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बगावत की ओर बढ़ती पाक टीम? आगा का पत्ता कट सकता है, नया कप्तान तय!

कराची  अनुभवी ऑलराउंडर शादाब खान को सलमान अली आगा की जगह पाकिस्तान की टी-20 टीम का कप्तान नियुक्त किया जा सकता है. पाकिस्तान की तरफ से अब तक 70 एकदिवसीय और 112 टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में हिस्सा ले चुके शादाब ने इस साल के शुरू में लंदन में अपने कंधे की सर्जरी कराई थी इसके बाद वह खेल से बाहर हैं. शादाब हालांकि अब फिट हैं और वह अगले महीने वापसी कर सकते हैं. उनकी वापसी महत्वपूर्ण होगी क्योंकि वह सलमान की जगह राष्ट्रीय टी-20 कप्तान बन सकते हैं. सर्जरी से पहले वह इस प्रारूप में उप-कप्तान थे. पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के एक विश्वसनीय सूत्र ने बताया कि शादाब 11 से 15 नवंबर के बीच श्रीलंका के खिलाफ द्विपक्षीय घरेलू श्रृंखला में वापसी करेंगे, क्योंकि उनका रिहैब अच्छा चल रहा है. अगले साल होने वाले विश्व कप को ध्यान में रखते हुए उन्हें खेल के सबसे छोटे प्रारूप का कप्तान नियुक्त किया जा सकता है. पाकिस्तान सलमान की अगुवाई में एशिया कप में खेला था, जहां उसे फाइनल में भारत से हार का सामना करना पड़ा था.दूसरी ओर गद्दाफी स्टेडियम में साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट मैच के दौरान बाबर आजम से मिलने ड्रेसिंग रूम में घुसे फैन को पुलिस ने फटकार लगाने के बाद रिहा कर दिया. ओवेस नाम के इस युवक ने सोशल मीडिया पर तब सबका ध्यान खींचा जब उसे बुधवार को सुरक्षा बैरियर तोड़कर पाकिस्तान ड्रेसिंग रूम की बालकनी पर चढ़ते देखा गया. यह घटना उस समय हुई जब मेजबान टीम ने पहले टेस्ट मैच में विश्व चैंपियन दक्षिण अफ्रीका को हराया था.

पाकिस्तान पर जीत का एलान? तालिबान के दावों और अफगानों के प्रचंड नारे से बढ़ी कड़वाहट

