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डॉ. मोहन यादव बिहार चुनाव में सक्रिय, 52 सीटों पर करेंगे बिहारी मतदाताओं को साधने की कोशिश

भोपाल  बिहार चुनाव ने एमपी के सीएम डॉ. मोहन यादव की व्यस्तता बढ़ा दी है। वे शुक्रवार से अगले 15 दिनों तक बिहार आते-जाते रहेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा और एनडीए ने तय किया है कि उन्हें 52 से अधिक सीटों पर उतारा जाए। ये सीटें यादव और ओबीसी बाहुल्य हैं। हमेशा से माना जाता रहा है कि ये सीटें बिहार में किसी भी दल की सरकार बनाने और बिगाड़ने में अहम रोल अदा करती हैं। मध्यप्रदेश व बिहार भाजपा इकाई के कुछ प्रमुखों से मिली जानकारी के मुताबिक डॉ. यादव को इन सीटों पर न्यूनतम एक से चार बार तक उतारा जाएगा, जहां वे सभाओं से बिहारी मतदाताओं से संवाद करेंगे। रैलियां भी होंगी, जिनमें वाहन पर सवार होने के साथ-साथ प्रत्याशियों के साथ पैदल भी चलेंगे। नुक्कड़ सभाओं में हिस्सा लेंगे और सामाजिक समरसता सम्मेलनों के जरिए द्विपक्षीय संवाद भी करेंगे। शुक्रवार को चंपारण की बगाहा, सिगटा, सहरसा सीटों पर उतरेंगे। मुख्यमंत्री ने दिवाली से पहले भी दो दिन बिहार में चार सीटों पर सभाएं की थीं। मुख्यमंत्री को इसलिए ज्यादा सीटों पर उतारने की तैयारी बिहार में जातीय समीकरण हावी रहा है। यही वजह है कि एनडीए और इंडिया गठबंधन व अन्य ने सीट बंटवारे में जातीय समीकरण को ध्यान में रखा है। जातीय समीकरण में पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग का बड़ा वोट बैंक है। बिहार में यादव मतदाता अहम स्थान रखते हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री स्वयं यादव समाज से आते हैं। इसलिए भाजपा उन्हें यादव बाहुल सीटों पर बड़े चेहरे के रूप में उतारना चाहती है। चुनावी जानकारों की मानें तो भाजपा बताना चाहती है कि वे उनको तवज्जो देते हैं और उदाहरण मध्यप्रदेश में यादव मुख्यमंत्री का होना है। शिवराज और सिंधिया भी मैदान में, वीडी संभालेंगे बूथ मैनेजमेंट केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) और ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) को भी बिहार फतह की जिम्मेदारी मिली है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक चौहान भी शुक्रवार को बिहार जाएंगे। देश भर में उनकी पहचान मतदाताओं से घुलने-मिलने की रही है, वह मामा के रूप में बड़ी पहचान बना चुके हैं। उन्हें ऐसी सीटों व क्षेत्रों में उतारे जाने की तैयारी है, जहां जनता को जनता से घुलने-मिलने वाले जनप्रतिनिधि की जरुरत होगी। वहीं मप्र में विधानसभा और लोकसभा में सर्वाधिक जीत का रेकॉर्ड बना चुके प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एवं खजुराहो सांसद वीडी शर्मा को पटना जोन में बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। वह एमपी की तर्ज पर बिहार में भी बूथ मैनेजमेंट करने में जुट चुके हैं। उन्हें पटना जोन की 8 लोकसभा और 42 विधानसभा का जिम्मा मिला है। वे बूथ मैनेजमेंट पर फोकस हैं। व्यापारियों के बीच रहेंगे खंडेलवाल चुनाव प्रबंधन में आगे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल को पार्टी ने शहरी क्षेत्रों की विधानसभा सीटों में भेजने का निर्णय लिया है, जहां वे व्यापारियां, उद्योगपतियों के बीच जाकर संवाद करेंगे। उनकी बातों को सुनेंगे और भाजपा व एनडीए की रीति-नीति से उन्हें अवगत कराएंगे। एमपी के 1200 नेता-कार्यकर्ता बिहार में बिहार में इनके अलावा मध्यप्रदेश के 1200 से अधिक नेता व कार्यकर्ता बिहार में है। इनमें से कुछ की तैनाती एक महीने पहले हो चुकी है। कुछ 15 दिनों से है। ये जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं। आने वाले समय में डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा, राजेंद्र शुक्ल, प्रदेश के मंत्री प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, राकेश सिंह, विश्वास सारंग, कृष्णा गौर को भी मैदान में उतारा जाना है।

