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मध्य प्रदेश के 7 सरकारी और 11 निजी आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजों को सत्र 2025-26 के लिए मान्यता, 482 आयुर्वेद कॉलेजों का निर्णय भी लंबित

भोपाल  केंद्रीय आयुष मंत्रालय और नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन, नई दिल्ली ने मध्य प्रदेश के 7 सरकारी और 11 निजी आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजों को सत्र 2025-26 के लिए मान्यता दे दी है। इनमें भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, उज्जैन, इंदौर और बुरहानपुर के सरकारी आयुर्वेद कॉलेज शामिल हैं। हालांकि, प्रदेश के 16 अन्य आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता पर फैसला अभी बाकी है। देशभर में 482 आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता का निर्णय भी लंबित है। भोपाल के पंडित खुशीलाल शर्मा सरकारी आयुर्वेद कॉलेज को 75 यूजी (अंडरग्रेजुएट) और 74 पीजी (पोस्टग्रेजुएट) सीटों की मंजूरी मिली है। इसके अलावा, स्कूल ऑफ आयुर्वेद साइंस, सरदार अजीत सिंह स्मृति आयुर्वेद कॉलेज, रामकृष्ण कॉलेज ऑफ आयुर्वेद और मानसरोवर आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज को 100-100 यूजी बीएएमएस सीटों समेत कुल 18 कॉलेजों को मान्यता दी गई है। मान्यता प्राप्त कॉलेजों और सीटों का विवरण भोपाल के पं. खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेद कॉलेज को 75 यूजी (BAMS) और 74 पीजी सीटें मिली हैं। वहीं, भोपाल के स्कूल ऑफ आयुर्वेद साइंस, सरदार अजीत सिंह स्मृति आयुर्वेद कॉलेज, रामकृष्ण कॉलेज ऑफ आयुर्वेद और मानसरोवर आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज को 100-100 यूजी (BAMS) सीटों पर मान्यता दी गई है। आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पाण्डेय ने बताया कि मध्य प्रदेश और देशभर के आयुर्वेद कॉलेजों में नीट 2025-26 के परिणामों के आधार पर ही दाखिले होंगे। प्रदेश में यूजी की करीब 3000 सीटें हैं, जबकि पूरे देश में 598 आयुर्वेद कॉलेजों में 42,000 से ज्यादा सीटें उपलब्ध हैं। प्रवेश प्रक्रिया और सीटों की संख्या आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पाण्डेय ने बताया कि प्रदेश सहित देशभर के सभी आयुर्वेद कॉलेजों में प्रवेश नीट 2025-26 के परिणामों के आधार पर ही होंगे। मध्यप्रदेश में यूजी की लगभग 3000 सीटों सहित देशभर के 598 आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजों में 42 हजार से अधिक सीटें हैं। देशभर में मान्यता प्राप्त कॉलेजों की स्थिति मध्यप्रदेश के अलावा, देशभर में जिन राज्यों के कॉलेजों को मान्यता मिली है, उनमें असम का 1, छत्तीसगढ़ 3, गुजरात 3, हरियाणा 2, हिमाचल 1, कर्नाटक 13, केरल 1, महाराष्ट्र 33, ओडिशा 4, पांडिचेरी 1, पंजाब 4, तेलंगाना 1, उत्तर प्रदेश 23, उत्तराखंड 7 और पश्चिम बंगाल का 1 कॉलेज शामिल है। आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पाण्डेय ने केंद्रीय आयुष मंत्रालय और NCISM से शेष कॉलेजों की मान्यता पर शीघ्र निर्णय लेने की अपील की है। जिससे नीट आयुष काउंसलिंग समय पर शुरू हो सकें और छात्रों को असुविधा न हो। मान्यता प्राप्त कॉलेजों में असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पॉन्डिचेरी, पंजाब, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल के कॉलेज शामिल हैं। इनमें महाराष्ट्र के 33, उत्तर प्रदेश के 23 और कर्नाटक के 13 कॉलेज प्रमुख हैं। यह कदम आयुर्वेद शिक्षा को बढ़ावा देने और छात्रों के लिए नए अवसर खोलने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। एनसीआईएसएम व आयुष मंत्रालय से आग्रह है कि शेष कॉलेजों की मान्यता पर शीघ्र निर्णय हो ताकि नीट आयुष काउंसलिंग समय से प्रारंभ हो सके। – डॉ राकेश पाण्डेय, राष्ट्रीय प्रवक्ता — आयुष मेडिकल एसोसिएशन

मोदी सरकार जीएसटी स्लैब बदलने पर गंभीर, 12 फीसदी का GST Slab अब 5 फीसदी करने की योजना

