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BJP को चुनावी झटका: मिश्री लाल यादव ने छोड़ी पार्टी, RJD में एंट्री तय

पटना  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को एक और तगड़ा झटका लगा है। दरअसल, अब दरभंगा की अलीनगर विधानसभा सीट से विधायक मिश्रीलाल यादव ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि संगठन में दलितों और अन्य पिछड़े समुदायों को उनका हक नहीं मिल रहा है। दरअसल, मिश्री लाल यादव ने शनिवार को पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा की और आरोप लगाया कि संगठन में दलितों और अन्य पिछड़े समुदायों को उनका हक नहीं मिल रहा है। दरभंगा ज़िले की अलीनगर सीट से विधायक यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि वह पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को अपना इस्तीफ़ा सौंपेंगे। पार्टी ने तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन सूत्रों ने बताया कि यादव इन अटकलों से नाराज हैं कि इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा और भाजपा अलीनगर से गायिका मैथिली ठाकुर को मैदान में उतार सकती है। राजद में होंगे शामिल! विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के टिकट पर 2020 का चुनाव लड़ने वाले मिश्री लाल यादव ने कहा, "मैंने पहली बार एनडीए के लिए अलीनगर सीट जीती है। पहले, कई अन्य उम्मीदवार, जिनके पास बहुत पैसा और बाहुबल था, ऐसा करने में नाकाम रहे थे।" यादव ने अपनी भविष्य की योजनाओं का खुलासा नहीं किया, लेकिन समझा जाता है कि वह राजद नीत विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक के संपर्क में हैं।

BJP की नई चाल शाहाबाद-मगध में, 2020 की 36 सीटों को फिर से जीतने की तैयारी

पटना  बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भारतीय जनता पार्टी ने इस बार ‘जीती सीटों को बचाने’ के साथ-साथ ‘हारी सीटों को वापस पाने’ का बड़ा अभियान शुरू किया है. पार्टी के भीतर इसे “मिशन रिकवरी प्लान” का नाम दिया गया है. पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से 74 पर जीत हासिल की थी. हालांकि, पार्टी ने बाद में हुए उपचुनावों में कुढ़नी, रामगढ़ और तरारी जैसी तीन सीटों पर अपनी वापसी दर्ज करायी थी. इन 36 सीटों के लिए बीजेपी तैयार कर रही रणनीति अब भाजपा की निगाह उन 36 सीटों पर है जहां 2020 में हार मिली थी. पार्टी ने इन सभी सीटों को दो चरणों में विभाजित कर उनकी अलग-अलग रणनीति तैयार की है. पहले चरण की 18 सीटों में बैकुंठपुर, दरौली, सीवान, राघोपुर, गरखा, सोनपुर, कुढ़नी, मुजफ्फरपुर, बखरी, उजियारपुर, बक्सर, तरारी, शाहपुर, बख्तियारपुर, फतुहा, दानापुर, मनेर और बिक्रम शामिल हैं. वहीं, दूसरे चरण की हार वाली सीटों में कल्याणपुर, भागलपुर, रजौली, हिसुआ, बोधगया, गुरुआ, औरंगाबाद, गोह, डिहरी, काराकाट, रामगढ़, मोहनिया, भभुआ, चैनपुर, जोकिहाट, बायसी, किशनगंज और अरवल हैं. बीजेपी 2020 में जहां हारी, उन क्षेत्रों में विशेष फोकस इन सभी सीटों के लिए भाजपा ने अपने बूथ और जातिगत समीकरणों की गहराई से समीक्षा की है. विशेष रूप से उन जिलों पर फोकस किया गया है, जहां 2020 में पार्टी का ‘संपूर्ण सफाया’ हुआ था. इनमें औरंगाबाद, रोहतास, कैमूर और बक्सर जैसे जिले शामिल हैं. इन चारों जिलों में पिछली बार एक भी सीट नहीं मिल पाई थी. दिलचस्प बात यह है कि 2015 के विधानसभा चुनाव में कैमूर की चारों सीटें भाजपा के खाते में थीं, लेकिन 2020 में पार्टी को यहां करारी हार झेलनी पड़ी. यही वजह है कि इस बार भाजपा शाहाबाद और मगध क्षेत्र को लेकर बेहद सतर्क है. शाहाबाद-मगध में ‘पावर स्टार’ का दांव पार्टी ने इन क्षेत्रों में सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों को साधने के लिए ‘लोकप्रिय चेहरों’ की रणनीति अपनाई है. भोजपुरी गायक और अभिनेता पवन सिंह को एक बार फिर भाजपा के प्रचार अभियान में सक्रिय किया गया है. पवन सिंह की क्षेत्र में पकड़ और लोकप्रियता को देखते हुए पार्टी उन्हें ‘जनसंपर्क का चेहरा’ बना रही है. इसके अलावा RLM प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा का मगध और शाहाबाद क्षेत्र में गहरा प्रभाव है. इसी कड़ी में भाजपा के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने हाल ही में दिल्ली में पवन सिंह और कुशवाहा की मुलाकात कराई थी. जिसे राजनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है. हर जिले के लिए ‘माइक्रो प्लान’ भाजपा संगठन ने हर जिले की हारी हुई सीट के लिए अलग-अलग ‘माइक्रो प्लान’ तैयार किया है. इसमें पुराने उम्मीदवारों का आकलन, स्थानीय समीकरणों की पुनर्समीक्षा, और सहयोगी दलों के साथ सीट तालमेल पर जोर दिया गया है. हालांकि एनडीए में सीटों का बंटवारा अभी अंतिम रूप में नहीं है, लेकिन भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि चाहे सीटें बदली जाएं या नहीं, पार्टी का संगठन हर क्षेत्र में पूरी ताकत के साथ उतरेगा. ‘हारी नहीं, छोड़ी सीटों पर भी वापसी’ का लक्ष्य पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि 2020 में कुछ सीटें हार की वजह से नहीं, बल्कि सीट-शेयरिंग के कारण छूटी थीं. इस बार भाजपा ऐसे क्षेत्रों पर भी फोकस कर रही है, जहां उसके संगठन की मजबूत जड़ें हैं लेकिन पिछले बार साथी दलों को मौका मिला था. शाहाबाद-मगध में BJP की परीक्षा कुल मिलाकर, भाजपा ने बिहार में इस बार चुनावी जंग को दो हिस्सों में बांट दिया है. ‘सेव द सीट्स’ (जीती सीटें बचाने का अभियान) और ‘रिक्लेम द लॉस्ट’ (हारी सीटें वापस पाने की रणनीति). शाहाबाद और मगध की सियासी जमीन पर भाजपा की सबसे बड़ी परीक्षा होने जा रही है, जहां से पार्टी अपने खोए जनाधार को वापस पाने की जुगत में जुटी है. 

