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छपरा में होगा सियासी मुकाबला, खेसारी की पत्नी RJD से, BJP की छोटी कुमारी से टक्कर

पटना  बिहार विधानसभा चुनाव में भोजपुरी बेल्ट छपरा विधानसभा सीट पर दिलचस्प फाइट होने वाली है. इस सीट पर आरजेडी ने भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में झंडा गाड़ चुके एक्टर सिंगर खेसारी लाल यादव की पत्नी चंदा देवी को टिकट दिया है. खेसारी लाल यादव ने कुछ ही दिन पहले तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी. वहीं बीजेपी ने इस सीट पर छोटी कुमारी को टिकट दिया है. छोटी कुमारी स्थानीय नेता हैं.  बीजेपी उम्मीदवार छोटी कुमारी बिहार के सारण जिले में छपरा विधानसभा क्षेत्र की जिला परिषद अध्यक्ष हैं. बीजेपी ने छोटी कुमारी को ये टिकट वर्तमान विधायक सीएन गुप्ता का टिकट काट कर दिया है. इस तरह से इस सीट पर स्टार पावर से लैस चंदा देवी और जमीनी कार्यकर्ता छोटी कुमारी के बीच मुकाबला है.  खेसारी लाल यादव छपरा के ही रहने वाले हैं. इस लिहाज से इस बार उनकी सिनेमाई लोकप्रियता का सियासी टेस्ट होगा. खेसारी लाल यादव ने कहा था कि वे बिहार के लिए कुछ करना चाहते हैं, उन्होंने कहा कि वह अपनी पत्नी को चुनाव लड़ने के लिए मनाना चाह रहे थे तो उन्हें मुश्किल हो रही थी, क्योंकि उनकी पत्नी पारिवारिक महिला है और दो बच्चों की मां हैं. उन्होंने अपने बच्चे की परवरिश में थोड़ी सी भी कमी नहीं की है. इसलिए उन्हें लगता है अगर वे राजनीति में आएंगी तो उन्हें वक्त की दिक्कत हो सकती है. खेसारी ने कहा कि वे चार दिनों से पत्नी को मनाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन अब उनकी पत्नी चुनाव लड़ने को राजी हो गई हैं. आखिरकार आरजेडी ने चंदा देवी को टिकट दे दिया है. खेसारी मुंबई में रहकर एक्टिंग और सिंगिग पर ध्यान देते हैं. उनकी पत्नी भी वहीं रहती हैं.  वहीं बीजेपी ने चंदा देवी के टक्कर में छोटी कुमारी को मैदान में उतारा है. इसके लिए पार्टी ने मौजूदा विधायक सी.एन. गुप्ता का टिकट काट दिया है.  माना जा रहा है कि यह कदम क्षेत्र में एंटी-इनकंबेंसी के कारण उठाया गया माना जा रहा है. छोटी कुमारी एक महिला उम्मीदवार के रूप में पार्टी की रणनीति का हिस्सा हैं, जो स्थानीय स्तर पर सक्रिय राजनीतिक कार्यकर्ता रही हैं.  छपरा सीट की कहानी छपरा विधानसभा सीट पर बीजेपी की परंपरागत सीट रही है. सी एन गुप्ता दो कार्यकाल से इस सीट से जीत रहे हैं. छपरा सीट पर यादव, राजपूत, ब्राह्मण, बनिया और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या निर्णायक रही है.  सीएन गुप्ता को 2020 के विधान चुनाव में 75,710 वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर रहने वाले रणधीर सिंह को 68, 939 वोट मिले थे. यानी कि सीएन गुप्ता की जीत का मार्जिन ज्यादा नहीं था.  2015 के चुनाव में सीएन गुप्ता को 71,646 वोट मिले थे. इस चुनाव में आरजेडी के रणधीर सिंह को 60,267 वोट मिले थे.  इस बार रणधीर सिंह आरजेडी जोड़ जेडीयू में शामिल हो चुके हैं और वे बगल की सीट मांझी से जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. इस लिहाज से यहां की पूरी टक्कर दिलचस्प हो चुकी है. 

