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बिहार में विपक्षी एकता पर सवाल: RJD-कांग्रेस के बीच हर मोर्चे पर मतभेद

पटना  बिहार के महागठबंधन में आपसी तकरार के बाद अब साझा चुनाव प्रचार अभियान पर संकट छा गया है. कई सीटों पर 'फ्रेंडली फाइट' होने के बाद आरजेडी और कांग्रेस के बीच दूरी बढ़ती नजर आ रही है. इसके चलते साझा घोषणा पत्र पर भी बातचीत आगे नहीं बढ़ पा रही है.  महागठबंधन की मेनिफेस्टो ड्राफ्ट कमेटी अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. आरजेडी और कांग्रेस दोनों के अपने-अपने चुनावी वादे हैं.सूत्रों के मुताबिक, आरजेडी के साथ गतिरोध खत्म करने के लिए कांग्रेस के बड़े नेताओं को लगाया जा सकता है. इसी क्रम में अशोक गहलोत का आज पटना दौरा होगा और तेजस्वी यादव से उनकी मुलाकात मुमकिन है. आरजेडी से रिश्ते में खटास आने के बाद बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्ण अल्लावारु को कांग्रेस ने पीछे हटाया है. क्या है आरजेडी कांग्रेस की उम्मीद? जानकारी के मुताबिक गुरुवार को नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि है और गठबंधन के नेताओं को उम्मीद है कि वे कई सीटों पर फ्रेंडली फाइट से बचने के लिए उम्मीदवारों को नामांकन वापस लेने के लिए राजी कर लेंगे। मंगलवार तक महागठबंधन 12 सीटों पर ‘दोस्ताना मुकाबला’ की ओर बढ़ रहा है। इनमें से तीन सीटें बछवाड़ा, राजापाकर और बिहार शरीफ हैं। यहां 6 नवंबर को पहले चरण में मतदान होगा, वहां नामांकन वापसी की तारीख भी निकल चुकी है। दोनों के बीच रिश्ते पटरी पर लौटने के मिल रहे संकेत सूत्रों ने बताया कि बची हुई सीटों में से वैशाली जिले के लालगंज से कांग्रेस ने पहले ही अपना उम्मीदवार वापस ले लिया है, जबकि उसके और राजद के बीच यह सहमति बन गई है कि प्राणपुर (कटिहार) और एक अन्य सीट से केवल एक ही उम्मीदवार मैदान में रहेगा। राजद ने सोमवार को 143 उम्मीदवारों की अपनी आधिकारिक सूची जारी की, जबकि कांग्रेस ने 61 उम्मीदवारों की घोषणा की है। बिहार में कुल 243 सीटें हैं। महागठबंधन के अन्य सहयोगियों में विकासशील इंसान पार्टी, वामपंथी दल और भारतीय समावेशी पार्टी शामिल हैं। एक महीने पहले महागठबंधन आगे बढ़ता हुआ दिख रहा था, जब राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने संयुक्त मतदाता अधिकार रैली निकाली थी, और ऐसा प्रतीत हुआ था कि उन्होंने चुनाव आयोग के विवादास्पद विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम में एक विश्वसनीय मुद्दे पर ध्यान केंद्रित कर लिया है। हालांकि, उसके बाद से लगाता तनाव बढ़ता जा रहा है। तेजस्वी यादव की सीएम उम्मीदवारी पर संशय राजद ने स्पष्ट कर दिया है कि वह तेजस्वी को महागठबंधन का आधिकारिक मुख्यमंत्री चेहरा बनाकर चुनाव लड़ना चाहती है। तेजस्वी ने मतदाता अधिकार रैली के दौरान भी इस बारे में खुलकर बात की थी लेकिन यह बात हैरान करने वाली थी कि राहुल गांधी ने इसका पूरी तरह समर्थन नहीं किया। बिहार में वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि पार्टी इस पर प्रतिबद्ध नहीं होना चाहती थी क्योंकि इससे बिहार में गैर-यादव वोटों का एकीकरण हो सकता था। हालाँकि, नेताओं के एक वर्ग ने इस रुख को अतार्किक बताया। बिहार के एक वरिष्ठ कांग्रेस सांसद ने कहा कि महागठबंधन में सबसे ज़्यादा सीटों पर कौन चुनाव लड़ रहा है? राजद। अगर हम जीतते हैं, तो राजद के विधायक ही तय करेंगे कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा। फिर समस्या कहाँ है? सांसद ने कहा कि यह तर्क कि चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित न करना कांग्रेस का सिद्धांत है। कांग्रेस नेता ने कहा कि क्या पार्टी उत्तर प्रदेश में भी ऐसा ही करेगी? नहीं, ऐसा नहीं होगा। क्योंकि अखिलेश यादव ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे। उन्होंने आगे कहा कि यह राजद के साथ तनाव का एक कारण था जिसे आसानी से टाला जा सकता था। बिहार में जतीय सर्वे पर सवाल आरजेडी नेता तेजस्वी यादव अक्सर 2022 में बिहार में शुरू हुए जातिगत सर्वेक्षण का ज़िक्र करते हैं, उस वक्त आरजेडी, जेडीयू के नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार का हिस्सा थी और वह उप-मुख्यमंत्री थे। विपक्ष द्वारा जातिगत जनगणना की मांग के बीच, बिहार ऐसी गणना करने वाले पहले राज्यों में से एक था। दूसरी ओर राहुल गांधी समेत कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इस सर्वेक्षण को स्वीकार करने को लेकर उत्साहित नहीं है। जाति जनगणना को बीजेपी के खिलाफ अपने अभियान का आधार बनाकर राहुल गांधी अक्सर कहते रहे हैं कि महागठबंधन सरकार ऐसी जनगणना कराएगी और यह बिहार के जातीय सर्वेक्षण जैसा नहीं होगा, जो लोगों को बेवकूफ बनाने का एक तरीका था। दोनों दलों में अहंकार का टकराव सीट बंटवारे की बातचीत में शामिल नेताओं ने भी संबंधित पार्टी नेतृत्व के अहंकार को ज़िम्मेदार ठहराया। एक नेता ने बछवाड़ा सीट को इसका एक प्रमुख उदाहरण बताया। कांग्रेस बछवाड़ा सीट इसलिए चाहती थी क्योंकि 2020 में युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और छह बार के विधायक रामदेव राय के बेटे शिव प्रकाश गरीब दास ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर 39,878 वोटों से जीत हासिल की थी। सहयोगी दल सीपीआई ने अपने उम्मीदवार अवधेश कुमार राय के लिए सीट मांगी, जो 2020 में सिर्फ 484 वोटों से हार गए थे। बिहार चुनाव के लिए कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी का हिस्सा रहे एक नेता ने कहा कि कांग्रेस ने इसे अपने अहंकार का मामला बना लिया। इसलिए अब बछवाड़ा, जहां पहले चरण में मतदान होना है, वहां सीपीआई और कांग्रेस दोनों के उम्मीदवार होंगे, जिससे एनडीए को बढ़त मिलेगी। अन्य सूत्रों ने बताया कि अहंकार के कारण छोटी-मोटी घटनाएं भी हुईं। एक बार तो अल्लावरु ने तेजस्वी को एक घंटे से ज़्यादा इंतज़ार करवाया। बदले में तेजस्वी ने अल्लावरु को मुलाक़ात के लिए दो घंटे से ज़्यादा इंतज़ार करवाया। बिहार के एक नेता ने कहा कि यह इतनी छोटी-मोटी बात हो गई। साझा घोषणा पत्र पर सहमति अटकी आरजेडी और कांग्रेस के चुनावी वादे और घोषणाएं कई मायनों में एक जैसी हैं, लेकिन उनके साझा प्रारूप पर सहमति बननी बाकी है. महागठबंधन की मेनिफेस्टो ड्राफ्ट कमेटी इस पर कोई ठोस नतीजा नहीं निकाल पाई है. इसी आंतरिक संघर्ष के कारण साझा चुनाव प्रचार शुरू होने पर सवाल खड़ा हो गया है. सम्राट चौधरी ने कसा तंज… बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने इस संकट पर तंज कसते हुए कहा कि लालू प्रसाद यादव ही एकमात्र नेता हैं और अन्य पार्टियां महत्वहीन हैं. उन्होंने कहा, "कोई SIR के दौरान … Read more