सीट बंटवारे पर BJP की रणनीति: बिहार में NDA अपनाएगी 2020 वाला रास्ता

पटना 6 और 11 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए होने वाले मतदान का परिणाम 14 नवंबर को सामने आ जाएगा। मतलब, अब चुनाव परिणाम आने में भी 36 दिन शेष ही हैं। आमने-सामने की लड़ाई लड़ रहे दोनों गठबंधनों में सीटों पर ही बात बनती नहीं दिख रही है, प्रत्याशियों का नाम तो उसके बाद घोषित होगा। गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के बिहार प्रदेश कार्यालय में गहमागहमी रही। चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बयानों ने उस गहमागहमी को गरमागरमी जैसा बनाए रखा। लेकिन, अंदर की बात यह है कि एनडीए की सीट शेयरिंग योजना ट्रैक से उतरी नहीं है। लोकसभा चुनाव में ही भाजपा ने कर ली थी तैयारी बिहार भाजपा के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान पटना में हैं। वह घटक दलों के मन की बातें उनके मन से निकालने में कामयाब रहे हैं। मांझी-चिराग के मन की बात भले सामने आई, लेकिन भाजपा को भी पता है कि केंद्रीय मंत्री की कद्दावर कुर्सी छोड़ चिराग पासवान और जीतन राम मांझी बाहर जाने वाले नहीं हैं। उपेंद्र कुशवाहा तो किनारे होकर तमाशा देख रहे हैं। चिराग पासवान की पार्टी के पास मौजूदा विधानसभा में कोई विधायक नहीं। जीतन राम मांझी के पास चार विधायक हैं। उपेंद्र कुशवाहा के पास भी कोई विधायक नहीं। मांझी-चिराग या कुशवाहा को लोकसभा चुनाव के समय भी अंदाजा बता दिया गया था कि बिहार विधानसभा चुनाव के समय सीटों पर कैसे बात होगी। चिराग और मांझी को इसी कारण पसंदीदा, मजबूत और काम लायक मंत्रालय दिए गए थे। रही बात उपेंद्र कुशवाहा की तो, उनके लिए एनडीए के पास कई ऑफर हैं। बिहार में हुई बात, लेकिन रास्ता तो दिल्ली में निकलेगा बिहार विधानसभा में 243 सीटें हैं। भाजपा-जदयू अब तक लगभग बराबर 100-100 के गणित पर है। चिराग पावान न्यूनतम 35 और जीतन राम मांझी कम-से-कम 15 सीटें चाह रहे हैं। इस तरह से बच रही है तीन सीटें उपेंद्र कुशवाहा के लिए। जदयू 110-105  की मांग से उतर कर 101-100 पर आकर टिकेगा ही। भाजपा 105 की तैयारी के बीच 100 के लिए भी मन बनाए बैठी है। भाजपा की पटना में बैठकों से कोई अंतिम नतीजा निकलना भी नहीं था। अब फैसला दिल्ली में होना है। ऐसे में भाजपा के रणनीतिकारों ने 2020 मॉडल को ही अंतिम उपाय माना है। क्या है भाजपा का अंतिम रास्ता, जो 2020 में अपनाया था 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग की पार्टी से भाजपा के कई कद्दावर नेता उतरे थे, लेकिन उस समय निशाना जदयू था। इस बार वैसी परिस्थिति नहीं है। सीएम नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के बीच उस समय वाली दूरी अभी नहीं है। भाजपा ने उस समय एनडीए में रही मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी में अपने प्रत्याशी दिए थे। मुकेश सहनी खुद चुनाव नहीं जीत सके थे, इसलिए उनके चार में से तीन विधायक अपनी मूल पार्टी भाजपा में चले गए। एक का निधन हो गया था। मौजूदा परिस्थिति में जदयू-भाजपा अपने खाते में 100-100 सीटों को रखती है तो जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा-सेक्युलर को जीतने वाली 8 सीटों के साथ मजबूत स्थिति वाली दो-तीन सीटें देगी। उपेंद्र कुशवाहा के राष्ट्रीय लोक मोर्चा को पांच-आठ सीटों के बीच फाइनल किया जाएगा। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 22-25 सीटें देने की बात अंतिम तौर पर चल रही है। जब यह सब फाइनल होने लगेगा तो इन दलों से अपने कुछ मजबूत प्रत्याशी भी शिफ्ट करने की बात होगी। देखना यही है कि इस बात पर चिराग कितना राजी होते हैं।मांझी या कुशवाहा के लिए भाजपा की पंचायत का यह रास्ता फायदेमंद ही होगा, क्योंकि ऐसे प्रत्याशियों के पास भाजपा का कैडर भी होगा।

