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MiG-2 ने भरी आखिरी उड़ान, भारतीय वायुसेना ने किया सलामी के साथ विदा

चंडीगढ़   चंडीगढ़ के इंडियन एयरफोर्स स्टेशन से भारतीय वायुसेना के प्रसिद्ध जंगी विमान मिग-21 की विदाई का महत्त्वपूर्ण क्षण नजदीक आ गया है। आज 12 विंग एयरफोर्स स्टेशन में इसके अंतिम प्रस्थान से पहले फुल ड्रेस रिहर्सल का आयोजन हुआ, जिसमें मिग-21 को वाटर कैनन सैल्यूट के साथ सम्मानित किया गया। आसमान में सूर्य किरण एरोबेटिक टीम और आकाश गंगा स्काई डाइवर्स ने शानदार एरोबेटिक प्रदर्शन कर समारोह को यादगार बना दिया। जब मिग-21 ने गर्जना करते हुए उड़ान भरी, तो पूरा शहर गूंज उठा। 62 वर्षों के गौरवशाली इतिहास के साथ अब मिग-21 भारतीय वायुसेना से विदा हो रहा है। मिग-21 को पहली बार 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। मिकोयन ग्युरेविच (मिग-21) का चंडीगढ़ से करीब छह दशक पुराना गहरा नाता रहा है, और यहीं से इसकी विदाई हो रही है। यह विमान न केवल वायुसेना के लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय रहा है। इसकी विदाई भावुक कर देने वाला क्षण होगा, क्योंकि इसने दशकों तक देश की हवाई सीमाओं की सुरक्षा की है। 26 सितंबर को मिग-21 की आखिरी उड़ान भारतीय वायुसेना ने मिग-21 को आधिकारिक तौर पर 26 सितंबर को रिटायर करने का ऐलान किया है। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के आगरा से विशेष टीम भी चंडीगढ़ पहुंच रही है, ताकि इस ऐतिहासिक विदाई में हिस्सा ले सके। मिग-21 का गौरवशाली इतिहास      1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया।     भारत का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान, जिसकी गति ध्वनि की गति से भी अधिक थी।     1971 के भारत-पाक युद्ध में दुश्मन के कई विमानों को मार गिराकर निर्णायक भूमिका निभाई।     कारगिल युद्ध (1999) में भी वीरता और ताकत का परिचय दिया।     ‘वायुसेना की रीढ़’ के रूप में विख्यात, देश की हवाई सुरक्षा की आधारशिला रहा।     62 वर्षों तक भारतीय वायुसेना की ताकत बना रहा। मिग-21 की तकनीकी खूबियां     अधिकतम गति लगभग 2,200 किलोमीटर प्रति घंटा (Mach 2.05)।     उड़ान की अधिकतम ऊंचाई 17,500 मीटर।     हवा से हवा और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस।     छोटा, परंतु अत्यंत शक्तिशाली डिजाइन, जो तेज हमलों और हवाई युद्ध के लिए उपयुक्त। मिग-21 की विदाई न केवल भारतीय वायुसेना के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक भावुक और गौरवशाली क्षण है। यह विमान वर्षों तक हमारी हवाई सीमाओं की रक्षा करता रहा और अब अपनी आखिरी उड़ान के साथ इतिहास बन जाएगा।

