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एनडीए में सीट शेयरिंग पर चला सियासी पेंच, चिराग पासवान ने जताई 54 सीटों की मांग

पटना              बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर हलचल तेज हो गई है. सूत्रों के अनुसार  दिल्ली में चिराग पासवान और बीजेपी नेताओं धर्मेंद्र प्रधान व विनोद तावड़े के बीच करीब पचास मिनट तक चली बैठक में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की ओर से सीटों की मांग रखी गई. एलजेपी (आर) के सूत्रों की मानें तो पार्टी बिहार चुनाव में 45 से 54 सीटों पर चुनाव लड़ने का लक्ष्य लेकर चल रही है. क्या है चिराग पासवान की मांग? बैठक में एलजेपी (रामविलास) की ओर से साफ कहा गया कि पार्टी को 2024 लोकसभा चुनाव में जीती गई पांच सीटों और 2020 विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन को आधार बनाकर सीटें दी जानी चाहिए. चिराग पासवान की ओर से मांग की गई कि जिन पांच लोकसभा क्षेत्रों पर एलजेपी (रामविलास) ने जीत दर्ज की है, वहां से प्रत्येक क्षेत्र में कम से कम दो विधानसभा सीटें पार्टी को दी जाएं. इसके अलावा एलजेपी के बड़े नेताओं के लिए भी सीटों की मांग सामने रखी गई है. बैठक में बीजेपी की ओर से चिराग पासवान को भरोसा दिलाया गया कि उनकी मांगों पर पार्टी स्तर पर चर्चा कर जल्द ही उन्हें जवाब दिया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में चिराग पासवान और बीजेपी के शीर्ष नेताओं के बीच एक और बैठक होगी, जिसमें अंतिम रूप से सीट शेयरिंग पर सहमति बनाई जा सकती है. दो तीन दिन में हो सकता है सीट बंटवारे का एलान चुनावी समीकरण और राजनीतिक माहौल को देखते हुए एनडीए अगले दो से तीन दिनों में सीट बंटवारे को फाइनल कर उसका औपचारिक ऐलान कर सकता है. संभावना जताई जा रही है कि पटना में ही एनडीए गठबंधन की ओर से सीट शेयरिंग का एलान किया जाएगा. चिराग पासवान ने ब्रह्मपुर और गोविंदगंज सीटों पर ठोकी दावेदारी चिराग पासवान ने ब्रह्मपुर और गोविंदगंज सीट अपनी पार्टी के नेताओं के लिए मांगी हैं. सूत्रों के मुताबिक, चिराग चाहते हैं कि ब्रह्मपुर सीट उनके संसदीय बोर्ड अध्यक्ष हुलास पांडे को मिले. 2020 के चुनाव में एनडीए ने यह सीट वीआईपी को दी थी. उस समय एलजेपी से हुलास पांडे मैदान में उतरे थे और 30,035 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे. एनडीए खेमे से वीआईपी उम्मीदवार जयराज चौधरी तीसरे पायदान पर रहे थे, जबकि सीट पर आरजेडी का कब्जा हो गया था. गोविंदगंज सीट राजू तिवारी के लिए चाहते हैं चिराग इसी तरह गोविंदगंज सीट के लिए चिराग ने अपने प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी का नाम आगे बढ़ाया है. यह सीट फिलहाल बीजेपी के पास है. 2020 में एलजेपी से राजू तिवारी ने यहां चुनाव लड़ा था और 31,300 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे थे. चिराग पासवान ने अपने नेताओं द्वारा पिछले चुनाव में 30 हजार से ज्यादा वोट हासिल करने को आधार बनाकर इन दोनों सीटों पर दावा ठोका है. सूत्रों ने बताया कि आज की बैठक में सिर्फ सीट बंटवारे का मुद्दा ही नहीं, बल्कि बिहार के चुनावी माहौल, संभावित चुनावी मुद्दों और दिवंगत नेता रामविलास पासवान की पुण्यतिथि की तैयारियों पर भी चर्चा की गई. क्या चुनाव में अपनी मजबूत स्थिति दर्शाना चाहते हैं चिराग? चिराग पासवान की यह सक्रियता और सीटों पर उनकी सख्त मांग यह दर्शाती है कि एलजेपी (रामविलास) आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी मजबूत स्थिति दर्ज कराना चाहती है. अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि एनडीए में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला क्या होगा और चिराग पासवान की कितनी मांगें पूरी की जाती हैं.  पटना लौट सकते हैं चिराग पासवान सूत्रों के मुताबिक, चिराग पासवान दिल्ली से पटना के लिए प्रस्थान करेंगे. वहां से वे खगड़िया जिले के अपने पैतृक गांव शहरबन्नी पहुंचेंगे, जहां उनके पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रामविलास पासवान की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इस मौके पर चिराग श्रद्धा सभा में पुष्पांजलि अर्पित करेंगे और परिवार तथा समर्थकों से मुलाकात करेंगे. एनडीए में सीट बंटवारे की कवायद अंतिम दौर में पहुंची बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए में सीट बंटवारे की कवायद अब अंतिम दौर में पहुंच गई है. बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी (रामविलास) सहित सभी सहयोगी दलों के बीच हिस्सेदारी को लेकर गहन चर्चा चल रही है. माना जा रहा है कि बीजेपी और जेडीयू को सौ से ज्यादा सीटें मिल सकती हैं, वहीं चिराग पासवान की पार्टी को भी अहम हिस्सेदारी मिलने की संभावना है.