नई दिल्ली जीएसटी (GST) को लेकर सरकार की बड़ी प्लानिंग है और इसके तहत मिडिल क्लास व लोअर इनकम ग्रुप वाले लोगों को राहत मिल सकती है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जल्द ही जीएसटी में बड़ी राहत दी जा सकती है और केंद्र सरकार जीएसटी रेट्स में कटौती (GST Rate Cut) की जा सकती है. ऐसा बताया जा रहा है कि मोदी सरकार जीएसटी स्लैब बदलने पर गंभीरता से विचार कर रही है और 12 फीसदी का GST Slab अब 5 फीसदी में आ सकता है.  12% की जगह 5% के स्लैब की तैयारी   सूत्रों के मुताबिक, सरकार की ओर से जीएसटी पर ऐसे सामानों पर राहत मिल सकती है, जो खासतौर पर मिडिल और लोअर इनकम वाले घरों में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं और 12 फीसदी के GST Tax Slab के अंतर्गत आते हैं. सरकार अब विचार कर रही है ऐसे अधिकांश सामानों को या तो 5 फीसदी के टैक्स स्लैब में ट्रांसफर किया जा सकता है या फिर इनपर लगने वाला 12 फीसदी का स्लैब ही समाप्त किया जा सकता है. गौरतलब है कि रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर सामान इसी स्लैब में आते हैं.  कपड़ों से लेकर साबुन तक हो सकते हैं सस्ते जीएसटी काउंसिल की अगली 56वीं बैठक में इसे लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है औ ये GST Counsil Meet इसी महीने हो सकती है. अगर सरकार की ओर से ये निर्णय लिया जाता है, जो अभी तक 12 फीसदी के स्लैब में आने वाले जूते-चप्पल, मिठाई, कपड़े, साबुन, टूथपेस्ट और डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे कई सामान सस्ते हो सकते हैं. इसके अलावा पनीर, खजूर, सूखे मेवे, पास्ता, जैम, पैकेज्ड फ्रूट जूस, नमकीन, छाते, टोपी, साइकिल, लकड़ी से बने फर्नीचर, पेंसिल, जूट या कपास से बने हैंडबैग, शॉपिंग बैग भी इसमें शामिल हैं. GST के भारत में कितने स्लैब साल 2017 में देश में जीएसटी लागू किया गया था और बीते कारोबारी दिन 1 जुलाई को ही इसने आठ साल पूरे किए हैं. देश में जीएसटी दरें GST Counsil द्वारा तय की जाती हैं और इनमें बदलाव के किसी भी फैसले में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि भी शामिल रहते हैं. बात करें भारत में GST Slabs के बारे में, तो अभी चार जीएसटी स्लैब हैं. 5%, 12%, 18% और 28% हैं. अनाज, खाद्य तेल, चीनी, स्नैक्स और मिठाई के अलावा सोना-चांदी और अन्य तमाम सामानों को अलग-अलग कैटेगरी के हिसाब से इन्ही टैक्स स्लैब में रखा गया है. सरकार की ओर से पहले से मिल रहे संकेत जीएसटी (GST) के मोर्चे पर बड़ी राहत के संकेत पहले से ही सरकार की ओर से मिल रहे हैं. बीते मार्च महीने में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने भी कहा था कि जीएसटी टैक्स स्लैब को तर्कसंगत बनाने का प्रोसेस पूरा होने के बाद जीएसटी रेट्स में और भी कमी आएगी. इसके बाद से ही GST Tax Slab Change किए जाने की उम्मीद लगाई जा रही थी और अब सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अगली काउंसिल बैठक में ये बड़ा फैसला लिया जा सकता है.  

देश का सबसे बड़ा बैंक 1 जुलाई को ही शुरू हुआ था, जानिए क्या था मकसद और अब कहां-कहां तक फैल गया

नईदिल्ली  आज 1 जुलाई है और ये दिन देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई का फाउंडेशन-डे (SBI Foundation Day) भी है. जी हां, भारतीय स्टेट बैंक (SBI)का इतिहास 200 साल से ज्यादा पुराना है और इसकी शुरुआत की कहानी बेहद दिलचस्प है. इसकी नींव उस समय पड़ी थी, जब देश में अंग्रेजों का शासन यानी ब्रिटिश रूल था और अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भारत की 10 सबसे मूल्यवान कंपनियों में शामिल होने के साथ ही फॉर्च्यून-500 कंपनियों में एक है. सबसे खास बात ये कि इसकी शुरुआत के समय इसका नाम एसबीआई नहीं बल्कि कुछ और था. आइए जानते हैं इसकी शुरुआत कैसे हुई?  कब पड़ी SBI की नींव?  स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी पर गौर करें, तो SBI की नींव 19वीं शताब्दी के पहले दशक में पड़ी थी, लेकिन किसी और नाम से. तारीख थी 2 जून 1806 और इसी दिन कोलकाता (पहले कलकत्ता) में बैंक ऑफ कलकत्ता (Bank of Calcutta) अस्तित्व में आया था. उस समय देश में ब्रिटिश राज था. इसकी शुरुआत के करीब 3 साल बाद बैंक को अपना चार्टर प्राप्त हुआ और 2 जनवरी 1809 में इसका नाम बदलकर Bank of Bengal कर दिया गया. बदलाव का ये सिलसिला यहीं नहीं थमा और इसका नाम आगे भी बदलता रहा.  ऐसे बना 'इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया' 1809 में 'बैंक ऑफ बंगाल' नाम मिलने के बाद देश में आगे के कुछ सालों में उस समय के हिसाब से बैंकिंग सेक्टर्स में तेजी आने लगी. ये तारीख थी 15 अप्रैल 1840, जब बंबई (अब मुंबई) में बैंक ऑफ बॉम्बे (Bank Of Bombay) की नींव पड़ी थी और इसके बाद तीन साल बाद 1 जुलाई 1843 को बैंक ऑफ मद्रास (Bank Of Madras) अस्तित्व में आया था. इतिहास को खंगालें, तो देश के इन तीनों ही बैंकों को दरअसल, ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) के फाइनेंशियल काम-काज की देखरेख के लिए खोला गया था. लेकिन इनमें प्राइवेट सेक्टर्स के लोगों की रकम भी जमा रहती थी. लंबे समय तक ये बैंक काम करते रहे और फिर 27 जनवरी 1921 में बैंक ऑफ मुंबई और बैंक ऑफ मद्रास का विलय बैंक ऑफ बंगाल में हो गया. इस बड़े मर्जर के बाद भारत में इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया (Imperial Bank of India) का उदय हुआ.  ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं का विस्तार करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की स्थापना 1 जुलाई 1955 को हुई थी. वर्तमान में एसबीआई के पास देश में 22,000 से अधिक शाखाएं और 62,000 से ज्यादा ATM हैं इसकी स्थापना के पीछे मुख्य मकसद ग्रामीण क्षेत्रों की बैंकिंग सेवाओं को दुरुस्त करना था गांवों में निजी बैंकों की पहुंच बहुत कम थी. हर साल 1 जुलाई को SBI अपने स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में अपने कार्यालयों में कार्यक्रम आयोजित करता है, जिसमें कर्मचारी, ग्राहक और समुदाय हिस्सा लेते हैं. यह दिन बैंक की उपलब्धियों, ग्राहक सेवा और सामाजिक योगदान को सेलिब्रेट करने का अवसर होता है SBI की कहानी सिर्फ 1955 से शुरू नहीं होती है, औपनिवेशिक काल से शुरू होती है, जब 1806 में बैंक ऑफ कलकत्ता की स्थापना हुई, जो बाद में बैंक ऑफ बंगाल बन गया. इसके बाद, बैंक ऑफ बॉम्बे (1840) और बैंक ऑफ मद्रास (1843) की स्थापना हुई.  इन तीनों प्रेसीडेंसी बैंकों को 1921 में मिलाकर इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया बनाया गया स्वतंत्रता के बाद, भारत सरकार ने देश के आर्थिक विकास को गति देने के लिए एक मजबूत बैंकिंग प्रणाली की आवश्यकता महसूस की. साल 1955 में 1 जुलाई को इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया गया और इसे भारतीय स्टेट बैंक के रूप में पुनर्गठित किया गया. यह कदम भारत के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं के विस्तार के लिए उठाया गया था. आजादी के बाद ऐसे बना SBI गौरतलब है कि बैंक ऑफ बंगाल, बैंक ऑफ बॉम्बे और बैंक ऑफ मद्रास, इन तीनों ही बैंकों को 1861 में करेंसी छापने और जारी करने का अधिकार मिल गया था और विलय के बाद भी इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया के जरिए ये काम जारी रहा. फिर जब देश को आजादी मिली, तो ब्रिटिशों की गुलामी से निकलने के बाद भी Imperial Bank Of India का काम जारी रहा, बल्कि इसमें विस्तार भी होता नजर आया. साल 1955 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया को पार्लियामेंट्री एक्ट के तहत अधिग्रहित किय और इसके नाम में एक और बड़ा बदलाव देखने को मिला. 30 अप्रैल 1955 को इंपीरियल बैंक का नाम बदलकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank Of India) यानी एसबीआई (SBI) कर दिया गया. आरबीआई द्वारा नया नाम दिए जाने के बाद 1 जुलाई 1955 को आधिकारिक रूप से SBI की स्थापना की गई. इसी दिन एसबीआई में पहला बैंक अकाउंट भी खोला गया था. इसके तहत देश में संचालित इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया के 480 ऑफिस SBI Office में बदल गए. इनमें ब्रांच ऑफिस, सब ब्रांच ऑफिस और तीन लोकल हेडक्वाटर मौजूद थे. इसके बाद से देश में बैंकिंग सेक्टर लगातार ग्रोथ करता चला गया. 1955 में बी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एक्ट को पारित किया गया था और अक्टूबर में एसबीआई के पहले सहयोगी बैंक के रूप में स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद सामने आया. इसके बाद 10 सितंबर 1959 को THE STATE BANK OF INDIA (SUBSIDIARY BANKS) ACT, 1959 लाया गया.  https://indiaedgenews.com/sbis-balance-sheet-is-amazing-the-size-of-the-bank-is-more-than-the-gdp-of-175-countries/ आज Top-10 कंपनियों में SBI शामिल  आजादी से पहले हुई शुरुआत और आजादी के बाद मिले नाम के साथ एसबीआई का दायरा समय के साथ बढ़ता ही चला गया. साल 2017 में एसबीआई में स्‍टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (SBBJ), स्‍टेट बैंक ऑफ मैसूर (SBM), स्‍टेट बैंक ऑफ त्रवाणकोर (SBT), स्‍टेट बैंक ऑफ पटियाला (SBH) और स्‍टेट बैंक ऑफ हैदराबाद (SBH) का विलय कर दिया गया. यह विलय 1 अप्रैल 2017 को हुआ. विलय के बाद SBI एक ग्लोबल बैंक के रूप में उभरा. इसकी ब्रांचों की संख्या 22,500 हो चुकी थी. आज मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया Top-10 वैल्यूएबल कंपनियों में शामिल है और इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन (SBI Market Cap) 7.32 लाख करोड़ रुपये हो गया है.  SBI की स्थापना के पीछे उद्देश्य था देश के कोने-कोने में बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाना. … Read more