भाजपा बनाम कांग्रेस: सांप-गोली वाले बयान पर सुशील आनंद का जवाब

रायपुर सौहार्द के पर्व दिवाली पर भी राजनीतिक पार्टियां बयानबाजी से नहीं चूक रही है. भाजपा और कांग्रेस के बीच अब पटाखे वाली सियासत शुरु हो गई है. भाजपा विधायक पुरंदर मिश्रा ने रविवार को कांग्रेस और पीसीस अध्यक्ष पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि दीपक बैज में परिपक्वता नहीं है. दिवाली का त्योहार है, मां लक्ष्मी और भगवान धनवंतरी की पूजा करें. कांग्रेस संगठन का काम सांप पटाखा जैसा है. वह किसी की तुलना पटाखे से नहीं करें, अगर बम फट गया तो आंख चौंधिया जाएगा. इस बयान पर कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने पलटवार किया है. कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने पलटवार करते हुए कहा कि पुरंदर मिश्रा को बीजेपी के बमों का अध्ययन करना चाहिए. वो स्वयं फुस्सी बम है. बीजेपी में बहुत सारे पटाखा बम है. स्वास्थ्य मंत्री पटाखा बम है. सारे अस्पतालों की स्थिति दयनीय है. इसी तरह तेज आवाज करने वाले बड़बोला बम है गृहमंत्री, जो कानून व्यवस्था नहीं संभाल पाते हैं. वहीं मंत्री ओपी चौधरी लक्ष्मी बम है, जहां भी हाथ मारेंगे, वहां से लक्ष्मी आएगी. बिहार चुनाव में 8वीं फेल नेता लड़ रहे चुनाव : विधायक मिश्रा विधायक पुरंदर मिश्रा ने बिहार चुनाव में कांग्रेस नेताओं को मिली जिम्मेदारी पर कहा कि बिहार का चुनाव महत्वपूर्ण चुनाव है. वहां नीतीश कुमार जैसे अनुभवी नेता है. बिहार में 8वीं फेल नेता चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन नितीश कुमार जैसे नेता इस चुनाव को दिलचस्प बनाएंगे. कांग्रेस के नेता वहां जा कर क्या करेंगे. उनको हारने के लिए अभी से बढ़ाई देता हूं. नक्सलियों के आत्मसमर्पण पर बड़ा बयान नक्सलियों के आत्मसमर्पण को लेकर विधायक पुरंदर मिश्रा ने कहा कि देश और प्रदेश के विकास के लिए उनका मुख्यधारा से जुड़ना सराहनीय है. उन्होंने मुख्यमंत्री और गृह मंत्री को बधाई देते हुए कहा कि यह गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प का परिणाम है. उन्होंने विश्वास जताया कि तय समय सीमा में नक्सलवाद का समाप्त हो जाएगा. बचे हुए नक्सली भी जल्द ही मुख्यधारा से जुड़ना चाहेंगे.

