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नीतीश का सीधा वार चिराग पर, JDU की पहली लिस्ट में उठा सियासी खेल; NDA में खलबली?

पटना बिहार की राजनीति में आज नई हलचल देखी गई जब नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) ने विधानसभा चुनाव 2025 के लिए पहली 57 उम्मीदवारों की सूची जारी की। इस सूची ने चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के कुछ प्रमुख दावों पर सीधे चुनौती दी, जिससे गठबंधन के भीतर तनाव और नाराजगी की स्थिति बन सकती है। चिराग पासवान के लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के पांच प्रमुख दावों वाली सीटों – मोरवा, सोनबरसा, राजगीर, गायघाट और मटिहानी पर जेडीयू ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं। ऐसा बताया जा रहा था कि ये सीटें पहले चिराग की झोली में जाने वाली थीं। एनडीए में बढ़ेगा तनाव? पिछले चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि मोरवा और गायघाट पर 2020 में आरजेडी का दबदबा था, राजगीर और सोनबरसा पर जेडीयू जीता था, जबकि मटिहानी पिछली बार लोक जनशक्ति पार्टी ने जीती थी, लेकिन विजयी राजकुमार सिंह बाद में जेडीयू में शामिल हो गए थे। इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के चलते इन सीटों पर सियासी निगाहें खास हैं और उम्मीदवारों की हर चाल का चुनावी मायने बढ़ गया है। इन सीटों पर जेडीयू का उम्मीदवार उतारना गठबंधन में संतुलन बदल सकता है और चिराग समर्थक ताकतों के साथ टकराव के अवसर बढ़ा सकता है जिससे एनडीए की मौजूदा स्थिति जटिल हो सकती है। जेडीयू की लिस्ट में 3 बाहुबली भी शामिल जेडीयू के उम्मीदवारों की सूची में तीन बाहुबली और कई अनुभवी नेता शामिल हैं। विशेष रूप से, मौजूदा सरकार के पांच कैबिनेट मंत्री अपने-अपने क्षेत्रों से फिर मैदान में उतारे गए हैं। इसमें ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार (नालंदा), जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी (सरायरंजन), सूचना व जनसंपर्क मंत्री महेश्वर हजारी (कल्याणपुर), समाज कल्याण मंत्री मदन साहनी (बहादुरपुर) और मद्य निषेध मंत्री रत्नेश सदा (सोनबरसा) शामिल हैं। जेडीयू ने 30 नए चेहरों को उतारा गौरतलब है कि जेडीयू की पहली सूची में 30 नए चेहरे और 27 पुराने प्रत्याशी शामिल हैं। चार महिला उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा गया है, जिनमें मधेपुरा से कविता साहा, गायघाट से कोमल सिंह, समस्तीपुर से अश्वमेध देवी और विभूतिपुर से रवीना कुशवाहा का नाम शामिल है।  

