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बिहार में सियासी दिलचस्पी बढ़ी: महागठबंधन की आठ सीटों पर कांग्रेस-राजद में सीधी टक्कर

पटना विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 121 सीटों पर नामांकन प्रक्रिया खत्म हो गई। अब तक केवल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने सीट बंटवारे की घोषणा की है। महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग का फॉर्मूला अब तक तय नहीं हुआ है। सभी दलों ने पहले चरण की सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी उतार दिए। इनमें राजद ने 72, कांग्रेस ने 26, वामदल ने 21 और वीआईपी ने छह सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि आठ ऐसी सीटें हैं, जहां महागठबंधन के ही घटक दलों के उम्मीदवार एक-दूसरे को चुनौती देंगे। इनमें वैशाली, लालगंज, राजापाकड़, बछवाड़ा, रोसड़ा, बछवाड़ा, तारापुर और कहलगांव विधानसभा सीट है। इन सीटों पर फ्रेंडली फाइल से स्पष्ट हो गया है कि महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है। तारापुर विधानसभा सीट     यहां पर राजद और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रत्याशी आमने सामने हैं। राजद से अरुण शाह ने नामांकन पर्चा दाखिल किया है। वहीं वीआईपी की ओर से सकलदेव सिंह ने अपना नामांकन पर्चा दाखिल किया है। बछवाड़ा विधानसभा सीट     यहां पर कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) के प्रत्याशी आमने-सामने हैं। कांग्रेस से प्रकाश दास ने नामांकन पर्चा दाखिल किया है। वहीं सीपीआई से अवधेश कुमार राय ने नामांकन किया है। बिहारशरीफ विधानसभा सीट     यहां पर भी कांग्रेस और सीपीआई के प्रत्याशी आमने-सामने हैं। कांग्रेस से उमैर खान ने नामांकन किया है। वहीं सीपीआई के शिव प्रसाद यादव ने नामांकन किया है। रोसड़ा विधानसभा सीट     यहां पर कांग्रेस और सीपीआई के उम्मीदवार आमने-सामने हैं। कांग्रेस से बीके रवि ने नामांकन किया है। वहीं सीपीआई से लक्ष्मण पासवान ने नामांकन दाखिल किया है। राजपाकर विधानसभा सीट     यहां से कांग्रेस और सीपीआई के प्रत्याशी आमने-सामने हैं। कांग्रेस से प्रतिमा कुमारी ने नामांकन किया है। वहीं सीपीआई से मोहित पासवाान ने नामांकन किया है। वैशाली विधानसभा सीट     यहां राजद और कांग्रेस के प्रत्याशी आमने-सामने हैं। राजद से अजय कुशवाहा ने नामांकन किया है। वहीं कांग्रेस से ई.संजीव सिंह ने नामांकन किया है। लालगंज विधानसभा सीट     सबसे ज्यादा चर्चित यही सीट है। यहां राजद और कांग्रेस के प्रत्याशी आमने-सामने हैं। राजद पूर्व विधायक बाहुबली मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला को टिकट दिया। उन्होंने अपना नामांकन पर्चा दाखिल कर दिया। वहीं कांग्रेस से आदित्य कुमार राजा ने भी अपना नामांकन कर दिया है। जानिए, महागठबंधन के अंदर कलह पर किसने क्या कहा? भाकपा (माले) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार चुनाव के लिए सीट बंटवारे और उम्मीदवारों की घोषणा में हो रही देरी महागठबंधन के टूटने का संकेत नहीं, बल्कि इसके विस्तार का परिणाम है। कांग्रेस सांसद अखिलेश सिंह ने कहा कि कहीं कोई दिक्कत नहीं है। अंदर-अंदर काम चल रही है। महागठबंधन में कोई विवाद नहीं हैं। हमलोगों के बीच सबकुछ ठीक है। वहीं मुकेश सहनी की नाराजगी दूर हो गई है। उन्हें सम्मान देने कुछ तो इधर-उधर करना पड़ा। हमलोगों ने अपनी सीटें पिछली बार की तुलना में कम कर ली। वहीं सीएम फेस को लेकर उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के चेहरे हैं। सीट बंटवारे की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही सबकुछ फाइनल हो जाएगा। राजद सांसद सुधाकर सिंह ने कहा कि महागठबंधन में सबलोग एकजुट हैं। विरोधी की अफवाहों पर आपलोग ध्यान नहीं दें। किसी सीट फ्रेंडली फाइट नहीं हो रही है। जहां पर कंफ्यूजन में महागठबंधन के घटन दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ अपना नामांकन भर दिया है। वहां वापस लिया जा रहा है।  