चुनाव आयोग का अहम ऐलान, पहले पोस्टल बैलेट फिर EVM की गिनती होगी बिहार में

पटना  बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इलेक्शन कमीशन (चुनाव आयोग) ने बड़ा ऐलान किया है. गुरुवार को आयोग ने बताया कि अब वोटों की गिनती के समय EVM से पहले पोस्टल बैलेट के वोटों की गिनती होगी. यह फैसला पोस्टल बैलेट की संख्या में हुई भारी बढ़ोतरी के मद्देनजर लिया गया है. आयोग ने बताया इसका उद्देश्य वोटों की गिनती में देरी को कम करने के साथ-साथ पारदर्शिता और एकरूपता सुनिश्चित करना है.   पोस्टल बैलेट की गिनती के बाद ही खुलेंगे EVM नए निर्देश के अनुसार, चुनाव आयोग ने कहा कि ईवीएम/वीवीपैट की मतगणना का दूसरा अंतिम चरण तब तक शुरू नहीं होगा जब तक डाक मतपत्रों (पोस्टल बैलट) की गिनती पूरी नहीं हो जाती उस मतगणना केंद्र पर जहां डाक मतपत्रों की गिनती हो रही है. चुनाव आयोग ने यह भी निर्देश दिया कि जहां डाक मतपत्रों की संख्या अधिक हो, वहां रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) को यह सुनिश्चित करना होगा कि पर्याप्त संख्या में टेबल और गिनती कर्मचारी उपलब्ध हों ताकि कोई देरी न हो और मतगणना प्रक्रिया को और सुचारू बनाया जा सके.  चुनाव आयोग के बदलाव से क्या बदलेगा? चुनाव आयोग ने अपने आदेश में साफ तौर पर कहा है कि जब तक पोस्टल बैलेट की गिनती पूरी नहीं होती है. किसी भी हालत में ईवीएम नहीं खोली जा सकेगी. आम तौर पर अब तक ऐसा होता चला आ रहा है कि पोस्टल बैलेट की गिनती पूरी न होने के बाद भी 8:30 बजे ईवीएम खोल दी जाती थी. हालांकि अब ऐसा नहीं हो सकेगा. अब पोस्टल बैलेट की गिनती पूरी होने के बाद ही ईवीएम खोली जाएगी. चुनाव आयोग ने साफ किया कि अगर किसी जगह ज्यादा पोस्टल बैलेट हैं, तो इसके लिए ज्यादा टेबल लगाई जाएंगी. अगर कोई समस्या आती है तो इसकी जिम्मेदारी वहां मौजूद चुनाव अधिकारियों की है. अगर कहीं ज्यादा कर्मचारियों की जरुरत पड़ती है तो वो भी किया जाएगा. ताकि परिणाम आने में किसी भी तरह की कोई देरी न हो, लेकिन पहले पोस्टल बैलेट की गिनती ही पूरी की जाएगी. इसके नतीजों के बाद ईवीएम में मौजूद वोटों की गिनती शुरू होगी. पोस्टल बैलेट से कौन देता है वोट? पोस्टल बैलेट की शुरुआत चुनाव आयोग की तरफ से वोटिंग के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई थी. इसका इस्तेमाल उन लोगों के द्वारा किया जाता है जो कि अपनी नौकरी के कारण अपने चुनाव क्षेत्र में मतदान नहीं कर पाते हैं. इसके साथ ही 80 साल से ऊपर के लोग पोस्टल बैलेट के जरिए ही वोट देते हैं. इनमें दिव्यांग व्यक्ति भी शामिल होते हैं. हालांकि इससे पहले रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है. आम लोगों की वोटिंंग से कई दिन पहले ही इनकी वोटिंंग पूरी हो जाती है.जब भी किसी चुनाव में वोटों की गणना शुरू होती है तो सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होती है. इसके बाद ईवीएम में दर्ज वोटों की गिनती होती है. चुनाव प्रक्रिया में लगातार बदलाव कर रहा है आयोग प्रेस नोट में इस बात पर जोर दिया गया है कि यह पूरी प्रक्रिया को और अधिक सुव्यवस्थित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह पहल चुनाव आयोग की ओर से पिछले छह महीनों में किए गए व्यापक चुनावी सुधारों की श्रृंखला का एक हिस्सा है. आयोग के पिछले 29 उपायों में मतदाताओं की सुविधा बढ़ाने, चुनावी प्रणाली को मजबूत करने और तकनीक के उपयोग को बेहतर बनाने की पहल शामिल रही हैं. 