एक तरफ NDA तैयार, दूसरी तरफ महागठबंधन में सीटों को लेकर खींचतान जारी

पटना बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख (17 अक्टूबर) में अब केवल चार दिन शेष हैं, लेकिन राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेतृत्व वाले विपक्षी महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर गतिरोध गहराता जा रहा है। दूसरी ओर, सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने अपनी सीट-बंटवारा रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है, हालांकि दोनों पक्षों ने अभी तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। महागठबंधन में सीट बंटवारे पर तनाव महागठबंधन की बातचीत में मुख्य विवाद आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीटों की संख्या को लेकर है। विपक्षी खेमे के सूत्रों के अनुसार, आरजेडी अपने प्रमुख सहयोगी कांग्रेस को 243 सदस्यीय विधानसभा में 55 से अधिक सीटें देने के मूड में नहीं है, जबकि कांग्रेस कम से कम 60 सीटों की मांग कर रही है। कांग्रेस ने पहले ही 90 से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवारों की छंटनी कर ली है और सीट बंटवारे पर सहमति बनने का इंतजार कर रही है। सोमवार को बिहार के लिए एआईसीसी प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने पत्रकारों से कहा, "सीट बंटवारे के अंतिम रूप लेने के बाद उम्मीदवारों की सूची जारी की जाएगी। हमारा प्रयास है कि बिहार के लोगों के लिए एक अच्छी सरकार बने। गठबंधन को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए और बिहार को इसका लाभ मिलना चाहिए।" तेजस्वी और कांग्रेस नेताओं की बैठक महागठबंधन में शामिल आरजेडी, कांग्रेस, वामपंथी दल, मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और अन्य सहयोगी दलों ने अपनी बातचीत को तेज कर दिया है। सोमवार शाम को आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और कृष्णा अल्लावरु के साथ बंद कमरे में चर्चा की। इससे पहले, तेजस्वी ने बिहार कांग्रेस प्रमुख राजेश राम और पार्टी नेता शकील अहमद खान के साथ प्रारंभिक विचार-विमर्श किया था। पटना में, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास के बाहर टिकट के दावेदारों की भीड़ लगी रही। लालू ने कुछ उम्मीदवारों को पार्टी के चुनाव चिह्न सौंपे, लेकिन सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा अभी बाकी है। वहीं, वामपंथी दलों, विशेष रूप से सीपीआई (एमएल) लिबरेशन ने कुछ चुनिंदा सीटों पर अपने उम्मीदवारों को पार्टी चिह्न जारी करना शुरू कर दिया है। महागठबंधन में जल्द समझौते की उम्मीद महागठबंधन के कुछ नेताओं का मानना है कि अगले एक-दो दिनों में सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय हो सकता है। कांग्रेस सांसद मनोज कुमार ने कहा, “हमें अपने नेताओं मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव पर पूरा भरोसा है। हम उनसे अनुरोध करते हैं कि वे जल्द से जल्द सीट बंटवारे को अंतिम रूप दें और इसकी घोषणा करें।” एनडीए ने सीट बंटवारे को दिया अंतिम रूप दूसरी ओर, एनडीए ने अपनी सीट-बंटवारा रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल (यूनाइटेड) (जेडी(यू)) दोनों 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जबकि केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) को 29 सीटें दी गई हैं। इसके अलावा, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) को छह-छह सीटें आवंटित की गई हैं। राज्य बीजेपी प्रमुख दिलीप जायसवाल ने कहा कि एनडीए के सभी पांच सहयोगी दलों द्वारा मंगलवार तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा किए जाने की संभावना है और दोनों चरणों के लिए नामांकन इस सप्ताह पूरा कर लिया जाएगा। चुनाव की तारीखें चुनाव आयोग के अनुसार, बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को 121 सीटों पर होगा, जिसके लिए नामांकन की अंतिम तारीख 17 अक्टूबर है। दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को 122 सीटों पर होगा, और परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। जैसे-जैसे नामांकन की समय सीमा नजदीक आ रही है, बिहार की सियासी गर्मी बढ़ती जा रही है। महागठबंधन के लिए समय की कमी एक बड़ी चुनौती है, जबकि एनडीए अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटा है। अब यह देखना बाकी है कि विपक्षी गठबंधन कब तक अपने मतभेदों को सुलझा पाता है और अपने उम्मीदवारों की घोषणा करता है।

छत्तीसगढ़ में एनडीए उम्मीदवारों की घोषणा आज, दिलीप जायसवाल ने जताया एकजुटता का भरोसा

पटना बिहार विधानसभा चुनाव के अंतर्गत एनडीए आज (सोमवार) की शाम अपने उम्मीदवारों की घोषणा करेगा। यह जानकारी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने दी। उन्होंने रविवार को घोषित सीट बंटवारे को लेकर एनडीए के भीतर किसी तरह के मतभेद होने से इनकार किया और कहा कि गठबंधन एकजुट होकर चुनाव लड़ेगा। दिलीप जायसवाल ने पत्रकारों से कहा कि एनडीए ने पहले ही सीट बंटवारे की घोषणा कर दी है। अब भाजपा समेत राजग के सभी घटक दलों के उम्मीदवारों की घोषणा शाम में की जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य में राजग के पांच घटक दल ‘पांच पांडव’ की तरह हैं और सभी मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे तथा भारी बहुमत से सरकार बनाएंगे। बता दें कि सीट बंटवारे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जदयू और भाजपा 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी, जबकि शेष 243 सीटें छोटे सहयोगी दलों को दी गई हैं। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की एलजेपी (राम विलास) 29 सीटों पर, जबकि केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की हम (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम छह-छह सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। हम और आरएलएम ने सीट बंटवारे को लेकर नाराजगी जताई है। सुबह दिल्ली से लौटने के बाद उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने कहा कि सीट बंटवारे की व्यवस्था आपसी सहमति से तय की गई है। उन्होंने दावा किया कि हम पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएंगे।  