काबुल  पाकिस्तान के साथ खूनी जंग में तालिबानी लड़ाकों ने खुद को विजेता घोषित कर दिया है. अफगानिस्तान के कई शहरों में जनता तालिबानी लड़ाकों के साथ सड़क पर जश्न मना रही है. अफगानिस्तान के आम शहरियों ने कहा है कि अफगानिस्तान की सरजमीं पर पाकिस्तानियों की बुरी नजर बर्दाश्त नहीं है. अफगानिस्तान के खोस्त, नंगरहार, पकीता, पंजशीर और काबुल में इस लड़ाई को पाकिस्तानियों को अफगानियों का जवाब बताया जा रहा है.  अफगानिस्तान की अंग्रेजी वेबसाइट टोलो न्यूज के अनुसार अफगानिस्तान की अवाम का कहना है कि पाकिस्तान के साथ टकराव में उनकी सेना की बहादुरी सराहनीय है और अफ़ग़ानिस्तान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने वाली पाकिस्तान की कार्रवाई उनके लिए असहनीय है. अफगानी सेना और तालिबानी लड़ाकों का समर्थन करने के लिए कई शहरों में युवा और कबीलाई नेता जमा हुए. कुनार निवासी दाऊद खान हमदर्द ने कहा, "अगर पाकिस्तान ने हमारे क्षेत्र का उल्लंघन नहीं किया होता, तो अफगानिस्तान को उनके खिलाफ इस तरह के हमले करने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता." नंगरहार निवासी मोहम्मद नादेर ने कहा, "हमारी सीमाएं अन्य पड़ोसियों के साथ भी लगती हैं, फिर भी उनके साथ हमारे संबंध खराब नहीं हुए हैं. इससे पता चलता है कि समस्या हमारे साथ नहीं, बल्कि पाकिस्तान के साथ है, क्योंकि वह हमेशा से समस्याओं का स्रोत रहा है." कबायली बुज़ुर्गों,मजहबी विद्वानों ने घोषणा की कि मुल्क के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन उन्हें बर्दाश्त और वे इसके विरुद्ध कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं. कुनार के एक कबायली बुज़ुर्ग तवोस खान अखुंदज़ादा ने कहा, "अफगानिस्तान साम्राज्यों का कब्रिस्तान है. पाकिस्तान को अफगानिस्तान के इतिहास से सीख लेनी चाहिए और अफगानों को परेशान करना बंद करना चाहिए."पक्तिया निवासी मुस्लिम हैदरी ने कहा, "इस्लामिक अमीरात और अफगानिस्तान के लोगों का अपनी जमीन और क्षेत्र के एक-एक इंच की रक्षा करना वैध अधिकार है." अफगान की सुरक्षा पर कमेंट करने वाले एक हैंडल ने लिखा, "डूरंड रेखा पर पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के खिलाफ हालिया "बदला" अभियान में तालिबान बलों की जीत का जश्न मनाने के लिए लोग सड़कों पर उतर आए हैं. तालिबान लड़ाके झड़पों के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों से कथित तौर पर ज़ब्त किए गए हथियार भी दिखाते नजर आ रहे हैं.  अफगान डिफेंस के एक हैंडल ने लिखा, "अफगान फोर्सेज द्वारा पाकिस्तान को करारी शिकस्त दिए जाने के बाद अफगानी लोग अपने सैनिकों के सम्मान में एकत्रित होकर खुशी का जश्न मना रहे हैं." तालिबान के हमले में 58 सैनिक हुए ढेर, बौखलाए मुनीर ने बुलाई इमर्जेंसी मीटिंग अफगान तालिबान के एक के बाद एक हमलों ने पाकिस्तान की सेना को हिला दिया है. इन हमलों के बाद पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने रावलपिंडी स्थित जनरल हेडक्वार्टर (GHQ) में सोमवार देर रात आपातकालीन उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई. सीएनएन-न्यूज18 को शीर्ष खुफिया सूत्रों ने बताया कि यह बैठक डूरंड लाइन (Durand Line) के पास पाकिस्तानी चौकियों पर हुए तालिबान के हमलों के बाद बुलाई गई थी. इन हमलों ने पाक सेना की खुफिया और सीमा सुरक्षा की कमजोरियों को उजागर कर दिया है. बैठक में कॉर्प्स कमांडर पेशावर लेफ्टिनेंट जनरल उमर अहमद बुखारी, दक्षिणी कमांड कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राहत नसीम अहमद खान, चीफ ऑफ जनरल स्टाफ (CGS) लेफ्टिनेंट जनरल मुहम्मद अवाइस, DG ISI आसिम मलिक, DGMI मेजर जनरल वाजिद अजीज और DGMO मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्लाह सहित वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया. खुफिया सूत्रों के मुताबिक आसिम मुनीर बेहद नाराज नजर आए और उन्होंने अपने कमांडरों से सख्त लहजे में पूछा, ‘पहले से खुफिया जानकारी क्यों नहीं थी? यह इंटेलिजेंस फेल्योर कैसे हुआ? कंटिजेंसी प्लान कहां था?’ मुनीर ने दिया बड़ा आदेश सूत्रों के मुताबिक, मुनीर ने इसे बड़ी रणनीतिक विफलता बताते हुए हर अधिकारी से जवाब मांगा कि तालिबान की इस व्यापक कार्रवाई का कोई पूर्व संकेत क्यों नहीं मिला और फौरन जवाबी कार्रवाई की तैयारी क्यों नहीं थी? उन्होंने सभी वरिष्ठ कमांडरों को निर्देश दिया कि सात दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट सौंपें, जिसमें सभी कमियां, कारण और सुधारात्मक कदम स्पष्ट रूप से बताए जाएं. साथ ही, उन्होंने आदेश दिया कि सीमा क्षेत्रों में सतर्कता बढ़ाई जाए और ‘किसी भी संभावित हमले को रोकने के लिए हर मोर्चे पर अतिरिक्त सुरक्षा उपाय’ किए जाएं. तालिबान के हमले से थर्राया पाकिस्तान मुनीर ने कहा कि पाकिस्तान अब ‘युद्ध की स्थिति में है. अंदरूनी और बाहरी दोनों मोर्चों पर.’ उन्होंने सवाल किया- ‘हम कब तक एक ‘सॉफ्ट स्टेट’ बने रहेंगे जबकि हमारे जवान और नागरिक लगातार कुर्बान हो रहे हैं? अब वक्त है सख्त कदम उठाने का.’ खुफिया सूत्रों के अनुसार, तालिबान ने सात अलग-अलग मोर्चों अंगूर अड्डा, बाजौर, कुर्रम, दिर, चितराल, वजीरिस्तान (खैबर पख्तूनख्वा) और बहराम चाह व चमन (बलूचिस्तान) से भारी आर्टिलरी से हमला किया. इन हमलों ने पाकिस्तानी चौकियों को अचानक निशाना बनाया और सेना को चौंका दिया. क्यों भिड़े 'बिरादर' अफगानिस्तान और पाकिस्तान पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हाल की भिड़ंत डुरंज लाइन पर 11-12 अक्टूबर 2025 की रात हुई. इसका मुख्य कारण पाकिस्तान द्वारा 9-10 अक्टूबर को काबुल, खोस्त, जलालाबाद और पक्तिका में हवाई हमले थे. अफगानिस्तान पर राज कर रहे तालिबान ने अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया. पाकिस्तान ने इन हमलों को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के ठिकानों पर कार्रवाई कहा. पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि इन्हें अफगानिस्तान में पनाह मिलता है.  पाकिस्तानी हमले के जवाब में तालिबान ने जवाबी कार्रवाई में 25 पाकिस्तानी सैन्य चौकियों पर हमला किया. पाकिस्तान ने कहा कि इस हमले में उन्होंने 200 तालिबान लड़ाकों को मार गिराया और उसके 23 सैनिक मारे गए. जबकि तालिबान का दावा है कि 58 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए. अभी दोनों देशों के बीच व्यापार बंद है और टेंशन चरम पर है. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि दोनों देशों के बीच लड़ाई कभी भी शुरू हो सकती है. 