स्विट्जरलैंड में रह रही रोहिणी ने सांसद पर गंभीर आरोप लगाए, आत्महत्या की धमकी से परिवार में चिंता

इंदौर  भीम आर्मी के संस्थापक और यूपी के नगीना लोकसभा क्षेत्र से सांसद चंद्रशेखर पर इंदौर की एक महिला ने यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं. पीएचडी स्कॉलर डॉ रोहिणी घावरी ने बुधवार को धमकी दी है कि उन्हें अगर न्याय नहीं मिला तो वह आत्महत्या कर लेंगी. इसे लेकर उन्होंने सोशल मीडिया एक्स अकाउंट पर कई पोस्ट किए हैं. डॉ रोहिणी घावरी इंदौर की रहने वाली हैं और वर्तमान में वह स्विटजरलैंड में रह रहीं हैं. सोशल मीडिया पर उनकी आत्महत्या की बात से इंदौर में रहने वाले उनके माता-पिता परेशान हैं और अपनी बेटी से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं. उनका अब तक उनकी बेटी रोहिणी से संपर्क नहीं हो पाया है. सांसद चंद्रशेखर पर शारीरिक और मानसिक शोषण का आरोप इंदौर की रहने वाली डॉ रोहिणी घावरी ने नगीना लोकसभा क्षेत्र से सांसद चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण पर कई दिनों तक शारीरिक और मानसिक रूप से शोषण का आरोप लगाया है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है कि इस मामले की शिकायत वह कई बार दिल्ली पुलिस को कर चुकी हैं. अधिकारियों से मिलकर कई सबूत भी दे चुकी हूं लेकिन पुलिस ने इस मामले में किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की. 3 महीने पहले लगाए थे रोहिणी ने आरोप डॉ रोहिणी घावरी ने चंद्रशेखर पर 3 महीने पहले गंभीर आरोप लगाए थे. पुलिस के साथ उन्होंने महिला आयोग में भी शिकायत की थी और कहा था कि यह स्वाभिमान और आत्मसम्मान की लड़ाई है और वह अब पीछे नहीं हटेंगी. महिला आयोग में की गई शिकायत में उन्होंने बताया कि चंद्रशेखर से उनकी मुलाकात 2020 में हुई थी. 2024 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उनका व्यवहार बदल गया. इंदौर में रहने वाले माता-पिता परेशान सोशल मीडिया पर उनकी आत्महत्या वाली पोस्ट देखकर इंदौर में रहने वाले उनके माता-पिता परेशान हैं. पिता शिव घावरी का कहना है कि "उन्हें भी सोशल मीडिया के द्वारा अपनी बेटी के द्वारा इस तरह के कदम उठा लेने की जानकारी मिल रही है. वह पिछले कई घंटों से लगातार अपनी बेटी रोहिणी से संपर्क करने में लगे हुए हैं लेकिन अभी तक उसने हमसे भी कोई बात नहीं की है. जिसके चलते हम काफी डिप्रेशन में आ चुके हैं." '2020 में रोहिणी से हुई थी जान-पहचान' रोहिणी के पिता शिव घावरी ने भी चंद्रशेखर उर्फ रावण पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि उनकी बेटी की शिकायत पर सुनवाई नहीं हो रही है. चंद्रशेखर से 2020 में उसकी जान पहचान हुई थी. चंद्रशेखर ने रोहिणी को यह आश्वासन दिया था कि वह अविवाहित है और उससे शादी कर लेगा. इसके चलते दोनों काफी दिनों तक साथ में भी रहे. कौन हैं रोहिणी घावरी इंदौर की रहने वाली वाली रोहिणी घावरी बाल्मिकी समुदाय से आती हैं और उनके पिता सफाईकर्मी हैं. 2019 में मध्य प्रदेश सरकार की स्कॉलरशिप से स्विट्जरलैंड में रहकर उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं. उन्होंने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में पीएचडी किया है. इसके पहले रोहिणी ने इंस्टिट्यूट ऑफ कॉमर्स से फॉरेन ट्रेड में बीबीए किया है. उसके बाद इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से मार्केटिंग में एमबीए किया है. वह अपना एक एनजीओ भी चलाती हैं और दलित समुदाय के उत्थान के लिए काम करती हैं. 