गठबंधन में मोह या मजबूरी? मांझी-कुशवाहा की खामोशी और BJP की चालाकी

पटना  बिहार चुनाव के जारी नामांकन प्रक्रिया के बीच सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीट बंटवारे का ऐलान हो गया है. एनडीए के सबसे बड़े घटक भारीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर सीट शेयरिंग फॉर्मूले का ऐलान कर दिया. बीजेपी और जनता दल (यूनाइटेड) 101-101, जबकि चिराग पासवान की पार्टी 29 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टियों को छह-छह सीटें मिली हैं. जीतनराम मांझी 15 सीटों की डिमांड पर अड़े थे. वहीं, उपेंद्र कुशवाहा 12 सीटें मांग रहे थे. सहयोगी दलों के अड़ियल रुख से फंसे सीट शेयरिंग के पेच को बीजेपी ने आखिर कैसे सुलझाया? बीजेपी 15 सीटों की मांग पर अड़े मांझी और 10 सीटों की डिमांड कर रहे कुशवाहा को 6–6 सीट पर कैसे ले आई?  दरअसल, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा परिवार और रिश्तेदार के मोह में फंस गए. सीट शेयरिंग को लेकर मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के साथ हर दौर की बातचीत में बीजेपी ने उनसे अपनी दावेदारी वाली सीटों से संभावित उम्मीदवारों के नाम सामने रखने को कहा. जीतनराम मांझी की अगुवाई वाली हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के साथ सीट शेयरिंग पर बातचीत के दौरान बीजेपी को एक बात समझ आ गई. बीजेपी यह समझ गई कि दोनों ही नेता (मांझी और कुशवाहा) अपने परिजनों या रिश्तेदारों के लिए मनपसंद सीटें चाहते हैं. सूत्रों के मुताबिक इस बात का अंदाजा लगते ही बीजेपी ने जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा पर सीटों की संख्या कम करने के लिए प्रेशर बनाना शुरू कर दिया. मांझी और कुशवाहा परिवार और रिश्तेदार के मोह में फंस गए और सीटों का पेच सुलझ गया. जीतनराम मांझी अपनी समधन ज्योति मांझी को बाराचट्टी से चुनाव लड़ाएंगे. वहीं, इमामगंज सीट से उनकी बहू दीपा मांझी उम्मीदवार होंगी. कुछ ऐसी ही रणनीति आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की भी है. उपेंद्र कुशवाहा भी अपनी पत्नी और बेटे, बहू को विधानसभा चुनाव में उतारने की तैयारी में हैं. उपेंद्र कुशवाहा अपनी पत्नी स्नेह लता को सासाराम विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारेंगे. वहीं, महुआ सीट से उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक कुशवाहा या बहू साक्षी मिश्रा कुशवाहा में से किसी एक के चुनावी जंग में उतरने की चर्चा है. आरएलएम प्रमुख ने सीट शेयरिंग पर बातचीत के दौरान दिनारा विधानसभा सीट से आलोक सिंह और उजियारपुर से प्रशांत पंकज के नाम बतौर उम्मीदवार रखे. यह दोनों ही नए नाम हैं.

राजनीतिक अपडेट: बीजेपी अगले हफ्ते चुनेगी कैंडिडेट्स, NDA की लिस्ट 13 अक्टूबर को सार्वजनिक