BJP में एंट्री के बाद मैथिली ठाकुर के चुनावी मैदान में उतरने के संकेत, इस सीट से मिल सकता है टिकट

पटना  बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में नए चेहरे जुड़ने की प्रक्रिया तेज हो गई है. इसी कड़ी में मंगलवार को लोकगायिका मैथिली ठाकुर बीजेपी में शामिल होने जा रही हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, उन्हें दरभंगा की अलीनगर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है. सूत्र बताते हैं कि अलीनगर सीट से मौजूदा विधायक मिश्रीलाल यादव का टिकट कटना लगभग तय है, और पार्टी इस सीट पर युवा और लोकप्रिय चेहरा लाने के मूड में है. मैथिली ठाकुर के सोशल मीडिया पर बड़े फैन बेस और मिथिला क्षेत्र में लोकप्रियता को देखते हुए बीजेपी उन्हें अपने प्रचार अभियान का चेहरा भी बना सकती है. अगर मैथिली ठाकुर को टिकट मिलता है, तो यह पहली बार होगा जब बिहार की लोक-संस्कृति से जुड़ी कोई प्रसिद्ध गायिका सीधे राजनीतिक मैदान में उतरेंगी. हाल ही में विनोद तावड़े से की थी मुलाकात मैथिली ने हाल ही में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और संगठन महासचिव विनोद तावड़े से मुलाकात की थी, जिसके बाद उनके पार्टी में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई थीं. क्या बोलीं मैथिली? मैथिली ने कहा भी था कि बीजेपी नेताओं के साथ आधे घंटे तक बात हुई. बातचीत सकारात्मक रही है. उन्होंने यह भी कहा कि हम एनडीए के समर्थन में हैं और हमेशा से बीजेपी मेरी प्राथमिकता रही है. मैथिली ने कहा था कि दिल्ली में काम के लिए रहती हूं. मेरी आत्मा बिहार से जुड़ी है. बिहार रहकर लोगों की सेवा करना चाहती हूं, विकास में योगदान देना चाहती हूं. चुनाव लड़ने के लिए तैयार मैथिली ठाकुर बता दें, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने 5 अक्टूबर को अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर मैथिली ठाकुर के साथ तस्वीर साझा करते हुए लिखा था कि वर्ष 1995 में लालू राज आने पर जो परिवार बिहार छोड़ गए थे, उस परिवार की बिटिया मैथिली ठाकुर अब बदलते बिहार की रफ्तार देखकर वापस आना चाहती हैं. दरभंगा की रहने वाली मैथिली ठाकुर लोक संगीत और मिथिला संस्कृति के लिए जानी जाती हैं और सोशल मीडिया पर उनकी बड़ी फैन फॉलोइंग है. इसी साल मैथिली ठाकुर 25 की हुई हैं.  कौन हैं मैथिली ठाकुर? मैथिली बिहार की फेमस सिंगर हैं. वो दरभंगा की रहने वाली हैं. मैथिली लोक संगीत के लिए वो जानी जाती हैं. विदेश में भी मैथिली कॉन्सर्ट करती हैं. 25 साल की सिंगर मिथिला संस्कृति के लिए फेमस हैं. बचपन से मैथिली को गाने का शौक है. वो प्लेबैक सिंगर हैं. क्लासिकल म्यूजिक में उनकी ट्रेनिंग हुई है. मैथिली ने कई भाषाओं में गाने गाए हैं. उनके पिता रमेश ठाकुर और मां भारती ठाकुर मैथिली म्यूजिशियन हैं. दोनों बतौर म्यूजिक टीचर काम करते हैं. मैथिली के दो भाई हैं. वो भी संगीत की दुनिया में अपना करियर बना रहे हैं. सभी बच्चों को उनके दादा और पिता ने संगीत की तालीम दी है. तीनों भाई बहनों को हिंदुस्तानी क्लासिक म्यूजिक के अलावा हारमोनियम और तबला बजाने की भी ट्रेनिंग दी गई है. 

