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हिंसा में मारे गए लोगों के लिए न्याय की गुहार, जेल से सोनम वांगचुक का संदेश

जोधपुर लद्दाख हिंसा के बाद जेल में बंद सोनम वांगचुक ने लेह विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई चार लोगों की मौत की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि जब तक यह मांग पूरी नहीं हो जाती, वह जेल में रहने को तैयार हैं। वांगचुक वर्तमान में जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। पुलिस ने उन्हें 26 सितंबर को हिरासत में लिया था। कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के नेता सज्जाद कारगिली ने एक्स पर पोस्ट सोनम वांगचुक का संदेश शेयर किया है। सोनम से उनके भाई कात्सेतन दोरजे ले और वकील मुस्तफा हाजी ने 4 अक्टूबर को जेल में उनसे मुलाकात की थी। उन्होंने अपने वकील के माध्यम से कहा, मैं शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ हूं और सभी की चिंता और प्रार्थनाओं के लिए धन्यवाद देता हूं। उन लोगों के परिवारों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना, जिन्होंने अपनी जान गंवाई और जो लोग घायल हुए हैं और गिरफ्तार हुए हैं। हमारे चार लोगों की हत्या की एक स्वतंत्र न्यायिक जांच होनी चाहिए और जब तक ऐसा नहीं होता, मैं जेल में रहने के लिए तैयार हूं। सोनम ने अपने संदेश में कहा कि मैं 6ठी अनुसूची और राज्य का दर्जा पाने की हमारी वास्तविक संवैधानिक मांग में सर्वोच्च निकाय, केडीए और लद्दाख के लोगों के साथ दृढ़ता से खड़ा हूं। सर्वोच्च निकाय लद्दाख के हित में जो भी कदम उठाएगा, मैं तहे दिल से उनके साथ हूं। मैं लोगों से अपील करता हूं कि वे शांति और एकता बनाए रखें, और अहिंसा के सच्चे गांधीवादी तरीके से शांतिपूर्ण तरीके से अपना संघर्ष जारी रखें।   कल सुप्रीम कोर्ट में गिरफ्तारी पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट सोमवार को पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करेगा। इस याचिका में वांगचुक की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून  के तहत की गई गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट की 6 अक्तूबर की कार्यसूची के अनुसार, यह याचिका न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और एन. वी. अंजनिया की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को लद्दाख में हुए प्रदर्शन के दो दिन बाद एनएसए के तहत गिरफ्तार किया गया था। यह प्रदर्शन लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर किया गया था, जिसमें चार लोगों की मौत और करीब 90 लोग घायल हुए थे।

अशोक गहलोत का ‘जादूगर ट्रैक’: कांग्रेस की जीत की कहानी बिहार से पहले कहां-कहां हुई कामयाब

जयपुर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस हाईकमान ने बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मुख्य पर्यवेक्षक बनाया है। आगामी दिनों में गहलोत बिहार जाकर चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालेंगे। ये पहली बार नहीं है, जब कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने अशोक गहलोत पर भरोसा जताते हुए उन्हें चुनावी राज्य में मुख्य पर्यवेक्षक नियुक्त किया हो। आइए जाते हैं अशोक गहलोत को बिहार से पहले किस-किस चुनावी राज्य में जिम्मेदारी दी गई और वहां कांग्रेस की प्रदर्शन कैसा रहा… अशोक गहलोत के साथ इन नेताओं को भी दी गई बिहार की जिम्मेदारी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शनिवार को राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और लोकसभा में पार्टी के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षकनियुक्त किया है। अशोक गहलोत पर पार्टी ने एक बार फिर भरोसा जताया है। इससे पहले भी पार्टी ने उन्हें कई चुनावी राज्यों में बड़ी जिम्मेदारी दी है। आइए जानते हैं अशोक गहलोत का ट्रैक रिकॉर्ड कैसा रहा है… हरियाणा और महाराष्ट्र में सिमट गई कांग्रेस हरियाणा विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस ने पूर्व सीएम अशोक गहलोत, अजय माकन और प्रताप सिंह बाजवा को वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया था। गहलोत के तमाम प्रयासों के बावजूद सत्ताधारी दल भाजपा को कांग्रेस मात नहीं दे सकी। कांग्रेस को 90 में से केवल 37 सीटों पर जीत मिली। उधर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में गहलोत के साथ जी परमेश्वर मुंबई और कोंकण जोन का पर्यवेक्षक बनाया गया था। पर्यवेक्षक होते हुए गहलोत अपना जादू नहीं दिखा सके। महाराष्ट्र में भी कांग्रेस सत्ता से बाहर है। गुजरात में भी नहीं चली अशोक गहलोत की रणनीति गुजरात विधानसभा चुनाव में भी अशोक गहलोत को पार्टी ने जिम्मेदारी दी। अशोक गहलोत सहित राजस्थान के कई नेताओं ने गुजरात में डेरा डाल रखा था। अशोक गहलोत ने कई विधानसभा क्षेत्रों में पैदल मार्च करके कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने की अपील की। लेकिन शायद अशोक गहलोत की रणनीति काम नहीं आई और गुजरात में कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में नहीं आ सकी। राजस्थान में भी करिश्मा नहीं दिखा सके गहलोत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत को राजनीति का जादूगर कहा जाता है, लेकिन उनके नेतृत्व में हुए चुनाव में वे कभी जादू नहीं दिखा सके। गहलोत जब पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने, तब वे विधायक नहीं थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके लिए जोधपुर की सरदारपुरा सीट को खाली किया गया, जहां हुए उपचुनाव में वे विधायक निर्वाचित हुए। तब से वे लगातार सरदारपुरा से विधायक बनते रहे हैं। राजस्थान में भी कभी कांग्रेस की सत्ता रिपीट नहीं करा सके अशोक गहलोत पहली बार 1998 से 2003 तक मुख्यमंत्री रहने के बावजूद गहलोत सरकार को रिपीट नहीं करा सके। वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस केवल 57 सीटों पर जीत दर्ज कर सकी। वर्ष 2008 से 2013 तक गहलोत दूसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में भी वे कांग्रेस की सरकार को रिपीट कराने में कामयाब नहीं रहे। वर्ष 2018 से 2023 तक गहलोत तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन फिर वे सत्ता को बरकरार रखने में कामयाब नहीं हुए।