पटना  बिहार विधानसबा चुनाव 2025 के मद्देनजर एनडीए के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट 13 अक्टूबर को जारी होगी। इस सूची में गठबंधन के सभी पांचों दलों के कुछ उम्मीदवारों के नाम शामिल होंगे। बाद में प्रत्येक दल अपनी-अपनी सीटों के नाम अलग से जारी कर सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक 12 अक्टूबर को दिल्ली में हो सकती है। इससे पहले 11 अक्टूबर को बिहार बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक होगी। बिहार बीजेपी ने कल चार घंटे मीटिंग करके 110-115 सीटों पर कम से कम तीन नाम का पैनल दिल्ली भेज दिया है। अब पार्टी दिल्ली में अंतिम फैसला करेगी और किसे टिकट देना है। बताया जा रहा है कि बीजेपी ने हर सीट के लिए तीन-तीन नाम तैयार इसलिए किए हैं, ताकि कोर ग्रुप और बाद में सीईसी की बैठक में चर्चा के बाद उपयुक्त उम्मीदवार तय किए जा सकें। बीजेपी और जेडीयू ने की मैराथन बैठक गौरतलब है कि गुरुवार को बीजेपी और जेडीयू ने अलग-अलग बैठकें कीं, जिसमें उम्मीदवारों के चयन से लेकर सीटों के समीकरण तक पर चर्चा हुई। बीजेपी की बैठक में संगठन के वरिष्ठ नेता मौजूद रहे, जबकि मुख्यमंत्री आवास पर जेडीयू की अहम बैठक हुई, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल थे। दोनों ही दलों ने अपने-अपने स्तर पर चुनावी रणनीति पर मंथन किया। सम्राट चौधरी बोले- जल्द खुशखबरी मिलेगी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने बैठक के बाद कहा कि पार्टी सभी घटक दलों से बातचीत कर रही है और जल्द ही सीट बंटवारे को लेकर खुशखबरी मिलेगी। उन्होंने कहा, “एनडीए पूरी तरह से एकजुट है। सभी दलों से बात हो रही है और जल्द ही उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी।”  

सीट बंटवारे पर BJP की रणनीति: बिहार में NDA अपनाएगी 2020 वाला रास्ता

पटना 6 और 11 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए होने वाले मतदान का परिणाम 14 नवंबर को सामने आ जाएगा। मतलब, अब चुनाव परिणाम आने में भी 36 दिन शेष ही हैं। आमने-सामने की लड़ाई लड़ रहे दोनों गठबंधनों में सीटों पर ही बात बनती नहीं दिख रही है, प्रत्याशियों का नाम तो उसके बाद घोषित होगा। गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के बिहार प्रदेश कार्यालय में गहमागहमी रही। चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बयानों ने उस गहमागहमी को गरमागरमी जैसा बनाए रखा। लेकिन, अंदर की बात यह है कि एनडीए की सीट शेयरिंग योजना ट्रैक से उतरी नहीं है। लोकसभा चुनाव में ही भाजपा ने कर ली थी तैयारी बिहार भाजपा के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान पटना में हैं। वह घटक दलों के मन की बातें उनके मन से निकालने में कामयाब रहे हैं। मांझी-चिराग के मन की बात भले सामने आई, लेकिन भाजपा को भी पता है कि केंद्रीय मंत्री की कद्दावर कुर्सी छोड़ चिराग पासवान और जीतन राम मांझी बाहर जाने वाले नहीं हैं। उपेंद्र कुशवाहा तो किनारे होकर तमाशा देख रहे हैं। चिराग पासवान की पार्टी के पास मौजूदा विधानसभा में कोई विधायक नहीं। जीतन राम मांझी के पास चार विधायक हैं। उपेंद्र कुशवाहा के पास भी कोई विधायक नहीं। मांझी-चिराग या कुशवाहा को लोकसभा चुनाव के समय भी अंदाजा बता दिया गया था कि बिहार विधानसभा चुनाव के समय सीटों पर कैसे बात होगी। चिराग और मांझी को इसी कारण पसंदीदा, मजबूत और काम लायक मंत्रालय दिए गए थे। रही बात उपेंद्र कुशवाहा की तो, उनके लिए एनडीए के पास कई ऑफर हैं। बिहार में हुई बात, लेकिन रास्ता तो दिल्ली में निकलेगा बिहार विधानसभा में 243 सीटें हैं। भाजपा-जदयू अब तक लगभग बराबर 100-100 के गणित पर है। चिराग पावान न्यूनतम 35 और जीतन राम मांझी कम-से-कम 15 सीटें चाह रहे हैं। इस तरह से बच रही है तीन सीटें उपेंद्र कुशवाहा के लिए। जदयू 110-105  की मांग से उतर कर 101-100 पर आकर टिकेगा ही। भाजपा 105 की तैयारी के बीच 100 के लिए भी मन बनाए बैठी है। भाजपा की पटना में बैठकों से कोई अंतिम नतीजा निकलना भी नहीं था। अब फैसला दिल्ली में होना है। ऐसे में भाजपा के रणनीतिकारों ने 2020 मॉडल को ही अंतिम उपाय माना है। क्या है भाजपा का अंतिम रास्ता, जो 2020 में अपनाया था 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग की पार्टी से भाजपा के कई कद्दावर नेता उतरे थे, लेकिन उस समय निशाना जदयू था। इस बार वैसी परिस्थिति नहीं है। सीएम नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के बीच उस समय वाली दूरी अभी नहीं है। भाजपा ने उस समय एनडीए में रही मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी में अपने प्रत्याशी दिए थे। मुकेश सहनी खुद चुनाव नहीं जीत सके थे, इसलिए उनके चार में से तीन विधायक अपनी मूल पार्टी भाजपा में चले गए। एक का निधन हो गया था। मौजूदा परिस्थिति में जदयू-भाजपा अपने खाते में 100-100 सीटों को रखती है तो जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा-सेक्युलर को जीतने वाली 8 सीटों के साथ मजबूत स्थिति वाली दो-तीन सीटें देगी। उपेंद्र कुशवाहा के राष्ट्रीय लोक मोर्चा को पांच-आठ सीटों के बीच फाइनल किया जाएगा। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 22-25 सीटें देने की बात अंतिम तौर पर चल रही है। जब यह सब फाइनल होने लगेगा तो इन दलों से अपने कुछ मजबूत प्रत्याशी भी शिफ्ट करने की बात होगी। देखना यही है कि इस बात पर चिराग कितना राजी होते हैं।मांझी या कुशवाहा के लिए भाजपा की पंचायत का यह रास्ता फायदेमंद ही होगा, क्योंकि ऐसे प्रत्याशियों के पास भाजपा का कैडर भी होगा।