PAK आर्मी का पुराना सहयोगी अब बना संकट! तहरीक-ए-लब्बैक की पूरी कहानी

लाहौर  पाकिस्तान में आज जो हालात हैं, वह एक पुरानी कहावत को सच साबित करते हैं – "जो बोएगा वही काटेगा." लाहौर में हिंसक झड़पें और इस्लामाबाद का किले में तब्दील होना दिखाता है कि पाकिस्तान अपनी ही बनाई समस्या में फंस गया है. इसके पीछे तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) नाम का एक कट्टरपंथी संगठन है, जो कभी पाक फौज का 'प्यारा' था. सबसे दिलचस्प बात यह है कि TLP को खुद पाकिस्तानी फौज ने बनाया और पाला था. मकसद था नागरिक सरकारों को दबाने के लिए एक 'सड़क की ताकत' तैयार करना. यह वही तरीका है जो पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के साथ अपनाया था. लेकिन अब यही 'पालतू कुत्ता' अपने मालिकों को ही काटने लगा है. लंदन स्थित पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता आरिफ आजकिया का कहना है, "TLP, लश्कर-ए-तैयबा की तरह ही पाक आर्मी की बनाई हुई संगठन है. फौज ने इसे घरेलू राजनीति में हेरफेर के लिए बनाया था." अब वही संगठन पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बन गया है. शनिवार को लाहौर में तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) का एक विशाल विरोध प्रदर्शन जारी है. इस प्रदर्शन में हजारों समर्थक शामिल हुए हैं और इस्लामाबाद की ओर मार्च कर रहे हैं. टीएलपी के संस्थापक खादिम हुसैन रिज़वी का आरोप है कि इस प्रदर्शन के दौरान उनके 11 समर्थकों को मार दिया गया है. फौज का दोहरा खेल 2015 में बना यह संगठन बार-बार पाकिस्तान को तकलीफ़ देता रहा है. 2017 में इन्होंने इस्लामाबाद की 21 दिन की घेराबंदी की. मजेदार बात यह है कि जब भी यह संगठन उत्पात मचाता है, पाक फौज 'बिचौलिए' की भूमिका निभाती है और इनके साथ डील करती है. तहरीक-ए-लब्बैक उर्दू शब्द है. तहरीक का अर्थ – आंदोलन या मूवमेंट है और लब्बैक का अर्थ है – हाजिर हूं. 2017 के प्रदर्शनों के दौरान एक सीनियर फौजी अफसर को TLP प्रदर्शनकारियों को पैसे बांटते हुए देखा गया था – जो साफ दिखाता है कि यह सब कितना नियोजित था. उस समय तत्कालीन कानून मंत्री ज़ाहिद हामिद को इस्तीफा देना पड़ा था. इमरान खान का TLP प्रेम सबसे शर्मनाक बात यह है कि 2021 में इमरान खान की सरकार ने TLP पर से प्रतिबंध हटा दिया था. हुआ यह कि TLP के मुखिया सआद रिज़वी को आतंकवाद विरोधी कानून के तहत जेल में डाल दिया गया था. लेकिन हज़ारों TLP समर्थकों ने लाहौर से इस्लामाबाद तक 'लॉन्ग मार्च' निकाला. इस हिंसा में 20 से ज्यादा लोग मारे गए, जिसमें 10 पुलिसकर्मी भी शामिल थे. पाक फौज की मध्यस्थता से इमरान खान की सरकार ने TLP के साथ गुप्त समझौता किया. परिणाम – सआद रिज़वी और 2000 से ज्यादा TLP कार्यकर्ता रिहा कर दिए गए. यह वही इमरान खान था जो भारत को आतंकवाद के बारे में उपदेश देता रहता था. 2018 चुनावों में TLP का इस्तेमाल इंडियन काउंसिल ऑन ग्लोबल रिलेशंस की रिपोर्ट के अनुसार, 2018 के चुनावों में TLP का इस्तेमाल पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (PML-N) को कमज़ोर करने के लिए किया गया था, ताकि इमरान खान का रास्ता साफ हो सके. यानी TLP ने ISI के इशारे पर काम किया. धार्मिक भावनाओं का दुरुपयोग TLP की रणनीति बेहद चालाकी भरी है. यह 'खतम-ए-नबुव्वत' (पैगंबर की अंतिमता) जैसे भावनात्मक मुद्दों का सहारा लेता है. पाकिस्तान में धार्मिक भावनाओं को हथियार बनाने की यह परंपरा कोई नई नहीं है – यही तो भारत के खिलाफ भी किया जाता रहा है. पाकिस्तान का आत्मघाती रास्ता अटलांटिक काउंसिल की रिपोर्ट में साफ लिखा है, "TLP ने अपनी ताकत का स्वाद चख लिया है और सीख गया है कि इसे कैसे इस्तेमाल करना है – राज्य के खिलाफ नहीं, बल्कि उनकी सेवा में जो पर्दे के पीछे से असली नियंत्रण रखते हैं." पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर के मानवाधिकार कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्ज़ा का कहना है, "आज जो अराजकता दिख रही है, वह धर्म को हथियार बनाने के दशकों का अपरिहार्य परिणाम है. पाकिस्तान अब अपने ही अंतर्विरोधों के बोझ तले दब रहा है." फ्रैंकनस्टाइन का राक्षस यह स्थिति उस फ्रैंकनस्टाइन की कहानी जैसी है जिसका बनाया हुआ राक्षस उसे ही खत्म करने पर आमादा हो गया. पाकिस्तानी फौज ने TLP को नागरिक सरकारों के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए बनाया था, लेकिन अब यही संगठन पूरे पाकिस्तान को अस्थिर कर रहा है.

भारत-अफगान नज़दीकियों से बौखलाया पाकिस्तान, सीमा पार की एयरस्ट्राइक में दिखी बौखलाहट

