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‘कोई खान मुंबई का मेयर न बने…’ BMC चुनाव से पहले अमित साटम का विवादित बयान

मुंबई  मुंबई में निकाय चुनाव नजदीक आते-आते सियासी सरगर्मी काफी बढ़ गई है. बीजेपी के नवनियुक्त मुंबई अध्यक्ष अमित साटम ने इस बीच एक विवादित बयान दिया है, जो काफी सुर्खियों में है. एक कार्यक्रम के दौरान मुस्लिम समुदाय का हवाला देते हुए अमित साटम ने कहा कि आगामी नगर निकाय चुनाव शहर की सुरक्षा को लेकर हैं और कोई 'खान' मुंबई का मेयर नहीं बनना चाहिए. मुंबई बीजेपी अध्यक्ष साटम का यह बयान विजय संकल्प रैली के दौरान आया, जिसमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भी हिस्सा लिया. बीएमसी चुनावों से पहले बयान पिछले महीने मुंबई अध्यक्ष नियुक्त किए गए अमित साटम ने कहा, 'लड़ाई मुंबई को सुरक्षित रखने की है. अंतरराष्ट्रीय देशों में घुसपैठ हो रही है और उनके रंग बदल रहे हैं. कुछ शहरों के मेयरों के सरनेम देखिए. क्या हम मुंबई में भी यही पैटर्न चाहते हैं?' अमित साटम के इस बयान को लंदन और अन्य पश्चिमी देशों में चल रहे एंटी इमिग्रेशन प्रोटेस्ट से जोड़कर देखा जा रहा है. साटम का 'सरनेम' वाला बयान संभवतः लंदन के मेयर सादिक खान की ओर इशारा करता है, जिनकी जड़ें पाकिस्तान में हैं. अपनी तीखी टिप्पणी जारी रखते हुए साटम ने आगे कहा, 'वर्सोवा-मालवणी स्टाइल हर जगह फैल सकती है. मुंबईकरों के दरवाजे पर एक बांग्लादेशी होगा. कल हर वार्ड में एक हारून खान चुना जा सकता है और कोई खान मुंबई का मेयर बन सकता है. ऐसा मत होने दीजिए.' मुंबई के वर्सोवा और मालवणी में मुस्लिम आबादी अच्छी-खासी है. यह टिप्पणी अवैध बांग्लादेशियों पर राज्यव्यापी कार्रवाई के बीच आई है, जो बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन के लिए एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनकर उभरा है. साटम ने ज़ोर देकर कहा कि बीजेपी की लड़ाई सिर्फ़ राजनीतिक नहीं, बल्कि विकास और सुरक्षा की है. उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से हर घर तक पहुंचने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि महायुति का कोई महापौर बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) का कार्यभार संभाले. एशिया की सबसे अमीर निगम कही जाने वाली बीएमसी 2022 से चुनावों का इंतजार कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र में लंबे समय से लंबित स्थानीय निकाय चुनाव कराने की अंतिम समय सीमा 31 जनवरी, 2026 तय की है. फडणवीस ने ठाकरे पर हमला बोला अपने संबोधन में मुख्यमंत्री फडणवीस ने याद दिलाया कि कैसे 2017 के नगर निकाय चुनावों के बाद मुंबई में अपना मेयर बनाने के लिए पर्याप्त संख्या होने के बावजूद बीजेपी ने शिवसेना को मेयर का पद दे दिया था. फडणवीस ने कहा, 'हमारी जीत को रोका नहीं जा सकता. पिछली बार बीएमसी में हम सिर्फ़ दो सीटें पीछे रह गए थे. तब एकनाथ शिंदे और मिलिंद नार्वेकर ने मुझे बताया था कि उद्धव ठाकरे नाराज़ हैं. हमने महापौर का पद शिवसेना को दिया, बड़ा दिल रखा.' मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, '2019 में उद्धव ठाकरे ने हमें धोखा दिया. 2022 में हमें अपनी सरकार वापस मिल गई और 2024 में हमें पूर्ण बहुमत मिला. इस बार मुंबई को महायुति का मेयर मिलेगा.' कौन हैं अमित साटम पिछली महीने अगस्त में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आशीष शेलार की जगह अमित साटम को मुंबई बीजेपी का नया अध्यक्ष नियुक्त किया था. वह अंधेरी वेस्ट से विधायक हैं और बीएमसी पार्षद भी रह चुके हैं. अमित साटम अपनी साफगोई और आक्रामक कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा में कई बार विपक्ष पर तीखे हमले किए हैं. मुंबई के स्थानीय मुद्दों पर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है. इससे पहले उन्होंने संगठन में भी अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं.  अमित साटम की नियुक्ति से बीजेपी को निकाय चुनाव में जीत की उम्मीद है. उनकी नियुक्ति का ऐलान करते वक्त सीएम फडणवीस ने भरोसा जताया कि साटम की अगुवाई में बीजेपी और महायुति को बड़ी सफलता मिलेगी. उन्होंने कहा कि साटम न सिर्फ संगठन में काम करने का अनुभव रखते हैं, बल्कि मुंबई की समस्याओं और उनके समाधान की दिशा में भी एक्टिव रोल निभाते आए हैं. 