लंबे समय से टैक्स नहीं चुकाने वालों पर निगम की कार्रवाई, परिसर पर लगाया ताला

रायपुर  नगर निगम के अमले ने वर्षों से संपत्तिकर जमा नहीं करने वाले बड़े बकायादारों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए आज व्यावसायिक परिसरों में ताला लगाकर सीलबंद की कार्रवाई की. जिन परिसरों में तालाबंदी की कार्रवाई की गई, उनमें संत रविदास वार्ड 70 स्थित पार्थिवी प्रोविन्स – डॉ. शैलेष वर्मा, वीर सावरकर नगर वार्ड-01 स्थित राहुल धारीवाल पिता राजेंद्र धारीवाल, लीलावती देवी सिंग पति-अशोक सिंग, ओमप्रकाश तिवारी पिता-आर.ए. तिवारी, सुरेन्दर सिंग, गुरविन्दर सिंग पिता-प्रीतम सिंग, नीलम मिश्रा पति-संजय मिश्रा, राजेश चन्द्राकर पिता-गंगा प्रसाद और हरभजन सिंग पिता-टहल सिंग शामिल हैं.

सीवर लाइन में उतरे मजदूरों पर आफत, सतना में एक की जान गई, दो घायल

सतना जिला में मैला सफाई के दौरान एक मजदूर की जान गवाने का मामला सामने आई है। सतना नगर निगम क्षेत्र कृपालपुर में सफाई के लिए तीन मजदूर सीवर लाइन की पाइप में उतरें। लेकिन पाइप के अंदर अंदर मीथेन गैस के रिसाव के प्रभाव में आकर तीनों मजदूर अंदर ही बेहोश हो कर फस गए। जिसकी जानकारी लगते ही स्थानीय लोगों द्वारा तीनों मजदूरों को बाहर निकालने का प्रयास किया गया। लेकिन उनमें से एक मजदूर अमित कुमार कि तब तक जान जा चुकी थी। जबकि दो गंभीर रूप से घायल हैं। इनकी कोई पहचान नहीं हो सकीं। इस दौरान लोगों ने शहर सरकार के ऊपर गंभीर आरोप लगाए कि इस घटना की जानकारी लगते ही मौके पर जुटे लोगो ने 112, फायर, नगर निगम, महापौर सभी को इसकी जानकारी दी लेकिन मौके ओर कोई नही पहुंचा। जिससे नाराज लोगो ने मजदूरों की जनन बचने और उन्हें बाहर निकलने की जद्दोजहद में जुट गए और पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल करने लगे। इसके बाद नगर निगम के अभियंताओं से लेकर महापौर तक सब घटनास्थल पर पहुच गए। हालंकि इस घटना के बाद मजदूरों को बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्थानीय नागरिक सौरभ सिंह ने कोलगवां थाने में लिखित शिकायत करते हुए संबंधितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का शिकायती आवेदन भी दिया है। आंकड़ों पर नजर डालें तो 2019 से 2024 के बीच सीवर और सेप्टिक टैंक में उतरने के कारण दिल्ली में ही 37 लोगों की मौत हो चुकी है। ये मौतें तब हुईं, जब सरकार मशीनों से सफाई कराने का दावा करती रही है। वहीं 2019 से अब तक देश भर में 430 लोगों की मौत हो चुकी है। वो भी तब जब बिना उपकरणों के सफाई कराने के खिलाफ कानून मौजूद हैं। चार दिन में दूसरा हादसा लगातार दूसरी घटना से दहशत का माहौल सीवर चेंबर में जहरीली गैस से कर्मचारियों की तबीयत बिग?ने का ये दूसरा मामला है। इससे पहले 22 सितंबर को दोपहर करीब 12 बजे महादेव रोड पर क्रिस्तुकुला स्कूल के पास आदर्श शुक्ला और किशन वर्मा सीवर लाइन की सफाई कर रहे थे। इसी दौरान जहरीली गैस के कारण दोनों बेहोश होकर गिर पड़े। मौके पर मौजूद लोगों ने तुरंत अधिकारियों को सूचना दी। दोनों कर्मचारियों को बाहर निकाला। एसडीएम राहुल सिलडय़िा मौके पर पहुंचे और अपनी गाड़ी से दोनों कर्मचारियों को जिला अस्पताल ले गए थे। यह हादसा बीते सप्ताह हुई समान घटना के बाद सामने आया है, जिसने सफाईकर्मियों और उनके परिजनों में भारी दहशत फैला दी है। सवाल यह है कि लाखों रुपए खर्च कर खरीदी गई सुरक्षा किट मजदूरों तक क्यों नहीं पहुंचाई जा रही? 2 घायल गायब, पीडि़त के स्वजनों को 50 लाख मुआवजे की मांग घटना के बाद जिला कांग्रेस के पदाधिकारी व कार्यकर्ता जिला चिकित्सालय पहुंच गए। जहां उन्हें हादसे में घायल दो मजदूर नदारद मिले, जिनकी जानकारी किेसी भी प्रशासनिक अमलें को नहीं थी। जिसके बाद सभी कांग्रेसियों ने मजदूर के पीडि़त स्वजनों को पचास लाख मुआवजा देने की मांग पर अड़ गए। कांग्रेसियों ने मौके पर ही दो अन्य घायलों को ठेकेदार पर गायब कराने का आरोप लगाया। जिलाध्यक्ष सिद्धार्थ कुशवाहा ने कहा, कलेक्टर से हुई है चर्चा। मामले के सभी दोषियों पर प्रकरण दर्ज कराने और मृतक को मुआवजा दिलाने की मांग रखी गई है । ऐसी घटना दोबारा न हो, इसके लिए सख्त कदम उठाए जाएं।  