काबुल अफगानिस्तान की राजधानी काबुल शुक्रवार सुबह तेज धमाकों से दहल उठी. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह विस्फोट पाकिस्तान एयर फोर्स (PAF) की कथित एयरस्ट्राइक के कारण हुए हैं. पाकिस्तानी चैनलों ने दावा किया कि इन हमलों का निशाना तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के ठिकाने थे. यह घटनाक्रम ऐसे समय पर हुआ है जब तालिबान के विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्तकी भारत दौरे पर हैं. मुत्तकी का यह दौरा अफगानिस्तान की नई सरकार और भारत के बीच संवाद की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि अफगानिस्तान की ज़मीन अगर पाकिस्तान विरोधी आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल होती है, तो ‘कड़ी कार्रवाई’ की जाएगी. उसी के कुछ दिन बाद यह कथित एयरस्ट्राइक सामने आई है. कतर में तालिबान के राजदूत मुहम्मद सुहैल शाहीन ने बयान जारी कर कहा, ‘काबुल में दो धमाकों की आवाज सुनी गई, लेकिन अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.’ पाकिस्तानी मीडिया ने दावा किया कि हमले में TTP प्रमुख नूर वली महमूद मारा गया. अफगान मीडिया के मुताबिक, अटैक के बाद TTP के प्रमुख नूर वली महसूद का एक ऑडियो सामने आया जिसमें उसने खुद के जिंदा होने की बात कही और पाकिस्तान पर ‘फर्जी प्रचार’ करने का आरोप लगाया. ख्वाजा आसिफ ने दी थी धमकी इससे पहले पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने गुरुवार को धमकी भरे लहजे में अफगानिस्तान के अंतरिम प्रशासन को चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा था कि अफगानिस्तान तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को अपने देश के अंदर सुरक्षित पनाहगाह दे रहा है. उन्होंने कहा था कि ‘इनफ इज इनफ’ यानी अब बहुत हो गया. पाकिस्तानी सेना लगातार TTP के खिलाफ ऑपरेशन चला रही है. गुरुवार को कम से कम सात टीटीपी आतंकी मारे गए. मुत्ताकी की भारत यात्रा के बीच हमला एक कहावत है घर वाला घर नहीं हमें किसी का डर नहीं. यह धमाका ऐसे समय में हुआ है जब भारत और अफगानिस्तान के संबंध बेहतर हो रहे हैं और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मौलवी अमीर खान मुत्तकी गुरुवार को नई दिल्ली पहुंचे. अगस्त 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद यह पहली बार है, जब काबुल से कोई मंत्री-स्तरीय प्रतिनिधि नई दिल्ली का दौरा कर रहा है. मुत्तकी की यह यात्रा लगभग एक सप्ताह की है. इसे दोनों देशों के बीच संवाद की नई पहल के रूप में देखा जा रहा है.  

ट्रंप की योजना पर भारत-पाक की संयुक्त चुनौतियां, अमेरिका की चाल फेल करने का प्रयास

नई दिल्ली अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अफगानिस्तान को धमकी दे रहे थे. इस धमकी के खिलाफ अब भारत तालिबान के साथ खड़ा हो गया है. अफगानिस्तान को लेकर यह अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बड़ा मोड़ दिखाता है. भारत ने तालिबान, पाकिस्तान, चीन और रूस के साथ मिलकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस मांग का विरोध किया है, जिसमें उन्होंने अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस को अमेरिका को वापस सौंपने की बात कही थी. यह फैसला उस समय आया है जब तालिबान शासित अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी इस हफ्ते भारत की ऐतिहासिक यात्रा पर आने वाले हैं. मॉस्को में आयोजित ‘मॉस्को फॉर्मेट कंसल्टेशन ऑन अफगानिस्तान’ की सातवीं बैठक में भारत, ईरान, कजाकिस्तान, चीन, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और किर्गिस्तान सहित 10 देशों ने हिस्सा लिया. बेलारूस के प्रतिनिधि भी अतिथि के रूप में मौजूद रहे. बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में किसी देश का नाम लिए बिना कहा गया, ‘प्रतिभागियों ने अफगानिस्तान या उसके पड़ोसी देशों में किसी भी देश की ओर से सैन्य ढांचे की तैनाती के प्रयासों को अस्वीकार्य बताया, क्योंकि यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के खिलाफ है.’ यह बयान सीधे तौर पर ट्रंप की योजना की आलोचना के रूप में देखा जा रहा है. ट्रंप और तालिबान भिड़े अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में मांग की थी कि तालिबान अमेरिका को बागराम एयरबेस वापस सौंप दे. यह वही बेस है, जहां से अमेरिका ने 2001 के बाद ‘वॉर ऑन टेरर’ यानी आतंकवाद के खिलाफ युद्ध अभियान चलाया था. 18 सितंबर को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा, ‘हमने वह बेस उन्हें मुफ्त में दे दिया, अब हम उसे वापस चाहते हैं.’ उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर भी लिखा था- ‘अगर अफगानिस्तान ने बाग्राम एयरबेस वापस नहीं किया तो नतीजे बुरे होंगे.’ तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने ट्रंप की मांग को खारिज करते हुए कहा, ‘अफगान किसी भी हाल में अपनी जमीन किसी और को नहीं देंगे. हम अगले 20 साल युद्ध लड़ने को तैयार हैं.’ मॉस्को फॉर्मेट वार्ता के नए संस्करण में, देशों के समूह ने अफगानिस्तान में समृद्धि और विकास लाने के तौर-तरीकों पर व्यापक विचार-विमर्श किया। इन देशों ने अफगानिस्तान और पड़ोसी देशों में सैन्य बुनियादी ढांचे तैनात करने के कुछ देशों के प्रयासों को 'अस्वीकार्य' बताया, क्योंकि यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के हितों की पूर्ति नहीं करता है। तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने पहली बार मॉस्को फॉर्मेट वार्ता में भाग लिया। कुछ हफ्ते पहले, ट्रंप ने कहा था कि तालिबान को बगराम एयरबेस अमेरिका को सौंप देना चाहिए, क्योंकि इसे वॉशिंगटन ने स्थापित किया था।मॉस्को में हुई बातचीत में भाग लेने वाले देशों ने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय दोनों स्तरों पर आतंकवाद-रोधी सहयोग को मजबूत करने का आह्वान किया। बयान में कहा गया, 'उन्होंने जोर देकर कहा कि अफगानिस्तान को आतंकवाद को खत्म करने और इसे जल्द से जल्द जड़ से मिटाने के लिए ठोस कदम उठाने में मदद दी जानी चाहिए, ताकि काबूल की धरती का इस्तेमाल पड़ोसी देशों और अन्य जगहों की सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में न हो।' इसमें कहा गया कि इन देशों ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद अफगानिस्तान, क्षेत्र और व्यापक विश्व की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है। भारत, रूस और चीन के अलावा, इस बैठक में ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान ने भी भाग लिया। इन देशों ने इस क्षेत्र और इससे आगे के देशों के साथ अफगानिस्तान के आर्थिक संबंधों की आवश्यकता पर जोर दिया। मुत्ताकी की यात्रा क्यों है खास भारत का इस मुद्दे पर तालिबान के साथ खड़ा होना कई मायनों में ऐतिहासिक है. मुत्ताकी पहली बार भारत की यात्रा पर आ रहे हैं, जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने उन्हें 9 से 16 अक्टूबर तक यात्रा की अनुमति दी है. क्योंकि मुत्ताकी UNSC की प्रतिबंधित सूची (Resolution 1988) में शामिल हैं, इसलिए उन्हें विशेष मंजूरी मिली है. बगराम क्यों चाहता है अमेरिका? काबुल से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित बाग्राम एयरबेस अफगानिस्तान का सबसे बड़ा हवाई अड्डा है. इसमें दो बड़े रनवे हैं, जिसमें से एक 3.6 किमी और दूसरा 3 किमी लंबा. पहाड़ी इलाके के कारण अफगानिस्तान में बड़े विमानों की लैंडिंग मुश्किल होती है, ऐसे में बगराम एक रणनीतिक केंद्र माना जाता है.  