कांग्रेस की सरकारों ने नहीं की इंफ्रास्ट्रक्चर, अर्थव्यवस्था और एक्सपोर्ट की चिंता :CM

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद  अरुण सिंह ने मंगलवार को आत्मनिर्भर भारत संकल्प अभियान को लेकर भाजपा प्रदेश कार्यालय में पत्रकार-वार्ता को संबोधित किया – -आत्मनिर्भर भारत से साकार होगा विकसित भारत का संकल्प  -कांग्रेस की सरकारों ने नहीं की इंफ्रास्ट्रक्चर, अर्थव्यवस्था और एक्सपोर्ट की चिंता  -मध्यप्रदेश को तेजी से विकास के रास्ते पर ले जा रही भाजपा की डबल इंजन सरकार  -आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश, आत्मनिर्भर भारत का मजबूत स्तंभ -डबल इंजन सरकारों से साकार होगा आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का संकल्प – अरुण सिंह  भोपाल  भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव, सांसद व आत्मनिर्भर भारत संकल्प अभियान के राष्ट्रीय संयोजक  अरुण सिंह ने मंगलवार को प्रदेश कार्यालय में पत्रकार-वार्ता को संबोधित किया। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत संकल्प अभियान को लेकर कहा कि प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी हमेशा इस बात पर चिंतन करते हैं कि देश कैसे आत्मनिर्भर बने। उनका कहना है कि हम आत्मनिर्भर भारत के माध्यम से ही विकसित भारत के संकल्प को साकार करेंगे। प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर ही स्वदेशी का यह अभियान देश भर में चलाया जा रहा है और पार्टी के कार्यकर्ता समाज के साथ मिलकर इस अभियान को एक जनआंदोलन बनाने के लिए काम कर रहे हैं। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश ही आत्मनिर्भर भारत का मजबूत स्तंभ है। डबल इंजन सरकारों से आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का संकल्प साकार होगा। घर-घर स्वदेशी का मंत्र हमारी शक्ति के रूप में समूचे विश्व के सामने प्रदर्शित हो, इसी लक्ष्य को लेकर देश-प्रदेश में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। पत्रकार-वार्ता में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व विधायक  हेमंत खण्डेलवाल की गरिमामयी उपस्थिति रही।  कांग्रेस की सरकारों ने नहीं की देश को आत्मनिर्भर बनाने की चिंता  भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद  अरुण सिंह ने कहा कि आजादी के बाद लंबे समय तक कांग्रेस की सरकारों ने शासन किया। उन सरकारों ने सीमेंट, लोहा, औद्योगिक उपकरण जैसे अनेक बड़े क्षेत्रों को सरकार के लिए रिजर्व कर दिया। 1991 में लिबराइजेशन और ग्लोबलाइजेशन का दौर आया और इन क्षेत्रों का निजीकरण किया गया। उसके बाद भी लंबे समय तक कांग्रेस की सरकारें रहीं, लेकिन उन्होंने कभी देश के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के बारे में नहीं सोचा। यूपीए की सरकार के समय देश में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर महज 2.5 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाते थे।  नरेंद्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद यह निश्चय किया कि देश का इन्फ्रास्ट्रक्चर वर्ल्ड क्लास होना चाहिए। प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी की सरकार आज इन्फ्रास्ट्रक्चर पर हर साल 12 लाख करोड़ रुपये खर्च कर रही है।  प्रधानमंत्री  मोदी जी के प्रयासों का दिखने लगा असर  भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद  अरुण सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी ने देश को आत्मनिर्भर और विकसित बनाने के लिए जो कदम उठाए हैं, उनके परिणाम दिखाई देने लगे हैं। भारत जापान को पीछे छोड़ कर दुनिया की चौथी अर्थव्यवस्था बन चुका है और बहुत जल्द जर्मनी को पीछे छोड़कर हम दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। प्रधानमंत्री जी ने मेक फॉर द वर्ल्ड का आह्वान किया, उसी का परिणाम है कि आज हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल निर्माता हैं। रक्षा क्षेत्र की अगर बात करें तो गोला-बारूद से लेकर बुलेटप्रूफ जैकेट तक हर चीज विदेशों से आती थी, लेकिन प्रधानमंत्री  मोदी जी ने तय किया कि हम रक्षा उत्पादन देश में ही करेंगे। इसका परिणाम है कि आज हम राइफल बना रहे हैं, गोला-बारूद बना रहे हैं, बुलेटप्रूफ जैकेट बना रहे हैं और आकाश तथा ब्रह्मोस जैसी मिसाइलें भी बना रहे हैं। ये वही मिसाइलें हैं, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में स्थित आतंक के अड्डों को ध्वस्त किया था। आज दुनिया के अनेक देश भारत से रक्षा उपकरणों और हथियारों की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि डिफेंस कॉरिडोर के निर्माण के बाद देश के रक्षा उत्पादन में और वृद्धि होगी। कांग्रेस की सरकारों ने दशकों तक शासन करने के बाद भी देश में सेमीकंडक्टर के उत्पादन के बारे में नहीं सोचा। प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी के प्रयासों से देश में छह सेमीकंडक्टर उत्पादन यूनिट लग रही हैं और जल्द ही गुजरात में स्थापित यूनिट से उत्पादन भी शुरू हो जाएगा। प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी ने डिजिटल इंडिया का आह्वान किया था और मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि हमारा यूपीआई आज दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल प्लेटफॉर्म बन चुका है। विज्ञान और प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी की सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। विकास के रास्ते पर दौड़ रहा मध्यप्रदेश  राष्ट्रीय महासचिव व सांसद  अरुण सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की डबल इंजन वाली सरकार मध्यप्रदेश को तेजी से विकास के रास्ते पर आगे ले जा रही हैं। प्रदेश में नर्मदा विकास पथ, मालवा विकास, विंध्य विकास पथ, बुदेलखंड विकास पथ, चंबल एक्सप्रेस वे, विंध्य एक्सप्रेस वे, नर्मदा एक्सप्रेस जैसी परियोजनाएं लागू की गई हैं। ओंकारेश्वर में दुनिया का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्लांट लग रहा है। इंदौर-भोपाल में मेट्रो परियोजना, इंदौर में 35 मंजिला स्टार्टअप पार्क बनाया जा रहा है। धार में मेगा टेक्सटाइल पार्क बन रहा है, जहां से कपास और रेशम का एक्सपोर्ट होगा। 44600 करोड़ रुपये लागत वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना पर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश को विकसित और आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। किसानों के हित में भावांतर योजना लागू की गई है, जिसके लिए मैं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का अभिनंदन करता हूं। इसके अलावा प्रदेश में निवेश बढ़ाने के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। करीब 30 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं, जिनसे करीब 23 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। प्रदेश के सांची दूध को पूरे देश में पहचान दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। महाकाल लोक की तर्ज पर प्रदेश में 11 नए सांस्कृतिक केंद्रों के विकास का काम चल रहा है।  भविष्य में भी नं.-1 रहेगा मध्यप्रदेश का पार्टी संगठन  राष्ट्रीय महासचिव व सांसद  अरुण सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत ‘हर घर स्वदेशी,  घर-घर स्वदेशी’ के मंत्र को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अनेक कार्यक्रमों की रचना की गई है। युवा … Read more