राजनीतिक घड़ी: बिहार में सीटों का बंटवारा तय होने की तारीख सामने आई

पटना बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ही खेमों में सहयोगी दलों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। सहयोगी लगातार सीट बंटवारे पर दबाव बना रहे हैं, लेकिन सूत्रों के मुताबिक औपचारिक बातचीत चुनाव आयोग द्वारा तारीखों की घोषणा के बाद ही शुरू होगी। आपको बता दें कि फिलहाल तारीखों का ऐलान नहीं हुआ। नवरात्रि की समाप्ति के बाद चुनाव आयोग की तरफ से कभी भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसका ऐलान किया जा सकता है। एनडीए के छोटे सहयोगी दल पहले से ही सार्वजनिक रूप से अपनी मांगें उठा रहे हैं। एलजेपी (रामविलास) नेता अरुण भारती सोशल मीडिया पर सम्मानजनक हिस्सेदारी की माग कर रहे हैं और भाजपा व जदयू पर दबाव डाल रहे हैं। वहीं, हम (से.) प्रमुख जीतन राम मांझी ने भी अपनी अपेक्षाओं को खुले मंच से सामने रखा है। हाल ही में केंद्रीय मंत्री व एलजेपी (रामिवालास) नेता चिराग पासवान और आरएलपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की दिल्ली में मुलाकात हुई, जिसमें दोनों नेताओं ने मगध–शाहाबाद क्षेत्र में पर्याप्त सीटें मिलने की इच्छा जताई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार के दौरे पर थे। उन्होंने बैक टू बैक कई बैठकें कीं और रैलियों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि दुर्गा पूजा के बाद एनडीए के सहयोगियों के बीच सीटों का बंटवारा कर लिया जाएगा। इंडिया गठबंधन में भी खींचतान इंडिया गठबंधन के भीतर कांग्रेस ने आरजेडी से जल्द सीटों पर समझौते को अंतिम रूप देने की मांग की है। सीपीआई (एमएल) ने 2020 में 19 सीटों पर चुनाव लड़ी और 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2024 लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग में दो सीटें हासिल हुई। इस बार बड़ा हिस्सा चाहती है। वहीं, वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने तो यहां तक कह दिया है कि यदि गठबंधन सत्ता में आता है तो उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। आरजेडी का क्या है रुख बिहार में महागठबंधन का अगुआ आरजेडी के सूत्रों के मुताबिक सहयोगी दलों के बीच औपचारिक बैठक और सीटों का बंटवारा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद ही होगा।