राजस्थान में सियासी हलचल, बिहार के स्टार प्रचारकों की घोषणा से मची खलबली

 जयपुर बीजेपी ने बिहार विधानसभा चुनावों के लिए स्टार प्रचारकों की जो सूची जारी की है उसने राजस्थान की सियासत में हडकंप मचा दिया है। पार्टी ने गुरुवार शाम बिहार चुनावों के लिए 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित कई दिग्गजों को शामिल किया गया है। इस सूची में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, असम और दिल्ली के मुख्यमंत्रियों को भी जगह दी गई है। लेकिन इस बार राजस्थान से किसी भी केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे या वरिष्ठ नेता को स्टार प्रचारक नहीं बनाया गया, जिससे राजनीतिक हलकों में अटकलों का दौर शुरू हो गया है। प्रदेश में गुरुवार शाम से ही कयासों के दौर चल पड़े हैं क्या गुजरात पेटर्न पर राजस्थान में भी कुछ बड़ा बदलाव होने वाला है।  क्यों अहम है राजस्थान की भागीदारी? बिहार में राजस्थानी मूल के वोटर्स और व्यापारिक समुदाय का अच्छा खासा प्रभाव है। राज्य के हर बड़े शहर में मारवाड़ी व्यापारी समुदाय सक्रिय है। पूर्व में भाजपा राजस्थान के नेताओं को बिहार में प्रचार के लिए भेजती रही है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ सहित कई नेता पूर्व चुनावों में प्रचार में सक्रिय रहे हैं। वसुंधरा राजे को स्टार प्रचारकों में शामिल नहीं किए जाने को लेकर भी काफी चर्चाएं हैं। हालांकि राजे इन दिनों राजस्थान में पूरी तरह सक्रिय नजर आ रही हैं। वे न सिर्फ राजस्थान के दौरे कर रही हैं बल्कि सोशल मीडिया पर अपने कार्यकाल की योजनाओं का प्रचार भी कर रही हैं।  स्टार प्रचारक नहीं, लेकिन ग्राउंड पर मौजूद हैं राजस्थानी नेता हालांकि इस बार किसी नेता को स्टार प्रचारक नहीं बनाया गया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, राजस्थान बीजेपी के कई नेता और कार्यकर्ता बिहार में सक्रिय हैं। राजेंद्र राठौड़ सहित कई वरिष्ठ नेता पिछले दो हफ्तों से बिहार में चुनावी प्रचार, जनसंपर्क और संगठनात्मक काम में जुटे हुए हैं। सियासी संकेत और अटकलें राजस्थान को पूरी तरह नजरअंदाज किए जाने पर सियासी विश्लेषक इसे पार्टी के भीतर बदलते समीकरणों से जोड़ कर देख रहे हैं। कुछ इसे केंद्रीय राजनीति में राजस्थान नेताओं के कम होते प्रभाव की ओर भी इशारा मान रहे हैं। जबकि राजस्थान से कई वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री भाजपा के संगठनात्मक ढांचे में प्रभावी भूमिका निभाते हैं। अब देखना यह होगा कि चुनावी रणनीति में इस बदलाव के पीछे पार्टी का क्या तर्क सामने आता है और क्या राजस्थान की अनदेखी का कोई असर बिहार चुनाव में देखने को मिलेगा।  