SIR विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का रुख साफ, वोटर लिस्ट से नाम कटने पर क्या है चुनाव आयोग की भूमिका

पटना   एसआईआर को लेकर सुप्रीम कोर्ट चल रही सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि मैं चाहता हूं कि कोर्ट योगेंद्र यादव को 10 मिनट का समय दें, ताकि वे SIR के कारण महिलाओं, मुसलमानों आदि के अनुपातहीन बहिष्कार की वास्तविक पृष्ठभूमि बता सकें. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन आप आगे कैसे बढ़ना चाहते हैं? SIR की वैधता पर या…? इसके बाद वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में कहा कि जिन लोगों के नाम सूची से हटाए गए हैं, उन्हें न तो कोई नोटिस मिला, न ही कोई कारण बताया गया. उन्होंने कहा कि तीसरी बात, अपील का प्रावधान तो है, लेकिन जानकारी ही नहीं दी गई तो अपील कैसे करेंगे? वहीं, चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने दलील दी कि जिन भी लोगों के नाम सूची से हटाए गए हैं, उन्हें आदेश की जानकारी दी गई है. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “अगर कोई हमें सूची दे सके कि 3.66 लाख मतदाताओं में से किन लोगों को आदेश की जानकारी नहीं दी गई, तो हम चुनाव आयोग को निर्देश देंगे कि उन्हें जानकारी दी जाए. हर व्यक्ति को अपील का अधिकार है.” क्या है संविधान का अनुच्छेद 329? संविधान का अनुच्छेद 329 चुनाव आयोग को यह अधिकार देता है कि वह चुनाव प्रक्रिया को बिना बाधा के पूरा कराए. संविधान का यह अनुच्छेद एक तरह से न्यायपालिका को चुनावी प्रक्रिया में बाधा डालने से रोकता है और उससे यह उम्मीद करता है कि वह चुनाव आयोग को चुनावी प्रक्रिया पूरी करने में बाधित नहीं करेगा. अनुच्छेद के खंड (क) में कहा गया है कि सीटों के परिसीमन या आवंटन से संबंधित किसी भी कानून की वैधता पर अदालत में सवाल नहीं उठाया जा सकता है, जबकि खंड (ख) में प्रावधान है कि किसी चुनाव को केवल विधानमंडल द्वारा पारित कानून द्वारा निर्धारित तरीके से दायर चुनाव याचिका के माध्यम से ही चुनौती दी जा सकती है. विधायी मामलों के जानकार अयोध्यानाथ मिश्र बताते हैं कि भारत में हर संवैधानिक संस्था का अपना महत्व है. किसी भी संवैधानिक संस्था को संविधान ने सुप्रीम नहीं बताया है, बल्कि सबको अलग-अलग काम दिए हैं और सभी अपने कार्यों को करने के लिए स्वतंत्र हैं. हर संवैधानिक संस्था से यह उम्मीद की जाती है कि वो दूसरे के कार्यों में दखल नहीं देगा. संविधान के अनुच्छेद 329 में इसी बात की व्यवस्था की गई है कि चुनाव आयोग निष्पक्ष और बिना बाधा के चुनावी प्रक्रिया को पूरा कराए. जहां तक बात एसआईआर मामले में सुनवाई की है, तो अब चूंकि चुनाव की तिथि घोषित हो गई है, इसलिए इस बात की संभावना बहुत कम है कि सुप्रीम कोर्ट इस विषय पर कोई चौंकाने वाला फैसला सुनाएगा, क्योंकि परंपरा ऐसी नहीं रही है. योगेंद्र यादव दे सकते हैं जानकारी प्रशांत भूषण ने दलील दी कि चुनाव आयोग को अपने ही नियमों के तहत प्रतिदिन प्राप्त आपत्तियों का विवरण अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करना चाहिए था. उन्होंने कहा, “इसीलिए हम कह रहे हैं कि ये सारी