वोटर लिस्ट अपडेट पर कांग्रेस की नजर, नए-पुराने वोटर्स तक पहुंच बनाएगी पार्टी, BJP के पन्ना मॉडल को चुनौती

भोपाल  एमपी के चुनावों में लगातार हार के बाद कांग्रेस अब वोटर लिस्ट सुधार को लेकर तेजी से काम कर रही है। बीजेपी के पन्ना प्रमुखों के मुकाबले कांग्रेस अब हर बूथ पर बीएलए तैनात कर रही है। 2028 के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस ने प्रदेशभर में मतदाता सूची की करेगी जाँच।  ऐसे में कांग्रेस अब ज्यादा नंबर वाले वोटर्स के घर जाएगी, जो भी नए नाम जुड़ेंगे-कटेंगे उन तक भी पहुंचेगी। कांग्रेस अब केवल प्रचार तक सीमित नहीं रहना चाहती बल्कि मतदाता सूची के हर पन्ने और हर नाम पर अपनी निगरानी रखने पर तेजी से काम करेगी। नाम जुड़वाने, कटवाने की ट्रेनिंग देंगे कांग्रेस सभी बीएलए को निर्वाचन आयोग की प्रक्रियाओं जैसे फॉर्म-6 (नाम जोड़ना), फॉर्म-7 (नाम हटाना), फॉर्म-8 (सुधार) और फॉर्म-8A (स्थानांतरण) की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगी। BLO के सीधे संपर्क में होंगे कांग्रेस के BLA कांग्रेस के बूथ लेवल एजेंट (BLA) सीधे बूथ लेवल ऑफिसर (BLO)के संपर्क में रहेंगे। आयोग द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार बीएलओ घर-घर जाकर एनेक्सचर-C भरवाएंगे, जो मतदाता की पात्रता प्रमाणित करने का दस्तावेज होगा। कांग्रेस ने अपने बीएलए को यह जिम्मेदारी दी है कि वे इस सर्वे में शामिल होकर हर वोटर का विवरण सही तरीके से दर्ज करवाएं। हर विधानसभा में बनेगा कांग्रेस कंट्रोल रूम प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने हर जिले और विधानसभा क्षेत्र में ‘मतदाता सूची नियंत्रण कक्ष’ बनाएगी। जो निर्वाचन आयोग की वेबसाइट और ऑफलाइन मतदाता सूची दोनों से डेटा एकत्र करेगा। इस कंट्रोल रूम से वोटर लिस्ट में छूटे नामों की रिपोर्ट तैयार की जाएगी। कंट्रोल रूम पार्टी के हर बीएलए से फीडबैक लेगा। और स्थानीय स्तर पर शिकायतों का समाधान कराने पार्टी स्तर पर सूचित करेगा। कांग्रेस के समर्थक वोटर्स के काटे गए थे नाम कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पिछले चुनावों में बड़ी संख्या में समर्थक मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटे पाए गए थे। इस बार कांग्रेस ने उस गलती को न दोहराने का संकल्प लिया है। SIR को लेकर कांग्रेस की तैयारी     हर मतदान केंद्र पर कम से कम एक प्रशिक्षित बीएलए की नियुक्ति।     मतदाता सूची के संशोधन और दावे-आपत्ति अवधि में सक्रिय भागीदारी।     पात्र युवाओं और पहली बार वोट डालने वालों को पंजीकृत कराने का अभियान।     मृत मतदाताओं या स्थानांतरित व्यक्तियों के नाम हटवाने के लिए साक्ष्य आधारित आपत्तियाँ।     महिला मतदाताओं के लिए विशेष जागरूकता कार्यक्रम। एमपी के 5 करोड लोगों के हस्ताक्षर कराने चलेगा अभियान वोट चोर-गद्दी छोड़ कार्यक्रम के तहत एमपी में 5 करोड़ लोगों के हस्ताक्षर कराने एक अभियान चलाया जाएगा। इस हस्ताक्षर अभियान के लिए पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने एमपी की सभी 230 विधानसभाओं के प्रभारी नियुक्त किए हैं।