अनियंत्रित ट्रैक्टर पलटा, युवक की मौके पर मौत, सड़क हादसा

बांका बिहार के बांका जिले में गुरुवार देर शाम भीषण सड़क हादसा हो गया, जिसमें 22 वर्षीय युवक की जान चली गई। हादसा उस वक्त हुआ जब बालू लदा ट्रैक्टर अनियंत्रित होकर पलट गया। इस दुर्घटना में ट्रैक्टर चालक की मौके पर ही मौत हो गई। जानकारी के अनुसार, घटना जिले के रजौन प्रखंड अंतर्गत सिंहनान पंचायत में घटी। मृतक की पहचान रंजीत कुमार के रूप में हुई मृतक की पहचान रंजीत कुमार, पिता रिडल यादव, निवासी जामगांव (बलुआचक), थाना जगदीशपुर, जिला भागलपुर के रूप में की गई है। घटना के संबंध में बताया जा रहा है कि रंजीत कुमार बालू से लदा ट्रैक्टर लेकर दयालपुर की ओर जा रहे थे। रास्ते में तेज रफ्तार के चलते ट्रैक्टर असंतुलित होकर सड़क किनारे पलट गया। ट्रैक्टर का भारी इंजन रंजीत पर गिर पड़ा और वह उसके नीचे दब गया। हादसे में उसकी मौके पर ही मौत हो गई। इधर, घटना की सूचना मिलते ही रजौन थाना के अपर थानाध्यक्ष रवि कुमार और एसआई संजय कुमार सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए बांका सदर अस्पताल भेज दिया है। थानाध्यक्ष ने बताया कि परिजनों के बयान के आधार पर आगे की कानूनी प्रक्रिया की जा रही है।

यात्रियों के लिए खुशखबरी: बिलासपुर-पटना सुपरफास्ट एक्सप्रेस के स्टॉपेज और रूट में बड़ा बदलाव

पटना बिलासपुर-पटना सुपरफास्ट एक्सप्रेस (22843/22844) का विस्तार कर दिया गया है। अब यह ट्रेन बक्सर स्टेशन तक जाएगी। 10 अक्टूबर से बिलासपुर से रवाना होने वाली 22843 बिलासपुर-पटना सुपरफास्ट एक्सप्रेस बक्सर तक जाएगी। वहीं, 11 अक्टूबर से पटना से रवाना होने वाली 22844 पटना-बिलासपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस बक्सर रेलवे स्टेशन से चलेगी। इन स्टेशनों पर होगा स्टॉपेज पटना-बक्सर के बीच छह स्टेशनों के यात्रियों को भी इस ट्रेन का लाभ मिलेगा। रेलवे ने दानापुर, बिहटा, आरा, बिहिया, रघुनाथपुर और डुमरांव स्टेशनों पर ट्रेन को वाणिज्यक ठहराव देने का निर्णय लिया है। रेलवे ने इन स्टेशनों पर ट्रेन के आगमन और प्रस्थान का समय भी जारी कर दिया है। इसके तहत बिलासपुर से यह ट्रेन 20:30 बजे छूटेगी। पटना 13:48 बजे, दानापुर 14:11 बजे, बिहटा 14:29 बजे, आरा 14:50 बजे, बिहिया 15:09 बजे, रघुनाथपुर 15:23 बजे, डुमरांव 15:38 बजे पहुंचेगी। इसके बाद बक्सर स्टेशन पर यह ट्रेन 16:10 बजे पहुंचेगी। वापसी में ट्रेन बक्सर से 21:35 बजे रवाना होगी और पटना रात 12:03 बजे पहुंचेगी।  