मुरीदके एयरबेस का दर्द अभी बाकी, ऑपरेशन सिंदूर की सच्चाई गूगल पर उजागर

इस्लामाबाद  मई 2025 में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के मुरीदके एयरबेस पर किए गए हमलों के निशान आज भी साफ दिख रहे हैं. गूगल अर्थ की नई तस्वीरों से पता चलता है कि सितंबर 2025 तक हमले वाली दोनों जगहें अभी भी ढकी हुई हैं. ऐसा लगता है कि पाकिस्तान अब भी मरम्मत कर रहा है. यह खुलासा भारत की सैन्य ताकत और पाकिस्तान की कमजोरी को दिखाता है. ऑपरेशन सिंदूर: मई 2025 का बड़ा हमला 7 मई 2025 को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया. यह पाकिस्तान के आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम था. भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के कई एयरबेस पर सटीक हमले किए. इनमें मुरीदके एयरबेस भी शामिल था, जो पाकिस्तान का महत्वपूर्ण हवाई अड्डा है. मई के अंत में जारी सैटेलाइट तस्वीरों से साफ दिखा कि हमले ने भारी नुकसान पहुंचाया. मुरीदके एयरबेस पर हमले का मुख्य निशान एक बड़ा गड्ढा था. यह गड्ढा करीब तीन मीटर चौड़ा था और एयरबेस सुविधा से सिर्फ 30 मीटर दूर था. यह सुविधा पाक वायुसेना के लिए बहुत गोपनीय मानी जाती है. हाई-रेजोल्यूशन तस्वीरों से पुष्टि हुई कि भारत ने सटीक निशाना साधा. हमले से एयरबेस की संरचना को गहरा नुकसान हुआ, जिसमें छतें उड़ गईं और इमारतें टूट गईं. सितंबर 2025 की गूगल अर्थ तस्वीरें: मरम्मत के संकेत अब सितंबर 2025 की गूगल अर्थ तस्वीरों से नया खुलासा हुआ है. हमले वाली दोनों जगहें – गड्ढा और क्षतिग्रस्त हिस्से – अभी भी ढकी हुई दिख रही हैं. ऐसा लगता है कि पाकिस्तान ने तिरपाल या अन्य सामग्री से इन्हें छिपाया है, ताकि मरम्मत जारी रख सके. अन्य पाकिस्तानी एयरबेस जैसे सरगोधा में जून 2025 तक रनवे की मरम्मत हो चुकी थी, लेकिन मुरीदके में काम धीमा चल रहा है. यह ढकाव नुकसान की गहराई दिखाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि अंडरग्राउंड सुविधा को ठीक करने में महीनों लग सकते हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक मई के हमलों से पाकिस्तानी सुविधाओं को सीमित लेकिन साफ नुकसान हुआ. पाकिस्तान की हवाई ताकत पर सवाल ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान की हवाई ताकत को कमजोर कर दिया. मुरीदके एयरबेस पर हमला न सिर्फ बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया, बल्कि पाकिस्तान के आत्मविश्वास को भी झकझोर दिया. भारत ने न्यूनतम नुकसान के साथ सटीक हमले किए, जो वायुसेना की क्षमता दिखाता है. पाकिस्तान ने शुरुआत में नुकसान को कम बताया, लेकिन सैटेलाइट तस्वीरों ने सच्चाई उजागर कर दी. नूर खान और सरगोधा जैसे अन्य बेस भी प्रभावित हुए. मुरीदके पर फोकस इसलिए, क्योंकि यह अंडरग्राउंड हथियार भंडारण का केंद्र था. भारत की सतर्कता बरकरार यह तस्वीरें दिखाती हैं कि मई के हमले का असर आज भी है. पाकिस्तान मरम्मत में जुटा है, लेकिन पूरी तरह ठीक होने में समय लगेगा. भारत के लिए यह चेतावनी है कि सीमा पर सतर्कता जरूरी है. ऑपरेशन सिंदूर ने साबित किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाएगा. विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसी तस्वीरें निगरानी के लिए महत्वपूर्ण हैं. गूगल अर्थ जैसी तकनीक से दुनिया को सच्चाई पता चलती है.