आदिवासी कांग्रेस कार्यक्रम में बोले दिग्विजय सिंह – ‘धर्मांतरण अगर आस्था से हो तो अपराध नहीं’

बैतूल  मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि अगर धर्मांतरण आस्था और स्व-प्रेरणा से किया जाता है, तो यह कोई अपराध नहीं है. लेकिन जबरन या प्रलोभन से धर्मांतरण स्वीकार्य नहीं है. बीजेपी केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस मुद्दे को उठाती है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने बीजेपी पर आदिवासियों को 'वनवासी' कहकर उनकी पहचान मिटाने की कोशिश करने का आरोप लगाया. आदिवासी कांग्रेस की ओर से बैतूल जिले के भैंसदेही में आयोजित 'आदिवासी अधिकार और सशक्तिकरण शिविर' में शामिल होने आए दिग्विजय ने कहा कि आदिवासी भारत के सबसे पुराने निवासी हैं. दिग्विजय सिंह ने कहा- “हम सब तो सेंट्रल एशिया से आए हैं, असली हक और पहला अधिकार तो आदिवासियों का ही है। वे प्रकृति के पूजक हैं और संविधान उन्हें अपनी आस्था के अनुरूप धर्म पालन का पूरा अधिकार देता है। फिर भाजपा क्यों आलोचना करती है?” धर्म परिवर्तन अपराध नहीं पूर्व सीएम ने साफ कहा कि धर्म परिवर्तन अगर आस्था और स्वप्रेरणा से होता है तो अपराध नहीं है, लेकिन जबरदस्ती या प्रलोभन से धर्मांतरण स्वीकार्य नहीं। भाजपा इस मुद्दे को सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए उठाती है। उन्होंने कहा, "हम सभी मध्य एशिया से आए हैं. आदिवासियों के पास पहला और असली अधिकार है. वे प्रकृति के उपासक हैं और संविधान उन्हें अपनी आस्था का पालन करने का पूरा अधिकार देता है…." राज्यसभा सदस्य ने BJP पर 'संकीर्ण विचारधारा' रखने और 'धर्मांतरण की राजनीति' करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने आरोप लगाया कि यह पार्टी न तो संविधान को समझती है और न ही भारत की वास्तविक परंपरा को. भाजपा आदिवासियों को वनवासी कहकर उनकी पहचान मिटाना चाहती है." एक सवाल के जवाब में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि BJP गाय के नाम पर केवल राजनीति करती है, जबकि कांग्रेस सरकार के दौरान गौ आयोग का गठन किया गया था. उन्होंने कहा, "भाजपा इस मुद्दे पर केवल राजनीतिक रोटियां सेंकती है." आदिवासी कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने बताया कि राज्य के हर जिले में आदिवासियों के अधिकारों और सशक्तिकरण के लिए यह शिविर आयोजित किए जा रहे हैं. आदिवासी कांग्रेस सशक्तिकरण शिविर में शामिल हुए दिग्विजय सिंह भैंसदेही में मध्यप्रदेश आदिवासी कांग्रेस द्वारा आयोजित लीडरशिप डेव्हलपमेंट शिविर के समापन समारोह में शामिल हुए। आदिवासी कांग्रेस ने यह तीन दिन का आदिवासी कांग्रेस सशक्तिकरण शिविर का आयोजन किया था। विक्रांत भूरिया राष्ट्रीय अध्यक्ष आदिवासी कांग्रेस ने बताया कि राहुल गांधी ने आदिवासी कांग्रेस को पूरे देश में युवा आदिवासी नेतृत्व तैयार करने की जिम्मेदारी दी है। जिसके तहत हम प्रदेश में आदिवासी अधिकार और सशक्तिकरण शिविर करवाते हैं। उसके बाद हर जिले में जाकर यह शिविर करवा रहे हैं। इसका उद्देश्य यही है कि युवा पीढ़ी को पता रहे कि कांग्रेस ने देश के लिए क्या किया आदिवासी के क्या अधिकार हैं। किस तरह से देश में उनका शोषण हो रहा है। इस दौरान आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामू टेकाम और जिला कांग्रेस अध्यक्ष निलय डागा भी मौजूद रहे। कार्यक्रम के बाद बैतूल पहुंचे दिग्विजय सिंह ने कोठी बाजार स्थित डागा हाउस में कांग्रेस पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं से भी चर्चा की। उन्होंने बैठक में कार्यकर्ताओं को पार्टी की मजबूती के गुर सिखाए।