राजस्थान में बिजली सस्ती हुई! दो दशकों बाद उपभोक्ताओं को बड़ी राहत

जयपुर राजस्थान में 25 वर्षों बाद पहली बार आमजन और उद्योगों के लिए बिजली सस्ती हुई है। जयपुर, जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम्स ने वित्तीय वर्ष 2025-26 की टैरिफ याचिका पर नियामक आयोग से मिली स्वीकृति के बाद ऊर्जा शुल्क (एनर्जी चार्ज) में कमी लागू की है। घरेलू श्रेणी में 51 से 150 यूनिट तक बिजली उपभोग करने वाले 35 लाख उपभोक्ताओं के लिए दर 6 रुपये 50 पैसे से घटाकर 6 रुपये प्रति यूनिट कर दी गई है। 150 से 300 यूनिट वाले उपभोक्ताओं को 35 पैसे प्रति यूनिट की राहत दी गई है। वहीं, 100 यूनिट तक उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं का पूरा बिल सरकार की सब्सिडी से शून्य ही रहेगा। राज्य में कुल 1.35 करोड़ घरेलू उपभोक्ताओं में से लगभग 1.04 करोड़ उपभोक्ता मुख्यमंत्री नि:शुल्क बिजली योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। कृषि उपभोक्ताओं के लिए बिजली शुल्क 5 रुपये 55 पैसे से घटाकर 5 रुपये 25 पैसे प्रति यूनिट किया गया है। प्रदेश के 20 लाख से अधिक किसान उपभोक्ताओं पर प्रस्तावित रेगुलेटरी सरचार्ज का कोई असर नहीं होगा, क्योंकि इसे भी राज्य सरकार वहन करेगी। औद्योगिक श्रेणी में पहली बार दरों को एकीकृत कर राहत दी गई है। वृहद उद्योगों के लिए शुल्क 7 रुपये 30 पैसे से घटाकर 6 रुपये 50 पैसे और मध्यम उद्योगों के लिए 7 रुपये से घटाकर 6 रुपये 50 पैसे प्रति यूनिट कर दिया गया है। स्मॉल इंडस्ट्री के लिए भी दर 6 रुपये तय की गई है। इस कदम से औद्योगिक निवेश और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा। राजस्थान डिस्कॉम्स पर वर्तमान में लगभग 49,800 करोड़ रुपये के रेगुलेटरी असेट्स का भार है। इसके निस्तारण के लिए रेगुलेटरी सरचार्ज लगाया गया है, लेकिन छोटे उपभोक्ताओं और किसानों पर इसका भार सरकार वहन करेगी। इससे लगभग 6,700 करोड़ रुपये की रिकवरी संभव होगी और निगमों का ऋण भार घटेगा। डिस्कॉम्स का फोकस पावर परचेज कॉस्ट कम करने और सौर ऊर्जा क्षमता बढ़ाने पर है। कुसुम योजना के तहत पहले ही 1,800 मेगावाट विकेन्द्रित सौर संयंत्र स्थापित हो चुके हैं। आने वाले समय में लगभग 12,000 मेगावाट क्षमता विकसित करने का लक्ष्य है।

दवाओं की गुणवत्ता पर कार्रवाई: राजस्थान में कायसन फार्मा की सप्लाई पर रोक, ड्रग कंट्रोलर सस्पेंड