NDA का विधानसभा में हंगामा तय, सूर्या हांसदा ‘एनकाउंटर’ मौत पर होगी चर्चा

रांची विपक्षी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने शुक्रवार को कहा कि वह झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र में राज्य में बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर सत्तारूढ़ झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन पर हमला तेज करने के साथ आदिवासी नेता सूर्या हंसदा की ‘फर्जी' मुठभेड़ में मौत की सीबीआई जांच की मांग करेगा। भाजपा के मुख्य सचेतक नवीन जायसवाल ने विधायक दल की दो घंटे की बैठक के बाद हंसदा की मुठभेड़ को ‘नृशंस हत्या' करार दिया। जायसवाल ने कहा, ‘‘हमारी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी जी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में सात सदस्यीय तथ्यान्वेषी दल का गठन किया था, जिसने सूर्या हंसदा के रिश्तेदारों और ग्रामीणों से मुलाकात की थी। रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष को सौंप दी गई है।'' उन्होंने कहा, ‘‘यह किसी भी तरह से मुठभेड़ नहीं लगती, बल्कि वास्तव में यह एक नृशंस हत्या है। राजग विधानसभा में मांग करेगा कि सरकार इस घटना की सीबीआई जांच का आदेश दे।'' कई आपराधिक मामलों में वांछित हांसदा को 10 अगस्त को देवघर के नावाडीह गांव से गिरफ्तार किया गया था और कथित मुठभेड़ उस समय हुई जब उन्हें छिपे हुए हथियार बरामद करने के लिए राहदबदिया पहाड़ियों पर ले जाया जा रहा था। हंसदा ने कथित तौर पर पुलिस से एक हथियार छीन लिया और मौके से भागने की कोशिश करते हुए पुलिसकर्मियों पर गोली चला दी। जायसवाल ने कहा कि भाजपा इस मुद्दे को सदन में और विधानसभा के बाहर भी प्रमुखता से उठाएगी, जब तक कि सरकार मामले की जांच सीबीआई को नहीं सौंप देती। भाजपा नेता ने यह भी आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने पर तुली हुई है। झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा में राजग के 24 विधायक हैं।

बीजेपी में उपराष्ट्रपति पद को लेकर मंथन, इस जाट नेता का नाम चर्चा में

नई दिल्ली उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब चुनाव का शेड्यूल आ गया है। इसके बाद से ही चर्चाएं तेज हैं कि आखिर एनडीए का उम्मीदवार अब कौन होगा। लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की संख्या को देखते हुए स्पष्ट है कि एनडीए का कैंडिडेट ही जीतने की स्थिति में है। इसलिए एनडीए की ओर से किसे कैंडिडेट बनाया जाएगा। इस पर कयासों का दौर चल रहा है। दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के एलजी वीके सक्सेना और मनोज सिन्हा का नाम चर्चा में है। इसके अलावा राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन हरिवंश का नाम भी रेस में बताया जा रहा है। इसका कारण बिहार का विधानसभा चुनाव भी है। उनके बिहार कनेक्शन का फायदा भाजपा और जेडीयू उठाना चाहेंगे। इसके अलावा अब एक और नाम तेजी से चर्चा में है। यह नाम है, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत का। आचार्य देवव्रत उसी जाट बिरादरी से हैं, जिससे जगदीप धनखड़ आते हैं। ऐसे में जाट समाज के बीच संदेश देने के लिए आचार्य देवव्रत को मौका दिया जा सकता है। वह आर्य समाज से जुड़े रहे हैं और प्रखरता से विचारधारा का प्रचार करने में जुटे रहे हैं। उन्होंने लंबे समय तक कुरुक्षेत्र स्थित एक गुरुकुल में प्रिंसिपल के तौर पर काम किया है। इससे पहले वह हिमाचल प्रदेश के भी राज्यपाल रह चुके हैं। वह हरियाणा के ही समालखा के रहने वाले हैं। खबर है कि 18 से 20 अगस्त के बीच किसी भी दिन भाजपा की ओर से उपराष्ट्रपति पद के कैंडिडेट के नाम का ऐलान हो सकता है। बता दें कि जेडीयू, टीडीपी और शिवसेना जैसे एनडीए के दलों ने पीएम नरेंद्र मोदी को अधिकार दिया है कि वे किसी भी नेता का नाम प्रस्तावित कर सकते हैं। इस तरह एनडीए में आम सहमति बन गई है कि भाजपा की ओर से दिए गए नाम के पक्ष में ही मतदान किया जाएगा। बता दें कि चुनाव आयोग की ओर से इलेक्शन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। किरेन रिजिजू का कहना है कि एनडीए के दलों ने पीएम मोदी और जेपी नड्डा को अधिकृत किया है कि वे जिस नेता पर भी मुहर लगाएंगे, उस पर उनकी सहमति रहेगी।