ओवैसी का हमला: बराबरी चाहिए थी, मंत्री पद नहीं — बिहार की सियासत में मुस्लिम प्रतिनिधित्व पर उठाए सवाल

पटना ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष लालू प्रसाद और उनके पुत्र तेजस्वी यादव  पर आरोप लगाया कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन को लेकर उनकी पार्टी की ओर से किए गए आग्रहों पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि एआईएमआईएम ने केवल बराबरी का दर्जा मांगा था, मंत्री पद की कोई इच्छा जाहिर नहीं की थी। हमारी केवल यही मांग थी कि हमें बराबरी का दर्जा मिले… हैदराबाद के सांसद ओवैसी किशनगंज जिले में एक रैली को संबोधित कर रहे थे। यह रैली उनके चार दिवसीय ‘‘सीमांचल न्याय यात्रा'' का हिस्सा है। सीमांचल क्षेत्र में अच्छी खासी मुस्लिम आबादी है। ओवैसी ने कहा, ‘‘हमारे बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव को तीन पत्र लिखकर ‘इंडिया' गठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई थी। उन्होंने कहा कि हमने केवल छह सीट की मांग की थी, हमें किसी मंत्री पद की चाहत नहीं थी।'' ओवैसी ने कहा, ‘‘हमारी केवल यही मांग थी कि हमें बराबरी का दर्जा मिले, गुलाम की तरह व्यवहार न किया जाए। लेकिन अब तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया।'' राजद की ‘‘उपेक्षा'' को दोषी ठहराते हुए ओवैसी ने कहा कि बिहार में मुस्लिम समुदाय के पास अपनी कोई ठोस नेतृत्वकारी ताकत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘यादव, कुशवाहा, कुर्मी, मांझी, राजपूत और पासवान यानी हर जाति के अपने नेता हैं। लेकिन मुसलमानों का कोई अपना नेता नहीं है।'' उन्होंने सवाल किया, ‘‘जब तेजस्वी मुख्यमंत्री बनने का सपना देख सकते हैं तो सीमांचल का कोई युवा नेता क्यों नहीं बन सकता? ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी ने यह पहल इसलिए की ताकि उसपर भाजपा की मदद करने के आरोप न लगें। उन्होंने कहा, ‘‘राजद की ओर से सही प्रतिक्रिया नहीं आने से यह साफ हो जाएगा कि वास्तव में भाजपा की मदद कौन कर रहा है।'' एआईएमआईएम ने पिछला विधानसभा चुनाव 20 सीट पर लड़ा था और पांच सीट पर जीत हासिल की थी। हालांकि बाद में पांच में से चार विधायक राजद में शामिल हो गए और केवल अख्तरुल इमान ही पार्टी के साथ बने रहे। सीमांचल क्षेत्र में पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार जिले आते हैं। इस क्षेत्र में अच्छी खासी मुस्लिम आबादी है। ओवैसी दिन में बाद में अररिया जिले में भी जनसभाओं को संबोधित करेंगे।  