जयपुर राजस्थान सरकार ने कफ सिरप विवाद के बाद बड़ा कदम उठाते हुए राज्य ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा को निलंबित कर दिया है और जयपुर स्थित कायसन फार्मा द्वारा बनाई गई सभी 19 दवाओं का वितरण तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। यह निर्णय तब लिया गया है जब मध्यप्रदेश और राजस्थान में कथित रूप से दूषित कफ सिरप से बच्चों की मौतों की खबरें आईं। स्वास्थ्य और चिकित्सा विभाग ने कहा कि दवा मानक तय करने की प्रक्रिया में कथित रूप से अनियमितता पाए जाने के कारण ड्रग कंट्रोलर को निलंबित किया गया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मामले की गहन जांच के निर्देश दिए हैं। इसके तहत एक विशेषज्ञ समिति गठित की जाएगी। '5 साल से बड़े बच्चों को ही यह दवा दी जाए' चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह ने भी मामले पर संज्ञान लेते हुए आमजनहित में जांच और रोकथाम के उपाय सुनिश्चित करने को कहा था। विभाग ने एडवाइजरी जारी कर डेक्सट्रोमैथोरपन दवा के इस्तेमाल को लेकर सख्ती बरती है। प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने बताया कि केंद्र सरकार पहले ही 2021 में 4 साल से छोटे बच्चों को यह दवा नहीं देने की एडवाइजरी जारी कर चुकी है। अब ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने दोबारा स्पष्ट किया है कि सामान्यत: 5 साल से बड़े बच्चों को ही यह दवा दी जाए और 2 साल से छोटे बच्चों को किसी भी स्थिति में यह दवा नहीं दी जानी चाहिए। इसके अलावा, बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक दवाओं पर चेतावनी अंकित करने की कार्यवाही भी शुरू कर दी गई है। वहीं सीओपीडी जैसी गंभीर बीमारियों में उपयोग की जाने वाली दवाओं की खरीद-फरोख्त और आपूर्ति पर भी कड़ी निगरानी रखी जाएगी। सभी दवाओं के वितरण पर रोक आरएमएससीएल के प्रबंध निदेशक पुखराज सेन ने बताया कि 2012 से अब तक कायसन फार्मा की दवाओं के 10 हजार 119 सैंपल जांचे गए, जिनमें से 42 सैंपल अमानक पाए गए हैं। एहतियात के तौर पर इस कंपनी की सभी दवाओं के वितरण पर रोक लगाई गई है। इस मामले में विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।

सरकार की जांच रिपोर्ट पर सवाल: कफ सिरप विवाद नहीं थमा

जयपुर राजस्थान में कायसन फार्मा की कफ सिरप को लेकर सरकार की जांच रिपोर्ट ही सवालों में आ गई है। शुक्रवार को सरकार ने अपनी जांच रिपोर्ट में कंपनी के झुंझुनु, भरतपुर और जयपुर से उठाए सैंपल्स को क्लीन चिट दे दी। इसके बाद देर रात कंपनी की सभी 19 दवाओं के विरतण पर रोक लगा दी और दवाओं के मानक निर्धारण की प्रक्रिया को प्रभावित करने के मामले में औषधि नियंत्रक राजाराम शर्मा को निलंबित भी कर दिया। जांच रिपोर्ट में जो सैंपल चैक किए गए उनमें दवा के साल्ट तय मानकों से या तो कम थे या ज्यादा थे। जांच रिपोर्ट में क्या? जयपुर का सैंपल- बैच नंबर (KL-25/148), कंपनी कायसन फार्मा:  इस सैंपल में प्रोपलीन ग्लायकॉल , एथेलीन ग्लायकॉल, डायथेलीन ग्लायकॉल कंटेंट नहीं था(इनके होने से दवा एलकोहाल में बदल जाती है)। डेक्ट्रोमेथारफान हाईड्रोब्रोमाइड की 13.5 एमजी मात्रा होनी चाहिए थी लेकिन जांच में यह भी 13.11 एमजी ही पाई गई। भरतपुर का सैंपल- बैच नंबर (KL-25/147), कंपनी कायसन फार्मा: इस सैंपल में प्रोपलीन ग्लायकॉल , एथेलीन ग्लायकॉल, डायथेलीन ग्लायकॉल नहीं था। डेक्ट्रोमेथारफान हाईड्रोब्रोमाइड की 13.5 एमजी मात्रा होनी चाहिए थी लेकिन जांच में यह भी 12.98 एमजी ही पाई गई। झुंझुनू का सैंपल- बैच नंबर (KL-25/250), कंपनी कायसन फार्मा: इस सैंपल में प्रोपलीन ग्लायकॉल , एथेलीन ग्लायकॉल, डायथेलीन ग्लायकॉल नहीं था। इसके अलावा डेक्ट्रोमेथारफान हाईड्रोब्रोमाइड की 13.5 एमजी मात्रा होनी चाहिए थी लेकिन जांच में यह भी 13.22 एमजी ही पाई गई।  इसी तरह कई सैंपल्स में साॅल्ट की मात्रा तय मानकों से अधिक पाई गई। हालांकि इसके लिए जांच कमेटी ने स्टैंडर्ड प्रोसिजर के तहत दवा में तय मानकों से 95 से 105 प्रतिशत के सॉल्ट विरियेशन को कंज्यूमेबल माना है। विवाद बढ़ने के बाद सरकार इस मामले में बैकफुट पर आई। शाम को मंत्री ने अपने बयान में कंपनी को क्लीन चिट दी और रात होते-होते कहा कि कंपनी के सैंपल्स की फिर से जांच करवा लेंगे। सिरप को पीने से अब तक करीब 35 बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो चुके हैं। वहीं 4 बच्चों की मौत भी हो चुकी है। जिनमें दो भरतपुर और दो बच्चे सीकर से हैं। हालांकि सरकार ने इस मामले में यह कहकर पल्ला झाड लिया कि इन बच्चों को दवा सरकारी अस्पताल से नहीं लिखी गई। बड़ी संख्या में प्रेसक्रिप्शन होती है कफ सिरप की खरीद पिछले दिनों राजस्थान में आईसीएमआर की एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया है कि राजस्थान में बड़ी संख्या में लोग बिना चिकित्सकीय प्रेसक्रिप्शन के ही कफ सिरप खरीदते हैं। इसके लिए जयपुर में कफ सिरप खरीदने वालों का नाम पता दर्ज करने के आदेश भी औषधि नियंत्रक की तरफ से जारी किए गए थे। इसमें कफ सिरप की खरीद करने पर फोन नम्बर एड्रेस देना अनिवार्य करने की बात कही गई थी। हानिकारक दवाओं पर अंकित होगी चेतावनी ऐसी दवाएं जो बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकती हैं, उन दवाओं पर अब इस संबंध में आवश्यक जानकारी भी अंकित करवाने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है। साथ ही, ऐसी दवाएं जो सीओपीडी जैसी बीमारी में उपचार के लिए काम आती हैं, उनकी खरीद एवं आपूर्ति को भी नियंत्रित किया जाएगा। सामान्य परिस्थितियों में खांसी के उपचार के लिए वैकल्पिक दवाओं का उपयोग किया जाएगा।