धनखड़ जैसी ऐतिहासिक जीत दोहराएगा NDA? उपराष्ट्रपति चुनाव में BJP का पलड़ा भारी

नई दिल्ली उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद बीजेपी ने उनके विकल्प की तलाश शुरू कर दी है. उपराष्ट्रपति पद के चुनाव का औपचारिक ऐलान होने के साथ ही सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी 'डिनर डिप्लोमेसी' के जरिए उपराष्ट्रपति के लिए विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं, तो बीजेपी ने भी उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी सियासी कवायद शुरू कर दी है.  चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए 9 सितंबर को मतदान का ऐलान किया है, जिसके लिए नामांकन की प्रक्रिया 7 अगस्त से शुरू हो रही है. बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व उपराष्ट्रपति पद के लिए व्यापक समर्थन जुटाने की रणनीति बनाने में जुट गया है.  केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में सोमवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की एक अहम बैठक हुई, जिसमें उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर मंथन किया गया. इसके अलावा जगदीप धनखड़ जैसी बड़ी जीत के लिए गैर-एनडीए दलों का समर्थन जुटाने का प्लान बनाया गया है. पार्टी के सामने उपराष्ट्रपति पद के लिए जगदीप धनखड़ का विकल्प ढूंढने के साथ-साथ 2022 की तरह बड़ी जीत हासिल करने की चुनौती है.  बीजेपी उपराष्ट्रपति पद के लिए एक ऐसे नेता को उम्मीदवार बनाने की रणनीति बना रही है, जो पार्टी के साथ-साथ आरएसएस की विचारधारा में भी फिट बैठ सके. इसके अलावा, एनडीए के साथ-साथ दूसरे दलों का समर्थन भी उसके नाम पर आसानी से जुटाया जा सके. इसकी कमान अमित शाह ने अपने हाथ में संभाल रखी है.  उपराष्ट्रपति पद के लिए 9 सितंबर को होगा चुनाव चुनाव आयोग ने 1 अगस्त को देश के 17वें उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. 7 अगस्त को अधिसूचना जारी हो जाएगी, जिसके साथ नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. उपराष्ट्रपति पद के लिए 21 अगस्त तक उम्मीदवार अपने नामांकन दाखिल कर सकेंगे. 22 अगस्त को नामांकन पत्रों की जांच होगी और उम्मीदवार 25 अगस्त तक अपने नाम वापस ले सकते हैं.  उपराष्ट्रपति पद पर एक से ज्यादा उम्मीदवार होने पर 9 सितंबर को मतदान होगा. संसद भवन के कमरा नंबर एफ-101 वसुधा, प्रथम तल में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान होगा. वोटिंग खत्म होने के बाद मतगणना शुरू हो जाएगी. इस तरह, नतीजे 9 सितंबर की शाम तक घोषित कर दिए जाएंगे. लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य मतदान में हिस्सा लेते हैं.  उपराष्ट्रपति के लिए बीजेपी की सियासी कवायद बीजेपी ने उपराष्ट्रपति चुनाव की सियासी हलचल को देखते हुए अपनी तैयारी शुरू कर दी है. इकोनॉमिक्स टाइम्स के मुताबिक, अमित शाह के कार्यालय में सोमवार को एक बैठक हुई, जिसमें बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महासचिव बीएल संतोष, महासचिव विनोद तावड़े और सुनील बंसल जैसे नेता शामिल हुए थे. बैठक में आगामी राज्यों के चुनाव के साथ-साथ उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर पार्टी की रणनीति पर चर्चा हुई.  