महुआ में ओवैसी बोले – बिहार की सरकार है जुल्मी और अन्यायपूर्ण

वैशाली एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने वैशाली जिले के महुआ विधानसभा क्षेत्र में आयोजित जनसभा में बिहार की सियासी पार्टियों पर तीखा हमला किया और राज्य में दलित‑पिछड़ों के साथ होने वाले कथित अन्याय पर चिंता जताई। ओवैसी ने कहा कि बिहार में दलितों और वंचितों से इंसाफ छीना नहीं जा सकता और राज्य में चल रहे “आरएसएस एजेंडा” को विफल किया जाना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या तेजस्वी यादव ओवैसी को रोकना चाहते हैं या बीजेपी को सफल बनाना चाहते हैं—यह निर्णय महुआ विधानसभा क्षेत्र की जनता को खुद लेना होगा। जनसभा में उन्होंने महुआ थाने से जुड़े एक विवादस्पद मामले का भी ज़िक्र किया। ओवैसी ने कहा कि 5 सितंबर को थाने में बंद एक कैदी (पहचान: नाजिर/नासिर साह) को राजापाकर थाने की पुलिस ने कथित रूप से बेवजह उठाकर ले जाया और मारपीट की गई। उनके अनुसार कैदी तीन दिन बाद शव के रूप में वापस आया। ओवैसी ने इस घटना को बिहार में शासकीय दोहरे मानकों का उदाहरण बताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि मृतक का नाम नाजिर/नासिर साह था तो भी उसे न्याय और सुरक्षा मिलनी चाहिए थी, लेकिन सरकार और प्रशासन की नाकाफी प्रतिक्रिया इस बात का सबूत है कि सिस्टम कमजोर है। ओवैसी ने पूछा कि पुलिस ने कैसे किसी व्यक्ति को तीन दिन तक थाने में रखकर उसका जीवन प्रभावित होने दिया और इसे किसने सही ठहराया। ओवैसी ने मुख्यमंत्री और डीजीपी से इस मामले पर त्वरित कार्रवाई की मांग भी की। उन्होंने कहा कि कम से कम एसडीएम के नेतृत्व में एक स्वतंत्र जांच टीम गठित करके जिम्मेदारों की पहचान कर तत्काल सजा दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि यहाँ न्याय नहीं मिलता तो जनता को अपने वोट के जरिए अपनी आवाज़ उठानी पड़ेगी। सभा में ओवैसी ने जनता से अपील की कि वे पुलिस‑प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व से जवाबदेही मांगें और अपने अधिकारों के लिए संगठित रहें। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर अधिकारी न्याय नहीं कर सकेंगे तो अल्लाह ही न्याय देगा—फिर भी कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई आवश्यक है।

CEC ने बताया बिहार में वोटर लिस्ट सुधार और भाषा-अभिवादन नियम, जानें क्या कहा

पटना मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में बिहार के बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) के काम की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि बिहार के 90217 BLOs ने अपने-अपने क्षेत्र में वोटर लिस्ट को सफलतापूर्वक अपडेट किया है। उन्होंने BLOs के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इनके प्रयासों ने न केवल मतदाता सूची को दुरुस्त किया, बल्कि पूरे देश के अन्य BLOs को भी ये काम करने के लिए प्रेरित किया है। भोजपुरी-मैथिली में अभिवादन CEC ने स्थानीय भाषाओं के प्रति सम्मान दिखाते हुए भोजपुरी और मैथिली में बिहार के लोगों का अभिवादन किया। उन्होंने राज्य के सभी मतदाताओं से लोकतंत्र के पर्व को उसी उत्साह से मनाने का आह्वान किया, जिस उत्साह से वे छठ पूजा और अन्य त्योहार मनाते हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपनी जिम्मेदारी निभाएं और अनिवार्य रूप से वोट डालें। बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर यह चुनाव होना है, क्योंकि प्रदेश की वर्तमान सरकार का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है। CEC ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में 16 सदस्यीय टीम दो दिनों से बिहार के दौरे पर थी और उसने चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने के लिए राजनीतिक दलों, प्रशासन, चुनाव अधिकारियों और पुलिस विभाग के साथ विस्तृत बैठकें कीं। 15 दिन में मिलेगा वोटर आईडी कार्ड भोजपुरी और मैथिली में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कीस शुरुआत की। उन्होंने कहा कि बिहार के सब मतदाता के अभिवादन करत बानी, बिहार के सभी मतदाता के अभिवादन करई छी। जैसे हम महापर्व छठ को आस्था और उत्सव की तरह मनाते हैं, उसी तरह लोकतंत्र के महापर्व को भी मनाएं, अपना भागीदारी पक्का करीं, जिम्मेदारी निभाईं और वोट जरूर करीं। साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पहली बार बड़ी पहल की गई है। CEC ज्ञानेश कुमार ने कहा कि सुनने में आता था कि वोटर आईडी कार्ड मिलने में देरी होती थी लेकिन अब चुनाव आयोग ने ऐसी व्यवस्था की है कि वोटर को 15 दिन के अंदर उनका वोटर आईडी कार्ड मिल जाएगा।