बीकानेर के सांसद रह चुके रामेश्वर डूडी नहीं रहे, लंबे समय से थे अस्वस्थ

जयपुर पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं बीकानेर से सांसद रहे रामेश्वर डूडी का लंबी बीमारी के बाद आज निधन हो गया। डूडी को 2 साल पहले उनका ब्रेन आया था। इसके बाद वे लंबे समय तक कोमा में रहे। डॉक्टरों के अनुसार डूडी के ब्रेन की मिडलाइन में 17MM का डैमेज हो गया था। बता दें कि रामेश्वर डूडी साल 2013 से 18 तक बतौर नोखा विधायक वे राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। उनकी गिनती कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में थी। फिलहाल नोखा विधानसभा से उनकी पत्नी सुशीला डूडी विधायक हैं। डूडी ने अपने राजनीतिक जीवन में एक विधानसभा चुनाव और एक बार लोकसभा चुनाव जीता। बीते कुछ दिनों से उनकी तबियत काफी बिगड़ गई थी। कांग्रेस के कई बड़े नेता उनके मिलने उनके पैत्रक आवास पर पहुंचे भी थे। रामेश्वर डूडी मूलत: नोखा के रायसर गांव के रहने वाले थे।  पश्चिमी राजस्थान के किसानों की बुलंद आवाज रामेश्वर डूडी रहे। राजनीतिक जीवन में पंचायत समिति प्रधान, जिला प्रमुख, विधायक और सांसद के साथ विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे। बीकानेर में आज दोपहर करीब एक बजे जाट बगीची में अंत्येष्टि होगी। पूर्व सीएम अशोक गहलोत, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा आज डूडी के पैत्रक आवास बीकानेर भी जाएंगे। गहलोत ने निधन पर जताया शोक पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने डूडी के निधन पर शोक जाताया है। उन्होंने कहा- पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं बीकानेर से सांसद रहे रामेश्वर डूडी का निधन बेहद दुखद है। करीब 2 साल तक बीमार रहने के बाद इतनी अल्पायु में उनका जाना हमेशा खलता रहेगा। यह मेरे लिए व्यक्तिगत तौर पर एक आघात है। रामेश्वर डूडी ने अपनी हर भूमिका का निर्वहन अच्छे से किया। वो मेरे साथ सांसद, विधायक और हमारे नेता प्रतिपक्ष रहे। किसान वर्ग के लिए वो हमेशा काम करते रहे। मुझे याद है कि दौरा पड़ने से कुछ दिन पूर्व ही वो मेरे से मिलने आए थे और हमारे बीच लम्बी बातचीत हुई थी। हमने उनके इलाज के लिए बेहतर से बेहतर प्रबंध किए। एक सक्रिय जीवन जीने वाले डूडी जी का ऐसे बीमार होना हम सबके मन को कचोटता था।  मैं ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति एवं परिजनों को हिम्मत देने की प्रार्थना करता हूं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं बीकानेर से सांसद रहे श्री रामेश्वर डूडी का निधन बेहद दुखद है। करीब 2 साल तक बीमार रहने के बाद इतनी अल्पायु में उनका जाना हमेशा खलता रहेगा। यह मेरे लिए व्यक्तिगत तौर पर एक आघात है। डोटासरा ने भी संवेदना प्रकट की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी डूडी के निधन पर संवेदना प्रकट की है। उन्होंने कहा- राजस्थान के पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं किसान नेता रामेश्वर डूडी के निधन की ख़बर अत्यंत दु:खद है। उनके परिवार एवं प्रशंसकों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है। लंबे समय से अस्वस्थ डूडी  का निधन समाज, राजस्थान की राजनीति और कांग्रेस पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति है। वो एक सच्चे किसान हितैषी थे, जिनके संघर्ष से प्रदेश में किसानों के कर्ज माफ हुए। उन्होंने सामाजिक एवं जन सेवा में रहते सदैव आमजन और दलित-पिछड़ों की आवाज़ को बुलंद किया। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति एवं दु:ख की मुश्किल घड़ी में डूडी परिवार को संबल प्रदान करें। जूली बोले- शोषितों की लड़ाई को समर्पित रहे डूडी नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी रामेश्वर डूडी के निधन पर शोक प्रकट किया है। उन्होंने कहा- पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। यह हम सभी कांग्रेस परिवारजनों और पूरे राजस्थान के लिए अपूरणीय क्षति है। मैं शोकाकुल परिवारजनों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। उनका पूरा जीवन किसानों, मजदूरों, शोषित-वंचित और पीड़ित वर्ग की आवाज़ बुलंद करने और उनके हक व अधिकारों की लड़ाई लड़ने को समर्पित रहा। जिला प्रमुख, विधायक और सांसद के रूप में उनकी नि:स्वार्थ सेवा और संघर्ष हमेशा स्मरणीय रहेगा l ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्य आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान, शोक संतप्त परिवारजनों और समर्थकों को यह असहनीय दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।     पूर्व नेता प्रतिपक्ष श्री रामेश्वर डूडी जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। यह हम सभी कांग्रेस परिवारजनों और पूरे राजस्थान के लिए अपूरणीय क्षति है। मैं शोकाकुल परिवारजनों के प्रति गहरी संवेदनाएँ व्यक्त करता हूँ। मुख्यमंत्री ने जताया दुख मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने सोशल मीडिया पर दुख जताते हुए लिखा,  राजस्थान विधानसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने परमधाम में स्थान दें व शोकाकुल परिवारजनों को यह वज्रपात सहन करने की शक्ति प्रदान करें।  

देशभर में पर्यावरण अपराध: राजस्थान की स्थिति चिंताजनक

जयपुर राजस्थान में पर्यावरण की स्थिति चिंताजनक है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान ने वर्ष 2023 में पर्यावरण से जुड़े अपराधों के मामलों में देश के शीर्ष राज्यों में स्थान बनाया है। राज्य में कुल 7,794 पर्यावरण अपराध दर्ज किए गए, जो तमिलनाडु (41,304), केरल (8,786) और महाराष्ट्र (4,854) के बाद चौथे स्थान पर है। इसमें सबसे ज्यादा मामले ध्वनि प्रदूषण को लेकर दर्ज हैं। ध्वनि प्रदूषण संबंधित अपराधों में राजस्थान देश में दूसरे स्थान पर है। हालांकि संख्या में पिछले साल की तुलना में थोड़ी गिरावट है (2022 में 9,529 मामले), फिर भी राजस्थान का अपराध दर (प्रति लाख जनसंख्या पर) 9.6 है, जो तमिलनाडु (53.7) और केरल (24.5) के बाद तीसरा स्थान रखता है। ध्वनि प्रदूषण बना मुख्य अपराध कानून मामले वन और वन संरक्षण अधिनियम  में 232 मामले दर्ज , वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में  181 मामले, वायु और जल प्रदूषण अधिनियम के तहत  1,535 प्रकरण दर्ज तथा  ध्वनि प्रदूषण अधिनियम में सर्वाधिक 5,846 (देश में दूसरा स्थान) मामले दर्ज किए गए हैं। 5,846 मामलों के साथ ध्वनि प्रदूषण राजस्थान में पर्यावरण अपराधों का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है — केवल तमिलनाडु (41,241 मामले) ही इससे आगे है। विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्थान में ध्वनि प्रदूषण के अधिक मामले राज्य के शहरी विस्तार, भारी वाहन यातायात और बार-बार होने वाले धार्मिक/सामाजिक आयोजनों का परिणाम हैं, जहां ध्वनि संबंधित नियमों का अक्सर उल्लंघन किया जाता है।  पिछले तीन वर्षों में दर्ज पर्यावरण अपराध:     2021: 9,387     2022: 9,529     2023: 7,794 पर्यावरण संबंधित अपराधों के मामले में 2021 के मुकाबले 2023 में भले ही दर्ज मामलों की संख्या घटी हो, लेकिन राजस्थान की हिस्सेदारी देश के कुल 68,994 मामलों में 11% से ज़्यादा है। अच्छी बात यह है कि राज्य का चार्जशीट दाखिल करने का प्रतिशत 99.7% रहा है — यानी कार्यवाही में तेजी है, पर अपराध रोकना अब भी बड़ी चुनौती।