ओवैसी का सियासी तीर: NDA जीती तो नीतीश नहीं, कोई और होगा बिहार का मुख्यमंत्री

पटना  बिहार चुनाव में अपनी पार्टी की किस्मत आजमाने के लिए एआईएमआईएम (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी भी कूद चुके हैं। कल उन्होंने सीमांचल में रैली का आगाज कर दिया। इस दौरान वह सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्षी दलों पर भी खूब बरसे। साथ ही उनके बीजेपी की बी टीम कहने पर भी पलटवार किया। ओवैसी ने एक इंटरव्यू के दौरान यह भी दावा किया है कि बिहार में अगर एनडीए गठबंधन की जीत होती है इसबार नीतीश कुमार की जगह भाजपा का कोई नेता मुख्यमंत्री बनेगा। ओवैसी ने कहा, 'बिहार में अगर एनडीए की सरकार बनी तो इसबार नीतीश कुमार नहीं, बल्कि भाजपा का सीएम होगा।' जब उनसे पूछा गया कि आप भाजपा की बी टीम बनने का आरोप लगता है। आप मुस्लिम वोट काटने के लिए बिहार आए हैं। उन्होंने कहा कि यह महज आरोप है। लालू यादव के घर के बाहर पार्टी कार्यकर्ताओं के पहुंचने पर उन्होंने कहा कि दुश्मन भी आपके घर पर पहुंचता है तो उसे बिठाकर बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लालू यादव और तेजस्वी यादव को किस बात का डर है मुझे नहीं मालूम। मेरे दिल में कोई डर नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछली बार की तरह इस चुनाव में भी सीमांचल में जो भी दल रहेगा उनके हराएंगे। आपको बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल में पांच सीटों पर जीत हासिल कर लोगों को चौंका दिया था। यह राजद के लिए बड़ा झटका साबित हुआ था। हालांकि, बाद में चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे। इससे पहले बिहार में भाजपा की मदद करने के आरोपों पर नाराजगी जताते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को कहा था कि आगामी विधानसभा चुनाव में अगर उनकी पार्टी को छह सीट दी जाती हैं तो वह विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल हो जाएंगे। हैदराबाद से सांसद ओवैसी किशनगंज में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। किशनगंज उत्तर बिहार का एक ऐसा जिला है जहां की लगभग दो-तिहाई आबादी मुस्लिम है। यहीं से उन्होंने तीन दिवसीय ‘सीमांचल न्याय यात्रा’ की शुरुआत की। ओवैसी ने कहा, “मेरी पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को कई पत्र लिखे हैं। आखिरी पत्र में अनुरोध किया गया है कि विधानसभा की 243 सीटों में से एआईएमआईएम को छह सीटें दी जाएं।” उन्होंने कहा, “अब गेंद ‘इंडिया’ गठबंधन के पाले में है। हमने यह पहल इसलिए की ताकि हम पर भाजपा की मदद करने का आरोप न लगे। अगर गठबंधन की तरफ से उचित जवाब नहीं मिलता है तो यह साफ हो जाएगा कि वास्तव में भाजपा की मदद कौन कर रहा है।”