संगीता कुमारी और सिद्धार्थ सौरभ ने थामा BJP का दामन, RJD-कांग्रेस में मचा हड़कंप

पटना बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल की उपस्थिति में सोमवार को प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक मिलन समारोह में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की निवर्तमान विधायक संगीता कुमारी और कांग्रेस के निवर्तमान विधायक सिद्धार्थ सौरभ तथा पूर्व सांसद सुनील कुमार पिंटू ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। इसके अलावा इस मिलन समारोह में मुख्य आयकर आयुक्त रहे सुजीत कुमार भी भाजपा में शामिल हुए। इन सभी को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. जायसवाल ने सदस्यता ग्रहण करवाई और उनका पार्टी में स्वागत किया। गौरतलब हो कि भाजपा में शामिल हुई संगीता कुमारी कैमूर जिले में मोहनिया और सिद्धार्थ सौरभ पटना जिले में बिक्रम क्षेत्र के निवर्तमान विधायक हैं। भाजपा अध्यक्ष ने इस अवसर पर कहा कि पूरे बिहार में जो माहौल है, उससे साफ है कि बिहार में फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनेगी। उन्होंने कहा कि राजग में शामिल सभी पांच दल चट्टानी एकता के साथ चुनावी मैदान में जा रहे हैं, जबकि महागठबंधन में भगदड़ मची है। उन्होंने कहा कि राजग में सीट शेयरिंग की घोषणा कर दी गई है और जल्द ही उम्मीदवारों की सूची भी जारी कर दी जाएगी। जायसवाल ने कहा कि एनडीए के उम्मीदवारों के नामांकन का पर्चा दाखिल करने के दौरान राजग के बड़े नेता, राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और प्रदेश के नेता प्रत्येक जिले में रहेंगे और नामांकन सभा आयोजित की जाएगी। इस अवसर पर राष्ट्रीय मीडिया सह प्रभारी और विधान पार्षद संजय मयूख एवं प्रदेश कोषाध्यक्ष राकेश तिवारी भी उपस्थित थे।  

पार्टी के भीतर ही बगावत! डॉ. नवजोत कौर का बड़ा बयान — ‘कांग्रेसी नेता हैं अकाली दल की टीम में’

अमृतसर/चंडीगढ़ क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू के पंजाब की राजनीति में फिर से सक्रिय होने के साथ ही उनकी पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने एक बार फिर कांग्रेस पार्टी में भूचाल खड़ा कर दिया है। डॉ. नवजोत कौर ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि उन्हें टिकट मिले या न मिले, वह अमृतसर पूर्व से चुनाव जरूर लड़ेंगी। लेकिन अब उन्होंने अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर खुलकर निशाना साधकर कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई को चरम पर पहुंचा दिया है। अपने ही नेताओं पर बड़ा हमला: 'अकाली दल, मजीठिया टीम' ताजा विवाद तब शुरू हुआ जब कांग्रेस ने अमृतसर पूर्व विधानसभा क्षेत्र की कमान पूर्व सांसद जसबीर डिम्पा को सौंप दी। हाल ही में डिम्पा कांग्रेस महिला मोर्चा की ज़िला अध्यक्ष शिवानी शर्मा के घर एक बैठक के लिए पहुंचीं। इस बैठक का वीडियो जब सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया, तो डॉ. नवजोत कौर ने इस पर टिप्पणी करते हुए लिखा: "अकाली दल, मजीठिया टीम"! उनकी इस तीखी टिप्पणी ने राजनीति में हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि महिला मोर्चा अध्यक्ष किस पार्टी से हैं। एकजुटता की कोशिशें नाकाम पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा और अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग जैसे वरिष्ठ पार्टी नेता पार्टी को एकजुट करने की कोशिश कर रहे थे, क्योंकि उन्होंने साफ कह दिया था कि कांग्रेस की जीत पर ही सिद्धू मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन जैसे ही सिद्धू परिवार की वापसी हुई, उन्होंने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर फिर से निशाना साधना शुरू कर दिया। कांग्रेस में एक और भूचाल! डॉ. नवजोत कौर ने अपनी ही नेता को बताया 'अकाली दल, मजीठिया टीम' अमृतसर/चंडीगढ़: क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू के पंजाब की राजनीति में फिर से सक्रिय होने के साथ ही उनकी पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने एक बार फिर कांग्रेस पार्टी में भूचाल ला दिया है। डॉ. नवजोत कौर ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि उन्हें टिकट मिले या न मिले, वह अमृतसर पूर्व से चुनाव ज़रूर लड़ेंगी। लेकिन अब उन्होंने अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर खुलकर निशाना साधकर कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई को चरम पर पहुँचा दिया है।