जानकारियां वेबसाइट पर डालनी चाहिए थीं. उनके नियमों में स्पष्ट है कि हर दिन के अंत में प्रत्येक मतदाता से जुड़ी प्राप्त आपत्तियों की जानकारी प्रकाशित की जानी चाहिए. वे कह रहे हैं कि 3.66 लाख नाम आपत्तियों के आधार पर हटाए गए हैं. योगेन्द्र यादव इस पर तथ्यात्मक जानकारी दे सकते हैं इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर हम अंधेरे में रहेंगे तो कोई समाधान नहीं निकल सकता. वहीं जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने कहा कि योगेन्द्र यादव व्यक्तिगत रूप से एक हलफनामा देकर स्थिति स्पष्ट कर सकते हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने भी कहा कि आज भी विस्तृत (disaggregated) डेटा उपलब्ध है, लेकिन हम अंधेरे में रखे गए हैं. चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि सब लोग हवा में कह रहे हैं कि उन्हें जानकारी नहीं है. किसी को हलफनामा दाखिल करना चाहिए. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि किसी को तो हलफनामा दाखिल करना होगा कि वह प्रभावित व्यक्ति है. वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ऐसा करने के लिए और जानकारी की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि कुल 65 लाख नाम डिलीट किए गए थे, जिनमें से 42 लाख को वापस जोड़ा गया है. शेष नाम अभी भी हटे हुए हैं. जस्टिस कांत ने स्पष्ट किया कि फिलहाल अदालत संख्या पर नहीं, बल्कि कुछ संभावित उदाहरणों की पहचान पर ध्यान दे रही है. उन्होंने कहा, “अगर मुझे पता है कि संशोधित वोटर लिस्ट में मेरा नाम नहीं है, तो मैं हलफनामा दाखिल कर सकता हूं.” अगर सुप्रीम कोर्ट ने कोई बाधा डाली तो क्या होगा? संविधान का अनुच्छेद 329 चुनाव आयोग को यह विशेषाधिकार देता है कि वह निष्पक्ष ढंग से बिना बाधा के चुनाव कराए. उसकी यह जिम्मेदारी है कि चुनाव कराते वक्त वह संविधान की मूल भावना का पूरा सम्मान करे और किसी भी नागरिक को लिंग, जाति और धर्म के आधार पर मतदान से ना रोके. इसके लिए चुनाव आयोग अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहा है. मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्य भी उसी में शामिल है, अगर चुनाव की घोषणा के बाद सुप्रीम कोर्ट कोई ऐसा निर्णय देता है, जिससे चुनाव पर असर हो, तो क्या हो सकता है? इसपर जानकारी देते हुए अयोध्यानाथ मिश्र कहते हैं कि पहली बात तो यह कि सुप्रीम कोर्ट ऐसा कोई निर्णय नहीं करेगा, जिससे एक संवैधानिक संस्था के क्षेत्राधिकार का उल्लंघन हो, फिर भी अगर यह मान लिया जाए कि इस तरह का कोई फैसला सुप्रीम कोर्ट सुनाता है, तो अब जबकि चुनाव की घोषणा हो चुकी है, क्या हो सकता है? क्या चुनाव को रोका जाएगा? वहां किसी भी हाल में 22 नवंबर से पहले चुनाव संपन्न होने हैं, क्योंकि वर्तमान सरकार का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है. अगर चुनाव संपन्न नहीं हुए तो लोकतांत्रिक व्यवस्था का क्या होगा? इस लिहाज से इस बात की संभावना काफी कम है कि सुप्रीम कोर्ट कोई भी ऐसा निर्णय सुनाएगा, जिससे चुनाव प्रभावित हो. हां, यह जरूर संभव है कि वह वह कोई सकारात्मक सुझाव दे. क्या हैं … Read more