बीजेपी की नई टीम 29 घोषित, हेमंत खंडेलवाल का दबदबा, सिंधिया गुट से केवल एक शामिल

भोपाल  प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने अपनी नई टीम बना ली है। वह अन्य प्रदेश अध्यक्षों से अपनी टीम बनाने में काफी आगे रहे हैं। अध्यक्ष बनने के साढ़े तीन महीने बाद ही उन्होंने अपनी नई टीम बना ली है। नई टीम में प्रदेश के बड़े नेताओं की छाप दिखी है। हर खेमे के लोगों को समयोजित किया गया है। सबसे अधिक हितानंद शर्मा के लोग हेमंत खंडेलवाल की नई टीम में सबसे अधिक दबदबा प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा का रहा है। उनके पांच करीबियों को जगह मिली है। इसमें कांतदेव सिंह, शैलेंद्र बरूआ, सुरेंद्र शर्मा, गौरव रणदिवे और लोकेंद्र पराशर हैं। इसके बाद सीएम मोहन यादव के चार करीबी लोगों को जगह मिली है। इसमें लता वानखेड़े, प्रभुलाल जाटव, राहुल कोठारी और आशीष अग्रवाल हैं। शिवराज सिंह चौहान के राजेंद्र सिंह और बबीता परमार को जगह मिली है। नरेंद्र सिंह तोमर के दो रणवीर सिंह रावत और अर्चना सिंह हैं। वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया के भी दो लोगों को जगह मिली है। इनमें प्रभुराम चौधरी और अर्चना सिंह शामिल हैं। संघ और संगठन से जुड़े लोगों को भी मिली तरजीह इसके साथ ही नई टीम में संघ और संगठन से जुड़े लोगों को भी तरजीह मिली है। सुमेर सिंह सोलंकी, रजनीश अग्रवाल, निशांत खरे, मनीषा सिंह, नंदिता पाठक, जयदीप पटेल, संगीता सोनी, राजो मालवीय, अखिलेश जैन और श्याम महाजन हैं। इनको रखा गया है होल्ड पर वहीं, कुछ पदों पर अभी नियुक्ति नहीं हुई है। इसमें महिला, युवा और अल्पसंख्यक मोर्चा है। अभी इन पदों पर अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हुई है। वहीं, वीडी शर्मा के कार्यकाल में सर्वाधिक सक्रिय रहे महामंत्री और कार्यालय प्रभारी भगवान दास सबनानी को नई टीम में जगह नहीं मिली है। वनवास झेल रहे राजेंद्र सिंह की वापसी हुई है। अभी है छोटी टीम प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल काफी सुलझे हुए हैं। उन्होंने अपनी टीम भी छोटी बनाई है। सभी कैटगरी में एक-एक पद खाली रखे गए हैं। आने वाले दिनों इन पदों पर नियुक्ति होगी। सभी बड़े नेताओं ने नई टीम को शुभकामनाएं दी हैं। जानिए किस पद पर कौन सा चेहरा, सिंधिया गुट से बस एक प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने साढे़ 3 महीने बाद आखिरकार अपनी टीम का एलान कर दिया है. खंडेलवाल की टीम में 9 उपाध्यक्ष 3 महामंत्री और 9 मंत्री बनाए गए हैं. इसके साथ ही किसान मोर्चा, अनुसूचित जाति, अनसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग इन चार मोर्चे के अध्यक्षों के भी नाम घोषित कर दिए गए हैं. खंडेलवाल की मोर्चे समेत घोषित हुई टीम 29 में वीडी शर्मा की टीम के कई भरोसेमंद चेहरों को भी जगह मिली है. खंडेलवाल की टीम 29 में किन्हें मिली जगह हेमंत खंडेलवाल ने पूरे साढे़ तीन महीने के इंतजार के बाद अपनी टीम का एलान किया, लेकिन जिस तरह की अटकलें थी कि उनकी कार्यकारिणी में पूरे चेहरे बदल जाएंगे. वो तस्वीर दिखाई नहीं दी. खंडेलवाल ने जो 29 सदस्यीय टीम घोषित की है. उसमें उपाध्यक्ष पद पर 9 नाम हैं. जबकि 4 महामंत्री और 9 मंत्री घोषित किए गए हैं. इसके अलावा कोषाध्यक्ष कार्यालय मंत्री और मीडिया प्रभारी का पद है. उपाध्यक्ष पद पर रणवीर सिंह रावत, कांतदेव सिंह, प्रभुराम चौधरी, शैलेन्द्र बरुआ, मनीषा सिंह, डॉ नन्दिता पाठक, सुरेन्द्र शर्मा, निशांत खरे, प्रभुलाल जाटव के नाम है. जबकि महामंत्री के पद पर सांसद लता वानखेड़े, राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी, राहुल कोठारी, गौरव रणदिवे का नाम है. टीम में 9 मंत्री बनाए गए हैं. जिनमें रजनीश अग्रवाल, लोकेन्द्र पाराशर, जयदीप पटेल, क्षितिज भट्ट, संगीता सोनी, राजेन्द्र सिंह, अर्चना सिंह, राजो मालवीय और बबीता परमार हैं. कोषाध्यक्ष के पद पर अखिलेश जैन, कार्यालय मंत्री श्याम महाजन और मीडिया प्रभारी के पद पर आशीष उषा अग्रवाल हैं. टीम खंडेलवाल में वीडी के भरोसेमंदों को भी जगह टीम खंडेलवाल में पूर्व प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा के भरोसेमंद चेहरों को भी जगह मिली है. इनमें कई वो चेहरे हैं, जो वीडी शर्मा की टीम में बने हुए थे. जिनमें प्रमुख रुप से लता वानखेड़े, संगीता सोनी, रजनीश अग्रवाल, लोकेन्द्र पाराशर, राहुल कोठारी और मीडिया प्रभारी आशीष उषा अग्रवाल प्रमुख नाम है. 7 महिलाएं भी, सिंधिया खेमे से केवल एक खंडेलवाल ने अपनी 29 सदस्यीय टीम में सात महिलाओं को भी जगह दी है. उपाध्यक्ष पद पर मनीषा सिंह, डॉ नन्दिता पाठक, महामंत्री के पद पर लता वानखेड़े हैं. जबकि प्रदेश मंत्री के पद पर संगीता सोनी, अर्चना सिंह, राजो मालवीय और बबीता परमार को जगह मिली है. सिंधिया खेमे से इस सूची में केवल एक प्रभुराम चौधरी का नाम है. कार्यकारिणी के साथ चार मोर्चे भी घोषित कार्यकारिणी के साथ प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने चार मोर्चे के अध्यक्ष भी घोषित कर दिए हैं. किसान मोर्चे का अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा को बनाया गया है. जबकि एससी मोर्चे की जिममेदारी भगवान सिंह परमार के पास है. एसटी मोर्चे पर पंकज टेकाम हैं और पिछड़ा वर्ग के अध्यक्ष पवन पाटीदार हैं. ऐसी है कार्यकारिणी पदाधिकारी– दायित्व     रणवीर सिंह रावत– उपाध्यक्ष (पहले महामंत्री रहे)     कांतदेव सिंह — उपाध्यक्ष (पहले उपाध्यक्ष रहे)     प्रभुराम चौधरी– उपाध्यक्ष (सिंधिया समर्थक)     शैलेंद्र बरूआ– उपाध्यक्ष (संभागीय संगठन मंत्री रहे)     मनीषा सिंह — उपाध्यक्ष (पहले प्रदेश मंत्री रहीं)     नंदिता पाठक– उपाध्यक्ष     सुरेंद्र शर्मा– उपाध्यक्ष     निशांत खरे– उपाध्यक्ष     प्रभुलाल जाटव — उपाध्यक्ष     लता वानखेड़े– महामंत्री (पहले प्रदेश मंत्री रहीं)     सुमेर सिंह सोलंकी– महामंत्री (राज्यसभा सदस्य रहे)     राहुल कोठारी– महामंत्री (पहले मंत्री रहे जैन, अल्पसंख्यक)     गौरव रणदिवे– महामंत्री (इंदौर नगर अध्यक्ष रहे)     रजनीश अग्रवाल — मंत्री (पहले मंत्री रहे)     लोकेंद्र पाराशर– मंत्री (पहले मंत्री रहे)     जयदीप पटेल– मंत्री (पहले मंत्री रहे)     क्षितिज भट्ट– मंत्री (पहले मंत्री रहे)     संगीता सोनी– मंत्री (पहले मंत्री रही)     राजेंद्र सिंह — मंत्री अर्चना सिंह– मंत्री     राजो मालवीय– मंत्री (पहले प्रदेश प्रवक्ता रहीं)     बबीता परमार– मंत्री     सीए अखिलेश जैन– कोषाध्यक्ष (पद पर यथावत)     श्याम महाजन– कार्यालय मंत्री (प्रदेश उपाध्यक्ष थे)     आशीष अग्रवाल– मीडिया प्रभारी (पद पर यथावत)     जयपाल सिंह चावड़ा– किसान मोर्चा (संभागीय संगठन मंत्री रहे)   … Read more