कर्नाटक से बिहार चुनाव में धन वर्षा? कांग्रेस पर BJP के गंभीर आरोप

पटना  कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की बुलाई कैबिनेट बैठक को लेकर अटकलों का दौर जारी है। कहा जा रहा है कि यह बैठक राज्य कैबिनेट में होने वाले संभावित बदलाव से जुड़ी हो सकती है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को होने वाली इस मीटिंग के तार बिहार विधानसभा चुनाव से जोड़े हैं। भाजपा का कहना है कि कर्नाटक कांग्रेस ने बिहार चुनाव में खर्च की जिम्मेदारी उठाई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आर अशोक ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस ने कर्नाटक को बिहार चुनाव के लिए एटीएम बना दिया है। उन्होंने कहा, 'मुझे जानकारी मिली है कि उन्होंने बिहार चुनाव के दौरान कांग्रेस के पूरे खर्च की जिम्मेदारी उठाई है। यहां तक कि मुख्यमंत्री ने इस पर चर्चा करने के लिए डिनर मीटिंग बुलाई है।' उन्होंने कहा है कि कांग्रेस विधायक केसी वीरेंद्र ने चुनाव में इस्तेमाल के लिए कथित तौर पर 40 किलो सोना बिहार भेजा है। खास बात है कि वीरेंद्र को हाल ही में ED यानी प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। अशोक ने संकेत दिए हैं कि कांग्रेस पार्टी में नेतृत्व स्तर पर बदलाव हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि नवंबर में सिद्धारमैया को बदला जा सकता है। उन्होंने कहा, 'मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री की डिनर मीटिंग, शिवकुमार के सीएम बनने को लेकर विधायकों के बयान और जल्दबाजी में जातिगत जनगणना से कांग्रेस में राजनीतिक क्रांति के संकेत मिल रहे हैं।' कांग्रेस क्या बोली इधर, कांग्रेस के जिला प्रभारी मंत्री एन चालूवरयस्वामी ने कहा कि डिनर का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने इसे अफवाह बताया है। उन्होंने कहा है कि बिहार चुनावों के बाद कैबिनेट में फेरबदल हो सकता है, लेकिन नेतृत्व में बदलाव का फैसला पार्टी आलाकमान पर है। उन्होंने कहा, '34 मंत्री हैं। अन्य के लिए कुछ और वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।' कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने शनिवार को राज्य में मंत्रिमंडल फेरबदल की अटकलों को खारिज करते हुए इसे मीडिया में चल रही एक 'अफवाह' बताया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शिवकुमार ने कहा कि पार्टी हाईकमान इस पर फैसला करेगा। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि नवंबर में जब कांग्रेस सरकार अपने पांच साल के कार्यकाल की आधी अवधि पूरी कर लेगी तो राज्य में नेतृत्व परिवर्तन और मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है, जिसे कुछ लोग 'नवंबर क्रांति' के रूप में मान रहे हैं। एक सवाल के जवाब में शिवकुमार ने संवाददाताओं को बताया, 'कोई मंत्रिमंडल फेरबदल नहीं, कुछ नहीं। ये सब मीडिया में चल रही अफवाहें हैं, कुछ लोगों की बातें सुन रहा हूं। बातें मीडिया में हैं। या तो मुझे या मुख्यमंत्री को इस बारे में बोलना होगा। जब हम दोनों ने ही कुछ नहीं कहा, तो इसमें क्या है?' उन्होंने कहा, 'कुछ लोगों को (मंत्री बनने की) जल्दी है। अगर उनके नाम मीडिया में आ गए, तो वे (नेताओं के) घर-घर जाएंगे। इसकी कोई संभावना नहीं है। सब कुछ आलाकमान तय करेगा।' पार्टी सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उनका खेमा फेरबदल पर जोर दे रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जाना, जब सरकार अपने कार्यकाल के ढाई साल पूरे करने वाली है, इस संदेश के रूप में देखा जाएगा कि सत्ता की कमान उनके हाथ में है और आगे भी वही नेतृत्व करते रहेंगे। यह कदम शिवकुमार के लिए एक झटका साबित हो सकता है, जो मुख्यमंत्री पद पर दावा करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। राज्य के राजनीतिक हलकों में, विशेषकर सत्तारूढ़ कांग्रेस में, इस वर्ष के अंत में मुख्यमंत्री परिवर्तन के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं, जिसमें सिद्धरमैया और शिवकुमार के बीच सत्ता-साझाकरण समझौते का दावा किया जा रहा है। पिछले कुछ समय से, मंत्री पद के इच्छुक कांग्रेस विधायकों के एक वर्ग की ओर से भी मंत्रिमंडल में फेरबदल करके उन्हें शामिल करने की मांग उठ रही है। कुछ विधायकों ने तो खुले तौर पर मंत्री बनने की इच्छा भी व्यक्त की है।