JDU में चुनावी तैयारियों का संकेत, नीतीश कुमार ने की वरिष्ठ नेताओं से चर्चा

पटना बिहार चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। सभी राजनीतिक दल चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं। इस बीच जनता दल (यूनाइटेड) के बड़े नेताओं की एक अहम बैठक पटना में हो रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू नेताओं की यह बैठक बुलाई है। जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय कुमार झा भी इस बैठक में शामिल हैं। एनडीए में अभी सीटों के बंटवारे का ऐलान नहीं हुआ है। सीट बंटवारे के ऐलान से पहले जदयू नेताओं की यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है। चुनाव आयोग ने बिहार में दो चरणों 6 नवंबर और 11 नवंबर को मतदान कराने की बात कही है। वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता दल (यूनाइटेड) के शीर्ष नेताओं के साथ सीट बंटवारे के फॉर्मूले को लेकर चर्चा कर सकते हैं। जेडीयू की इस बैठक में संजय झा भी शामिल हैं। यह भी कहा जा रहा है कि इस बैठक में संगठनात्मक ढांचे और चुनाव प्रचार की रणनीति को लेकर भी नेताओं के बीच बातचीत होगी। एनडीए में शामिल घटक दलों के बीच सीट बंटवारे का फॉर्मूला क्या होगा? अभी इसपर कुछ भी स्पष्ट नहीं है लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि जेडीयू इस बार 100 से 105 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। बीजेपी भी इतनी ही सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है। बता दें कि साल 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने 115 तथा भारतीय जनता पार्टी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था। उम्मीदवारों के चयन पर भी चर्चा संभव जदयू की इस बैठक में पार्टी नेता बिहार चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों के नाम पर भी गहन विचार-विमर्श कर सकते हैं। चर्चा है कि इस बैठक में उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लग सकती है। आपको बता दें कि हाल ही में जनसुराज पार्टी ने बिहार चुनाव के लिए अपने कुछ पार्टी प्रत्याशियों ने नामों का ऐलान किया था। जनसुराज की तरफ से कहा गया है कि 9 अक्टूबर को पार्टी उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करेगी। प्रशांत किशोर ने खुद कहा है कि इस लिस्ट में उनका भी नाम होगा। हालांकि, वो किस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे अभी सामने नहीं आया है। यह भी बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा में बाद NDA में सीट शेयरिंग को लेकर जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने हाल ही में दावा किया था कि सब कुछ फाइनल हो गया है, जल्द ही घोषणा की जाएगी।