केन्द्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान को उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा में भारतीय भाषा के समावेश के लिए हो रहे कार्यों की जानकारी से भी अवगत कराया

भोपाल  केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार ने बुधवार को भोपाल में भेंट कर उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा को लेकर सारगर्भित चर्चा की। उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान को "राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020" के परिप्रेक्ष्य में राज्य शासन के नीतिगत निर्णयों, शिक्षा में किए जा रहे कार्यों एवं नवाचारों से अवगत कराया। परमार ने "राष्ट्रीय शिक्षा नीति" के अनुसरण में प्रदेश के समस्त जिलों में स्थापित किए गए प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस और उनमें भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ की स्थापना एवं प्रगति के सम्बंध में अवगत कराया। परमार ने पाठ्यक्रमों में "भारतीय ज्ञान परम्परा" के द्रुतगति से समावेश के लिए विभिन्न कार्यशालाओं एवं संगोष्ठियों से प्राप्त अनुशंसाओं की जानकारी भी दी। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान को उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा में भारतीय भाषा के समावेश के लिए हो रहे कार्यों की जानकारी से भी अवगत कराया। परमार ने विद्यार्थियों के गुणात्मक एवं संज्ञानात्मक विकास के लिए मजबूत आधार तैयार करने, उद्योगजगत की आवश्यकता अनुरूप रोजगारपरक पाठ्यक्रमों की समावेशिता को बढ़ावा देने और देश की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित एवं संवर्धित करने के लिए किए जा रहे कार्यों एवं प्रगति से भी अवगत कराया। इस अवसर पर स्कूल शिक्षा एवं परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह, सचिव स्कूल शिक्षा डॉ संजय गोयल, आयुक्त तकनीकी शिक्षा अवधेश शर्मा सहित उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं स्कूल शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।  

बागेश्वर धाम में गुरु पूर्णिमा पर्व की तैयारी में जुटा प्रशासन, सुरक्षा और यातायात व्यवस्था पर विशेष ध्यान