अशोक गहलोत का ‘जादूगर ट्रैक’: कांग्रेस की जीत की कहानी बिहार से पहले कहां-कहां हुई कामयाब

जयपुर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस हाईकमान ने बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मुख्य पर्यवेक्षक बनाया है। आगामी दिनों में गहलोत बिहार जाकर चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालेंगे। ये पहली बार नहीं है, जब कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने अशोक गहलोत पर भरोसा जताते हुए उन्हें चुनावी राज्य में मुख्य पर्यवेक्षक नियुक्त किया हो। आइए जाते हैं अशोक गहलोत को बिहार से पहले किस-किस चुनावी राज्य में जिम्मेदारी दी गई और वहां कांग्रेस की प्रदर्शन कैसा रहा… अशोक गहलोत के साथ इन नेताओं को भी दी गई बिहार की जिम्मेदारी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शनिवार को राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और लोकसभा में पार्टी के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षकनियुक्त किया है। अशोक गहलोत पर पार्टी ने एक बार फिर भरोसा जताया है। इससे पहले भी पार्टी ने उन्हें कई चुनावी राज्यों में बड़ी जिम्मेदारी दी है। आइए जानते हैं अशोक गहलोत का ट्रैक रिकॉर्ड कैसा रहा है… हरियाणा और महाराष्ट्र में सिमट गई कांग्रेस हरियाणा विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस ने पूर्व सीएम अशोक गहलोत, अजय माकन और प्रताप सिंह बाजवा को वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया था। गहलोत के तमाम प्रयासों के बावजूद सत्ताधारी दल भाजपा को कांग्रेस मात नहीं दे सकी। कांग्रेस को 90 में से केवल 37 सीटों पर जीत मिली। उधर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में गहलोत के साथ जी परमेश्वर मुंबई और कोंकण जोन का पर्यवेक्षक बनाया गया था। पर्यवेक्षक होते हुए गहलोत अपना जादू नहीं दिखा सके। महाराष्ट्र में भी कांग्रेस सत्ता से बाहर है। गुजरात में भी नहीं चली अशोक गहलोत की रणनीति गुजरात विधानसभा चुनाव में भी अशोक गहलोत को पार्टी ने जिम्मेदारी दी। अशोक गहलोत सहित राजस्थान के कई नेताओं ने गुजरात में डेरा डाल रखा था। अशोक गहलोत ने कई विधानसभा क्षेत्रों में पैदल मार्च करके कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने की अपील की। लेकिन शायद अशोक गहलोत की रणनीति काम नहीं आई और गुजरात में कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में नहीं आ सकी। राजस्थान में भी करिश्मा नहीं दिखा सके गहलोत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत को राजनीति का जादूगर कहा जाता है, लेकिन उनके नेतृत्व में हुए चुनाव में वे कभी जादू नहीं दिखा सके। गहलोत जब पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने, तब वे विधायक नहीं थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके लिए जोधपुर की सरदारपुरा सीट को खाली किया गया, जहां हुए उपचुनाव में वे विधायक निर्वाचित हुए। तब से वे लगातार सरदारपुरा से विधायक बनते रहे हैं। राजस्थान में भी कभी कांग्रेस की सत्ता रिपीट नहीं करा सके अशोक गहलोत पहली बार 1998 से 2003 तक मुख्यमंत्री रहने के बावजूद गहलोत सरकार को रिपीट नहीं करा सके। वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस केवल 57 सीटों पर जीत दर्ज कर सकी। वर्ष 2008 से 2013 तक गहलोत दूसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में भी वे कांग्रेस की सरकार को रिपीट कराने में कामयाब नहीं रहे। वर्ष 2018 से 2023 तक गहलोत तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन फिर वे सत्ता को बरकरार रखने में कामयाब नहीं हुए।