वीडी के हटाए गए संगठन मंत्री वापसी के संकेत, MP भाजपा कार्यकारिणी में बड़ा बदलाव संभव

भोपाल  मध्यप्रदेश बीजेपी की नई प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा का काम अब लगभग पूरा हो चुका है। अब जल्द टीम का ऐलान होगा। प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ मिलकर प्रदेश पदाधिकारियों के नामों पर चर्चा की और लिस्ट तैयार की। अब यह लिस्ट केंद्रीय नेतृत्व से मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। माना जा रहा है कि जल्द इस लिस्ट पर केंद्रीय नेतृत्व की ओर से फाइनल मुहर लग जाएगी।  हेमंत खंडेलवाल को प्रदेश अध्यक्ष बने लगभग 100 दिन पूरे होने वाले हैं। उन्हें 2 जुलाई को अध्यक्ष बनाया गया था और तब से वे पूर्व अध्यक्ष वीडी शर्मा की टीम के साथ काम कर रहे हैं। पिछले तीन महीनों से वे लगातार कार्यकर्ताओं से मिलकर संगठन को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, भाजपा की नई प्रदेश कार्यकारिणी दिवाली से पहले घोषित हो सकती है। इसके बाद एमपी बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी बैठक होगी।  हेमंत खंडेलवाल की टीम में होंगे 60 फीसदी नए चेहरे वीडी शर्मा मध्यप्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे और उन्होंने 5 साल 4 महीने 17 दिन तक इस पद पर काम किया। उन्हें 15 फरवरी 2020 को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। कोरोना के कारण उनका कार्यकाल एक साल बढ़ा दिया गया था, फिर संगठन चुनाव में देरी के कारण उनका कार्यकाल बढ़ता गया। वीडी शर्मा की टीम में रहे 8 पदाधिकारी अब सांसद बन चुके हैं, जबकि 8 अन्य विधायक बन चुके हैं।  वीडी की टीम में रहे 60% चेहरे बाहर होंगे वीडी शर्मा मध्य प्रदेश भाजपा के 5 साल 4 महीने 17 दिन तक प्रदेश अध्यक्ष रहे। उन्हें 15 फरवरी 2020 को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। कोरोना संकट के चलते उनका कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया गया था। फिर संगठन चुनाव में हुई देरी के कारण उनका कार्यकाल अघोषित रूप से बढ़ता गया। वीडी शर्मा के साथ प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल रहे 8 पदाधिकारी सांसद और 8 पदाधिकारी विधायक बन चुके हैं। किसान मोर्चा, ओबीसी मोर्चा, महिला मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी सांसद और मंत्री बन गए हैं। नई कार्यकारिणी में टीम वीडी में शामिल रहे पदाधिकारियों में से 60% चेहरे बदले जाएंगे। पुराने संगठन मंत्रियों की वापसी संभव सितंबर 2021 में बीजेपी ने संभागीय संगठन मंत्रियों को हटा दिया था। बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने शैलेंद्र बरुआ (जबलपुर और होशंगाबाद), आशुतोष तिवारी (भोपाल और ग्वालियर), जितेंद्र लिटोरिया (उज्जैन), श्याम महाजन (रीवा और शहडोल), जयपाल चावड़ा (इंदौर) और केशव सिंह भदौरिया (सागर और चंबल) को संभागीय संगठन मंत्री पद से हटाकर प्रदेश कार्यसमिति में सदस्य बनाया था। इन संगठन मंत्रियों में केशव भदौरिया को छोड़कर 5 नेताओं को राज्य सरकार ने मंत्री का दर्जा देकर निगम मंडलों में एडजस्ट किया था। अब बीजेपी की नई प्रदेश कार्यकारिणी में इन पुराने संगठन मंत्रियों की वापसी हो सकती है। इस बार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की टीम में करीब 60% नए चेहरे होंगे। इसके अलावा किसान मोर्चा, ओबीसी मोर्चा और महिला मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी अब