कार्बाइड गन पर रोक: भोपाल-इंदौर-ग्वालियर में आदेश जारी, 300 से ज्यादा लोगों की आंखें झुलसीं

भोपाल/ इंदौर /ग्वालियर  मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और ग्वालियर और इंदौर जिले में घातक कैल्शियम कार्बाइड गन के कारण बच्चों की आंखों को हुए नुकसान के बाद दोनों जिलों के कलेक्टरों ने कार्बाइड गन पर तत्काल प्रभाव से बैन लगा दिया है.  भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने आदेश में जारी किया है कि कोई भी प्रतिबंधनात्मक पटाखा, आतिशबाजी, लोहा स्टील या पीवीसी पाइपों में विस्फोटक पदार्थ भरकर तेज आवाज  करने वाले अवैध पटाखे (कार्बाइड गन) नहीं बनाएगा. इकट्ठा नहीं करेगा और खरीद बेच भी नहीं सकेगा.  कलेक्टर ने कहा है कि यह अवैध संशोधित पटाखा आम नागरिकों की सुरक्षा, शांति और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है, इसलिए इसके वितरण या प्रदर्शन पर भी पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा. एसडीएम, कार्यपालिक मजिस्ट्रेट, पुलिस अधिकारी इस आदेश का सख्ती से पालन करवाएंगे.  दिवाली 2025 में नए पटाखे की खोज में सोशल मीडिया ने बंदर भगाने के देसी जुगाड़ को वायरल कर दिया। इसी जुगाड़ सिस्टम “कार्बाइड गन” को लेकर दो साल पहले यानी 2023 में ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) भोपाल ने चेतावनी दी थी। संस्थान के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में बताया था कि कैल्शियम कार्बाइड और पानी के केमिकल रिएक्शन से बनने वाली गैस 'एसिटिलीन' सिर्फ धमाका नहीं करती, बल्कि आंखों की रोशनी तक छीन लेती है। यह स्टडी इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थेलमोलॉजी में प्रकाशित भी हुई थी। इसके बाद भी समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए। यही वजह है कि अब तक भोपाल के अलग-अलग अस्पतालों में लगभग 162 लोग इस कार्बाइड गन से घायल होकर आ चुके हैं। इन सभी मरीजों की आंखें जली हैं। उन्हें देखने में परेशानी हो रही है। देसी कार्बाइड गन से प्रदेशभर में अब तक 300 लोगों की आंखों में जलन के मामले सामने आ चुके हैं। ग्वालियर, इंदौर, विदिशा समेत कई जगहों पर ऐसी घटनाओं में 7 से 14 साल तक के बच्चे प्रभावित हुए हैं। भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में कार्बाइड पाइप गन बेचने, खरीदने और स्टॉक पर रोक लगा दी गई है। भोपाल और ग्वालियर में गन बेचते मिले दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सिर्फ वार्म व्हाइट लाइट का गोला दिख रहा करीब 50 फीसदी मरीज ऐसे हैं, जिन्हें आंखों के सामने सिर्फ वार्म व्हाइट लाइट का गोला ही नजर आ रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, इन मरीजों की आंखों की रोशनी फिलहाल जा चुकी है। अब एमनियोटिक मेम्ब्रेन इंप्लांट और टिशू ग्राफ्टिंग जैसी प्रक्रिया से आंखों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, अंतिम उपाय कॉर्निया ट्रांसप्लांट ही होगा, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में ट्रांसप्लांट के लिए जरूरी कॉर्निया मिलना मुश्किल है। डिप्टी सीएम घायल बच्चों से मिलने पहुंचे उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने शुक्रवार सुबह करीब 7 बजे हमीदिया अस्पताल पहुंचकर कार्बाइन गन से घायल युवाओं और बच्चों का हाल जाना। उन्होंने डॉक्टरों से घायलों के स्वास्थ्य की जानकारी ली और उनके उपचार की लगातार मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए। शुक्ला करीब एक घंटे तक अस्पताल में रहे। डॉक्टरों ने जानकारी दी कि दुर्घटना में घायल कुल 37 मरीजों में से 32 को जरूरी इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। 5 मरीजों का उपचार अभी जारी है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि अवैध रूप से पटाखा निर्माण या विस्फोटक सामग्री रखने वालों की सघन जांच की जा रही है। दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के पास बच्चों के आंकड़े नहीं अलग-अलग अस्पतालों से आई जानकारी के अनुसार भोपाल में अब तक कार्बाइड गन से प्रभावित लोगों के 162 केस सामने आए हैं। इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग अब तक अलर्ट नहीं हुआ है। हालत यह है कि विभाग ने आधिकारिक आंकड़ा तक जारी नहीं किया है। भोपाल के सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा को फोन किया गया तो उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में होने की बात कही। ग्वालियर में भी कलेक्टर ने लगाई रोक  ग्वालियर जिले में भी कलेक्टर रुचिका चौहान ने भी कार्बाइड गन के निर्माण, खरीदने, बेचने और उपयोग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. उन्होंने अपने आदेश में जिक्र किया कि कार्बाइड गन में उपयोग होने वाला कार्बाइड और पानी का मिश्रण एसिटिलीन गैस पैदा करता है, जो आंखों के साथ-साथ दिमाग और नर्वस सिस्टम के लिए घातक होता है. आदेश के बाद जिला प्रशासन की टीमों ने भितरवार, लोहिया बाजार, नया बाजार बाड़ा, हीरा वेल्डिंग सेंटर एरिया में कार्बाइड गन की जांच शुरू कर दी है.  आदेश का उल्लंघन करने वालों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 और अन्य एक्ट के तहत एक्शन लिया जाएगा. ग्वालियर प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि अवैध रूप से कार्बाइड गन के निर्माण, खरीदने, बेचने और इस्तेमाल की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम के फोन नं 0751-7049101029, 0751-2363636 व 0751-2445333 पर दें.  