मोदी बर्थडे पर शत्रुघ्न सिन्हा की खास बधाई, 1 लाइन ने जीत लिया दिल — वायरल हुआ पोस्ट

नई दिल्ली  भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं. उन्हें देश और दुनियाभर से शुभकामनाएं मिल रही हैं. राजनेता से लेकर अभिनेता तक कुछ फोन से तो कुछ सोसल मीडिया पर उनके लिए अपने जज्बातों को बयां कर रहे हैं. बॉलीवुड के ‘शॉटगन’ यानी शत्रुघ्न सिन्हा ने भी पीएम मोदी को अपनी शुभकामनाएं दीं. उन्होंने सोशल मीडिया पर पीएम मोदी के साथ अपनी एक तस्वीर शेयर की है, जिसकी सिर्फ 1 लाइन ही लोगों की दिल जीत रही है. भारत में सत्ता पक्ष से लेकर विपक्षी खेमे से भी उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं मिलीं। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने भी इसे मौके पर उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना की है। विपक्षी नेताओं में बॉलीवुड अभिनेता और तृणमूल कांग्रेस सांसद शत्रुघ्न सिन्हा का भी नाम शामिल है। हालांकि, उन्हें इसके लिए ट्रोल का भी सामना करना पड़ा। हिंदी सिनेमा के दिग्गज एक्टर शत्रुघ्न सिन्हा राजनीति में भी सक्रिय हैं. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने भी पीएम मोदी को अपनी शुभकामनाएं दीं. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पुरानी तस्वीर शेयर की. शत्रुघ्न सिन्हा ने क्या लिखा शत्रुघ्न सिन्हा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पुरानी तस्वीर साझा करते हुए लिखा, ‘हमारे मित्र और समाज के मित्र माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं. ईश्वर आपको सुख, शांति, आनंद, उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु प्रदान करें.’ उन्होंने अपने संदेश में अंग्रेजी में लिखा- Once a friend, always a friend indeed, जिसका अर्थ है ‘एक बार जो दोस्त बन जाए, वह सच्चे अर्थों में हमेशा दोस्त रहता है.’   शत्रुघ्न सिन्हा ने पीएम मोदी के साथ अपनी पुरानी तस्वीरें पोस्ट करते हुए एक्स पर लिखा, “मेरे सच्चे मित्र और माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं। भगवान आपको अपार खुशियां, शांति, आनंद, उत्तम स्वास्थ्य और लंबी आयु प्रदान करें।” एक दूसरे पोस्ट में उन्होंने लिखा, ‘एक बार दोस्त बने तो हमेशा दोस्त रहते हैं।’ उनके इस पोस्ट पर तरह-तरह के कमेंट किए जा रहे हैं। कुछ उनके फॉलोअर्स ने पूछा है कि क्या आप घर वापसी कर रहे हैं? एक ने लिखा, ''याद आ रही है वही भाजपा वाली पुरानी धमक, ममता बानो से दिल भर गया?? भाजपा से नाता तोड़ कर आजतक किस नेता का भला हुआ है??'' वहीं दूसरे ने कहा, 'अब समय आ गया है कि मोदी जी शत्रुघ्न सिन्हा को भाजपा में वापस ले लें। आखिरकार, मतभेद तो रोजमर्रा की जिंदगी में आम बात है।' आपको बता दें कि 'बिहारी बाबू' और 'शॉटगन' के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा पहले भाजपा में थे। वह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने बगावत कर दी और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। पिछले चुनाव में भी उन्होंने आसनसोल सीट से शानदार जीत दर्ज की थी। बॉलीवुड से भी आईं पीएम मोदी के लिए बधाई सोशल मीडिया पर अब ‘शॉटगन’ का ये पोस्ट काफी वायरल हो रहा है. शत्रुघ्न सिन्हा के अलावा बॉलीवुड के कई स्टार्स ने उन्हें बधाई दी है. दिग्गज कलाकार मनोज जोशी, परेश रावल, जैकी श्रॉफ, मशहूर गीतकार और लेखक मनोज मुंतशिर सहित कई कलाकारों ने पीएम मोदी को अपने-अपने अंदाज में सोशल मीडिया पर बधाई दी है. सभी ने उनके अच्छे स्वास्थ्य और खुशियों की कामना की है. मनोज मुंतशिर ने क्या लिखा मशहूर गीतकार और लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला ने अपनी पोस्ट में मोदी सरकार के बड़े फैसलों को शामिल करते हुए लिखा, ‘370, तीन तलाक, राम मंदिर… अगर जीवन की ये तीन गाथाएं भी चुन लें, तो हम नरेंद्र मोदी के सदैव ऋणी रहेंगे. भारत के सबसे यशस्वी प्रधानमंत्री को जन्मदिवस की अशेष शुभकामनाएं.’ सोनू सूद ने ऐसे दी बधाई सोनू सूद ने भी प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता और नेतृत्व की सराहना करते हुए लिखा, ‘इतिहास उन्हें याद रखता है, जो भविष्य को नया आकार देते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को शुभकामनाएं कि उन्हें निरंतर शक्ति, स्पष्टता और साहस प्राप्त हो, वे भारत का नेतृत्व एक परिवर्तनकारी युग में कर रहे हैं. आपकी यात्रा आपके दृष्टिकोण की तरह ही निडर बनी रहे.’