बेटों ने पिता के अपमान का बदला लेने उठाया हिंसक कदम, कांग्रेस नेता पर हमला

भीलवाड़ा शहर में शनिवार शाम मेन मार्केट में एक भयंकर घटना ने हड़कंप मचा दिया, जब कुछ बदमाशों ने कांग्रेस नेता और पूर्व सरपंच हरफूल जाट पर तलवार, सरिए और गोली से हमला कर दिया। घटना के कुछ ही घंटों में पुलिस ने भाजपा नेता और पूर्व सरपंच बालूलाल आचार्य, उनके दोनों बेटे गोपाल व अक्षय आचार्य और एक साथी मनीष को गिरफ्तार कर लिया। हमले में हरफूल गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस जांच में यह सामने आया कि हमले की जड़ एक पुरानी रंजिश थी। लगभग तीन महीने पहले हरफूल जाट ने हलेड़ गांव में सार्वजनिक रूप से बालूलाल आचार्य को थप्पड़ मारा था, जिसका वीडियो वायरल हो गया था। अपमान का बदला लेने के लिए बालूलाल के बेटों ने यह हमला प्लान किया। शनिवार शाम करीब 7 बजे हरफूल जाट मेन मार्केट में पहुंचे ही थे कि गोपाल, अक्षय और मनीष हथियारों से लैस होकर वहां पहुंचे। उन्होंने तलवार और सरिए से उन पर हमला कर दिया और फायरिंग भी की। स्थानीय लोगों के बीच-बचाव करने पर हमलावर भाग गए। घटना की सूचना मिलते ही सीओ सिटी मनीष बड़गुर्जर और कोतवाल गजेंद्र सिंह मौके पर पहुंचे, जहां पुलिस ने तलवार और लाठी बरामद की। इसके बाद एसपी धर्मेंद्र सिंह ने विशेष जांच टीम का गठन किया। टीम ने सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल लोकेशन के आधार पर आरोपियों का पीछा किया और देर रात चारों को गिरफ्तार किया। हमलावर पुलिस से बचने की कोशिश में गिर गए और पैर फ्रैक्चर कर लिया, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया। पूछताछ में गोपाल और अक्षय ने कबूल किया कि उनके पिता के साथ हुए थप्पड़ ने उन्हें मानसिक रूप से झकझोर दिया था और उन्होंने बदला लेने का मन बना लिया था। उल्लेखनीय है कि 2 जुलाई को तेज बारिश के बाद बालूलाल आचार्य हलेड़ गांव निरीक्षण के लिए गए थे, तब कांग्रेस नेता हरफूल जाट ने उन्हें थप्पड़ मारा और भीड़ ने भी उन पर हमला किया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। अब तीन महीने बाद इस पुरानी रंजिश ने हिंसक रूप ले लिया, जिसका परिणाम ये वारदात रही। पुलिस ने चारों आरोपियों को न्यायालय में पेश करने की तैयारी शुरू कर दी है। घायल हरफूल जाट की स्थिति फिलहाल स्थिर बताई जा रही है। एसपी धर्मेंद्र सिंह ने कहा- किसी को भी कानून हाथ में लेने की अनुमति नहीं है। हमलावरों को सख्त सजा दिलाई जाएगी। भीलवाड़ा में कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

दिग्गी की रणनीति: पार्टी फंडिंग में साथ दें सभी नेता, बूथ स्तर पर निकालें जनजागरूकता यात्रा