खनिज संसाधनों का विवेकपूर्ण दोहन – आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की दिशा में बड़ा कदम

रायपुर : हरित विकास और आर्थिक समृद्धि का छत्तीसगढ़ मॉडल खनिज संसाधनों का विवेकपूर्ण दोहन – आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की दिशा में बड़ा कदम वन संरक्षण और खनन का संतुलन: विकास के साथ हरियाली का विस्तार खनिजों से चमक रही प्रदेश की अर्थव्यवस्था – खनिज राजस्व में 34 गुना की ऐतिहासिक वृद्धि रायपुर, छत्तीसगढ़ यह नाम अब केवल हरियाली और संस्कृति का पर्याय नहीं रहा, बल्कि भारत की खनिज राजधानी के रूप में भी अपनी पहचान बना चुका है। देश के कुल खनिज भंडार का बड़ा हिस्सा छत्तीसगढ़ की धरती में छिपा है। यही कारण है कि राज्य की अर्थव्यवस्था में खनिजों का योगदान लगातार बढ़ रहा है और प्रदेश की सकल घरेलू उत्पाद जीएसडीपी में खनिज क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 10 प्रतिशत तक पहुँच चुकी है। राज्य गठन के समय खनिज राजस्व 429 करोड़ रूपए था, जो अब बढ़कर 14 हजार 592 करोड़ हो गया है। 25 साल में राज्य का खनिज राजस्व में 34 गुना बढ़ गया है। वन एवं पर्यावरण संतुलन को बनाए रखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य की यह उपलब्धि विशेष रूप से उल्लेखनीय है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 1980 से अब तक वनसंरक्षण अधिनियम के तहत छत्तीसगढ़ राज्य में केवल 28 हजार 700 हेक्टेयर भूमि ही खनन के लिए दी गई है, जो कि राज्य के वन क्षेत्र 59.82 लाख हेक्टेयर का 0.47 प्रतिशत और राज्य के कुल भू-भाग 135 लाख हेक्टेयर का 0.21 प्रतिशत है। खनन क्षेत्र में कटाई के साथ 5 से 10 गुना वृक्षारोपण को अनिवार्य किए जाने से राज्य के वन क्षेत्र में 68 हजार 362 हेक्टेयर की वृद्धि हुई है, जो इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट के अनुसार देश में सर्वाधिक है। खनिज राजस्व से न केवल प्रदेश को आर्थिक संबल मिल रहा है, बल्कि हजारों युवाओं के लिए रोज़गार के नए अवसर भी खुल रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार खनिज संपदा के दोहन को पर्यावरणीय संतुलन और जनहित से जोड़कर “खनिज से विकास” की नई परिभाषा गढ़ रही है। छत्तीसगढ़ के प्रमुख खनिजों में से महत्वपूर्ण कोयला, ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है। छत्तीसगढ़ देश का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य है। राज्य में कोयले का भंडारण 74,192 मिलियन टन है, जो देश के कोयल भण्डार का लगभग 20.53 प्रतिशत है। कोयला उत्पादन में छत्तीसगढ़ राज्य की देश में 20.73 प्रतिशत हिस्सेदारी है। देश के कोयला उत्पादक राज्यों में छत्तीसगढ़ का दूसरा स्थान है। प्रदेश के कोयले का उपयोग ताप विद्युत संयंत्रों, सीमेंट, इस्पात और कोयला आधारित मध्यम व लघु उद्योगों में किया जा रहा है। ऊर्जा क्षेत्र की आत्मनिर्भरता में छत्तीसगढ़ का योगदान पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है। लौह अयस्क देश के इस्पात उद्योग की रीढ़ है, जो छत्तीसगढ़ में प्रचुर मात्रा में विद्यमान है। कबीरधाम से लेकर दल्लीराजहरा से होते हुए दंतेवाड़ा बैलाडीला तक फैली पर्वत श्रृंखलाओं में 4,592 मिलियन टन लौह अयस्क भंडार मौजूद है, जो राष्ट्रीय भंडार का 19.09 प्रतिशत है। राष्ट्रीय उत्पादन में छत्तीसगढ़ का योगदान 16.64 प्रतिशत है। एनएमडीसी की बैलाडीला खदानें (दंतेवाड़ा) और दल्ली-राजहरा खदानें (बालोद) देश के इस्पात उद्योगों की जीवनरेखा हैं। यहां से भिलाई इस्पात संयंत्र और देशभर के उद्योगों को उच्च गुणवत्ता वाला लौह अयस्क मिलता है। लौह अयस्क उत्पादन में छत्तीसगढ़ का देश में द्वितीय स्थान है। छत्तीसगढ़ में 992 मिलियन टन बाक्साइट भंडार है, जो देश का 20 प्रतिशत है। राष्ट्रीय उत्पादन में छत्तीसगढ़ का योगदान 4.3 प्रतिशत है। सरगुजा, बलरामपुर और कबीरधाम जिलों में हिन्डाल्को, वेदांता और सीएमडीसी जैसी कंपनियाँ सक्रिय हैं। बाक्साइट से निर्मित एल्युमिनियम ऊर्जा, निर्माण और रक्षा उद्योग के लिए अहम है। चूना पत्थर सीमेंट उद्योग का मेरुदंड है। राज्य में 13,211 मिलियन टन चूना पत्थर का भंडार है, जो देश के कुल भंडार का 5.8 प्रतिशत है। राष्ट्रीय उत्पादन में छत्तीसगढ़ का योगदान 11 प्रतिशत है। बलौदाबाजार, रायपुर, जांजगीर-चांपा और रायगढ़ जिलों में अल्ट्राटेक, एसीसी, अम्बुजा, सीमेंट, ग्रासिम जैसे संयंत्र कार्यरत हैं। बलौदाबाजार को अब ‘सीमेंट हब’ कहा जाता है। देश का 100 प्रतिशत टिन उत्पादन छत्तीसगढ़ में होता है। सामरिक महत्व के टिन अयस्क का यहां 30 मिलियन टन का भंडार उपलब्ध है। दंतेवाड़ा और सुकमा में मिलने वाला यह खनिज इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा उद्योग के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसे अनुसूचित जनजाति की सहकारी समितियों के माध्यम से क्रय करने का प्रावधान राज्य सरकार ने लागू किया है। राज्य में 992 मिलियन टन डोलोमाइट भंडार मौजूद है, जो राष्ट्रीय भंडार का 20 प्रतिशत है। मुख्यतः रायपुर, दुर्ग, बेमेतरा, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा और रायगढ़ जिलों में पाया जाता है। यह खनिज इस्पात उद्योग में फ्लक्स मटेरियल के रूप में उपयोगी है। गरियाबंद जिले के बेहराडीह और पायलीखंड क्षेत्रों में हीरा का प्रमाणित भंडार है। बलौदाबाजार जिले के सोनाखान क्षेत्र में 2780 किलोग्राम स्वर्ण भंडार के अतिरिक्त जशपुर, महासमुंद और कांकेर जिलों में भी स्वर्ण और हीरा खनिज की संभावनाएं पाई गई हैं। छत्तीसगढ़ में गौण खनिजों की भी बड़ी भूमिका है। राज्य में 37 प्रकार के गौण खनिज जैसे-रेत, मुरम, ईमारती पत्थर, साधारण मिट्टी, निम्न श्रेणी चूना पत्थर, डोलोमाइट और ग्रेनाइट की खुदाई लगभग हर जिले में होती है। रेत और मिट्टी का उपयोग सड़क, भवन और पुल निर्माण में व्यापक रूप से किया जा रहा है। गौण खनिजों से राज्य को स्थानीय राजस्व, रोजगार और पंचायत निधि का बड़ा हिस्सा प्राप्त होता है। जिला पंचायतों और नगर निकायों को इन खनिजों से प्रतिवर्ष सैकड़ों करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है, जिससे ग्रामीण विकास कार्यों को गति मिलती है। खनिज विकास के साथ-साथ राज्य सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और खनन प्रभावित इलाकों के पुनर्वास पर विशेष ध्यान दिया है। डीएमएफ के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल और सड़कों जैसी योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। खनिज विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन का जो उदाहरण छत्तीसगढ़ ने प्रस्तुत किया है, वह आज पूरे देश के लिए एक सस्टेनेबल ग्रोथ मॉडल बन गया है। यहां विकास और हरियाली विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि नीति में दूरदृष्टि और क्रियान्वयन में संवेदनशीलता हो, तो खनिज संपदा केवल भूमि की गहराई में नहीं, बल्कि जनजीवन की समृद्धि में भी झलक सकती है।