बीजेपी ने बिहार चुनाव के लिए खोले पत्ते, पहली लिस्ट में 71 नाम, सम्राट चौधरी को तारापुर से मैदान में उतारा

पटना.  बिहार चुनाव को लेकर बीजेपी उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. बीजेपी उम्मीदवारों की पहली सूची में रामकृपाल यादव को भी टिकट मिला है. रामकृपाल यादव को दानापुर से टिकट दिया गया है. बीजेपी उम्मीवारों की पहली सूची के अनुसार सम्राट चौधरी को तारापुर से टिकट मिला है. वहीं नीरज बबलू छातापुर से चुनाव लड़ेंगे. तारापुर से सम्राट तो दानापुर से राम कृपाल को मिला टिकट बीजेपी की तरफ से जारी किए गए लिस्ट के मुताबिक, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को तारापुर, विजय सिन्हा को लखीसराय, सिवान से मंगल पांडेय, दानापुर से राम कृपाल यादव को और गया शहर से डॉ प्रेम कुमार को पार्टी ने मैदान में उतारा है. वहीं, पार्टी ने अपने सीनियर नेता नंद किशोर यादव का टिकट काट दिया है.  बीजेपी की पहली लिस्ट में प्रमुख उम्मीदवार     विजय कुमार सिन्हा – सीट: लखीसराय     सम्राट चौधरी – सीट: तारापुर     रामकृपाल यादव – सीट: दानापुर     डॉ. प्रेम कुमार – सीट: गया टाउन     तारकिशोर प्रसाद – सीट: कटिहार     आलोक रंजन झा – सीट: सहरसा     मंगल पांडेय – सीट: सीवान यह सूची केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद जारी की गई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल थे. बीजेपी की पहली लिस्ट में 9 महिलाओं को टिकट: 1.बेतिया से रेणु देवी 2. परिहार से गायत्री देवी 3. नरपतगंज से देवंती यादव 4. किशनगंज से स्वीटी सिंह 5. प्राणपुर से निशा सिंह 6. कोढा से कविता देवी 7. औराई से रमा निषाद 8. वारसलीगंज से अरुणा देवी 9. जमुई से श्रेयसी सिंह