फाइनल में पाकिस्तान का जलवा, भारत को तीन बार झेलने पड़े करारे घाव

 नई दिल्ली यूएई में जारी टी20 एशिया कप 2025 का फाइनल मुकाबला आज यानी 28 सितंबर को खेला जाना है। आपको जानकर हैरानी होगी कि एशिया कप के फाइनल में पहली बार भारत और पाकिस्तान का आमना-सामना होना है। 41 साल पहले एशिया कप की शुरुआत हुई थी और अभी तक एक भी बार हमें इंडिया-पाकिस्तान के बीच फाइनल नहीं देखने को मिला था, लेकिन इस बार ऐसा होने जा रहा है। इंडिया और पाकिस्तान इस एशिया कप में दो बार आमने-सामने हुए हैं। दोनों बार भारत ने मैच जीते हैं, लेकिन फाइनल में पाकिस्तान की टीम भारत के खिलाफ खूंखार हो जाती है। ये हम नहीं कह रहे, बल्कि आंकड़े कह रहे हैं। दरअसल, टीम इंडिया और पाकिस्तान इससे पहले 12 बार किसी न किसी टूर्नामेंट या किसी न किसी सीरीज या कप के फाइनल में भिड़े हैं और आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि 12 में से 8 बार विजेता पाकिस्तान रहा है, जबकि सिर्फ 4 बार भारत को जीत मिली है। इसके अलावा 5 या इससे ज्यादा टीमों वाले टूर्नामेंट में 5 बार फाइनल में भारत और पाकिस्तान भिड़े हैं और इनमें से 3 बार भारतीय टीम को हार मिली है। इस तरह यहां भी फाइनल में भारत का पलड़ा भारी है, लेकिन मौजूदा टीम को देखें तो भारत पाकिस्तान से कहीं बेहतर है। कम से कम 5 टीमों वाले टूर्नामेंट की बात करें तो भारत और पाकिस्तान 5 बार फाइनल में भिड़े हैं। इंडिया ने वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ क्रिकेटर 1985 के फाइनल में पाकिस्तान को हराया था, जबकि पाकिस्तान ने ऑस्ट्रल एशिया कप 1986 और 1994 में जीता। भारत ने 2007 के टी20 विश्व कप फाइनल में पाकिस्तान को हराया था, जबकि पाकिस्तान ने चैंपियंस ट्रॉफी 2017 के फाइनल में टीम इंडिया को मात दी थी। T20I क्रिकेट में इंडिया वर्सेस पाकिस्तान हेड टू हेड इंडिया और पाकिस्तान टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट में अब तक 15 बार आमने-सामने हुए हैं। इनमें से 12 बार भारतीय टीम को जीत मिली है, जबकि सिर्फ तीन मैचों में पाकिस्तान की टीम को जीत मिली है। पिछले पांच टी20 इंटरनेशनल मैचों में से चार मैच भारत ने जीते हैं, जबकि सिर्फ एक मैच पाकिस्तान ने जीता है, जो टी20 एशिया कप 2022 का सुपर 4 का मुकाबला था।  

ऑपरेशन सिंदूर से घबराया पाकिस्तान, लश्कर का ट्रेनिंग कैंप अफगान सीमा पर पहुंचाया

खैबर पख्तूनख्वा  पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा इलाके में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का नया ट्रेनिंग सेंटर बन रहा है. यह खबर पूरे इलाके की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय बनी हुई है. यह सेंटर आतंकवाद को बढ़ावा दे सकता है. नया ट्रेनिंग सेंटर: मरकज जिहाद-ए-अकसा यह सेंटर लोअर डिर जिले के कुम्बन मैदान इलाके में बनाया जा रहा है. यह अफगान सीमा से करीब 47 किलोमीटर दूर है. 4643 वर्ग फुट के प्लॉट पर यह बन रहा है, जो LeT के हाल ही में बने जामिया अहले सुन्नाह मस्जिद के बगल में है.  निर्माण जुलाई 2025 में शुरू हुआ, जो ऑपरेशन सिंदूर के दो महीने बाद था. यह दिसंबर 2025 तक पूरा हो जाएगा. ऑपरेशन सिंदूर भारत की तरफ से था, जिसमें LeT के कई ठिकाने तबाह हो गए थे. मुख्य विशेषताएं और उद्देश्य     ट्रेनिंग प्रोग्राम: यहां दो मुख्य कोर्स चलेंगे – दौरा-ए-खास और दौरा-ए-लश्कर. ये आतंकियों को हथियार चलाना, हमले करना और जिहाद की ट्रेनिंग देंगे.     पुराने सेंटर की जगह: यह LeT के जान-ए-फिदाई फिदायीन यूनिट की जगह लेगा. यह यूनिट पहले भींबर-बरनाला के मरकज अहले हदीस में था, जो ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने नष्ट कर दिया था.     भर्ती और कट्टरवाद: यहां नए लोगों की भर्ती होगी, उन्हें कट्टर बनाया जाएगा. बड़े ग्रुप में ट्रेनिंग दी जाएगी. नेतृत्व और संचालन     कमांड: नसर जावेद को कमान सौंपी गई है. वह 2006 के हैदराबाद बम धमाके का सह-मास्टरमाइंड था. 2004 से 2015 तक वह PoK के दुलाई कैंप चला चुका है.     जिहाद की शिक्षा: मुहम्मद यासिन (उर्फ बिलाल भाई) जिहाद की धार्मिक शिक्षा देगा.     हथियार ट्रेनिंग: अनस उल्लाह खान हथियारों की ऑपरेशनल ट्रेनिंग संभालेगा. उसने 2016 में LeT के गढ़ी हबीबुल्लाह कैंप में ट्रेनिंग ली थी. रणनीतिक महत्व     स्थान बदलना: LeT ने PoK और पंजाब के पुराने ठिकानों को छोड़कर खैबर पख्तूनख्वा में शिफ्ट किया है. इसका मकसद भविष्य में भारतीय हमलों से बचना है.     दूसरे ग्रुप्स से तालमेल: यह सेंटर हिजबुल मुजाहिदीन के HM-313 कैंप से सिर्फ 4 किलोमीटर दूर है. इससे दोनों ग्रुप्स के बीच समन्वय या रणनीतिक सहयोग की आशंका है.     पाकिस्तानी सेना की भूमिका: जून 2025 में पाकिस्तानी सेना ने क्लीनअप ड्राइव चलाई, जिसमें 2 दर्जन से ज्यादा TTP (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) के सदस्य मारे गए. इससे इलाके को LeT के लिए साफ कर दिया गया लगता है. इलाके की सुरक्षा चिंताएं     आतंकी गतिविधियां: यह इलाका हमेशा से भारत-विरोधी आतंकवाद का केंद्र रहा है. यहां अल बद्र और TTP जैसे ग्रुप्स सक्रिय हैं.     नागरिकों की हानि: जून 2025 से पाकिस्तानी सेना और एयर फोर्स के हवाई हमलों में 40 से ज्यादा नागरिक मारे गए हैं. इससे काउंटर-टेररिज्म ऑपरेशंस की प्रभावशीलता पर सवाल उठे हैं.     पाकिस्तान की रणनीति: पाकिस्तान अच्छे आतंकवाद को बढ़ावा देता है और बुरे आतंकवाद को खत्म करता है. यह बात मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर ने खुद स्वीकार की है. इससे पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी प्रतिबद्धता पर शक होता है. यह नया सेंटर भारत और पूरे क्षेत्र के लिए खतरे की घंटी है. LeT जैसे ग्रुप्स की गतिविधियां बढ़ने से शांति भंग हो सकती है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस पर नजर रखनी चाहिए. भारत को अपनी सुरक्षा मजबूत करनी होगी ताकि ऐसे हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके.