राजकोट और आसपास जिलों में भूकंप के झटके, गुजरात में लोगों में हलचल

राजकोट गुजरात के राजकोट में शुक्रवार दोपहर भूकंप के झटके महसूस किए गए. नेशनल सेंटर ऑफ सीस्मोलॉजी (NCS) ने बताया कि रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.4 दर्ज की गई. भूकंप का केंद्र बिंदु सौराष्ट्र के गोंडल क्षेत्र से 24 किमी पश्चिम-दक्षिण में था. राजकोट और आसपास के जिलों मे दोपहर 12:37:42 बजे के आसपास भूकंप का असर महसूस किया गया. लोगों ने घरों में झटके महसूस होने की बात कही, जिससे कुछ पल के लिए अफरा-तफरी मच गई. हालांकि, अभी तक किसी तरह के जान-माल के नुकसान या संपत्ति को क्षति की कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है. स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमें अलर्ट पर हैं. गुजरात सरकार ने लोगों से शांति बनाए रखने और किसी भी असामान्य स्थिति की सूचना तुरंत स्थानीय प्रशासन को देने को कहा है.

PM मोदी ने समस्तीपुर में किया कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा पर माल्यार्पण, श्रद्धांजलि अर्पित

समस्तीपुर  बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग से पहले राज्य का सियासी तापमान हाई हो गया है. नेताओं के बीच सियासी जुबानी जंग तेज हो गई है. वहीं, एनडीए के चुनाव अभियान के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 24 अक्टूबर (शुक्रवार) को बिहार का दौरा करेंगे. पीएम मोदी अपने दौरे की शुरुआत समस्तीपुर के कर्पूरी गांव से करेंगे और नेता कर्पूरी ठाकुर को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. इसके बाद वे समस्तीपुर के दुधपुरा और बाद में बेगूसराय में चुनावी रैलियां करेंगे.  अमित शाह दो दिवसीय दौरे पर पटना पहुंचेंगे और 24 अक्टूबर को सीवान और बक्सर में, फिर 25 अक्टूबर को बिहारशरीफ, मुंगेर और खगड़िया में रैलियों को संबोधित करेंगे. वहीं, राजद नेता तेजस्वी यादव 24 अक्टूबर से बिहार में अपने चुनाव अभियान की शुरुआत करेंगे. 24 अक्टूबर को तेजस्वी का अभियान सिमरी बख्तियारपुर में एक रैली के साथ शुरू होगा, जिसके बाद वे केवटी, पारू और उजियारपुर में रुकेंगे. तेजस्वी का चुनावी दौरा सहरसा, दरभंगा, मुजफ्फरपुर और वैशाली में भी होगा. बिहार चुनाव की हर अपडेट के लिए बने रहिए जी बिहार झारखंड के साथ. यहां आपको हर सियासी जानकारी मिलेगी.  ‘हमारी सरकार में कानून का राज’, समस्तीपुर रैली में CM नीतीश ने कहा ‘वो अपने परिवार के लिए काम करते हैं’, समस्तीपुर रैली में CM नीतीश का RJD पर हमला ‘बिहार को बड़ी आर्थिक मदद दी’, समस्तीपुर रैली में बोले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार  ‘1.2 करोड़ महिलाओं को रोजगार दिया’, समस्तीपुर रैली में बोले CM नीतीश बिहार के समस्तीपुर में भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर के परिजनों से PM नरेंद्र मोदी मिले