सांसद और मंत्री बन गए हैं। सितंबर 2021 में बीजेपी ने अपने संभागीय संगठन मंत्रियों को हटा दिया था। उस समय बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने शैलेंद्र बरुआ (जबलपुर और होशंगाबाद), आशुतोष तिवारी (भोपाल और ग्वालियर), जितेंद्र लिटोरिया (उज्जैन), श्याम महाजन (रीवा और शहडोल), जयपाल चावड़ा (इंदौर) और केशव सिंह भदौरिया (सागर और चंबल) को हटाकर उन्हें प्रदेश कार्यसमिति का सदस्य बना दिया था। इनमें से पांच नेताओं को राज्य सरकार ने मंत्री का दर्जा देकर निगम मंडलों में जगह दी थी, लेकिन केशव भदौरिया को इसमें शामिल नहीं किया गया था। अब बीजेपी की नई टीम में इन पुराने मंत्रियों की फिर से वापसी हो सकती है। मौजूदा प्रदेश कार्यकारिणी में इतने नेता मध्यप्रदेश बीजेपी की मौजूदा प्रदेश कार्यकारिणी के प्रदेश उपाध्यक्ष में एक मंत्री, तीन सांसद और दो विधायक हैं। वहीं, प्रदेश महामंत्री में दो विधायक और एक सांसद हैं। साथ ही, प्रदेश मंत्री में दो सांसद और एक विधायक है। वहीं, संयुक्त कोषाध्यक्ष में अनिल जैन कालूहेड़ा से विधायक हैं।    पद (Post) नाम (Name) पद/कार्यक्षेत्र (Designation/Field) प्रदेश उपाध्यक्ष (State Vice President) नागर सिंह चौहान कैबिनेट मंत्री   आलोक शर्मा सांसद (भोपाल)   संध्या राय सांसद (भिंड)   सुमित्रा वाल्मीकि राज्यसभा सांसद   ललिता यादव विधायक   चिंतामणि मालवीय विधायक   चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी पूर्व विधायक (मेहगांव)   कांत देव सिंह     सीमा सिंह जादौन     जीतू जिराती पूर्व विधायक   बहादुर सिंह चौहान पूर्व विधायक   पंकज जोशी     श्याम महाजन     बृजराज सिंह चौहान पूर्व विधायक — — — प्रदेश महामंत्री (State General Secretary) कविता पाटीदार राज्यसभा सांसद   भगवानदास सबनानी विधायक   हरिशंकर खटीक विधायक   शरलेन्दु तिवारी पूर्व विधायक   रणवीर सिंह रावत पूर्व विधायक — — — प्रदेश मंत्री (State Secretary) लता वानखेड़े सांसद (सागर)   आशीष दुबे सांसद (जबलपुर)   मनीषा सिंह विधायक   रजनीश अग्रवाल     प्रभुदयाल कुशवाहा     राजेश पांडेय     नंदिनी मरावी पूर्व विधायक   राहुल कोठारी     संगीता सोनी     जयदीप पटेल     केशव सिंह भदौरिया     क्षितिज भट्ट     योगेश पाराशर   — — — कोषाध्यक्ष (Treasurer) अखिलेश जैन CA संयुक्त कोषाध्यक्ष (Joint Treasurer) अनिल जैन कालूहेड़ा विधायक प्रदेश कार्यालय मंत्री (State Office Secretary) राघवेन्द्र शर्मा   कार्यकारिणी के साथ-साथ मोर्चों के भी बदलेंगे अध्यक्ष  बीजेपी की प्रदेश कार्यकारिणी में जगह पाने के लिए नेताओं ने बड़े नेताओं से सिफारिशें करवाई हैं। सबसे ज्यादा कोशिश प्रदेश महामंत्री बनने के लिए की गई है। इसके अलावा, प्रदेश कार्यालय प्रभारी और कार्यालय मंत्री के लिए भी नेताओं ने नए प्रदेश अध्यक्ष से कई बार मुलाकात की है। बीजेपी की प्रदेश कार्यकारिणी के साथ-साथ मोर्चों के अध्यक्ष भी बदलेंगे। ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष नारायण सिंह कुशवाह अब मध्यप्रदेश सरकार में सामाजिक न्याय मंत्री बन गए हैं। किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी दर्शन सिंह होशंगाबाद से सांसद बन गए हैं। महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष माया नारोलिया राज्यसभा सांसद बन चुकी हैं। इन बदलावों के साथ-साथ युवा मोर्चा, एससी मोर्चा और एसटी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी बदले जाएंगे।      