तारापुर से सम्राट चौधरी की चुनौती, भाजपा ने डिप्टी CM को पुश्तैनी सीट से बाहर किया

पटना बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए बीजेपी ने बड़ा दांव खेला है। पार्टी ने अपने कद्दावर नेता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को तारापुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। सम्राट तारापुर से 16 अक्टूबर को नामांकन करेंगे। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की कैंडिडेट लिस्ट अभी नहीं आई है। तारापुर सिर्फ एक चुनावी सीट नहीं, बल्कि सम्राट चौधरी के परिवार की राजनीतिक विरासत से जुड़ी भूमि है। उनके पिता शकुनी चौधरी यहां से कई बार विधायक रह चुके हैं, जबकि उनकी मां पार्वती देवी भी एक बार इसी सीट से विधानसभा पहुंची थीं। गौरतलब है कि सम्राट चौधरी मौजूदा वक्त में विधान परिषद के सदस्य हैं। सम्राट चौधरी की राजनीतिक यात्रा काफी दिलचस्प रही है। वे हमेशा से विधान परिषद के सदस्य नहीं रहे, बल्कि पहले राजद (RJD) से दो बार विधायक बन चुके हैं। भाजपा में आने से पहले वो दो बार राजद के विधायक बने हैं। खगड़िया जिले की परबत्ता सीट से सम्राट चौधरी पहली बार 2000 और दूसरी बार 2010 में विधानसभा पहुंचे थे। उनसे हारने और उनको हराने वाले जेडीयू नेता रामानंद प्रसाद सिंह भी परबत्ता से चार के विधायक रहे। रामानंद के बेटे संजीव सिंह 2020 में परबत्ता से जेडीयू के विधायक बने थे लेकिन अब तेजस्वी यादव के साथ हैं और अब राजद के टिकट पर लड़ेंगे। हाल ही में प्रशांत किशोर ने सम्राट चौधरी को घेरते हुए एक पुराना मामला उठाया। उन्होंने तारापुर हत्याकांड (1995) का जिक्र किया और उनकी उम्र और रिहाई पर सवाल उठाए। जानकार बताते हैं कि यह केस भी तारापुर के चुनावी माहौल से जुड़ा था, जब उनके पिता शकुनी चौधरी ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। इस पुराने विवाद ने अब फिर से राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है, खासकर तब जब सम्राट खुद उसी सीट से ताल ठोकने जा रहे हैं।  

पंजाब राजनीति में हलचल: अकाली दल के पूर्व प्रत्याशी जगदीप चीमा ने थामा भाजपा का दामन

चंडीगढ़  चंडीगढ़ में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के पूर्व नेता जगदीप सिंह चीमा सोमवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गए। चीमा पंजाब के पूर्व मंत्री रणधीर सिंह चीमा के बेटे हैं। उन्होंने 2012 में अमलोह और 2022 में फतेहगढ़ साहिब से अकाली दल के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू और पंजाब भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष अश्विनी शर्मा भी चीमा के पार्टी में शामिल होने संबंधी समारोह में उपस्थित थे। चीमा का भाजपा में स्वागत करते हुए अश्विनी शर्मा ने कहा कि जो लोग पंजाब की प्रगति और विकास देखना चाहते हैं वह पार्टी से जुड़ना चाहते हैं। राज्य की 'आप' सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने दावा किया कि 2022 में सत्ता में आने के बाद से उन्होंने पंजाब के विकास के लिए कुछ नहीं किया है। उन्होंने कहा कि भगवंत मान सरकार पंजाब की हर महिला को 1,000 रुपये प्रति माह देने के अपने चुनावी वादे को पूरा करने में "विफल" रही है। उन्होंने 'आप' पर महिलाओं के साथ धोखा करने का आरोप लगाया। शर्मा ने कहा कि हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार, लाडो लक्ष्मी योजना के तहत पात्र महिलाओं को 2,100 रुपये प्रति माह दे रही है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार राज्य में सभी फसलों के लिए किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी दे रही है।