पाकिस्तान को जनरल द्विवेदी की चेतावनी: तय कर ले, भूगोल में रहना है या नहीं

अनूपगढ़ भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पाकिस्तान को सीधी चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि इस बार ऑपरेशन सिंदूर 1.0 जैसा संयम नहीं बरता जाएगा. पाकिस्तान को सोचना होगा कि वह भूगोल में रहना चाहता है या नहीं. जनरल द्विवेदी ने साफ कहा कि अगर पाकिस्तान को अपना अस्तित्व बनाए रखना है तो उसे राज्य प्रायोजित आतंकवाद बंद करना होगा. शुक्रवार को ही वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से पूरी दुनिया को सबक लेना चाहिए. वायुसेना दिवस से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में एयर चीफ ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर तीनों सेनाओं के बेहतरीन तालमेल का उदाहरण है. पाकिस्तान को इस दौरान बड़ा नुकसान हुआ. उनके रडार, कंट्रोल सेंटर, रनवे और हैंगर तबाह हुए. एयरबोर्न वार्निंग सिस्टम (अवाक्स) और कई फाइटर जेट्स भी नुकसान की चपेट में आए. एयर चीफ ने बताया कि अब तीनों सेनाएं स्वदेशी हवाई रक्षा प्रणाली ‘सुदर्शन चक्र’ पर काम कर रही हैं. पीएम मोदी पहले ही इसकी घोषणा कर चुके हैं. एयर चीफ ने कहा कि एस-400 मिसाइल सिस्टम कारगर साबित हुआ है, लेकिन भविष्य में क्या खरीदा जाएगा यह रणनीति का हिस्सा है. राजनाथ ने भी दी धमकी- ‘इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएंगे’ एक दिन पहले ही, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी थी. अगर उसने सर क्रीक इलाके में कोई हिमाकत की तो उसे ऐसा जवाब मिलेगा कि इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएंगे. विजयदशमी पर भुज एयरबेस पर जवानों के बीच शस्त्र पूजा के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान की पोल खोल दी है. भारत ने संयम दिखाया क्योंकि हमारी कार्रवाई सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ थी, मगर जरूरत पड़ी तो जवाब और कड़ा होगा. उन्होंने याद दिलाया कि 1965 की जंग में भारतीय सेना लाहौर तक पहुंची थी और आज कराची तक पहुंचने का रास्ता भी सर क्रीक से होकर जाता है. राजनाथ ने कहा कि पाक फौज सर क्रीक में मिलिट्री इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाकर अपनी नीयत साफ कर चुकी है. उन्होंने साफ कहा कि भारतीय सेना और बीएसएफ मुस्तैदी से सीमा की रक्षा कर रहे हैं और किसी भी हिमाकत पर पाकिस्तान को करारा सबक सिखाया जाएगा. ‘अब भारत का जवाब ही नया नॉर्मल’ इससे पहले, 26 जुलाई को विजय दिवस के मौके पर जनरल द्विवेदी ने कहा था कि अब किसी भी ताकत को यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता को चुनौती दी जा सकती है. भारत की नीति साफ है, जो भी दुश्मन नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा, उसे करारा जवाब दिया जाएगा. आर्मी चीफ ने बताया था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना ने पाकिस्तान में 9 हाई-वैल्यू टेरर टारगेट्स को खत्म किया और यह सब बिना किसी कोलैटरल डैमेज के हुआ. उन्होंने इसे भारत की निर्णायक जीत बताया था. उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान की ओर से 8 और 9 मई को किए गए कायराना कदमों का भारत ने प्रभावी जवाब दिया. भारतीय एयर डिफेंस एक अभेद्य दीवार की तरह खड़ी रही, जिसे कोई मिसाइल या ड्रोन भेद नहीं पाया.