7 राज्यों में उपचुनाव: बिहार के चुनाव के साथ होगा मतदान

नई दिल्ली भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने सोमवार को बिहार विधानसभा चुनावों के अलावा जम्मू-कश्मीर, झारखंड, मिजोरम व राजस्थान सहित सात राज्यों की आठ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव आयोजित करने की घोषणा की है। आयोग ने इन विधानसभा क्षेत्रों के लिए उपचुनाव की तिथियों का भी ऐलान कर दिया है। इन सभी सीटों पर 11 नवंबर को वोटिंग और 14 नवंबर को मतों की गिनती होगी। जम्मू-कश्मीर की दो सीटें बडगाम और नगरोटा में भी चुनाव होगा। ये दोनों सीटें पिछले एक साल से रिक्त पड़ी हैं। बडगाम उमर अब्दुल्ला के इस्तीफे के कारण खाली हुई, जबकि नगरोटा देवेंद्र राणा के निधन से। नगरोटा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) तथा नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के नेतृत्व वाले गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला तय है। इसके अलावा पंजाब की तरनतरण, झारखंड की घाटशिला तथा राजस्थान की अंता विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव आयोजित होंगे। उधर, तेलंगाना की जयंती हिल्स, मिजोरम की दम्पा और ओडिशा की नुआपाड़ा में भी चुनाव संपन्न होंगे।  

पहले चरण के बिहार चुनाव: सीटों की संख्या, नामांकन तिथि और सभी अहम डिटेल्स

पटना बिहार में दो चरणों में चुनाव होंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इसकी घोषणा कर दी है।। 6 नवंबर को पहले चरण का मतदान होगा। पहले चरण में 121 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। पहले चरण के लिए 10 अक्टूबर दिन शुक्रवार को गजट नोटिफिकेशन जारी होगा। वहीं, 17 अक्टूबर, दिन शुक्रवार नामांकन की आखिरी तारीख होगी। 18 अक्टूबर, दिन शनिवार को को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी। वहीं, 20 अक्टूबर, सोमवार उम्मीदवारों के नाम वापस लेने की आखिरी तारीख होगी। पहले चरण में इन जिलों में वोटिंग बिहार में चुनाव के पहले चरण में कुल 18 जिलों में वोटिंग होगी। इन जिलों में गोपालगंज, सीवान, बक्सर, सारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सहरसा, मधेपुरा, खगड़िया, मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा, नालंदा, पटना, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय और भोजपुर जिले शामिल हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त के अनुसार, राज्य में कुल मतदाताओं की संख्या 7.42 करोड़ है, जिनमें पुरुष मतदाता 3.92 करोड़ और महिला मतदाता 3.50 करोड़ हैं। कुमार ने बताया कि 14 लाख मतदाता बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार मतदान कर सकेंगे। बिहार की वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है।  

क्या बिहार चुनाव के बाद होगा बीजेपी में होगा बदलाव? मिलेगा नया राष्ट्रीय अध्यक्ष

नई दिल्ली भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में आजकल बहुत चर्चा हो रही है। पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल पहले ही बढ़ाया जा चुका है। अब पार्टी के भीतर यह सवाल उठ रहा है कि नया अध्यक्ष कब चुना जाएगा और इस महत्वपूर्ण पद पर कौन बैठेगा। उधर बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव बिहार विधानसभा चुनाव के बाद ही होने की संभावना है। हालांकि पहले बीजेपी की तरफ से ऐसे संकेत थे कि बिहार चुनाव से पहले ही नया अध्यक्ष मिल जाएगा, लेकिन अब यह संभव नहीं लग रहा है। दरअसल अब चुनाव आयोग की टीम बिहार में है और आने वाले हफ्ते में चुनाव की घोषणा की उम्मीद है। ऐसे में अब इस पर कोई फैसला मुश्किल लगता है। भारत निर्वाचन आयोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट कर कहा कि आगामी बिहार विधानसभा चुनावों की तैयारियों की समीक्षा के लिए सीईसी ज्ञानेश कुमार और ईसी डॉ. सुखबीर सिंह संधू एवं डॉ. विवेक जोशी के नेतृत्व में ईसीआई प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को पटना पहुंच गया है। वहीं, इससे पहले चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा के आगामी आम चुनाव और कुछ राज्यों के उपचुनावों के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों के रूप में तैनात किए जाने वाले सामान्य, पुलिस और व्यय पर्यवेक्षकों के लिए एक ब्रीफिंग का आयोजन किया। बैठक में 287 आईएएस अधिकारी, 58 आईपीएस अधिकारी और आईआरएस, आईआरएएस, आईसीएएस तथा अन्य सेवाओं के 80 अधिकारियों सहित 425 अधिकारियों ने भाग लिया। यह ब्रीफिंग बैठक आईआईआईडीईएम, नई दिल्ली में आयोजित की गई थी। जेपी नड्डा जनवरी 2020 से हैं अध्यक्ष बीजेपी में इस समय अध्यक्ष पद को लेकर काफी गहमागहमी है। पार्टी के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हैं। उनका कार्यकाल पहले ही बढ़ाया जा चुका है। जेपी नड्डा जनवरी 2020 से इस पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उनका कार्यकाल 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बढ़ाया गया था। इस विस्तार ने पार्टी के भीतर कई सवाल खड़े किए थे। अब एक बार फिर से यह सवाल उठ रहा है कि पार्टी अपना नया अध्यक्ष कब चुनेगी। और इस बड़े और महत्वपूर्ण पद पर आखिर किसे मौका मिलेगा। यह फैसला बीजेपी के भविष्य की दिशा तय करेगा। राजनीतिक गलियारों में कई बड़े नेताओं के नाम चल रहे हैं। हर कोई जानना चाहता है कि अगला अध्यक्ष कौन होगा। यह पद बीजेपी में बहुत ताकतवर माना जाता है। इसलिए इस पर सबकी नजर है।