छत्तीसगढ़ रजत जयंती विशेष : समय पर छात्रवृत्ति वितरण से शिक्षा बनी सुलभ, सुशासन की नई पहल पर फोकस

रायपुर मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय की विशेष पहल पर राज्य के शैक्षणिक संस्थानों, आश्रम-छात्रावासों और तकनीकी एवं प्रोफेशनल पाठ्यक्रम में पढ़ाई करने वाले अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों को शिष्यवृत्ति एवं छात्रवृत्ति का भुगतान निर्धारित समय-सीमा में उनके बैंक खाते में ऑनलाईन होने से अब उक्त वर्ग के विद्यार्थियों के लिए शिक्षा की राह आसान हो गई है। मुख्यमंत्री  साय ने हाल ही में मंत्रालय, महानदी भवन से इन वर्गों के लगभग 2 लाख विद्यार्थियों के बैंक खातों में 84.66 करोड़ रूपए की शिष्यवृत्ति एवं छात्रवृत्ति ऑनलाईन अंतरित की है।  उल्लेखनीय है कि विद्यार्थियों को शिष्यवृत्ति और छात्रवृत्ति ऑनलाईन भुगतान की शुरूआत मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय के हाथों पहली बार 10 जून 2025 को हुई। राज्य में संचालित सभी प्री. मैट्रिक छात्रावासों एवं आश्रमों में प्रवेशित बच्चों को शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के पूर्व ही शिष्यवृति की प्रथम किश्त राशि 77 करोड़ रूपए एवं पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों में अध्ययनरत छात्रों हेतु भोजन सहाय की प्रथम किश्त के रूप में राशि 8.93 करोड़ रूपए, इस प्रकार कुल 85 करोड़ रूपए की राशि जारी कर एक अभिनव पहल की गई थी। इसके ठीक बाद दूसरे चरण में 17 जून 2025 को 8370 विद्यार्थियों को छात्रवृति की राशि 6.2 करोड़ रूपए का ऑनलाइन अंतरण किया गया था।  मुख्यमंत्री  साय के हाथों आश्रम-छात्रावासों के 1 लाख 86 हजार 50 विद्यार्थियों को शिष्यवृति की द्वितीय किश्त की राशि 79 करोड़ 27 लाख रूपए एवं पो. मैट्रिक छात्रवृत्ति के 12 हजार 142 विद्यार्थियों को 5 करोड़ 38 लाख 81 हजार रूपए उनके बैंक खातों में राशि अंतरित की गई है।  गौरतलब है कि मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय ने शिक्षा को सबके लिए आसान बनाने  के उद्देश्य से अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़ा वर्ग तथा कमजोर वर्गों के छात्र-छात्राओं की शिक्षा चिंता की और उन्होंने आदिमजाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्प संख्यक कल्याण विभाग द्वारा संचालित आश्रम -छात्रावास में रहकर शिक्षा अध्ययन कर रहे के बच्चों के शिक्षा को आसान बनाने के लिए यह नयी पहल की है। आदिम जाति विकास मंत्री  रामविचार नेताम के नेतृत्व और विभाग के प्रमुख सचिव  सोनमणी बोरा के गहन प्रयासों से  कमजोर वर्गाें के विकास एवं उन्हें विकास की मुख्यधारा में लाने बिना रूकावट के शिक्षा ग्रहण हेतु सुविधा प्रदान करने का यह प्रयास सार्थक हो रहा है।  आदिम जाति कल्याण विकास विभाग के प्रमुख सचिव  सोनमणि बोरा के प्रयासों से प्री. मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति तथा शिष्यवृत्ति भुगतान के लिए नयी व्यवस्था में माह जून, सितंबर, अक्टूबर एवं दिसंबर में विद्यार्थियों को अब ऑनलाईन भुगतान किया जा रहा है। इस पहल से विद्यार्थियों को शैक्षणिक अध्ययन के दौरान होने वाली आर्थिक समस्या से निजात मिली है। यहां यह उल्लेखनीय है कि इस नयी व्यवस्था से पूर्व विद्यार्थियों को दिसंबर एवं फरवरी-मार्च में वर्ष में एक बार छात्रवृति एवं शिष्यवृति की राशि प्रदान की जाती थी।    दरअसल आश्रम छात्रावास में रहकर शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थी हो या यहां रहकर अध्ययन कर चुके विद्यार्थी हो अथवा आश्रम छात्रावासों में रहकर उच्च पदों में कार्य कर रहे विद्यार्थी क्यों न हो। वे समय पर स्कॉलरशिप नहीं मिलने के कारण की परेशानियों से भलीभांति वाकिफ हैं। वास्तव में एक विद्यार्थी को अध्ययन सामग्री क्रय करने के लिए जब पैसे की जरूरत हो उस वक्त छात्रवृत्ति और शिष्यवृत्ति की राशि उनके बैंक खातों में पहुंचना बेहद महत्वपूर्ण होता है। छात्रावासी विद्यार्थियों की इस परेशानी को दूर करने के लिए प्रमुख सचिव  सोनमणि बोरा सहित विभागीय अमलों ने संवेदनशीलता के साथ कितनी मशक्कत की होगी यह किसी से छिपा नहीं है। इसी का परिणाम है कि विभाग आश्रम छात्रावास के बच्चों के छात्रवृत्ति के लिए की गई तय सीमा से लाखों विद्यार्थियों को लाभ मिलना लाजिमी है। छात्रावास में रहने वाले बच्चों की अधिकतर आवश्यकताएँ सरकार द्वारा पूरी की जाती हैं, लेकिन छात्रवृत्ति उन्हें व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने की स्वतंत्रता देती है। इससे वे किताबें, स्टेशनरी व अन्य जरूरी सामान स्वयं खरीद सकते हैं। जब यह सहायता समय पर मिलती है, तो विद्यार्थी बिना किसी चिंता के अपनी पढ़ाई जारी रख पाते हैं और उनका ध्यान पढ़ाई से भटकता नहीं है। समय पर छात्रवृत्ति मिलने से बच्चों का आत्मविश्वास भी बढ़ता है।  समय पर छात्रवृत्ति मिलने से न केवल बच्चों की शैक्षिक यात्रा आसान होती है, बल्कि उन्हें उच्च शिक्षा की ओर बढ़ने का प्रोत्साहन भी मिलता है। वे यह सोचने लगते हैं कि यदि अभी उन्हें सहायता मिल रही है तो आगे भी मिलेगी, जिससे वे कॉलेज या व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की ओर अग्रसर होते हैं। इससे राज्य में एक शिक्षित, आत्मनिर्भर और जागरूक युवा पीढ़ी का निर्माण होता है। अंत में, यह कहा जा सकता है कि विद्यार्थियों को निर्धारित समय पर स्कॉलरशिप देने की प्रक्रिया से छत्तीसगढ़ में समावेशी शिक्षा को प्रोत्साहन मिलेगा। इससे विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने में आसान होगी।  डॉ. ओम प्रकाश डहरिया