सुपर-4 में पाकिस्तान की एंट्री, यूएई को हराया — अगला मुकाबला भारत से

दुबई  एशिया कप का 10वां मैच आज पाकिस्तान और मेजबान यूएई के बीच दुबई में खेला गया. इस मैच में 41 रनों से यूएई को हराकर पाकिस्तान ने सुपर-4 के लिए क्वालिफाई कर लिया है. रविवार को पाकिस्तान की भारत से भिड़ंत भी पक्की हो गई है.  इस मुकाबले में टॉस जीतकर यूएई ने पहले गेंदबाजी करने का फैसला लिया था. पाकिस्तान की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए फखर जमां की फिफ्टी और शाहीन आफरीदी की ताबड़तोड़ बल्लेबाजी के दम पर यूएई के सामने 147 रनों का लक्ष्य रखा था. इसके जवाब में उतरी यूएई की टीम 105 रनों पर ही सिमट गई. बता दें कि ये मैच तय समय से एक घंटे की देरी से शुरू हुआ था. क्योंकि पाकिस्तानी टीम ने शाम करीब 6 बजे इस मैच को खेलने से इनकार कर दिया था. हालांकि, बाद में पाकिस्तानी टीम मैच खेलने के लिए पहुंची. इस ग्रुप से टीम इंडिया और पाकिस्तान ने क्वालिफाई किया है, जबकि यूएई और ओमान बाहर हो गए हैं. 21 सितंबर को भारत-पाक मैच होगा. ऐसी रही यूएई की पारी 147 रनों के जवाब में उतरी यूएई की शुरुआत अच्छी रही. वसीम और शराफू ने कुछ अच्छे शॉट लगाए. लेकिन तीसरे ओवर में टीम को पहला झटका शराफू के रूप में लगा. इसके बाद कप्तान वसीम भी सस्ते में निपट गए. जोहैब भी कमाल नहीं दिखा पाए और 4 रन बनाकर आउट हो गए. इसके बाद राहुल चोपड़ा ने 35 रन बनाकर पारी को संभालने की कोशिश की. ध्रुव ने उनका साथ भी दिया. लेकिन दोनों का विकेट गिरने के बाद यूएई की पारी बिखर गई और ये मुकाबला गंवा दिया. इस हार के साथ ही यूएई का एशिया कप अभियान भी समाप्त हो गया है.  ऐसी रही पाकिस्तान की पारी पहले बल्लेबाजी करने उतरी पाकिस्तान की शुरुआत बेहद खराब रही. पहले ही ओवर में पाकिस्तान को झटका लगा जब सैम अयूब बिना खाता खोले आउट हो गए. भारत के खिलाफ भी अयूब खाता नहीं खोल सके थे. इसके बाद तीसरे ओवर में फिर पाकिस्तान का विकेट गिरा और फरहान आउट हो गए. फिर फखर जमां ने पारी को संभालने की कोशिश की. उन्होंने अर्धशतक भी लगाया. लेकिन पाक के रनों की रफ्तार धीमी ही रही. लेकिन अंतिम ओवरों में शाहीन शाह आफरीदी ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की और 14 गेंद में 29 रन पीट दिए, जिसकी बदौलत पाकिस्तान ने 20 ओवर में 146 रन बना लिया.  बता दें कि ये मुकाबला सुपर-4 के लिहाज से दोनों ही टीमों के लिए अहम था. इस मैच में जीत के साथ ही पाकिस्तान ने टीम इंडिया के साथ सुपर-4 के लिए क्वालिफाई कर लिया. पाकिस्तान ने एशिया कप में अपने अभियान की शुरुआत ओमान के खिलाफ की थी. इस मैच में पाक को बड़े अंतर से जीत मिली थी. लेकिन दूसरे मैच में उसे भारत के हाथों करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था. मैच से पहले हुआ तगड़ा ड्रामा इस मैच के शुरू होने से एक घंटे पहले पाकिस्तानी मीडिया ने दावा किया कि पाकिस्तान यूएई के साथ मैच नहीं खेलेगा. टीम होटल से स्टेडियम के लिए रवाना भी नहीं हुआ. मैच रेफरी एंडी पायक्रॉफ्ट को हटाने की मांग पर पीसीबी अड़ा रहा. लेकिन आईसीसी ने उनकी एक न सुनी और बाद में पाकिस्तान मैच खेलने के लिए राजी हो गया. इस मैच में एंडी पायक्रॉफ्ट ही रेफरी रहे.