MP में कांग्रेस का संगठन सृजन अभियान फेल? गुटों में बंटी पार्टी में नहीं दिखी एकजुटता

भोपाल  मध्य प्रदेश में कांग्रेस की गुटबाजी एक बार फिर सुर्खियों में है. 2020 में सरकार गिरने का जख्म अभी तक भरा नहीं है और 2025 में भी पार्टी के अंदर आपसी मतभेद फिर से सामने आ गए हैं. हाल ही में अनूपपुर में आयोजित कांग्रेस कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के समर्थकों ने उन्हें आगामी मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट किया, लेकिन सिंघार ने मुस्कुराते हुए कहा, '2028 अभी दूर है', जिससे पार्टी की अंदरूनी खींचतान और उजागर हो गई. जबकि दूसरी ओर ओबीसी नेता कमलेश्वर पटेल ने संगठन सृजन अभियान पर सवाल उठाते हुए प्रदेश अध्यक्ष और संगठन प्रभारी पर समन्वय न बना पाने के आरोप लगाए हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या कांग्रेस का ये अभियान गुटबाजी को खत्म करने में नाकाम रहा है? दरअसल, अनूपपुर में आयोजित कांग्रेस कार्यक्रम में उमंग सिंघार के समर्थकों ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने की कोशिश की. हालांकि, सिंघार ने साफ किया कि 2028 का चुनाव अभी दूर है, लेकिन ये बयान पार्टी के अंदर सत्ता की होड़ को दिखाता है. प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और उमंग सिंघार के बीच पहले भी मतभेद की खबरें रही हैं, और ये नाराजगी अब खुलकर सामने आ रही है. ओबीसी वर्ग के प्रभावशाली नेता कमलेश्वर पटेल ने नई जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर असंतोष जताया. उन्होंने आरोप लगाया कि संगठन में निर्णय कुछ चुनिंदा नेताओं के इशारे पर हो रहे हैं. पटेल ने कहा, 'प्रदेश अध्यक्ष और संगठन प्रभारी का काम पार्टी में समन्वय बनाना है, न कि खुद पार्टी बनना.' नई पीढ़ी में भी मतभेद गुटबाजी नई पीढ़ी तक सीमित नहीं है. पिछले महीने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच सोशल मीडिया पर तीखी नोकझोंक देखने को मिली थी. दिग्विजय ने कमलनाथ पर 2020 में सरकार गिरने का आरोप लगाया, जिसमें उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया की मांग पूरी न करने की बात कही. वहीं, कमलनाथ ने दिग्विजय को ही जिम्मेदार ठहराया. बाद में दोनों ने रिश्तों की गरिमा बनाए रखने के लिए मुलाकात की और तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कीं, लेकिन यह कदम गुटबाजी की गहराई को छिपा नहीं पाया. BJP ने साधा निशाना कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान पर भाजपा ने तीखा हमला बोला है. सरकार में मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा, “कांग्रेस संगठन कमजोर हो चुका है. नेता आपस में झगड़ रहे हैं और मुख्यमंत्री बनने का दावा कर रहे हैं. सरकार बनना तो दूर, जनता ने उन्हें दो अंकों में भी जगह नहीं दी. कांग्रेस को मध्य प्रदेश की जनता पूरी तरह नकार चुकी है और उसकी हालत दिन-ब-दिन बद से बदतर होती जा रही है.” क्या है संगठन सृजन अभियान कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में पार्टी को फिर से सक्रिय करने और चुनाव तौर पर मजबूत बनाने, नए नेता को आगे लाने और बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने लिए संगठन सृजन अभियान शुरू किया है. खासकर 2023 के विधानसभा चुनावों में हार के बाद मध्य प्रदेश में इस अभियान की शुरुआत की गई.