पारस को नहीं मिली अहमियत, चिराग के नाम पर महागठबंधन में बढ़ी हलचल

पटना राजनीति में कब हृदय परिर्वतन हो जाए यह कोई नहीं जानता। ताजा उदाहरण राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस हैं जिनका अपने भतीजा चिराग पासवान के प्रति हृदय परिर्वतन हो गया है। यह सब अचानक नहीं हुआ है। दरअसल एनडीए से विदाई के बाद पारस महागठबंधन में शामिल होने की उम्मीद पाले थे, लेकिन लालू प्रसाद से मेल-मिलाप के बाद भी पारस को महागठबंधन में भाव नहीं मिल रहा। विधानसभा चुनाव सिर पर है। पारस अपने पुत्र यशराज पासवान को चुनावी महासमर में लांच करने की घोषणा कर चुके हैं। वे पुत्र को उसी सुरक्षित सीट अलौली विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाने की मंशा पाले हैं, जहां से वे सात बार चुनाव जीत चुके हैं। यह सीट अभी राजद के कब्जे में है। इस सीट को राजद कतई छोड़ने के मूड में नहीं है। उधर, एनडीए में अलौली सीट पर चिराग पासवान का दावा मजबूत माना जा रहा है। ऐसे में पारस भतीजा चिराग पासवान को खून का रिश्ता होने की दुहाई देते हुए गुणगान में जुट गए हैं। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि चिराग पासवान उनका भतीजा है। वो याेग्य हैं, मेहनती भी। अगर वे मुख्यमंत्री बनते हैं तो उन्हें सबसे ज्यादा खुशी होगी। वो मेरा परिवार के सदस्य हैं, मेरा भतीजा भी। चुनाव से पहले पारस के इस बदले सियासी राग ने चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) में भी हलचल मचा दी है। पार्टी के प्रवक्ता रंजन सिंह ने पारस के बयान का स्वागत किया और कहा कि हमारे नेता चिराग पासवान को सीएम बनाने संबंधी पशुपति पारस का बयान स्वागत योग्य है। वैसे कहने को तो पारस महागठबंधन के साथ हैं लेकिन अब तक उन्हें महागठबंधन में अधिकारिक इंट्री नहीं हुई है। वहीं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रभाकर मिश्र ने कहा कि महागठबंधन में सीटें पाने के लिए पारस चिराग पासवान को लेकर बयान दे रहे हैं। पारस का बयान महागठबंधन के प्रति प्रेशर पालिटिक्स है।