‘बेटे को बढ़ाएं या बेटी को दें चांस’ – भाजपा ने लालू यादव पर साधा निशाना

पटना  बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों के ऐलान के बाद राज्य में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। चुनाव आयोग ने सोमवार 6 अक्टूबर को घोषणा की कि बिहार में 243 विधानसभा सीटों के लिए मतदान दो चरणों में 6 नवंबर और 11 नवंबर को होगा, जबकि मतगणना 14 नवंबर को होगी। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के तुरंत बाद भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव पर निशाना साधा। त्रिवेदी ने कहा कि लालू यादव 'अपने बेटों और बेटियों के बीच दुविधा में हैं' और परिवार में 'संकट' की स्थिति है। उन्होंने महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में तेजस्वी यादव की दावेदारी पर भी सवाल उठाया। त्रिवेदी ने कहा, 'वे खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार पेश कर रहे हैं, लेकिन उनके गठबंधन के लोग ऐसा नहीं कह रहे। उन्होंने कई बार राहुल गांधी को प्रधानमंत्री कहा, लेकिन राहुल गांधी ने उन्हें (सीएम उम्मीदवार) नहीं कहा। अब स्थिति परिवार के भीतर भी अलग है।' त्रिवेदी ने बिहार में एनडीए की जीत का दावा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य में सकारात्मक बदलाव आया है। उन्होंने कहा, 'बिहार और पूरे देश की जनता देख रही है कि केंद्र में पीएम मोदी और राज्य में सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में किस तरह सकारात्मक दिशा में बदलाव आया है।' भाजपा नेता ने कहा कि इसलिए हमें विश्वास है कि भाजपा-एनडीए के पक्ष में मजबूत और प्रभावी जनादेश मिलेगा। चुनाव आयोग के अनुसार पहले चरण में 121 सीटों पर और दूसरे चरण में 122 सीटों पर मतदान होगा। पटना सहित केंद्रीय और उत्तरी बिहार के जिले पहले चरण में मतदान करेंगे, जबकि सीमांचल और नेपाल सीमा से लगे जिले दूसरे चरण में मतदान करेंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इस बार बिहार में 7.43 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें 14 लाख पहली बार वोट डालेंगे। चुनाव प्रक्रिया 16 नवंबर तक पूरी कर ली जाएगी। राजनीतिक समीकरणों की बात करें तो, एनडीए की अगुवाई मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर रहे हैं, जबकि विपक्षी महागठबंधन का नेतृत्व तेजस्वी यादव कर रहे हैं।

UP चीफ़ की कुर्सी से पहलेः BJP क्या करेगी बड़ा बदलाव — किस नाम की हो रही है चर्चा?

लखनऊ  भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर स्थिति साफ नहीं हो सकी है। वहीं, उत्तर प्रदेश के पार्टी प्रमुख को लेकर भी अटकलों का दौर जारी है। कहा जा रहा है कि भाजपा यूपी से पहले अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का ऐलान कर सकती है। फिलहाल, इसपर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। अटकलें ये भी हैं कि भाजपा बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नया कप्तान नियुक्त कर सकती है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि राष्ट्रीय और यूपी अध्यक्ष के लिए विचार विमर्श का दौर पूरा हो गया है। आने वाले दिनों में भाजपा दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक और त्रिपुरा के अध्यक्षों का ऐलान कर सकती है। वहीं, राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद यूपी भाजपा को नया कप्तान मिल सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी नेतृत्व को फैसला लेना है कि वह ओबीसी चेहरे के साथ जाएगी या ब्राह्मण नेता का चुनाव करेगी। बिहार विधानसभा चुनाव के बाद यूपी अध्यक्ष की घोषणा की जा सकती है। दोनों ही नियुक्तियों के लिए भाजपा पहले RSS यानी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को विश्वास में लेगी। राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के संबंध में 80 से ज्यादा भाजपा नेताओं से सुझाव मांगे गए हैं। इनमें कुछ सक्रिय और कुछ दिग्गज नेता शामिल हैं। फिलहाल, जगत प्रकाश नड्डा भाजपा की कमान संभाल रहे हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी के अंदर जारी चर्चाओं में दो नेताओं का नाम सामने आ रहा है, जो बड़े स्तर पर भाजपा में चुनाव की जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं। साथ ही एक पूर्व मुख्यमंत्री के नाम की भी चर्चा है। सूत्रों ने बताया कि दक्षिण भारतीय राज्य से आने वाले एक केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि वह खुद को पद के लिए सक्षम नहीं मानते हैं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि भाजपा अध्यक्ष 60 साल के आसपास का होना चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक, संघ के एक पदाधिकारी ने कहा कि सरकार और संगठन दो अलग चीजें हैं। सरकार में संघ दखल नहीं देगा, लेकिन संगठन संघ परिवार का हिस्सा है और एक योग्य संगठक की जरूरत है।