SC ने खत्म किया वनतारा केस, कांग्रेस बोली—‘क्यों न सारे मामले हों इतनी तेजी से निपटते’

नई दिल्ली  वनतारा वन्यजीव अभयारण्य के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका के निपटारे को लेकर कांग्रेस ने तंज कसा है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने उच्चतम न्यायालय की ओर से गठित एसआईटी द्वारा वनतारा प्राणी बचाव एवं पुनर्वास केंद्र को क्लीनचिट दिए जाने को लेकर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि काश 'सीलबंद लिफाफा' वाली व्यवस्था के बिना इतनी तेजी से सभी मामलों का निस्तारण कर लिया जाता। वनतारा से जुड़े मामलों की जांच कर रहे उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित एसआईटी ने गुजरात के जामनगर स्थित इस प्राणी बचाव एवं पुनर्वास केंद्र को ‘क्लीन चिट’ दे दी है। इस रिपोर्ट को लेकर बेंच ने सोमवार को कहा था कि जानकारी मिली है कि वनतारा में जानवरों को रखने के लिए सभी नियमों का पालन किया गया। वहां लाए गए जानवरों के कानून के अनुसार ही खरीदा गया और उनका रखरखाव चल रहा है। ऐसे में किसी भी तरह का सवाल उठाना ठीक नहीं है। न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति पी बी वराले की पीठ ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया और कहा कि अधिकारियों ने वनतारा में अनुपालन और नियामक उपायों को लेकर संतोष व्यक्त किया है। पूर्व पर्यावरण मंत्री रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, 'जब वह तय कर ले तो भारतीय न्यायिक प्रणाली सबसे तेज गति से चलती है, जबकि देरी उसकी पहचान बन गई है।' उन्होंने इस बात का उल्लेख किया, '25 अगस्त, 2025 को उच्चतम न्यायालय ने जामनगर में रिलायंस फाउंडेशन द्वारा स्थापित वन्यजीव बचाव और पुनर्वास केंद्र, वनतारा के मामलों की एक विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराए जाने का आदेश दिया। चार प्रतिष्ठित सदस्यों वाली एसआईटी को 12 सितंबर, 2025 तक अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया था।' उन्होंने कहा, 'एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट 'सीलबंद लिफाफे' में पेश की। 15 सितंबर, 2025 को उच्चतम न्यायालय ने इसकी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया और 7 अगस्त, 2025 को दायर एक जनहित याचिका द्वारा शुरू किए गए मामले को बंद कर दिया।' रमेश ने कटाक्ष किया कि काश सभी मामलों को रहस्यमय 'सीलबंद लिफाफा' वाली व्यवस्था के बिना इतनी तेजी से और स्पष्ट रूप से निपटा दिया जाता।  

MP कांग्रेस में अंदरूनी असहमति: CWC सदस्य ने अध्यक्षों की नियुक्ति प्रक्रिया पर जताई नाराजगी

भोपाल  मध्य प्रदेश में दो दशक से सत्ता से बाहर कांग्रेस में गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही। प्रदेश में हाल ही में हुई जिला अध्यक्षों की नियुक्ति अभी तक विवादों में घिरी हुई है। कई दिग्गजों को जिला अध्यक्ष बनाए जाने से नाराजगी है। वहीं कई सीनियर नेताओं के क्षेत्रों में उनकी राय के खिलाफ जिलाध्यक्ष बनाए जाने से वे नाराज हैं। अब CWC मेंबर और पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने प्रदेश प्रभारी और पीसीसी चीफ पर सवाल खड़े पर किए हैं। कमलेश्वर पटेल ने एमपी में संगठन सृजन अभियान के तहत जिलाध्यक्षों की नियुक्ति प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी पर अपना बयान जारी किया है। इतनी गुटबाजी नहीं होना चाहिए उन्होंने कहा है कि गुटबाजी और प्रतिस्पर्धा हमेशा रही है। लेकिन इतनी गुटबाजी नहीं होना चाहिए, जो जिम्मेदार लोग हैं। उनकी जिम्मेदारी है। प्रदेश प्रभारी का काम समन्वय बनाने का है, न कि पार्टी बनने का। उन्होंने कहा कि मेरा तो प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष से निवेदन है कि आपको खरगे जी, राहुल जी ने प्रदेश का महत्वपूर्ण पद दिया है, मुखिया बनाया है। आप सबको साथ लेकर चलिए। समाधान हो सकता है  पटेल ने एक दोहा बोलते हुए कहा कि मुखिया मुख सों चाहिए, खान पान को एक, पालै पोसै सकल अंग, तुलसी सहित विवेक। इस तरह की भावना के साथ जिस दिन काम करना शुरू कर देंगे तो हम समझते हैं कि थोड़ी बहुत प्रतिस्पर्धा को लेकर आपस में नाराजगी हो सकती है लेकिन कोई बहुत बड़ी नाराजगी नहीं हैं। इसका समाधान किया जा सकता है और हमारे नेता कर भी रहे हैं। पटेल ने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए चलाए गए संगठन सृजन अभियान को लेकर कहा कि संगठन सृजन में राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल की भावनाओं को दरकिनार करने की कोशिश हुई है। जहां गड़बड़ियां हुई हैं, उनकी जांच कर रहे हैं जमीनी नेताओं को दरकिनार करना गलत उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश को लेकर हाईकमान ने जाहिर भी किया कि गड़बड़ी हुई है। जमीनी नेताओं को दरकिनार करना गलत है। यह विसंगतियां हाईकमान के संज्ञान में हैं। व्यापार करने वालों को नहीं, जमीनी लोगों को मिलना चाहिए मौका।  