पटना में नाबालिग डांसर से रेप, पुलिस ने महिला सहित 6 आरोपी किए काबू

पटना बिहार में पटना जिले के बेऊर थाना क्षेत्र में शनिवार को एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने के मामले में एक महिला और छह अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है।   नगर पुलिस अधीक्षक (पश्चिम) भानुप्रताप सिंह ने बताया कि बेऊर थानांतर्गत कॉपरेटिव कॉलोनी, विष्णुपुर पकड़ी स्थित एक मकान में एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म किए जाने की सूचना मिली थी। इस सूचना के आधार पर एक विशेष छापामारी दल का गठन किया गया। गठित दल द्वारा विभिन्न स्थानों पर त्वरित कार्रवाई करते हुए मात्र तीन घंटे के अंदर घटना में संलिप्त एक महिला और छह अपराधकर्मियों को गिरफ्तार किया गया है। सिंह ने बताया कि गिरफ्तार लोगों से पूछताछ के क्रम में यह बात प्रकाश में आई है कि दुर्गा पूजा के अवसर पर डांस कार्यक्रम के लिए कोलकाता से लड़कियों को बुलाया गया था, जिसके लिए कोलकाता के ही एक व्यक्ति से सम्पर्क स्थापित किया गया था। घटनास्थल से विधि विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) की टीम ने साक्ष्य संकलन किया है। गिरफ्तार लोगों की पहचान अशोक कुमार,धीरज कुमार,आर्यन कुमार, प्रिंस कुमार, शशिभूषण कुमार,सिंटू कुमार और प्रिया विश्वास के रूप में की गयी है। गिरफ्तार अभियुक्तों को न्यायिक हिरासत में भजा जा रहा है।  

बिहार में हवाई सफर का विस्तार: मुजफ्फरपुर एयरपोर्ट के लिए शुरू हुई प्रक्रिया

रांची बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने शनिवार को बताया कि मुज़फ्फरपुर हवाई अड्डे के विकास और उन्नयन की एक महत्वपूर्ण परियोजना को स्वीकृति प्रदान की गयी है। सम्राट चौधरी ने बयान जारी कर बताया कि इस परियोजना के तहत मौजूदा हवाई अड्डे को कोड-2बी श्रेणी के विमानों के संचालन योग्य बनाया जाएगा। इसके अंतर्गत प्री-फैब स्टील संरचना आधारित टर्मिनल भवन, प्री-इंजीनियडर् एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) टावर, प्री-इंजीनियडर् अग्निशमन केंद्र तथा अन्य सहायक भवन और सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा। यह संपूर्ण कार्य इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) मोड पर संपन्न किया जाएगा। परियोजना की अनुमानित लागत 28.58 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है। निर्माण कार्य की अवधि 11 माह तय की गई है, एयरपोट्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) ने इस परियोजना के लिए ऑनलाइन ई-टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है। क्षेत्रीय संपर्क, निवेश और पर्यटन को मिलेगी नई गति उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि मुज़फ्फरपुर हवाई अड्डे का उन्नयन उत्तर बिहार में हवाई सेवा का विस्तार है। इससे क्षेत्रीय संपर्क, निवेश और पर्यटन को नई गति मिलेगी। साथ ही उत्तर बिहार के लोगों को आधुनिक और बेहतर हवाई सेवा, स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि यह कदम बिहार को विमानन क्षेत्र में नई ऊंचाई प्रदान करेगा और राज्य के आर्थिक तथा सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि केंद्र की नरेन्द्र मोदी और प्रदेश में नीतीश कुमार के नेतृत्व में डबल इंजन सरकार, बिहार में हवाई सेवा को विश्वस्तरीय बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि हाल में ही पटना के लोक नायक जयप्रकाश नारायण हवाई अड्डा का जहां कायाकल्प हुआ है, वहीं गया हवाई अड्डा को भी अपग्रेड किया गया है। सूबे में उड़ान योजना के तहत दरभंगा और पूर्णिया हवाई अड्डा से देश के अलग-अलग हिस्सों के लिए हवाई सेवा का लाभ बिहार के लोगों को मिल रहा है। और अब इसी कड़ी में मुज़फ्फरपुर हवाई अड्डा का विकास इसे नई उंचाई पर पहुंचाएगा।