‘भारत से दिक्कत है…’ बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार यूनुस का विवादित बयान फिर चर्चा में

ढाका  बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने एक बार फिर भारत पर तीखी टिप्पणी की है. न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी में आयोजित इंटरैक्टिव सेशन में यूनुस ने आरोप लगाते हुए कहा कि फिलहाल भारत के साथ बांग्लादेश के संबंध तनावपूर्ण हैं क्योंकि भारत को उनके देश के छात्रों द्वारा किए गए हालिया आंदोलन पसंद नहीं आए. यूनुस ने कहा, "हमें अभी भारत के साथ कुछ दिक्कते हैं. उन्हें यह अच्छा नहीं लगा कि बांग्लादेश में छात्र क्या कर रहे हैं. और वे शेख हसीना की मेजबानी कर रहे हैं, जो पूर्व प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने ये सारी समस्याएं पैदा कीं और अपने कार्यकाल में कई युवा लोगों को मारने जैसी घटनाओं को अंजाम दिया. यही चीज भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव पैदा कर रही है. उन्होंने आगे दावा करते हुए कहा कि सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म से लगातार भारत की ओर से फर्जी खबरें और प्रचार फैला रहे हैं, जिसमें इस आंदोलन को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. वे इसे इस्लामी आंदोलन और छात्रों को तालिबानी बता रहे हैं. कह रहे हैं कि उन्हें ट्रेनिंग दी गई है. वे तो यहां तक कहते हैं कि मैं भी तालिबानी हूं. हालांकि मेरे पास दाढ़ी नहीं है और मैं घर पर ही रहा. फिर भी, मेरा प्रचार लगातार जारी है. यूनुस ने जोर देते हुए कहा कि इसलिए मुझे सामने आकर अपनी पहचान दिखानी पड़ी. उन्होंने कहा, "देखिए, यह मुख्य तालिबान है. यही स्थिति वास्तविकता में है." बता दें कि यह टिप्पणी तब आई है जब बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार न्यूयॉर्क में हैं और संयुक्त राष्ट्र की सत्र में भाग लेने आए हैं. यूनुस का कहना है कि भारत के साथ यह तनाव केवल छात्रों के आंदोलनों और मीडिया प्रचार के कारण उत्पन्न हुआ है और इसे राजनीतिक रूप से बढ़ाया जा रहा है.

छोटी बात पर बस में भिड़े शिक्षक और प्राचार्य, बालाघाट के स्कूल में पैदा हुआ तनावपूर्ण माहौल

बालाघाट लालबर्रा के नेवरगांव स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से शिक्षा जगत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। यहां एक व्यवसायिक शिक्षक ने प्रभारी प्राचार्य की सिर्फ इसलिए बेरहमी से पिटाई कर दी, क्योंकि प्रभारी प्राचार्य ने शिक्षक को नियत समय पर ही स्कूल से जाने कहा था। जल्दी छुट्टी न देने पर व्यवसायिक शिक्षक वीरेंद्र ब्रम्हे इतना आक्रोशित हो उठा कि उसने मौका पाते ही प्रभारी प्राचार्य नवीन लोढ़ा की बस में पिटाई कर दी। प्राचार्य को आईं गंभीर चोटें हाथ-मुक्कों से पिटाई से नवीन को गंभीर चोटें आई हैं। वह जिला अस्पताल में भर्ती हैं। शिक्षक ने प्रभारी प्राचार्य को जान से मारने की धमकी देकर गाली-गलौच की। घटना बुधवार शाम की है। जानकारी लगते ही गुरुवार सुबह स्कूली विद्यार्थी आक्रोशित हो गए। उन्होंने दोपहर डेढ़ बजे तक स्कूल में प्रदर्शन किया। कक्षाएं नहीं लगने दीं और जमकर नारेबाजी की। फिर से शुरू किया गया स्कूल का संचालन तहसीलदार, बीआरसी, बीईओ की समझाइश के बाद विद्यार्थियों ने प्रदर्शन समाप्त किया और स्कूल का संचालन किया गया। प्रभारी प्राचार्य की शिकायत पर लालबर्रा पुलिस ने आरोपित शिक्षक वीरेंद्र ब्रम्हे के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर लिया है। इस घटना की आजाद अध्यापक संघ ने कड़ी निंदा की है।