छतरपुर  बागेश्वर धाम में 2 से 12 जुलाई तक गुरू पूर्णिमा पर्व पर पंडित धीरेंद्र शास्त्री के जन्मोत्सव कार्यक्रम होने वाला है। इसके अलावा कथा का आयोजन भी हो रहा है। संभावित भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने व्यापक व्यवस्थाएं की हैं। प्रशासन ने की चाक चौबंद व्यवस्थाएं विभिन्न राज्यों से आने वाले विशिष्ट अतिथियों और श्रद्धालुओं के लिए ग्राम गढ़ा बागेश्वर धाम में भीड़ प्रबंधन, कानून व्यवस्था, साफ-सफाई, सुरक्षा और यातायात प्रबंधन के लिए कार्यपालिक मजिस्ट्रेटों और अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। एसडीएम राजनगर को संपूर्ण कानून व्यवस्था और आयोजकों से समन्वय की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जबकि एसडीओपी खजुराहो को कानून, सुरक्षा, यातायात और पार्किंग व्यवस्था का दायित्व दिया गया है। कार्यक्रम स्थल पर सभी आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए गए हैं। विभिन्न राज्यों से आएंगे श्रद्धालु छतरपुर जिला मजिस्ट्रेट ने गुरू पूर्णिमा पर्व, पडित धीरेंद्र शास्त्री के जन्मोत्सव कार्यक्रम और कथा आयोजन में देश के विभिन्न राज्यों से विशिष्ट अतिथियों व श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई है। इसे देखते हुए ग्राम गढ़ा बागेश्वर धाम में भीड़ प्रबंधन और कानून व्यवस्था के मद्देनजर कार्यपालिक मजिस्ट्रेटों को नियुक्त किया गया है। आवश्यक भीड़ नियंत्रण व कानून व्यवस्था के लिए अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। एसडीएम ने दिए आदेश एसडीएम राजनगर को संपूर्ण कानून व्यवस्था और आयोजकों से आवश्यक समन्वय करने व प्रशासनिक व्यवस्था सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। एसडीओपी खजुराहो को कानून, सुरक्षा व्यवस्था सहित यातायात और पार्किंग व्यवस्था का दायित्व सौंपा गया है। कार्यक्रम स्थल पर साफ-सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। दुकानों और होम स्टे से ज्वलनशील पदार्थों को हटाने के लिए कहा गया है। पार्किंग से लेकर मंच के लिए व्यवस्थाएं पार्किंग स्थल की समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। आवारा पशुओं से बचाव की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है। मंच निर्माण एवं पंडाल की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। कार्यक्रम स्थल पर अबाध विद्युत आपूर्ति रखने के लिए कहा गया है। मंच पर विद्युत सुरक्षा सुनिश्चित करने, लूज वायरिंग न हो, मरम्मत दल मौजूद हो, इस बात का ध्यान रखने के लिए कहा गया है। पेयजल के लिए टैंकर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। केटल वाहन, फायर ब्रिगेड एवं चलित शौचालय उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। राउंड द क्लॉक रहेगी डॉक्टर्स की ड्यूटी कार्यक्रम में चिकित्सकों की राउंड द क्लॉक ड्यूटी लगाने के निर्देश दिए गए हैं। दो एंबुलेंस मय चिकित्सकीय दल के मौजूद रहने के लिए कहा गया है। भंडारे में तैयार भोजन की जांच और सैंपलिंग कराने के निर्देश दिए गए हैं। सभी संबंधित अधिकारियों को 2 से 12 जुलाई तक व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए गए हैं। जिला कमांडेंट होमगार्ड को आपदा प्रबंधन संबंधी तैयारी करने के लिए कहा गया है। आरटीओ को स्थल पर आवागमन में वाहनों की चेकिंग और यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए ओवरलोड वाहनों पर कार्रवाई करने के संबंध में निर्देश दिए गए हैं।  

कपड़ा उद्योग को नई गति देने के लिए धार में 2158 एकड़ भूमि पर विकसित हो रहा पीएम मित्र पार्क

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रधानमंत्री मोदी का माना आभार केंद्र सरकार से मिली पीएम मित्र पार्क की सौगात – प्रदेश के विकास और कपड़ा  उद्योग में नए युग का शुभारंभ – मुख्यमंत्री डॉ. यादव पीएम मित्र पार्क के प्रथम चरण में विकास कार्यों की प्रक्रिया प्रारम्भ कपड़ा उद्योग को नई गति देने के लिए धार में 2158 एकड़ भूमि पर विकसित हो रहा पीएम मित्र पार्क भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने धार जिले में निर्माणाधीन प्रधानमंत्री मित्र पार्क के प्रथम चरण में अधोसंरचना विकास की प्रक्रिया आरंभ होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह का हृदय से आभार माना है। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा धार की 2158 एकड़ भूमि पर लगभग 2050 करोड़ की लागत से विकसित हो रहे पीएम मित्र पार्क के लिए हाल ही में 773 करोड़ रुपए लागत के टेंडर जारी किए गए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि यह पहल मध्यप्रदेश में कपड़ा उद्योग (टेक्सटाइल सेक्टर) को नई गति प्रदान करेगी। मध्यप्रदेश लगातार विकसित राज्य बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दी गई पीएम मित्र पार्क की सौगात निश्चित रूप से प्रदेश के विकास और कपड़ा उद्योग में नए युग का शुभारंभ करेगी।  

अब प्राइवेट नंबर की बाइक भी कर सकेंगे बुक, सरकार का बड़ा फैसला, पीक ऑवर में दोगुना किराया… जारी की गाइडलाइन