भोपाल  भारत जोड़ों यात्रा की तर्ज पर मध्य प्रदेश में पदयात्रा होगी. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जिला प्रभारियों की बैठक में प्रस्ताव दिया. मध्य प्रदेश में पदयात्रा निकालने का प्रस्ताव दिया. इस प्रस्ताव के बाद बैठक में दिग्विजय पदयात्रा को लेकर प्लानिंग करेंगे. जनता से जुड़े मुद्दे पदयात्रा में उठाए जाएंगे. भारत जोड़ो यात्रा का ब्लूप्रिंट भी दिग्विजय सिंह ने तैयार किया था. कांग्रेस को उम्मीद पदयात्रा के जरिए एमपी कांग्रेस मजबूत होगी. मध्य प्रदेश कांग्रेस की नई रणनीति: बूथों के बीच यात्रा और हस्ताक्षर अभियान हाल ही में मध्य प्रदेश कांग्रेस की एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह, जीतू पटवारी और सह प्रभारी संजय दत्त मौजूद थे। इस बैठक में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर मध्य प्रदेश में बूथों के बीच यात्रा निकालने का प्रस्ताव रखा गया। यह यात्रा कांग्रेस पार्टी के स्थापना दिवस, जो कि 28 दिसंबर को है, से शुरू होकर महात्मा गांधी की पुण्यतिथि तक चलेगी। यह कदम पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति मानी जा रही है। बैठक में दिग्विजय सिंह ने कहा कि पिछले कुछ समय से पार्टी ने बूथ स्तर पर संगठनात्मक काम नहीं किया है। उन्होंने यह भी बताया कि अब बिहार की तरह मध्य प्रदेश में एसआईआर (सर्वे इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट) कराने की योजना बनाई जा रही है। उनके अनुसार, पार्टी को यह सुनिश्चित करना होगा कि कांग्रेस का समर्थक मतदाता वोटर लिस्ट से न हटाया जाए और कोई भी पात्र मतदाता सूची से बाहर न रहे। इसके लिए वोटर लिस्ट में होने वाली गड़बड़ी पर बारीकी से नजर रखने की आवश्यकता है। बैठक के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने वोट चोर गद्दी छोड़ अभियान के तहत हस्ताक्षर किए। बूथ से बूथ तक यात्रा का प्रस्ताव दिग्विजय सिंह ने सुझाव दिया कि पार्टी को भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर एक बूथ से दूसरे बूथ तक पदयात्रा निकालनी चाहिए। इस यात्रा के दौरान बूथ की बैठकें आयोजित की जाएंगी, जहां बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) के काम की समीक्षा की जाएगी और वोट चोर गद्दी छोड़ अभियान को गति दी जाएगी। यह यात्रा न केवल पार्टी के कार्यकर्ताओं को एकजुट करेगी, बल्कि मतदाताओं के बीच पार्टी की उपस्थिति भी बढ़ाएगी। इसके अलावा, उन्होंने जिला और ब्लॉक अध्यक्षों को यह भी कहा कि उन्हें संगठन का काम करने के लिए किसी नेता की तरफ पैसे के लिए नहीं देखना चाहिए। दिग्विजय सिंह ने यह सुझाव दिया कि सक्षम कार्यकर्ताओं को खुद पार्टी की मदद करनी चाहिए। इसमें ऐसे कार्यकर्ताओं को बीएलए बनाया जाना चाहिए जो बूथ पर मजबूती और सक्रियता से काम कर सकें। हस्ताक्षर अभियान का लक्ष्य बैठक में जीतू पटवारी ने भी अपनी बात रखी और कहा कि हमें पूरे मध्य प्रदेश से 5 करोड़ मतदाताओं के हस्ताक्षर कराने हैं। इसके लिए हर विधानसभा क्षेत्र से 20 हजार मतदाताओं के हस्ताक्षर करने का लक्ष्य रखा गया है। यह अभियान वोट चोर गद्दी छोड़ मुहिम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो पार्टी की रणनीतिक दिशा को मजबूत बनाने में सहायक साबित होगा। कांग्रेस पार्टी का यह नया कदम मध्य प्रदेश में आगामी चुनावों के लिए एक महत्वपूर्ण आधार तैयार कर रहा है। बूथ स्तर पर सक्रियता बढ़ाने और मतदाता जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए यह यात्रा और हस्ताक्षर अभियान, पार्टी की संगठनात्मक मजबूती के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस प्रकार के प्रयासों से कांग्रेस पार्टी अपनी स्थिति को मजबूत बनाने का प्रयास कर रही है, ताकि आगामी चुनावों में सफलता हासिल की जा सके। कुल मिलाकर, यह बैठक और उसके परिणाम कांग्रेस पार्टी के लिए एक नई दिशा दिखाने वाले हैं। पार्टी के नेता अब बूथ स्तर पर अधिक सक्रियता और जागरूकता लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो कि आने वाले चुनावों में उनकी सफलता के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। आपको बता दें कि इस रणनीति के तहत कांग्रेस पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने के साथ-साथ मतदाताओं के साथ सीधा संवाद स्थापित करने का प्रयास कर रही है। यह अभियान न केवल कांग्रेस के नेताओं के लिए, बल्कि पार्टी के समर्थकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा।

महिला कांग्रेस में भी संगठन सृजन अभियान शुरू, MP में नवंबर तक पूरी होगी टीम गठन प्रक्रिया