विधान परिषद सदस्य डॉ. निर्मल ने समाजवादी पार्टी पर साधा निशाना

लगाया आरोप: सपा सरकार में गंजिंग करने से भी डरती थीं महिलाएं जातिवाद का जहर घोलकर समाज में वैमनस्यता फैला रही है सपा: लालजी प्रसाद लखनऊ, उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष एवं विधान परिषद सदस्य डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी और उसके मुखिया अखिलेश यादव शुरू से ही आरक्षण और दलितों के मसीहा बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के विरोधी हैं। सपा शासन में मुख्यमंत्री रहते अखिलेश यादव ने दलित कर्मचारियों के प्रोन्नति में आरक्षण खत्म किया। वह चाहते तो  दलितों के साथ ही पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियों के लिए भी प्रोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था लागू कर सकते थे। सपा दलितों के साथ ही पिछड़ा वर्ग की भी विरोधी है। बाबा साहब के खिलाफ अपमानजनक बातें करते हैं सपा के नेता डॉ. निर्मल ने आरोप लगाया कि सपा सांसद ने ही लोकसभा में दलित कर्मचारियों के प्रोन्नति में आरक्षण के बिल को फाड़ा। इतना ही नहीं, सपा के कई नेता बाबा साहब के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर अपमानजनक बात करते रहे, अब दलितों का वोट पाने की खातिर वह आरक्षण और अम्बेडकर की बात करने लगे हैं। जातिवाद समाप्त करने को संकल्पित है योगी सरकार एमएलसी डॉ. निर्मल ने कहा कि राज्य की योगी सरकार प्रदेश से जातिवाद खत्म करने को कृतसंकल्पित है तो ऐसे में अखिलेश यादव को दलितों के साथ ही पिछड़ा वर्ग को जोड़ने और उनके अधिकारों की बात याद आ रही है। मुख्यमंत्री जी हजरतगंज में जीएसटी कम होने से आम जन को होने वाले फायदे बता रहे थे, इस पर उनका कहना कि योगी जी गंजिंग करने गये थे। यह बेहद गलत है। सपा शासनकाल में तो कोई भद्र पुरुष या महिला स्वतंत्र होकर गंजिंग भी नहीं कर सकती थी। सपा के गुण्डाराज में महिलाएं घर में रहकर ही खुद को ज्यादा सुरक्षित समझतीं थीं। अखिलेश को दर्द, जमीन पर कब्जा नहीं कर पा रहे सपा के गुंडे डॉ. निर्मल ने कहा कि चाहे जमीनों पर कब्जा करने का मामला हो या नियुक्तियों में धांधली करके एक जाति विशेष को नौकरी देने का, सपा सरकार में यह सब संभव था, लेकिन योगी जी के नेतृत्व में चल रही राज्य सरकार में अब सपा के कथित गुंडे न तो दलितों और न ही सामान्य व्यक्ति की जमीन पर कब्जा कर पा रहे हैं। यही दर्द अखिलेश जी को है। यही वजह है कि योगी सरकार की जनहित की योजनाएं हों या जातिवादी व्यवस्था को खत्म करने की पहल, सपा इन सभी का विरोध कर रही है, लेकिन वंचित समाज के लोग अब समझ चुके हैं कि उनकी भलाई किसके साथ रहने में है। अब वे दोबारा सपा नेताओं के बहकावे में आने वाले नहीं हैं।