चुनाव से पहले BJP-RSS का तालमेल मजबूत, यूपी में तीन प्रमुख चेहरों पर फोकस

लखनऊ  उत्तर प्रदेश में 2027 विधानसभा चुनाव भले ही अभी दूर हो, लेकिन बीजेपी ने अभी से चुनावी तैयारियां तेज कर दी है। पार्टी का लक्ष्य प्रदेश में लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करना है। इस लक्ष्य को पाने के लिए सत्ताधारी पार्टी हर संभव प्रयास कर रही है। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव से पहले होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर बीजेपी ऐक्शन मोड में आ गई है। बीजेपी पंचायत चुनाव को सेमी फाइनल मानकर चल रही है। इसी के तहत सरकार, संगठन और संघ के बीच बेहतर तालमेल बनाने की रणनीति को लेकर बैठक हुई है। इस बैठक में बेहद महत्वपूर्ण चर्चा हुई है। राजधानी लखनऊ के निरालानगर स्थित संघ भवन में पूर्वी क्षेत्र की तीन दिवसीय समन्वय बैठक की हुई है। इस बैठक में सरकार, संगठन और संघ के बीच बेहतर तालमेल बनाने की रणनीति पर चर्चा हुई है। बताया जा रहा है कि बैठक में सामाजिक समूह और शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से विचार हुआ है। बैठक में बीजेपी के तीन पदाधिकारियों को विशेष जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिम्मेदारियों के क्रम में मुख्यमंत्री स्तर के मामलों का समन्वय प्रदेश महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह को सौंपी गई है। इसी तरह मंत्रियों से जुड़े मामलों का दायित्व प्रदेश महामंत्री अमरपाल मौर्य को मिला है, जबकि संगठन संबंधी प्रकरणों का जिम्मा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कामेश्वर सिंह को दिया गया है। ये तीनों नेता संघ से जुड़े मामलों को संगठन और सरकार तक पहुंचाकर समाधान कराने का काम करेंगे। इसके अलावा बैठक में समाज, छात्र और शिक्षकों के बीच बीजेपी और संघ की पैठ मजबूत करने पर विशेष जोर दिया गया है। बैठक में तय हुआ है कि शिक्षण संस्थानों में माहौल बेहतर बनाने के लिए संघ और बीजेपी मिलकर काम करेंगे। वहीं बाराबंकी के एक शिक्षण संस्थान में छात्रों और एबीवीपी कार्यकर्ताओं के बीच हुए विवाद का जिक्र करते हुए यह सहमति बनी कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए समय रहते समन्वय और हस्तक्षेप आवश्यक है। इसके साथ ही बैठक में सेवा पखवाड़ा कार्यक्रम को लेकर भी चर्चा हुई है। पीएम मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर से लेकर 2 अक्टूबर तक चलने वाले इस अभियान के दौरान विभिन्न सामाजिक गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। इसका उद्देश्य समाज के हर वर्ग तक पहुंच बनाना, विचारधारा का विस्तार करना और नए लोगों को संगठन से जोड़ना है। बैठक को पंचायत चुनाव से पहले बीजेपी और संघ की तैयारी का अहम पड़ाव माना जा रहा है।