त्री हों या विधायक, सब पर गिरेगी गाज! बिहार BJP में गुजरात मॉडल की एंट्री

पटना  बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा अगले कुछ दिनों में हो सकती है. दोनों प्रमुख गठबंधनों में सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत अंतिम चरण में है. भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती एंटी इनकंबेंसी से निबटना है. जनता के बीच लंबे समय से जीत रहे विधायकों और मंत्रियों को लेकर बेहद नाराजगी है. इस चुनाव में अधिक से अधिक सीटें जीतने के लिए भाजपा बिहार में गुजरात मॉडल लागू करने जा रही है. गुजरात की तरह बिहार में भी मौजूदा कई मंत्रियों और विधायकों का टिकट काटा जायेगा. ऐसे करीब 30 विधायकों की सूची तैयार की गयी है, जिन्हें पार्टी इस बार बेटिकट कर सकती है. वोटरों की नाराजगी पार्टी के लिए एक बड़ी बाधा बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में भाजपा का प्रदर्शन संतोषप्रद रहा था. नीतीश कुमार की कम सीटें आने के बाद भी बिहार में एनडीए की सरकार बनी. नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए पांचवीं बार चुनाव जीतने की उम्मीद कर रहा है. भाजपा के पास अभी 80 विधायक हैं, जिनमें 22 मंत्री हैं. कई सीटों पर इस बार स्थानीय विधायक के प्रति विरोधी लहर पहले के मुकाबले मजबूत है. भाजपा ऐसे विधायकों की जगह नये चेहरों को मौका देने पर विचार कर रही है. वैसे जमीनी स्तर पर पार्टी के लिए ऐसा करना आसान नहीं है. बिहार में भाजपा एक वरीय नेता इस बात को स्वीकार करते हैं कि सरकार की योजनाओं के कारण जनता में पार्टी नेतृत्व के प्रति नाराजगी नहीं है, लेकिन स्थानीय विधायकों से जनता नाराज है. मौजूदा विधायकों के प्रति मतदाताओं की नाराजगी पार्टी के लिए एक बड़ी बाधा बन सकती है. गुजरात की तरह कई कद्दावर नेता होंगे बेटिकट पार्टी का जनाधार बढ़ाने और एंटी इनकंबेंसी को साधने के लिए अमित शाह लगातार बिहार की टीम के साथ विचार मंथन कर रहे हैं. उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप देने से पहले एक फार्मूले पर काम किया जा रहा है. पार्टी सूत्रों की माने तो भाजपा बिहार में भी गुजरात मॉडल लागू कर सकती है. भाजपा कोर ग्रुप की बैठक में इसपर गंभीरता से विचार-विर्मश हुआ है. भाजपा ने 2022 में गुजरात चुनाव के दौरान उम्मीदवारों की सूची में बड़ा बदलाव किया था. उसी तर्ज पर बिहार में भी एक व्यापक फेरबदल किया जा सकता है. लगातार सातवीं बार गुजरात जीतने के लिए भाजपा ने पूरा मंत्रिमंडल बदल दिया था. साथ ही अपने 108 मौजूदा विधायकों में से 45 का टिकट काट दिया था, जिनमें कई वरिष्ठ नेता और मंत्री शामिल थे. बिहार में भी भाजपा इसी रास्ते सत्ता में वापसी का प्लान बना रही है.