वाले उपभोक्ताओं को 35 पैसे प्रति यूनिट की राहत दी गई है। वहीं, 100 यूनिट तक उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं का पूरा बिल सरकार की सब्सिडी से शून्य ही रहेगा। राज्य में कुल 1.35 करोड़ घरेलू उपभोक्ताओं में से लगभग 1.04 करोड़ उपभोक्ता मुख्यमंत्री नि:शुल्क बिजली योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। कृषि उपभोक्ताओं के लिए बिजली शुल्क 5 रुपये 55 पैसे से घटाकर 5 रुपये 25 पैसे प्रति यूनिट किया गया है। प्रदेश के 20 लाख से अधिक किसान उपभोक्ताओं पर प्रस्तावित रेगुलेटरी सरचार्ज का कोई असर नहीं होगा, क्योंकि इसे भी राज्य सरकार वहन करेगी। औद्योगिक श्रेणी में पहली बार दरों को एकीकृत कर राहत दी गई है। वृहद उद्योगों के लिए शुल्क 7 रुपये 30 पैसे से घटाकर 6 रुपये 50 पैसे और मध्यम उद्योगों के लिए 7 रुपये से घटाकर 6 रुपये 50 पैसे प्रति यूनिट कर दिया गया है। स्मॉल इंडस्ट्री के लिए भी दर 6 रुपये तय की गई है। इस कदम से औद्योगिक निवेश और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा। राजस्थान डिस्कॉम्स पर वर्तमान में लगभग 49,800 करोड़ रुपये के रेगुलेटरी असेट्स का भार है। इसके निस्तारण के लिए रेगुलेटरी सरचार्ज लगाया गया है, लेकिन छोटे उपभोक्ताओं और किसानों पर इसका भार सरकार वहन करेगी। इससे लगभग 6,700 करोड़ रुपये की रिकवरी संभव होगी और निगमों का ऋण भार घटेगा। डिस्कॉम्स का फोकस पावर परचेज कॉस्ट कम करने और सौर ऊर्जा क्षमता बढ़ाने पर है। कुसुम योजना के तहत पहले ही 1,800 मेगावाट विकेन्द्रित सौर संयंत्र स्थापित हो चुके हैं। आने वाले समय में लगभग 12,000 मेगावाट क्षमता विकसित करने का लक्ष्य है।

दवाओं की गुणवत्ता पर कार्रवाई: राजस्थान में कायसन फार्मा की सप्लाई पर रोक, ड्रग कंट्रोलर सस्पेंड

जयपुर राजस्थान सरकार ने कफ सिरप विवाद के बाद बड़ा कदम उठाते हुए राज्य ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा को निलंबित कर दिया है और जयपुर स्थित कायसन फार्मा द्वारा बनाई गई सभी 19 दवाओं का वितरण तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। यह निर्णय तब लिया गया है जब मध्यप्रदेश और राजस्थान में कथित रूप से दूषित कफ सिरप से बच्चों की मौतों की खबरें आईं। स्वास्थ्य और चिकित्सा विभाग ने कहा कि दवा मानक तय करने की प्रक्रिया में कथित रूप से अनियमितता पाए जाने के कारण ड्रग कंट्रोलर को निलंबित किया गया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मामले की गहन जांच के निर्देश दिए हैं। इसके तहत एक विशेषज्ञ समिति गठित की जाएगी। '5 साल से बड़े बच्चों को ही यह दवा दी जाए' चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह ने भी मामले पर संज्ञान लेते हुए आमजनहित में जांच और रोकथाम के उपाय सुनिश्चित करने को कहा था। विभाग ने एडवाइजरी जारी कर डेक्सट्रोमैथोरपन दवा के इस्तेमाल को लेकर सख्ती बरती है। प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने बताया कि केंद्र सरकार पहले ही 2021 में 4 साल से छोटे बच्चों को यह दवा नहीं देने की एडवाइजरी जारी कर चुकी है। अब ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने दोबारा स्पष्ट किया है कि सामान्यत: 5 साल से बड़े बच्चों को ही यह दवा दी जाए और 2 साल से छोटे बच्चों को किसी भी स्थिति में यह दवा नहीं दी जानी चाहिए। इसके अलावा, बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक दवाओं पर चेतावनी अंकित करने की कार्यवाही भी शुरू कर दी गई है। वहीं सीओपीडी जैसी गंभीर बीमारियों में उपयोग की जाने वाली दवाओं की खरीद-फरोख्त और आपूर्ति पर भी कड़ी निगरानी रखी जाएगी। सभी दवाओं के वितरण पर रोक आरएमएससीएल के प्रबंध निदेशक पुखराज सेन ने बताया कि 2012 से अब तक कायसन फार्मा की दवाओं के 10 हजार 119 सैंपल जांचे गए, जिनमें से 42 सैंपल अमानक पाए गए हैं। एहतियात के तौर पर इस कंपनी की सभी दवाओं के वितरण पर रोक लगाई गई है। इस मामले में विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।