स्वास्थ्य सुरक्षा: राजस्थान सरकार ने खांसी की दवा पर प्रिसक्रिप्शन किया अनिवार्य

जयपुर राजस्थान में कफ सिरप अब चिकित्सकीय परामर्श से ही मिलेगी। प्रदेश में  Dextromethorphan HBr Syrup के लेने से गंभीर रूप से तबियत खराब होने तथा भरतपुर व सीकर में 2 बच्चों की मृत्यु के बाद स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी की है।  सीकर व भरतपुर में बच्चों की मृत्य को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि दोनों ही बच्चों को खांसी की दवा डेक्सट्रोमैटोरफन नहीं लिखी गई थी। विभाग ने सीकर जिले में हाथीदेह पीएचसी में बच्चों के लिए खांसी की प्रतिबंधित दवा लिखे जाने पर एक चिकित्सक एवं फार्मासिस्ट को निलंबित करने की कार्रवाई भी प्रारंभ कर दी है।  विभाग ने जारी की एडवाइजरी इसके साथ ही चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने प्रकरण में आवश्यक कार्यवाही के साथ ही प्रिसक्रिप्शन लिखने में प्रोटोकॉल का पालन करने तथा रोगियों को प्रिसक्रिप्शन से ही दवा उपलब्ध कराने तथा रोगियों द्वारा बिना चिकित्सकीय परामर्श के दवा नहीं लेने के संबंध में एडवाइजरी भी जारी की है। एडवाइजरी में कहा गया है कि सभी चिकित्सक दवा लिखते समय एडवाइजरी की पूर्णत: पालना सुनिश्चित करें। बच्चों को दवाई लिखते समय निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन किया जाए। रोगी बिना चिकित्सकीय परामर्श के दवा का सेवन नहीं करें। निदेशक जनस्वास्थ्य ने बताया कि प्रदेश में मौसमी बीमारियों सहित अन्य सामान्य बीमारियों से बचाव, उपचार एवं अन्य जानकारी के राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम नंबर 0141—2225624 पर किसी भी समय सम्पर्क किया जा सकता है। जांच के लिए कमेटी बैठी, दवा को क्यूी के लिए भेजा गौरतलब है कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री  गजेन्द्र सिंह खींवसर ने प्रकरण सामने आने पर तत्काल संज्ञान लेते हुए मामले की जांच किए जाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद आरएमएससीएल ने संबंधित दवा के वितरण एवं उपयोग पर रोक लगा दी थी और जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन भी कर दिया था। साथ ही, दवा का वैधानिक नमूना लेकर जांच के लिए राजकीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला भी भेजा गया है। सरकारी रिपोर्ट में ये तथ्य आए निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश शर्मा ने बताया कि भरतपुर एवं सीकर में दो बच्चों की मौत के प्रकरण में प्राप्त रिपोर्ट में सामने आया है कि चिकित्सक द्वारा दोनों ही बच्चों को Dextromethorphan HBr Syrup नहीं लिखी गई है। प्रोटोकॉल के अनुसार बच्चों को यह दवा नहीं लिखी जाती है। सीकर के अजीतगढ़ ब्लॉक की हाथीदेह पीएचसी पर एक बच्चे को खांसी की यह दवा लिखे जाने का मामला सामने आया था, जिस पर चिकित्सक डॉ. पलक एवं फार्मासिस्ट पप्पू सोनी को निलंबित करने की कार्रवाई की जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार भरतपुर के कलसाडा निवासी 30 वर्षीय मोनू जोशी 25 सितम्बर, 2025 को खांसी—जुकाम व बुखार होने पर सीएचसी कलसाडा आए थे। चिकित्सक ने उन्हें अन्य दवाओं के साथ सिरप डैक्ट्रामैट्रोफन हाइड्रो ब्रोमाइड लिखी थी। मोनू जोशी ने अपने तीन वर्षीय पुत्र गगन के जुकाम व निमोनिया होने पर बिना चिकित्सक की सलाह के यह सीरप उसे पिला दी। गगन की तबीयत ज्यादा खराब होने पर वे तुरन्त चिकित्सक डॉ. अशोक जैन के पास महुआ लेकर गए। डॉ. अशोक जैन ने मरीज की गम्भीर अवस्था को देखते हुए उसे जेके लोन जयपुर के लिए रैफर कर दिया गया। 25 सितम्बर को ही दोपहर 2 बजे गगन को जेके लोन हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। मरीज की स्थिति में सुधार होने पर उसे 27 सितम्बर को डिस्चार्ज कर दिया गया।   भरतपुर में बच्चे की मौत की वजह निमोनिया को बताया वहीं भरतपुर में कफ सिरप पीने के बाद बच्चे की मौत की खबर को लेकर स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि यहां नहनी उम्र 50 साल उप केन्द्र, मलाह पर दिखाने आई थी, जिसे उप केन्द्र स्तर की पीसीएम दवाई दी गई थी। जिस बच्चे सम्राट की मौत की खबर सिरप पीने से बताई जा हरी है वह पहले से निमोनिया से ग्रसित था, जिसे भरतपुर से जयपुर रैफर किया गया था। सम्राट की मृत्यु 22 सितम्बर को हुई थी। सीकर में मौत सिरप से लेकिन परिजनों ने अपने स्तर पर ही दी दवा वहीं सीकर के ग्राम खोरी के नित्यांश पुत्र महेश कुमार शर्मा की मृत्यु के संबंध में प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार वस्तु स्थिति यह है कि 7 जुलाई 2025 को बच्चे को बुखार-जुकाम की शिकायत पर सीएचसी चिराना, झुंझुनूं में दिखाया गया था। रोगी की पर्ची में सिरप डैक्ट्रमैथोरफन नहीं लिखी गई थी। बच्चे की माता खूशबू शर्मा ने बताया कि 28 सितंबर 2025 को रात्रि 9 बजे बच्चे को हल्की खांसी की शिकायत हुई तब पहले से घर में रखी डैक्स्ट्रोमैथोरफन 5 एमएल कफ सिरप माता ने बच्चे को दी थी। 29 सितम्बर को रात्रि 2 बजे बच्चे ने पानी पिया और सो गया। तब तक बच्चा ठीक था। प्रातः 5 बजे मां उठी तो बच्चा बेसुध था। बच्चे को राजकीय श्री कल्याण अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस प्रकार दोनों ही बच्चों की मौत के मामले में चिकित्सक द्वारा डैक्स्ट्रोमैथोरफन दवा नहीं लिखी गई है।