नई दिल्ली ऐप या एग्रीगेटर्स के जरिये अब आप प्राइवेंट नंबर की बाइक बुक कर सफर पर निकल सकेंगे। दरअसल, केंद्र सरकार ने बीते मंगलवार को पहली बार एग्रीगेटर्स के जरिये पैसेंजर यात्रा के लिए गैर-परिवहन (निजी) मोटरसाइकिलों के इस्तेमाल की अनुमति दे दी, जो राज्य सरकार की मंजूरी के अधीन है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, केंद्र की गाइडलाइंस में कहा गया है कि राज्य सरकार एग्रीगेटर्स के जरिये पैसेंजर द्वारा यात्रा के लिए गैर-परिवहन मोटरसाइकिलों के एकत्रीकरण (एग्रीगेशन) की अनुमति दे सकती है। इसका फायदा यह होगा कि यातायात की भीड़ और वाहन प्रदूषण में कमी आएगी। इसके अलावा, सस्ती यात्री गतिशीलता, हाइपरलोकल डिलीवरी और आजीविका के अवसर पैदा होंगे।  केंद्र सरकार ने बाइक टैक्सी को मंजूरी दे दी है। सरकार ने 1 जुलाई को मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश, 2025 जारी किए, जिनमें निजी (गैर-परिवहन) बाइक को यात्री सेवा के लिए उपयोग करने की अनुमति दी गई है। लेकिन इसके लिए राज्य सरकारों की मंजूरी जरूरी होगी। रैपिडो, उबर और ओला जैसी बाइक टैक्सी प्लेटफॉर्म के लिए यह बहुत बड़ी राहत है। राज्यों को प्रतिदिन, साप्ताहिक या 15 दिनों के हिसाब से शुल्क लगाने का अधिकार दिशानिर्देश में कहा गया है कि इस पहल से न केवल ट्रैफिक जाम और प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि लोगों को सस्ता परिवहन विकल्प भी उपलब्ध होगा। साथ ही, हाइपरलोकल डिलीवरी सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा और नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। राज्य सरकारों को एग्रीगेटर कंपनियों पर प्रतिदिन, साप्ताहिक या 15 दिनों के हिसाब से शुल्क लगाने का अधिकार होगा। बाइक्स को मिली मंजूरी MVAG 2025 राज्य सरकार की मंजूरी के अधीन एग्रीगेटर्स के माध्यम से नॉन-ट्रांसपोर्ट (निजी) मोटरसाइकिलों के उपयोग की अनुमति देकर एक लंबे समय से चली आ रही बहस को भी खत्म करता है. नई गाइडलाइन के अनुसार, "राज्य सरकार एग्रीगेटर्स के माध्यम से नॉन-ट्रांसपोर्ट (निजी) मोटरसाइकिलों को भी शेयर्ड मोबिलिटी के तौर पर अनुमति दे सकती हैं. जिसका उद्देश्य ट्रैफिक और प्रदूषण को कम करते हुए सस्ती मोबिलिटी प्रदान करना है.  इसका मतलब है कि अब मोटरसाइकिलों को भी कैब सर्विस के रूप में इस्तेमाल करने का रास्ता साफ हो गया है. गाइडलाइन के क्लॉज 23 के अनुसार राज्यों को ऐसी मोटरसाइकिलों के उपयोग के लिए एग्रीगेटर्स पर दैनिक, साप्ताहिक या पाक्षिक शुल्क लगाने का अधिकार होगा. रैपिडो और उबर जैसे बाइक टैक्सी ऑपरेटर, जो कई राज्यों में विनियामक ग्रे ज़ोन में काम करते हैं – जिसमें कर्नाटक भी शामिल है, जहाँ हाल ही में प्रतिबंध के कारण विरोध प्रदर्शन हुए थे – ने इस कदम का स्वागत किया है. रैपिडो ने इस क्लॉज को "विकसित भारत की दिशा में मील का पत्थर" कहा, और कहा कि यह परिवर्तन लास्ट-माइल कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने और कम सेवा वाले क्षेत्रों में किफायती परिवहन का विस्तार करने में मदद करेगा.  बता दें कि, मोटर व्हीकल एग्रीग्रेटर गाइडलाइन (MVAG) का ये नया एडिशन पिछले 2020 संस्करण की जगह लेगा. इस नए गाइडलाइन के जरिए आम लोगों के इस्तेमाल में आने वाले रोजाना की मोबिलिटी को असाना बनाने का प्रयास किया गया है.  केंद्र सरकार के फैसले से बाइक टैक्सी सेवाओं को कानूनी स्पष्टता मिली केंद्र के इस फैसले से उन ऐप-आधारित बाइक टैक्सी सेवाओं को कानूनी स्पष्टता मिली है जो अब तक कई राज्यों में कानूनी अनिश्चितता में काम कर रही थीं। हालांकि, इसका असली असर तब देखने को मिलेगा जब राज्य सरकारों की ओर से इसे लागू करने के लिए अधिसूचना जारी की जाएगी। कर्नाटक में 16 जून से बाइक टैक्सी सेवाओं पर रोक लगा दी गई है। उबर और रैपिडो ने किया स्वागत केंद्र सरकार का यह फैसला रैपिडो और उबर जैसे बाइक टैक्सी ऑपरेटरों को राहत देता है, जो लंबे समय से कानूनी ग्रे एरिया में काम कर रहे हैं, खासकर कर्नाटक जैसे राज्यों में, जहां हाल ही में बाइक टैक्सियों पर प्रतिबंध के चलते व्यापक विरोध हुआ था। उबर और रैपिडो सहित अन्य ऐसी कंपनियों ने इस कदम का स्वागत किया है। उबर ने गाइडलाइंस की सराहना करते हुए कहा कि यह इनोवेशन और विनियामक स्पष्टता को बढ़ावा देने की दिशा में एक दूरदर्शी कदम है।  उबर के प्रवक्ता ने कहा कि हम मंत्रालय के परामर्शी और संतुलित दृष्टिकोण की सराहना करते हैं और फ्रेमवर्क के प्रभावी और समावेशी रोलआउट का समर्थन करने के लिए सभी स्तरों पर सरकारों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। रैपिडो ने विशेष रूप से MVAG 2025 के खंड 23 के संचालन का स्वागत किया। यह खंड यात्री यात्राओं के लिए गैर-परिवहन मोटरसाइकिलों के एकत्रीकरण की अनुमति देता है। इसे रैपिडो ने भारत की विकासशील भारत की यात्रा में एक मील का पत्थर बताया। रैपिडो ने एक बयान में कहा कि गैर-परिवहन मोटरसाइकिलों (निजी बाइक) को साझा गतिशीलता के साधन के रूप में मान्यता देकर, सरकार ने लाखों लोगों के लिए अधिक किफायती परिवहन विकल्पों के द्वार खोले हैं, खासकर वंचित और अति-स्थानीय क्षेत्रों में। शेयर्ड मोबिलिटी ईकोसिस्टम में अहम बदलाव आया साल 2020 से, भारत के साझा गतिशीलता पारिस्थितिकी तंत्र (शेयर्ड मोबिलिटी ईकोसिस्टम) में तेजी से और महत्वपूर्ण बदलाव आया है। सरकार ने 2020 में, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 93 के तहत मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश 2020 जारी किए। बाइक-शेयरिंग, इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की शुरुआत और ऑटो-रिक्शा की सवारी सहित विविध और लचीले गतिशीलता समाधानों की मांग में वृद्धि ने उपभोक्ता आधार को व्यापक बनाया है। मोटर वाहन एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2020 को मोटर वाहन एग्रीगेटर ईकोसिस्टम में विकास के साथ नियामक ढांचे को अपडेट रखने के लिए संशोधित किया गया है। नए गाइडलाइंस यूजर्स की सुरक्षा और चालक के कल्याण के मुद्दों पर ध्यान देते हुए एक हल्के-फुल्के नियामक प्रणाली प्रदान करने का प्रयास करते हैं।