बीजेपी नेतृत्व ने तय किया है कि उपराष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग के लिए एनडीए सांसदों के लिए एक ट्रेनिंग सत्र आयोजित किया जाएगा, जिसमें उन्हें मतदान प्रक्रिया और बैलेट पेपर के प्रारूप से अवगत कराया जाएगा. इसके अलावा, एनडीए के साथ-साथ गैर-एनडीए दलों का समर्थन जुटाने की रणनीति बनाई गई है. इसके लिए पार्टी के कुछ नेताओं को जिम्मेदारी सौंपने की योजना बनाई गई है ताकि समय रहते उनसे संपर्क और संवाद करके समर्थन जुटाया जा सके. धनखड़ से भी बड़ी जीत का बीजेपी बना रही प्लान बीजेपी की कोशिश जगदीप धनखड़ से भी बड़ी जीत की इबारत लिखने की है. 2022 में उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ थे, तो विपक्ष की तरफ से कांग्रेस नेता मारग्रेट अल्वा उम्मीदवार थीं. धनखड़ ने मारग्रेट अल्वा को भारी मतों से हराया था. जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले थे, जबकि मारग्रेट अल्वा को 182 सांसदों का ही समर्थन मिल सका था.  जगदीप धनखड़ को मिली भारी मतों से जीत में एनडीए दलों के समर्थन के साथ-साथ कई गैर-एनडीए दलों का भी अहम योगदान था. नवीन पटनायक की बीजेडी, जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस और मायावती की बसपा ने एनडीए के प्रत्याशी जगदीप धनखड़ को समर्थन दिया था. इस बार भी उपराष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी ने 2022 की तरह समर्थन की उम्मीद लगाई हुई है. बीजेपी ने वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस और बीजेडी के नेताओं से संपर्क साधने का काम अपने नेताओं को सौंप दिया है.  विपक्ष उपराष्ट्रपति के लिए तलाश रहा संयुक्त प्रत्याशी विपक्षी इंडिया गठबंधन उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारी में जुट गया है, जिसके लिए संयुक्त उम्मीदवार उतारने की योजना बना रहा है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 7 अगस्त को विपक्षी इंडिया गठबंधन के नेताओं को अपने आवास पर दावत दी है, जिसमें माना जा रहा है कि उपराष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त उम्मीदवार को लेकर फैसला किया जाएगा. इस तरह, कांग्रेस ने विपक्षी दलों की किलेबंदी अभी से शुरू कर दी है, ताकि 2022 की तरह किसी तरह की कोई गलती न हो.  2024 के लोकसभा चुनाव के बाद यह पहली बार है, जब इंडिया गठबंधन के नेता एकजुट हो रहे हैं. राहुल गांधी ने दावत ऐसे समय रखी है, जब अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो गई है. ऐसे में उपराष्ट्रपति पर संयुक्त रणनीति तैयार करने की कोशिश में राहुल गांधी लगे हैं. विपक्षी दलों का मानना है कि एक मजबूत उम्मीदवार के साथ वे उपराष्ट्रपति चुनाव को रोचक बना सकते हैं, और भले ही एनडीए के उम्मीदवार को जीत से न रोक सकें, लेकिन धनखड़ जैसी बड़ी जीत से जरूर पीछे रख सकते हैं.  धनखड़ से बड़ी जीत के लिए बीजेपी को क्या करना होगा बीजेपी की रणनीति एक ऐसे उम्मीदवार की तलाश करना है, जिसके नाम को आगे करके विपक्षी किलेबंदी में सेंध लगाई जा सके. यह कदम बीजेपी की क्षेत्रीय संतुलन और व्यापक समर्थन हासिल करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. लोकसभा और राज्यसभा के कुल 782 सांसद हैं, जिसमें से बीजेपी को करीब 425 सांसदों का समर्थन हासिल है. लेकिन धनखड़ को मिले 528 वोटों से करीब 103 वोट कम है. ऐसे में धनखड़ जैसी जीत के लिए एनडीए को 100 से ज्यादा … Read more