टीकाराम जूली ने जासूसी कैमरा विवाद पर राष्ट्रपति से भेंट की इच्छा जताई

जयपुर विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान भड़का जासूसी कैमरा विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। कांग्रेस इस मुद्दे को छोड़ने को तैयार नहीं है। राजस्थान में जासूसी कैमरा विवाद को लेकर विधानसभा में धरने प्रदर्शन के बाद राज्यपाल को ज्ञापन दे चुकी कांग्रेस अब आरोप लगा रही है कि प्रदेश में इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो रही। इसलिए नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस मामले में राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा है। जूली ने कहा कि यह घटना लोकतंत्र की गरिमा और संवैधानिक संस्थाओं की पवित्रता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। यह घटना न केवल विपक्षी विधायकों की निजता का हनन है, बल्कि जनता के विश्वास के साथ सीधा खिलवाड़ भी है।  जूली ने बताया कि इस गंभीर प्रकरण पर विपक्षी दल के प्रतिनिधियों ने राज्यपाल से मिलकर कर उन्हें समस्त तथ्यों से अवगत कराया था और निष्पक्ष जांच की मांग रखी थी। जूली ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में लोकतंत्र की रक्षा एवं संविधान की मर्यादा बनाए रखने हेतु उन्होंने माननीय राष्ट्रपति महोदय से समय प्रदान करने का आग्रह किया है। लोकतंत्र की सर्वोच्च संस्थाएं संसद और विधानसभाएं हैं। यदि इन्हीं पर संदेह और जासूसी का वातावरण बनेगा तो यह पूरे देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने स्पष्ट किया कि विपक्ष इस लड़ाई को जनता और लोकतंत्र के हित में अंत तक लड़ेगा। किसी भी कीमत पर लोकतांत्रिक मूल्यों और विधायकों की गरिमा पर आंच नहीं आने दी जाएगी। क्या था जासूसी कैमरा विवाद  विधानसभा के मानसून सत्र में विपक्षी नेता और कांग्रेस विधायकों ने स्पीकर वासुदेव देवनानी को घेरते हुए आरोप लगाया कि विधानसभा में अतिरिक्त CCTV / PTZ (Pan-Tilt-Zoom) कैमरे लगाए गए हैं, खासकर विपक्षी बेंच और महिला विधायकों के आस-पास, जिनका उपयोग उन पर निगरानी रखने और उनकी गतिविधियों की रिकॉर्डिंग करने में हो रहा है। आरोपों के अनुसार, ये कैमरे सिर्फ सदन की कार्यवाही के दौरान नहीं बल्कि सदन के बाद भी सक्रिय रहते हैं, और कैमरों से ‘स्पीकर के रूम’ या रेस्ट रूम जैसे जगहों से भी नियंत्रण किया जाता है।     कांग्रेस ने कहा कि ये कैमरे नियमों और विधानसभा की पारंपरिक मर्यादाओं का उल्लंघन हैं, और विधायक‑सदस्यों की निजता का हनन करते हैं। स्पीकर ने यह जवाब दिया विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि कैमरे सदन की कार्यवाही रिकॉर्डिंग और प्रसारण के लिए हैं, ऑडियो रिकॉर्डिंग नहीं होती। सरकार ने कहा कि ये कैमरे सुरक्षा कारणों और सदन के ऑडिट‑प्रक्रिया तथा पारदर्शिता के लिए लगाए गए हैं।