भोपाल  मध्य प्रदेश कांग्रेस की तरह ही मध्य प्रदेश में महिला कांग्रेस में भी संगठन सृजन अभियान के माध्यम से जिला अध्यक्ष की नियुक्ति होगी। नवंबर तक सभी जिला इकाइयों में नए अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी जाएगी। यह निर्णय मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय भवन में आयोजित महिला कांग्रेस की कार्यकारिणी में लिया गया। मध्य प्रदेश अध्यक्ष विभा पटेल के मुताबिक, बैठक में तय किया गया कि अखिल भारतीय महिला कांग्रेस और मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस मिलकर पर्यवेक्षक नियुक्त करेंगे, जो पूरे प्रदेश के जिलों का दौरा करेंगे। ये पर्यवेक्षक जिला स्तर पर महिला कांग्रेस की वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं से संवाद करके उनकी राय के आधार पर जिला अध्यक्ष पद के लिए पैनल तैयार करेंगे। जन आंदोलन शुरू करेगी इसमें से सक्रिय और नेतृत्व क्षमता वाली महिला को जिला महिला कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाएगा। यह प्रक्रिया अक्टूबर अंत तक पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि नवंबर के पहले सप्ताह में नए जिला अध्यक्षों की घोषणा की जाएगी। इसके बाद महिला कांग्रेस राज्यभर में भाजपा सरकार की नीतियों और कार्यप्रणाली के विरोध में राज्यव्यापी जन आंदोलन शुरू करेगी। इसमें महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार, महिला अपराध, महिलाओं का लापता होना, महंगाई, लाड़ली बहनों के साथ तीन रुपये प्रतिमाह देने के नाम पर वादा खिलाफी और स्वास्थ्य, शिक्षा सेवाओं में गिरावट जैसे मुद्दे रहेंगे। नेतृत्व विकास को लेकर होगा प्रशिक्षण- महिला कांग्रेस एक संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करेगी। इसमें नई जिला अध्यक्षों और प्रदेश पदाधिकारियों को संगठन प्रबंधन, नेतृत्व विकास और जनसंपर्क कौशल का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

श्याम बिहारी जायसवाल का पलटवार: सीएम साय और भूपेश बघेल के दौरे गिन लें, तब बात करें कांग्रेस वाले

रायपुर राज्यपाल रमेन डेका के जिलों के दौरे पर सवाल उठाए जाने पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कांग्रेस को चुनौती दे डाली. उन्होंने कहा कि राज्यपाल सर्वेसर्वा होते हैं, अच्छा है वे दौरा कर रहे हैं. रहा सवाल मुख्यमंत्री के दौरे का तो कांग्रेस नेता निकाल कर देख लें कि बीते दो सालों में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कितना दौरा किया. मुख्यमंत्री कहीं ज्यादा दौरे कर रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने मीडिया से विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की. बिरनपुर मामले में सुनवाई को लेकर कांग्रेस के बयान पर कहा कि कांग्रेस को लोकतांत्रिक संस्थाओं पर भरोसा नहीं है. मामला न्यायालय में हैं, इस पर कांग्रेस कैसे टिप्पणी कर सकती है. न्यायालय जो भी तय करेगा वो मान्य होना चाहिए. वहीं ट्रिपल आईटी में छात्राओं की AI से बनाई गई अश्लील फोटो पर मंत्री ने कहा कि यह घटना दुर्भाग्यजनक है. ऐसी हरकतें न केवल शर्मनाक हैं, बल्कि हतोत्साहित करने वाली भी हैं. कॉलेज प्रबंधन ने आरोपी छात्र को निलंबित किया है. छात्र पर कड़ी कार्रवाई की तैयारी है. मैं इस मामले में शिक्षा मंत्री से बात करूंगा. इस तरह की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई जरूरी है. जिसने भी यह दुस्साहस किया, उसे बख्शा नहीं जाएगा. युवा पीढ़ी को सबक देने के लिए कठोर कदम उठाना जरूरी है. धान का एक-एक दाना खरीदने प्रतिबद्ध वहीं कांग्रेस ने 1 नवंबर से धान खरीदी शुरू करने की मांग पर मंत्री जायसवाल ने कहा कि कांग्रेस जब सरकार में थी, जो भी करती थी सब जायज. फसल की स्थिति और मौसम को देखकर ही खरीदी की तारीख तय होगी. अगर 1 नवंबर उपयुक्त हुआ तो उसी दिन से खरीदी, नहीं तो 15 नवंबर से. रिपोर्ट लेकर ही फैसला लिया जाएगा. सरकार अच्छी क्वालिटी का धान खरीदना चाहती है, ताकि भंडारण और रखरखाव बेहतर हो. राज्य सरकार एक-एक दाना खरीदने के लिए प्रतिबद्ध है. सारे चमचे, घोड़े और गधे कांग्रेस में कांग्रेस में जिला अध्यक्ष बनने के लिए जमकर हो रही लॉबिंग पर श्यामबिहारी जायसवाल ने कहा कि कांग्रेस दिशाहीन और व्यक्तिवादी पार्टी है. दो साल हो गया कांग्रेस संगठन चुनाव नहीं करा सकी. अब होटलों में पार्टी चल रही है, लोग लॉबिंग कर रहे हैं. कांग्रेस जब भी चुनाव कराती है, विवाद हो जाता है. सारे चमचे, घोड़े और गधे कांग्रेस में पाए जाते हैं. कांग्रेस के नेता इसकी व्याख्या अच्छे से कर सकते हैं. जहां-जहां भूपेश के पैर पड़े, वहां सूपड़ा साफ वहीं कांग्रेस ने बिहार में विधानसभा चुनाव प्रचार में शामिल नहीं किए जाने पर भाजपा नेताओं को अयोग्य बताए जाने पर मंत्री ने कहा कि जब-जब संतों के पैर पड़ते है, तब वहां उद्धार हो जाता है. जहां-जहां भूपेश बघेल के पांव पड़े, वहां सूपड़ा साफ हो गया. राहुल गांधी ने भी कई जगह पदयात्रा की. जहां-जहां राहुल गांधी गए, वहां से साफ हो गए.