सरकार की जांच रिपोर्ट पर सवाल: कफ सिरप विवाद नहीं थमा

जयपुर राजस्थान में कायसन फार्मा की कफ सिरप को लेकर सरकार की जांच रिपोर्ट ही सवालों में आ गई है। शुक्रवार को सरकार ने अपनी जांच रिपोर्ट में कंपनी के झुंझुनु, भरतपुर और जयपुर से उठाए सैंपल्स को क्लीन चिट दे दी। इसके बाद देर रात कंपनी की सभी 19 दवाओं के विरतण पर रोक लगा दी और दवाओं के मानक निर्धारण की प्रक्रिया को प्रभावित करने के मामले में औषधि नियंत्रक राजाराम शर्मा को निलंबित भी कर दिया। जांच रिपोर्ट में जो सैंपल चैक किए गए उनमें दवा के साल्ट तय मानकों से या तो कम थे या ज्यादा थे। जांच रिपोर्ट में क्या? जयपुर का सैंपल- बैच नंबर (KL-25/148), कंपनी कायसन फार्मा:  इस सैंपल में प्रोपलीन ग्लायकॉल , एथेलीन ग्लायकॉल, डायथेलीन ग्लायकॉल कंटेंट नहीं था(इनके होने से दवा एलकोहाल में बदल जाती है)। डेक्ट्रोमेथारफान हाईड्रोब्रोमाइड की 13.5 एमजी मात्रा होनी चाहिए थी लेकिन जांच में यह भी 13.11 एमजी ही पाई गई। भरतपुर का सैंपल- बैच नंबर (KL-25/147), कंपनी कायसन फार्मा: इस सैंपल में प्रोपलीन ग्लायकॉल , एथेलीन ग्लायकॉल, डायथेलीन ग्लायकॉल नहीं था। डेक्ट्रोमेथारफान हाईड्रोब्रोमाइड की 13.5 एमजी मात्रा होनी चाहिए थी लेकिन जांच में यह भी 12.98 एमजी ही पाई गई। झुंझुनू का सैंपल- बैच नंबर (KL-25/250), कंपनी कायसन फार्मा: इस सैंपल में प्रोपलीन ग्लायकॉल , एथेलीन ग्लायकॉल, डायथेलीन ग्लायकॉल नहीं था। इसके अलावा डेक्ट्रोमेथारफान हाईड्रोब्रोमाइड की 13.5 एमजी मात्रा होनी चाहिए थी लेकिन जांच में यह भी 13.22 एमजी ही पाई गई।  इसी तरह कई सैंपल्स में साॅल्ट की मात्रा तय मानकों से अधिक पाई गई। हालांकि इसके लिए जांच कमेटी ने स्टैंडर्ड प्रोसिजर के तहत दवा में तय मानकों से 95 से 105 प्रतिशत के सॉल्ट विरियेशन को कंज्यूमेबल माना है। विवाद बढ़ने के बाद सरकार इस मामले में बैकफुट पर आई। शाम को मंत्री ने अपने बयान में कंपनी को क्लीन चिट दी और रात होते-होते कहा कि कंपनी के सैंपल्स की फिर से जांच करवा लेंगे। सिरप को पीने से अब तक करीब 35 बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो चुके हैं। वहीं 4 बच्चों की मौत भी हो चुकी है। जिनमें दो भरतपुर और दो बच्चे सीकर से हैं। हालांकि सरकार ने इस मामले में यह कहकर पल्ला झाड लिया कि इन बच्चों को दवा सरकारी अस्पताल से नहीं लिखी गई। बड़ी संख्या में प्रेसक्रिप्शन होती है कफ सिरप की खरीद पिछले दिनों राजस्थान में आईसीएमआर की एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया है कि राजस्थान में बड़ी संख्या में लोग बिना चिकित्सकीय प्रेसक्रिप्शन के ही कफ सिरप खरीदते हैं। इसके लिए जयपुर में कफ सिरप खरीदने वालों का नाम पता दर्ज करने के आदेश भी औषधि नियंत्रक की तरफ से जारी किए गए थे। इसमें कफ सिरप की खरीद करने पर फोन नम्बर एड्रेस देना अनिवार्य करने की बात कही गई थी। हानिकारक दवाओं पर अंकित होगी चेतावनी ऐसी दवाएं जो बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकती हैं, उन दवाओं पर अब इस संबंध में आवश्यक जानकारी भी अंकित करवाने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है। साथ ही, ऐसी दवाएं जो सीओपीडी जैसी बीमारी में उपचार के लिए काम आती हैं, उनकी खरीद एवं आपूर्ति को भी नियंत्रित किया जाएगा। सामान्य परिस्थितियों में खांसी के उपचार के लिए वैकल्पिक दवाओं का उपयोग किया जाएगा।