दिल्ली से हरी झंडी नहीं, MP में नियुक्ति प्रक्रिया ठप, बिहार चुनाव का असर

भोपाल  मध्य प्रदेश BJP की राज्य कार्यसमिति, 40 स्वतंत्र बोर्डों और निगमों के अध्यक्षों और उपाध्यक्षों की नियुक्तियां अब बिहार विधानसभा चुनावों के बाद ही होंगी। पार्टी सूत्रों ने बुधवार को बताया कि संगठन का पूरा ध्यान अब बिहार के महत्वपूर्ण चुनावी मुकाबले पर है। इस कारण सभी नियुक्तियों को टाल दिया गया है। पार्टी के कई बड़े नेता, जैसे शहरी प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व प्रदेश BJP अध्यक्ष VD शर्मा, BJP के प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, पूर्व मंत्री अरविंद भदौरिया और युवा मामलों के मंत्री विश्वास सारंग, बिहार में चुनाव ड्यूटी पर हैं। वे अभी वहीं तैनात हैं। 28 जिला कार्यसमितियों का ऐलान अभी बाकी एक वरिष्ठ प्रदेश BJP पदाधिकारी ने हमारे सहयोगी अखबार टीओआई को बताया, 'अब तक पार्टी ने 35 जिला कार्यसमितियों के सदस्यों के नाम घोषित किए हैं। 28 और जिला कार्यसमितियों की घोषणा बाकी है। बाकी जिला कार्यसमितियों की घोषणा हो सकती है, लेकिन बोर्डों और निगमों के अध्यक्षों की घोषणा (बिहार चुनावों के बाद तक) होने की संभावना नहीं है।' उन्होंने आगे कहा, 'राज्य कार्यसमिति के सदस्यों को भी इंतजार करना होगा।' वरिष्ठों की आपत्ति फिर पितृपक्ष से टली नियुक्ति अगस्त के आखिरी हफ्ते से बड़ी राजनीतिक हलचल शुरू हुई थी। तब BJP के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री BL संतोष ने दो दिन के लिए राज्य की राजधानी का दौरा किया था। उसी दौरान स्वतंत्र राज्य निगमों और बोर्डों के अध्यक्षों और उपाध्यक्षों के पदों के लिए उम्मीदवारों पर चर्चा हुई थी। हालांकि, सभी वरिष्ठ नेता नामों के चयन से खुश नहीं थे। इस कारण घोषणा को तब तक के लिए टाल दिया गया जब तक आम सहमति नहीं बन जाती। इस बीच, हिंदू श्राद्ध के 15 दिन शुरू होने से भी सूची की घोषणा में और देरी हुई। मंत्रिमंडल विस्तार पर भी ब्रेक वरिष्ठ पार्टी नेताओं ने बताया कि मुख्यमंत्री मोहन यादव दिल्ली गए थे। उन्होंने पार्टी आलाकमान को राज्य मंत्रिमंडल विस्तार की जरूरत के बारे में बताया था। लेकिन, सूत्रों का दावा है कि उसे भी इंतजार करना होगा। पार्टी के शीर्ष नेताओं ने अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को भी बिहार चुनाव खत्म होने तक टाल दिया है। प्रदेश BJP प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कहा कि BJP एक लोकतांत्रिक व्यवस्था का पालन करती है। राज्य कार्यसमिति के सदस्यों और निगमों के अध्यक्षों की घोषणा से पहले सभी वरिष्ठ नेताओं को विश्वास में लिया जाएगा। हमारे कई शीर्ष नेता बिहार चुनाव की तैयारियों में व्यस्त हैं। सभी नेताओं के साथ चर्चा के बाद नए पदाधिकारियों के नामों की औपचारिक घोषणा की जाएगी। विधानसभा और लोकसभा चुनावों में कड़ी मेहनत करने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं को पुरस्कृत किया जाएगा।