वोटर लिस्ट अपडेट पर कांग्रेस की नजर, नए-पुराने वोटर्स तक पहुंच बनाएगी पार्टी, BJP के पन्ना मॉडल को चुनौती

भोपाल  एमपी के चुनावों में लगातार हार के बाद कांग्रेस अब वोटर लिस्ट सुधार को लेकर तेजी से काम कर रही है। बीजेपी के पन्ना प्रमुखों के मुकाबले कांग्रेस अब हर बूथ पर बीएलए तैनात कर रही है। 2028 के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस ने प्रदेशभर में मतदाता सूची की करेगी जाँच।  ऐसे में कांग्रेस अब ज्यादा नंबर वाले वोटर्स के घर जाएगी, जो भी नए नाम जुड़ेंगे-कटेंगे उन तक भी पहुंचेगी। कांग्रेस अब केवल प्रचार तक सीमित नहीं रहना चाहती बल्कि मतदाता सूची के हर पन्ने और हर नाम पर अपनी निगरानी रखने पर तेजी से काम करेगी। नाम जुड़वाने, कटवाने की ट्रेनिंग देंगे कांग्रेस सभी बीएलए को निर्वाचन आयोग की प्रक्रियाओं जैसे फॉर्म-6 (नाम जोड़ना), फॉर्म-7 (नाम हटाना), फॉर्म-8 (सुधार) और फॉर्म-8A (स्थानांतरण) की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगी। BLO के सीधे संपर्क में होंगे कांग्रेस के BLA कांग्रेस के बूथ लेवल एजेंट (BLA) सीधे बूथ लेवल ऑफिसर (BLO)के संपर्क में रहेंगे। आयोग द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार बीएलओ घर-घर जाकर एनेक्सचर-C भरवाएंगे, जो मतदाता की पात्रता प्रमाणित करने का दस्तावेज होगा। कांग्रेस ने अपने बीएलए को यह जिम्मेदारी दी है कि वे इस सर्वे में शामिल होकर हर वोटर का विवरण सही तरीके से दर्ज करवाएं। हर विधानसभा में बनेगा कांग्रेस कंट्रोल रूम प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने हर जिले और विधानसभा क्षेत्र में ‘मतदाता सूची नियंत्रण कक्ष’ बनाएगी। जो निर्वाचन आयोग की वेबसाइट और ऑफलाइन मतदाता सूची दोनों से डेटा एकत्र करेगा। इस कंट्रोल रूम से वोटर लिस्ट में छूटे नामों की रिपोर्ट तैयार की जाएगी। कंट्रोल रूम पार्टी के हर बीएलए से फीडबैक लेगा। और स्थानीय स्तर पर शिकायतों का समाधान कराने पार्टी स्तर पर सूचित करेगा। कांग्रेस के समर्थक वोटर्स के काटे गए थे नाम कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पिछले चुनावों में बड़ी संख्या में समर्थक मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटे पाए गए थे। इस बार कांग्रेस ने उस गलती को न दोहराने का संकल्प लिया है। SIR को लेकर कांग्रेस की तैयारी     हर मतदान केंद्र पर कम से कम एक प्रशिक्षित बीएलए की नियुक्ति।     मतदाता सूची के संशोधन और दावे-आपत्ति अवधि में सक्रिय भागीदारी।     पात्र युवाओं और पहली बार वोट डालने वालों को पंजीकृत कराने का अभियान।     मृत मतदाताओं या स्थानांतरित व्यक्तियों के नाम हटवाने के लिए साक्ष्य आधारित आपत्तियाँ।     महिला मतदाताओं के लिए विशेष जागरूकता कार्यक्रम। एमपी के 5 करोड लोगों के हस्ताक्षर कराने चलेगा अभियान वोट चोर-गद्दी छोड़ कार्यक्रम के तहत एमपी में 5 करोड़ लोगों के हस्ताक्षर कराने एक अभियान चलाया जाएगा। इस हस्ताक्षर अभियान के लिए पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने एमपी की सभी 230 विधानसभाओं के प्रभारी नियुक्त किए हैं।