कर्नाटक से बिहार चुनाव में धन वर्षा? कांग्रेस पर BJP के गंभीर आरोप

पटना  कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की बुलाई कैबिनेट बैठक को लेकर अटकलों का दौर जारी है। कहा जा रहा है कि यह बैठक राज्य कैबिनेट में होने वाले संभावित बदलाव से जुड़ी हो सकती है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को होने वाली इस मीटिंग के तार बिहार विधानसभा चुनाव से जोड़े हैं। भाजपा का कहना है कि कर्नाटक कांग्रेस ने बिहार चुनाव में खर्च की जिम्मेदारी उठाई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आर अशोक ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस ने कर्नाटक को बिहार चुनाव के लिए एटीएम बना दिया है। उन्होंने कहा, 'मुझे जानकारी मिली है कि उन्होंने बिहार चुनाव के दौरान कांग्रेस के पूरे खर्च की जिम्मेदारी उठाई है। यहां तक कि मुख्यमंत्री ने इस पर चर्चा करने के लिए डिनर मीटिंग बुलाई है।' उन्होंने कहा है कि कांग्रेस विधायक केसी वीरेंद्र ने चुनाव में इस्तेमाल के लिए कथित तौर पर 40 किलो सोना बिहार भेजा है। खास बात है कि वीरेंद्र को हाल ही में ED यानी प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। अशोक ने संकेत दिए हैं कि कांग्रेस पार्टी में नेतृत्व स्तर पर बदलाव हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि नवंबर में सिद्धारमैया को बदला जा सकता है। उन्होंने कहा, 'मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री की डिनर मीटिंग, शिवकुमार के सीएम बनने को लेकर विधायकों के बयान और जल्दबाजी में जातिगत जनगणना से कांग्रेस में राजनीतिक क्रांति के संकेत मिल रहे हैं।' कांग्रेस क्या बोली इधर, कांग्रेस के जिला प्रभारी मंत्री एन चालूवरयस्वामी ने कहा कि डिनर का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने इसे अफवाह बताया है। उन्होंने कहा है कि बिहार चुनावों के बाद कैबिनेट में फेरबदल हो सकता है, लेकिन नेतृत्व में बदलाव का फैसला पार्टी आलाकमान पर है। उन्होंने कहा, '34 मंत्री हैं। अन्य के लिए कुछ और वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।' कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने शनिवार को राज्य में मंत्रिमंडल फेरबदल की अटकलों को खारिज करते हुए इसे मीडिया में चल रही एक 'अफवाह' बताया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शिवकुमार ने कहा कि पार्टी हाईकमान इस पर फैसला करेगा। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि नवंबर में जब कांग्रेस सरकार अपने पांच साल के कार्यकाल की आधी अवधि पूरी कर लेगी तो राज्य में नेतृत्व परिवर्तन और मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है, जिसे कुछ लोग 'नवंबर क्रांति' के रूप में मान रहे हैं। एक सवाल के जवाब में शिवकुमार ने संवाददाताओं को बताया, 'कोई मंत्रिमंडल फेरबदल नहीं, कुछ नहीं। ये सब मीडिया में चल रही अफवाहें हैं, कुछ लोगों की बातें सुन रहा हूं। बातें मीडिया में हैं। या तो मुझे या मुख्यमंत्री को इस बारे में बोलना होगा। जब हम दोनों ने ही कुछ नहीं कहा, तो इसमें क्या है?' उन्होंने कहा, 'कुछ लोगों को (मंत्री बनने की) जल्दी है। अगर उनके नाम मीडिया में आ गए, तो वे (नेताओं के) घर-घर जाएंगे। इसकी कोई संभावना नहीं है। सब कुछ आलाकमान तय करेगा।' पार्टी सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उनका खेमा फेरबदल पर जोर दे रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जाना, जब सरकार अपने कार्यकाल के ढाई साल पूरे करने वाली है, इस संदेश के रूप में देखा जाएगा कि सत्ता की कमान उनके हाथ में है और आगे भी वही नेतृत्व करते रहेंगे। यह कदम शिवकुमार के लिए एक झटका साबित हो सकता है, जो मुख्यमंत्री पद पर दावा करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। राज्य के राजनीतिक हलकों में, विशेषकर सत्तारूढ़ कांग्रेस में, इस वर्ष के अंत में मुख्यमंत्री परिवर्तन के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं, जिसमें सिद्धरमैया और शिवकुमार के बीच सत्ता-साझाकरण समझौते का दावा किया जा रहा है। पिछले कुछ समय से, मंत्री पद के इच्छुक कांग्रेस विधायकों के एक वर्ग की ओर से भी मंत्रिमंडल में फेरबदल करके उन्हें शामिल करने की मांग उठ रही है। कुछ विधायकों ने तो खुले तौर पर मंत्री बनने की इच्छा भी व्यक्त की है।