आज की चूक से पाकिस्तान को होगा 141 करोड़ का नुकसान, साथ में दो और झटके तय

दुबई  पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) ने एशिया कप से हटने की धमकी देकर क्रिकेट की दुनिया में खलबली मचा दी है. पीसीबी अध्यक्ष और मौजूदा एशियन क्रिकेट काउंसिल (ACC) प्रमुख मोहसिन नकवी ने इस धमकी की नींव आईसीसी रेफरी एंडी पायक्रॉफ्ट से जुड़े विवाद पर रखी. दरअसल, भारत-पाकिस्तान मुकाबले के बाद हाथ मिलाने के दौरान हुए हंगामे के लिए नकवी ने पायक्रॉफ्ट को जिम्मेदार ठहराया और उन्हें हटाने की मांग कर दी. लेकिन आईसीसी ने इस मांग को खारिज कर दिया. इसके बाद पाकिस्तान ने एशिया कप छोड़ने की धमकी दी है.  एशिया कप 2025: पाकिस्तान को आज (17 सितंबर) यूएई के खिलाफ अपना अंतिम ग्रुप मैच खेलना है. मुकाबले से एक दिन पहले मंगलवार को पाकिस्तान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा नहीं लिया, जिससे टीम के रुख और तैयारियों पर सवाल खड़े हो गए हैं. यह धमकी जितनी बड़ी है, उसका वित्तीय जोखिम उससे कहीं ज्यादा है. पाकिस्तान यदि टूर्नामेंट छोड़ता है तो उसे 12 से 16 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 105 से 141 करोड़ रुपये तक का सीधा नुकसान झेलना पड़ेगा. एसीसी की कुल कमाई में भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और अफगानिस्तान को बराबर-बराबर 15-15 प्रतिशत हिस्सा मिलता है. यानी कुल 75 प्रतिशत राजस्व इन्हीं 5 देशों के बीच बंटता है. अकेले मौजूदा एशिया कप से पीसीबी की अनुमानित कमाई 1.2 से 1.6 करोड़ डॉलर के बीच है. आर्थिक रूप से पहले से कमजोर पीसीबी के लिए यह घाटा बहुत बड़ा साबित होगा. पाकिस्तान का वार्षिक बजट करीब 227 मिलियन डॉलर का है. ऐसे में 16 मिलियन डॉलर की चपत उसके राजस्व का लगभग 7 प्रतिशत खत्म कर देगी. इसे सह पाना किसी भी कमजोर बोर्ड के लिए आसान नहीं है. … प्रसारणकर्ता का भरोसा भी टूटेगा सोनी पिक्चर्स नेटवर्क इंडिया (SPNI) ने 2024 से 2031 तक एसीसी के साथ 170 मिलियन डॉलर का करार किया है. इस डील में महिला और अंडर-19 एशिया कप भी शामिल हैं. जाहिर है, इस डील का सबसे बड़ा आकर्षण भारत-पाकिस्तान मुकाबला है. अगर पाकिस्तान टूर्नामेंट से हटता है तो न केवल उसका हिस्सा कटेगा, बल्कि प्रसारणकर्ता का भरोसा भी टूटेगा. भारत-पाक मैच ही वह खजाना है, जिससे टीवी और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन स्लॉट प्रीमियम दरों पर बिकते हैं. ऐसे में प्रसारणकर्ता का गुस्सा सीधे पीसीबी और नकवी पर फूट सकता है. एसीसी में अलग-थलग पड़ने का खतरा पाकिस्तान के इस कदम का दूसरा बड़ा खतरा एसीसी बोर्डरूम में है. बाकी चार टेस्ट खेलने वाले देश यह सवाल जरूर उठाएंगे कि बिना भाग लिए पीसीबी को 15 प्रतिशत राजस्व क्यों दिया जाए. इससे नकवी की एसीसी अध्यक्ष के रूप में विश्वसनीयता भी बुरी तरह प्रभावित होगी. एक तरफ वह बोर्ड के मुखिया हैं और दूसरी तरफ परिषद के प्रमुख… इस टकराव से उनकी साख दोनों जगह कमजोर हो सकती है. सूत्रों के मुताबिक, नकवी का यह कदम पूरी तरह क्रिकेटीय नहीं, बल्कि राजनीतिक भी है. पाकिस्तान में घरेलू दबाव को देखते हुए वे अपनी ‘सख्त छवि’ बनाए रखना चाहते हैं. लेकिन असली सवाल यह है कि क्या वे अपने देशवासियों के सामने इज्जत बचाने के लिए बोर्ड को अरबों का घाटा झेलने देंगे? साफ है कि एशिया कप से हटने की धमकी पाकिस्तान के लिए आत्मघाती कदम साबित हो सकती है. उसे अरबों रुपये का नुकसान होगा, बोर्ड की साख गिरेगी और एसीसी में उसकी स्थिति कमजोर होगी. मोहसिन नकवी चाहे जितनी भी कूटनीति करें, लेकिन इस मामले में पाकिस्तान के पास खोने के लिए बहुत कुछ है और पाने के लिए लगभग कुछ भी नहीं.