‘कोरोना वैक्सीन और अचानक होने वाली मौतों के बीच कोई संबंध नहीं’, स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिया जवाब, सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट

नई दिल्ली कोविड-19 वैक्सीन और अचानक हो रही मौतों को लेकर जो डर और सवाल थे, अब उन पर जवाब मिल गया है. ICMR और AIIMS की नई स्टडी में साफ कहा गया है कि भारत में वैक्सीन और अचानक मौतों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक, इन मौतों की वजह वैक्सीन नहीं, बल्कि पहले से मौजूद बीमारियां, खराब जीवनशैली और शरीर की बनावट (आनुवांशिक कारण) हैं. यानी अगर किसी को दिल की बीमारी, शुगर या हाई ब्लड प्रेशर पहले से है और इलाज सही नहीं हुआ तो मौत का खतरा बढ़ सकता है. इसका वैक्सीन से कोई लेना-देना नहीं है. स्टडी से ये भी साफ हुआ है कि कोविड वैक्सीन सुरक्षित है और लोगों को इसे लेकर डरने की जरूरत नहीं है. स्टडी से क्या चला पता? स्टडी में पता चला है कि वैक्सीन और अचानक मौतों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है. ज्यादातर मामलों में मौत की वजह पहले से मौजूद बीमारियां, आनुवांशिक कारण और अस्वस्थ जीवनशैली रही. साथ ही वैक्सीन से होने वाले गंभीर दुष्प्रभाव बेहद दुर्लभ हैं. विशेष रूप से 18 से 45 वर्ष के युवाओं में अचानक हुई मौतों की जांच के लिए दो अहम रिसर्च स्टडीज की गई हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी स्पष्ट किया है कि युवाओं में हो रहे हार्ट अटैक और कोरोना वैक्सीन के बीच कोई लिंक नहीं है. मंत्रालय का कहना है कि आईसीएमआर की ओर से की गई स्टडीज में कोरोना वैक्सीन और हार्ट अटैक के बीच किसी लिंक का पता नहीं चला है.  यह स्टडी देश के 19 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों में मई से अगस्त 2023 के बीच की गई थी. यह स्टडी ऐसे लोगों पर की गई, जो पूरी तरह से स्वस्थ थे लेकिन अक्टूबर 2021 से मार्च 2023 के बीच उनकी अचानक मौत हो गई. स्टडी से पता चला कि कोरोना वैक्सीन की वजह से युवाओं में हार्ट अटैक का जोखिम नहीं बढ़ा है. युवाओं की अचानक हो रही मौतों का इससे कोई कनेक्शन नहीं है. यह स्टडी ऐसे समय में सामने आई है जब देशभर में युवाओं में हार्ट अटैक से हो रही मौतों के मामले बढ़े है. आईसीएमआर और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल अचानक हो रही इन मौतों के पीछे का कारण समझने की दिशा में काम कर रही है. इस स्टडी में जीवनशैली और पूर्व की स्थितियों को अचानक हो रही मौतों का प्रमुख कारण माना गया है. सिद्धारमैया के बयान के एक दिन बाद स्टडी हुई सार्वजनिक आईसीएमआर और एम्स की इस स्टडी को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के उस बयान के एक दिन बाद सार्वजनिक किया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कोरोना वैक्सीन को जल्दबाजी में दी गई मंजूरी  और उसका डिस्ट्रीब्यूशन राज्य में युवाओं की अचानक हो रही मौतों का कारण हो सकता है. उन्होंने कोरोना वैक्सीन के संभावित साइट इफैक्ट की स्टडी के लिए एक पैनल के गठन करने का भी ऐलान किया था.  कर्नाटक के सीएम के बयान पर सरकार की सफाई दरअसल कर्नाटक के हासन जिले में दिल का दौरा पड़ने से कई युवाओं की मौत हुई है, जिसके बाद कर्नाट के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने एक बयान में दिल का दौरा पड़ने के लिए कोरोना वैक्सीन को जिम्मेदार बताया था, लेकिन केंद्र सरकार ने उनके दावे को खारिज कर दिया है। सिद्धारमैया ने मंगलवार को कहा कि जल्दबाजी में कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दी गई और फिर तेजी से वैक्सीन का वितरण किया गया, ऐसे में हो सकता है कि अचानक हो रही मौतों की वजह कोरोना वैक्सीन भी हो सकती है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि 'अगर किसी को भी सीने में दर्द, या सांस लेने में तकलीफ की समस्या हो तो तुरंत नजदीकी अस्पताल में अपना चेकअप कराएं और लक्षणों को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें।' सरकार ने कहा- अचानक मौत होने के कई कारण स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि अचानक हो रहीं मौतों की देश की विभिन्न एजेंसियों ने जांच की है और जांच में पाया गया है कि इनका कोरोना वैक्सीन से कोई सीधा संबंध नहीं हैं। आईसीएमआर और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने भी अपने अध्ययन में इसकी पुष्टि की है। सरकार ने कहा कि कोरोना वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावकारी है और इसके दुर्लभ ही किसी पर गंभीर परिणाम दिखे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अचानक हो रही मौतों के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें जेनेटिक्स, हमारा रहन-सहन और दिनचर्या, पहले से कोई बीमारी और कोरोना संक्रमित होने के बाद की दिक्कतें शामिल हैं।  आईसीएमआर और एनसीडीसी ने 18 से 45 साल के लोगों के बीच अध्ययन किया। यह अध्ययन मई 2023 से लेकर अगस्त 2023 तक 47 क्षेत्रीय अस्पतालों और 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किया गया। इस अध्ययन में उन लोगों की जांच की गई जो अक्तूबर 2021 से लेकर मार्च 2023 के बीच अचानक मौत का शिकार हुए। अध्ययन में पता चला कि इन अचानक मौतों का कोरोना वैक्सीन से संबंध नहीं है। अब एम्स द्वारा भी ऐसा ही एक अध्ययन किया जा रहा है, जिसकी फंडिंग आईसीएमआर द्वारा की गई है।   अध्ययन में पाया गया है कि जेनेटिक म्यूटेशन के चलते दिल का दौरा पड़ने जैसी घटनाएं बढ़ी हैं। अभी अध्ययन चल रहा है और इसके पूरा होने के बाद ही रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी। सरकार ने चेताया कि जो दावे किए जा रहे हैं, वे आधारहीन हैं और इनसे आम जनता का कोरोना वैक्सीन में विश्वास कमजोर होगा, जबकि कोरोना वैक्सीन की वजह से ही कोरोना महामारी के दौरान लाखों लोगों की जान बची थी। उल्लेखनीय है कि कर्नाटक सीएम ने दावा किया कि बीते महीने में हासन जिले में 20 से ज्यादा लोगों की मौत अचानक हुई है।   