प्रियांक खरगे का बयान कांग्रेस के लिए बना सेल्फगोल? विपक्ष ने उठाए तीखे सवाल

बेंगलुरु  कांग्रेस के नेता चुनाव से ऐन पहले सेल्‍फगोल करने के ल‍िए जाने जाते हैं. इस कड़ी में अब नया नाम कांग्रेस अध्‍यक्ष मल्‍ल‍िकार्जुन खरगे के बेटे प्र‍ियांका खरगे का जुड़ गया है. कर्नाटक के कलबुर्गी में प्र‍ियांक खरगे ने कहा, ‘सिख धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और लिंगायत धर्म सभी भारत में एक अलग धर्म के रूप में पैदा हुए, क्योंकि हिंदू धर्म ने समाज के कुछ वर्गों को ‘गरिमापूर्ण स्‍थान’ नहीं दिया.’ बीजेपी नेता इसे मुद्दा बना रहे हैं और कांग्रेस की नीयत पर ही सवाल उठा रहे हैं. इसे बिहार चुनाव से भी जोड़ा जा रहा है. तो क्‍या बिहार चुनाव से पहले कांग्रेस के एक और नेता ने सेल्‍फ गोल कर द‍िया. बात सिर्फ प्र‍ियांक खरगे की नहीं है, एक द‍िन पहले कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया ने हिंदू समाज में असमानता और जातिवाद पर टिप्‍पणी की थी, जिसे बीजेपी ने ह‍िन्‍दू धर्म को अपमान‍ित करने का मुद्दा बना ल‍िया था. राज्य बीजेपी अध्यक्ष बी. वाई. विजयेंद्र और एमएलसी सी. टी. रवि ने कहा था क‍ि ऐसे बयान देकर राज्‍य सरकार धर्मांतरण को बढ़ावा दे रही है. उसी का जवाब देते हुए प्र‍ियांक खरगे ने ह‍िन्‍दू धर्म को ही कठघरे में खड़ा कर द‍िया. भाजपा नेताओं पर पलटवार करते हुए खरगे ने कहा, मुझे नहीं लगता कि विजयेंद्र और रवि भारत में धर्मों के इतिहास के बारे में जानते हैं. सिख धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और लिंगायत धर्म सभी भारत में अलग धर्म के रूप में पैदा हुए. ये सभी धर्म इसलिए पैदा हुए क्योंकि हिंदू धर्म ने इनके लिए जगह नहीं बनाई, इन्हें गरिमा नहीं दी. बाबा साहेब अंबेडकर का उदाहरण पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने सवाल किया, चातुर्वर्ण व्यवस्था क्या है? क्या यह किसी और धर्म में है? यह केवल हिंदू धर्म में है. बाबा साहेब अंबेडकर ने नारा दिया था कि हिंदू के रूप में जन्म लेना मेरे हाथ में नहीं है, लेकिन मैं हिंदू के रूप में मरूंगा नहीं. क्यों? क्योंकि वर्ण व्यवस्था की वजह से. उन्होंने कहा, लोगों के पास गरिमा नहीं थी, विभिन्न जातियां इस व्यवस्था से बाहर महसूस करती थीं. भारत में जितने भी धर्म पैदा हुए हैं, वे इसी असमानता के खिलाफ पैदा हुए हैं. मुझे नहीं लगता कि ये (भाजपा) नेता जानते भी हैं कि यह असल में है क्या. सिद्धारमैया ने क्‍या कहा था शनिवार को मैसूरु में एक सवाल पर जवाब देते हुए सिद्धारमैया ने कहा था, कुछ लोग इस व्यवस्था की वजह से धर्मांतरण कर रहे हैं. अगर हिंदू समाज में समानता और बराबरी के अवसर होते, तो धर्मांतरण क्यों होता? छुआछूत क्यों आया? जब उनसे मुसलमानों और ईसाइयों में असमानता के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, जहां भी असमानता है-चाहे मुसलमानों में हो या ईसाइयों में, न हमने और न ही भाजपा ने लोगों से कहा कि धर्म बदल लो. लोग बदले हैं. यह उनका अधिकार है.

क्या बिहार में गेमचेंजर साबित होंगे MP के CM मोहन यादव? जानिए BJP का सियासी दांव

भोपाल  बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच सियासी जंग जारी है. इसी कड़ी में बीजेपी ने नई रणनीति अपनाते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को बिहार में उतारा है. जानकारों का मानना है कि इस कदम का मुख्य लक्ष्य यादव वोट बैंक पर सीधी पकड़ बनाना, लालू यादव की विरासत को चुनौती देना और एनडीए की पकड़ मजबूत करना है.  14 सितंबर को मोहन यादव पटना पहुंचे और यादव महासभा के बड़े आयोजन में शामिल हुए, जहां कई बड़े नेता भी मौजूद रहे. यह कदम BJP के “एमवाई समीकरण” (मुस्लिम-यादव) को तोड़ने और यादव समुदाय को साधने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. यादव समाज को साधने की कोशिश! डॉ. मोहन यादव के पटना दौरे के दौरान BJP ने यादव समाज को जोड़ने के लिए बड़े पैमाने पर कार्यक्रम किया. इस आयोजन में ओबीसी आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष हंसराज अहीर, बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, छत्तीसगढ़ के मंत्री गजेंद्र यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव और विधायक संजीव चौरेसिया जैसे नेताओं ने मंच साझा किया. एनडीटीवी के रिपोर्ट के अनुसार, इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में भगवान कृष्ण पर केंद्रित प्रस्तुतियां हुईं, जिससे राजनीतिक संदेश भी दिया गया. बिहार की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत पर जोर अपने संबोधन में मोहन यादव ने बिहार की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को बीजेपी के चुनावी एजेंडे से जोड़ा. उन्होंने सम्राट अशोक, पाटलिपुत्र, अवंतिका (उज्जैन) और भोजपुर भाषा के साझा रिश्ते का जिक्र कर बिहार- मध्यप्रदेश की कड़ी बताई. उन्होंने कहा कि बिहार भगवान कृष्ण से जुड़ा राज्य है और यहां भगवान कृष्ण के पुत्र ने सूर्य मंदिर बनवाया था. साथ ही उन्होंने बुद्ध, जैन धर्म के तीर्थंकरों और चाणक्य-नालंदा-तक्षशिला की परंपरा का हवाला दिया. यह बयान स्पष्ट रूप से यादव समुदाय और बिहार की धार्मिक-सांस्कृतिक चेतना से जुड़ाव दिखाने के लिए था. एमवाई वोट बैंक पर बीजेपी की नजर! भाजपा का यह कदम सीधे तौर पर यादव वोट बैंक को साधने के लिए है, जो अब तक लालू यादव के आरजेडी के प्रभाव में माना जाता रहा है. डॉ. मोहन यादव ने राम मंदिर के मुद्दे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता और खुद को “साधारण कार्यकर्ता” बताकर यादव परिवार की वंशवादी राजनीति पर हमला किया. इससे पहले भी उन्होंने निसादराज सम्मेलन कर मछुआरा समुदाय को जोड़ने की कोशिश की थी, जो बिहार की करीब 45 सीटों पर असर डालता है.