घाटशिला उपचुनाव पर भाजपा की नज़र , मरांडी का बयान- यह सिर्फ चुनाव नहीं, यह राज्य की दिशा तय करेगा

रांची झारखंड के घाटशिला में होने वाले आगामी उपचुनाव को लेकर बीते रविवार को नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल मरांडी घाटशिला पहुंचे, जहां उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ चुनावी रणनीति पर गहन मंथन किया। इस दौरान भाजपा के नवनियुक्त कार्यकारी अध्यक्ष आदित्य साहू भी मौजूद रहे। बैठक में विधानसभा स्तर के सभी वरिष्ठ कार्यकर्ता शामिल हुए और संगठन मजबूत करने की रूपरेखा तय की गई। बैठक को संबोधित करते हुए मरांडी ने कहा कि घाटशिला उपचुनाव झारखंड की जनता के लिए बेहद अहम है। यह चुनाव सिर्फ एक सीट की नहीं, बल्कि पूरे राज्य को अपराध, भ्रष्टाचार और लूट-खसोट से मुक्त करने की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि भाजपा झारखंड को एक सुरक्षित और पारदर्शी शासन देने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए हर स्तर पर आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि अब समय आ गया है जब जनता को इन अव्यवस्थाओं के खिलाफ एकजुट होना होगा। मरांडी ने बताया कि भाजपा ने पंचायत स्तर से लेकर बूथ स्तर तक तैयारी शुरू कर दी है। घाटशिला के सभी सात मंडलों में पार्टी सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे, ताकि हर कार्यकर्ता संगठन की मजबूती में अपनी भूमिका निभा सके। मरांडी ने कहा कि प्रत्येक कार्यकर्ता को बूथ स्तर पर जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जिससे चुनावी मशीनरी मजबूत बनेगी और घर-घर भाजपा का संदेश पहुंचेगा। उम्मीदवार चयन के सवाल पर मरांडी ने स्पष्ट किया कि भाजपा व्यक्ति आधारित नहीं, बल्कि विचार और संगठन आधारित पार्टी है। उन्होंने कहा कि उम्मीदवार का चयन पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति करेगी और एक बार उम्मीदवार घोषित होने के बाद सभी कार्यकर्ता उसकी जीत सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होकर काम करेंगे। मरांडी ने दावा किया कि भाजपा की लड़ाई सत्ता की लालसा के लिए नहीं, बल्कि भ्रष्टाचारमुक्त, समृद्ध और सुरक्षित झारखंड की दिशा में नई शुरुआत के लिए है।  

सांसद मुर्मू पर पथराव से हमला, भाजपा प्रतिनिधिमंडल पर पश्चिम बंगाल में बरसी हिंसा