हेमंत खंडेलवाल बने भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष, धर्मेंद्र प्रधान समेत कई नेता रहे मौजूद

भोपाल  बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल मध्य प्रदेश भाजपा के निर्विरोध नए प्रदेश अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। इसकी औपचारिक घोषणा धर्मेन्द्रप्रधान ने की और मंच पर सीएम डॉ. मोहन यादव सहित अन्य नेताओं ने खंडेलवाल को प्रमाण-पत्र देकर उनका स्वागत किया। मंगलवार को केंद्रीय मंत्री और चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान की उपस्थिति में प्रदेश अध्यक्ष के लिए उनका इकलौता नामांकन आया। इस पद के लिए खंडेलवाल का नाम लंबे समय से चर्चा में सबसे आगे था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पसंद के चलते वह अध्यक्ष बने हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव भी खंडेलवाल के पक्ष में थे। खंडेलवाल ने प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का स्थान लिया। प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया के दौरान विष्णु दत्त शर्मा, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीरेंद्र कुमार, सावित्री ठाकुर, उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, राजेंद्र शुक्ल, प्रदेश शासन के मंत्री राकेश सिंह, प्रहलाद सिंह पटेल एवं कैलाश विजयवर्गीय की ओर से पूर्व विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया ने हेमंत खंडेलवाल के नाम का प्रस्ताव रखा। मंगलवार को प्रदेश कार्यालय में हुई भाजपा की वृहद कार्यसमिति की बैठक में निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान खंडेलवाल पहली पंक्ति में केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक और विधायक गोपाल भार्गव के बीच बैठे थे। नामांकन प्रक्रिया के दौरान प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद का इशारा मिलते ही मुख्यमंत्री यादव, खंडेलवाल की पीठ पर हाथ रखकर मंच की ओर बढ़े। फिर हाथ पकड़ केंद्रीय मंत्री व मध्य प्रदेश भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद सदस्यों के चुनाव अधिकारी धर्मेंद्र प्रधान, पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व केंद्रीय चुनाव पर्यवेक्षक सरोज पांडेय और राज्य निर्वाचन अधिकारी विवेक नारायण शेजवलकर के समक्ष प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामांकन-पत्र जमा कराया। नामांकन जमा करने के लिए निर्धारित समय अवधि में आधा घंटा शेष था ऐसे में चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने प्रदेश कार्यालय में मंच से ही कहा कि किसी अन्य को नामांकन पत्र जमा करना हो तो आधा घंटा है, वह जमा कर सकते हैं लेकिन कोई अन्य नामांकन नहीं आया। मथुरा में जन्मे हेमंत, पिता के निधन के बाद राजनीति में आए     उत्तर प्रदेश के मथुरा में तीन सितंबर 1964 को जन्मे हेमंत खंडेलवाल को राजनीति और समाजसेवा के संस्कार पिता स्वर्गीय विजय कुमार खंडेलवाल से विरासत में मिले।     उनके पिता विजय खंडेलवाल भाजपा से बैतूल हरदा संसदीय सीट से सांसद रह चुके हैं। पिता के निधन के बाद खाली हुई इसी सीट से उप चुनाव में हेमंत खंडेलवाल कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव पांसे को हराकर निर्वाचित हुए और राजनीतिक व सामाजिक विरासत संभाली।     2008-09 तक लोकसभा सदस्य रहे। 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हेमंत वागद्रे को हराकर विधायक बने और 2018 तक बैतूल विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।     2018 के विस चुनाव में भाजपा ने उन्हें फिर से प्रत्याशी बनाया, लेकिन इस बार वह कांग्रेस के निलय डागा से चुनाव हार गए। वर्ष 2014 से 2018 तक मध्य प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष रहे।     पांच साल बाद 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर खंडेलवाल पर भरोसा जताया। इस दौरान निलय डागा को हराकर उन्होंने अपनी पारिवारिक सीट पर विजय हासिल की। मालवा-निमाड़ से 8 बार बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष बने मालवा-निमाड़ क्षेत्र से भाजपा ने सबसे ज्यादा 8 बार संगठन को नेतृत्व दिया। भाजपा के पहले प्रदेशाध्यक्ष रहे सुंदरलाल पटवा (सामान्य) मंदसौर के थे। इस पद पर वे दो बार रहे। पहली बार 1980 से 1983 तक और दूसरी बार 1986 से 1990 तक। इसके बाद रतलाम के लक्ष्मीनारायण पाण्डे (सामान्य) 1994 से 1997 तके प्रदेशाध्यक्ष रहे। मालवा क्षेत्र से धार के विक्रम वर्मा (ओबीसी) 2000 से 2002 तक प्रदेशाध्यक्ष रहे। इसी तरह देवास से पूर्व सीएम कैलाश जोशी (सामान्य) ने 2002 से 2005 तक संगठन का नेतृत्व किया। उज्जैन के सत्यनारायण जटिया (एससी) फरवरी 2006 से नवंबर 2006 तक प्रदेशाध्यक्ष रहे। खंडवा सांसद रहे नंदकुमार सिंह चौहान (सामान्य) इस पद पर 2016 से 2018 तक रहे। 2019 में रहे प्रदेश चुनाव अधिकारी, प्रदेश संयोजक रहते लोकसभा चुनाव कराया संपन्न बीकाॅम-एलएलबी की शिक्षा प्राप्त हेमंत खंडेलवाल कृषि क्षेत्र से जुड़े है एवं व्यवसायी है। वर्ष 2019 में संगठन चुनाव के प्रदेश चुनाव अधिकारी रहे। वर्ष 2021 में पश्चिम बंगाल चुनाव में प्रवासी कार्यकर्ता की जिम्मेदारी निभाई। वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 15 जिलों के 61 विधानसभा क्षेत्रों में प्रवासी कार्यकर्ता के प्रभारी का दायित्व निर्वहन किया। वर्ष 2024 में प्रदेश संयोजक रहते लोकसभा चुनाव कराया। खंडेलवाल, कुशाभाऊ ठाकरे जन्म शताब्दी समारोह के सचिव रहे। वर्तमान में कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट के अध्यक्ष है। इनके अलावा राजेंद्र शुक्ला, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, मंत्री प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह ने भी पत्र दिया। कैलाश विजयवर्गीय नहीं पहुंचे। बुधवार को रहेंगे उपस्थित। यशपाल सिसोदिया ने भी नामांकन का प्रस्ताव दिया। धर्मेंद्र प्रधान ने हेमंत खंडेलवाल के अलावा अन्य किसी अन्य के नाम के प्रस्ताव के लिए भी पूछा और इसके लिए 10 मिनट का समय दिया। इसके बाद राष्ट्रीय परिषद के नामांकन पत्र आमंत्रित किए गए। बीजेपी के लिए क्यों खास हैं खंडेलवाल? रिपोर्ट्स के अनुसार, हेमंत खंडेलवाल सत्ता और संगठन के बीच समन्वय बनाने के लिए भी जाने जाते हैं। बताया जाता है कि उनका राजनीतिक सफर उनके पिता विजय कुमार खंडेलवाल की देखरेख में शुरू हुआ। उनके पिता भी हमेशा बीजेपी के साथ जुड़े रहे। वह बीजेपी के एक दिग्गज नेता रहे। साल 2007 में उनका निधन हो गया था।  पिता ने सिखाई राजनीति की ABCD जानकारी के अनुसार, जब हेमंत खंडेलवाल ने अपनी बीकॉम एलएलबी की पढ़ाई पूरी कर ली इसके बाद वह अपने पिता के साथ राजनीति में सक्रिय हो गए थे। हेमंत खंडेलवाल के पिता विजय कुमार खंडेलवाल साल 1996 से साल 2004 तक लगातार चार बार बैतूल से सांसद रहे। बता दें कि साल 2007 में विजय कुमार खंडेलवाल का निधन हो गया। इसके बाद हुए लोकसभा उप चुनाव में पहली बार हेमंत खंडेलवाल ने किस्मत आजमाई और सफलता भी पाई। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के सुखदेव पांसे को भारी अंतर से हराया था। इस जीत के साथ ही हेमंत खंडेलवाल ने पहली बार सांसद बनकर राजनीति प्रवेश किया। बैतूल बीजेपी के जिला अध्यक्ष भी रहे हेमंत खंडेलवाल गौरतलब है कि साल 2008 में हुए परिसीमव के बाद बैतूल लोकसभा सीट अनुसूचित … Read more

