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TMC ने INDIA ब्लॉक से दूरी बनाई, उपराष्ट्रपति चुनाव में रखी ये मांग

कलकत्ता उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर NDA और विपक्षी INDIA गठबंधन के बीच सियासी हलचल तेज हो गई है. एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि विपक्षी पार्टियों के बीच अब भी आखिरी सहमति नहीं बन पाई है. सूत्रों के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस (TMC) का मानना है कि INDIA गठबंधन का उम्मीदवार तमिलनाडु से नहीं होना चाहिए, और साथ ही ममता बनर्जी की पार्टी ने उम्मीदवार को लेकर अपनी मंशा भी जाहिर की है. टीएमसी चाहती है कि विपक्ष एक नॉन-पॉलिटिकल उम्मीदवार उतारे, जो बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ लड़ाई को मज़बूत कर सके. टीएमसी का कहना है कि यह चुनाव सिर्फ पद की लड़ाई नहीं बल्कि संविधान और "आइडिया ऑफ इंडिया" को बचाने की जंग है. टीएमसी सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास से निकलते समय बताया था कि "कल (मंगलवार) दोपहर 12.30 बजे मल्लिकार्जुन खड़गे के घर पर INDIA गठबंधन की बैठक होगी." उन्होंने भरोसा जताया कि विपक्ष शाम तक एक मजबूत उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर देगा. एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को बनाया है अपना उम्मीदवार दूसरी तरफ, एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक करियर लंबा और प्रभावशाली रहा है. वह 31 जुलाई 2024 से महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं. इससे पहले फरवरी 2023 से जुलाई 2024 तक उन्होंने झारखंड के राज्यपाल के रूप में काम किया. इस दौरान उन्हें राष्ट्रपति की तरफ से तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के लेफ्टिनेंट गवर्नर का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था. राधाकृष्णन तमिलनाडु से आने वाले वरिष्ठ बीजेपी नेता हैं और सार्वजनिक जीवन में उनका अनुभव चार दशकों से भी अधिक का है. वे दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और कोयंबटूर से संसद पहुंचे थे. 2004 से 2007 तक उन्होंने तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी निभाई. उनकी पहचान आरएसएस विचारधारा से जुड़ी हुई है. सितंबर में होंगे उपराष्ट्रपति चुनाव उपराष्ट्रपति चुनाव 9 सितंबर 2025 को होना है. यह चुनाव पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफे के बाद कराया जा रहा है. अब देखना यह होगा कि INDIA गठबंधन किस उम्मीदवार को मैदान में उतारकर एनडीए के मुकाबले में खड़ा करता है.

भाषा बनी हिंसा की वजह? तमिलनाडु में बंगाली युवकों से मारपीट, पश्चिम बंगाल में केस

तिरुवल्लुर महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद की आग अब तमिलनाडु में भी पहुंच गई है। राज्य के तिरुवल्लुर जिले में पश्चिम बंगाल के चार युवकों को पीटने का मामला सामने आया है। चार युवकों बंगाली में बात करने के लिए पीटा गया है। बंगाली में बात कर रहे स्थानीय लोगों ने इन युवकों को बांग्लादेशी समझा और बेरहमी से पीट दिया। इस संबंध में पीड़ितों के परिवार ने मुर्शिदाबाद जिले में 17 जुलाई को पुलिस शिकायत दर्ज करवाई है। शिकायत के अनुसार, सुजान शेख, उनके भाई मिलन शेख, साहिल शेख और बाबू शेख तीन हफ्ते पहले चेन्नै गए थे। वहां पर वे निर्माण कार्य में लगे हुए थे। जहां उनकी पिटाई की गई। घटना 15 जुलाई की शाम की है, जब वे तिरुवल्लुर में थे। बंगाली में बात करते सुना तो पीट डाला सुजान के पिता द्वारा दर्ज शिकायत में कहा गया कि जब कुछ स्थानीय लोगों ने उनसे नाम और पता पूछा और बांग्ला में बात करते सुना, तो उन्होंने उन्हें बांग्लादेशी समझकर लोहे की छड़ों और लाठियों से पीटना शुरू कर दिया। इस हमले में चारों घायल हो गए और सरकारी मेडिकल कॉलेज तिरुवल्लुर में प्राथमिक उपचार के बाद वे तुरंत मुर्शिदाबाद लौट आए। पीड़ित सुजान और मिलन के पिता आशाबुल शेख ने बताया कि मेरे छोटे बेटे का हाथ टूट गया। उसकी सर्जरी हुई है और वह अब भी नर्सिंग होम में भर्ती है। बड़े बेटे को भी गंभीर चोटें आई हैं और दोनों को कई हफ्तों तक बिस्तर पर रहना होगा। मजदूरी भी नहीं मिली इस हमले में घायल मिलन शेख ने बताया कि हम बहुत डरे हुए थे। हम पहली बार चेन्नै काम करने गए थे। 11 दिन की मजदूरी भी नहीं मिली। घर लौटने के लिए मैंने अपने पिता से 12 हजार रुपये मंगवाए। पीड़ितों के परिवार ने प्रशासन से इस मामले में कड़ी कार्रवाई और मुआवजे की मांग की है। षा युद्ध की बात कर माहौल बनाने लगीं ममता पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में अब करीब 10 महीने का ही समय बचा है। अगले साल अप्रैल-मई में राज्य में इलेक्शन होने वाले हैं। इससे ठीक पहले उन्होंने बांग्ला भाषा का मसला उठाना तेज कर दिया है। देश के कई हिस्सों में अवैध बांग्लादेशियों का मुद्दा उठाए जाने को उन्होंने बंगालियों के उत्पीड़न से जोड़ दिया है। गुरुवार को कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि अब हमें फिर से एक भाषा आंदोलन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में बांग्ला भाषी लोगों को बांग्लादेशी कहकर हिरासत में लिया जा रहा है। उन्हें काम करने से रोका जा रहा है। ममता बनर्जी ने कहा कि यह स्थिति तो भाषाई आतंकवाद जैसी है। इस तरह भाषा को मुद्दा बनाना और एक नए आंदोलन की बात से ममता बनर्जी ने संदेश दे दिया है कि वह चुनाव तक इस मसले को खींचने की तैयारी में हैं। पहले भी ममता बनर्जी चुनावों में बांग्ला कार्ड चलती रही हैं। ऐसे में ममता बनर्जी का रुख एक बार फिर से उसी तरफ बढ़ता दिख रहा है। ममता दीदी ने कहा, 'बंगाली भाषा के खिलाफ जिस तरह का भाषायी आतंकवाद शुरू किया है, वह खतरनाक है। बंगाली भाषा दुनिया में 5वीं सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। देश में 30 करोड़ लोग बांग्लाभाषी हैं। फिर भी इन लोगों को जेल में डाला जा रहा है। हमें इसे स्वीकार नहीं कर सकते।' उन्होंने कहा कि यह सिर्फ मेरी ही बात नहीं है बल्कि तमाम बांग्ला भाषी लोगों की है। इस तरह हम लोगों की भाषा पर हमला नहीं हो सकता। बंगाल हम लोगों के लिए सब कुछ है और हम अपनी जमीन बचाने के लिए कुछ भी करेंगे। उन्होंने कहा कि बांग्ला भाषा के नाम पर किसी को हिरासत में रखे जाने को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। दरअसल हाल ही में एनसीआर के गुरुग्राम में बांग्ला भाषी कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया था। बता दें कि बांग्ला भाषी लोगों की आबादी बंगाल के अलावा बड़ी संख्या में असम, त्रिपुरा जैसे राज्यों में भी है।