जलपाईगुड़ी पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में भारतीय जनता पार्टी सांसद खागेन मुर्मू पथराव में घायल हो गए हैं। खास बात है कि भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति के बाद भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल पश्चिम बंगाल पहुंचा था। पार्टी ने राज्य में सत्तारूढ़ TMC यानी तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाए हैं और कहा है कि राहत कार्य करने पर भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमला किया जा रहा है। बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने लिखा, 'बंगाल में टीएमसी का जंगल राज। भाजपा सांसद खगेन मुर्मू एक सम्मानित आदिवासी नेता हैं और वह उत्तर मालदा से दो बार सांसद रहे हैं। जब वह भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन के बाद जलपाईगुड़ी के दुआर क्षेत्र में मौजूद नगरकाटा जा रहे थे, तो टीएमसी के गुंडों ने उनपर हमला कर दिया।' उन्होंने लिखा, 'ममता बनर्जी कोलकाता कार्निवल में डांस कर रही हैं, तो वहीं टीएमसी और राज्य प्रशासन गायब है। असल में लोगों की मदद कर रहे भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं पर राहत कार्य करने के लिए हमले किए जा रहे हैं। यह टीएमसी का बंगाल है, जहां क्रूरता का राज है और दया को सजा मिलती है।' उत्तर बंगाल के जलपाईगुड़ी में बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री बांटने गए बीजेपी सांसद खगेन मुर्मू और विधायक डॉ. शंकर घोष पर हमले की खबर है. बीजेपी नेताओं ने इस हमले के पीछे तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के गुंडों का हाथ होने का आरोप लगाया है. बीजेपी विधायक डॉ. शंकर घोष ने आरोप लगाया कि नागराकाटा में राहत सामग्री बांटने के दौरान भीड़ ने पत्थरबाजी कर दी, जिसमें मालदा उत्तर के सांसद खगेन मुर्मू के सिर पर चोट लगी और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. बीजेपी नेता ने यह भी आरोप लगाया कि हमले के दौरान पुलिस मौजूद थी, लेकिन उसने कोई कार्रवाई नहीं की. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने फोन कर मुर्मू का हालचाल जाना है. सुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को घेरा इस घटना के बाद बीजेपी नेताओं ने केंद्र सरकार और राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की है. बीजेपी नेता और पश्चिम बंगाल विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने इस मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘ममता बनर्जी घबराई हुई हैं. जब उत्तर बंगाल बाढ़ और भूस्खलन की त्रासदी झेल रहा था, तब वह कोलकाता कार्निवाल में सेलिब्रिटीज के साथ नाच रही थीं. जनता ने उनके इस अमानवीय व्यवहार को नापसंद किया है. अब उन्होंने ‘स्पेशल कम्युनिटी’ के गुंडों को बीजेपी सांसदों और विधायकों पर हमला करने के लिए उकसाया है ताकि वे राहत कार्य न कर सकें. सांसद खगेन मुर्मू पर नागराकाटा में बर्बरतापूर्वक हमला किया गया.’ वहीं प्रदीप भंडारी ने इसे ‘टीएमसी का आतंक’ करार देते हुए कहा कि ‘ममता बनर्जी जहां कोलकाता कार्निवाल में व्यस्त थीं, वहीं बीजेपी नेता और कार्यकर्ता राहत पहुंचाने निकले और उन पर हमला कर दिया गया.’ इस हमले के बावजूद बीजपी नेताओं ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत अभियान जारी रखने का संकल्प लिया है. उत्तर बंगाल में मूसलाधार बारिश ने भारी तबाही मचाई है. यहां अचानक बाढ़ और भूस्खलन से जानमाल का खासा नुकसान हुआ है. उत्तर बंगाल में वर्षा जनित आपदा में 22 लोगों की जान जा चुकी है.

कांग्रेस पर मंत्री नेताम का हमला: विजय रथ को रोकने में किसी में दम नहीं

रायपुर कांग्रेस में जिला अध्यक्षों की दावेदारी को लेकर मंत्री रामविचार नेताम ने तंज कसा है. उन्होंने कहा कि सब घोड़े एक जगह जमा हो गए हैं. सभी घोड़े की स्थिति खराब है. कांग्रेस का कोई भी घोड़ा टिकने वाला नहीं है. भाजपा का रथ बहुत तेजी के आगे बढ़ रहा. जिसे रोकने का किसी में ना ही दुस्साहस है और ना ही क्षमता. धान खरीदी को लेकर मंत्री नेताम का बड़ा बयान छत्तीसगढ़ में जल्द ही धान खरीदी की शुरुआत होने वाली है. कृषि मंत्री राम विचार नेताम ने इसे लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में नवंबर से धान खरीदी की शुरुआत होगी. सरकार किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीदी करेगी. उन्होंने कहा कि फिलहाल प्रदेश में लगातार बारिश हो रही है. इसके बाद धान खरीदी की शुरुआत करेंगे. बीजेपी प्रदेश कार्यालय में सहयोग केंद्र की शुरूआत मंत्री रामविचार नेताम ने आज फिर से ठाकरे परिसर में सहयोग केंद्र की शुरूआत को लेकर कहा कि पहले की सरकार में भी सहयोग केंद्र खोले गए थे. यहां बारी-बारी से मंत्रियों की ड्यूटी लगती है. कार्यकर्ता अपनी समस्याओं को रखते हैं. सहयोग के माध्यम से निराकरण किया जाता है.