मुख्यमंत्री योगी ने पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों में पांच गुना तक वृद्धि का निर्णय

मुख्यमंत्री योगी का बड़ा निर्णय, 30 वर्ष बाद बढ़ेंगे पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के वित्तीय अधिकार मुख्यमंत्री योगी ने पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों में पांच गुना तक वृद्धि का निर्णय वर्ष 1995 में तय सीमाएं अब पुरानी, लागत बढ़ने के अनुरूप अब हो रहा वित्तीय अधिकारों का पुनर्निर्धारण मुख्य अभियंता को अब ₹10 करोड़, अधीक्षण अभियंता को ₹5 करोड़ तक कार्य स्वीकृति का अधिकार अधिशासी अभियंता और सहायक अभियंता के अधिकारों में भी बढ़ोतरी से निर्णय प्रक्रिया होगी त्वरित मुख्यमंत्री के निर्णय से निविदा, अनुबंध व कार्यारंभ प्रक्रिया में तेजी, प्रशासनिक दक्षता व पारदर्शिता में वृद्धि होगी उत्तर प्रदेश अभियंता सेवा (लोक निर्माण विभाग) (उच्चतर) नियमावली, 1990 में होगा संशोधन विद्युत एवं यांत्रिक संवर्ग में पहली बार मुख्य अभियंता (स्तर-एक) का नया पद शामिल मुख्य अभियंता (स्तर-दो) और अधीक्षण अभियंता के पदों की संख्या बढ़ी, पदोन्नति प्रक्रिया स्पष्ट होगी लखनऊ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लोक निर्माण विभाग के विभागीय अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों में पाँच गुना तक की वृद्धि किए जाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि बदलावों से विभागीय अधिकारियों को निर्णय लेने में अधिक स्वायत्तता प्राप्त होगी। उच्च स्तर पर अनुमोदन की आवश्यकता घटने से निविदा, अनुबंध गठन एवं कार्यारंभ की प्रक्रिया में गति आएगी। यह सुधार वित्तीय अनुशासन बनाए रखते हुए प्रशासनिक दक्षता और पारदर्शिता को बढ़ाने में सहायक होगा। शुक्रवार को लोक निर्माण विभाग की बैठक में यह तथ्य सामने आया कि विभाग के अधिकारियों के वित्तीय अधिकार वर्ष 1995 में निर्धारित किए गए थे। इस बीच निर्माण कार्यों की लागत में पाँच गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स के अनुसार वर्ष 1995 की तुलना में वर्ष 2025 तक लगभग 5.52 गुना वृद्धि दर्ज की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में वित्तीय अधिकारों का पुनर्निर्धारण आवश्यक है, जिससे निर्णय प्रक्रिया में तेजी आए और परियोजनाओं का क्रियान्वयन समयबद्ध रूप से किया जा सके। अपर मुख्य सचिव, लोक निर्माण विभाग ने मुख्यमंत्री को सिविल, विद्युत एवं यांत्रिक कार्यों के लिए वित्तीय अधिकारों की वर्तमान व्यवस्था की जानकारी दी। विमर्श के उपरांत निर्णय लिया गया कि सिविल कार्यों के लिए अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों की सीमा अधिकतम पाँच गुना तक तथा विद्युत एवं यांत्रिक कार्यों के लिए कम से कम दो गुना तक बढ़ाई जाएगी। मुख्यमंत्री के निर्णय के अनुसार मुख्य अभियंता को अब ₹2 करोड़ के स्थान पर ₹10 करोड़ तक के कार्यों की स्वीकृति का अधिकार होगा। अधीक्षण अभियंता को ₹1 करोड़ से बढ़ाकर ₹5 करोड़ तक के कार्यों की स्वीकृति का अधिकार दिया जाएगा। अधिशासी अभियंता के वित्तीय अधिकार ₹40 लाख से बढ़ाकर ₹2 करोड़ किए जाएंगे। सहायक अभियंता को भी सीमित दायरे में टेंडर स्वीकृति एवं छोटे कार्यों की अनुमति देने के अधिकार बढ़ाए जाएंगे। बता दें कि यह पुनर्निर्धारण तीन दशकों के बाद होने जा रहा है। बैठक में उत्तर प्रदेश अभियंता सेवा (लोक निर्माण विभाग) (उच्चतर) नियमावली, 1990 में संशोधन के माध्यम से विद्युत एवं यांत्रिक संवर्ग की सेवा संरचना, पदोन्नति व्यवस्था तथा वेतनमान के पुनर्गठन से जुड़े प्रस्तावों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। बैठक में बताया गया कि नियमावली में किया जा रहा यह संशोधन विभागीय अभियंताओं की सेवा संरचना को वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने के उद्देश्य से किया गया है। संशोधित नियमावली में विद्युत एवं यांत्रिक संवर्ग में पहली बार मुख्य अभियंता (स्तर-एक) का नया पद सम्मिलित किया गया है। इसके साथ मुख्य अभियंता (स्तर-दो) और अधीक्षण अभियंता के पदों की संख्या में वृद्धि की गई है। नवसृजित पदों को नियमावली में समाहित करते हुए उनके पदोन्नति स्रोत, प्रक्रिया और वेतनमान को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, जिससे सेवा संरचना अधिक पारदर्शी और संगठित हो सके। बैठक में यह भी बताया गया कि मुख्य अभियंता (स्तर-एक) के पद पर पदोन्नति अब मुख्य अभियंता (स्तर-दो) से वरिष्ठता के आधार पर की जाएगी। इसी प्रकार मुख्य अभियंता (स्तर-दो) और अधीक्षण अभियंता के पदों पर भी पदोन्नति की प्रक्रिया को नियमावली में स्पष्ट किया गया है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप अधिशासी अभियंता से लेकर मुख्य अभियंता (स्तर-एक) तक के पदों के वेतनमान और मैट्रिक्स पे लेवल भी निर्धारित किए गए हैं। इसके साथ चयन समिति की संरचना को अद्यतन किया गया है, ताकि पदोन्नति और नियुक्ति की कार्यवाही अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ की जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक निर्माण विभाग राज्य की विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन में एक प्रमुख विभाग है, इसलिए अभियंताओं की सेवा नियमावली को समयानुकूल, व्यावहारिक और पारदर्शी बनाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि योग्यता, अनुभव और वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति व्यवस्था से विभाग की कार्यकुशलता, तकनीकी गुणवत्ता और सेवा भावना को नई दिशा मिलेगी।