उप मुख्यमंत्री शुक्ल ‘सुशिक्षा मध्यप्रदेश’ कार्यक्रम में हुए शामिल

शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार विकास के आधार स्तंभ: उप मुख्यमंत्री शुक्ल मध्यप्रदेश हर क्षेत्र में तेज़ी से बढ़ रहा है आगे: उप मुख्यमंत्री शुक्ल उप मुख्यमंत्री शुक्ल ‘सुशिक्षा मध्यप्रदेश’ कार्यक्रम में हुए शामिल भोपाल उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार किसी भी क्षेत्र के समग्र विकास के सशक्त आधार हैं। उचित शिक्षा से कौशल विकास होता है, और कौशल ही रोजगार और आत्मनिर्भरता का मूल है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत अभूतपूर्व विकास के पथ पर अग्रसर है, और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश हर क्षेत्र में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर समिट, रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव एवं सेक्टोरल इन्वेस्टमेंट कॉनक्लेव से मध्यप्रदेश में देश-विदेश से निवेश आ रहा है। इससे बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन हो रहा है, और एमएसएमई, टेक्सटाइल, फार्मा, लॉजिस्टिक्स, पर्यटन एवं कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने कहा कि आज मध्यप्रदेश देश के अग्रणी विकसित होते राज्यों की पंक्ति में खड़ा है। उप मुख्यमंत्री शुक्ल एक निजी मीडिया समूह के ‘सुशिक्षा मध्यप्रदेश’ कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण, चिकित्सा शिक्षा के विस्तार और मैनपॉवर विकास की योजनाओं की विस्तृत जानकारी साझा की। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाली संस्थाओं को सम्मानित किया। चिकित्सकों को सामाजिक जिम्मेदारी के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा के लिए आना चाहिए आगे उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं सशक्त हो रही हैं। टेलीमेडिसिन सेवाओं के माध्यम से अब प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में भी विशेषज्ञ चिकित्सकों की परामर्श सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इससे ग्रामीण नागरिकों को बेहतर इलाज उनके निकटतम स्वास्थ्य संस्थानों में मिल रहा है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की योजना अनुसार आगामी वर्षों में 5,000 से अधिक एमबीबीएस सीटों और 2,500 से अधिक पीजी सीटों की वृद्धि की जा रही है। इससे प्रदेश में डॉक्टर्स की उपलब्धता में उल्लेखनीय सुधार होगा। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि नवीन शिक्षित चिकित्सकों को सामाजिक जिम्मेदारी के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा के लिए आगे आना चाहिए। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि प्रदेश में हरित, औद्योगिक और पर्यटन क्रांति एक साथ हो रही है, जिससे रोजगारों का सृजन हो रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में सुगठित और समन्वित प्रयासों से हर क्षेत्र में विकास सुनिश्चित किया जा रहा है। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि प्रदेश में शासकीय और निजी दोनों क्षेत्रों में तकनीकी, चिकित्सा एवं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर प्रगति हो रही है। चिकित्सा अधोसंरचना को मज़बूत करने के लिए नवीन उपकरणों की आपूर्ति एवं चिकित्सकीय मैनपॉवर की बड़े स्तर पर भर्ती भी की जा रही है। मीडिया समूह के वरिष्ठ अधिकारी, शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधि, शिक्षाविद उपस्थित रहे।