दिल्ली से लौटते ही आयोग बताएगा बिहार चुनाव की तारीखें

पटना  भारत निर्वाचन आयोग का फाइनल बिहार दौरा होने वाला है। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय चुनाव आयोग की टीम शुक्रवार रात को पटना पहुंच जाएगी। देश के मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश्वर कुमार भी शनिवार को पटना आएंगे। 4 और 5 अक्टूबर को आयोग की टीम आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा के लिए दनादन बैठकें करेगी। फिर दिल्ली लौटने के बाद किसी भी समय सीईसी ज्ञानेश कुमार के द्वारा बिहार चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जा सकता है। चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद बिहार में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी। चुनाव आयोग की बिहार के प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ शनिवार 4 अक्टूबर को अहम बैठक है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय से जारी पत्र के अनुसार यह बैठक पटना के होटल ताज में सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक होगी। बैठक की अध्यक्षता मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार करेंगे। इसमें मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है। हर पार्टी से अधिकतम 3 प्रतिनिधियों को उपस्थित रहने की अनुमति दी जाएगी। पत्र में बताया गया कि बैठक में निर्वाचन प्रक्रिया से जुड़ी तैयारियों पर चर्चा की जाएगी और आयोग राजनीतिक दलों से सुझाव भी लेगा। निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों से अनुरोध किया है कि वे अपने प्रतिनिधियों की उपस्थिति सुनिश्चित करें और इसकी जानकारी मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को उपलब्ध करा दें। अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अमित कुमार पांडेय की ओर से जारी पत्र के अनुसार, आम आदमी पार्टी (आप), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्ससिस्ट), इंडियन नेशनल कांग्रेस, नेशनल पीपुल्स पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, लोक जन शक्ति पार्टी (रामविलास), राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन जैसे दलों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है। वहीं, पूर्व में मिली जानकारी के अनुसार चुनाव आयोग की उच्चस्तरीय टीम बिहार दौरे में राज्य में कानून-व्यवस्था एवं चुनाव संबंधी तैयारियों सहित तमाम पहलुओं की समीक्षा भी करेगी। आयोग की टीम राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, सभी केंद्रीय एजेंसियों के राज्य प्रमुख, सभी जिलों के जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी, जिलों के वरीय पुलिस अधीक्षकों के साथ अलग-अलग बैठक करेगी। राज्य निर्वाचन आयुक्त के साथ भी अलग से बैठक होगी। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में प्रतिनिधियों से सलाह एवं सुझाव लिए जाएंगे। 4 और 5 अक्टूबर को अलग-अलग बैठकों में तैयारियों की समीक्षा करने के बाद सीईसी ज्ञानेश कुमार और उनकी टीम दिल्ली वापस लौट जाएगी। इसके बाद बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होगा।

MP के 28 अफसर बिहार विधानसभा चुनाव में रहेंगे सक्रिय, IAS-IPS का किया गया चयन

भोपाल चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव के साथ ही आगामी दिनों में होने वाले उपचुनावों में मध्य प्रदेश के अधिकारियों की भी सेवाएं लेने का फैसला किया है। चुनाव आयोग ने प्रदेश संवर्ग के 25 आइएएस और तीन आइपीएस अधिकारियों को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। निर्धारित तिथि पर पहुंचने का निर्देश इन्हें तीन अक्टूबर को नई दिल्ली बुलाया गया है, जहां भारत अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र और चुनाव प्रबंधन संस्थान में चुनाव संबंधी भूमिका के बारे में जानकारी दी जाएगी। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को भेजे पत्र में चुनाव आयोग ने कहा कि चयनित सभी अधिकारियों को यह सूचित किया जाए कि वे निर्धारित तिथि और समय पर पहुंचे। बैठक से अनुपस्थिति को आयोग गंभीरता से लेगा और अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है।   इन आइएएस को बनाया पर्यवेक्षक शोभित जैन, सोनाली पोंक्षे वायंगणकर, विवेक पोरवाल, पी नरहरि, संजय गोयल, रघुराज एम आर, जीवी रश्मि, नागरगोजे मदन बिभीषण, स्वतंत्र कुमार सिंह, भारत यादव, अभिषेक सिंह, अजय गुप्ता, अमित तोमर, अविनाश लवानिया, प्रीति मैथिल, अनुराग चौधरी, कर्मवीर शर्मा, तरुण राठी, गौतम सिंह, गिरीश शर्मा, हरजिंदर सिंह, सरिता बाला प्रजापति, वीरेंद्र कुमार, फिटिंग राहुल दास और कुमार पुरुषोत्तम।