दो आतंकी दबोचे गए, ISI कनेक्शन सामने आया, जानें उनका फिदायीन हमला का प्लान

भोपाल/ दिल्ली  देश में बड़े आईएसआई मॉड्यूल का पर्दाफाश हुआ है. आईएसआईएस से जुड़े 2 आतंकी पकड़े गए हैं. दिल्ली पुलिस ने साउथ दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से एक आतंकी को गिरफ्तार किया है, जबकि दूसरा मध्य प्रदेश के भोपाल से पकड़ा गया है. दोनों संदिग्ध आतंकी की उम्र 20-26 वर्ष के बीच बताई जा रही है. ये देश में फिदायीन हमले की फिराक में थे. इन दोनों आतंकियों के पाकिस्तानी आईएसआई से लिंक सामने आए हैं. गिरफ्तार आतंकियों के पास से कई संदिग्ध सामग्री बरामद हुई हैं. प्रारंभिक पूछताछ में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के हैंडलर्स से सीधे संपर्क का खुलासा हुआ है. ये आतंकी किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के फिराक में थे. सूत्रों के मुताबिक, ये आतंकी ऑनलाइन रेडिकलाइज्ड थे. यह मॉड्यूल दिल्ली-एनसीआर समेत कई शहरों में किसी बड़ी वारदात की साजिश रच रहा था. फिलहाल मामले की पूरी जांच जारी है, और अन्य संदिग्धों की तलाश में छापेमारी की जा रही है. यह कार्रवाई भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ी सफलता मानी जा रही है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक, उन दोनों में से एक आतंकी का नाम अदनान है. दिल्ली के सादिक नगर और भोपाल से दोनों आतंकियों की गिरफ्तारी हुई है. दोनों आतंकी फिदायीन अटैक करने की ट्रेनिंग भी ले रहे थे. विस्तृत जानकारी का इंतजार है.  

नवा रायपुर में राज्योत्सव और प्रधानमंत्री के प्रवास को लेकर उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने की तैयारियों की समीक्षा

रायपुर : उप मुख्यमंत्री  अरुण साव ने वन एवं पर्यावरण मंत्री  केदार कश्यप और वित्त मंत्री  ओ.पी. चौधरी के साथ राज्योत्सव व प्रधानमंत्री के नवा रायपुर प्रवास की तैयारियों की समीक्षा की अधिकारियों को दिए आवश्यक दिशा-निर्देश  रायपुर उप मुख्यमंत्री  अरुण साव  उप मुख्यमंत्री  अरुण साव ने नवा रायपुर स्थित विश्राम भवन में वन एवं पर्यावरण मंत्री  केदार कश्यप तथा वित्त मंत्री  ओ.पी. चौधरी के साथ राज्योत्सव तथा प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के नवा रायपुर प्रवास की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने राज्योत्सव की तैयारियों में जुटे अधिकारियों के साथ विभिन्न व्यवस्थाओं की गहन समीक्षा कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।  उप मुख्यमंत्री  साव ने अधिकारियों को संपूर्ण आयोजन में किसी भी तरह की कोताही न बरतते हुए पूरी क्षमता और योग्यता से समय पूर्व सभी तैयारियां सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की स्थापना के रजत जयंती वर्ष में राज्योत्सव पर प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के आगमन को ऐतिहासिक और यादगार बनाना है। इसके लिए तैयारियों में कोई कोर-कसर न छोड़ें। प्रधानमंत्री के प्रवास के दौरान सभी कार्यक्रमों के भव्य और सुव्यवस्थित आयोजन के लिए तेजी से कार्य करते हुए सभी व्यवस्थाओं को मूर्त रूप दें। उप मुख्यमंत्री  साव तथा मंत्रीद्वय  केदार कश्यप और  ओ.पी. चौधरी ने राज्योत्सव के लिए विभिन्न व्यवस्थाओं के प्रभारी अधिकारियों के साथ बैठक कर कार्यक्रम स्थल पर सेक्टर्स की स्थिति, बैठक क्षमता, परिक्रमा पथ के लोकेशन एवं सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की। बैठक में पुलिस बल की तैनाती, पार्किंग व्यवस्था व पेयजल व्यवस्था के साथ ही वीवीआईपी सेक्टर की क्षमता, सुव्यवस्थित पहुंच मार्ग तथा सभी कार्यक्रमों के व्यवस्थित आयोजन की रुपरेखा पर भी विस्तार से चर्चा हुई। आवास एवं पर्यावरण विभाग के सचिव  अंकित आनंद, रायपुर के कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह, संस्कृति विभाग के संचालक  विवेक आचार्य, रायपुर नगर निगम के आयुक्त  विश्वदीप और लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता  वी.के. भतपहरी भी समीक्षा बैठक में मौजूद थे।