गठबंधन में मोह या मजबूरी? मांझी-कुशवाहा की खामोशी और BJP की चालाकी

पटना  बिहार चुनाव के जारी नामांकन प्रक्रिया के बीच सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीट बंटवारे का ऐलान हो गया है. एनडीए के सबसे बड़े घटक भारीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर सीट शेयरिंग फॉर्मूले का ऐलान कर दिया. बीजेपी और जनता दल (यूनाइटेड) 101-101, जबकि चिराग पासवान की पार्टी 29 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टियों को छह-छह सीटें मिली हैं. जीतनराम मांझी 15 सीटों की डिमांड पर अड़े थे. वहीं, उपेंद्र कुशवाहा 12 सीटें मांग रहे थे. सहयोगी दलों के अड़ियल रुख से फंसे सीट शेयरिंग के पेच को बीजेपी ने आखिर कैसे सुलझाया? बीजेपी 15 सीटों की मांग पर अड़े मांझी और 10 सीटों की डिमांड कर रहे कुशवाहा को 6–6 सीट पर कैसे ले आई?  दरअसल, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा परिवार और रिश्तेदार के मोह में फंस गए. सीट शेयरिंग को लेकर मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के साथ हर दौर की बातचीत में बीजेपी ने उनसे अपनी दावेदारी वाली सीटों से संभावित उम्मीदवारों के नाम सामने रखने को कहा. जीतनराम मांझी की अगुवाई वाली हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के साथ सीट शेयरिंग पर बातचीत के दौरान बीजेपी को एक बात समझ आ गई. बीजेपी यह समझ गई कि दोनों ही नेता (मांझी और कुशवाहा) अपने परिजनों या रिश्तेदारों के लिए मनपसंद सीटें चाहते हैं. सूत्रों के मुताबिक इस बात का अंदाजा लगते ही बीजेपी ने जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा पर सीटों की संख्या कम करने के लिए प्रेशर बनाना शुरू कर दिया. मांझी और कुशवाहा परिवार और रिश्तेदार के मोह में फंस गए और सीटों का पेच सुलझ गया. जीतनराम मांझी अपनी समधन ज्योति मांझी को बाराचट्टी से चुनाव लड़ाएंगे. वहीं, इमामगंज सीट से उनकी बहू दीपा मांझी उम्मीदवार होंगी. कुछ ऐसी ही रणनीति आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की भी है. उपेंद्र कुशवाहा भी अपनी पत्नी और बेटे, बहू को विधानसभा चुनाव में उतारने की तैयारी में हैं. उपेंद्र कुशवाहा अपनी पत्नी स्नेह लता को सासाराम विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारेंगे. वहीं, महुआ सीट से उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक कुशवाहा या बहू साक्षी मिश्रा कुशवाहा में से किसी एक के चुनावी जंग में उतरने की चर्चा है. आरएलएम प्रमुख ने सीट शेयरिंग पर बातचीत के दौरान दिनारा विधानसभा सीट से आलोक सिंह और उजियारपुर से प्रशांत पंकज के नाम बतौर उम्मीदवार रखे. यह दोनों ही नए नाम हैं.