MP में कांग्रेस का जनाधार परीक्षण, जानचे जाएंगे विधायकों और नेताओं के रिपोर्ट कार्ड

 भोपाल  विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा के हाथों मिली करारी हार से सबक लेते हुए कांग्रेस पहली बार मध्य प्रदेश में अपने निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की लोकप्रियता का आकलन कराएगी। इसकी शुरुआत नगरीय निकायों से होगी और दूसरे चरण में विधायकों की लोकप्रियता का आकलन करवाया जाएगा। पहले चरण में नगरीय निकायों को इसलिए लिया गया है क्योंकि इसके चुनाव सबसे पहले वर्ष 2027 में प्रस्तावित हैं। इनके परिणाम के बाद प्रदेश में चुनावी वातावरण बनने लगेगा। पार्टी ने तय किया है कि कार्यकर्ताओं के माध्यम से जनप्रतिनिधियों का मतदाताओं से संपर्क, संवाद और कामकाज के आधार पर पता लगाया जाएगा कि क्षेत्र में उनकी छवि कैसी है। यह भी आकलन किया जाएगा कि यदि वे लोकप्रिय या अलोकप्रिय हैं तो इसकी वजह क्या है। इसके आधार पर कांग्रेस संगठन निकायवार जनप्रतिनिधियों को बुलाएगा और उन्हें आगामी तैयारी के लिए सचेत करने के साथ मार्गदर्शन भी दिया जाएगा। कांग्रेस के पांच महापौर जीतकर आए थे प्रदेश में नगरीय निकायों के चुनाव वर्ष 2022 में हुए थे। पहली बार कांग्रेस के पांच महापौर (छिंदवाड़ा, ग्वालियर, मुरैना, रीवा और जबलपुर) जीतकर आए थे। हालांकि, नगर पालिका और नगर परिषद में अप्रत्यक्ष प्रणाली से होने के कारण अधिकतर स्थानों पर भाजपा के अध्यक्ष चुने गए। पार्टी की उम्मीद थी कि इन परिणामों का लाभ विधानसभा चुनाव में मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस केवल 66 सीटों पर सिमटकर रह गई। लोकसभा चुनाव में तो पार्टी का खाता भी नहीं खुला। अब फिर 2027 से नगरीय निकायों के साथ चुनावों का क्रम प्रारंभ होना है। इसे देखते हुए पार्टी ने तय किया है कि वह अपने निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की स्थिति का आकलन कराएगी। यही आगामी चुनाव में टिकट का आधार भी बनेगा। कार्यकर्ताओं के फीडबैक पर तैयार होगी रिपोर्ट प्रदेश संगठन महामंत्री संजय कामले का कहना है कि पहले चरण में नगरीय निकायों के प्रतिनिधियों की जनता के बीच छवि, उनके कामकाज, मतदाताओं से संपर्क और संवाद, पार्टी की गतिविधियों में भागीदारी के आधार पर आकलन किया जाएगा। इसके लिए फीडबैक स्थानीय कार्यकर्ताओं से लिया जाएगा। इसके आधार पर बनी रिपोर्ट को सामने रखकर जनप्रतिनिधियों से बात होगी। ठीक इसी तरह विधायकों के कामकाज का आकलन होगा। जो प्रत्याशी चुनाव हार गए थे, उनसे भी फीडबैक लिया जाएगा। इसमें वर्तमान स्थिति के साथ-साथ सुधार के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर फोकस रहेगा।