RJD के दो विधायकों ने दिया इस्तीफा, बिहार चुनाव से पहले BJP को मजबूत बढ़त

पटना अगले माह होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के दो विधायकों– संगीता कुमारी और चेतन आनंद ने शुक्रवार को विधानमंडल से इस्तीफा दे दिया। दोनों के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। विधानसभा सचिवालय द्वारा जारी की गयी अधिसूचना में कहा गया है कि संगीता कुमारी (मोहनिया) और चेतन आनंद (शिवहर) के इस्तीफे के बाद दोनों सीट रिक्त हो गई हैं। दोनों विधायक तत्काल प्रतिक्रिया के लिए उपलब्ध नहीं हो सके। इस वर्ष की शुरुआत में जब जनता दल यूनाइटेड (जदयू) दोबारा भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हुआ था, तब से संगीता कुमारी और चेतन आनंद विधानसभा की कार्यवाही के दौरान लगातार सत्तापक्ष की बेंचों पर बैठते नजर आ रहे थे। इसके बाद राजद ने दोनों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की थी, जो फिलहाल विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव के समक्ष लंबित है। बता दें कि राज्य में दो चरणों में चुनाव होंगे, पहला चरण छह नवंबर को और दूसरा चरण 11 नवंबर को होगा। मतगणना 14 नवंबर को होगी। इससे पहले कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री मुरारी प्रसाद गौतम और भभुआ से राजद विधायक भारत बिंद ने भी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दिया था।  

BJP शीर्ष नेतृत्व की दिल्ली बैठक: बिहार चुनाव रणनीति पर शाह-नड्डा का मंथन

पटना बिहार विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में बातचीत का दौर अब अंतिम चरण है। भाजपा और जदयू ने अपने कई पुराने चेहरों को हरी झंडी भी दे दी है। लेकिन, अब तक औपचारिक रूप से घोषणा नहीं की है। यह घोषणा आज शाम तक संभावित है। लेकिन, इससे पहले भारतीय जनता पार्टी की कोर कमेटी के सदस्य दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पर जुटे हैं। गृह मंत्री अमित शाह, बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय राज्य मंत्री नित्यानंद राय समेत भाजपा के वरिष्ठ नेता सीट शेयरिंग समेत कई मुद्दों पर बातचीत कर रहे हैं। एनडीए में चिराग-मांझी की जिद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीट बंटवारे का काम 95 फीसदी तक हो चुका है। भाजपा और जदयू दोनों 100 से अधिक पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। केंद्रीय चिराग पासवान की पार्टी को 28, केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी को आठ और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को करीब पांच सीटें  भाजपा और जदयू देना चाहती है। लेकिन, लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा मानने को तैयार नहीं। चिराग 35 से कम सीटों पर चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। वहीं जीतन राम मांझी का तर्क है कि राज्य स्तर की पार्टी बनने के लिए आठ विधायक चाहिए। हमारे पास पहले से चार विधायक हैं। ऐसे में 15 सीटों से कम पर चुनाव हमलोग नहीं लड़ कसते हैं। वहीं आरएलएसपी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने 24 सीटों की मांग की है। तीनों पार्टी के नेताओं ने चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान से मिलकर अपनी-अपनी बात रख दी है। जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने दावा किया है कि एनडीए के घटक दलों के कहीं कोई मतभेद नहीं है। सबलोग एकजुट हैं। जल्द ही सीट बंटवारे का एलान कर दिया जाएगा। प्रधानमंत्री के रहते सम्मान की चिंता नहीं बिहार चुनाव को लेकर बीजेपी के साथ सीट बंटवारे की बातचीत पर एलजेपी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि बातचीत सकारात्मक ढंग से चल रही है और अब अपने अंतिम चरण में है। जिस घोषणा का इंतजार आपलोग कर रहे हैं, वह भी जल्द होने वाली है। हमलोग हर एक चीजों पर विस्तार से चर्चा कर रहे हैं। ताकि बाद में गठबंधन के अंदर किसी भी चीजों को लेकर कोई संशय नहीं हो। हम हर छोटे-बड़े मुद्दे, सीटों, उम्मीदवारों और प्रचार को लेकर विस्तृत चर्चा कर रहे हैं। जहां पर मेरे प्रधानमंत्री हैं, वहां पर मुझे अपने सम्मान करने की चिंता नहीं है।